एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
‘शायद किशमत हमें साथ रखना चाहती है इशईलिए ये सब खेल हो रहा है. तुम्हारे आने से इसे घर में रोनक सी है. मुझे तुम्हारा साथ बहुत अछा लग रहा है‚
‘यहा मेरी जान पर बन आई है और तुम्हे ये बेहूदा फ्लर्ट सूझ रहा है, शरम नही आती तुम्हे ऐसी बाते करते हुवे‚
तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मेरा कहने का मतलब ये था की हमें मिल कर इसे मुसीबत का सामना करना होगा‚
‘मैं जब तक तुम्हारे साथ रहूंगी किशी ना किशी मुसीबत में फाँसी रहूंगी. मुझे जल्द से जल्द यहा से निकलना होगा‚ प़ड़्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.
‘कुछ कहा तुमने‚
‘हन यही की मैं जा रही हूँ‚
‘तुमने शुना नही चारो तरफ पुलिस ढुंड रही है तुम्हे. ऐसे में कैसे बाहर निकलोगी‚
‘कुछ भी हो मुझे जाना ही होगा‚
तभी फिर से दरवाजा खड़कने लगा.
‘राजू ही होगा…छाए लाया होगा मेरे लिए‚ मोहित ने कहा.
‘ठीक है उसे जल्दी रफ़ा दफ़ा करना…मुझे घर के लिए निकलना है‚ प़ड़्मिनी ये कह कर टाय्लेट में आ गयी.
मोहित ने दरवाजा खोला. राजू ही था. उशके हाथ में 2 कप छाए थी.
‘गुरु आज मस्त छाए बनाई है‚
‘अछा ऐसा क्या कर दिया‚
‘इलायची डाली है गुरु…नगमा लाई थी कल‚
‘ठीक है तू जा…मैं छाए पे लूँगा‚
‘गुरु बात क्या है…बार-बार मुझे यहा से निकाल देते हो‚
‘कुछ नही राजू…तू नही समझेगा‚
‘तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए कुछ दिलचस्प बात करूँ‚
‘बाद में बठाना नगमा की बात, अभी नही‚
‘पर मैं तो कुछ और ही कह रहा था…हन नगमा की बात से याद आया…गुरु कर ली फ़तह मैने उष्की गान्ड. बहुत मज़ा आया गान्ड मार के, सच में. तुम सच कहते थे मस्त गान्ड है उष्की. एक-एक धक्के में वो मज़ा था की कह नही सकता…‚
टाय्लेट में प़ड़्मिनी को सब शन रहा था. ‘इन कामीनो को और कोई काम नही है, हर वक्त यही सब‚ प़ड़्मिनी ने सोचा.
‘वैसे तू कुछ और क्या कहने वाला था?‚ मोहित ने पूछा.
‘वो हन…गुरु देखी तुमने न्यूज़ पूरी‚
‘हन देख ली‚
‘विश्वास नही होता ना की इतनी हसीन लड़की कातिल भी हो सकती है‚
‘हन यार यकीन नही होता पर टीवी पर दीखा तो रहे हैं‚ मोहित को पता था की प़ड़्मिनी शन रही होगी इश्लीए उसने यू ही चुस्की ली.
‘मेरा तो दिल आ गया इसे कातिल हसीना पर‚
चुप कर दीवारो के भी कान होते हैं‚ मोहित ने कहा.
‘शुन्ओ तो सही…मैं जब न्यूज़ देख रहा था पहले तो दर लग रहा था. फिर बार-बार उसे देख कर लंड खड़ा हो गया. काज़ मिल जाए उष्की एक बार.‚
‘आबे चुप कर मरवाएगा क्या‚ मोहित ने कहा.
प़ड़्मिनी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
‘सच कह रहा हूँ गुरु अगर एक बार मैने उष्की मार ली ना तो वो सारी रात मुझसे मरवाती रहेगी और ये रातो को खून करना बंद कर देगी.‚ राजू ने कहा.
‘बहुत हो गया तू जा अब‚
‘गुरु रात भर नगमा से करने के बाद भी सुबह टीवी पर इसे हसीना को देख कर वो दिल मचला की रुका नही गया…मूठ मार ली मैने‚
‘आबे पागल हो गया है क्या चल निकल यहा से‚
‘क्या हुवा गुरु गुस्सा क्यों होते हो, मैं तो बस…‚
‘इशे कहीं मत जाने देना अभी बताती हूँ इशे मैं‚ टाय्लेट के अंदर से प़ड़्मिनी छील्लाई.
‘ये कौन छील्लाया गुरु‚ राजू हैरात में बोला.
‘मैने कहा था ना दीवारो के भी कान होते हैं‚ मोहित ने कहा.
‘हन पर दीवारो के पास मूह कब से आ गया, छील्लाने के लिए‚ राजू ने कहा.
तभी टाय्लेट का दरवाजा खोल कर प़ड़्मिनी बाहर निकली.
प़ड़्मिनी को देखते ही राजू की उपर की साँस उपर और नीचे की साँस नीचे रह गयी. उशके हाथ से छाए का कप गिर गया और उष्की टांगे तर तर काँपने लगी.
‘हन तो फिर से कहो क्या कह रहे थे मेरे बड़े में‚
‘ग…गुरु ये…‚ राजू से कुछ भी बोले नही बन रहा था.
‘आबे क्या कर रहा है, तेरा तो मूठ निकल गया…‚
प़ड़्मिनी बहुत गुस्से में थी लेकिन फिर भी राजू की ऐसी हालत देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
‘बस निकल गयी सारी हेकड़ी…बहुत बाते कराता है…हा‚ प़ड़्मिनी ने कहा.
सुबह के 7 बजने को हैं. होटेल ग्रीन पॅलेस में एक खूबसूरात लड़की रूम नो 201 की बेल बजाती है. दरवाजा खुलता है.
‘गुड मॉर्निंग सिर‚ लड़की हंस कर कहती है.
‘गुड मॉर्निंग…आओ-आओ मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था, मेरा नाम संजय है, वॉट‚स युवर नामे?‚
‘जी मुस्कान‚
‘बहुत शुनदर नाम है…बिल्कुल तुम्हारी तरह…कुछ छाए-कॉफी लॉगी‚ संजय ने पूछा.
