Re: New Romantic Thriller Saga - शायद यहीं तो हैं ज़िंदगी – प्यार की अधूरी दास्तान
Posted: 09 Nov 2016 00:11
तुम्हारे दिल में क्या है.
राहुल- राधिका सच काहु मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की तुम अब मेरी हो. लग रहा है की मैं कोई सपना देख रहा हूँ. मैंने तुम्हारे जिस्म से प्यार नहीं किया है बल्कि मैं तुम्हारे उस आत्मा को चाहता हूँ. तुम अब मेरी रूह में समा चुकी हो. राधिका ये मेरी खुसकिस्मती है की अब मुझे तुम्हारा प्यार मेरे साथ है. जानती हो मैंने एक गीत जो मैं बचपन से सुनता चला आ रहा हूँ उस गीत में मैंने सिर्फ़ तुम्हें देखा हैं. वो गीत जो मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जिसमें मैंने पल पल सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें महसूस किया है.
राहुल नज़दीक में सीडी प्लेयर को ऑन करता है और एक बहुत ही पुराना गीत बजाने लगता है. वो गीत है………….
चाँद सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैंने सोचा था…………
हां तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था……………….
जिसे राधिका भी सुनकर लगभग खो सी जाती है. जैसे ही वो गीत खत्म होता है राहुल राधिका के एक दम नज़दीक आकर उसके हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लेता है.
इस गीत में मैंने तुम्हें पाया है. जैसा मैंने कल्पनना किया था सच में तुम उससे भी बढ़कर हो. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता है. कुछ डियर तक वो एक दूसरे से यू ही सटे रहते हैं. फिर राधिका आगे बढ़कर अपने लब धीरे धीरे राहुल के लब से चिपका लेती है. और फिर दोनों आँख बंद कर के एक दूसरे में खोते चले जाते हैं.
राधिका धीरे धीरे राहुल के होंठ को अपने होंठ से छिपकर ऐसे चूसती है जैसे कोई दूध अंकल बाचा अपनी आंटी का दूध अंकल है.दोनों की धड़कनें एक दम तेज हो जाती ही. राधिका धीरे धीरे अपने होंठ पूरा खोल देती है और राहुल भी अपना होंठ धीरे धीरे राधिका के मुंह में लेकर चूसता है. पहले वो राधिका के ऊपर के लिप्स को अच्छे से चूसता है फिर धीरे धीरे नीचे के लिप्स को बारे प्यार से अपने दाँत से दबाकर हल्का सा काटने लगता है. राधिका भी अब पूरी तरह से राहुल में खो जाती है. राधिका और राहुल को कोई होश ही नहीं रहता की वो किस दुनिया में हैं.
फिर राधिका धीरे धीरे अपना हाथ राहुल के हाथों में देती है और फिर उसका दया हाथ अपने हाथ में पकड़कर धीरे धीरे अपने कंधे पर रखकर अपने हाथों से उसे नीचे अपनी सीने की तरफ बढ़ती है. राहुल का हाथ भी जैसे राधिका घूमती है वो वैसे ही घूमता है. कुछ डियर में वो राहुल का हाथ धीरे धीरे सरकते हुए अपने लेफ्ट सीने पर रख देता है और अपने हाथ को ज़ोर से राहुल पर प्रेशर करती है
राहुल भी उसके सीने को अपनी हाथों से महसूस करता है और सोचता है कितनी मुलयूं है राधिका के बूब्स किसी मखमली की तरह.इस बीच राधिका और राहुल एक दूसरे को लिप्स को आपस में चूसते रहते हैं. दोनों के थूक एक दूसरे के मुंह में थे. मगर एक ही पल में जैसे राहुल को होश आता है और वो अपना हाथ राधिका के सीने से झटक देता हैं. और वो राधिका से दूर हो जाता है.
उसके इस तरह बदलाव को देखकर राधिका चौवक जाती है और फिर कुछ देर में दोनों नॉर्मल होते हैं.
राधिका- क्या हुआ राहुल मुझसे कोई गलती हो गयी क्या.
राहुल- नहीं राधिका ये ठीक नहीं है. मैंने तुमसे कहा था ना की मैं तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ .मुझे तुम्हारा जिस्म नहीं चाहिए. और ये सब शादी के बाद ही ठीक हैं और मैं नहीं चाहता की कल को कोई बात हो जाए तो ये दुनिया तुम पर उंगली उठाए.
राधिका- मुझे दुनिया की परवाह नहीं है राहुल मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए. राहुल मैं पूरी तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ और हमारा पूरा मिलन के लिए हमारा एक होना बहुत जरूरी है ,मेरे पास आओ राहुल मुझे अपने सीने से लगाकर मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ राहुल, अब मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ. मेरी प्यास बुझा दो राहुल. ई लव यू…………..
राहुल- होश में आओ राधिका. तुम्हें ये क्या हो गया है भला तुम ऐसे कैसे बहक सकती हो. मैं तुम्हें यहां पर इसलिए लेकर नहीं आया था की मैं तुम्हारे जिस्म को भोग़ू. बल्कि मैं तो तुम्हें अपने प्यार का इजहार करने के लिए अपनी दिल की बात बताने के लिए लाया था. और तुम कुछ और ही समझ रही हो.
राधिका- नहीं राहुल मैं अब बस पूरी तरह तुम्हारी होना चाहती हूँ. अगर तुम्हें शर्म आ रही मेरे कपड़े उतरने को तो बोल दो मैं खुद ही तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े निकल देती हूँ.
राहुल- ज़ोर से चीकते हुए. राधिका ये तुम क्यों बहकी बहकी बातें कर रही हो. मैं जनता हूँ की तुम्हारी भी कुछ ज़रूरतें हैं मगर अभी उसका वक्त नहीं आया है. अब हम मिल गये हैं तो हमें कोई नहीं रोक सकता हमारा मिलन होने से.
राधिका- कैसे मर्द हो तुम राहुल एक लड़की खुद अपनी इज्जत देना चाहती है और तुम मना कर रहे हो. आज मेरे पीछे हज़ारों की लाइन लगी हैं. मगर मैं जमाना पीछे छोड़कर बस तुम्हारे लिए ये सब करना चाहती हूँ. प्लीज़ राहुल मुझे अपनाना लो. मेरी प्यास शांत कर दो राहुल. वरना मैं बहक जाऊंगी.
राहुल- कैसे मैं तुम्हें समझौं राधिका ये ठीक नहीं है कल को अगर तुम बिन ब्यहे आंटी बन गयी तो ज़माना तुम पर हासेगा.
राधिका- मुझे ज़माने की कोई फिक्र नहीं है राहुल. ज़माना हंसता है तो हँसे. मैं तुम्हारे लिए बिन ब्याह आंटी ….
राहुल- राधिका सच काहु मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की तुम अब मेरी हो. लग रहा है की मैं कोई सपना देख रहा हूँ. मैंने तुम्हारे जिस्म से प्यार नहीं किया है बल्कि मैं तुम्हारे उस आत्मा को चाहता हूँ. तुम अब मेरी रूह में समा चुकी हो. राधिका ये मेरी खुसकिस्मती है की अब मुझे तुम्हारा प्यार मेरे साथ है. जानती हो मैंने एक गीत जो मैं बचपन से सुनता चला आ रहा हूँ उस गीत में मैंने सिर्फ़ तुम्हें देखा हैं. वो गीत जो मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जिसमें मैंने पल पल सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें महसूस किया है.
राहुल नज़दीक में सीडी प्लेयर को ऑन करता है और एक बहुत ही पुराना गीत बजाने लगता है. वो गीत है………….
चाँद सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैंने सोचा था…………
हां तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था……………….
जिसे राधिका भी सुनकर लगभग खो सी जाती है. जैसे ही वो गीत खत्म होता है राहुल राधिका के एक दम नज़दीक आकर उसके हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लेता है.
इस गीत में मैंने तुम्हें पाया है. जैसा मैंने कल्पनना किया था सच में तुम उससे भी बढ़कर हो. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता है. कुछ डियर तक वो एक दूसरे से यू ही सटे रहते हैं. फिर राधिका आगे बढ़कर अपने लब धीरे धीरे राहुल के लब से चिपका लेती है. और फिर दोनों आँख बंद कर के एक दूसरे में खोते चले जाते हैं.
राधिका धीरे धीरे राहुल के होंठ को अपने होंठ से छिपकर ऐसे चूसती है जैसे कोई दूध अंकल बाचा अपनी आंटी का दूध अंकल है.दोनों की धड़कनें एक दम तेज हो जाती ही. राधिका धीरे धीरे अपने होंठ पूरा खोल देती है और राहुल भी अपना होंठ धीरे धीरे राधिका के मुंह में लेकर चूसता है. पहले वो राधिका के ऊपर के लिप्स को अच्छे से चूसता है फिर धीरे धीरे नीचे के लिप्स को बारे प्यार से अपने दाँत से दबाकर हल्का सा काटने लगता है. राधिका भी अब पूरी तरह से राहुल में खो जाती है. राधिका और राहुल को कोई होश ही नहीं रहता की वो किस दुनिया में हैं.
फिर राधिका धीरे धीरे अपना हाथ राहुल के हाथों में देती है और फिर उसका दया हाथ अपने हाथ में पकड़कर धीरे धीरे अपने कंधे पर रखकर अपने हाथों से उसे नीचे अपनी सीने की तरफ बढ़ती है. राहुल का हाथ भी जैसे राधिका घूमती है वो वैसे ही घूमता है. कुछ डियर में वो राहुल का हाथ धीरे धीरे सरकते हुए अपने लेफ्ट सीने पर रख देता है और अपने हाथ को ज़ोर से राहुल पर प्रेशर करती है
राहुल भी उसके सीने को अपनी हाथों से महसूस करता है और सोचता है कितनी मुलयूं है राधिका के बूब्स किसी मखमली की तरह.इस बीच राधिका और राहुल एक दूसरे को लिप्स को आपस में चूसते रहते हैं. दोनों के थूक एक दूसरे के मुंह में थे. मगर एक ही पल में जैसे राहुल को होश आता है और वो अपना हाथ राधिका के सीने से झटक देता हैं. और वो राधिका से दूर हो जाता है.
उसके इस तरह बदलाव को देखकर राधिका चौवक जाती है और फिर कुछ देर में दोनों नॉर्मल होते हैं.
राधिका- क्या हुआ राहुल मुझसे कोई गलती हो गयी क्या.
राहुल- नहीं राधिका ये ठीक नहीं है. मैंने तुमसे कहा था ना की मैं तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ .मुझे तुम्हारा जिस्म नहीं चाहिए. और ये सब शादी के बाद ही ठीक हैं और मैं नहीं चाहता की कल को कोई बात हो जाए तो ये दुनिया तुम पर उंगली उठाए.
राधिका- मुझे दुनिया की परवाह नहीं है राहुल मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए. राहुल मैं पूरी तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ और हमारा पूरा मिलन के लिए हमारा एक होना बहुत जरूरी है ,मेरे पास आओ राहुल मुझे अपने सीने से लगाकर मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ राहुल, अब मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ. मेरी प्यास बुझा दो राहुल. ई लव यू…………..
राहुल- होश में आओ राधिका. तुम्हें ये क्या हो गया है भला तुम ऐसे कैसे बहक सकती हो. मैं तुम्हें यहां पर इसलिए लेकर नहीं आया था की मैं तुम्हारे जिस्म को भोग़ू. बल्कि मैं तो तुम्हें अपने प्यार का इजहार करने के लिए अपनी दिल की बात बताने के लिए लाया था. और तुम कुछ और ही समझ रही हो.
राधिका- नहीं राहुल मैं अब बस पूरी तरह तुम्हारी होना चाहती हूँ. अगर तुम्हें शर्म आ रही मेरे कपड़े उतरने को तो बोल दो मैं खुद ही तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े निकल देती हूँ.
राहुल- ज़ोर से चीकते हुए. राधिका ये तुम क्यों बहकी बहकी बातें कर रही हो. मैं जनता हूँ की तुम्हारी भी कुछ ज़रूरतें हैं मगर अभी उसका वक्त नहीं आया है. अब हम मिल गये हैं तो हमें कोई नहीं रोक सकता हमारा मिलन होने से.
राधिका- कैसे मर्द हो तुम राहुल एक लड़की खुद अपनी इज्जत देना चाहती है और तुम मना कर रहे हो. आज मेरे पीछे हज़ारों की लाइन लगी हैं. मगर मैं जमाना पीछे छोड़कर बस तुम्हारे लिए ये सब करना चाहती हूँ. प्लीज़ राहुल मुझे अपनाना लो. मेरी प्यास शांत कर दो राहुल. वरना मैं बहक जाऊंगी.
राहुल- कैसे मैं तुम्हें समझौं राधिका ये ठीक नहीं है कल को अगर तुम बिन ब्यहे आंटी बन गयी तो ज़माना तुम पर हासेगा.
राधिका- मुझे ज़माने की कोई फिक्र नहीं है राहुल. ज़माना हंसता है तो हँसे. मैं तुम्हारे लिए बिन ब्याह आंटी ….