दूसरे दिन में खाने के वक़्त घर पहुँचा तो मीनाक्षी सोफे पर बैठी कोई मॅगज़ीन पढ़ रही थी. जैसे ही में हॉल मे घुसा उसने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा, "राज तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?"
"क्या तुम्हे पता नही?" मेने कहा.
"मुझे…..क्या पता नही." उसने सोफे पर से खड़े होते हुए पूछा.
"यही कि तुम्हे मेरे लिए ही बुलाया गया है."
"हे भगवान….. सही में अगर मुझे ये पहले पता होता तो में सोनिया मेडम का ऑफर कभी स्वीकार नही करती." मीनाक्षी ने हंसते हुए कहा.
"क्या में इतना बुरा इंसान हूँ?"
"ये बात नही है राज, पर तुम मेरे पति के दोस्त हो. और मेने मेरे पति के लिए काफ़ी कुछ किया है, में नही चाहती कि बात हमारी शादी शुदा जिंदगी को बर्बाद करे." उसने जवाब दिया.
"देखो मीनाक्षी में तुम्हे सॉफ सॉफ बताता हूँ. में जब तुमसे पहली बार मिला था तभी से मेरे दिल मे तुम्हे चोद्ने की इच्छा थी. फिर जब मेने उस एस्कॉर्ट एजेन्सी के आल्बम मे तुम्हारी फोटो देखी तो मुझे लगा कि मेरी बरसों की तमन्ना अब पूरी होने वाली है. मेने इतनी सारी लड़कियों से सिर्फ़ तुम्हे चुना क्यों कि मुझे आज भी तुम उतनी ही पसंद हो. तुम्हे क्या लगता है कि में पागल हूँ जो तुम्हारे पति को बताउन्गा कि मेने उसकी बीवी को चोदा है." मेने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
"अगर ये बात है तो मुझे कोई ऐतराज़ नही है." मीनाक्षी ने मेरी आँखो मे आँखे डालते हुए कहा.
"तो फिर क्या इरादा है, पहले थोड़ा सा रोमॅन्स हो जाए या फिर सीधे मुद्दे पर आ जाएँ." मेने उसके होठों को चूमते हुए कहा.
"अगर रोमॅन्स हो तो मज़ा आ जाएगा मगर बाद मे. पहले में ये तो जान लू कि मुझे क्या क्या करना पड़ेगा." मीनेक्षी मेरे होठों को चूस्ते हुए बोली.
"अगर तुम्हे किसी खास चीज़ से परहेज़ है तो बता दो?'
"मुझे सिर्फ़ जनवरो वाले बर्ताव से परहेज़ या फिर उससे जिसमे दर्द हो वरना में हर चीज़ के लिए तय्यार हूँ." उसने हंसते हुए कहा.
"वैसे में भी एक साधारण इंसान हूँ, सेक्स मुझे अच्छा लगता है , ख़ास तौर पर लंड चूसवाने में और चूत चाटने मे और में उसका पूरा लुफ्ट उठाना चाहता हूँ.' मेने कहा.
"जो कुछ मेने सुना है उससे लगता है कि तुमने एक ग़लत लड़की से शादी कर ली है."
मीनाक्षी ने कहा.
"अब मेरी शादी के बारे मे क्या कहूँ, प्यार अँधा होता है. सोनिया ने मुझसे कहा था कि वो शादी तक कुँवारी रहना चाहती है, इसलिए शादी से पहले मेने उसके साथ कुछ नही किया. शादी से पहले मुझे उसकी बीमारी के बारे मे पता नही था. और जब पता चला तो में क्या कर सकता था, में उससे बहोत प्यार करता हूँ. अब वो अगर चाहती है कि में किसी और लड़की से जिस्मानी संबंध बनाऊ वो भी तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की से तो में क्या कहता.
"अब तो आगे बढ़ो खड़े खड़े क्या कर रहे हो?" मीनाक्षी ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा.