‘जी शुकरिया…मैं घर से पे कर आई हूँ‚
‘क्या पे कर आई हो‚
‘छाए पे कर आई हूँ‚
‘मुझे तो यकीन नही था की इतनी सुबह मिस्टर कुमार किशी को भेज देगा. आक्च्युयली मेरे पास अभी वक्त था और शाम को मुझे निकलना है. बहुत मन हो रहा था. इतनी शुनदर लड़की भेजेगा कुमार मुझे यकीन नही था.‚
‘शुकरिया‚ लड़की ने कहा.
‘किश बात के लिए?‚
‘मेरी तारीफ़ के लिए‚
संजय ने मुस्कान को उपर से नीचे तक देखा और अपने बेग से 50,000 निकाल कर मुस्कान के हाथ में रख दिए और बोला,‚ये लो तुम्हारी फीस‚
मुस्कान ने पैसे चुपचाप पर्स में रख लिए.
‘तुम कॉलेज गर्ल हो ना, मैने मिस्टर कुमार को कॉलेज गर्ल के लिए बोला था‚
‘जी हाँ मैं कॉलेज गर्ल हूँ‚
‘क्या कराती हो कॉलेज में‚
‘क्या मतलब पढ़ती हूँ‚
‘मेरा मतलब ब.आ कर रही हो या ब.कॉम या कुछ और‚
‘मैं ब.आ फाइनल में हूँ‚
‘कब से हो इसे लाइन में‚
‘ये मेरा पहला असाइनमेंट है‚ मुस्कान ने कहा.
‘जो भी मुझे मिलती है यही कहती है‚ संजय ने हंसते हुवे कहा.
‘सिर, मैं दूसरो का नही जानती लेकिन ये मेरा पहला है‚
‘तो क्या वर्जिन हो तुम‚
‘नही मेरा बॉय फ़्रेंड है‚
‘इश् लाइन में मजबूरी से हो या फिर शॉंक से‚
‘जींदगी है…मैं इसे बड़े में कुछ नही कहना चाहती‚ कहते कहते मुस्कान की आँखे नाम हो गयी थी. पर जल्दी ही उसने खुद को संभाल लिया. ये वाक्यी में उष्का फर्स्ट टाइम था.
संजय खड़ा हो कर मुस्कान के सामने आ गया और बोला,‚अछा चोदा ये सब…चलो मेरे गन्ने को बाहर निकाल कर चूसना शुरू करो…बहुत मचल रहा है तुम्हारे मूह में जाने के लिए‚
मुस्कान ने संजय की जीन्स का बोट्तों खोल कर चैन नीचे सरका दी.
‘आअहह जल्दी करो इंतेज़ार नही होता‚
मुस्कान ने एक हाथ से संजय के लंड को पकड़ कर बाहर खींच लिया. एक पल के लिए वो लंड को निहाराती रही.
‘कैसा है मेरा लोड्ा मेरी जान, तेरे बॉय फ़्रेंड के लंड से बड़ा है क्या जो ऐसे देख रही हो‚
‘नही बड़ा तो नही है…हन पर इश्का मूह थोड़ा मोटा है‚
‘देखो भाई 50,000 दिए हैं मैने इश्का-उष्का मत करो इशे नाम से पुकारो.‚
‘आपके लंड का मूह थोड़ा मोटा है‚
‘ध्यान से देख साली…ये तेरे बॉय फ़्रेंड की मूँगफली से बड़ा है‚
मुस्कान समझ गयी की ये आदमी थोड़ा सनकी है वो तुरंत बोली,‚हन-हन ठीक कहा बहुत बड़ा लंड है ये. मैने ठीक से नही देखा था.‚
संजय ने मुस्कान के बाल मुति में भींच कर कहा,‚आगे से ध्यान रखना समझी‚
‘आहह जी बिल्कुल‚ मुस्कान ने कराह कर कहा.
‘चल अब चूस इसे गन्ने को और बता ये मीठा है की नही‚
‘जी अभी चख कर बताती हूँ‚
‘मुस्कान ने मूह खोला और संजय के लंड को मूह में आधा ले लिया.
‘तू शुनदर तो है पर तुझे लंड चूसना नही आता. इतनी बुरी तरह से किशी ने आज तक मूह में नही लिया मेरा लंड.‚
‘जी ये मेरा पहली बार है‚
‘क्यों नही चूस्टी क्या अपने बॉय फ़्रेंड का लंड तू.‚
‘नही…..‚
‘यहा मेरी जान पर बन आई है और तुम्हे ये बेहूदा फ्लर्ट सूझ रहा है, शरम नही आती तुम्हे ऐसी बाते करते हुवे‚
तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मेरा कहने का मतलब ये था की हमें मिल कर इसे मुसीबत का सामना करना होगा‚
‘मैं जब तक तुम्हारे साथ रहूंगी किशी ना किशी मुसीबत में फाँसी रहूंगी. मुझे जल्द से जल्द यहा से निकलना होगा‚ प़ड़्मिनी धीरे से बड़बड़ाई.
‘कुछ कहा तुमने‚
‘हन यही की मैं जा रही हूँ‚
‘तुमने शुना नही चारो तरफ पुलिस ढुंड रही है तुम्हे. ऐसे में कैसे बाहर निकलोगी‚
‘कुछ भी हो मुझे जाना ही होगा‚
तभी फिर से दरवाजा खड़कने लगा.
‘राजू ही होगा…छाए लाया होगा मेरे लिए‚ मोहित ने कहा.
‘ठीक है उसे जल्दी रफ़ा दफ़ा करना…मुझे घर के लिए निकलना है‚ प़ड़्मिनी ये कह कर टाय्लेट में आ गयी.
मोहित ने दरवाजा खोला. राजू ही था. उशके हाथ में 2 कप छाए थी.
