एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
हन पर ब्लो जॉब का प्रपोज़ल तो आपने ही रखा था. मेरा मकसद तो आपको बस डराना था. थोड़ी देर में मैं आपको जाने देता पर आप ही ब्लो जॉब करना चाहती थी.”
“चुप रहो ऐसा कुछ नही है… मैं बस अपनी जान बचाने की कोशिस कर रही थी. तुम मेरी जगह होते तो तुम भी यही करते.”
“मैं आपकी जघा होता तो ख़ुसी-ख़ुसी मार जाता ना की किसी का लंड चूसने के लिए तैयार हो जाता.”
“चुप रहो तुम”
“श…किसी के कदमो की आवाज़ आ रही है” नकाब पॉश ने प़ड़्मिनी के मूह पर हाथ रख कर कहा.”
“मुझे पता है तुम दोनो यहीं कहीं हो. चुपचाप बाहर आ जाओ. प्रॉमिस कराता हूँ क ई धीरे-धीरे आराम से मारूँगा तुम्हे.” उष प्ससचओ ने छील्ला कर कहा.
“यही वो साएको किल्लर है.” प़ड़्मिनी ने धीरे से कहा.
“इसमे क्या कोई शक बचा है अब. थोड़ी देर चुप रहो.”
“तुमने मुझे इसे मुसीबत में फँसाया है.”
“चुप रहो मेडम वरना हम दोनो मारे जाएँगे. बंदूक है उष पागल के पास. मुझे लगता है यहा रुकना ठीक नही पास ही मेरा घर है वाहा चलते हैं.”
“तुम्हारे पास फोन तो होगा, अभी पुलिस को फोन लगाओ.”
“फोन मेरे दोस्त के पास था.”
“चुप रहो ऐसा कुछ नही है… मैं बस अपनी जान बचाने की कोशिस कर रही थी. तुम मेरी जगह होते तो तुम भी यही करते.”
“मैं आपकी जघा होता तो ख़ुसी-ख़ुसी मार जाता ना की किसी का लंड चूसने के लिए तैयार हो जाता.”
“चुप रहो तुम”
“श…किसी के कदमो की आवाज़ आ रही है” नकाब पॉश ने प़ड़्मिनी के मूह पर हाथ रख कर कहा.”
“मुझे पता है तुम दोनो यहीं कहीं हो. चुपचाप बाहर आ जाओ. प्रॉमिस कराता हूँ क ई धीरे-धीरे आराम से मारूँगा तुम्हे.” उष प्ससचओ ने छील्ला कर कहा.
“यही वो साएको किल्लर है.” प़ड़्मिनी ने धीरे से कहा.
“इसमे क्या कोई शक बचा है अब. थोड़ी देर चुप रहो.”
“तुमने मुझे इसे मुसीबत में फँसाया है.”
“चुप रहो मेडम वरना हम दोनो मारे जाएँगे. बंदूक है उष पागल के पास. मुझे लगता है यहा रुकना ठीक नही पास ही मेरा घर है वाहा चलते हैं.”
“तुम्हारे पास फोन तो होगा, अभी पुलिस को फोन लगाओ.”
“फोन मेरे दोस्त के पास था.”
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“कौन दोस्त?”
“वही जिसकी लाश तुम्हारी कार के पास पड़ी है.”
“तुमने उसे मारने का नाटक किया था है ना.”
“हन…हमारा प्लान था की तुम्हे डराया जाए. मेरा मकसद तुम्हे जंगल में ले जाना नही था. पर जब तुम कार से निकल कार भागी तो मैने सोचा थोड़ा सा खेल और हो जाए.”
“तुम्हारा दोस्त सच में मारा गया. वाह क्या खेल खेला है. जो दूसरो के लिए खड्डा खोदत्ते हैं वो खुद उसमें गिर जाते हैं. तुम्हे भी अपने दोस्त के साथ मार जाना चाहिए था.”
“मैने तुम्हारी जान बचाई है और तुम ऐसी बाते कर रही हो.”
“तुम्हारे कारण ही मैं यहा फाँसी हूँ समझे. उपर से इतनी ठंड.”
“ब्लो जॉब कर लो गर्मी आ जाएगी.”
“एक बार यहा से निकल ज़ाऊ फिर तुम्हे बताती हूँ.” प़ड़्मिनी ने मन ही मन कहा.
“वैसे एक बात बताओ…मेरा लंड अपने हाथ में ले कर तुम्हे कैसा महसूस हो रहा था.”
