यमदूत की लापरवाही

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The Romantic
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Re: यमदूत की लापरवाही

Unread post by The Romantic » 15 Dec 2014 16:46

“अरे तुम लोग क्यों रो रहे हो? जब तक मलूका ज़िंदा है तब तक किसी को भी रोने क़ी जरुरत नहीं है कुछ भी करूंगा लेकिन अपने बेटे को छुडा कर लाऊंगा” मलूकदास एक बार फिर अपनी पूरी हिम्मत बटोर कर उठ खडा हुआ.


“लेकिन पापा अब करेंगे क्या?” आरती ने पूछा.


“आरती तुम और शीतल उस औरत के घर जाओ जिसने अजय पर ये मुकदमा दायर किया है. और हम किस हालत से गुजर रहे है सच क्या है उसे समझाओ” मलूकदास ने आरती और शीतल को गीता के घर जाने क़ी सलाह दी.

“लेकिन पापा क्या वो औरत हमारी बात पर यकीन करेगी?” आरती ने सवाल किया.

“उसे किसी भी तरह यकीन दिलाना. क़ी जो कुछ हुआ है अजय क़ी खराब दिमागी हालत क़ी वजह से हुआ है अजय ने जानबूझ कर नहीं किया. हो सकता वो अपना ब्यान बदल दे और ये मुक़दमा ख़ारिज हो जाए. लेकिन उसे ये मत बताना क़ी उसका पति भूत बन कर अजय को परेशान कर रहा है. वरना वो हमारी मदद नहीं करेगी”

मलूकदास क़ी सलाह मान कर आरती और शीतल गीता से मिलाने के लिए उसके घर के लिए निकल गयी. अजय की गिरफ्तारी की खबर अखबारों की हेडलाइन बन गयी. शहर के सबसे बड़े रईस मलूकदास का बेटा हत्या के आरोप में गिरफ्तार. इस खबर से सबसे ज्यादा खुश हुआ मनीराम. उसने इस ख़ुशी के मौके पर अपने घर पर जश्न के लिए पार्टी का आयोजन किया.

शीतल और आरती कार के द्वारा गीता से मिलने के लिए उसके घर पहुंची. कालोनी मजदूर वर्ग के लोगों क़ी थी. शीतल और आरती को गीता के घर आया देख कर सब लोग अपने अपने घरों से बाहर देखने लगे.

गीता ने शीतल को देखते ही पहचान लिया था. उसने शीतल और आरती को चारपाई पर बिठाया.

“हम दोनों तुमसे ये जानने के लिए आई है गीता कि अजय जब रात के समय तुम्हारे घर में घुस आये तब उन्होंने तुमसे क्या कहा?” शीतल ने गीता से पूछा.


“मैं रात को नींद में थी. उन्होंने मेरा बाजू पकड़ कर जगाया. और मैं जब हड़बड़ा कर जागी तो देखा आपके पति मेरे सामने खड़े थे. वो मुझ से कहने लगे कि डरो मत मैं तुम्हारा पति हूँ” गीता ने जवाब दिया.


“उसके बाद क्या हुआ?” आरती ने पूछा.


“उसके बाद मैं तो उनको देखते ही घबरा गई थी. इसलिए मैंने शोर मचाया. कालोनी के सारे लोग जाग गए थे. लोगों ने उनकों पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया” गीता ने आरती कि बात का जवाब दिया.

“और उसके बाद तुमने उन पर बलात्कार की कोशिश का मुकदमा भी दर्ज करा दिया” आरती ने कहा.


“मुकदमा तो बलात्कार की कोशिश का ही चलेगा, मेंमसाहब. इसके अलावा रात को बारह बजे मेरे घर में आने की और क्या वजह हो सकती है?” गीता ने आरती को जवाब दिया.

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Re: यमदूत की लापरवाही

Unread post by The Romantic » 15 Dec 2014 16:48

“शायद तुमको ये मालूम नहीं है कि पिछले दस दिनों से मेरे पति कि दिमागी हालत ठीक नहीं है. वे रात को नींद में ही घर से निकल जाते है. उन्होंने जो कुछ किया वो जान बूझ कर नहीं किया. लेकिन तुमने तो अपने पति की हत्या का एक और मुकदमा दायर कर दिया जिसकी कोई वजह भी नहीं है” शीतल ने गीता से कहा.