‘गुरु आज मस्त छाए बनाई है‚
‘अछा ऐसा क्या कर दिया‚
‘इलायची डाली है गुरु…नगमा लाई थी कल‚
‘ठीक है तू जा…मैं छाए पे लूँगा‚
‘गुरु बात क्या है…बार-बार मुझे यहा से निकाल देते हो‚
‘कुछ नही राजू…तू नही समझेगा‚
‘तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए कुछ दिलचस्प बात करूँ‚
‘बाद में बठाना नगमा की बात, अभी नही‚
‘पर मैं तो कुछ और ही कह रहा था…हन नगमा की बात से याद आया…गुरु कर ली फ़तह मैने उष्की गान्ड. बहुत मज़ा आया गान्ड मार के, सच में. तुम सच कहते थे मस्त गान्ड है उष्की. एक-एक धक्के में वो मज़ा था की कह नही सकता…‚
टाय्लेट में प़ड़्मिनी को सब शन रहा था. ‘इन कामीनो को और कोई काम नही है, हर वक्त यही सब‚ प़ड़्मिनी ने सोचा.
‘वैसे तू कुछ और क्या कहने वाला था?‚ मोहित ने पूछा.
‘वो हन…गुरु देखी तुमने न्यूज़ पूरी‚
‘हन देख ली‚
‘विश्वास नही होता ना की इतनी हसीन लड़की कातिल भी हो सकती है‚
‘हन यार यकीन नही होता पर टीवी पर दीखा तो रहे हैं‚ मोहित को पता था की प़ड़्मिनी शन रही होगी इश्लीए उसने यू ही चुस्की ली.
‘मेरा तो दिल आ गया इसे कातिल हसीना पर‚
चुप कर दीवारो के भी कान होते हैं‚ मोहित ने कहा.
‘शुन्ओ तो सही…मैं जब न्यूज़ देख रहा था पहले तो दर लग रहा था. फिर बार-बार उसे देख कर लंड खड़ा हो गया. काज़ मिल जाए उष्की एक बार.‚
‘आबे चुप कर मरवाएगा क्या‚ मोहित ने कहा.
प़ड़्मिनी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
‘सच कह रहा हूँ गुरु अगर एक बार मैने उष्की मार ली ना तो वो सारी रात मुझसे मरवाती रहेगी और ये रातो को खून करना बंद कर देगी.‚ राजू ने कहा.
‘बहुत हो गया तू जा अब‚
‘गुरु रात भर नगमा से करने के बाद भी सुबह टीवी पर इसे हसीना को देख कर वो दिल मचला की रुका नही गया…मूठ मार ली मैने‚
‘आबे पागल हो गया है क्या चल निकल यहा से‚
‘क्या हुवा गुरु गुस्सा क्यों होते हो, मैं तो बस…‚
‘इशे कहीं मत जाने देना अभी बताती हूँ इशे मैं‚ टाय्लेट के अंदर से प़ड़्मिनी छील्लाई.
‘ये कौन छील्लाया गुरु‚ राजू हैरात में बोला.
‘मैने कहा था ना दीवारो के भी कान होते हैं‚ मोहित ने कहा.
‘हन पर दीवारो के पास मूह कब से आ गया, छील्लाने के लिए‚ राजू ने कहा.
तभी टाय्लेट का दरवाजा खोल कर प़ड़्मिनी बाहर निकली.
प़ड़्मिनी को देखते ही राजू की उपर की साँस उपर और नीचे की साँस नीचे रह गयी. उशके हाथ से छाए का कप गिर गया और उष्की टांगे तर तर काँपने लगी.
‘हन तो फिर से कहो क्या कह रहे थे मेरे बड़े में‚
‘ग…गुरु ये…‚ राजू से कुछ भी बोले नही बन रहा था.
‘आबे क्या कर रहा है, तेरा तो मूठ निकल गया…‚
प़ड़्मिनी बहुत गुस्से में थी लेकिन फिर भी राजू की ऐसी हालत देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
‘बस निकल गयी सारी हेकड़ी…बहुत बाते कराता है…हा‚ प़ड़्मिनी ने कहा.
सुबह के 7 बजने को हैं. होटेल ग्रीन पॅलेस में एक खूबसूरात लड़की रूम नो 201 की बेल बजाती है. दरवाजा खुलता है.
‘गुड मॉर्निंग सिर‚ लड़की हंस कर कहती है.
‘गुड मॉर्निंग…आओ-आओ मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था, मेरा नाम संजय है, वॉट‚स युवर नामे?‚
‘जी मुस्कान‚
‘बहुत शुनदर नाम है…बिल्कुल तुम्हारी तरह…कुछ छाए-कॉफी लॉगी‚ संजय ने पूछा.
‘जी शुकरिया…मैं घर से पे कर आई हूँ‚
‘क्या पे कर आई हो‚
‘छाए पे कर आई हूँ‚
‘मुझे तो यकीन नही था की इतनी सुबह मिस्टर कुमार किशी को भेज देगा. आक्च्युयली मेरे पास अभी वक्त था और शाम को मुझे निकलना है. बहुत मन हो रहा था. इतनी शुनदर लड़की भेजेगा कुमार मुझे यकीन नही था.‚
‘शुकरिया‚ लड़की ने कहा.
‘किश बात के लिए?‚
‘मेरी तारीफ़ के लिए‚
संजय ने मुस्कान को उपर से नीचे तक देखा और अपने बेग से 50,000 निकाल कर मुस्कान के हाथ में रख दिए और बोला,‚ये लो तुम्हारी फीस‚
मुस्कान ने पैसे चुपचाप पर्स में रख लिए.
‘तुम कॉलेज गर्ल हो ना, मैने मिस्टर कुमार को कॉलेज गर्ल के लिए बोला था‚
‘जी हाँ मैं कॉलेज गर्ल हूँ‚
‘क्या कराती हो कॉलेज में‚
‘क्या मतलब पढ़ती हूँ‚
‘मेरा मतलब ब.आ कर रही हो या ब.कॉम या कुछ और‚
‘मैं ब.आ फाइनल में हूँ‚
‘कब से हो इसे लाइन में‚
‘ये मेरा पहला असाइनमेंट है‚ मुस्कान ने कहा.
‘जो भी मुझे मिलती है यही कहती है‚ संजय ने हंसते हुवे कहा.
