एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
प़ड़्मिनी ने कोशिस की पर ज़िप नही खुली
‘अफ हटो तुम. मुझे खोलने दो‚
उसने एक झटके में ज़िप खोल दी और बोला,‚चलो अपने काम पे लग जाओ‚
प़ड़्मिनी ने अपनी जान बचाने के लिए बोल तो दिया था की वो ब्लो जॉब करेगी पर अब वो दुविधा में थी. ‘क्या करूँ अब. मन नही मानता ये सब करने का पर अगर नही किया तो ये ज़रूर मुझे मार देगा. पर अगर ये सब करने के बाद भी इसने मुझे मार दिया तो? ‘
‘हे जल्दी करो मेरे पास सारी रात नही है तुम्हारे लिए.‚
प़ड़्मिनी ने दया हाथ उसकी ज़िप में डाला. जैसे ही उष्का हाथ नकाब पॉश के तने हुवे पेनिस से टकराया उसके पसीने चुतने लगे. उसे अहसास हो चला था की वो जिसे बाहर निकालने की कोशिस कर रही है वो बड़ी भारी भरकम चीज़ है. ‘ओह गोद ये तो बहुत बड़ा है‚ उसने अपने मन में कहा. उसने अब तक अपने पाती का ही देखा और चुवा था और वो अब इसे नकाब पॉश के हतियार से बहुत छोटा मालूम प़ड़ रहा था. प़ड़्मिनी इतने मॅसिव कॉक को अपने हाथ में पाकर अचंभित भी थी और परेशान भी.
‘कैसे शककरूँगी इशे…ये तो बहुत बड़ा है.‚
‘अरे निकालो ना जल्दी बाहर और जल्दी से मूह में डालो. मुझ से इंतेजार नही हो रहा.‚
प़ड़्मिनी ने धीरे से उशके पेनिस को ज़िप से बाहर निकाला. और अपना मूह बिल्कुल उशके कॉक के नझडीक ले आई. उसने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोला ही था की……
एक दर्द भारी ज़ोर की छींख अचानक वाहा गूंजने लगी.
‘एक मिनिट रूको. मुझे देखना होगा की ये कौन छींखा था‚ नकाब पॉश ने अपने कॉक को वापिस पेंट के अंदर डालते हुवे कहा.
प़ड़्मिनी को कुछ समझ नही आ रहा था की आख़िर हो क्या रहा है.
प़ड़्मिनी को कुछ भी समझ में नही आ रहा था की आख़िर हो क्या रहा है.
‘’चलो मेरे साथ और ज़रा भी आवाज़ की तो अंजम बहुत बुरा होगा,’’ नकाब पॉश ने प़ड़्मिनी के गले पर चाकू रख कर कहा.
प़ड़्मिनी के पास कोई और चारा भी नही था. वो चुपचाप उसके साथ चल दी.
वो नकाब पॉश प़ड़्मिनी को ले कर सड़क के करीब ले आया. पर वो दोनो अभी भी घनी झाड़ियों के पीछे थे. वाहा पहुँच कर प़ड़्मिनी ने देखा की उसकी कार के पास कोई खड़ा है. वो तुरंत नकाब पॉश को ज़ोर से धक्का दे कर भाग कर अपनी कार के पास आ गयी.
“प्लीज़ हेल्प मे वो दरिन्दा मुझे मारना चाहता है. उशी ने इसे आदमी को भी मारा है जो मेरी कार के पास पड़ा है.”
“अछा ऐसा है क्या बताओ मुझे कहा है वो,’’ उष आदमी ने कहा.
