मायाजाल

Horror stories collection. All kind of thriller stories in English and hindi.
007
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Re: मायाजाल

Unread post by 007 » 10 Dec 2014 08:29

आखिर इस जिन्दगी का ही क्या निष्कर्ष है ? शायद कोई नहीं जानता । एक विशाल तूफ़ानी सैलाव की तरह जिन्दगी सबको बहाये ले जा रही है । कल जो अच्छा बुरा हुआ था ।उस पर हमारा कोई वश नहीं था । आगे भी जो होगा । उस पर भी कोई वश नहीं होगा । बच्चों की टाय ट्रेन की सीट पर बैठे किसी नादान बच्चे के समान ही इंसान जिन्दगी की इस रेल में गोल गोल घूम रहा है ।
रोज दिन होता है । रोज फ़िर वही रात होती है । रोज वही निश्चित दिनचर्या । कोई मरता है । कोई जीता है । कोई सुखी है । कोई दुखी है । कोई अरमानों की सेजपर मिलन के फ़ूल चुन रहा है । कोई विरहा के कांटों से घायल दिन गिन रहा है । पर जिन्दगी मौत को इस सबसे कोई मतलब नहीं ।उसका काम निरन्तर जारी ही रहता है ।
जस्सी की समस्या का भी कोई हल अभी समझ में नहीं आया था । बल्कि अभी समस्या ही समझ में नहीं आयी थी । बल्कि कभी कभी ये भी लगता था कि उसे दरअसल कोई समस्या ही नहीं थी । उसकी सभी मेडिकल रिपोर्ट नार्मल आयी थी । उनमें वीकनेस जैसा कुछ शो करने वाला भी कोई प्वाइंट नहीं था । तब डाक्टरों ने वैसे ही उसे टानिक टायप सजेस्ट कर दिया था ।
और वह पहले की तरह आराम से कालेज जाती थी । हाँ बस इतना अवश्य हुआ था कि राजवीर ने अब मनदीप से छुपाना उचित नहीं समझा था । और उसे सब कुछ न सिर्फ़ बता दिया था । बल्कि मौके पर दिखा भी दिया था । तब बराङ पहली बार चिंतित सा नजर आया ।और गम्भीरता से इस पर सोचने लगा । पर वह बेचारा क्या सोचता । ये तो उसके पल्ले से बाहर की बात थी । वह सिर्फ़ महंगे से महंगा इलाज करा सकता था । किसी की ठीकठाक राय पर अमल कर सकता था । या फ़िर शायद वह कुछ भी नहीं कर सकता था । और कुदरत का तमाशा देखने को विवश था । और तमाशा शुरू हो चुका था ।

सुबह के नौ बज चुके थे । जस्सी स्कूटर से कालेज जा रही थी । हमेशा की तरह उसके पीछे चिकन वाली उर्फ़ गगन कौर बैठी हुयी थी । और वह रह रहकर जस्सी के नितम्बों पर हाथ फ़िराती थी ।
जस्सी को उसकी ऐसी हरकतों की आदत सी पङ चुकी थी । बल्कि अब ये सब उसे अच्छा भी लगता था । गगन इस मामले में बहुत बोल्ड थी । जब क्लासरूम में टीचर ब्लेक बोर्ड पर स्टूडेंट की तरफ़ पीठ किये कुछ समझा रहा होता था । वह जस्सी को शलवार के ऊपर से ही सहलाती रहती थी । और जब तब उसके स्तन को पकङ लेती थी । उत्तेजित होकर मसल देती थी ।
- जस्सी । ख्यालों में डूबी गगन बोली - काश यार क्लासरूम की सीट पर कोई ब्वाय हमारे बीच में बैठा होता । तो मैं उसका हैंडिल ही घुमाती रहती । और वह बेचारा चूँ भी नहीं कर पाता ।
- क्यों ! जस्सी मजा लेती हुयी बोली - वो क्यों चूँ नहीं कर पाता । क्या वो टीचर को नहीं बोल सकता । तू उसका पाइप उखाङने पर ही तुली हुयी है ।
- अरे नहीं यार । वह बुरा सा मुँह बनाकर बोली - ये लङके बङे शर्मीले होते हैं । वो बेचारा कैसे बोलता । मैं उसके साथ क्या कर रही हूँ । देख तू कल्पना कर । तू किसी भीङभाङ वाले शाप काउंटर पर झुकी हुयी खङी है । अबाउट45 डिगरी । फ़िर पीछे से तुझे कोई फ़िंगर यूज करे । अपना हैंडिल टच करे । बोल तेरा क्या रियेक्ट होगा ।
- मैं चिल्लाऊँगी । शोर मचाऊँगी । उसको सैंडिल से मारूँगी ।
- ओह शिट यार । ये सब फ़ालतू के ख्यालात है ।कोई भी ऐसा नहीं कर पाता । देख मैं बताती हूँ । क्या होगा । तू यकायक चौंकेगी । सोचेगी । ये क्या हुआ । और फ़िर तेरा माउथ आटोमैटिक लाक्ड हो जायेगा । तू सरप्राइज्ड फ़ील करेगी । एक्साइटिड फ़ील करेगी । अब 1% को मान ले । तू चिल्लायेगी । उसको सैंडिल से मारेगी । मगर जमा पब्लिक को क्या बोलेगी । उसने तुझे सेक्सुअली टच किया । कहाँ किया । कैसे किया । बता सकेगी । साली इण्डियन लेडी । भारतीय नारी । घटिया सोच ।
जस्सी भौंचक्का रह गयी । वह चिकन वाली को बे अक्ल समझती थी । पर वह तो गुरुओं की भी गुरु थी । पहुँची हुयी थी । नम्बर एक कमीनी थी । टाप की नालायक थी ।
- एम आई राइट ! गगन फ़िर से बोली - वो मुण्डा कुछ नहीं कह सकता ।मानती हैं ना । और फ़िर वो सालिआ क्यों कहने लगा । स्टडी और रोमेंस एक साथ । एक टाइम । किसी नसीब वाले को ही नसीब हो सकते हैं ।
जस्सी को लगा । वह एकदम सही कह रही है । हकीकत और कल्पना में जमीन आसमान का अन्तर होता है । एक बार उसको भी एक आदमी ने उसके नितम्ब पर चुटकी काटी थी । पर तब वह सिटपिटा कर भागने के अलावा कुछ नहीं कर पायी थी ।