‘सिर, मैं दूसरो का नही जानती लेकिन ये मेरा पहला है‚
‘तो क्या वर्जिन हो तुम‚
‘नही मेरा बॉय फ़्रेंड है‚
‘इश् लाइन में मजबूरी से हो या फिर शॉंक से‚
‘जींदगी है…मैं इसे बड़े में कुछ नही कहना चाहती‚ कहते कहते मुस्कान की आँखे नाम हो गयी थी. पर जल्दी ही उसने खुद को संभाल लिया. ये वाक्यी में उष्का फर्स्ट टाइम था.
संजय खड़ा हो कर मुस्कान के सामने आ गया और बोला,‚अछा चोदा ये सब…चलो मेरे गन्ने को बाहर निकाल कर चूसना शुरू करो…बहुत मचल रहा है तुम्हारे मूह में जाने के लिए‚
मुस्कान ने संजय की जीन्स का बोट्तों खोल कर चैन नीचे सरका दी.
‘आअहह जल्दी करो इंतेज़ार नही होता‚
मुस्कान ने एक हाथ से संजय के लंड को पकड़ कर बाहर खींच लिया. एक पल के लिए वो लंड को निहाराती रही.
‘कैसा है मेरा लोड्ा मेरी जान, तेरे बॉय फ़्रेंड के लंड से बड़ा है क्या जो ऐसे देख रही हो‚
‘नही बड़ा तो नही है…हन पर इश्का मूह थोड़ा मोटा है‚
‘देखो भाई 50,000 दिए हैं मैने इश्का-उष्का मत करो इशे नाम से पुकारो.‚
‘आपके लंड का मूह थोड़ा मोटा है‚
‘ध्यान से देख साली…ये तेरे बॉय फ़्रेंड की मूँगफली से बड़ा है‚
मुस्कान समझ गयी की ये आदमी थोड़ा सनकी है वो तुरंत बोली,‚हन-हन ठीक कहा बहुत बड़ा लंड है ये. मैने ठीक से नही देखा था.‚
संजय ने मुस्कान के बाल मुति में भींच कर कहा,‚आगे से ध्यान रखना समझी‚
‘आहह जी बिल्कुल‚ मुस्कान ने कराह कर कहा.
‘चल अब चूस इसे गन्ने को और बता ये मीठा है की नही‚
‘जी अभी चख कर बताती हूँ‚
‘मुस्कान ने मूह खोला और संजय के लंड को मूह में आधा ले लिया.
‘तू शुनदर तो है पर तुझे लंड चूसना नही आता. इतनी बुरी तरह से किशी ने आज तक मूह में नही लिया मेरा लंड.‚
‘जी ये मेरा पहली बार है‚
‘क्यों नही चूस्टी क्या अपने बॉय फ़्रेंड का लंड तू.‚
‘नही…..‚
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
‘देखो मैने पूरे पैसे दिए हैं मुझे एक दम मस्त ब्लो जॉब चाहिए. मैं अभी अपने लॅपटॉप में एक पॉर्न मूवी लगाता हूँ…उसमें जैसे लड़की चूस्टी है वैसे ही चूसना मेरा लंड…ओक.‚
‘जी…ओक‚
‘सिर हमने पूरे सहर की नाकेबंदी कर न्यू एअर है…वो जल्दी पकड़ी जाएगी‚
‘मुझे पल-पल की रिपोर्ट देते रहना विजय…बहुत प्रेशर है उपर से इसे केस में‚
‘आप चिंता ना करें सिर…केस तो सॉल्व हो ही चुका है…वो भी पकड़ी ही जाएगी‚
‘वितनेस के घर पर कितनी प्रोटेक्षन भेजी है‚
‘सिर 2 हवलदार भेजे हैं‚
‘ह्म…उष नकाब पॉश का कुछ पता चला की वो कौन है.‚
‘नही सिर अभी कुछ पता नही चला…पर जल्द पता चल जाएगा‚
‘ठीक है मेरी जीप लगवाव, मैं पूरे सहर का एक रौंद लूँगा‚
‘ओक सिर…अभी लगवाता हूँ‚
विजय सब इनस्पेक्टर है और जिसे वो सिर-सिर कह रहा है वो है रंजीत चौहान, इंस्पेकोर. सीरियल किल्लर का केस उशी के पास है.
अचानक विजय का फोन बजने लगता है. वो फोन उठता है…..फोन पर बात करने के बाद वो कहता है,‚ सिर 100 नो पर अभी-अभी किशी ने फोन करके बताया है की होटेल ग्रीन पॅलेस के रूम नो 201 में छुपी है प़ड़्मिनी अरोरा‚
‘ह्म मैं खुद चलूँगा वाहा…फ़ौरन जीप लगवाव‚
‘ओक सिर‚ कह कर विजय कमरे से बाहर आ जाता है.
15 मिनिट बाद होटेल ग्रीन पॅलेस का बाहर पुलिस की जीप रुकती है. इंस्पेक्त्ो चौहान, सब इनस्पेक्टर, विजय को साथ ले कर होटेल में घुसटा है.
‘रूम नो 201 किधर है‚ इनस्पेक्टर चौहान ने रिसेप्षनिस्ट से पूछा.
‘क्या बात है सिर?‚ रिसेप्षनिस्ट ने पूछा.
‘सेयेल अभी अंदर कर दूँगा…रूम दिखा कहा है‚ एक तो इनस्पेक्टर दीखने में ही भयानक था उपर से ये रोब…रिसेप्षनिस्ट की तो हालत खराब हो गयी.
‘आओ सिर मैं खुद आपको रूम तक ले चलता हूँ‚
‘हन जल्दी ले चल‚ चौहान ने कहा.
कुछ देर बाद इनस्पेक्टर चौहान विजय के साथ रूम नो 201 के बाहर था.
रूम के अंदर लॅपटॉप पर पॉर्न मूवी चल रही है और माहॉल गरम है.
‘देखो कैसे चूस रही है ये ब्लोंड हप्सी का मोटा लंड…देखी है ऐसी मूवी कभी‚
‘नही सिर…‚
‘साली देखा कर…जब अपनी गान्ड तूने बाजार में उतार दी है तो कुछ स्किल तो सीख…बहुत कमाएगी अगर मेरी बात मानेगी तो.‚
‘ओक सिर… मैं सीख लूँगी‚
‘अभी सीखा कुछ…‚
‘हन-हन बिल्कुल.‚
‘चल फिर चूस मेरे लंड को…बिल्कुल उशी तरह जैसे मूवी में वो हप्सी का चूस रही है‚
लड़की ने बड़ी सावधानी से संजय के लंड को पकड़ा और जैसे मूवी में दीखया था वैसे मूह में लेने की कोशिस की.