मेने जैसा सोचा था मीनाक्षी वैसी ही निकली. हम पूरी दोपहर मेरे बेडरूम मे कबड्डी खेलते रहे. जिस तरह से उसने मेरा लंड चूसा था मुझे जिंदगी भर याद रहेगा. उसे अपनी गंद मराने में बहोत मज़ा आया. जब मेने एक बार और उसकी गंद मे अपना लंड घूसाना चाहा तो उसने कहा, "अब और नही राज मुझे देर हो रही है. उनके घर पहुँचने से पहले मुझे घर पहुँच कर उनके लिए खाना बनाना है."
"क्या तुम्हे नही लगता कि जब तुम रात को उसके साथ बिस्तर मे घुसोगी और जब वो अपना लंड तुम्हारी चूत मे डालेगा तो उसे पता नही लगेगा कि तुम क्या करके आ रही हो."
मेरी बात सुनकर मीनाक्षी हँसने लगी, "उसे कैसे पता लगेगा राज. जब से शादी हुई है तबसे उसे पता है कि वो अकेला मर्द है जिसने मुझे चोदा है. अब में जाउ और कल फिर आउ या फिर तुम्हारे फोन का इंतेज़ार करूँ?" मीनाक्षी ने कपड़े पहनते हुए कहा.
"तुम्हे कल फिर आना है मेरी जान……आज ही के वक्त." मेने उसे बाहों मे भरा और उसके होठ चूसने लगा.
मीनाक्षी ने भी थोड़ी देर तक मेरे होठों को चूसा और फिर विदा लेकर अपने घर चली गयी. में अपने दोस्त के बारे मे सोचने लगा कि उसे आज तक पता नही है कि उसकी पत्नी को दूसरे मर्दों से चुदने के लिए पैसे मिलते है और इधर में एक ऐसी औरत का पति हूँ जो मुझे उसे ना चोद्ने के पैसे देती है.
अगले नौ महीने तक ज़िंदगी ऐसे ही चलती रही. हफ्ते मे दो या फिर तीन बार मीनाक्षी मेरे घर आती और हम वो समय काफ़ी मे गुज़रते. सोनिया भी अक्सर रात को मेरे पास आ जाती और हर बार की तरह मुझे उसकी चूत चूसनी पड़ती. जिस दिन मीनाक्षी आकर गयी होती उस रात अगर सोनिया मेरे पास आती तो मुझे बिल्कुल भी मज़ा नही आता पर क्या करता वचन से जो बँधा होता था.
अमित हमेशा की तरह मेरे साथ वैसा ही व्यवहार करता. कभी कभी तो मन मे आता की एक ज़ोर का मुक्का उसके मुँह पर उसका जबड़ा तोड़ दूं.
पता नही सोनिया को उस गधे मे ऐसा क्या दिखा था जो अपना सब कुछ उसपर न्योछावर कर रही थी.
क्रमशः…………………………………..
किराए का पति compleet
Re: किराए का पति
किराए का पति--6
गतान्क से आगे……………………………..
समाज मे सोनिया की शक्शियत की वजह से हमेशा समाज मे आना जाना पड़ता था. कभी किसी डिन्नर पर तो कभी किसी फंक्षन की पार्टी में. में एक अच्छे पति का रोल अदा कर रहा था. पर इस दौरान मेने देखा कि कुछ ख़ास लोग हैं जो मुझे अक्सर दीखाई देते थे. हम जहाँ भी जाते वो वहीं पर होता था.
एक रात एक चारिटबल फंक्षन मे मेने फिर एक ऐसे शक्श को देख जो मुझे पहले भी कई बार दीख चुका था. जब सोनिया वॉश रूम की ओर जाने के लिए उठी तो में भी उठा और उसे अपनी बाहों मे भर कर उसके होठ चूमने लगा और धीरे से उसके कान मे फुसफुसाया, "देखो मेरी इस हरकत पर गुस्सा मत होना, मेरी पीठ की ओर देखो और मुझे बताओ कि टेबल नंबर तीन पर जो आदमी बैठा है क्या तुम उसे जानती हो?"
मेने जैसे कहा सोनिया ने वैसा ही किया और कहा, "हां में जानती हूँ वो राजदीप मिश्रा है."
"कौन है वो?" मेने पूछा.
"वो उस ट्रस्ट का चेअरमेन है जिसके नाम मेरी वसीयत है." सोनिया ने जवाब दिया.