- जस्सी । गगन फ़िर बोली - तुझे मालूम है । मेरी वर्जिनिटी ब्रेक हो चुकी है । मैंने बहुत बार एंजाय किया है ।
जस्सी लगभग उछलते उछलते बची ।
- हाँ यार । वो साला मेरा एक ब्वाय फ़्रेंड था । मेरे पीछे ही पङ गया सालिआ । एक दिन वो मेरे को अपने दोस्त के खाली के मकान में ले गया । और मेरे लेप डाउन में अपना पेन ड्राइव इनसर्ट कर दिया । सालिआ अपना पूरा डाटा ही डाउनलोड करके उसने मुझे छोङा ।अभी मोटी अक्ल की भैंस । ये मत बोलने लगना कि - ये लेप डाउन क्या
होता है ? लेप टाप साले गंवार बोलते हैं । अभी तू बोल । लेपी कम्प्यूटर गोद में नीचे रखते हैं । या ऊपर ? जब गोद ही नीची हुयी । तो लेपी टाप कैसे हुआ । तब डाउन ही बोलो ना उसको ।
जस्सी के मुँह से जोरदार ठहाका निकला । क्या फ़िलासफ़ी थी साली की । एकदम सेक्सी बिच । इसको हर जगह हर समय एक ही बात नजर आती थी । हर डण्डे में अपनी झण्डी फ़ँसाना । क्या कुङी थी ये चिकन वाली भी ।
उसका अच्छा खासा सुबह सुबह का पढाई का मूड कमोत्तेजना में परिवर्तित हो गया था । एक तो वैसे ही सुन्दर और सेक्सी लङकी हर विपरीत लिंगी नजर के बर्ताव से सेक्सी फ़ीलिंग महसूस करती है ।उस पर गगन जैसी सहेली हो । फ़िर तो क्या बात थी । उसके बदन में चीटियाँ सी रेंगने लगी । एक भीगापन सा उसे साफ़ साफ़ महसूस हो रहा था । उसका दिल करने लगा था । गगन उससे किसी ब्वाय फ़्रेंड सा बर्ताव करे । और उसके जजबातों को दरिया खुलकर बहे । फ़िर उसने अपने आपको कंट्रोल किया ।
लेकिन अब नियन्त्रण करना मुश्किल सा हो रहा था । इस उत्तेजना को चरम पर पहुँचाये बिना रोका नहीं जा सकता था ।इच्छाओं का बाँध पूरे वेग से टूटने वाला था । सो उसने स्कूटर को कालेज की बजाय एक कच्चे रास्ते पर उतार दिया । जहाँ झूमती हुयी हरी भरी लहराती फ़सलों के खेतों का सिलसिला सा था । गगन एक पल को चौंकी । पर कुछ बोली नहीं । वे दोनों खेत में घुस गयी ।और एक दूसरे से खेलती हुयी सुख देने लगी ।
और तब जब जस्सी निढाल सी थकी हुयी सी सुस्त पङी थी । उसका दिमाग शून्य होने लगा । उसे तेज चक्कर से आने लगे । उसकी आँखे बन्द थी । पर उसे सब कुछ दिख रहा था । पूरा खेत मैदान उसे गोल गोल घूमता सा प्रतीत हुआ । खेतों में खङी फ़सल । आसपास उगे पेङ । उसका कालेज । सभी कुछ उसे घूमता हुआ सा नजर आने लगा । फ़िर उसे लगा । एक भयानक तेज आँधी सी आ रही है । और सब कुछ उङने लगा । घर । मकान । दुकान । लोग । वह । गगन । सभी तेजी से उङ रहे हैं । और बस उङते ही चले जा रहे हैं ।
और फ़िर यकायक जस्सी की आँखों के सामने दृश्य बदल गया । वह तेज तूफ़ान उन्हें उङाता हुआ एक भयानक जंगल में छोङ गया । फ़िर एक गगनभेदी धमाका हुआ । और आसमान में जोरों से बिजली कङकी । इसके बाद तेज मूसलाधार बारिश होने लगी । वे दोनों जंगल में भागने लगी ।पर क्यों और कहाँ भाग रही हैं । ये उनको भी मालूम न था । बिजली बारबार जोरों से कङकङाती थी । और आसमान में गोले से दागती थी । हर बार पानी दुगना तेज हो जाता था ।
फ़िर वे दोनों बिछङ गयीं । और जस्सी एक दरिया में फ़ँसकर उतराती हुयी बहने लगी । तभी उसे उस भयंकर तूफ़ान में बहुत दूर एक साहसी नाविक मछुआरा दिखायी दिया । जस्सी उसकी ओर जोर जोर से बचाओ कहती हुयी चिल्लाई । और फ़िर गहरे पानी में डूबने लगी ।
और तब जस्सी का सिर बहुत जोर से चकराया । और वह बचाओ बचाओ चीखती हुयी बेहोश हो गयी । अपनी धुन में मगन गगन कौर के मानों होश ही उङ गये । उसकी हालत खराब हो गयी । अचानक उसे कुछ नहीं सूझ रहा था । कुछ भी तो नहीं ।