‘आअहह….. तू तो सीख गयी…पक्की रंडी बन जाएगी तू आज‚
तभी रूम की बेल बाज उठी.
‘कौन आ गया इसे वक्त…मैने माना किया था की डिस्टर्ब मत करना‚ संजय बड़बड़ाया.
“कोई गड़बड़ तो नही” लड़की ने पूछा.
“चिंता मत कर, ये होटेल बिल्कुल सेफ है…ज़रूर कोई बेवकूफ़ वेटर होगा…तू मूवी पर ध्यान लगा…मैं अभी आता हूँ”
वो दरवाजा खोलता है लेकिन पुलिस को वाहा पाकर उशके पसीने चुत जाते हैं.
“क्या हुवा जनाब…चेहरे का रंग क्यों उस गया हमें देख कर” इनस्पेक्टर चौहान ने कहा.
“क्या बात है सिर?”
“तुम्हारे साथ और कौन-कौन है!” चौहान ने पूछा.
“मेरी फियान्से है साथ मेरे”
“क्या नाम है उष्का”
“जी मुश्कान”
“ह्म मुश्कान, ठीक है मुझे तुम्हारा रूम चेक करना है” चौहान ने रूम में घुसते हुवे कहा.
“पर इनस्पेक्टर साहब बताए तो सही की बात क्या है”
“थोड़ी देर में सब पता चल जाएगा ज़ुबान बंद रख” चौहान ने रोब से कहा.
इनस्पेक्टर कमरे में आ गया. लड़की ने तब तक चेहरे पर दुपपता लपेट लिया था.
“हे लड़की चेहरा दीखा अपना” चौहान ने पूछा.
“क्या बात है सिर!”
“शुना नही…दुपपता हटा मूह से और थोबड़ा दीखा अपना”
लड़की ने दुपपता मूह से हटा लिया.
“अरे पूजा जी आप यहा…आप यहा क्या कर रही हैं?”
“जी मैं अपने फियान्से से मिलने आईइ थी”
इनस्पेक्टर का माता तनका. उसने लॅपटॉप में झाँक कर देखा. उसमें अभी भी पॉर्न मूवी चल रही थी. “हे तुम मेरे साथ बाहर आओ एक मिनिट” चौहान ने संजय से कहा.
‘जी…ओक‚
‘सिर हमने पूरे सहर की नाकेबंदी कर न्यू एअर है…वो जल्दी पकड़ी जाएगी‚
‘मुझे पल-पल की रिपोर्ट देते रहना विजय…बहुत प्रेशर है उपर से इसे केस में‚
‘आप चिंता ना करें सिर…केस तो सॉल्व हो ही चुका है…वो भी पकड़ी ही जाएगी‚
‘वितनेस के घर पर कितनी प्रोटेक्षन भेजी है‚
‘सिर 2 हवलदार भेजे हैं‚
‘ह्म…उष नकाब पॉश का कुछ पता चला की वो कौन है.‚
‘नही सिर अभी कुछ पता नही चला…पर जल्द पता चल जाएगा‚
‘ठीक है मेरी जीप लगवाव, मैं पूरे सहर का एक रौंद लूँगा‚
‘ओक सिर…अभी लगवाता हूँ‚
विजय सब इनस्पेक्टर है और जिसे वो सिर-सिर कह रहा है वो है रंजीत चौहान, इंस्पेकोर. सीरियल किल्लर का केस उशी के पास है.
अचानक विजय का फोन बजने लगता है. वो फोन उठता है…..फोन पर बात करने के बाद वो कहता है,‚ सिर 100 नो पर अभी-अभी किशी ने फोन करके बताया है की होटेल ग्रीन पॅलेस के रूम नो 201 में छुपी है प़ड़्मिनी अरोरा‚
‘ह्म मैं खुद चलूँगा वाहा…फ़ौरन जीप लगवाव‚
‘ओक सिर‚ कह कर विजय कमरे से बाहर आ जाता है.
15 मिनिट बाद होटेल ग्रीन पॅलेस का बाहर पुलिस की जीप रुकती है. इंस्पेक्त्ो चौहान, सब इनस्पेक्टर, विजय को साथ ले कर होटेल में घुसटा है.
‘रूम नो 201 किधर है‚ इनस्पेक्टर चौहान ने रिसेप्षनिस्ट से पूछा.
‘क्या बात है सिर?‚ रिसेप्षनिस्ट ने पूछा.
‘सेयेल अभी अंदर कर दूँगा…रूम दिखा कहा है‚ एक तो इनस्पेक्टर दीखने में ही भयानक था उपर से ये रोब…रिसेप्षनिस्ट की तो हालत खराब हो गयी.
‘आओ सिर मैं खुद आपको रूम तक ले चलता हूँ‚
‘हन जल्दी ले चल‚ चौहान ने कहा.
कुछ देर बाद इनस्पेक्टर चौहान विजय के साथ रूम नो 201 के बाहर था.
रूम के अंदर लॅपटॉप पर पॉर्न मूवी चल रही है और माहॉल गरम है.
‘देखो कैसे चूस रही है ये ब्लोंड हप्सी का मोटा लंड…देखी है ऐसी मूवी कभी‚
‘नही सिर…‚
‘साली देखा कर…जब अपनी गान्ड तूने बाजार में उतार दी है तो कुछ स्किल तो सीख…बहुत कमाएगी अगर मेरी बात मानेगी तो.‚
‘ओक सिर… मैं सीख लूँगी‚
‘अभी सीखा कुछ…‚
‘हन-हन बिल्कुल.‚
‘चल फिर चूस मेरे लंड को…बिल्कुल उशी तरह जैसे मूवी में वो हप्सी का चूस रही है‚
लड़की ने बड़ी सावधानी से संजय के लंड को पकड़ा और जैसे मूवी में दीखया था वैसे मूह में लेने की कोशिस की.
