Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Posted: 02 Nov 2016 10:47
“देखो हर कोई प्यार में बोल्ड स्टेप नहीं उठा सकता. आंटी -बाप को इग्नोर करना इतना आसान नहीं होता. उसकी सिचुयेशन तुम नहीं समझ रहे हो.”
“समझ रहा हूँ पर यार इतना भी कोई मजबूर नहीं हो सकता की अपने प्यार का गला घोत दे.”
“वो सब ठीक है. अब जब तुम जा ही रहे हो यहां से तो क्या नाराज़ हो कर जाना जरूरी है. उस से मिल कर जाओ.”
“वही करना चाहता था. कल मेरी उस से बहस हो गयी और उसने मुझे अपने कमरे से दफा हो जाने को कहा. प्यार के दो बोल तो बोले नहीं आज तक ‘गेट आउट’ बड़ी जल्दी बोल दिया. खुद को पता नहीं क्या समझती है. बहुत दुख हुआ मुझे कल. कल मुझे अहसास हुआ की मैंने किस जालिम से प्यार किया है.”
“वो जालिम होती तो रो कर ना जाती यहां से.”
“पूजा को कोई गलत फ़हमी हुई होगी. वो रो ही नहीं सकती मैं शर्त लगा सकता हूँ इस बात की.”
“पूजा इधर आना.” मोहित ने पूजा को आवाज़ दी.
पूजा भी उठ कर उनके पास आ गयी.
“क्या बात है मोहित?”
“तुमने देखा था ना अपनी आंखों से शालिनी को रोते हुए.” मोहित ने पूछा.
“हाँ मैंने देखा था.”
“अरे उसकी आँख में कुछ गिर गया होगा…इसलिए नाम हो गयी होंगी आंखें.” रोहित मान-ने को तैयार नहीं था.
“उसकी आंखें बरस रही थी रोहित. होठों तक आँसू आ गये थे उसके. ऐसा आंखों में कुछ गिरने से नहीं होता. ऐसा तभी होता है जब किसी के दिल पर चोट लगती है. तुमने उसे इग्नोर क्यों किया रोहित?”
“पूजा तुम नहीं समझोगी” रोहित ने कहा.
“रोहित जाओ यार उसके पीछे…बात करो उस से. जिसे प्यार करते हो उसे ऐसे दुख देना सही नहीं है.”
“दुख तो मुझे मिल रहा है. उसे क्या दुख मिलेगा. मैं किसी के पीछे नहीं जाने वाला. मैं कल यहां से जा रहा हूँ कोई टेन्शन नहीं चाहता मैं जाते जाते. कोई रोता है तो रोता रहे. खुद को मजबूर उसने बना रखा है मैंने नहीं. अपने आँसुओ के लिए वो खुद जिम्मेदार है.”
“ये आँसू तुमने उसे दिए हैं…उसे इग्नोर करके.” पूजा ने कहा.
मोहित ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, “चोदा रोहित…तुम शादी एंजाय करो…हम क्यों बेकार की बहस कर रहे हैं…चलो पूजा बैठते हैं अपनी हॉट सीट पर.”
पूजा ने मोहित को सवालिया नज़रो से देखा. सीट पर बैठ कर मोहित ने पूजा के कान में कहा, “नाटक कर रहा है ये. अभी देखना कैसे दौड़ के जाएगा उसके पीछे. उसके चेहरे पर हल्की से शिकन भी ये बर्दास्त नहीं कर सकता आँसू तो बहुत बड़ी चीज़ है.”
“अतचा…काश ऐसा प्यार हमें भी करे कोई.” पूजा हंसते हुए बोली.
“तुम रो कर तो दीखाओ…मैं तुम्हारे हर आँसू के लिए प्यार की एक दास्तान लिख दूँगा. बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें.”
“पता है मुझे.”
“हम भी हैं यहां गुरु. तुम दोनों हमें इग्नोर करोगे तो मैडम की तरह हम भी रो कर उतार जाएँगे स्टेज से.”
“उतार जाओ यार जल्दी. डिस्टर्ब मत करो हमें.” मोहित ने कहा.
“चलो पद्मिनी यहां हमारी किसी को जरूरत नहीं है.” राजू ने पद्मिनी का हाथ पकड़ कर कहा.
“अरे रुको मोहित मज़ाक कर रहा है” पूजा ने आवाज़ दी.
“जानता हूँ….मगर दूसरे लोग इंतजार कर रहे हैं. हम ही स्टेज घेरे रहेंगे तो बाकी लोग सेगन कैसे देंगे….अरे रोहित सर कहा गये.” राजू ने कहा.
मोहित और पूजा ने तुरंत पीछे मूंड़ कर देखा. “देखा गया ना शालिनी के पीछे.” मोहित ने कहा.
“क्या पता कही और गया हो?” पूजा ने कहा.
“हो ही नहीं सकता. वो उसी के पीछे गया है. तुमने उस रात नहीं देखा. जब साइको शालिनी को बार्ब वाइयर लिपटे बेसबॉल बात से पीटने वाला था तो रोहित शालिनी के ऊपर लेट गया था. पूरी कमर चील गयी थी उसकी मगर हटा नहीं था शालिनी के ऊपर से.”
“जब रोहित इतना प्यार करता है शालिनी से तो वो कही और शादी क्यों कर रही है.” पूजा ने पूछा.
“कुछ तो मजबूरी है उनकी वरना यू ही कोई बेवफा नहीं होता.” मोहित ने कहा.
“ये बात भी है. मुझसे तो देखे ही नहीं गये उसके आँसू. एक पल को तो मैं हैरान रही गयी. मुझे यकीन ही नहीं हुआ की शालिनी ऐसे रो सकती थी.”
“प्यार इंसान से सब कुछ करवा देता है. वैसे आँसू तुम्हारे भी निकलेंगे थोड़ी देर में.”
“हाँ बापू बहुत ख़ूस्स हैं. दीदी भी बहुत खुश है. मैं सबसे ज्यादा खुश हूँ. रोने का मान नहीं है पर रोना आ जाएगा क्योंकि ही इतनी ज्यादा है.” पूजा ने कहा.
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शालिनी स्टेज से उतार कर सीधी अपनी कार के पास आ गयी थी. आँसुओ को थाम रही थी वो पर जब भावनाओं का उफान आता था तो उसकी हर कोशिश बेकार जाती थी.
“मेरी तरफ देखा तक नहीं तुमने. कितनी बेचैन थी तुमसे मिलने के लिए मैं. पर तुम्हें क्या फर्क पड़ता है. कहने को तुम मुझे प्यार करते हो पर मेरी बिलकुल परवाह नहीं तुम्हें. ई हटे यू…”
रोहित जब वहां पहुँचा तो शालिनी अपनी कार का दरवाजा खोल रही थी. रोहित ने तुरंत भाग कर उसका हाथ पकड़ लिया.
“कैसी हो तुम.” रोहित ने पूछा.
“हाथ चोदा मेरा.” शालिनी ने बिना पीछे मुड़े कहा. वो अपने आँसू रोहित को नहीं दीखाना चाहती थी.
रोहित ने शालिनी के हाथ पर पकड़ और मजबूत कर दी. “तुम रो क्यों रही थी.”
“तुमने कब देखा मुझे रोते हुए…तुम तो मुझे देख भी नहीं रहे थे.” शालिनी की आवाज़ में दर्द था.
“माफ करदो मुझे उस गुस्ताख़ी के लिए. तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ मैं. तुम्हें ना देख कर खुद को ही सजा दी मैंने.”
“मुझे कुछ नहीं सुन-ना तुमसे. चोदा मेरा हाथ.” शालिनी ने हाथ को ज़ोर से झटका. रोहित ने हाथ छोड दिया.