“हत्या का मुक़दमा दायर किया है तो उसकी वजह भी है, मेंमसाहब. आपके पति ने पहले दिन मुझे देखा और उसके ठीक दूसरे दिन आपकी ही कंपनी में करंट लगने से मेरे पति की मौत हो गई. और फिर आपके पति ने मेरे ही घर में घुस कर मेरी इज्जत पर हाथ डाला. ये तीन वजह है जो आपके पति को हत्यारा साबित करती है. मेरे पति को करंट लगा नहीं बल्कि लगाया गया. और सब आपके पति के इशारे पर हुआ. क्योंकि आपके पति कि बुरी नजर मेरी इज्जत पर थी. और मेरे पति को अपने रास्ते से हटाने के लिए ये सब किया.” गीता ने अजय को दोषी करार देते हुए कहा.

“समझने कि कोशिश करो गीता. तुम्हे गलतफहमी हुई है. तुम्हे अगर लगता है कि मेरे भाई की बुरी नजर तुम्हारी खूबसूरती और तुम्हारे जिस्म पर थी तो मेरा भाई रात को इस तरह तुम्हारे घर में नहीं आता. बल्कि एक सेठ कि हैसियत से तुम्हे आर्थिक मदद देता. तुम्हे नौकरी का ऑफर देता. तुमसे हमदर्दी जताता. तुम्हे अपनेपन का एहसास दिलाता क्योंकि एक रईस जब किसी गरीब और खुबसूरत औरत की आबरू पर बुरी नजर डालता है तो यही सारे हथकंडे अपनाता है. उन्हें चोरी छुपे किसी कि घर में जाने कि जरुरत नहीं होती. बिगड़े हुए रईसजादों के लिए गरीब औरतों की खूबसूरती रुपये से खेला जाने वाला खेल है. लेकिन मेरे भाई ने ऐसा कुछ भी नहीं किया. मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ गीता मेरे भाई और हमारे घर कि इज्जत को बख्श दे. हम जिंदगी भर तुम्हारे एहसानमंद रहेंगे.” आरती ने गीता से विनती करते हुए कहा. इस बार आरती कि बात ने गीता पर गहरे तक असर किया. उसके तेवर कुछ नर्म पड़े वह शीतल सी मुखातिब हो कर बोली.

“मेंमसाहब, क्या आप यकीन से कह सकती है कि आपके पति ने जो कुछ किया है वो उन्होंने जान बूझ कर नहीं किया?” गीता ने शीतल से कहा.

“मैं तुम्हे यकीन दिलाती हूँ गीता, मेरे पति निर्दोष है जो कुछ हुआ उनकी खराब दिमागी हालत की वजह से हुआ है. तुम्हारे पति हमारी कंपनी में काम करते थे. अब तुम्हारे घर की पूरी जिम्मेदारी हमारी कंपनी पर होगी लेकिन तुम्हे ये वादा करना होगा कि तुम मेरे पति के खिलाफ बयान नहीं दोगी. शीतल ने गीता से यकीन दिलाते हुए कहा.

“अगर आपको अपने पति पर पूरा भरोसा है तो में आपसे वादा करती हूँ मेमसाहब, कि मैं आपके पति पर किसी प्रकार का इल्जाम लगा कर पाप की भागीदार नहीं बनूँगी, इल्जाम चाहे सच्चा ही क्यों ना हो मैं आपके पति के खिलाफ बयान नहीं दूंगी’ गीता ने आरती और शीतल को विश्वास दिलाया कि वह अजय के खिलाफ बयान नहीं देगी. उसके बाद शीतल और आरती वापस घर आई और गीता द्वारा अजय के खिलाफ बयान नहीं देने की खुशखबरी मलूकदास और शांति देवी को सुनाई.