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Re: मायाजाल

Unread post by 007 » 10 Dec 2014 08:31

पंजाब का खूबसूरत दिलकश वातावरण । हरे भरे खेतों से गुजरती हुयी ठण्डी मस्त हवा । बढिया मौसम । साफ़ और निर्मल पानी इस क्षेत्र की पहचान थी । कम आबादी के बीच सुन्दर तन्दुरुस्त औरतों का नजारा यहाँ आम था । ये पंजाब की हरियाली में रंग बिरंगे फ़ूलों की तरह खिली मालूम होती थी । और अपने यौवनांगों से किसी फ़लदार वृक्ष की भांति लदी मालूम होती थी । अलग अलग साइज के मनमोहक विशाल नितम्बों और खूबसूरत गोल नोकीले स्तनों वाली लङकियाँ दिलोदिमाग में आदिम प्यार की लहर सी उठाती थी । पंजाब का खाना पीना भी बहुत बढिया था । मक्की । ईख । गुङ । दूध से बनी बहुत सी चीजों लस्सी । मक्खन । दही । देसी शुद्ध घी । मलाई आदि आराम से शुद्ध रूप में उपलब्ध थी । तमाम पंजाबी लोग सरसों का साग । पालक । गोभी । गाजर । मूली । शलजम । आलू मटर । चने भटूरे । राजमाह । सोयाबीन । पनीर आदि खाने के बहुत शौकीन थे । खायो पियो । मौज उङाओ । जिन्दगी का पूरा पूरा मजा लो । यहाँ का प्रमुख सिद्धांत था । पंजाब की औरतें पनीर की तरह गोरी नरम गरम और तन्दुरुस्त अहसास देने वाली थी । मर्द शराब पीने के बहुत शौकीन थे । चाहे अंग्रेजी हो । या देशी । वे शराब रोज पीते थे । पंजाब की लडकियाँ कम उमर में ही कमसिन और जवान लगने लगती थी ।