“लो छोड दिया हाथ तुम्हारा. मुझे कोई शॉंक नहीं है तुम्हारा हाथ पकड़ने का.”
शालिनी ने कार का दरवाजा खोला और अंदर बैठ कर कार स्टार्ट करके वहां से निकल गयी. शालिनी बहुत बढ़ता से नीलकी वहां से.
“पागल हो गयी है लगता है. इतनी बढ़ता से भागने की क्या जरूरत थी.” रोहित भी भाग कर अपनी कार में आया और कार स्टार्ट करके शालिनी के पीछे चल दिया.
शालिनी इतने गुस्से में थी की उसे ध्यान ही नहीं रहा की वो गलत रास्ते से मूंड़ गयी है. उसने कार जंगल के रास्ते पर मोड़ ली थी. उसे पता चल गया था की रोहित पीछे आ रहा है इसलिए उसने कार घूमने की कोशिश नहीं की. वैसे जंगल पार करके एक सड़क उसके घर तक जाती थी, इसलिए भी उसने गाड़ी नहीं मोदी.
“अब क्यों आ रहे हो तुम मेरे पीछे. कल से तो ना जाने कहा गायब हो गये थे. पहली बार इतना रोई मैं जींदगी में. तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगी मैं.”
अचानक शालिनी की नज़र सड़क के बीचो बीच खड़ी कार पर गयी. अभी वो कार से बहुत दूर थी मगर उसे ये साफ दीखाई दे रहा था की कार सड़क के बीच में खड़ी है.
“ये सड़क के बीच में किसने पार्क कर रखी है कार.” शालिनी हैरत में पड़ गयी.
ना चाहते हुए भी शालिनी को ब्रेक लगाने पड़े. शालिनी ने कार में बैठे बैठे देखा गौर से उस कार को.
“कोई नज़र नहीं आ रहा कार में.”
चारों तरफ अंधेरा था. बस अपनी कार की लाइट की रंगे में ही देख पा रही थी शालिनी.
अचानक एक छींख सुनाई दी शालिनी को. “हेल्प…आहह ओह नो प्लीज़.”
शालिनी ने अपने पर्स से गुण निकाली और कार से बाहर आ कर जंगल की तरफ बढ़ी. तब तक रोहित भी पहुँच गया था वहां. रोहित तुरंत अपनी कार से बाहर आया शालिनी का हाथ पकड़ लिया, “रुको कहा जा रही हो तुम?”
“ष्ह चुप रहो….संबडी नीड्स हेल्प.”
“आस्प हो पर अकल एक ढेले की नहीं है. पहले देख तो लें की माजरा क्या है.”
रोहित सड़क के बीच खड़ी कार के पास आया. उसने झाँक कर देखा कार में. अगली सीट पर ड्राइवर की लाश पड़ी थी. उसके सर से खून बह रहा था.
“सर में गोली मारी गयी है इसके.”
तभी फिर से एक छींख सुनाई दी, “नहियीईई….प्लीज़……”
“किसी लड़की की आवाज़ है ये.” रोहित ने कहा.
“तुम जाओ यहां से मैं संभाल लूँगी.”
“अकेली क्या संभालॉगी तुम यहां.”
“पुलिस पार्टी बुला रही हूँ. तुम जाओ अपना काम देखो…क्या भूल गये तुम की तुम रिज़ाइन कर चुके हो. तुम्हें यहां रुकने का कोई हक़ नहीं है.”
“कैसे बुलाऊंगी यहां जंगल में सिग्नल ही नहीं आता फोन पर.” रोहित ने कहा.
“तो मैं खुद देख लूँगी की क्या करना है. यू गेट थे हेल आउट ऑफ हियर.” शालिनी ने कहा.
तभी एक और छींख सुनाई दी उन्हें. इस बार छींख किसी आदमी की थी.
शालिनी भाग कर जंगल में घुस गयी. रोहित भाग कर अपनी कार के पास आया.
“मेरी गुण कहा है यार. ये आस्प साहिबा मेरी जान ले लेगी.”
गुण सीट के नीचे पड़ी थी. 1 मिनट खराब हुआ गुण ढूंढ़ने में. गुण मिलते ही रोहित शालिनी के पीछे जंगल में घुस गया.
अंधेरा बहुत था जंगल में. रोहित भाग कर आया था जंगल में. शालिनी दीखाई नहीं दी और टकरा गया उस से. गिरते-गिरते बची वो.
“ये क्या बदतमीज़ी है.” शालिनी चिल्लाई.
“श… चुप रहो मैडम जी. गलती से टक्कर लग गयी. जान बुझ कर नहीं मारी मैंने.”
तभी गोली चलने की आवाज़ आई. रोहित ने शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे एक पेड़ के पीछे ले आया.
“क्या कर रहे हो तुम.”
“गोली चली…सुना नहीं क्या तुम्हें. हो सकता है हम पर चलाई गयी हो. पेड़ के पीछे रहना ठीक है.”
शालिनी भी गुस्से में थी और रोहित भी गुस्से में था. दोनों एक दूसरे से खफा थे. पेड़ से सात कर खड़े थे दोनों साथ साथ. उनका आधा ध्यान क्राइम को हैंडिल करने पर था और आधा ध्यान अपने बीच हो रही कशमकश पर था. कुछ-कुछ कोल्ड वॉर जैसी स्थिति बनी हुई थी.
“क्यों आए तुम मेरे पीछे.” शालिनी ने कहा.
“मान तो नहीं था आने का पर दिल से मजबूर हो कर आना पड़ा.” रोहित ने जवाब दिया.
“समझते क्या हो तुम खुद को…जब दिल किया मुझसे दूर चले जाओगे और जब दिल किया पास आ जाओगे. तुम…..”
“ष्ह…कोई इसी तरफ आ रहा है.” रोहित ने शालिनी के मुंह पर हाथ रख दिया.
“यही कही होने चाहिए वो लोग.”
“2 कार खड़ी हैं सड़क पर. मुझे डर लग रहा है. जग्गू चल उन दोनों का काम तमाम करके जल्दी निकलते हैं यहां से.”
“बब्बल तू संजू के पास वापिस जा. मैं देखता हूँ की ये कोन हमारे काम में टाँग अदाने आ गये. और हाँ लड़की से दूर रहना अभी. पहले मैं लूँगा उसकी. मस्त आइटम है साली.”
बब्बल के जाने के बाद जग्गू बंदूक ताने वही आस पास घूमता रहा. जब वो उस पेड़ के पास से गुजरा जिसके पीछे रोहित और शालिनी छुपे थे तो रोहित ने तुरंत पीछे से आकर उसके सर पर बंदूक रख दी.
“तू सुधरा नहीं जग्गू हां….ये बंदूक नीचे फेंक दे.” रोहित ने कहा.
“सर आप…”
“हाँ मैं…बंदूक नीचे फेंक जल्दी और हाथ ऊपर कर वरना भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“गोली मत चलना सर…ये लीजिए फेंक दी बंदूक मैंने.”
“गुड…. अब बताओ क्या चल रहा है यहां.” रोहित ने दृढ़ता से पूछा.
“कुछ नहीं चल रहा सर.”
“झूठ मत बोल तेरी खोपड़ी खोल दूँगा मैं.”
“सुपारी ले रखी है मैंने. अपना काम कर रहा था बस.”
“चल मुझे अपने साथियों के पास ले चल. ज़रा भी चालाकी की तो तेरा भेजा उड़ा दूँगा.”
“गोली मत चलना सर…मैं उनको छोड दूँगा.”