‘अफ हटो तुम. मुझे खोलने दो‚
उसने एक झटके में ज़िप खोल दी और बोला,‚चलो अपने काम पे लग जाओ‚
प़ड़्मिनी ने अपनी जान बचाने के लिए बोल तो दिया था की वो ब्लो जॉब करेगी पर अब वो दुविधा में थी. ‘क्या करूँ अब. मन नही मानता ये सब करने का पर अगर नही किया तो ये ज़रूर मुझे मार देगा. पर अगर ये सब करने के बाद भी इसने मुझे मार दिया तो? ‘
‘हे जल्दी करो मेरे पास सारी रात नही है तुम्हारे लिए.‚
प़ड़्मिनी ने दया हाथ उसकी ज़िप में डाला. जैसे ही उष्का हाथ नकाब पॉश के तने हुवे पेनिस से टकराया उसके पसीने चुतने लगे. उसे अहसास हो चला था की वो जिसे बाहर निकालने की कोशिस कर रही है वो बड़ी भारी भरकम चीज़ है. ‘ओह गोद ये तो बहुत बड़ा है‚ उसने अपने मन में कहा. उसने अब तक अपने पाती का ही देखा और चुवा था और वो अब इसे नकाब पॉश के हतियार से बहुत छोटा मालूम प़ड़ रहा था. प़ड़्मिनी इतने मॅसिव कॉक को अपने हाथ में पाकर अचंभित भी थी और परेशान भी.
‘कैसे शककरूँगी इशे…ये तो बहुत बड़ा है.‚
‘अरे निकालो ना जल्दी बाहर और जल्दी से मूह में डालो. मुझ से इंतेजार नही हो रहा.‚
प़ड़्मिनी ने धीरे से उशके पेनिस को ज़िप से बाहर निकाला. और अपना मूह बिल्कुल उशके कॉक के नझडीक ले आई. उसने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोला ही था की……
एक दर्द भारी ज़ोर की छींख अचानक वाहा गूंजने लगी.
‘एक मिनिट रूको. मुझे देखना होगा की ये कौन छींखा था‚ नकाब पॉश ने अपने कॉक को वापिस पेंट के अंदर डालते हुवे कहा.
प़ड़्मिनी को कुछ समझ नही आ रहा था की आख़िर हो क्या रहा है.
प़ड़्मिनी को कुछ भी समझ में नही आ रहा था की आख़िर हो क्या रहा है.
‘’चलो मेरे साथ और ज़रा भी आवाज़ की तो अंजम बहुत बुरा होगा,’’ नकाब पॉश ने प़ड़्मिनी के गले पर चाकू रख कर कहा.
प़ड़्मिनी के पास कोई और चारा भी नही था. वो चुपचाप उसके साथ चल दी.
वो नकाब पॉश प़ड़्मिनी को ले कर सड़क के करीब ले आया. पर वो दोनो अभी भी घनी झाड़ियों के पीछे थे. वाहा पहुँच कर प़ड़्मिनी ने देखा की उसकी कार के पास कोई खड़ा है. वो तुरंत नकाब पॉश को ज़ोर से धक्का दे कर भाग कर अपनी कार के पास आ गयी.
“प्लीज़ हेल्प मे वो दरिन्दा मुझे मारना चाहता है. उशी ने इसे आदमी को भी मारा है जो मेरी कार के पास पड़ा है.”
“अछा ऐसा है क्या बताओ मुझे कहा है वो,’’ उष आदमी ने कहा.
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“वो वाहा उन झाड़ियों के पीछे है,” प़ड़्मिनी ने इशारा करके बताया.
उष आदमी ने टॉर्च निकाली और झाड़ियों की तरफ रोशनी की. “वाहा तो कोई नही है, आपको ज़रूर कोई वहाँ हुवा है”
“मेरा यकीन कीजिए वो यहीं कहीं होगा. इसे आदमी को भी उशी ने मारा है. क्या ये लाश आपको दीखाई नही दे रही”
“हन दीखाई दे रही है…पर हो सकता है इशे आपने मारा हो.”
“क्या बकवास कर रहे हैं. मैं क्या आपको खूनी नज़र आती हूँ”
“खूनी नज़र तो नही आती पर हो सकता है की तुमने ही ये सब किया हो और अब कहाँिया बना रही हो. चलो मेरे साथ पुलिस स्टेशन.”