ये शायद कुछ अजीव सी ही बात थी कि देश विदेश पूरी दुनियाँ घूम चुका प्रसून पंजाब पहली ही बार आया था । और आधुनिकता और पुरातनता के इस अनोखे खूबसूरत संगम से काफ़ी हद प्रभावित हुआ था । खास जब अधिकांश स्थानों की फ़िजा प्रदूषित हो चुकी थी । पंजाब अभी भी बहुत शुद्ध था । और जीवन की उमंगों से भरपूर था ।
वह पिछले तीन दिनों से यहाँ था । और अजीव सी उलझन में था । मनुष्य की सीधी साधी जिन्दगी में कितनी घटनायें हो सकती हैं । और उनके कितने प्रकार हो सकते हैं ? इसका वह अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया था । और ये पहला दिलचस्प केस था । जिसमें व्यक्तिगत तौर पर उसकी खुद की दिलचस्पी जागी थी । और उसे हैरानी थी कि पिछले तीन दिनों में वह किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचा था । निर्णय पर पहुँचता तो तब । जब सामने कोई बात नजर आती । जस्सी एकदम सामान्य थी । और पिछले तीन दिनों से न सिर्फ़ आराम से सोयी थी । बल्कि उसने सभी रुटीन भी पूरे किये थे ।
तब यदि उसके बाधा क्षणों के शूट किये गये वीडियो क्लिप यदि राजवीर ने न बनाये होते । तो उसे यही लगता कि ये लोग किसी भूत प्रेत के भृम का शिकार हो गये हैं । और तब पहले तो वो यहाँ आता ही नहीं । और यदि आता भी तो उन्हें समझा बुझाकर तुरन्त लौट जाता । वीडियो क्लिप वाली जस्सी और इस बेहद खूबसूरत जस्सी की कहानी एकदम अलग अलग ही थी ।
उसने एक सिगरेट सुलगायी और जस्सी की तरफ़ गौर से देखा । शाम का समय था । और अब तक कुछ भी समझ में न आने से वह घूमने के उद्देश्य से जस्सी के साथ उसके खेतों की तरफ़ निकल आया था । करीना कपूर जैसे लुक वाली गगन कौर उसके साथ थी । क्या कमाल की कुङी थी जस्सी भी । लगता है । ये किसी औरत से पैदा न होकर सीधा आसमान से उतरी हो ।
किसी हाई क्वालिटी अंग्रेज गोरी के लुक वाली इस अनिद्ध सुन्दरी की बिल्लौरी आँखे एकदम गहरे हरे रंग की थी । जो संभवतः उसके बाप मनदीप की गहरी भूरी आँखों पर गयी थी । जबकि राजवीर की आँखें काली ही थी