जग्गू चल दिया जंगल के अंदर की और. रोहित उसके पीछे पीछे उसके सर पर बंदूक रखे चल रहा था. शालिनी रोहित के पीछे थी. उसने भी बंदूक तन रखी थी हाथ में.
ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ा उन्हें. जब वो वहां पहुँचे तो रोहित ने देखा की संजू और बब्बल लड़की के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे.
“रुक जाओ वरना दोनों को चुत कर दूँगी मैं.” शालिनी चिल्लाई.
संजू और बब्बल तुरंत रुक गये शालिनी की आवाज़ सुन कर.
“सर आपके साथ कोन हैं?”
“आस्प साहिबा हैं. अपने साथियों से कहो की तुरंत दोनों को छोड देन.”
अचानक संजू ने रोहित के सर की तरफ फायर किया. गोली सर के बिलकुल पास से गुजर गयी. रोहित ने तुरंत उसकी तरफ फायर किया. मौके का फायदा उठा कर जग्गू ने रोहित को धक्का दिया और वहां से भाग गया. बब्बल और संजू भी वहां से भाग खड़े हुए. अंधेरे में वो तुरंत आंखों से ओझल हो गये. रोहित ने 2-3 फायर किए पर कोई फायदा नहीं हुआ. शालिनी उस लड़की के पास आई.
“कोन हो तुम. डरने की जरूरत नहीं है हम पुलिस वाले हैं?” शालिनी ने कहा.
“मेरा नाम गीता है. ये मेरे पति हैं सेखार. हम मुस्सूरीए जा रहे थे.”
“तुम दोनों को मारने की सुपारी दी गयी थी.” रोहित ने कहा.
“क्या हमें मारने की सुपारी?” सेखार ने हैरानी में कहा. वो बड़ी मुश्किल से उठा. बहुत बुरी तरह पीता गया था उसे.
“हाँ सुपारी…क्या बता सकते हो की कोन है ऐसा जो तुम्हें मारना चाहेगा.”
“हमारी तो किसी से दुश्मनी नहीं है. पता नहीं किसने दी ये सुपारी.” सेखार ने कहा.
अतचणक झाड़ियों में कुछ हलचल हुई और शालिनी गुण लेकर उस तरफ चल दी.
“अरे रुको कहा जा रही हो तुम?”
रोहित ने अपनी कार की चाबी सेखार के हाथ में रख कर कहा, “जाओ किसी होटल में रुक जाओ जाकर. तुम मुस्सूरीए नहीं जा सकते अभी जब तक तहकीकात पूरी नहीं हो जाती. तुम लोगों की कार भी यही रहेगी क्योंकि उसमें लाश पड़ी है.”
“आप अपनी कार दे रहे हैं हमें. आपको पता कैसे कहलेगा की हम कहा हैं और कोन से होटल में हैं. मोबाइल नो दे दीजिए अपना.”
“मेरी कार मेरे मोबाइल से कनेक्टेड है. तुम चिंता मत करो मैं ट्रेस कर लूँगा. जाओ तुम दोनों.”
उन दोनों के जाने के बाद रोहित शालिनी के पीछे गया.
शालिनी दबे पाँव आगे तरफ रही थी. रोहित ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, “क्या करना चाहती हो तुम. कहा जा रही हो.”
“ष्ह…झाड़ियों में कुछ हलचल हुई थी.”
“जंगल है… होगा कोई जानवर. चलो चलतें हैं.”
“मुझे लगता है उन तीनों में से कोई है”
“अरे वो यहां क्यों छुपे रहेंगे. इतना बड़ा जंगल है…वो बहुत दूर निकल गये होंगे.” रोहित ने कहा.
“तुम्हें क्या लेना देना मैं कुछ भी करूँ…कोन होते हो तुम मुझे टोकने वाले.” शालिनी चिल्लाई.
“जान बुझ कर ये सब नाटक कर रही हो ताकि मैं यही तुम्हारे साथ उलझा रहूं और कल सुबह की मेरी ट्रेन मिस हो जाए.”
“तुम्हें ये नाटक लग रहा है. मैं अपनी ड्यूटी कर रही हूँ और तुम बाधा डाल रहे हो. जाओ यहां से…… मुझे अकेला छोड दो.”
“शालिनी…तुम मुझसे गुस्सा हो जानता हूँ. गुस्से में ये सब करने की जरूरत नहीं है तुम्हें. चलो घर जाओ चुपचाप.”
“मैं चली जाऊंगी…तुम जाओ यहां से.”
रोहित ने शालिनी को दोनों कंधों से काश कर पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से सटा दिया.
“ये क्या पागल पान है. मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. बिना सोचे समझे कुछ भी किए जा रही हो” रोहित गुस्से में बोला.
“मुझे भी तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी जैसा तुमने मेरे साथ किया” शालिनी ने कहा
“दो यू लव में शालिनी.”
शालिनी ने रोहित को ज़ोर से धक्का दिया. धक्का इतनी ज़ोर का था की रोहित धदाम से नीचे गिरा. उसका सर एक पठार से टकराया. खून तो नहीं निकला पर दर्द बहुत हुआ. एक मिनट के लिए सर घूम गया रोहित का.
शालिनी दौड़ कर उसके पास आई, “चोट तो नहीं लगी तुम्हें.”
“मेरी यही औकात है तुम्हारी जींदगी में. काफी दफा हो जाने को बोल दो, कभी गेट आउट बोल दो और आज तो हद ही हो गयी. ऐसे धक्का दिया तुमने मुझे जैसे की मैं रेप अटेंप्ट कर रहा था तुम पर.” रोहित ने उठते हुए कहा.
शालिनी ने रोहित के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “सॉरी रोहित मैंने कुछ जान बुझ कर नहीं किया.”
“वाह पहले कत्ल कर दो और फिर सॉरी बोल दो. अरे मरने वाला तो मर गया ना. तुम्हारे सॉरी बोलने से क्या होगा अब.” रोहित ने कहा.
“तुम्हें जो समझना है समझो…मैं जा रही हूँ.” शालिनी वहां से चल पड़ी सड़क की तरफ. सड़क पर आकर शालिनी ने देखा की रोहित की कार वहां नहीं है.
“रोहित की कार कोन ले गया.” शालिनी ने अंदाज़ा लगाया की रोहित ने जरूर अपनी कार गीता और सेखार को दे दी होगी.
“मुझे क्या लेना देना मैं चलती हूँ यहां से.” शालिनी कार में बैठ गयी. इंजिन स्टार्ट कर लिया उसने पर कार को आगे नहीं बढ़ा पाई. वो बार बार जंगल की तरफ देख रही थी. 10 मिनट बीत गये पर रोहित नहीं आया. शालिनी बैठी रही चुपचाप कार में. बार बार इंजिन स्टार्ट करके बंद कर देती थी. दिमाग वहां से जाने को कह रहा था क्योंकि जंगल का एरिया था पर दिल वहां से जाने को तैयार नहीं था. जब आधा घंटा बीत गया तो शालिनी खुद को रोक नहीं पाई. वो कार से बाहर आकर उसी जगह वापिस आ गयी जहां वो रोहित को छोड कर गयी थी.
रोहित वही बैठा था जहां शालिनी उसे छोड कर गयी थी.
“क्या रात भर यही बैठने का इरादा है तुम्हारा. सादे 12 बज रहे हैं.” शालिनी ने कहा.
“मेरी कार मैंने उन दोनों को दे दी. तुम जाओ…”
“चलो मैं तुम्हें घर छोड दूँगी…”
“तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगा मैं…तुम जाओ… ई कॅन ताकि केर माइसेल्फ.”
“रोहित प्लीज़ उठो. मैं तुम्हें यहां छोड कर कैसे जा सकती हूँ”
“शालिनी तुम जाओ…मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकता.”
“ज़िद्द मत करो रोहित. उठो.”
“तुम जाओ ना…क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हो.”
“ई केर फॉर यू रोहित.”
रोहित ये शुंते ही उठा और शालिनी को फिर से कंधों से पकड़ कर पेड़ से सटा दिया.
“सच बताओ ये केर है या कुछ और?” रोहित ने पूछा.
“क्या मतलब… मैं कुछ समझी नहीं.”
“समझोगी भी नहीं क्योंकि तुम समझना ही नहीं चाहती.”
“रोहित प्लीज़ फिर से वही बहस शुरू मत करो.” शालिनी गिड़गिड़ाई.
रोहित कुछ देर खामोश रहा फिर गहरी साँस ले कर बोला, “प्लीज़ एक बार बता दो मुझे. क्या तुम मुझे प्यार करती हो. सिर्फ़ हाँ या ना में जवाब दे दो. आखिरी बार पूछ रहा हूँ तुमसे. फिर कभी नहीं पूछूँगा मैं”
शालिनी कुछ नहीं बोली. वो अजीब दुविधा में पड़ गयी थी. हाँ वो बोलना नहीं चाहती थी और ना कहने की उसमें हिम्मत नहीं थी.
“कुछ तो बोलो प्लीज़…मेरी खातिर.” रोहित गिड़गिडया.
शालिनी खामोश खड़ी रही.
रोहित आगे बढ़ा और अपने चेहरे को शालिनी के चेहरे के बहुत नज़दीक ले आया. दोनों की गरम गरम सांसें आपस में टकरा रही थी. रोहित ने अपने होंठ शालिनी के होठों पर रखने की कोशिश की तो शालिनी ने चेहरा घुमा लिया.
रोहित इतना भावुक हो गया की तुरंत उसकी आंखों में आँसू भर आए. कब उसका माता शालिनी की छाती पर टिक गया उसे पता भी नहीं चला. वो बस भावनाओं में बह कर रोए जा रहा था. शालिनी ने सर पर हाथ रख लिया रोहित के और वो भी रो पड़ी. बहुत ही इमोशनल पल था वो दोनों के बीच. दोनों उस पेड़ के नीचे खड़े रोए जा रहे थे उस प्यार के लिए जो उनके बीच था.
“शालिनी एक बात पूछूँ?” रोहित ने दर्द भारी आवाज़ में कहा.
“हाँ पूछो ना.”
“चोदा जाने दो. तुम जवाब तो देती नहीं हो.”
“पूछो प्लीज़…” शालिनी सुबकते हुए बोली.
“तुम क्यों रो रही हो. मैं तो इसलिए रो रहा हूँ क्योंकि तुम्हें खो दिया मैंने.”
“मैंने कल सुबह फिर से अंकल से बात की थी तुम्हारे बारे में. वो मान-ने को तैयार ही नहीं हैं. मुझे चेतावनी भी दे दी है उन्होंने की दुबारा बात की तुम्हारे बारे में तो उनका मारा मुंह देखूँगी. तुम्हें सिर्फ़ अपना प्यार दिखता है…मेरा प्यार तुम्हें दिखाई नहीं देता.”
“शुक्र है तुमने कबूल तो किया की तुम मुझे प्यार करती हो.” रोहित ने शालिनी की छाती से सर उठा कर कहा.
“हाँ करती हूँ प्यार. बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ तुम्हें. प्यार का इजहार करके अपने कदम वापिस नहीं खींचना चाहती थी इसलिए खामोस रहती थी.”
“आज क्यों बोल रही हो फिर.”
“क्योंकि मैंने तैय कर लिया है की मैं वहां शादी नहीं करूँगी जहां अंकल चाहते हैं. अगर उन्हें मेरी पसंद मंजूर नहीं तो मुझे भी उनकी मंजूर नहीं. मैंने शादी ना करने का फैसला किया है. शादी करूँगी तो तुमसे नहीं तो नहीं करूँगी.”
“कब किया ये फैसला.”
“अभी जब तुम मेरे शीने से लग कर रो रहे थे. मैं किसी और के साथ नहीं रही सकती रोहित.”
“तुम्हें नहीं पता की कितनी बड़ी दी है तुमने मुझे आज ये बात बोल कर. तुम्हारे प्यार के इस इजहार को हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा मैं.”
“रोहित”
“हाँ बोलो.”
“ई लव यू.”
“बस अब जान ले लाओगी क्या तुम. कहा तो बोल ही नहीं रही थी… कहा अब प्यार की वर्षा कर रही हो मेरे ऊपर.”
“बहुत दिन से दबा रखा था ना दिल में ये प्यार… आज निकल रहा है…तुम्हारे लिए.”
दोनों भावनाओं में बह रहे थे. रोहित अपना चेहरा शालिनी के चेहरे के बहुत करीब ले आया. दोनों की गरम-गरम सांसें आपस में टकरा कर प्यार की गर्मी बढ़ा रही थी. एक पल के लिए वक्त थाम गया. दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे. बहुत धीरे से रोहित ने अपने होंठ शालिनी के होठों की तरफ बढ़ाए. इस बार शालिनी ने अपना चेहरा नहीं घुमाया. जब दोनों के होंठ आपस में टकराए तो ऐसा लगा जैसे बरसों के मिलन की प्यास पूरी हो गयी. दोनों पूरी तरह डूब गये एक दूसरे में. उन्हें ये अहसास भी नहीं रहा की वो उस वक्त जंगल में हैं.
भावनायें भड़क रही थी दोनों की और ऐसा लग रहा था की एक दूसरे के लिए जन्मो से प्यासे हैं. रोहित ने किस करते करते एक हाथ से शालिनी के उभार को थाम लिया और उसे ज़ोर से मसलने लगा. सब कुछ अपने आप हो रहा था. शालिनी को जब रोहित का हाथ अपने उभार पर महसूस हुआ तो उसने अपने होंठ रोहित के होठों से अलग करने की कोशिश की. पर रोहित ने उसके होठों को काश कर दबा लिया अपने होठों में. कुछ देर बाद उसने खुद को अपनी भावनाओं के हवाले कर दिया. प्यार करती थी वो रोहित से. बहुत ज्यादा प्यार. उसे रोंका नहीं चाहती थी अब. बह जाना चाहती थी प्यार में वो. अचानक रोहित हाथ गया और शालिनी को गोदी में उठा लिया.
“क्या कर रहे हो.”
“घर चलते हैं…यहां हम एक दूसरे में खो नहीं पाएँगे.”
शालिनी ने बिना कुछ कहे अपनी आंखें बंद कर ली.
कार में बैठ कर वो घर की तरफ चल दिए. जंगल से बाहर निकल कर शालिनी ने चौहान को फोन करके जंगल में सड़क पर कार में पड़ी लाश का पोस्टमारतें करने को बोल दिया. पूरा रास्ता शालिनी खामोश रही. रोहित ड्राइव कर रहा था. शालिनी उसके कंधे पर सर रख कर बैठी थी. दोनों खामोशी से अपने प्यार का जशन मना रहे थे. कई बार खामोशी का जशन शोर शराबे वाले जशन से ज्यादा सुंदर होता है.
रोहित ने घर के बाहर कार रोक कर कहा, “चलें…”
“पहली बार तुमसे डर लग रहा है मुझे.”
“आस्प साहिबा क्यों डर रही हैं?”
“मैं इस सब के लिए तैयार नहीं थी. ई आम इन शॉक.”
“मैंने भी कहा सोचा था. मुझे तो ये लगता था की हमारी किस मुमकिन ही नहीं हैं क्योंकि आप दाँत दपट कर मुझे दूर ही रखेंगी.”
“हहेहेहहे….फिर क्यों किस किया मुझे.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 59
“समझ रहा हूँ पर यार इतना भी कोई मजबूर नहीं हो सकता की अपने प्यार का गला घोत दे.”
“वो सब ठीक है. अब जब तुम जा ही रहे हो यहां से तो क्या नाराज़ हो कर जाना जरूरी है. उस से मिल कर जाओ.”
“वही करना चाहता था. कल मेरी उस से बहस हो गयी और उसने मुझे अपने कमरे से दफा हो जाने को कहा. प्यार के दो बोल तो बोले नहीं आज तक ‘गेट आउट’ बड़ी जल्दी बोल दिया. खुद को पता नहीं क्या समझती है. बहुत दुख हुआ मुझे कल. कल मुझे अहसास हुआ की मैंने किस जालिम से प्यार किया है.”
“वो जालिम होती तो रो कर ना जाती यहां से.”
“पूजा को कोई गलत फ़हमी हुई होगी. वो रो ही नहीं सकती मैं शर्त लगा सकता हूँ इस बात की.”
“पूजा इधर आना.” मोहित ने पूजा को आवाज़ दी.
पूजा भी उठ कर उनके पास आ गयी.
“क्या बात है मोहित?”
“तुमने देखा था ना अपनी आंखों से शालिनी को रोते हुए.” मोहित ने पूछा.
“हाँ मैंने देखा था.”
“अरे उसकी आँख में कुछ गिर गया होगा…इसलिए नाम हो गयी होंगी आंखें.” रोहित मान-ने को तैयार नहीं था.
“उसकी आंखें बरस रही थी रोहित. होठों तक आँसू आ गये थे उसके. ऐसा आंखों में कुछ गिरने से नहीं होता. ऐसा तभी होता है जब किसी के दिल पर चोट लगती है. तुमने उसे इग्नोर क्यों किया रोहित?”
“पूजा तुम नहीं समझोगी” रोहित ने कहा.
“रोहित जाओ यार उसके पीछे…बात करो उस से. जिसे प्यार करते हो उसे ऐसे दुख देना सही नहीं है.”
“दुख तो मुझे मिल रहा है. उसे क्या दुख मिलेगा. मैं किसी के पीछे नहीं जाने वाला. मैं कल यहां से जा रहा हूँ कोई टेन्शन नहीं चाहता मैं जाते जाते. कोई रोता है तो रोता रहे. खुद को मजबूर उसने बना रखा है मैंने नहीं. अपने आँसुओ के लिए वो खुद जिम्मेदार है.”
“ये आँसू तुमने उसे दिए हैं…उसे इग्नोर करके.” पूजा ने कहा.
मोहित ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, “चोदा रोहित…तुम शादी एंजाय करो…हम क्यों बेकार की बहस कर रहे हैं…चलो पूजा बैठते हैं अपनी हॉट सीट पर.”
पूजा ने मोहित को सवालिया नज़रो से देखा. सीट पर बैठ कर मोहित ने पूजा के कान में कहा, “नाटक कर रहा है ये. अभी देखना कैसे दौड़ के जाएगा उसके पीछे. उसके चेहरे पर हल्की से शिकन भी ये बर्दास्त नहीं कर सकता आँसू तो बहुत बड़ी चीज़ है.”
“अतचा…काश ऐसा प्यार हमें भी करे कोई.” पूजा हंसते हुए बोली.
“तुम रो कर तो दीखाओ…मैं तुम्हारे हर आँसू के लिए प्यार की एक दास्तान लिख दूँगा. बहुत प्यार करता हूँ तुम्हें.”
“पता है मुझे.”
“हम भी हैं यहां गुरु. तुम दोनों हमें इग्नोर करोगे तो मैडम की तरह हम भी रो कर उतार जाएँगे स्टेज से.”
“उतार जाओ यार जल्दी. डिस्टर्ब मत करो हमें.” मोहित ने कहा.
“चलो पद्मिनी यहां हमारी किसी को जरूरत नहीं है.” राजू ने पद्मिनी का हाथ पकड़ कर कहा.
“अरे रुको मोहित मज़ाक कर रहा है” पूजा ने आवाज़ दी.
“जानता हूँ….मगर दूसरे लोग इंतजार कर रहे हैं. हम ही स्टेज घेरे रहेंगे तो बाकी लोग सेगन कैसे देंगे….अरे रोहित सर कहा गये.” राजू ने कहा.
मोहित और पूजा ने तुरंत पीछे मूंड़ कर देखा. “देखा गया ना शालिनी के पीछे.” मोहित ने कहा.
“क्या पता कही और गया हो?” पूजा ने कहा.
“हो ही नहीं सकता. वो उसी के पीछे गया है. तुमने उस रात नहीं देखा. जब साइको शालिनी को बार्ब वाइयर लिपटे बेसबॉल बात से पीटने वाला था तो रोहित शालिनी के ऊपर लेट गया था. पूरी कमर चील गयी थी उसकी मगर हटा नहीं था शालिनी के ऊपर से.”
“जब रोहित इतना प्यार करता है शालिनी से तो वो कही और शादी क्यों कर रही है.” पूजा ने पूछा.
“कुछ तो मजबूरी है उनकी वरना यू ही कोई बेवफा नहीं होता.” मोहित ने कहा.
“ये बात भी है. मुझसे तो देखे ही नहीं गये उसके आँसू. एक पल को तो मैं हैरान रही गयी. मुझे यकीन ही नहीं हुआ की शालिनी ऐसे रो सकती थी.”
“प्यार इंसान से सब कुछ करवा देता है. वैसे आँसू तुम्हारे भी निकलेंगे थोड़ी देर में.”
“हाँ बापू बहुत ख़ूस्स हैं. दीदी भी बहुत खुश है. मैं सबसे ज्यादा खुश हूँ. रोने का मान नहीं है पर रोना आ जाएगा क्योंकि ही इतनी ज्यादा है.” पूजा ने कहा.
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शालिनी स्टेज से उतार कर सीधी अपनी कार के पास आ गयी थी. आँसुओ को थाम रही थी वो पर जब भावनाओं का उफान आता था तो उसकी हर कोशिश बेकार जाती थी.
“मेरी तरफ देखा तक नहीं तुमने. कितनी बेचैन थी तुमसे मिलने के लिए मैं. पर तुम्हें क्या फर्क पड़ता है. कहने को तुम मुझे प्यार करते हो पर मेरी बिलकुल परवाह नहीं तुम्हें. ई हटे यू…”
रोहित जब वहां पहुँचा तो शालिनी अपनी कार का दरवाजा खोल रही थी. रोहित ने तुरंत भाग कर उसका हाथ पकड़ लिया.
“कैसी हो तुम.” रोहित ने पूछा.
“हाथ चोदा मेरा.” शालिनी ने बिना पीछे मुड़े कहा. वो अपने आँसू रोहित को नहीं दीखाना चाहती थी.
रोहित ने शालिनी के हाथ पर पकड़ और मजबूत कर दी. “तुम रो क्यों रही थी.”
“तुमने कब देखा मुझे रोते हुए…तुम तो मुझे देख भी नहीं रहे थे.” शालिनी की आवाज़ में दर्द था.
“माफ करदो मुझे उस गुस्ताख़ी के लिए. तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ मैं. तुम्हें ना देख कर खुद को ही सजा दी मैंने.”
“मुझे कुछ नहीं सुन-ना तुमसे. चोदा मेरा हाथ.” शालिनी ने हाथ को ज़ोर से झटका. रोहित ने हाथ छोड दिया.
“लो छोड दिया हाथ तुम्हारा. मुझे कोई शॉंक नहीं है तुम्हारा हाथ पकड़ने का.”
