एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 23 Oct 2016 20:35

हाँ बोलिए.”

“देखिए कॉलोनेक की बहन रहती हैं यहां. हमने उनसे पूछताछ की है. कर्नल कहा है उन्हें भी कुछ नहीं पता. उनके अनुसार कर्नल का स्वभाव ऐसा ही है…बिना बताए गायब हो जाता है. देहरादून में जो घर है उसका वो उसने किसी सीसी नाम के आदमी को दिया है शायद.”

“सीसी…पूरा नाम बोलिए ना इसे सीसी ने तो परेशान कर रखा है हमें.”

“देखिए कर्नल की बहन को इतना ही पता था. एक महीना पहले कर्नल ने बताओ बताओ में बोल दिया था उसे की वो अपना देहरादून वाला घर अपने एक फ़्रेंड सीसी को दे रहा है. ज्यादा बात नहीं हुई इसे बारे में उनकी. यही पता चला यहां, सोचा आपको बता दम. मीडिया में छाया हुआ है ये साइको का केस. शायद आपको इसे से कुछ मदद मिले. ऑल थे बेस्ट” गणेश ने फोन काट दिया.

“यार ये तो गोल चक्कर में घूम रहे हैं हम. फिर बात इसे सीसी पर आ कर अटक गयी. पर इतना तो क्लीयर है अब की कर्नल के घर में रहने वाला ही साइको है. उसी का नाम सीसी है. सीसी इस साइको. वेरी फन्नी. ना साइको मिल रहा है ना सीसी. दोनों एक ही हैं तो ये तो होना ही था. देखता हूँ कब तक बचोगे मिस्टर सीसी उर्फ साइको. कुछ ना कुछ तो तुम्हारे बारे में पता चल ही रहा है.”

पद्‍मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.

राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.

“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.

प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.

राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्‍मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्‍मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्‍मिनी के पास आ कर बैठ गया.

पद्‍मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्‍मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्‍मिनी चुप हो जाओ.”

पद्‍मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.

“पद्‍मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.

“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”

“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”

“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”

“पद्‍मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”

“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”

“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.

ये शुंते ही पद्‍मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्‍मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्‍मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.

पद्‍मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”

“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”

दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.

“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”

“पद्‍मिनी तुम्हारी कसम कहा कर कहता हूँ मेरा प्यार सिर्फ़ शारीरिक नहीं है. मैं तुम्हारा हर दर्द समझता हूँ.”

“मम्मी- अंकल की मौत के बाद घुट-घुट कर जी रही हूँ मैं. बिलकुल भी मान नहीं लगता मेरा कही भी. रोज उनकी याद किसी ना किसी बहाने आ ही जाती है. फिर मैं खुद को गुनहगार मानती हूँ. मेरे कारण उन्हें इतनी बुरी मौत मिली. मेरे गम बाँट लिया करो राजू कभी-कभी…सिर्फ़ तुमसे ही उम्मीद रखती हूँ. तुम भी निराश करोगे तो कहा जाऊंगी मैं.”

“तुम्हें मैंने पहले भी बताया है की 7 साल का था जब मेरे पेरेंट्स गुजर गये. खून के आँसू रोया था मैं. मौत का मतलब भी नहीं जानता था तब. जब मुझे बताया गया उनके बारे में तो यही लगा की कही घूमने गये हैं. जानता हूँ तुम्हारे गम को और अतचे से समझता भी हूँ. पर क्या हम इन गामो में ही डूबे रहेंगे. निकलो बाहर पद्‍मिनी.”

“मैंने अपने पेरेंट्स को दुख के शिवा कुछ नहीं दिया. मेरी शादी बिखर जाने से बहुत दुखी थे वो. पर मेरा यकीन करो राजू मैंने कोशिश की थी रिश्ता निभाने की. पर उनकी हर रोज एक नयी डीमानड होती थी. शर्म आती थी मुझे रोज-रोज अपने अंकल से कुछ माँगते हुए. इतना कुछ लेकर भी उनका पेट नहीं भरता था. मैं सब कुछ छोड कर हमेशा के लिए अपने घर आ गयी. क्या मैंने ये गलत किया था राजू. क्या रिश्ते को हर हाल में निभाना चाहिए. अंकल बहुत नाराज़ हुए थे मुझसे जब मैं सब कुछ छोड कर घर आई थी. कई दिन तक उन्होंने बात तक नहीं की मुझसे. ये सब कुछ तुम्हें बताना चाहती हूँ और भी बहुत कुछ है दिल में जो तुमसे शेयर करना चाहती हूँ. अगर तुम नहीं शुनोगे, मुझे नहीं समझोगे तो कहा जाऊंगी मैं. अपने मान मंदिर में तुम्हें बैठा चुकी हूँ और किस से उम्मीद करूँ.”