‘आअहह….. तू तो सीख गयी…पक्की रंडी बन जाएगी तू आज‚
तभी रूम की बेल बाज उठी.
‘कौन आ गया इसे वक्त…मैने माना किया था की डिस्टर्ब मत करना‚ संजय बड़बड़ाया.
“कोई गड़बड़ तो नही” लड़की ने पूछा.
“चिंता मत कर, ये होटेल बिल्कुल सेफ है…ज़रूर कोई बेवकूफ़ वेटर होगा…तू मूवी पर ध्यान लगा…मैं अभी आता हूँ”
वो दरवाजा खोलता है लेकिन पुलिस को वाहा पाकर उशके पसीने चुत जाते हैं.
“क्या हुवा जनाब…चेहरे का रंग क्यों उस गया हमें देख कर” इनस्पेक्टर चौहान ने कहा.
“क्या बात है सिर?”
“तुम्हारे साथ और कौन-कौन है!” चौहान ने पूछा.
“मेरी फियान्से है साथ मेरे”
“क्या नाम है उष्का”
“जी मुश्कान”
“ह्म मुश्कान, ठीक है मुझे तुम्हारा रूम चेक करना है” चौहान ने रूम में घुसते हुवे कहा.
“पर इनस्पेक्टर साहब बताए तो सही की बात क्या है”
“थोड़ी देर में सब पता चल जाएगा ज़ुबान बंद रख” चौहान ने रोब से कहा.
इनस्पेक्टर कमरे में आ गया. लड़की ने तब तक चेहरे पर दुपपता लपेट लिया था.
“हे लड़की चेहरा दीखा अपना” चौहान ने पूछा.
“क्या बात है सिर!”
“शुना नही…दुपपता हटा मूह से और थोबड़ा दीखा अपना”
लड़की ने दुपपता मूह से हटा लिया.
“अरे पूजा जी आप यहा…आप यहा क्या कर रही हैं?”
“जी मैं अपने फियान्से से मिलने आईइ थी”
इनस्पेक्टर का माता तनका. उसने लॅपटॉप में झाँक कर देखा. उसमें अभी भी पॉर्न मूवी चल रही थी. “हे तुम मेरे साथ बाहर आओ एक मिनिट” चौहान ने संजय से कहा.
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“पर बात क्या है इनस्पेक्टर साहब” संजय ने कहा
कमरे से बाहर आ कर चौहान ने कहा,”सच-सच बता क्या रिश्ता है तेरा इसे लड़की से”
“सिर…वो मेरी फियान्से है”
“अछा क्या कराती है तेरी फियान्से”
“वो ब.आ फाइनल में है”
“कौन से कॉलेज में”
“भूल गया सिर पता नही”
“अछा…चल ये बता कहा रहती है तेरी फियान्से अड्रेस तो पता होगा तुझे उष्का”
“आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं”
तभी चौहान ने एक थप्पड़ रसीद कर दिया संजय के मूह पर. थप्पड़ इतनी ज़ोर का था की संजय का सर घूम गया.
“अब सच बताता है या के एक और दम कान के नीचे”
“बताता हूँ-बताता हूँ सिर…वो एस्कॉर्ट है”
“क्या कहा?” चौहान को इसे सच की उम्मीद नही थी. वो तो सोच रहा था की उनका कोई इल्लिसिट अफेर है.
“सच कह रहा हूँ सिर…वो लड़की एस्कॉर्ट है”
“तुम कहाँ से आए हो”
“सिर मैं देल्ही से आया हूँ”
“कब आए थे यहा”
“मैं रात 12 बजे आया था यहा”
“विजय…” चौहान ने विजय को आवाज़ लगाई जो की कमरे में था.
“जी सिर” विजय फ़ौरन हाजिर हो गया.
“ये लड़की तो वो नही है जीशकि हमें तलास थी…कमरा अच्छे से चेक किया और कोई तो नही है अंदर” चौहान ने कहा.
“नही सिर कमरे में और कोई नही है…हन पर कमरे में बेड के तकिये के नीचे से ये चाकू मिला है” विजय ने कहा.
“इतने बड़े चाकू को तकिये के नीचे रख कर क्या कर रहे थे तुम”
“जी वो मैं…मैं” संजय ने हकलाते हुवे कहा.
“क्या मैं-मैं लगा रखा है…क्या मतलब है ऐसा चाकू रखने का”
“सिर मेरे ग्रह-नक्षटरा खराब चल रहे है उशी के उपाए के लिए मैं रोज अपने तकिये के नीचे ये चाकू रखता हूँ. ज्योतिषी ने बताया था.”
“छोटे-मोटे चाकू से काम नही चलता था तुम्हारा जो इतना बड़ा चाकू रख लिया” चौहान ने कहा.
“सिर मुझे यही पसंद आया…मैने रख लिया”
“ह्म….विजय एक मिनिट इधर आओ” चौहान ने विजय को कहा.
“जी सिर” विजय ने कहा.
“तुम इशे थाने ले जाओ और डरा धमका कर चोद देना. और हाँ 1 पेटी से कम मत लेना. ज़्यादा टीन-पाँच करे तो अंदर डाल देना” चौहान ने कहा.
“सिर एक बात कहूँ अगर बुरा ना माने तो” विजय ने कहा.
“हन-हन बोलो”
“जीश कॉलेज गर्ल का कटाल हुवा था उसकी फ़्रेंड है ना ये लड़की”
“हन ठीक कहा वही है ये…तुम इशे ले कर जाओ मैं यही रूम में रुकुंगा” चौहान ने कहा.
“जी सिर समझ गया…सिर सुन्दर लड़की है… थोड़ा हमारा भी ध्यान….”
“पहले मुझे तो घोड़ी चाड़ने दे…”
“ओक सिर समझ गया…मैं फ़ौरन इसे लफंगे को लेकर थाने पहुँचता हूँ” विजय ने कहा.
“और हन…उष प़ड़्मिनी का कुछ भी पता चले तो फ़ौरन मुझे फोन करना” चौहान ने कहा.
सब इनस्पेक्टर विजय को भएज कर इनस्पेक्टर चौहान वापिस कमरे में घुसटा है और कमरे का डर्ब्वाजा अंदर से बंद कर लेता है.
“हन तो पूजा जी…क्या आप अब सच बताएँगी की आप यहा क्या कर रही हैं,” चौहान ने रोब से पूछा.
“सिर मैने बताया ना की मैं अपने फियान्से से मिलने आई हूँ.”
“वो तो आपका नाम मुस्कान बता रहा था.”
“मुस्कान…नही नही आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है…मेरा नाम तो पूजा है आप भी जानते हैं.”
“ह्म हो सकता है की ग़लतफहमी हुई हो.”
“जी बिल्कुल आप से सुन-ने में ग़लती लगी है.”
“वो तो ये भी कह रहा था की तुम एस्कॉर्ट हो…”
“क्या…?” लड़की के चेहरे का रंग उस गया.
“हन-हन और उसने ये भी बताया की उसने 50,000/- दिए हैं तुम्हे.”
“ये सब झुत है.”
“पर्स दिखाओ अपना.”
“सिर प्लीज़ मेरा यकीन कीजिए…आप तो जानते हैं ना की मैं ऐसी लड़की नही हूँ.”
“तभी इतनी नर्मी से पेश आ रहा हूँ…वरना अब तक वो हो जाता यहा जो तुम सोच भी नही सकती…दीखाओ पर्स अपना”
“सिर प्लीज़…ऐसा कुछ नही है जैसा आप सोच रहे हैं.”
चौहान ने उशके हाथ से पर्स चीन लिया और उसे खोल कर देखा. 50,000 की गद्दी बाहर निकाल कर बोला, “ये क्या है…एक दिन का किराया तुम्हारा.”
“सिर मुझे छोड़ दीजिए मैं अपनी ग़लती मानती हूँ.”
“मुझ से झुत बोल कर कोई बच नही सकता. कब बनी तुम एस्कॉर्ट?”
“ये मेरा पहला असाइनमेंट था…अभी बस एक हफ़्ता पहले ही जाय्न किया था”
“कौन सी एस्कॉर्ट एजेन्सी में जाय्न किया तुमने?”
“मिस्टर कुमार इसे एजेन्सी को चलाता है.”
“अछा मिस्टर कुमार…कामीने ने नयी चिड़िया भाराती कर ली और हमें बताया भी नही.”
“सिर…मैं अभी ये सब छोड़ दूँगी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए.”
“देखो हमारी रेजिस्ट्रेशन फीस तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी.” चौहान ने कहा.
“मैं समझी नही सिर.”
“देखो इसे सहर में हर कराइम करने वाले को पुलिस को रेजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है.”
“ठीक है…आप ये 50,000 रख लीजिए”
“हर जगह पैसा नही चलता पूजा जी”
“फिर और क्या दम आपको.”
“कैसी बात कराती हैं आप भी…इतना शुनदर मुखड़ा दिया है और इतना शुनदर शरीर दिया है भगवान ने आपको…ये कब काम आएगा”
“सिर मैं ये काम आज ही अभी से छोड़ रही हूँ. वैसे भी मैं अपनी ख़ुसी से नही आई थी इसे लाइन में.”
“वो सब मुझे नही पता…तुमने कदम तो रखा है ना इसे लाइन में फीस तो लगेगी ही. और अगर फीस नही देना चाहती तो जैल जाकाएर चक्की पिशो…चाय्स तुम्हारी है…मैं तुम्हे मजबूर नही करूँगा”
“क्या करना होगा मुझे?”
“उष नालयक के साथ जो करने वाली थी वही हमारे साथ करो”
“ ठीक है सिर…उशके बाद तो मुझे छोड़ देंगे ना आप?”
“हन-हन अगर तुम इसे लाइन में आज के बाद नही रहोगी तो तुम्हे कोई परेशान नही करेगा. वैसे मैं यहा प़ड़्मिनी की तलाश में आया था.”
“कौन प़ड़्मिनी?”
“वही जीशणे तुम्हारी फ्रेंड को मारा था.”
“क्या?…तो क्या सीरियल किल्लर एक लड़की है.”
“हन…वैसे तुमने इंक्वाइरी में कोई ज़्यादा सपोर्ट नही किया था. ”
“सिर…मुझे जितना पता था…मैने बता दिया था.”
कमरे से बाहर आ कर चौहान ने कहा,”सच-सच बता क्या रिश्ता है तेरा इसे लड़की से”
“सिर…वो मेरी फियान्से है”
“अछा क्या कराती है तेरी फियान्से”
“वो ब.आ फाइनल में है”
“कौन से कॉलेज में”
“भूल गया सिर पता नही”
“अछा…चल ये बता कहा रहती है तेरी फियान्से अड्रेस तो पता होगा तुझे उष्का”
“आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं”
तभी चौहान ने एक थप्पड़ रसीद कर दिया संजय के मूह पर. थप्पड़ इतनी ज़ोर का था की संजय का सर घूम गया.
“अब सच बताता है या के एक और दम कान के नीचे”
“बताता हूँ-बताता हूँ सिर…वो एस्कॉर्ट है”
“क्या कहा?” चौहान को इसे सच की उम्मीद नही थी. वो तो सोच रहा था की उनका कोई इल्लिसिट अफेर है.
“सच कह रहा हूँ सिर…वो लड़की एस्कॉर्ट है”
“तुम कहाँ से आए हो”
“सिर मैं देल्ही से आया हूँ”
“कब आए थे यहा”
“मैं रात 12 बजे आया था यहा”
“विजय…” चौहान ने विजय को आवाज़ लगाई जो की कमरे में था.
“जी सिर” विजय फ़ौरन हाजिर हो गया.
“ये लड़की तो वो नही है जीशकि हमें तलास थी…कमरा अच्छे से चेक किया और कोई तो नही है अंदर” चौहान ने कहा.
“नही सिर कमरे में और कोई नही है…हन पर कमरे में बेड के तकिये के नीचे से ये चाकू मिला है” विजय ने कहा.
“इतने बड़े चाकू को तकिये के नीचे रख कर क्या कर रहे थे तुम”
“जी वो मैं…मैं” संजय ने हकलाते हुवे कहा.