“शूट उप मुझे इसे बड़े में कोई बात नही करनी…एक तो मेरे साथ ज़बरदस्ती करते हो फिर ऐसी बाते करते हो.”
“मैने अपना लंड तुम्हारे हाथ में नही रखा था ओक…तुमने खुद निकाला था मेरी ज़िप खोल कर. वो भी इश्लीए क्योंकि तुम मेरा लंड अपने मूह में लेना चाहती थी.”
“तुम्हे शरम नही आती एक लड़की से इतनी गंदी बाते करते हुवे.”
“पर तुमने ही तो ब्लो जॉब करने को कहा था. और तुमने ही तो ब्लो जॉब का मतलब समझाया था.”
“तुम अच्छे से जानते हो की ये सब मैने क्यों किया इश्लीए इतने भोले मत बनो. सुबह होते ही तुम भी सलाखो के पीछे होगे. मैं पुलिस को सब कुछ बता दूँगी. तुमने मेरा रेप करने की कोशिस की है.”
“तुम्हारी जान बचाने का ये शीला दोगी तुम मुझे…मैं अगर वक्त पर आकर उष साएको के सर पर डंडा नही माराता तो अब तक तुम्हारी भी लाश पड़ी होती वाहा.”
“और अगर तुम इतनी घिनोनी हरकत ना करते तो में इतनी रात को इसे जंगल में ना फाँसी होती.”
“और अगर तुम मुझे बिना किसी मतलब के नौकरी से ना निकालती तो मैं ये सब तुम्हारे साथ नही कराता.”
“इश्का मतलब तुम्हे कोई पचेटावा नही…”
“पचेटावा है…मेरे दोस्त की जान चली गयी इसे खेल में…”
“मेरे लिए तुम्हे कोई पचेटावा नही…”
“तुम्हे तुम्हारे किए की सज़ा मिली है…भूल गयी कितनी रिकवेस्ट की थी मैने तुम्हे. फिर भी तुमने मुझे ऑफीस से निकलवा कर ही छोड़ा.”
“देखो ये मेरे अकेले का डिसिशन नही था. फाइनली ये डिसिशन बॉस का था.”
“हन पर सारा किया धारा तो तुम्हारा ही तन ना.”
“मुझे तुम्हारा काम पसंद नही था. प्राइवेट सेक्टर में ये हर जगह होता है. हर कोई तुम्हारी तरह बदले लेगा तो क्या होगा…और वो भी इतनी घिनोकी हरकत…च्ीी तुम तो माफी के लायक भी नही हो. ये सब करने की बजाए तुम किसी और काम में मन लगाते तो अछा होता.”
“ठीक है मुझसे ग़लती हो गयी…बस खुश”
“पर अब यहा से कैसे निकले…वो प्ससचओ मेरी कार की चाबी भी ले गया.”
“मेरे घर चलॉगी…थोड़ी दूर ही है.”
“नही…मैं सिर्फ़ अपने घर जवँगी.”
“पर कैसे तुम्हारी कार की चाभी वो साएको ले गया. फोन हमारे पास है नही…वैसे तुम्हारा फोन कहा है.”
“कार में ही था.”
“मेरी बात मानो मेरे घर चलो. वो साएको पागलो की तरह हमें ढुंड रहा है. हमें जल्द से जल्द यहा से निकल जाना चाहिए”
“क्या तुम्हारे घर फोन होगा.”
“फोन तो नही है वाहा भी…पर हम सुरक्षित तो रहेंगे.”
“कितनी दूर है तुम्हारा घर.”
“नझडीक ही है आओ चलें.”
“पर वो साएको यही कहीं होगा वो हमारे कदमो की आहत शन लेगा.”
“दबे पाँव चॅलेंज…ज़्यादा दूर नही है घर मेरा. और ये जंगल भी ज़्यादा बड़ा नही है. 5 मिनिट में इसके बाहर निकल जाएँगे और बस फिर 5 मिनिट में मेरे घर पहुँच जाएँगे.”
“घर में कौन-कौन है.”
“मैं अकेला ही हूँ…”
“क्यों तुम्हारी बीवी कहा गयी…”
“तलाक़ हो गया मेरा उष से. या यूँ कहो की मेरी ग़रीबी से तंग आकर उसने मुझे छोड़ दिया. वक्त बुरा होता है तो परचाय भी साथ छोड़ जाती है. नौकरी चुतने के बाद बीवी भी छोड़ गयी.”