"मुझसे ऐसे ही चीपकि रहो और ऐसे बिहेव करो कि तुमने कुछ देखा ही नही." मेने सोनिया से कहा.
सोनिया मुझसे जोरों से चीपक गयी और मुझे बाहों मे भर मेरी पीठ सहलाने लगी. उसकी इस हरकत से मेरा लंड तन गया और उसकी कॉटन की जीन्स के उपर से उसकी चूत छूने लगा.
शायद सोनिया को भी मेरे खड़े लंड का एहसास हो गया और उसने मेरी आँखो मे देखते हुए कहा, "क्या मेरी वजह से ऐसे तन कर खड़ा है."
"तुम्हारी यही अदा से तो ये हमेशा ही तन कर खड़ा हो जाता है, पर इस समय इन सब बातों का नही है, मेरे हाथ मे हाथ डाले बाहर की ओर बढ़ो फिर में तुम्हे समझाता हूँ." मेने उसका हाथ पकड़ा और दरवाज़े की ओर चल पड़ा.
बाहर आकर मेने उसे समझाया कि किस तरह ये राजदीप मिश्रा हमारा हर जगह पीछा कर रहा है. मेने सोनिया से कहा, "सोनिया शायद ये राजदीप हमारी शादी मे कोई नुक्ष निकालने की कोशिश कर रहा है. में तो अपना रोल अच्छी तरह से नीभा रहा हूँ, पर शायद तुम्हारा मेरे प्रति व्यवहार से ये कुछ हासिल करने मे कामयाब हो जाए. इसलिए तुम्हारे भले की लिए कह रहा हूँ कि एक आदर्श पत्नी की तरह समाज के सामने तुम भी पेश आओ तब तक कि जब तक हमारी शादी और हनिमून को दो तीन साल नही हो जाते."
मेने अपनी पॅंट के बटन खोले और अपने लंड को बाहर निकाल मसल्ने लगा.
"ये तुम क्या कर रहे हो, कहीं तुम पागल तो नही हो गये हो?" सोनिया लगभग चिल्लाते हुए बोली.
सोनिया मुझे देखती रही, मेने अपने लंड को थोड़ी देर मसला और उसे फिर अपनी पॅंट के अंदर डाल दिया और सोनिया से कहा, "में अपना पार्ट अदा कर रहा हूँ." मेने अपनी पॅंट की ज़िप बंद नही की, "हम वापस अंदर जा रहे है. तुम भी मेरे हाथ पकड़े अपनी ब्रा के स्ट्रॅप्स को दुरुस्त करने का बहाना करते हुए अंदर चालॉंगी. मुझे विश्वास है कि वो राजदीप की आँखे हम पर ही गढ़ी होगी, इसलिए जब वो हमे इस हाल मे देखेगा तो यही समझेगा कि एक पत्नी अपने पति की इच्छा बाथरूम मे पूरी करके लौट रही है."
गतान्क से आगे……………………………..
समाज मे सोनिया की शक्शियत की वजह से हमेशा समाज मे आना जाना पड़ता था. कभी किसी डिन्नर पर तो कभी किसी फंक्षन की पार्टी में. में एक अच्छे पति का रोल अदा कर रहा था. पर इस दौरान मेने देखा कि कुछ ख़ास लोग हैं जो मुझे अक्सर दीखाई देते थे. हम जहाँ भी जाते वो वहीं पर होता था.
एक रात एक चारिटबल फंक्षन मे मेने फिर एक ऐसे शक्श को देख जो मुझे पहले भी कई बार दीख चुका था. जब सोनिया वॉश रूम की ओर जाने के लिए उठी तो में भी उठा और उसे अपनी बाहों मे भर कर उसके होठ चूमने लगा और धीरे से उसके कान मे फुसफुसाया, "देखो मेरी इस हरकत पर गुस्सा मत होना, मेरी पीठ की ओर देखो और मुझे बताओ कि टेबल नंबर तीन पर जो आदमी बैठा है क्या तुम उसे जानती हो?"
मेने जैसे कहा सोनिया ने वैसा ही किया और कहा, "हां में जानती हूँ वो राजदीप मिश्रा है."
"कौन है वो?" मेने पूछा.