अजय को अदालत में पेश किया गया गीता के वकील ने आरोप लगाया कि अजय मलूका ने जब गीता को देखा तो गीता की खूबसूरती पर उसकी नियत डोल गयी. इसीलिए अजय मलूका ने गीता के पति को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसे करंट दे कर मरवा दिया. लेकिन जब इस बात की पुष्टि के लिए जब मृतक की पत्नी गीता को कठघरे में बुलाया और तो गीता ने ब्यान दिया की वो उसके पति की मौत से पहले अजय मलूका से कभी मिली ही नहीं थी. गीता का बयान पुलिस की रिपोर्ट के बिल्कुल विपरीत था. गीता के ब्यान के आधार पर अदालत ने इस मुकदमे को ही खारिज कर दिया और अजय मलूका को बाइज्जत बरी कर दिया.

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Re: यमदूत की लापरवाही

Unread post by The Romantic » 15 Dec 2014 16:50

“मेरी तबियत बिलकुल ठीक है. लेकिन इस वक्त घर में कोई नहीं है इसलिए मैं आपसे अकेले मैं कुछ बात करना चाहता हूँ” अजय ने शीतल से कहा.

“अकेले में बात? ऐसी क्या बात है?” शीतल ने आश्चर्य से पूछा.
“जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ. वो बात आपके लिए बर्दाश्त के बाहर और कष्टदायक होगी इसलिए मेरी बात सुनने से पहले अपनी पूरी हिम्मत बटोर ले फिर सुनें” अजय ने कहा
शीतल ने धड़कते दिल से कहा -“क्या मतलब है तुम्हारा? साफ़ साफ़ कहो क्या कहना चाहते हो तुम?”
“मैं ये कहना चाहता हूँ कि मैं आपका पति नहीं हूँ.” उसने शीतल से कहा तो उसकी बात सुन कर शीतल के पैरों के नीचे से जमीन सरकने लगी थी. अनहोनी की आशंका और बढ़ गई. दिल और तेज़ी से धड़कने लगा.
............
“आपके पति अब इस दुनिया में नहीं है” सुनते ही शीतल के सर जैसे आसमान टूट पड़ा. दिल पर बिजली गिर पड़ी.

“नहीं! ये नहीं हो सकता” बदहवास शीतल दीवार पर सर टिका कर फूट फूट कर रोने लगी.

“धोखेबाज़, पापी, हत्यारे. तुम्हारी ये हिम्मत, मेरे पति की हत्या करके खुद बैठ गया मेरे पति की जगह. अरे नीच मैंने तो तुझे उसी दिन पहचान लिया था की तू अजय नहीं है. जिस दिन तुमने बिमारी का नाटक करके मौन धारण कर लिया था.”

“बेशक आप मुझे फांसी पर लटकाइए. मुझे इसका कोई अफसोस नहीं. लेकिन पहले जो मैं कह रहा हूँ वो बात सुनिये.

“कहो मैं सुन रही हूँ” शीतल ने उसकी बात सुनने की सहमति देते हुए कहा.
“मैं आपके पति का हत्यारा नहीं हूँ. अगर होता तो मैं ये बात आपको कभी नहीं बताता. प्रकृति ने मेरे खुद के साथ एक क्रूर मजाक किया है. प्रकृति द्वारा किये गए क्रूर मजाक का जीता जागता नमूना हूँ मैं“
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हुआ यह था कि यमदूतों ने सूक्ष्म जानकारी गुम हो जाने की वजह से और एक नामराशि (तथा एक ही कारखाने से सम्बद्ध) होने के कारण मजदूर अजय के प्राण ले लिये. जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ उस समय तक मजदूर अजय का दाह संस्कार कर दिया था. अब उसका भौतिक शरीर नष्ट हो चुका था. अब क्या किया जाए, यमदूत सोचने लगे. तभी उनका ध्यान फैक्ट्री के मालिक अजय मलूका की ओर गया. असल में इसी अजय के प्राण लेने के लिये यमदूत आये थे.

अपनी योजना पर कार्य करते हुये, उन्होंने अजय मलूका के प्राण उसके शरीर से निकाल लिये और उसके स्थान पर उस शरीर में फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर अजय के प्राण डाल दिए. अब शरीर तो अजय मलूका का था लेकिन उसमे आत्मा मजदूर अजय की आ गयी थी.

“ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है. अब तुम दोनों मुझे किसी दूसरे के शरीर में डाल कर जा रहे हो. मेरे बीवी बच्चे का क्या होगा?” प्राणी ने रोते हुए यमदूत की बात पर प्रतिक्रया दी.

“अबे बेवकूफ, अपने बीवी बच्चे की छोड़, खुद के बारे में सोच. तेरी बीवी और बच्चे के लिए तो तू मर चुका है. वो लोग बहुत जल्द भूल जायेंगे तुझे. हम जो कर रहे है वही ठीक रहेगा तेरे लिए. सोच आज तक क्या था तेरे पास जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं थी. बैल की तरह काम करने के बाद भी क्या मिलता था? दो वक्त की रोटी. और क्या था तेरे पास एक मरियल सा सडा हुआ शरीर, जिसकी तरफ कोई देखना पसंद नहीं करता था. लेकिन अब तेरे पास एक खुबसूरत और रईस जैसा शरीर होगा. लाखो खुबसूरत लड़कियां उसकी दीवानी होगी, उसके आगे पीछे घूमेगी . करोड़ों की दौलत होगी तेरे पास, कार, बंगला, और जिस कंपनी में तू काम करके दो वक्त की रोटी ही कमा पाता था. हम तुझे उस कंपनी का मालिक बना रहे है. सोच मत हाँ कर दे यही ठीक रहेगा तेरे लिए” गुरु यमदूत अजय के प्राण को हसीन सपने दिखा कर उससे पीछा छुडाने की कोशिश करने लगा. वह बस सोच रहा था कुछ बोल ही नहीं पा रहा था.

“क्या सोच रहा है? इससे भी अच्छा कोई दूसरा मार्ग है तुम्हारे पास, तो वो भी बता दे हम तेरे लिए वो भी करेंगे. हमारे पास तो यही उपाय है. वरना भटकते रहना मृत्युलोक में.”

“अरे रुको मुझे मंजूर है” अजय के प्राण ने यमदूत से कहा.
......
“हाँ तब तो ठीक है मुझे मंजूर है”

“मुझे तो तुम्हारी इस बात पर बिलकुल भी भरोसा नहीं हो रहा है” उसकी बात सुनने के बाद शीतल ने अपनी प्रतिक्रिया दी.

“मैंने तो अपनी बात बताई है. यकींन करे या न करे. ये आपकी मर्जी है. लेकिन आपको ये मालुम होना चाहिए कि फिंगरप्रिंट वालों ने भी मुझे आपका पति माना है. क्योंकि ये आपके पति का ही शरीर है.

“हाँ तुम ठीक कहते हो शायद. तुम्हारी बात पर यकीन नहीं करने का मेरे पास कोई कारण भी नहीं और यकीन करने के आलावा कोई चारा भी नहीं है.लेकिन तुम्हे मुजसे एक वादा करना होगा” शीतल ने अजय से कहा.
“वादा! कैसा वादा?” अजय ने शीतल से पूछा.

“वादा ये कि दुनिया की नज़रों में तुम मेरे पति बन कर रहोगे. लेकिन अपनी सीमा लांघने की कोशिश कभी नहीं करोगे. मेरे पति की जगह लेने की कोशिश कभी मत करना. दूसरा ये कि ये बात किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए. ताकि मेरे सास ससुर को ये भ्रम तो रहेगा की उनका बेटा उनके साथ है. उन्हें ये एहसास नहीं होना चाहिए की उनके खानदान को रोशन करने वाला चिराग बुझ गया है. उसकी इकलौती बहन को ये एहसास नहीं होना चाहिए की उसे जान से भी ज्यादा प्यार करने वाला उसका भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा. मेरे मम्मी पापा को ये पता नहीं चलना चाहिए की उनकी बेटी अब विधवा हो चुकी है. मेरी बेटी को ये एहसास नहीं होना चाहिए की उसके सिर पर उसके बाप का साया नहीं रहा. ये भ्रम हमेशा भ्रम ही रहना चाहिए. अगर तुम इन सब रिश्तों को निभा सकते हो तो तुम मेरे घर में रह सकते हो.ये दौलत, कार कंपनी सब तुम्हारा है” शीतल ने अपनी शर्तें उसके सामने रख दी.

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