“सॉरी पद्‍मिनी…ई आम रियली सॉरी फॉर डेठ. मैं सच में बहुत कमीना हूँ. ये बात साबित हो गयी आज.”

पद्‍मिनी ने राजू के मुंह पर हाथ रख दिया और बोली, “बस खुद को कुछ मत कहो. तुम्हारे खिलाफ एक शब्द भी नहीं सुन सकती मैं. हाँ मैं खुद तुम्हें बहुत कुछ बोल देती हूँ गुस्से में. फिर बाद में बहुत पछताती भी हूँ.”

“अतचा ये बताओ…कपड़े उतार कर क्यों आई थी तुम मेरे पास?”

“मैंने सोचा जब तुम्हें मेरा शरीर ही चाहिए तो समर्पित कर देती हूँ खुद को तुम्हारे आगे. सोच रही थी की शायद उसके बाद हम प्यार में और आगे तरफ पाएँगे. ये शरीर तुम्हारा ही तो है…तुम्हें देने में हर्ज ही क्या है.”

“पद्‍मिनी हम एक दूसरे को अभी समझ नहीं पाए हैं इसलिए ये बातें हो रही हैं. देखना आगे से कोई भी शिकायत का मौका नहीं दूँगा तुम्हें. तुम्हारे हर दुख में साथ हूँ मैं पद्‍मिनी. तुम अकेली नहीं हो. तुमने अपने पेरेंट्स को अब खोया है…मैंने तो बचपन में ही खो दिया था. ये दर्द मेरे लिए इतना कामन और नॅचुरल है की तुम्हारे दर्द को कभी समझ ही नहीं पाया. यही मेरी सबसे बड़ी भूल थी. मुझे माफ कर दो पद्‍मिनी. आगे से ऐसा नहीं होगा. चलो बिस्तर पर लेट कर आराम से बातें करते हैं.”

“राजू ई लव यू सो मच. मुझे उम्मीद थी की तुम मेरी बात समझोगे. तुम्हारी आंखों में मैंने वो इंसान देखा है जो मेरी हर बात समझता है. तुमसे प्यार यू ही नहीं कर लिया मैंने. एक अतचे इंसान की छवि देखी थी तुम्हारी आंखों में.”

“मैं जितना भी कमीना सही पर बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें. कुछ भी कर सकता हूँ तुम्हारे लिए. जितना ख़ूस्स मैं अब हूँ इतना ख़ूस्स जींदगी में कभी नहीं रहा. आंटी अंकल की मौत के बाद अब मैं जीना सीख रहा हूँ वरना तो खुद को यहां वहां घसीट रहा था. तुमने मेरी जींदगी को खूबसूरत बना दिया है पद्‍मिनी इतना खूबसूरत की मैं पागल हो गया हूँ. इसे पागल पान में तुम्हारे साथ बहुत कुछ कर बैठा…यकीन मानो हर बात में मेरा प्यार ही था.”

“राजू थोड़ा कन्सर्वेटिव हूँ मैं. कही मेरा ये बिहेवियर तुम्हें मुझसे दूर तो नहीं कर देगा.”

“पागल हो क्या. तुमसे तो किसी हाल में भी दूर नहीं जाने वाला. तुम तो मेरी जान हो” राजू ने पद्‍मिनी को ज़ोर से जकड़ कर कहा.

“तो थोड़ा कंट्रोल रखोगे ना अब तुम, एट लास्ट जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती.”

“यही पाप मुझसे नहीं होगा पद्‍मिनी बाकी तुम कुछ भी माँग लो. दीवाना बन गया हूँ तुम्हारा…चाहूं भी तो भी खुद को रोक नहीं सकता.”

“अफ मतलब बात वही की वही रही…”

“बिलकुल नहीं…अब से तुम्हारे दिल की धड़कनों को ध्यान से शुनूँगा. तुम्हारी मृज्नेयनी आंखों में ध्यान से देखूँगा. समझने की कोशिश करूँगा अपनी पद्‍मिनी को. चेहरे पर कोई भी शिकन नहीं आने दूँगा. आंखों में आँसू आएँगे तो मैं उन्हें अमृत समझ कर पी लूँगा. तुम्हारे दुख और तकलीफ खुद भी खुद मेरी आत्मा तक पहुँच जाएँगे. सब कुछ करूँगा पर मेरा हक़ नहीं छोड सकता. आख़िर आशिक हूँ तुम्हारा तुम्हारे हुस्न से खेलने का हक़ बनता है मेरा…”

“बहुत खूब मेरे दीवाने…तुम तो प्यार की नयी मिशाल कायम करोगे शायद.”