"वो उस ट्रस्ट का चेअरमेन है जिसके नाम मेरी वसीयत है." सोनिया ने जवाब दिया.
"मुझसे ऐसे ही चीपकि रहो और ऐसे बिहेव करो कि तुमने कुछ देखा ही नही." मेने सोनिया से कहा.
सोनिया मुझसे जोरों से चीपक गयी और मुझे बाहों मे भर मेरी पीठ सहलाने लगी. उसकी इस हरकत से मेरा लंड तन गया और उसकी कॉटन की जीन्स के उपर से उसकी चूत छूने लगा.
शायद सोनिया को भी मेरे खड़े लंड का एहसास हो गया और उसने मेरी आँखो मे देखते हुए कहा, "क्या मेरी वजह से ऐसे तन कर खड़ा है."
"तुम्हारी यही अदा से तो ये हमेशा ही तन कर खड़ा हो जाता है, पर इस समय इन सब बातों का नही है, मेरे हाथ मे हाथ डाले बाहर की ओर बढ़ो फिर में तुम्हे समझाता हूँ." मेने उसका हाथ पकड़ा और दरवाज़े की ओर चल पड़ा.
बाहर आकर मेने उसे समझाया कि किस तरह ये राजदीप मिश्रा हमारा हर जगह पीछा कर रहा है. मेने सोनिया से कहा, "सोनिया शायद ये राजदीप हमारी शादी मे कोई नुक्ष निकालने की कोशिश कर रहा है. में तो अपना रोल अच्छी तरह से नीभा रहा हूँ, पर शायद तुम्हारा मेरे प्रति व्यवहार से ये कुछ हासिल करने मे कामयाब हो जाए. इसलिए तुम्हारे भले की लिए कह रहा हूँ कि एक आदर्श पत्नी की तरह समाज के सामने तुम भी पेश आओ तब तक कि जब तक हमारी शादी और हनिमून को दो तीन साल नही हो जाते."
मेने अपनी पॅंट के बटन खोले और अपने लंड को बाहर निकाल मसल्ने लगा.
"ये तुम क्या कर रहे हो, कहीं तुम पागल तो नही हो गये हो?" सोनिया लगभग चिल्लाते हुए बोली.
सोनिया मुझे देखती रही, मेने अपने लंड को थोड़ी देर मसला और उसे फिर अपनी पॅंट के अंदर डाल दिया और सोनिया से कहा, "में अपना पार्ट अदा कर रहा हूँ." मेने अपनी पॅंट की ज़िप बंद नही की, "हम वापस अंदर जा रहे है. तुम भी मेरे हाथ पकड़े अपनी ब्रा के स्ट्रॅप्स को दुरुस्त करने का बहाना करते हुए अंदर चालॉंगी. मुझे विश्वास है कि वो राजदीप की आँखे हम पर ही गढ़ी होगी, इसलिए जब वो हमे इस हाल मे देखेगा तो यही समझेगा कि एक पत्नी अपने पति की इच्छा बाथरूम मे पूरी करके लौट रही है."
Re: किराए का पति
मेरा विश्वास सही निकाला वो राजदीप हमे ही घूर रहा था जब हम अंदर घुसे. सोनिया ने भी इस बात को महसूस किया और वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दी. रात मे घर लौटते वक़्त उसने पूछा, "क्या इन लोगो की नज़रों मे में आज भी शक की निगाह पर हूँ?"
"मुझे पता नही सोनी हो सकता हो कि ये इत्तफ़ाक़ भी हो पर हमे सावधान रहना होगा." मेने जवाब दिया.
उसने अजीब सी निगाहों से मेरी ओर देखा, "तुमने मुझे ऐसे क्यों बुलाया?"
"क्या"
"सोनी, तुमने मुझे सोनी कहकर क्यों पुकारा?" उसने पूछा.
"ऐसे ही कोशिश कर रहा था." मेने जवाब दिया.
"पर क्यों?"
"इसलिए कि हम दोनो एक दूसरे से बहोत प्यार करते है. और जब पति पत्नी इतना प्यार करते है तो उनके कुछ प्यार भरे नाम भी होते है. आज के बाद पब्लिक मे में तुम्हे इसी नाम से पुकारूँगा और ये दिखावा करूँगा कि में तुमसे सही मे बहोत प्यार करता हूँ.