“देखिए मेरा यकीन कीजिए…मैने किसी का खून नही किया. मैं आपको कैसे समझाओन.”
“मुझे कुछ समझाने की ज़रूरात नही है. ये खून तुमने ही किया है बस.”
तभी एक मोटरसाएकल सवार वाहा से गुज़राते हुवे ये सब देख कर रुक जाता है.
“ठीक है जो भी होगा सुबह देखा जाएगा अभी मैं घर जा रही हूँ,” प़ड़्मिनी ने उष आदमी से कहा
“तुम कहीं नही जाओगी.” वो आदमी ज़ोर से बोला.
“क्या हुवा मेडम कोई प्राब्लम है क्या.” मोटरसाएकल सवार ने उनके पास आकर पूछा.
पर इसे से पहले की वो कुछ बोल पाती उष आदमी ने उष मोटरसाएकल सवार को शूट कर दिया. 2 गोलियाँ उसके शीने में उतार दी. ये देख कर प़ड़्मिनी तर-तर काँपने लगी. “ओह माई गोद, त…त…तुमने उसे मार दिया. क…क…कौन हो तुम.”
“कोई प्राब्लम है क्या. क्या किसी ने शिखाया नही की दूसरो के मामले में टाँग नही आदाते.” वो आदमी पागलो की तरह बोला.
“वो तो बस मुझसे पूछ रहा था…”
“चुप कर साली…अब तेरी बारी है. पागल समझती है मुझे. बता क्या नाटक चल रहा है यहा.”
“मैं सच कह रही हूँ. इसे आदमी को एक नकाब पॉश ने मारा था. वो मुझे भी घसीट कर झाड़ियों में ले गया था…”
“फिर कहा गया वो नकाब पॉश.”
“म…म…मुझे नही पता.”
“तुम सारा सर झुत बोल रही हो.”
“आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं.”
“क्योंकि इसे आदमी को जो तुम्हारी कार के पास पड़ा है, मैने मारा है. वो भी इसे चाकू से. ऑरा अब इशी चाकू से मैं तुम्हारी खाल उधहेड़ूँगा.”
उष आदमी ने टॉर्च निकाली और झाड़ियों की तरफ रोशनी की. “वाहा तो कोई नही है, आपको ज़रूर कोई वहाँ हुवा है”
“मेरा यकीन कीजिए वो यहीं कहीं होगा. इसे आदमी को भी उशी ने मारा है. क्या ये लाश आपको दीखाई नही दे रही”
“हन दीखाई दे रही है…पर हो सकता है इशे आपने मारा हो.”
“क्या बकवास कर रहे हैं. मैं क्या आपको खूनी नज़र आती हूँ”
“खूनी नज़र तो नही आती पर हो सकता है की तुमने ही ये सब किया हो और अब कहाँिया बना रही हो. चलो मेरे साथ पुलिस स्टेशन.”
“देखिए मेरा यकीन कीजिए…मैने किसी का खून नही किया. मैं आपको कैसे समझाओन.”
“मुझे कुछ समझाने की ज़रूरात नही है. ये खून तुमने ही किया है बस.”
तभी एक मोटरसाएकल सवार वाहा से गुज़राते हुवे ये सब देख कर रुक जाता है.
“ठीक है जो भी होगा सुबह देखा जाएगा अभी मैं घर जा रही हूँ,” प़ड़्मिनी ने उष आदमी से कहा
“तुम कहीं नही जाओगी.” वो आदमी ज़ोर से बोला.
“क्या हुवा मेडम कोई प्राब्लम है क्या.” मोटरसाएकल सवार ने उनके पास आकर पूछा.
पर इसे से पहले की वो कुछ बोल पाती उष आदमी ने उष मोटरसाएकल सवार को शूट कर दिया. 2 गोलियाँ उसके शीने में उतार दी. ये देख कर प़ड़्मिनी तर-तर काँपने लगी. “ओह माई गोद, त…त…तुमने उसे मार दिया. क…क…कौन हो तुम.”