शालिनी ने कार का दरवाजा खोला और अंदर बैठ कर कार स्टार्ट करके वहां से निकल गयी. शालिनी बहुत बढ़ता से नीलकी वहां से.
“पागल हो गयी है लगता है. इतनी बढ़ता से भागने की क्या जरूरत थी.” रोहित भी भाग कर अपनी कार में आया और कार स्टार्ट करके शालिनी के पीछे चल दिया.
शालिनी इतने गुस्से में थी की उसे ध्यान ही नहीं रहा की वो गलत रास्ते से मूंड़ गयी है. उसने कार जंगल के रास्ते पर मोड़ ली थी. उसे पता चल गया था की रोहित पीछे आ रहा है इसलिए उसने कार घूमने की कोशिश नहीं की. वैसे जंगल पार करके एक सड़क उसके घर तक जाती थी, इसलिए भी उसने गाड़ी नहीं मोदी.
“अब क्यों आ रहे हो तुम मेरे पीछे. कल से तो ना जाने कहा गायब हो गये थे. पहली बार इतना रोई मैं जींदगी में. तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगी मैं.”
अचानक शालिनी की नज़र सड़क के बीचो बीच खड़ी कार पर गयी. अभी वो कार से बहुत दूर थी मगर उसे ये साफ दीखाई दे रहा था की कार सड़क के बीच में खड़ी है.
“ये सड़क के बीच में किसने पार्क कर रखी है कार.” शालिनी हैरत में पड़ गयी.
ना चाहते हुए भी शालिनी को ब्रेक लगाने पड़े. शालिनी ने कार में बैठे बैठे देखा गौर से उस कार को.
“कोई नज़र नहीं आ रहा कार में.”
चारों तरफ अंधेरा था. बस अपनी कार की लाइट की रंगे में ही देख पा रही थी शालिनी.
अचानक एक छींख सुनाई दी शालिनी को. “हेल्प…आहह ओह नो प्लीज़.”
शालिनी ने अपने पर्स से गुण निकाली और कार से बाहर आ कर जंगल की तरफ बढ़ी. तब तक रोहित भी पहुँच गया था वहां. रोहित तुरंत अपनी कार से बाहर आया शालिनी का हाथ पकड़ लिया, “रुको कहा जा रही हो तुम?”
“ष्ह चुप रहो….संबडी नीड्स हेल्प.”
“आस्प हो पर अकल एक ढेले की नहीं है. पहले देख तो लें की माजरा क्या है.”
रोहित सड़क के बीच खड़ी कार के पास आया. उसने झाँक कर देखा कार में. अगली सीट पर ड्राइवर की लाश पड़ी थी. उसके सर से खून बह रहा था.
“सर में गोली मारी गयी है इसके.”
तभी फिर से एक छींख सुनाई दी, “नहियीईई….प्लीज़……”
“किसी लड़की की आवाज़ है ये.” रोहित ने कहा.
“तुम जाओ यहां से मैं संभाल लूँगी.”
“अकेली क्या संभालॉगी तुम यहां.”
“पुलिस पार्टी बुला रही हूँ. तुम जाओ अपना काम देखो…क्या भूल गये तुम की तुम रिज़ाइन कर चुके हो. तुम्हें यहां रुकने का कोई हक़ नहीं है.”
“कैसे बुलाऊंगी यहां जंगल में सिग्नल ही नहीं आता फोन पर.” रोहित ने कहा.
“तो मैं खुद देख लूँगी की क्या करना है. यू गेट थे हेल आउट ऑफ हियर.” शालिनी ने कहा.
तभी एक और छींख सुनाई दी उन्हें. इस बार छींख किसी आदमी की थी.
शालिनी भाग कर जंगल में घुस गयी. रोहित भाग कर अपनी कार के पास आया.
“मेरी गुण कहा है यार. ये आस्प साहिबा मेरी जान ले लेगी.”
गुण सीट के नीचे पड़ी थी. 1 मिनट खराब हुआ गुण ढूंढ़ने में. गुण मिलते ही रोहित शालिनी के पीछे जंगल में घुस गया.
अंधेरा बहुत था जंगल में. रोहित भाग कर आया था जंगल में. शालिनी दीखाई नहीं दी और टकरा गया उस से. गिरते-गिरते बची वो.
“ये क्या बदतमीज़ी है.” शालिनी चिल्लाई.
“श… चुप रहो मैडम जी. गलती से टक्कर लग गयी. जान बुझ कर नहीं मारी मैंने.”
तभी गोली चलने की आवाज़ आई. रोहित ने शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे एक पेड़ के पीछे ले आया.
“क्या कर रहे हो तुम.”
“गोली चली…सुना नहीं क्या तुम्हें. हो सकता है हम पर चलाई गयी हो. पेड़ के पीछे रहना ठीक है.”
शालिनी भी गुस्से में थी और रोहित भी गुस्से में था. दोनों एक दूसरे से खफा थे. पेड़ से सात कर खड़े थे दोनों साथ साथ. उनका आधा ध्यान क्राइम को हैंडिल करने पर था और आधा ध्यान अपने बीच हो रही कशमकश पर था. कुछ-कुछ कोल्ड वॉर जैसी स्थिति बनी हुई थी.
“क्यों आए तुम मेरे पीछे.” शालिनी ने कहा.
“मान तो नहीं था आने का पर दिल से मजबूर हो कर आना पड़ा.” रोहित ने जवाब दिया.
“समझते क्या हो तुम खुद को…जब दिल किया मुझसे दूर चले जाओगे और जब दिल किया पास आ जाओगे. तुम…..”
“ष्ह…कोई इसी तरफ आ रहा है.” रोहित ने शालिनी के मुंह पर हाथ रख दिया.
“यही कही होने चाहिए वो लोग.”
“2 कार खड़ी हैं सड़क पर. मुझे डर लग रहा है. जग्गू चल उन दोनों का काम तमाम करके जल्दी निकलते हैं यहां से.”
“बब्बल तू संजू के पास वापिस जा. मैं देखता हूँ की ये कोन हमारे काम में टाँग अदाने आ गये. और हाँ लड़की से दूर रहना अभी. पहले मैं लूँगा उसकी. मस्त आइटम है साली.”
बब्बल के जाने के बाद जग्गू बंदूक ताने वही आस पास घूमता रहा. जब वो उस पेड़ के पास से गुजरा जिसके पीछे रोहित और शालिनी छुपे थे तो रोहित ने तुरंत पीछे से आकर उसके सर पर बंदूक रख दी.
“तू सुधरा नहीं जग्गू हां….ये बंदूक नीचे फेंक दे.” रोहित ने कहा.
“सर आप…”
“हाँ मैं…बंदूक नीचे फेंक जल्दी और हाथ ऊपर कर वरना भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“गोली मत चलना सर…ये लीजिए फेंक दी बंदूक मैंने.”
“गुड…. अब बताओ क्या चल रहा है यहां.” रोहित ने दृढ़ता से पूछा.
“कुछ नहीं चल रहा सर.”
“झूठ मत बोल तेरी खोपड़ी खोल दूँगा मैं.”
“सुपारी ले रखी है मैंने. अपना काम कर रहा था बस.”
“चल मुझे अपने साथियों के पास ले चल. ज़रा भी चालाकी की तो तेरा भेजा उड़ा दूँगा.”
“गोली मत चलना सर…मैं उनको छोड दूँगा.”
जग्गू चल दिया जंगल के अंदर की और. रोहित उसके पीछे पीछे उसके सर पर बंदूक रखे चल रहा था. शालिनी रोहित के पीछे थी. उसने भी बंदूक तन रखी थी हाथ में.
ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ा उन्हें. जब वो वहां पहुँचे तो रोहित ने देखा की संजू और बब्बल लड़की के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे.
“रुक जाओ वरना दोनों को चुत कर दूँगी मैं.” शालिनी चिल्लाई.
संजू और बब्बल तुरंत रुक गये शालिनी की आवाज़ सुन कर.
“सर आपके साथ कोन हैं?”
“आस्प साहिबा हैं. अपने साथियों से कहो की तुरंत दोनों को छोड देन.”
अचानक संजू ने रोहित के सर की तरफ फायर किया. गोली सर के बिलकुल पास से गुजर गयी. रोहित ने तुरंत उसकी तरफ फायर किया. मौके का फायदा उठा कर जग्गू ने रोहित को धक्का दिया और वहां से भाग गया. बब्बल और संजू भी वहां से भाग खड़े हुए. अंधेरे में वो तुरंत आंखों से ओझल हो गये. रोहित ने 2-3 फायर किए पर कोई फायदा नहीं हुआ. शालिनी उस लड़की के पास आई.
“कोन हो तुम. डरने की जरूरत नहीं है हम पुलिस वाले हैं?” शालिनी ने कहा.
“मेरा नाम गीता है. ये मेरे पति हैं सेखार. हम मुस्सूरीए जा रहे थे.”
“तुम दोनों को मारने की सुपारी दी गयी थी.” रोहित ने कहा.
“क्या हमें मारने की सुपारी?” सेखार ने हैरानी में कहा. वो बड़ी मुश्किल से उठा. बहुत बुरी तरह पीता गया था उसे.
“हाँ सुपारी…क्या बता सकते हो की कोन है ऐसा जो तुम्हें मारना चाहेगा.”
“हमारी तो किसी से दुश्मनी नहीं है. पता नहीं किसने दी ये सुपारी.” सेखार ने कहा.
अतचणक झाड़ियों में कुछ हलचल हुई और शालिनी गुण लेकर उस तरफ चल दी.
“अरे रुको कहा जा रही हो तुम?”
रोहित ने अपनी कार की चाबी सेखार के हाथ में रख कर कहा, “जाओ किसी होटल में रुक जाओ जाकर. तुम मुस्सूरीए नहीं जा सकते अभी जब तक तहकीकात पूरी नहीं हो जाती. तुम लोगों की कार भी यही रहेगी क्योंकि उसमें लाश पड़ी है.”
“आप अपनी कार दे रहे हैं हमें. आपको पता कैसे कहलेगा की हम कहा हैं और कोन से होटल में हैं. मोबाइल नो दे दीजिए अपना.”
“मेरी कार मेरे मोबाइल से कनेक्टेड है. तुम चिंता मत करो मैं ट्रेस कर लूँगा. जाओ तुम दोनों.”
उन दोनों के जाने के बाद रोहित शालिनी के पीछे गया.
शालिनी दबे पाँव आगे तरफ रही थी. रोहित ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, “क्या करना चाहती हो तुम. कहा जा रही हो.”
“ष्ह…झाड़ियों में कुछ हलचल हुई थी.”
“जंगल है… होगा कोई जानवर. चलो चलतें हैं.”
“मुझे लगता है उन तीनों में से कोई है”
“अरे वो यहां क्यों छुपे रहेंगे. इतना बड़ा जंगल है…वो बहुत दूर निकल गये होंगे.” रोहित ने कहा.
“तुम्हें क्या लेना देना मैं कुछ भी करूँ…कोन होते हो तुम मुझे टोकने वाले.” शालिनी चिल्लाई.
“जान बुझ कर ये सब नाटक कर रही हो ताकि मैं यही तुम्हारे साथ उलझा रहूं और कल सुबह की मेरी ट्रेन मिस हो जाए.”
“तुम्हें ये नाटक लग रहा है. मैं अपनी ड्यूटी कर रही हूँ और तुम बाधा डाल रहे हो. जाओ यहां से…… मुझे अकेला छोड दो.”
“शालिनी…तुम मुझसे गुस्सा हो जानता हूँ. गुस्से में ये सब करने की जरूरत नहीं है तुम्हें. चलो घर जाओ चुपचाप.”
“मैं चली जाऊंगी…तुम जाओ यहां से.”
रोहित ने शालिनी को दोनों कंधों से काश कर पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से सटा दिया.
“ये क्या पागल पान है. मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. बिना सोचे समझे कुछ भी किए जा रही हो” रोहित गुस्से में बोला.
“मुझे भी तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी जैसा तुमने मेरे साथ किया” शालिनी ने कहा
“दो यू लव में शालिनी.”
शालिनी ने रोहित को ज़ोर से धक्का दिया. धक्का इतनी ज़ोर का था की रोहित धदाम से नीचे गिरा. उसका सर एक पठार से टकराया. खून तो नहीं निकला पर दर्द बहुत हुआ. एक मिनट के लिए सर घूम गया रोहित का.
शालिनी दौड़ कर उसके पास आई, “चोट तो नहीं लगी तुम्हें.”
“मेरी यही औकात है तुम्हारी जींदगी में. काफी दफा हो जाने को बोल दो, कभी गेट आउट बोल दो और आज तो हद ही हो गयी. ऐसे धक्का दिया तुमने मुझे जैसे की मैं रेप अटेंप्ट कर रहा था तुम पर.” रोहित ने उठते हुए कहा.
शालिनी ने रोहित के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “सॉरी रोहित मैंने कुछ जान बुझ कर नहीं किया.”
“वाह पहले कत्ल कर दो और फिर सॉरी बोल दो. अरे मरने वाला तो मर गया ना. तुम्हारे सॉरी बोलने से क्या होगा अब.” रोहित ने कहा.
“तुम्हें जो समझना है समझो…मैं जा रही हूँ.” शालिनी वहां से चल पड़ी सड़क की तरफ. सड़क पर आकर शालिनी ने देखा की रोहित की कार वहां नहीं है.
“रोहित की कार कोन ले गया.” शालिनी ने अंदाज़ा लगाया की रोहित ने जरूर अपनी कार गीता और सेखार को दे दी होगी.
“मुझे क्या लेना देना मैं चलती हूँ यहां से.” शालिनी कार में बैठ गयी. इंजिन स्टार्ट कर लिया उसने पर कार को आगे नहीं बढ़ा पाई. वो बार बार जंगल की तरफ देख रही थी. 10 मिनट बीत गये पर रोहित नहीं आया. शालिनी बैठी रही चुपचाप कार में. बार बार इंजिन स्टार्ट करके बंद कर देती थी. दिमाग वहां से जाने को कह रहा था क्योंकि जंगल का एरिया था पर दिल वहां से जाने को तैयार नहीं था. जब आधा घंटा बीत गया तो शालिनी खुद को रोक नहीं पाई. वो कार से बाहर आकर उसी जगह वापिस आ गयी जहां वो रोहित को छोड कर गयी थी.
रोहित वही बैठा था जहां शालिनी उसे छोड कर गयी थी.
“क्या रात भर यही बैठने का इरादा है तुम्हारा. सादे 12 बज रहे हैं.” शालिनी ने कहा.
“मेरी कार मैंने उन दोनों को दे दी. तुम जाओ…”
“चलो मैं तुम्हें घर छोड दूँगी…”
“तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगा मैं…तुम जाओ… ई कॅन ताकि केर माइसेल्फ.”
“रोहित प्लीज़ उठो. मैं तुम्हें यहां छोड कर कैसे जा सकती हूँ”
“शालिनी तुम जाओ…मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकता.”
“ज़िद्द मत करो रोहित. उठो.”
“तुम जाओ ना…क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हो.”