सोनिया मेरी बात सुनकर थोड़ी देर चुप रही फिर मुझसे पूछा, "तुम अंदर क्या कहना चाहते थे कि मुझे देखकर तुम्हे बरसों से...."
"किस बात के बारे मे कह रही हो?" मेने उससे पूछा.
"वही जब टाय्लेट के बाहर तुम अपने खड़े लंड को मसल्ते हुए कही थी." सोनिया ने जवाब दिया.
"ओह..... अछा उसके बारे मे पूछ रही हो." मेने थोड़ा हंसते हुए कहा.
"हां उसी के बारे मे....तुम्हारा मतलब क्या था?"
"यही की तुम इतनी सुन्दर हो और हर उस मर्द की तरह जो तुम्हारे लिए काम करता है तुम्हे पाने की कामना ज़रूर रखता है." मेने जवाब दिया.
"कहीं मेरा मज़ाक तो नही उड़ा रहे हो?" सोनिया ने थोड़ा सोचते हुए कहा.
"में मज़ाक नही कर रहा ये तुमने देख ही लिया है, अब हक़ीक़त को अपनाना सीखो." मेने कहा.
बाकी का घर तक का सफ़र हमने चुप रहकर गुज़ारा.
जब हम घर पहुँचे तो अमित हमारा इंतेज़ार कर रहा था. वो और सोनिया डिन्निंग रूम मे बने बार की तरफ बढ़ गये और में अपने कमरे की तरफ. जब में चादर ओढ़ सोने की तैयारी कर रहा था उसी वक़्त अमित और सोनिया ने मेरे कमरे मे कदम रखा.
"राज थोड़ा खिस्को और मेरे और तुम्हारी बीवी के लिए थोड़ी जगह बनाओ... तुम्हारी बीवी अपनी चूत चूसवाना चाहती है और में तुम्हे ये करते हुए देखना चाहता हूँ. तुम्हे नियम तो याद है ना?" अमित ने हंसते हुए कहा जैसे मुझे याद दिलाना चाहता है कि में तो सिर्फ़ किराए का पति या गुलाम हूँ जिसे इस काम की पूरी कीमत चुकाई जा चुकी है.
खैर मुझे कांट्रॅक्ट के हिसाब से सारे नीयम याद थे. मेने उन दोनो के लिए थोड़ी जगह बनाई और बिस्तर के बगल मे बने नाइट्स्टॉंड से अपनी कीताब उठा ली जो में उन दोनो के आने के पहले में पढ़ रहा था. में जानबूझ कर उन्हे नही देख रहा था और अंजान बना अपनी कीताब पढ़ने लगा.
बड़ी मुश्किल से में अपने खड़े लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था जो कि पहले तो सोनिया को नंगी देख और अब उसकी सिसकारियाँ सुन कर और तन्ता जा रहा था.
अमित जब अपने काम से फारिग हुआ तो सोनिया के पास से हट गया और लगभग मुझे चिढ़ाते हुए कहा "अब ये तुम्हारी है."
में खिसकते हुए सोनिया के पास आ गया अपना चेहरा सोनिया की जांघों के बीच दे दिया. शायद भाग्य आज मेरा साथ दे रहा था. मेने सोनिया की जांघों को फैलाया और उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. जैसे ही मेरे जीभ उसकी चूत की गहराई तक पहुँची उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
में हुचक हुचक कर उसकी चूत को पिए जा रहा था और वो अपनी कमर उचका अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह पर मारते हुए सिसक रही थी, 'ओह राजा मज़ाअ एयेए गया ओह हां चूसो आज खा जाआओ मेरी चूओत ऑश मैं तो गाइिईई." ज़ोर से सिसकते हुए चूत ने एक बार और पानी छोड़ दिया.
सोनिया ने मुझे हल्का सा धक्का देते हुए कहा, "बस राज अब और नही."
में एक बार फिर से उससे दूर हट गया और अपनी कीताब पढ़ने लगा. थोड़ी देर बाद वो दोनो मेरे कमरे से चले गये और में लाइट बुझा गहरी नींद मे सो गया.