“कोई प्राब्लम है क्या. क्या किसी ने शिखाया नही की दूसरो के मामले में टाँग नही आदाते.” वो आदमी पागलो की तरह बोला.
“वो तो बस मुझसे पूछ रहा था…”
“चुप कर साली…अब तेरी बारी है. पागल समझती है मुझे. बता क्या नाटक चल रहा है यहा.”
“मैं सच कह रही हूँ. इसे आदमी को एक नकाब पॉश ने मारा था. वो मुझे भी घसीट कर झाड़ियों में ले गया था…”
“फिर कहा गया वो नकाब पॉश.”
“म…म…मुझे नही पता.”
“तुम सारा सर झुत बोल रही हो.”
“आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं.”
“क्योंकि इसे आदमी को जो तुम्हारी कार के पास पड़ा है, मैने मारा है. वो भी इसे चाकू से. ऑरा अब इशी चाकू से मैं तुम्हारी खाल उधहेड़ूँगा.”
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
प़ड़्मिनी का दर के मारे वैसे ही बुरा हाल था. अब उसका सर घूम रहा था. वो जो कुछ भी देख और शन रही थी वो सब यकीन के परे थे. एक बार तो उसने ये भी सोचा की कहीं ये सब सपना तो नही. पर अफ़सोस ये सब सपना नही हक़ीकत थी.
उष आदमी ने चाकू को हवा मैं लहराया और बोला, “तैयार हो जाओ मरने के लिए…आज तो ,मज़ा आ गया एक ही रात में तीसरा खून करने जर आहा हूँ.”
पर तभी उसके सर पर एक बड़े डंडे का वार हुवा और वो नीचे गिर गया. ठीक प़ड़्मिनी के कदमो के पास.
प़ड़्मिनी ने देखा की उष आदमी को नीचे गिराने वाला कोई और नही वही नकाब पॉश था जिसके जंगुल से बच कर वो भागी थी.
इश् से पहले की प़ड़्मिनी कुछ कह और सोच पाती उष आदमी ने फुर्ती से अपनी पिस्टल से नकाब पॉश की और फाइरिंग की. पर वो बच गया.
नकाब पॉश ने प़ड़्मिनी का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर झाड़ियों में ले गया.
“भागते कहा हो तुम बचोगे नही.” वो आदमी खड़ा हो कर छील्लाया.
“ये…ये सब हो क्या रहा है. कौन हो तुम.”
“चुप रहो…सब बतावँगा. अभी वो हमें ढुंड रहा है. पिस्टल है उसके पास. हमें ज़रा भी आवाज़ नही करनी ओक.”
ज़्यादा देर तक मुझसे बचोगे नही….”
उष आदमी ने प़ड़्मिनी की कार का दरवाजा खोल कर उसकी कार की चाबी निकाल ली. “तुम लोग यहा से बच कर नही जा सकते. नौटंकी करते हो मेरे साथ…हा”
जब वो उन्हे ढून्दते हुवे थोड़ा दूर निकल गया तो प़ड़्मिनी ने कहा, “क्यट उम मुझे बाटागे अब की यहा हो क्या रहा है. ये सब कुछ नाटक है या हक़ीकत.”
“जो कुछ हम तुम्हारे साथ कर रहे थे वो सब नाटक था. पर अब जो हो रहा है वो हक़ीकत है.”
“क्या…तुम्हारा मतलब तुम उष साएको किल्लर की कॉपी कर रहे थे पर क्यों.”
“तुम्हे परेशान करने के लिए.” नकाब पॉश ने कहा
“पर मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है. मैं तो तुम्हे जानती तक नही.”
“तुम मुझे जानती हो…”
“क्या…कौन हो तुम…सॉफ-सॉफ बताओ मेरा वैसे ही सर घूम घूम रहा है.”
“तुमने टीन महीने पहले मुझे नौकरी से निकलवाया था याद करो…”
“क्या…तुम वो हो! एक तो तुम काम ठीक से नही करते थे. मेरी जगह कोई भी होता तो तुम्हे निकाल ही देता.”
“श. धीरे से कहीं वो शन ला ले”
“ह्म क्या नाम था तुम्हारा?”
“मोहित…” नकाब पॉश ने कहा.
“हाँ मोहित…उष बात के लिए तुमने मेरे साथ इतना घिनोना मज़ाक किया…और…और तुम तो मेरा रेप करने वाले थे…”
“ऐसा नही है मेडम… मैं तो बस”
“क्या मैं तो बस तुमने मुझे वो सब करने पर मजबूर किया”
उष आदमी ने चाकू को हवा मैं लहराया और बोला, “तैयार हो जाओ मरने के लिए…आज तो ,मज़ा आ गया एक ही रात में तीसरा खून करने जर आहा हूँ.”
पर तभी उसके सर पर एक बड़े डंडे का वार हुवा और वो नीचे गिर गया. ठीक प़ड़्मिनी के कदमो के पास.
प़ड़्मिनी ने देखा की उष आदमी को नीचे गिराने वाला कोई और नही वही नकाब पॉश था जिसके जंगुल से बच कर वो भागी थी.
इश् से पहले की प़ड़्मिनी कुछ कह और सोच पाती उष आदमी ने फुर्ती से अपनी पिस्टल से नकाब पॉश की और फाइरिंग की. पर वो बच गया.
नकाब पॉश ने प़ड़्मिनी का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर झाड़ियों में ले गया.
“भागते कहा हो तुम बचोगे नही.” वो आदमी खड़ा हो कर छील्लाया.
“ये…ये सब हो क्या रहा है. कौन हो तुम.”
“चुप रहो…सब बतावँगा. अभी वो हमें ढुंड रहा है. पिस्टल है उसके पास. हमें ज़रा भी आवाज़ नही करनी ओक.”
ज़्यादा देर तक मुझसे बचोगे नही….”
उष आदमी ने प़ड़्मिनी की कार का दरवाजा खोल कर उसकी कार की चाबी निकाल ली. “तुम लोग यहा से बच कर नही जा सकते. नौटंकी करते हो मेरे साथ…हा”
जब वो उन्हे ढून्दते हुवे थोड़ा दूर निकल गया तो प़ड़्मिनी ने कहा, “क्यट उम मुझे बाटागे अब की यहा हो क्या रहा है. ये सब कुछ नाटक है या हक़ीकत.”
“जो कुछ हम तुम्हारे साथ कर रहे थे वो सब नाटक था. पर अब जो हो रहा है वो हक़ीकत है.”
“क्या…तुम्हारा मतलब तुम उष साएको किल्लर की कॉपी कर रहे थे पर क्यों.”
“तुम्हे परेशान करने के लिए.” नकाब पॉश ने कहा
“पर मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है. मैं तो तुम्हे जानती तक नही.”
“तुम मुझे जानती हो…”
“क्या…कौन हो तुम…सॉफ-सॉफ बताओ मेरा वैसे ही सर घूम घूम रहा है.”
“तुमने टीन महीने पहले मुझे नौकरी से निकलवाया था याद करो…”
“क्या…तुम वो हो! एक तो तुम काम ठीक से नही करते थे. मेरी जगह कोई भी होता तो तुम्हे निकाल ही देता.”
“श. धीरे से कहीं वो शन ला ले”
“ह्म क्या नाम था तुम्हारा?”
“मोहित…” नकाब पॉश ने कहा.
“हाँ मोहित…उष बात के लिए तुमने मेरे साथ इतना घिनोना मज़ाक किया…और…और तुम तो मेरा रेप करने वाले थे…”
“ऐसा नही है मेडम… मैं तो बस”
“क्या मैं तो बस तुमने मुझे वो सब करने पर मजबूर किया”