“क्या ये सब मेरे कारण हुवा.”
“वही जिसकी लाश तुम्हारी कार के पास पड़ी है.”
“तुमने उसे मारने का नाटक किया था है ना.”
“हन…हमारा प्लान था की तुम्हे डराया जाए. मेरा मकसद तुम्हे जंगल में ले जाना नही था. पर जब तुम कार से निकल कार भागी तो मैने सोचा थोड़ा सा खेल और हो जाए.”
“तुम्हारा दोस्त सच में मारा गया. वाह क्या खेल खेला है. जो दूसरो के लिए खड्डा खोदत्ते हैं वो खुद उसमें गिर जाते हैं. तुम्हे भी अपने दोस्त के साथ मार जाना चाहिए था.”
“मैने तुम्हारी जान बचाई है और तुम ऐसी बाते कर रही हो.”
“तुम्हारे कारण ही मैं यहा फाँसी हूँ समझे. उपर से इतनी ठंड.”
“ब्लो जॉब कर लो गर्मी आ जाएगी.”
“एक बार यहा से निकल ज़ाऊ फिर तुम्हे बताती हूँ.” प़ड़्मिनी ने मन ही मन कहा.
“वैसे एक बात बताओ…मेरा लंड अपने हाथ में ले कर तुम्हे कैसा महसूस हो रहा था.”
“शूट उप मुझे इसे बड़े में कोई बात नही करनी…एक तो मेरे साथ ज़बरदस्ती करते हो फिर ऐसी बाते करते हो.”
“मैने अपना लंड तुम्हारे हाथ में नही रखा था ओक…तुमने खुद निकाला था मेरी ज़िप खोल कर. वो भी इश्लीए क्योंकि तुम मेरा लंड अपने मूह में लेना चाहती थी.”
“तुम्हे शरम नही आती एक लड़की से इतनी गंदी बाते करते हुवे.”
“पर तुमने ही तो ब्लो जॉब करने को कहा था. और तुमने ही तो ब्लो जॉब का मतलब समझाया था.”
“तुम अच्छे से जानते हो की ये सब मैने क्यों किया इश्लीए इतने भोले मत बनो. सुबह होते ही तुम भी सलाखो के पीछे होगे. मैं पुलिस को सब कुछ बता दूँगी. तुमने मेरा रेप करने की कोशिस की है.”
“तुम्हारी जान बचाने का ये शीला दोगी तुम मुझे…मैं अगर वक्त पर आकर उष साएको के सर पर डंडा नही माराता तो अब तक तुम्हारी भी लाश पड़ी होती वाहा.”
“और अगर तुम इतनी घिनोनी हरकत ना करते तो में इतनी रात को इसे जंगल में ना फाँसी होती.”
“और अगर तुम मुझे बिना किसी मतलब के नौकरी से ना निकालती तो मैं ये सब तुम्हारे साथ नही कराता.”
“इश्का मतलब तुम्हे कोई पचेटावा नही…”
“पचेटावा है…मेरे दोस्त की जान चली गयी इसे खेल में…”
“मेरे लिए तुम्हे कोई पचेटावा नही…”
“तुम्हे तुम्हारे किए की सज़ा मिली है…भूल गयी कितनी रिकवेस्ट की थी मैने तुम्हे. फिर भी तुमने मुझे ऑफीस से निकलवा कर ही छोड़ा.”
“देखो ये मेरे अकेले का डिसिशन नही था. फाइनली ये डिसिशन बॉस का था.”
“हन पर सारा किया धारा तो तुम्हारा ही तन ना.”
“मुझे तुम्हारा काम पसंद नही था. प्राइवेट सेक्टर में ये हर जगह होता है. हर कोई तुम्हारी तरह बदले लेगा तो क्या होगा…और वो भी इतनी घिनोकी हरकत…च्ीी तुम तो माफी के लायक भी नही हो. ये सब करने की बजाए तुम किसी और काम में मन लगाते तो अछा होता.”
“ठीक है मुझसे ग़लती हो गयी…बस खुश”
“पर अब यहा से कैसे निकले…वो प्ससचओ मेरी कार की चाबी भी ले गया.”
“मेरे घर चलॉगी…थोड़ी दूर ही है.”
“नही…मैं सिर्फ़ अपने घर जवँगी.”
“पर कैसे तुम्हारी कार की चाभी वो साएको ले गया. फोन हमारे पास है नही…वैसे तुम्हारा फोन कहा है.”