वो पहली और आखरी रात थी कि अमित ने सोनिया को मेरे सामने चोदा हो साथ ही उसके लिए वो पहली और आखरी रात थी कि मेने उसके सामने सोनिया की चूत को चूसा हो. शायद उसे इस बात से दुख पहुँचा था कि जो कमाल उसका लंड नही दीखा पाया वो कमाल मेरी जीभ ने दीखा दिया, की सोनिया इतनी जोर्र से सिसकते हुए उसके सामने झड़ी थी.
पर में उसे ये बता भी तो नही सकता था कि उस रात पहली बार ऐसा हुआ था कि सोनिया इतनी जोरों से झड़ी थी शायद मेरी तकदीर मेरा साथ दे रही थी.
और छह महीने इसी तरह गुज़र गया. किसी चीज़ मे कोई परिवर्तन नही आया सिर्फ़ इस बात के की अब सोनिया पहले से ज़्यादा रातों को मेरे कमरे मे आने लगी..
पहले तो सोनिया हफ्ते मे दो या तीन दिन आती थी किंतु अब तो लगभग हर रात आने लगी. उसके स्वाभाव मे भी थोड़ा परिवर्तन आ गया. पहले वो मेरे लंड को झटके देकर मुझे उठाती थी और फिर मेरे चेरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती थी. पर अब मुझे उठाने के बजाए वो तब तक मेरे लंड को मसल्ति जब तक मेरी नींद खूदबा खुद ना खूल जाती.
अब अक्सर ऐसा होने लगा वो रात को को मेरे कमरे मे आती और मेरे लंड को तब तक मसल्ति रहती और जब तक मेरा लंड पानी ना छोड़ देता तो मेरे चेहरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती.
"मुझे पता नही सोनी हो सकता हो कि ये इत्तफ़ाक़ भी हो पर हमे सावधान रहना होगा." मेने जवाब दिया.
उसने अजीब सी निगाहों से मेरी ओर देखा, "तुमने मुझे ऐसे क्यों बुलाया?"
"क्या"
"सोनी, तुमने मुझे सोनी कहकर क्यों पुकारा?" उसने पूछा.
"ऐसे ही कोशिश कर रहा था." मेने जवाब दिया.
"पर क्यों?"
"इसलिए कि हम दोनो एक दूसरे से बहोत प्यार करते है. और जब पति पत्नी इतना प्यार करते है तो उनके कुछ प्यार भरे नाम भी होते है. आज के बाद पब्लिक मे में तुम्हे इसी नाम से पुकारूँगा और ये दिखावा करूँगा कि में तुमसे सही मे बहोत प्यार करता हूँ.
सोनिया मेरी बात सुनकर थोड़ी देर चुप रही फिर मुझसे पूछा, "तुम अंदर क्या कहना चाहते थे कि मुझे देखकर तुम्हे बरसों से...."
"किस बात के बारे मे कह रही हो?" मेने उससे पूछा.
"वही जब टाय्लेट के बाहर तुम अपने खड़े लंड को मसल्ते हुए कही थी." सोनिया ने जवाब दिया.
"ओह..... अछा उसके बारे मे पूछ रही हो." मेने थोड़ा हंसते हुए कहा.
"हां उसी के बारे मे....तुम्हारा मतलब क्या था?"
"यही की तुम इतनी सुन्दर हो और हर उस मर्द की तरह जो तुम्हारे लिए काम करता है तुम्हे पाने की कामना ज़रूर रखता है." मेने जवाब दिया.
"कहीं मेरा मज़ाक तो नही उड़ा रहे हो?" सोनिया ने थोड़ा सोचते हुए कहा.
"में मज़ाक नही कर रहा ये तुमने देख ही लिया है, अब हक़ीक़त को अपनाना सीखो." मेने कहा.
बाकी का घर तक का सफ़र हमने चुप रहकर गुज़ारा.
जब हम घर पहुँचे तो अमित हमारा इंतेज़ार कर रहा था. वो और सोनिया डिन्निंग रूम मे बने बार की तरफ बढ़ गये और में अपने कमरे की तरफ. जब में चादर ओढ़ सोने की तैयारी कर रहा था उसी वक़्त अमित और सोनिया ने मेरे कमरे मे कदम रखा.