“क्या मैं-मैं लगा रखा है…क्या मतलब है ऐसा चाकू रखने का”
“सिर मेरे ग्रह-नक्षटरा खराब चल रहे है उशी के उपाए के लिए मैं रोज अपने तकिये के नीचे ये चाकू रखता हूँ. ज्योतिषी ने बताया था.”
“छोटे-मोटे चाकू से काम नही चलता था तुम्हारा जो इतना बड़ा चाकू रख लिया” चौहान ने कहा.
“सिर मुझे यही पसंद आया…मैने रख लिया”
“ह्म….विजय एक मिनिट इधर आओ” चौहान ने विजय को कहा.
“जी सिर” विजय ने कहा.
“तुम इशे थाने ले जाओ और डरा धमका कर चोद देना. और हाँ 1 पेटी से कम मत लेना. ज़्यादा टीन-पाँच करे तो अंदर डाल देना” चौहान ने कहा.
“सिर एक बात कहूँ अगर बुरा ना माने तो” विजय ने कहा.
“हन-हन बोलो”
“जीश कॉलेज गर्ल का कटाल हुवा था उसकी फ़्रेंड है ना ये लड़की”
“हन ठीक कहा वही है ये…तुम इशे ले कर जाओ मैं यही रूम में रुकुंगा” चौहान ने कहा.
“जी सिर समझ गया…सिर सुन्दर लड़की है… थोड़ा हमारा भी ध्यान….”
“पहले मुझे तो घोड़ी चाड़ने दे…”
“ओक सिर समझ गया…मैं फ़ौरन इसे लफंगे को लेकर थाने पहुँचता हूँ” विजय ने कहा.
“और हन…उष प़ड़्मिनी का कुछ भी पता चले तो फ़ौरन मुझे फोन करना” चौहान ने कहा.
सब इनस्पेक्टर विजय को भएज कर इनस्पेक्टर चौहान वापिस कमरे में घुसटा है और कमरे का डर्ब्वाजा अंदर से बंद कर लेता है.
“हन तो पूजा जी…क्या आप अब सच बताएँगी की आप यहा क्या कर रही हैं,” चौहान ने रोब से पूछा.
“सिर मैने बताया ना की मैं अपने फियान्से से मिलने आई हूँ.”
“वो तो आपका नाम मुस्कान बता रहा था.”
“मुस्कान…नही नही आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है…मेरा नाम तो पूजा है आप भी जानते हैं.”
“ह्म हो सकता है की ग़लतफहमी हुई हो.”
“जी बिल्कुल आप से सुन-ने में ग़लती लगी है.”
“वो तो ये भी कह रहा था की तुम एस्कॉर्ट हो…”
“क्या…?” लड़की के चेहरे का रंग उस गया.
“हन-हन और उसने ये भी बताया की उसने 50,000/- दिए हैं तुम्हे.”
“ये सब झुत है.”
“पर्स दिखाओ अपना.”
“सिर प्लीज़ मेरा यकीन कीजिए…आप तो जानते हैं ना की मैं ऐसी लड़की नही हूँ.”
“तभी इतनी नर्मी से पेश आ रहा हूँ…वरना अब तक वो हो जाता यहा जो तुम सोच भी नही सकती…दीखाओ पर्स अपना”
“सिर प्लीज़…ऐसा कुछ नही है जैसा आप सोच रहे हैं.”
चौहान ने उशके हाथ से पर्स चीन लिया और उसे खोल कर देखा. 50,000 की गद्दी बाहर निकाल कर बोला, “ये क्या है…एक दिन का किराया तुम्हारा.”
“सिर मुझे छोड़ दीजिए मैं अपनी ग़लती मानती हूँ.”
“मुझ से झुत बोल कर कोई बच नही सकता. कब बनी तुम एस्कॉर्ट?”
“ये मेरा पहला असाइनमेंट था…अभी बस एक हफ़्ता पहले ही जाय्न किया था”
“कौन सी एस्कॉर्ट एजेन्सी में जाय्न किया तुमने?”
“मिस्टर कुमार इसे एजेन्सी को चलाता है.”
“अछा मिस्टर कुमार…कामीने ने नयी चिड़िया भाराती कर ली और हमें बताया भी नही.”
“सिर…मैं अभी ये सब छोड़ दूँगी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए.”
“देखो हमारी रेजिस्ट्रेशन फीस तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी.” चौहान ने कहा.
“मैं समझी नही सिर.”
“देखो इसे सहर में हर कराइम करने वाले को पुलिस को रेजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है.”
“ठीक है…आप ये 50,000 रख लीजिए”
“हर जगह पैसा नही चलता पूजा जी”
“फिर और क्या दम आपको.”
“कैसी बात कराती हैं आप भी…इतना शुनदर मुखड़ा दिया है और इतना शुनदर शरीर दिया है भगवान ने आपको…ये कब काम आएगा”
“सिर मैं ये काम आज ही अभी से छोड़ रही हूँ. वैसे भी मैं अपनी ख़ुसी से नही आई थी इसे लाइन में.”
“वो सब मुझे नही पता…तुमने कदम तो रखा है ना इसे लाइन में फीस तो लगेगी ही. और अगर फीस नही देना चाहती तो जैल जाकाएर चक्की पिशो…चाय्स तुम्हारी है…मैं तुम्हे मजबूर नही करूँगा”
“क्या करना होगा मुझे?”
“उष नालयक के साथ जो करने वाली थी वही हमारे साथ करो”
“ ठीक है सिर…उशके बाद तो मुझे छोड़ देंगे ना आप?”
“हन-हन अगर तुम इसे लाइन में आज के बाद नही रहोगी तो तुम्हे कोई परेशान नही करेगा. वैसे मैं यहा प़ड़्मिनी की तलाश में आया था.”
“कौन प़ड़्मिनी?”
“वही जीशणे तुम्हारी फ्रेंड को मारा था.”
“क्या?…तो क्या सीरियल किल्लर एक लड़की है.”
“हन…वैसे तुमने इंक्वाइरी में कोई ज़्यादा सपोर्ट नही किया था. ”
“सिर…मुझे जितना पता था…मैने बता दिया था.”