“बिलकुल करूँगा. तुम साथ डोगी तो मिशाल कायम हो ही जाएगी.” राजू ने हंसते हुए कहा.

“फिर तो जंग रहेगी तुम्हारे मेरे बीच.” पद्‍मिनी ने भी हंसते हुए कहा.

“जंग तो शुरू से चल रही है हमारे बीच इसमें नया क्या है. लेकिन अब और मजा आएगा.”

“चलो चोदा मुझे मैं अपने दुश्मन के गले लग कर क्यों रहूं.”

“क्योंकि प्यार करती हैं आप मुझसे कोई मज़ाक नहीं…जंग में कई बार दुश्मन भी गले मिलते हैं.”

“तुम सच में पागल हो राजू.”

“हाँ तुम्हारे प्यार में पागल हहेहहे…चलो अब शोते हैं.” राजू पद्‍मिनी को लेकर बिस्तर की तरफ चल दिया.

“मैं भला अपने दुश्मन के साथ क्यों लेटुन.”

“अभी जंग में विराम चल रहा है…साथ लेट सकती हो कोई दिक्कत नहीं है.” राजू ने कहा.

पद्‍मिनी चेहरे पर प्यारी सी मुश्कान लिए राजू के साथ बिस्तर पर आ गयी. राजू ने लाइट बंद कर दी और पद्‍मिनी को बाहों में भर लिया.

“कब करोगी मुझसे शादी”

“मैं तो कल कर लूँगी पर डाइवोर्स नहीं हुआ अभी. वो होते ही कर लेंगे हम शादी.”

“वैसे तुमने बहुत बड़ा जोखिम लिया था कपड़े उतार कर मेरे पास आने का.”

“बहुत भावुक हो गयी थी राजू.. सॉरी …दुबारा ऐसा नहीं होगा. मैं भी कम पागल नहीं हूँ तुम्हारे लिए. गुस्सा थी तुमसे बहुत ज्यादा फिर भी तुम्हारे पास आ गयी थी वो भी कपड़े उतार कर.”

“मैं भड़क जाता ना तो पछताती तुम बहुत. आज रात ही कामसूठरा के सारे आसान आजमा लेता तुम्हारे ऊपर फिर तुम्हें पता चलता की मेरे पास कपड़े उतार कर आने का क्या मतलब होता है.”

“डराव मत मुझे तुम वरना शादी नहीं करूँगी तुमसे.”

“मत करना शादी… ये प्यार काफी है मेरे लिए तुम पर हक़ जताने के लिए. तुम्हें मान से पत्नी मान चुका हूँ.”

“अब क्या कहूँ तुम्हें…ई लव यू. लेकिन अपनी जंग जारी रहेगी…शादी से पहले कुछ नहीं हहेहहे.”

“एक पप्पी तो दे दो फिलहाल उसमें तो कोई जंग नहीं है हमारे बीच. कोल्गेट तो कर ही रखा होगा तुमने.”

“हाँ कोल्गेट तो कर रखा है.” बस इतना ही कहा पद्‍मिनी ने.

राजू आगे बढ़ा और अपने होठों को पद्‍मिनी के होठों पर टीका दिया. पद्‍मिनी ने राजू के होठों को अपने होठों में जकड़ने में ज़रा भी देरी नहीं की. ये एक ऐसी किस थी जीशमे प्यार के साथ साथ एक अंडरस्टॅंडिंग भी शामिल थी. दोनों एक प्यारी सी जंग के लिए तैयार थे.

एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 51

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Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story

Unread post by sexy » 23 Oct 2016 20:35

अगली सुबह सिकेण्दर रोहित की जगह जाय्न करने से पहले सीधा रोहित के घर पहुँच गया. रोहित ने गरम्जोशी से उसका सावागत किया.

“ सरकार आपसे इसे केस में मार्गदर्सन की आशा रखता हूँ. उम्मीद है की आप मुझे इसे केस के हर पहलू से अवगत कराएंगे.” सिकेण्दर ने कहा.

“बिलकुल मैं आपकी हर संभव मदद करूँगा. पहले आप ये बतायें की इतनी दिलचस्पी क्यों थी आपको यहां आने की और इसे केस को लेने की.”

“वो सब छोड़िए सरकार. हर कोई किसी ना किसी काम में दिलचस्पी रखता है. हमें बस साइको को पकड़ने पर ध्यान रखना चाहिए.”

पद्‍मिनी बुरी तरह सूबक रही थी चटाई पर पड़ी हुई. दिल कुछ इसे कदर भारी हो रहा था की ज़ोर-ज़ोर से रोना चाहती थी वो पर राजू की फटकार ने उसकी आवाज़ दबा दी थी. वो अंदर ही अंदर घुट रही थी. आंखों से आँसू लगातार बह रहे थे. बहुत कोशिश कर रही थी की मुंह से कोई आवाज़ ना हो पर रही-रही कर सूबक ही पड़ती थी.

राजू बिस्तर पर बैठा चुपचाप सब सुन रहा था.

“रोती रहो मुझे क्या है. तुम खुद इसके लिए जिम्मेदार हो.” राजू ने मान ही मान सोचा और लेट गया बिस्तर पर चुपचाप.

प्यार में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक सकता. प्यार वो आग है जीशमे की जीवन की हर बुराई जल कर खाक हो जाती है. गुस्सा तो बहुत छोटी चीज़ है. जब आप बहुत प्यार करते हैं किसी को तो उसके प्रति मान में गुस्सा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता. संभव ही नहीं है ये बात.

राजू का गुस्सा शांत हुआ तो उसे पद्‍मिनी की शिसकियों में मौजूद उस दर्द का अहसास हुआ जो उसने उसे दिया था.“हे भगवान मैंने ये क्या किया? क्या कुछ नहीं कह दिया मैंने पद्‍मिनी को.” राजू ने सोचा और तुरंत उठ कर पद्‍मिनी के पास आ कर बैठ गया.

पद्‍मिनी अभी भी सूबक रही थी. राजू ने पद्‍मिनी के सर पर हाथ रखा और बोला, “बस पद्‍मिनी चुप हो जाओ.”

पद्‍मिनी की दबी आवाज़ जैसे आज़ाद हो गयी और वो फूट-फूट कर रोने लगी. राजू घबरा गया उस यू रोते देख.

“पद्‍मिनी प्लीज़…ऐसे रोता है क्या कोई….प्लीज़ चुप हो जाओ मेरा दिल बैठा जा रहा है तुम्हें यू रोते देख कर.” राजू ने भावुक आवाज़ में कहा.

“क्यों आए हो मेरे पास तुम. ना मैं प्यार के लायक हूँ ना शादी के लायक हूँ.”

“प्लीज़ ऐसा मत कहो तुम तो भगवान की तरह पूजा के लायक हो. मैंने वो सब गुस्से में बोल दिया था. प्लीज़ मुझे माफ कर दो. ”

“गुस्से में दिल की बात ही तो कही ना तुमने. और सच ही कहा. मैं बिलकुल लायक नहीं हूँ तुम्हारे प्यार के. अतचा हो की साइको मेरी आर्ट बना दे ताकि धरती से कुछ बोझ कम हो. मैं और नहीं जीना चाहती.”

“पद्‍मिनी! खबरदार जो ऐसी बात की तुमने.”

“तो क्या करूँ मैं अगर ऐसा ना कहूँ तो. तुम मुझे नहीं समझते. मेरे दर्द और तकलीफ का अहसास तक नहीं तुम्हें. मेरे पास बस एक ही चीज़ के लिए आते हो जबकि बहुत सारी उम्मीदे लगाए रखती हूँ मैं तुमसे. मेरे लिए ये प्यार कुछ और है और तुम्हारे लिए कुछ और. मैं अकेली हूँ बिलकुल अकेली जिसे कोई नहीं समझता. मैं धरती पर बोझ हूँ जिसे मर जाना चाहिए.”

“अगर ऐसा है तो मैं मर जाता हूँ पहले. कहा है मेरी बंदूक.” राजू उठ कर कमरे की आलमारी की तरफ बढ़ा. बंदूक वही रखी थी उसने घर में घुस कर.

ये शुंते ही पद्‍मिनी तर-तर काँपने लगी. इंसान अपनी मौत के बारे में तो बड़ी आसानी से सोच सकता है मगर जिसे वो बहुत प्यार करता है उसकी मौत के ख्याल से भी काँप उठता है. पद्‍मिनी फुआरन उठ खड़ी हुई. राजू अंधेरे में कहा है उसके कुछ नज़र नहीं आ रहा था. उसने भाग कर कमरे की लाइट जलाई. तब तक राजू पिस्तौल निकाल चुका था आलमारी से और अपनी कांपती पर रखने वाला था. पद्‍मिनी बिना वक्त गंवाए राजू की तरफ भागी और बंदूक राजू के सर से हटा दी. गोली दीवार में जा कर धँस गयी.

पद्‍मिनी लिपट गयी राजू से और रोते हुए बोली, “तुम्हें नहीं खो सकती राजू…बहुत कुछ खो चुकी हूँ…. तुम्हें नहीं खो सकती. मेरा कोई नहीं है तुम्हारे शिवा.”