"राज थोड़ा खिस्को और मेरे और तुम्हारी बीवी के लिए थोड़ी जगह बनाओ... तुम्हारी बीवी अपनी चूत चूसवाना चाहती है और में तुम्हे ये करते हुए देखना चाहता हूँ. तुम्हे नियम तो याद है ना?" अमित ने हंसते हुए कहा जैसे मुझे याद दिलाना चाहता है कि में तो सिर्फ़ किराए का पति या गुलाम हूँ जिसे इस काम की पूरी कीमत चुकाई जा चुकी है.
खैर मुझे कांट्रॅक्ट के हिसाब से सारे नीयम याद थे. मेने उन दोनो के लिए थोड़ी जगह बनाई और बिस्तर के बगल मे बने नाइट्स्टॉंड से अपनी कीताब उठा ली जो में उन दोनो के आने के पहले में पढ़ रहा था. में जानबूझ कर उन्हे नही देख रहा था और अंजान बना अपनी कीताब पढ़ने लगा.
बड़ी मुश्किल से में अपने खड़े लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था जो कि पहले तो सोनिया को नंगी देख और अब उसकी सिसकारियाँ सुन कर और तन्ता जा रहा था.
अमित जब अपने काम से फारिग हुआ तो सोनिया के पास से हट गया और लगभग मुझे चिढ़ाते हुए कहा "अब ये तुम्हारी है."
में खिसकते हुए सोनिया के पास आ गया अपना चेहरा सोनिया की जांघों के बीच दे दिया. शायद भाग्य आज मेरा साथ दे रहा था. मेने सोनिया की जांघों को फैलाया और उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. जैसे ही मेरे जीभ उसकी चूत की गहराई तक पहुँची उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
में हुचक हुचक कर उसकी चूत को पिए जा रहा था और वो अपनी कमर उचका अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह पर मारते हुए सिसक रही थी, 'ओह राजा मज़ाअ एयेए गया ओह हां चूसो आज खा जाआओ मेरी चूओत ऑश मैं तो गाइिईई." ज़ोर से सिसकते हुए चूत ने एक बार और पानी छोड़ दिया.
सोनिया ने मुझे हल्का सा धक्का देते हुए कहा, "बस राज अब और नही."
में एक बार फिर से उससे दूर हट गया और अपनी कीताब पढ़ने लगा. थोड़ी देर बाद वो दोनो मेरे कमरे से चले गये और में लाइट बुझा गहरी नींद मे सो गया.
वो पहली और आखरी रात थी कि अमित ने सोनिया को मेरे सामने चोदा हो साथ ही उसके लिए वो पहली और आखरी रात थी कि मेने उसके सामने सोनिया की चूत को चूसा हो. शायद उसे इस बात से दुख पहुँचा था कि जो कमाल उसका लंड नही दीखा पाया वो कमाल मेरी जीभ ने दीखा दिया, की सोनिया इतनी जोर्र से सिसकते हुए उसके सामने झड़ी थी.
पर में उसे ये बता भी तो नही सकता था कि उस रात पहली बार ऐसा हुआ था कि सोनिया इतनी जोरों से झड़ी थी शायद मेरी तकदीर मेरा साथ दे रही थी.
और छह महीने इसी तरह गुज़र गया. किसी चीज़ मे कोई परिवर्तन नही आया सिर्फ़ इस बात के की अब सोनिया पहले से ज़्यादा रातों को मेरे कमरे मे आने लगी..
पहले तो सोनिया हफ्ते मे दो या तीन दिन आती थी किंतु अब तो लगभग हर रात आने लगी. उसके स्वाभाव मे भी थोड़ा परिवर्तन आ गया. पहले वो मेरे लंड को झटके देकर मुझे उठाती थी और फिर मेरे चेरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती थी. पर अब मुझे उठाने के बजाए वो तब तक मेरे लंड को मसल्ति जब तक मेरी नींद खूदबा खुद ना खूल जाती.
अब अक्सर ऐसा होने लगा वो रात को को मेरे कमरे मे आती और मेरे लंड को तब तक मसल्ति रहती और जब तक मेरा लंड पानी ना छोड़ देता तो मेरे चेहरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती.