भूतिया कहानी -सहेली का साया

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rajaarkey
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भूतिया कहानी -सहेली का साया

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 18:36

भूतिया कहानी -सहेली का साया

यह किस्सा मेरे एक दोस्त तरुण की छोटी बहिन सोन्दर्या का है जो मेरे मित्र ने मुझे अपनी आप बीती बताई |उसकी “लाज़िया” नाम की लड़की के साथ दोस्ती थी वो दोनों में गहरी दोस्ती थी|लाज़िया हो या सोन्दर्या दोनों में कोंई भी किसी भी काम के लिए निकलता तो दोनों हर बात एक दुसरे को बताते थे सोन्दर्या हर काम को करती थी जो लाज़िया उससे बोलती, और लाज़िया की भी यही आदत थी |
लाज़िया को घर से बाहर जाने की अनुमति बहुत ही कम मिल पाती थी क्योंकि उसके अम्मी-अब्बू बहुत ही सख्त मिज़ाज के थे |इसलिए खाने-पीने की चीज़े भी वो सोन्दर्या से मंगवाती थी| और सोन्दर्या घर पे उसके काम में हाथ भी बंटा देती थी|लाज़िया की जल्दी ही शादी कर दी गई और वो अपने ससुराल चली गई उसके डेढ़ साल बाद वो डिलीवरी के लिए अपने मायके आई तो फिर से दोनों सहेलियों का समय साथ बीतने लगा|जब डिलेवरी का समय आया तो उसके जुड़वाँ लड़के हुए लेकिन लाज़िया बच नहीं पायी क्योंकि उसकी डिलेवरी में काफी समस्याए आ गई थी |
अब उसके जनाज़े में सोन्दर्या का पूरा परिवार गया था|सोन्दर्या मन ही मन रो रही थी और अपनी प्यारी सहेली के जनाज़े को देखकर चुप-चाप बैठी थी |अचानक ही थोड़ी देर बाद उसकी उदासी टूट गई और वो हलकी सी मुस्कुराने लगी और घर से बाहर निकल गई|इधर तरुण ने बहन को वहाँ नहीं देखा तो अपने पिता से मालूम किया तो उन्हें भी सोन्दर्या का पता नहीं था | तब तरुण ने घर से बाहर निकलकर देखा तो उसे बड़ा अजीब लगा सोन्दर्या अनजान राहों पर किसी से बात कर रही थी और खिलखिला कर हंस रही थी |
तभी तरुण ने सोन्दर्या को आवाज़ देकर पास बुलाया और पुछा- सोन्दर्या तू किससे बात कर रही थी, तब सोन्दर्या ने बताया भैया यह सब तो फालतू में ही रो रहे है जबकि लाज़िया तो वहाँ खड़ी है | तरुण सकपकाते हुए बोला कि तू पागल है क्या तूने लाज़िया को खुद वहाँ देखा है तो वो यहाँ कैसे हो सकती है |तभी उसने अंगुली से इशारा करते हुए उसकी स्तिथि को बताया तरुण को कुछ भी दिखाई नहीं दिया|अब दिन बीतने लगे रोज़ सोन्दर्या अकेले में कभी छत पर तो कभी बालकनी में किसी से बात करती हुई मिल जाती थी |
अचानक ही सोन्दर्या बीमार पड़ गई उसका कही इलाज़ नहीं बैठ रहा था |पर वो हमेशा किसी से बात करती हुई मिल जाती थी| यह देखकर उसके घर वाले बहुत ही परेशान रहते थे |एक दिन तो बहुत गज़ब ही हो गया, सोन्दर्या ने माँ से खाना माँगा तो वो अपनी क्षमता से ज्यादा खाने लगी उसकी माँ हैरत में पड़ गई | और खाना खाते-खाते कुछ बडबडा भी रही थी तो उसकी माँ को बड़ा आश्चर्य हुआ की सोन्दर्या कभी भी इस तरीके का बर्ताव नहीं करती है इसको हो क्या गया है |फिर अचानक वो अपनी माँ से गोश्त की मांग करने लगी और कुछ अरबी भाषा में भी बडबडा रही थी |उसकी माँ को किसी प्रेत का साया जैसा लगने लगा | उसे ये कुछ अलग ही माज़रा लगने लगा था तब उसकी माँ ने लाज़िया की माँ से पूछा तो उसने बताया कि ये अरबी भाषा में बकरे का गोश्त मांग रही है और बोल रही है की इसकी सांस इसको गोश्त खाने को नहीं देती थी |यह सब सुनकर सोन्दर्या की माँ का दिल बैठ गया |
तभी लाज़िया की माँ ने कहा कि मैं एक “मज़ार” पे जाती हूँ वहाँ एक बाबा है वो सभी तरीक़े का इलाज़ जानते है मैं उनको बुला कर लाती हु |जब वो बाबा आये तो वो देखते ही सारा माज़रा समझ गए उन्होंने बताया की (सोन्दर्या) उन्ही की बेटी लाज़िया से बातें करती है |अच्छा हुआ तुमने मुझे समय रहते बुला लिया नहीं तो ये लड़की कल सुबह तक नहीं बच पाती और वो इसे रात में ही अपने साथ ले जाती और ये धीरे-धीरे उन दोनों बच्चो को भी अपने साथ ले जायेगी जिनको इसने जन्म दिया है|इसके लिए मैं एक ताबीज़ बना दूंग|जब तक आप अपने घर में लोबान का धुप-अगरबत्ती करो बाकी मैं सब देख लूँगा | तो दोस्तों इस तरह तरुण की बहन के साथ हादसा होते-होते बच गया |अब उसकी शादी हो चुकी है और वो उस ताबीज की वजह से अपने ससुराल में सही जिंदगी बिता रही है लेकिन जब भी अपने मित्र से उसकी बेहेन के बारे में जिक्र करता हु तो ये बाते याद आ जाते है कि किस तरह “सहेली के साए ” से उसने छुटकारा पाया |
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इस किस्से में हमे यह देखने को मिला कि अपने करीबी रिश्तेदार या मित्र जब हमको छोड़कर चले जाते है तो अगर आत्मा को शान्ति नहीं मिले तो उन्हें कसी रूप में अपने अंजाम तक पहुचने की कोशिश करती है | यदि आपने कभी ऐसा महसूस किया हो तो हमे जरुर बताये | आप अपनी कहानी इस फोरम पर पोस्ट करे।

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