“कार में ही था.”
“मेरी बात मानो मेरे घर चलो. वो साएको पागलो की तरह हमें ढुंड रहा है. हमें जल्द से जल्द यहा से निकल जाना चाहिए”
“क्या तुम्हारे घर फोन होगा.”
“फोन तो नही है वाहा भी…पर हम सुरक्षित तो रहेंगे.”
“कितनी दूर है तुम्हारा घर.”
“नझडीक ही है आओ चलें.”
“पर वो साएको यही कहीं होगा वो हमारे कदमो की आहत शन लेगा.”
“दबे पाँव चॅलेंज…ज़्यादा दूर नही है घर मेरा. और ये जंगल भी ज़्यादा बड़ा नही है. 5 मिनिट में इसके बाहर निकल जाएँगे और बस फिर 5 मिनिट में मेरे घर पहुँच जाएँगे.”
“घर में कौन-कौन है.”
“मैं अकेला ही हूँ…”
“क्यों तुम्हारी बीवी कहा गयी…”
“तलाक़ हो गया मेरा उष से. या यूँ कहो की मेरी ग़रीबी से तंग आकर उसने मुझे छोड़ दिया. वक्त बुरा होता है तो परचाय भी साथ छोड़ जाती है. नौकरी चुतने के बाद बीवी भी छोड़ गयी.”
“क्या ये सब मेरे कारण हुवा.”
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
जी हाँ बिल्कुल…चलो छोड़ो यहा से निकलते हैं पहले.”
वो धीरे धीरे जंगल से बाहर आ गये.
“कितना अंधेरा है यहा. क्या कोई और रास्ता नही तुम्हारे घर का.”
“रास्ते तो हैं…पर इसे वक्त ये सब से ज़्यादा सुरक्षित है. अंधेरे में हम आराम से उष साएको को चकमा दे कर निकल जाएँगे.”
“मैने उष साएको की शकल देख ली है. मैं कल पुलिस को सब बता दूँगी.”
“मुझे तो नही फ़ासावगी ना तुम.”
“वो कल देखेंगे.”
“वैसे इसे कम्बख़त ने आकर मज़ा खराब कर दिया. वरना आज पहली बार ब्लो जॉब मिल रही थी…” मोहित ने मज़ाक के अंदाज में कहा.
“अछा क्या तुम्हारी बीवी ने नही किया कभी.” प़ड़्मिनी ने भी मज़ाक में जवाब दिया.
“नही…तुमने ज़रूर किया होगा अपने हज़्बंद के साथ है ना.”
“छोड़ो ये सब…और जल्दी घर चलो.”
“हन बस हम पहुँचने ही वाले हैं.”
“ये आ गया मेरा घर.” मोहित ने एक छोटे से कमरे की तरफ इशारा करते हुवे कहा.
“ये घर है तुम्हारा…ये तो बस एक कमरा है. और आस पास ज़्यादा घर भी नही हैं” प़ड़्मिनी ने कहा
“हन छोटा सा कमरा है ये…पर यही मेरा घर है. ये छोटा सा कस्बा है. जो भी हो इसे वक्त जंगल में रहने से तो अछा ही है.”
मोहित ने दरवाजा खोला और प़ड़्मिनी को अंदर आने को कहा, “आ जाओ… डरो मत यहा तुम सुरक्षित हो.”
प़ड़्मिनी को कमरे में जाते हुवे दर लग रहा था. पर उशके पास कोई चारा भी नही था.
“अरे मेडम सोच क्या रही हो… आ जाओ यहा डरने की कोई बात नही है.”
“जो कुछ मेरे साथ हुवा उशके बाद कोई भी डरेगा.”
“समझ सकता हूँ.” मोहित ने गहरी साँस ले कर कहा
प़ड़्मिनी कमरे के अंदर आ गयी.
“देखो इसे छोटे से कमरे में बस एक ही बेड है और एक ही रज़ाई” मोहित ने कहा
“मुझे नींद नही आएगी तुम शो जाओ, मैं इसे कुर्सी पर बैठ कर रात गुज़ार लूँगी.”
“अरे ये सब करने की क्या ज़रूरात है.तुम आराम से बिस्तर पर शो जाओ मैं कंबल ले कर नीचे लाते जवँगा.”
“पर मुझे नींद नही आएगी.”