“तो सोचो क्या गुज़री होगी मेरे दिल पर जब तुम मरने की बात कर रही थी. दिल बैठ गया था मेरा. आज के बाद मरने की बात कही तुमने तो तुरंत गोली मर लूँगा खुद को. प्यार करता हूँ मैं तुमसे….कोई मज़ाक नहीं.”

दोनों एक दूसरे से लिपटे खड़े थे. दोनों की ही आंखें टपक रही थी.

“राजू मैं जानती हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. पर ये प्यार मेरे शरीर पर ही आकर क्यों रुक गया है. मेरे शरीर में मेरा दिल भी है और मेरी आत्मा भी. मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है राजू…मैं बहुत अकेला फील करती हूँ. तुम मेरे पास आकर बस मेरे शरीर को प्यार करके हाथ जाते हो. कभी मेरे अंदर भी झाँक कर देखो राजू. इसे सुंदर शरीर के अंदर एक अंधेरा भरा हुआ है जहां सिर्फ़ दर्द और तन्हाई के शिवा कुछ और नहीं है.”

रोहित ने साइको के केस की सभी डीटेल्स सिकेण्दर को बता दी.

“सरकार इसका मतलब बात कर्नल के घर पर आकर अटक गयी है. आपको क्या लगता है ये सीसी कौन हो सकता है.” सिकेण्दर ने पूछा.

“कोई भी हो सकता है. आप भी हो सकते हैं.” रोहित ने मज़ाक में कहा.

“सरकार मुझे तो पैंटिंग के नाम से ही डर लगता है. कॉलेज में एक एप्पल तक ठीक से नहीं बना पता था. एप्पल बनाते बनाते भींडी की तस्वीर बन जाती थी.” सिकेण्दर ने कहा.

“ऐसा क्यों सरकार भींडी बहुत पसंद थी क्या आपको?” रोहित ने चुस्की ली.

“छोड़िए सरकार अब क्या रखा है इन बातों में. चलता हूँ मैं और जाकर जाय्न करता हूँ. जब भी कोई शंका होगी आपसे कॉंटॅक्ट करूँगा.”

“बिलकुल बेझिझक मुझे कॉल कर लेना.” रोहित ने कहा.

………………………………………………………………

सुबह नींद में पद्‍मिनी मीठी-मीठी आहें भर रही थी. उसे होश ही नहीं था की जिसे वो सपना समझ रही है वो हकीकत है. पद्‍मिनी पीठ के बाल पड़ी थी और राजू उसकी तरफ करवट लिए उस से चिपक कर पड़ा था. उसका हाथ पद्‍मिनी के उभार पर था और उसे हल्का हल्का मसल रहा था. इसी कारण पद्‍मिनी आहें भर रही थी. राजू पद्‍मिनी की आहें सुन कर मधाम-मधाम मुस्करा रहा था. उभार को मसलते हुए उसने पद्‍मिनी के कान में कहा, “उठ जाओ पद्‍मिनी जंग शुरू हो चुकी है और लगता है तुम हार रही हो.”

पद्‍मिनी की तुरंत आबख खुल गयी. उसने राजू के हाथ को अपने उभार से हटाया और उठ कर बैठ गयी. पद्‍मिनी दिल पर हाथ रख कर बोली, “तो ये सपना नहीं था?”

“क्या सपना नहीं था पद्‍मिनी हहेहहे…”

“और क्या कुछ किया तुमने मेरे साथ नींद में” पद्‍मिनी ने पूछा.

“कुछ और नहीं कर पाया बस अभी-अभी आँख खुली थी…आपके सुंदर उभारो से जंग लड़ रहा था.”

पद्‍मिनी का चेहरा लाल हो गया शर्म से. अचानक उसका ध्यान दीवार घड़ी पर गया.

“अरे 9 बज गये…हम इतनी देर तक शोते रहे.” पद्‍मिनी ने कहा.

“बहुत लेट शोए थे हम…ये तो होना ही था. चलिए आप फ्रेश हो जाओ मैं आपके लिए नाश्ता बनाता हूँ.”

“तुम नाश्ता बनाओगे…मज़ाक मत करो?”

“जी हाँ मैं बनावँगा और आपसे अतचा बनावँगा”

“नहीं राजू मेरे होते हुए ये सब करने की कोई जरूरत नहीं है तुम्हें.मैं खुद बनावँगी…अभी फ्रेश हो कर आती हूँ.”

पद्‍मिनी उठ कर वॉशरूम की तरफ चल दी.

“हे रुको…” राजू ने पीछे से आवाज़ दी.