अत्यन्त तीखे नयन नक्श वाली दूध सी गोरी लम्बी तन्दुरुस्त जस्सी किसी एंगल से पंजाबी नहीं लगती थी । उसके लम्बे नागिन से लहराते बाल उसके घुटनों को छूते थे ।
गगन और जस्सी उससे दूर खङी थी । और शायद आपस में उसी के बारे में बातें कर रही थी । पर उसका पूरा ध्यान जस्सी और उसकी अदभुत समस्या पर ही केन्द्रित था । और अभी तक उसने सिर्फ़ इतना ही महसूस किया था कि उनकी कोठी पर किसी प्रकार की प्रेत छाया नहीं थी । जैसा कि राजवीर और करम कौर का ख्याल था । और जैसा कि अब इस दुनियाँ को रहस्यमय तरीके से अलविदा कह चुके ढोंगी बाबा गुरुदेव सिंह ने उन्हें जिन्न बाधा बताया था । जस्सी के कमरे में या उसकी खिङकी के पार भी कहीं कुछ नहीं था । जैसा कि उसे विवरण में बताया गया था । सबसे बङी बात जस्सी के दिमाग में कुछ नहीं था । जो कि उसने खुद देखा था । मगर उन वीडियो क्लिप में बहुत कुछ था । जो एन बाधा के वक्त किसी अज्ञात प्रेरणा से शूट हो गये थे । और प्रसून को एक नये खेल की चुनौती दे रहे थे ।
वह बखूबी जानता था । यदि इन क्लिप को किसी ऊँचे डाक्टर को दिखाया जाता । तो वो बिना किसी चेकअप के तुरन्त एक बीमारी की घोषणा कर देता - नींद में चलना । खुद उसका भी ख्याल कुछ कुछ ऐसा बनते बनते रह जाता था । पर उन क्लिप में जो वह देख रहा था । वो कोई डाक्टर शायद कभी न देख पाता । और वही तो अदभुत था । बेहद अदभुत ।
उसने आधी हो चुकी सिगरेट का अंतिम कश लिया । और सिगरेट को दूर उछाल दिया । फ़िर जब कोई बात उसे समझ में नहीं आयी । तो वह जवान लङकियों की दिलचस्प बातों में शामिल होने की जिज्ञासा लिये उनके पास आ गया । ये शायद पंजाव की फ़िजा का रोमांटिक प्रभाव था ।
- प्रसून जी ! जस्सी उसकी तरफ़ आकर्षित होकर मधुर स्वर में बोली - वैसे तो आप इंटरनेशनल पर्सन हो । पर पंजाब में । खास हमारे घर में । और हमारे ही सामने आपको मौजूद देखकर हम कितना ग्रेट फ़ील कर रहे हैं । शायद आप सोच भी नहीं सकते । ये चिकन वाली बोल रही है । प्लीज प्रसून जी से राजीव जी के बारे में कुछ पूछ ।
प्रसून यहाँ आने से कुछ ही पहले विदेश से लौटा था । उसके बाल कन्धों तक बङे हुये थे । किसी बर्फ़ीले स्थान में रहने के बाद उसकी गोरी रंगत किसी अंग्रेज के समान ही नजर आने लगी थी । और उसका लुक एकदम माइकल जेक्सन जैसा लग रहा था । जो लगभग उसी जैसे लुक वाली जस्सी को खासा आकर्षित कर रहा था । और चिकन वाली को सेक्सुअली एक्साइटिड कर रहा था । दोनों लङकियों ने उसे इम्प्रेस करने के लिये खासा सेक्सी परिधान पहना था । वे एक लूजर के साथ जींस पहने थी । उनके शर्ट से झलकते अधखुले उरोज मानों छलछलाकर बाहर निकलना चाहते थे ।
पर जब प्रसून ने इसका कोई नोटिस ही नहीं लिया । तो चिकन वाली खास तौर पर झुँझला गयी । और आदतानुसार चिढकर जस्सी से बोली - देख जस्सी । ये सालिआ मेरी बहुत इनसल्ट कर रहा है । ऐसा न हो कि ये कुछ और बात कर दे । नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगी । उदास हो जाऊँगी । निराश हो जाऊँगी । मैं रो पङूँगी । गुस्से में आकर इसका... काट दूँगी । टुईं.. टुईं । आई लव यू प्रसून बाबा ।

तब जस्सी ने बङी मुश्किल से उसका मूड चेंज किया । और फ़िर जब प्रसून उनकी तरफ़ मुङा । तो दोनों के दिल में मीठी मीठी अनुभूति सी हुयी । गगन की दरार तो रोमांच से भर उठी ।
- मैं..मैं इंटरनेशनल पर्सन ! वह उलझता हुआ सा बोला - ये क्या बोल रही हो आप ? और ये मिस्टर राजीव जी कौन हैं ?
- क्या ? दोनों लगभग उछल ही पङी । उनके छक्के छूट गये - आप राजीव जी को नहीं जानते । एक मिनट । गगन कुछ सोचते हुये बोली - और मानसी और नीलेश को ?
प्रसून कुछ देर सोचता सा रहा । मानों कुछ याद कर रहा हो । फ़िर वह बोला - नो । इनको भी नहीं । मैंने यह नाम शायद पहली बार सुने हैं ।
अबकी बार तो वे दोनों हङबङा ही गयीं । तब अचानक गगन कौर को बहुत ही अक्ल की बात सूझी । और वह जस्सी को लेकर थोङी दूर हो गयी । और फ़ुसफ़ुसाकर बोली - ये सालिआ 100% नकली है । ढोंगी है । फ़्राड है । राजीव जी की वजह से प्रसून को पूरा पंजाब जानता है । दुनियाँ जानती है । और ये बोल रहा है कि राजीव जी को नहीं जानता ।
हालांकि जस्सी को उसकी बात में दम लगा । पर वह इस हैंडसम से बहुत आकर्षित थी । एक तरह से दिल ही दिल मर मिटी थी । सो उसे गगन की ये बात उस टाइम बिलकुल अच्छी नहीं लगी ।
और वह भी फ़ु्सफ़ुसाकर बोली - गगन । गगन तू अक्ल से काम ले । तूने कौन सा राजीव जी को देखा है । अभी तू खुद उनसे जाकर बोले - आप प्रसून जी को जानते हैं । और बह बोलें । कौन प्रसून जी ? हो सकता है । यह बात भी हो । वह बोलें । कौन राजीव जी ? डार्लिंग हमें इस घनचक्कर से क्या लेना है । जो सामने हैं । उसको पकङ ना । या उसका पकङ ना ।
ये बात गगन के दिल पर सीधा टकरायी । कोई भी हो सालिआ । इससे क्या लेना । बस उसका स्टेयरिंग घुमाना है । और फ़िर वो जवान भी है । हैण्डसम भी है । भाङ में जाये ये सी आई डी । कौन राजीव जी एण्ड कौन प्रसून जी ।
- अच्छा छोङिये । जस्सी अपनी सुरीली आवाज में बोली - आप यू पी से बिलांग करते हैं ।