“ई केर फॉर यू रोहित.”
रोहित ये शुंते ही उठा और शालिनी को फिर से कंधों से पकड़ कर पेड़ से सटा दिया.
“सच बताओ ये केर है या कुछ और?” रोहित ने पूछा.
“क्या मतलब… मैं कुछ समझी नहीं.”
“समझोगी भी नहीं क्योंकि तुम समझना ही नहीं चाहती.”
“रोहित प्लीज़ फिर से वही बहस शुरू मत करो.” शालिनी गिड़गिड़ाई.
रोहित कुछ देर खामोश रहा फिर गहरी साँस ले कर बोला, “प्लीज़ एक बार बता दो मुझे. क्या तुम मुझे प्यार करती हो. सिर्फ़ हाँ या ना में जवाब दे दो. आखिरी बार पूछ रहा हूँ तुमसे. फिर कभी नहीं पूछूँगा मैं”
शालिनी कुछ नहीं बोली. वो अजीब दुविधा में पड़ गयी थी. हाँ वो बोलना नहीं चाहती थी और ना कहने की उसमें हिम्मत नहीं थी.
“कुछ तो बोलो प्लीज़…मेरी खातिर.” रोहित गिड़गिडया.
शालिनी खामोश खड़ी रही.
रोहित आगे बढ़ा और अपने चेहरे को शालिनी के चेहरे के बहुत नज़दीक ले आया. दोनों की गरम गरम सांसें आपस में टकरा रही थी. रोहित ने अपने होंठ शालिनी के होठों पर रखने की कोशिश की तो शालिनी ने चेहरा घुमा लिया.
रोहित इतना भावुक हो गया की तुरंत उसकी आंखों में आँसू भर आए. कब उसका माता शालिनी की छाती पर टिक गया उसे पता भी नहीं चला. वो बस भावनाओं में बह कर रोए जा रहा था. शालिनी ने सर पर हाथ रख लिया रोहित के और वो भी रो पड़ी. बहुत ही इमोशनल पल था वो दोनों के बीच. दोनों उस पेड़ के नीचे खड़े रोए जा रहे थे उस प्यार के लिए जो उनके बीच था.
“शालिनी एक बात पूछूँ?” रोहित ने दर्द भारी आवाज़ में कहा.
“हाँ पूछो ना.”
“चोदा जाने दो. तुम जवाब तो देती नहीं हो.”
“पूछो प्लीज़…” शालिनी सुबकते हुए बोली.
“तुम क्यों रो रही हो. मैं तो इसलिए रो रहा हूँ क्योंकि तुम्हें खो दिया मैंने.”
“मैंने कल सुबह फिर से अंकल से बात की थी तुम्हारे बारे में. वो मान-ने को तैयार ही नहीं हैं. मुझे चेतावनी भी दे दी है उन्होंने की दुबारा बात की तुम्हारे बारे में तो उनका मारा मुंह देखूँगी. तुम्हें सिर्फ़ अपना प्यार दिखता है…मेरा प्यार तुम्हें दिखाई नहीं देता.”
“शुक्र है तुमने कबूल तो किया की तुम मुझे प्यार करती हो.” रोहित ने शालिनी की छाती से सर उठा कर कहा.
“हाँ करती हूँ प्यार. बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ तुम्हें. प्यार का इजहार करके अपने कदम वापिस नहीं खींचना चाहती थी इसलिए खामोस रहती थी.”
“आज क्यों बोल रही हो फिर.”
“क्योंकि मैंने तैय कर लिया है की मैं वहां शादी नहीं करूँगी जहां अंकल चाहते हैं. अगर उन्हें मेरी पसंद मंजूर नहीं तो मुझे भी उनकी मंजूर नहीं. मैंने शादी ना करने का फैसला किया है. शादी करूँगी तो तुमसे नहीं तो नहीं करूँगी.”
“कब किया ये फैसला.”
“अभी जब तुम मेरे शीने से लग कर रो रहे थे. मैं किसी और के साथ नहीं रही सकती रोहित.”
“तुम्हें नहीं पता की कितनी बड़ी दी है तुमने मुझे आज ये बात बोल कर. तुम्हारे प्यार के इस इजहार को हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा मैं.”
“रोहित”
“हाँ बोलो.”
“ई लव यू.”
“बस अब जान ले लाओगी क्या तुम. कहा तो बोल ही नहीं रही थी… कहा अब प्यार की वर्षा कर रही हो मेरे ऊपर.”
“बहुत दिन से दबा रखा था ना दिल में ये प्यार… आज निकल रहा है…तुम्हारे लिए.”
दोनों भावनाओं में बह रहे थे. रोहित अपना चेहरा शालिनी के चेहरे के बहुत करीब ले आया. दोनों की गरम-गरम सांसें आपस में टकरा कर प्यार की गर्मी बढ़ा रही थी. एक पल के लिए वक्त थाम गया. दोनों एक दूसरे से कुछ नहीं बोल रहे थे. बहुत धीरे से रोहित ने अपने होंठ शालिनी के होठों की तरफ बढ़ाए. इस बार शालिनी ने अपना चेहरा नहीं घुमाया. जब दोनों के होंठ आपस में टकराए तो ऐसा लगा जैसे बरसों के मिलन की प्यास पूरी हो गयी. दोनों पूरी तरह डूब गये एक दूसरे में. उन्हें ये अहसास भी नहीं रहा की वो उस वक्त जंगल में हैं.
भावनायें भड़क रही थी दोनों की और ऐसा लग रहा था की एक दूसरे के लिए जन्मो से प्यासे हैं. रोहित ने किस करते करते एक हाथ से शालिनी के उभार को थाम लिया और उसे ज़ोर से मसलने लगा. सब कुछ अपने आप हो रहा था. शालिनी को जब रोहित का हाथ अपने उभार पर महसूस हुआ तो उसने अपने होंठ रोहित के होठों से अलग करने की कोशिश की. पर रोहित ने उसके होठों को काश कर दबा लिया अपने होठों में. कुछ देर बाद उसने खुद को अपनी भावनाओं के हवाले कर दिया. प्यार करती थी वो रोहित से. बहुत ज्यादा प्यार. उसे रोंका नहीं चाहती थी अब. बह जाना चाहती थी प्यार में वो. अचानक रोहित हाथ गया और शालिनी को गोदी में उठा लिया.
“क्या कर रहे हो.”
“घर चलते हैं…यहां हम एक दूसरे में खो नहीं पाएँगे.”
शालिनी ने बिना कुछ कहे अपनी आंखें बंद कर ली.
कार में बैठ कर वो घर की तरफ चल दिए. जंगल से बाहर निकल कर शालिनी ने चौहान को फोन करके जंगल में सड़क पर कार में पड़ी लाश का पोस्टमारतें करने को बोल दिया. पूरा रास्ता शालिनी खामोश रही. रोहित ड्राइव कर रहा था. शालिनी उसके कंधे पर सर रख कर बैठी थी. दोनों खामोशी से अपने प्यार का जशन मना रहे थे. कई बार खामोशी का जशन शोर शराबे वाले जशन से ज्यादा सुंदर होता है.
रोहित ने घर के बाहर कार रोक कर कहा, “चलें…”
“पहली बार तुमसे डर लग रहा है मुझे.”
“आस्प साहिबा क्यों डर रही हैं?”
“मैं इस सब के लिए तैयार नहीं थी. ई आम इन शॉक.”
“मैंने भी कहा सोचा था. मुझे तो ये लगता था की हमारी किस मुमकिन ही नहीं हैं क्योंकि आप दाँत दपट कर मुझे दूर ही रखेंगी.”
“हहेहेहहे….फिर क्यों किस किया मुझे.”
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 59