“हाँ बोलो.”

“सॉरी फॉर एवेरितिंग.”

पद्‍मिनी राजू की तरफ मुस्करा दी और वॉशरूम में घुस गयी.

………………………………………………………

एक महीने से शहर में शांति है. साइको ने कोई नयी वारदात नहीं की है. रोहित और मोहित ने इसे दौरान कर्नल को तलासने की खूब कोशिश की. वो दोनों दिल्ली और मुंबई भी गये कर्नल के रालटिवेस से मिलने. मगर उन्हें कर्नल के बारे में कुछ पता नहीं चला. कर्नल के सभी रिलेटिव्स से सीसी के बारे में पूछा गया मगर वो सभी किसी सीसी को नहीं जानते थे.

एक दिन अचानक मोनिका ने राजू को फोन करके बताया की संजय घर लौट आया है. राजू ने ये बात तुरंत रोहित को बताई. रोहित और मोहित दोनों संजय से मिलने उसके घर गये. संजय ने बताया की वो सिमरन की कार लेकर दिल्ली चला गया था और कुछ दिन वही रहा.

“आप अपनी बीवी को यहां अकेला छोड कर दिल्ली चले गये…वेरी स्ट्रेंज. एक-दो दिन तो चलता है मगर इतने दिन कैसे आप अपनी बीवी को अकेला छोड सकते हैं.” मोहित ने कहा.

“उस से आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए…ये मेरा पर्सनल मामला है. ” संजय ने कहा.

रोहित और मोहित बिना किसी ठोस जानकारी के घर से बाहर आ गये.

“मेरा सस्पेन्षन नहीं हुआ होता तो साले के मुंह में बंदूक गुस्सा कर पूछता की बता कैसे हुआ ये तेरा पर्सनल मामला.” रोहित ने कहा.

“कोई बात नहीं अब ये वापिस आ गया है तो इसे पर हम कड़ी नज़र रखेंगे.” मोहित ने कहा.

“यार मोहित ये सीसी का फुल फॉर्म क्या हो सकता है.”

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“कुत्ते कमीने हो सकता है…काला कव्वा हो सकता है…होने को कुछ भी हो सकता है.”

“यही तो दिक्कत है. साला क्लू मिला भी तो ऐसा की कुछ समझ में नहीं आता की क्या करे. ये सीसी सुरिंदर को भी जानता था और कर्नल को भी. तुम्हें क्या लगता है क्या सुरिंदर और कर्नल भी एक दूसरे को जानते थे.” रोहित ने कहा.

“ऐसा कुछ मिला नहीं जिस से ये कह सकें की सुरिंदर और कर्नल एक दूसरे को जानते थे.”

“साइको कोई शुराग नहीं चोद्ता अपने बारे में. उसने सुरिंदर को मर दिया था. मोस्ट प्रॉबब्ली उसने कर्नल को भी मर दिया है वरना वो कही तो मिलना चाहिए था. वो ऐसे कैसे गायब हो सकता है.”

“मुझे भी यही लगता है. साइको ने कर्नल से उसका घर हथिया कर उसे जान से मर दिया होगा. और शायद उसकी लाश को कही गाड़ दिया होगा. कोई ऐसे ही बिना मतलब दुनिया से गायब नहीं हो जाता, कुछ तो कारण जरूर रहता है.”

“सही कह रहे हो. अतचा मोहित मुझे तुरंत घर जाना है. तुकझे बताया था ना आज शादी में जाना है.”

“हाँ बताया था पर तुझे वहां इन्वाइट नहीं किया गया है.”

“यार रीमा के लिए जाना ही पड़ेगा मुझे. प्यार बेसक नहीं हुआ उस से पर हम अतचे दोस्त तो बन ही गये थे. सूभकामना देने तो जाना ही चाहिए.”

“बेसक जाओ रोहित. पर चौहान से बच कर रहना.”

“शादी के माहौल में वो ज्यादा पंगा नहीं करेगा और वैसे भी मैं बस रीमा को एक बार देख कर और उसे विश करके वापिस आ जाऊंगा.”

“तुम्हारी मैडम भी होंगी वहां ज़रा ध्यान रखना कही कोई गलत फ़हमी हो जाए.”

“मैडम को पता है सब कुछ.”

“हाँ पर खुद अपनी आंखों से देखने से दिल पर चुत लगती है. वैसे शादी डिले क्यों हो गयी रीमा की.” मोहित ने कहा.

“लड़के वालो ने थोड़ा वक्त माँगा था शायद. ई आम नोट शुरू.” रोहित ने कहा.