- नो ! वह भावहीन स्वर में बोला - कर्नाटक बैंगलौर से । ऐड्रेस बोलूँ क्या ? और मैं कीट बैज्ञानिक हूँ । पर उसके बजाय मनोबिज्ञान में मेरी खास दिलचस्पी है । मैंने अपनी गर्ल फ़्रेंड मार्था के साथ प्रेतों पर भी काफ़ी टाइम रिसर्च किया । और इस निष्कर्ष पर पहुँचा । भूत प्रेत महज अंधविश्वास है । प्रेत के नाम पर मैंने आज तक एक चुहिया भी नहीं देखी । आप लोगों को अभी तक कोई ऐसा एक्सपीरियेंस हुआ है । हुआ हो । तो प्लीज प्लीज मुझे बताईये । प्लीज प्लीज..याद करने की कोशिश करो । यदि कुछ भी..प्रेत के नाम पर एक मच्छर भी साबित हो जाय । तो मेरा रिसर्च से जुङा बहुत बङा काम हो जायेगा । फ़िर मार्था मुझे कम से कम दो नाइट के लिये एंजाय करायेगी । और मैं ऐसा चाहता भी हूँ ।

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Re: मायाजाल

Unread post by 007 » 10 Dec 2014 08:33

दोनों हसीनाओं के पास मानों शब्द ही शेष नहीं थे । जो वे कुछ कह पाती । उन्हें ऐसा लग रहा था । मानों उनका मूड ही खराब हो गया हो । उन्हें प्रसून के शब्द सुनाई दे रहे थे । प्लीज..प्लीज..प्लीज ।
जस्सी की निगाह दूर टिमटिमाते बल्ब पर गयी । अंधेरा घिर चुका था । और वे तीनों साये से नजर आने लगे थे । खेतों के आसपास के वातावरण में रात्रिचर कीटों की विभिन्न विचित्र आवाजें गूँजने लगी थी ।
उसकी एकटक निगाह उस जलते बल्ब के लाल बिन्दु पर टिकी सी रह गयी थी । उसकी आँखें किसी प्रेत के समान ही स्थिर हो गयी थी । गगन उसकी हालत से एकदम अनभिज्ञ थी । जस्सी शून्य 0 में घूम रही थी । और उसे रिकार्ड पर अटकी सुई की भांति प्रसून का यही शब्द सुनाई दे रहा था - प्लीज .प्लीज प्लीज..।
तब विलक्षण योगी रहस्यमय अन्दाज में मुस्कराया । उसका प्रयोग एकदम सफ़ल रहा था । जो घटना जो क्रिया उसके आने से उसके प्रभाव से समाप्त हो गयी थी । उसे वह वापिस ले आया था । और खास इसीलिये वह दोनों लङकियों के साथ यहाँ एकान्त में आया था । और अंधेरा होने का ही इंतजार कर रहा था । जस्सी कहाँ हैं । और क्या देख रही है ? ये सब उसके लिये अब खुली किताब पढने जैसा ही था ।
किसी शराबी की तरह झूमकर गिरती जस्सी को उसने गिरने से पहले ही बाँहों में थाम लिया । और किसी प्रेमिका की तरह अपनी बाँहों में भींच लिया । उसका ढीला ढाला लूजर उसके कन्धों से खिसक गया था । और उसके कठोर स्तन बाहर निकलकर प्रसून के सीने से दबे हुये थे । पर उस तरफ़ उसका कोई ध्यान न था । और वह किसी दीवाने के समान जस्सी के गालों से मुँह सटाये था । जस्सी की सांस बेतरह तेज चल रही थी । और उसके मुँह से हूँ हूँ हूँ की बहुत हल्की आवाज निकल रही थी । तब उसने जस्सी के होठों को अपने होठों में दबा लिया । और एक हाथ से उसके गोल गोल स्तनों को सहलाने लगा ।
गगन तो मानों भौचक्का ही रह गयी । उसके सारे बदन में चीटियाँ रेंगने लगी । उसका हाथ स्वयँ उसकी टाँगों के बीच जा पहुँचा । और स्वाभाविक ही वह अगले पल जस्सी और अपने साथ प्रसून के अभिसार की कल्पना करने लगी । पर वह बेहद हैरान थी । बीस मिनट से ऊपर होने जा रहे थे । और प्रसून उसी तरह जस्सी के होठों का रस पी रहा था । उसके स्तन मसल रहा था । नितम्बों को सहला रहा था । जस्सी तङप तङप कर उससे एकाकार होने को बेताब हो रही थी । पर ये उसे भी दिखाई नहीं दे रहा था कि वास्तव में वह अपने होश में ही नहीं थी ।
और उस समय तो उसे बेहद ताज्जुब हुआ । जब प्रसून ने जस्सी को उठाकर कार की सीट पर लिटाया । और उससे गगन जी बैठिये प्लीज बोला । तब उसने यही सोचा था कि वह कार की सीट पर सेक्स करने वाला है । पर उसके बैठते ही प्रसून ने गाङी स्टार्ट कर आगे बङा दी । जस्सी पीछे बेहोश पङी थी । और गगन जानबूझकर आगे उसके पास बैठी थी कि शायद प्रसून उसके साथ भी वैसा ही कुछ करने वाला है । पर उसने एक सिगरेट सुलगा ली थी । और आराम से सामने देखता हुआ ड्राइव कर रहा था । यहाँ तक झुँझलाकर गगन ने अपने स्तन लगभग बाहर कर लिये । और प्रसून से सटने लगी । पर वह जैसे वहाँ था ही नहीं । उसने कुछ झिझकते हुये से उसकी पेंट पर हाथ रख दिया । और वासना से भरी हुयी उसे टटोलने लगी । लेकिन उसे फ़िर भी कोई प्रतिक्रिया नजर नहीं आयी । तब उसने सोचा । वह साइलेंट गेम का ख्वाहिशमन्द हो रहा है । उसने अपनी शर्ट कन्धों से खिसका दी । और प्रसून की जिप खोल दी ।

