अमावस की रात

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rajaarkey
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अमावस की रात

Unread post by rajaarkey » 10 Nov 2014 14:46

अमावस की रात

सपनों की नगरी मुंबई के बारे में तो हम सभी जानते हैं. लेकिन शायद किसी को भी यह नहीं पता कि छोटे शहरों के लोगों के बड़े-बड़े सपनों को पूरा करने वाले इस शहर से एक ऐसी भयानक दास्तां जुड़ी हुई है जो किसी की भी रूह को हिला कर रख देगी.


माना जाता है जिस तरह इस संसार में सच के साथ झूठ और अच्छाई के साथ बुराई का भी वास है उसी प्रकार अगर हम ईश्वरीय ताकतों पर भरोसा करते हैं तो हमें शैतानों पर भी विश्वास करना ही पड़ेगा.

इस लेख में हम आपको माहिम (मुंबई) की एक ऐसी चॉल के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कई लोगों ने ऐसी ही बुरी ताकतों का अनुभव किया है. यहां रहने वाली अदृश्य ताकतों के घेरे में कई लोग आ चुके हैं.


माहिम की इस चॉल के बीचोबीच एक कुंआ है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि आज से 25 साल पहले जब चॉल में ही रहने वाली एक 50 वर्षीय महिला सुलोचना इस कुएं से पानी भर रही थी तभी अचानक उसका पैर फिसल गया और वह कुएं में जा गिरी. कुएं में गिरने के बाद वह मदद के लिए काफी चीखी-चिल्लाई लेकिन इससे पहले की कोई उसकी मदद के लिए आता पानी के अंदर दम घुट जाने के कारण उसकी मौत हो गई.


इस चॉल में रहने वाले लोगों का कहना है कि अगर कभी रात के समय वह उस कुएं के पास से गुजरते हैं तो उन्हें वहां एक औरत नजर आती है. वह औरत किसी को कुछ नहीं कहती लेकिन गुमसुम सी वहीं आसपास घूमती रहती है.


मुंबई के माहिल इलाके में पैराडाइज सिनेमा के ठीक पीछे एक इमारत है. इस इमारत को राम साकेत बिल्डिंग कहा जाता है और इसी बिल्डिंग के कंपाउंड में है वो कुआं जिसे अब सील कर दिया गया है. क्योंकि लोगों का मानना था कि अगर इस कुएं को खुला रखा गया तो स्थानीय लोगों के लिए यह नुकसानदेह साबित हो सकता है. वैसे तो इस कुएं के आसपास जिस आत्मा को भटकते हुए देखा गया है वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती.



इस चॉल में रहने वाले एक वृद्ध व्यक्ति का कहना है कि जिस महिला का पांव फिसलने की वजह से वह कुएं में जा गिरी थी, वह महिला उनकी परिचित थी और जिस महिला की आत्मा कुएं के पास विचरण करती है वह उसी की है.


हैरानी की बात तो यह है कि उस वृद्ध व्यक्ति का कहना है कि वह आत्मा हर अमावस्या की रात को यहां जरूर आती है और सुबह होते ही गायब हो जाती है. इतना ही नहीं इस चॉल के मालिक रिचर्ड हर रोज आकर कुएं के पास फूल चढ़ाकर जाते हैं ताकि वह आत्मा शांत रहे.


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