“हम ठीक है तुम निकलो मैं भी निकलता हूँ. पूजा को कॉलेज से पिक करना है. हमारा आज बाहर डिनर का प्रोग्राम है.” मोहित ने कहा.

मोहित टाइम से पूजा के कॉलेज पहुँच गया. कॉलेज से लड़कियों की भीड़ बाहर आ रही थी. मगर मोहित को पूजा कही नज़र नहीं आ रही थी.

“कम ऑन जान कहा रही गयी तुम…जल्दी आओ…हमें खूब एंजाय करना है आज.”

मगर कॉलेज के दरवाजा से सभी बाहर आ गये पर पूजा नहीं आई. वॉचमेन ने दरवाजा बंद कर दिया. मोहित ने वॉचमेन से पूछा, “कोई लड़की अंदर तो नहीं रही गयी.”

“नहीं मैं चेक करके आया हूँ. सब जा चुके हैं.”

“ऐसा कैसे हो गया मैं तो बाहर ही खड़ा था.”

मोहित ने नगमा को फोन मिलाया.

“हेलो नगमा…पूजा घर पहुँच गयी क्या?”
“नहीं वो तो नहीं आई अब तक…क्यों क्या हुआ सब ठीक तो है.”

“मैं बाद में बात करता हूँ…अभी थोड़ा बिज़ी हूँ.”

मोहित को टेन्शन होने लगी की पूजा कहा गयी.

“कहा गयी होगी मेरी जान. ऐसे तो कभी कही नहीं जाती. उसे पता भी था की मैं उसे लेने .आऊंगा.”
मोहित सोच में पड़ गया.

तभी अचानक उसे ख्याल आया की कही पूजा को साइको ने तो किडनॅप नहीं कर लिया. ये ख्याल आते ही उसकी रूह काँप उठी. पूजा से बहुत प्यार करता था मोहित उसके लिए कोई भी बुरी बात नहीं सोच सकता था.

मोहित ने रोहित को फोन मिलाया और उसे सारी बात बता दी.

“अगर पूजा को साइको ने किडनॅप किया है तो वो जरूर तुझसे कॉंटॅक्ट करेगा. तू ऐसा कर अपने घर जा. हो सकता है वहां उसने कोई मेसेज चोदा हो तेरे लिए.”

“यार मेरे हाथ पाँव काम नहीं कर रहे. पूजा को कुछ हो गया तो मैं कही का नहीं रहूँगा.”

“समझ सकता हूँ मोहित. तुम ऐसा करो अपने घर पहुँचो. मैं भी वही पहुँचता हूँ.” रोहित ने कहा.

मोहित तुरंत बाइक स्टार्ट करके अपने घर की तरफ चल दिया. घर पहुँच कर जैसे ही उसने अपना दरवाजा खोला उसे दरवाजे के पास एक कागज़ पड़ा मिला उस पर कुछ लिखा था. मोहित ने उसे उठाया और पढ़ने लगा.

“मिस्टर मोहित, कैसे हो तुम. तुमने मुझे बहुत परेशान किया है. मगर अब मेरी बड़ी है. कब से तुम्हारे लिए एक प्लान ढूंढ. रहा था. समझ में नहीं आ रहा था की कैसी मौत दी जाए तुम्हें. तुम पर नज़र रखी तो पता चला की तुम एक लड़की पर फिदा हो. मेरा काम आसान हो गया.पूजा मेरे कब्जे में है. बिलकुल नंगी पड़ी है मेरे सामने. वैसे मैं अपने विक्टिम से सेक्स नहीं करता पर तुम्हारी पूजा ने तो खड़ा कर दिया मेरा लंड. बाला की खूबसूरत है साली. मान कर रहा है इसकी लेने का. ले लंड क्या हाहहहाहा. मेरे दूसरे लेटर का इंतजार करना. और हाँ अपने दोस्त रोहित से बोलना की रीमा की शादी में जरूर जाए. वहां उसके लिए कुछ खास करने वाला हूँ मैं हिहिहीही.”

मोहित की आंखें गुस्से से लाल हो गयी. “तुझे वो मौत दूँगा मैं की तेरी रूह काँप उठेगी साले कुत्ते कमीने साइको.” मोहित चिल्लाया.

जब रोहित मोहित के घर पहुँचा वो बेड पर सर पकड़ कर बैठा था. रोहित को देख कर मोहित ने कहा, “जिसका डर था वही बात हुई…कमीने ने मेरी पूजा को उठा लिया.”

“कैसे पता चला तुम्हें ये?” रोहित ने पूछा.

मोहित ने वो कागज़ रोहित की तरफ बढ़ा दिया, “जब मैं घर में गुस्सा तो दरवाजे के पास पड़ा था ये.”