वास्तविकता ये थी कि प्रसून अपनी पर्सनालिटी और योग मजबूरियों के चलते कई बार ऐसी स्थितियों में फ़ँस चुका था । इस लङकी को कोपरेट करना उसके लिये आवश्यक था । तब वह जस्सी पर फ़ुल एक्सपेरीमेंट कर सकता था । इस लङकी का जस्सी के साथ होना उसे तमाम शकों से दूर रखता था । दूसरे ये जस्सी के बारे में वह सब बता सकती थी । जो शायद उसके माँ बाप या दूसरा कोई और नहीं बता सकता था ।
इसके साथ ही जस्सी को जिस अटकाव बिन्दु से पार कराने के लिये उसने अभी अभी लोंग किस आदि किया था । उससे वह हल्की उत्तेजना भी महसूस कर रहा था । आखिर वह भी योगी से पहले एक इंसान था । उसके द्वारा कोई विरोध न करने पर चिकन वाली ने इसे उसकी मौन स्वीकृति समझा था । और वह पूरी बेतकल्लुफ़ी से उसकी टांगों के मध्य हाथ चला रही थी । उसने उसकी पेंट ऊपर से भी खोल दी । और जांघिये में हाथ ले गयी । उसकी सहूलियत के लिये प्रसून समकोण से अधिक कोण हो गया था । और उसने पैरों को फ़ैला लिया था ।
गगन को जैसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये क्षण उसके साथ ही घट रहे हैं । पर उसे हैरत भी हो रही थी । बीस मिनट से अधिक हो गये थे । प्रसून धीमी स्पीड में ड्राइव कर रहा था । पर न तो उसका घर ही आया था । और न ही प्रसून में कोई उत्तेजना पैदा हो रही थी । पर उसे नहीं पता था । गाङी विपरीत दिशा में जा रही थी । और प्रसून समता भाव का प्रयोग दुहराता हुआ योग में स्थित था । गगन की हालत खराब होने लगी । और वह सिसकती हुयी प्लीज प्रसून जी प्लीज सून करने लगी ।
तब उसने गाङी रोक दी । और गगन को सीट पर झुका दिया । उसके कठोर स्पर्श का अहसास होते ही उसकी आँखें बन्द हो गयी । एक पीङा भरी गर्माहट उसके अन्दर समाती जा रही थी । और फ़िर वह मीठे दर्द का अहसास करने लगी । वह दर्द जिसे पाने के लिये हर औरत तङपती है । वह अहसास जिसका रोमांच हर औरत के रोम रोम में समाया होता है ।

- क्या ? जस्सी उछलकर बोली - क्या सच में उसने मेरे साथ ऐसा किया था ।
उसके दरबाजे के समीप आ चुकी करम कौर के एकदम से कान खङे हो गये । शाम के चार बजे थे । वह राजवीर से मिलने आयी थी । पर सतीश से पता चला कि राजवीर बराङ साहब के साथ बाजार गयी हुयी थी । तब वह जस्सी के पास बैठने उसके कमरे की तरफ़ चली आयी थी । लेकिन कमरे में घुसने से पहले ही उसके कानों में गगन की आवाज पङी । और वह वहीं छुपकर सुनने लगी ।
- हाँ यार । गगन मगन सी होती हुयी बोली - पर तू भी साली ना । एकदम बेबकूफ़ ही है । एंजाय के टाइम सो जाती है । पता नहीं बेहोश हो जाती है । पता नहीं क्या हो जाता है तुझे । पूरा थर्टी मिनट उसने तुझे बिना ब्रेक किस किया । इधर का तो । उसने उसके स्तनों से इशारा किया - पूरा रस ही निचोङ दिया सालिआ ने । ओह गाड ! काश मुझे उस वक्त वह सब शूट करने की अक्ल आ गयी होती । क्या यादगार लम्हे थे ।
- फ़िर । जस्सी अपनी बङी बङी ग्रीन आँखें आश्चर्य से गोल गोल घुमाती हुयी बोली - फ़िर । फ़िर क्या किया ।
उन क्षणों को याद कर रोमांचित सी हुयी गगन नमक मिर्च लगाकर उसे सब बताती चली गयी । खासतौर से उसकी पौरुष क्षमता विशालता का उसने आदतानुसार अतिश्योक्ति वर्णन किया । जस्सी के सुन्दर चेहरे पर लज्जा और शर्म की लाली सी फ़ैलती चली गयी । अपने मधुर ख्यालों में वह अपने प्रेमी प्रियतम प्रसून के साथ किसी सुन्दर परी की तरह नीले अनन्त आकाश में उङती ही चली गयी ।
पर करम कौर पर इस आँखों देखे हाल सुनने का अलग ही असर हुआ । एक लस्टी पूर्ण पुरुष । और वह कामनाओं की भूखी एक औरत । स्वाभाविक ही उसने सोचा । क्या प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित हो सकता है । जरूर हो सकता है । वर्णन के अनुसार वह वाकई अनुभवी था । और ऐसे आदमी को तृप्त करना इन अनाङी लङकियों का वश नहीं था । जो इस खेल की सही ए बी सी डी भी नहीं जानती थी । उसको तृप्ति के चरम पर पहुँचाने के लिये करम कौर ही दम खम वाली थी । सेक्सी थी । अनुभवी थी । और हर तरह से पूरी औरत थी ।
वह दबे पाँव हाल में पहुँची । जहाँ सोफ़े पर अधलेटा सा प्रसून टीवी देख रहा था । उस पर निगाह पङते ही करमकौर अन्दर से दृवित सी होने लगी । क्या पर्सनालिटी थी लङके की । जैसे माइकल जैक्सन हेल्दी हो गया हो । करमकौर की आहट मिलते ही प्रसून उसकी तरफ़ आकर्षित होकर औपचारिक भाव से मुस्कराया । और बङी मधुरता से शालीनता से संक्षिप्त में बैठिये बोला ।
करमकौर को लगा । इसके सामने बैठने मात्र से ही वह नियन्त्रण खो देगी । लङकियों से लाइव कमेंटरी सुनकर पहले ही उसका बुरा हाल था । फ़िर प्रसून की मोहिनी मुस्कराहट और सम्मोहिनी दृष्टि से वह भावित होकर पानी पानी होने लगी । उसके अन्दर की पूर्ण औरत की मानों एक दृष्टि में ही धज्जियाँ उङ गयी । अब वह क्या चरित्र करे । अब तो वह सीधा सीधा कहना चाहती थी । प्लीज एक बार मुझे भी जिन्दगी में यह यादगार सुख दे दो । जन्म जन्म को तुम्हारी गुलाम हो जाऊँगी । तुम्हारे तलवे चाटूँगी ।
प्रसून किसी इंगलिश चैनल पर एक अजीव सी बोरिंग जैविक सरंचना पर डाक्यूमेंटरी देख रहा था । और उसने करमकौर पर दोबारा दृष्टि तक नहीं डाली थी । इससे करमकौर मन ही मन कसमसा रही थी । उसने बङे गौर से टीवी में चल रहे दृश्य को समझने मन लगाने की कोशिश की । पर उसको डाक्यूमेंटरी समझना तो दूर ।

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