रोहित ने वो कागज़ पढ़ा तो उसके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें उभर आई.

“मोहित गुजर चुका हूँ इसे सब से मैं. लेकिन ऐसे सर पकड़ कर बैठने से फायदा नहीं होगा. जितना मैं उसे जान पाया हूँ, अभी वो उसके कुछ नहीं करेगा. सेकेंड लेटर का इंतजार करते हैं.”

“मैं मर जाऊंगा यार अगर मेरी पूजा को कुछ हुआ तो. मेरी जींदगी है वो.”

“कुछ नहीं होने देंगे हम उसे तुम हौंसला रखो. अभी वक्त है हमारे पास. उसने मुझे रीमा की शादी में बुलाया है. इसका मतलब वो वहां आएगा. बहुत अतचा मौका है मोहित उसे पकड़ने का. वो हाथ आ गया तो पूजा भी मिल जाएगी. चलो वक्त यू मुंह लटका कर बैठने का नहीं है. हमें उसे सबक सीखना है. वो हर बार अपनी बेहूदा गेम खेल कर नहीं निकल सकता.

“तो क्या मैं भी तुम्हारे साथ रीमा की शादी में चलूं.”

“हाँ बिलकुल…तेरे बिना बात कैसे बनेगी यार…चल उठ.”

“पर उसने दूसरे लेटर का इंतजार करने को बोला है. मैं कैसे जा सकता हूँ.”

“यहां किसी और को छोड देते हैं. रुक एक मिनट मैं भोलू को बोलता हूँ की वो यहां रुक जाए. वो लेटर डालने वाले पर नज़र भी रखेगा.” रोहित ने कहा.

“हाँ ये ठीक रहेगा?”

“चल फिर अपनी पिस्तौल उठा आज हमें साइको का शिकार करना है.”

रोहित ने फोन करके भोलू को मोहित के घर बुला लिया और उसे वही छोड कर रीमा की शादी में शामिल होने के लिए निकल दिए.

“राजू को भी सतर्क कर दम इसे बारे में” रोहित ने कहा.

“हाँ बिलकुल”

रोहित ने राजू को फोन मिलाया. रिंग्टोणे जाती रही पर राजू ने फोन नहीं उठाया. फिर उसने पद्‍मिनी का फोन ट्राइ किया. पद्‍मिनी ने भी फोन नहीं उठाया.

“बिज़ी होंगे दोनों शायद किसी काम में.” रोहित ने कहा.

“हाँ नया नया प्यार हुआ है दोनों को. बिज़ी तो रहेंगे ही.”

रोहित के पास पद्‍मिनी के घर पर तैनात एक कॉन्स्टेबल का नंबर था उसने वो ट्राइ किया.

“राजवीर से बात करवाव मेरी.”

“सर वो तो यहां नहीं हैं. कोई 2 घंटे पहले मैडम को लेकर निकले थे अभी तक लौटे नहीं.”

“ये लड़का भी ना” रोहित ने इरिटेशन में कहा.

“क्या हुआ?”

“पद्‍मिनी को लेकर गया हुआ है राजू कही. शायद कही घूमने रहे होंगे दोनों. इतना बड़ा खतरा मोल लेने की क्या जरूरत है. क्या थोड़ा इंतजार नहीं कर सकते दोनों.”

“कल दोनों की बहुत लड़ाई हुई थी…किसी बात पर. पद्‍मिनी नाराज़ हो गयी थी राजू से. शायद उसे मना-ने के लिए कही घुमाने ले गया होगा.”

“वो तो ठीक है घूमते-घूमते साइको मिल गया तो. हर वक्त नज़र रखता है वो हम लोगों पर. पूरी प्लॅनिंग से काम करता है. मैंने समझाया भी था उसे पर मेरी कोई छूने तब ना.” रोहित ने कहा.
“रोहित एक बात सुनाओ.” मोहित ने कहा.

“हाँ बोलो.”

“हम भेष बदल कर जायें वहां तो ज्यादा अतचा है. क्या कहते हो.”

“हाँ आइडिया बुरा नहीं है…लेकिन टाइम कम है हमारे पास.”

“मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो मिंटो में हमारा हुलिया बदल देगा.”

“चल फिर देर किस बात की है….”

रोहित और मोहित नकली दाढ़ी मूच लगा कर पहुँचे शादी में.

“तुम्हें क्या लगता है साइको क्या करने की सोच रहा है यहां.” रोहित ने कहा.

“भाई बुरा मत मान-ना पर मेरा पूरा ध्यान पूजा पर लगा हुआ है. बहुत कोशिश कर रहा हूँ पर….”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 52

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