“हन पर ठंड बहुत है…तुम रज़ाई में आराम से बैठ जाओ. शोन का मन हो तो शो जाना वरना बैठे रहना.”
“ठीक है…पर याद रखो कोई भी ऐसी वैसी हरकत की तो…”
“चिंता मत करो मैं ऐसा कुछ नही करूँगा. जंगल में भी मेरा कोई इरादा नही था. वो तो तुमने ब्लो जॉब का ऑफर किया इश्लीए मैं बहक गया वरना किसी के साथ ज़बरदस्ती करने का कोई इरादा नही मेरा.”
“तो तुम अब मानते हो की वो सब ज़बरदस्ती कर रहे थे तुम मेरे साथ.”
“हन पर तुम्हारी रज़ामंदी से हहे…अगर वो काम अब पूरा कर सको तो देख लो”
“उशके लिए तुम्हे मेरी गार्डेन पर चाकू रखना होगा और मुझे डराना होगा. मैं वो सब ख़ुसी से हरगिज़ नही करूँगी.” प़ड़्मिनी ने गंभीर मुद्रा में कहा.
“फिर रहने दो…उष सब में मज़ा नही है.”
प़ड़्मिनी रज़ाई में बैठ गयी और मोहित कंबल ले कर ज़मीन पर चीटाई बीचा कर लाते गया.
“क्या लाइट बंद कर दम या फिर जलने दूं.” मोहित ने पूछा.
“जलने दो…” प़ड़्मिनी ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
कोई 5 मिनिट बाद कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खड़का.
प़ड़्मिनी घबरा गयी की कहीं वो साएको उनका पीछा करते-हुवे वाहा तक तो नही आ गया.
प़ड़्मिनी ने धीरे से पूछा, “कौन है?’
“शायद कोई पड़ोसी होगा. तुम चिंता मत करो मैं दरवाजा खोलता हूँ पर पहले ये लाइट बंद कर देता हूँ ताकि जो कोई भी हो तुम्हे ना देख सके.”
“ठीक है…”
मोहित ने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलते ही सरपट एक लड़का अंदर आ गया.
“कहा चले गये थे तुम गुरु…मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूँ.” उष लड़के ने कहा
“कुछ काम से गया था” मोहित ने जवाब दिया
“हन बहुत ज़रूरी काम था इशे आज…” प़ड़्मिनी ने मन ही मन कहा.
“क्या तुम भी गुरु…जब भी मैं जुगाड़ लगाता हूँ तुम गायब हो जाते हो. और ये अंधेरा क्यों कर रखा है… लाइट जला ना.”
“राजू अभी नींद आ रही है…कल बात करेंगे.”
“अरे मैं कब से तुम्हारी इंतेज़ार कर रहा हूँ गुरु… और तुम कह रहे हो नींद आ रही है.”
“हन यार बहुत तक गया हूँ…तू अभी जा कल बात करेंगे.”
“गुरु नगमा है साथ मेरे.”
“नगमा! कौन नगमा?”
“वही मोटू पांवाले की लड़की जीशकि गान्ड मारी थी तुमने हा…याद आया.”
“हे भगवान ये कैसी-कैसी बाते सुन-नि प़ड़ रही है मुझे.” प़ड़्मिनी ने मन ही मन खुद से कहा
“अछा वो….यार तू भी ना हमेशा ग़लत वक्त पर प्लान बनाता है. मैं आज बहुत तका हुवा हूँ. जा तू मौज कर उशके साथ.”
“अरे गुरु कैसी बाते करते हो…आज क्या हो गया है तुम्हे…रोज मुझे कहते थे कब दिलाओगे दुबारा उष्की…आज वो आई है तो…”
“राजू तू नही समझेगा… ये सब फिर कभी देखेंगे.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…”
“सॉरी यार..जाओ मज़े करो.” मोहित ने कहा.
“अछा यार ये तो बता…मुझे तो वो गान्ड देने से माना कर रही है. कह रही है…दर्द होता है बहुत. कैसे करूँ पीछे से उशके साथ.”
“मैं क्या गान्ड मारने में स्पेशलिस्ट हूँ. थूक लगा के डाल दे गान्ड में. हो जाएगा सब.”
“च्ीी कितने गंदे लोग हैं ये. इतनी गंदी बाते कोई नीच ही कर सकता है. और इसे मोहित को ज़रा भी शरम नही है. मेरे सामने ही सब बकवास किए जा रहा है.” प़ड़्मिनी ने अपने मन में कहा.
“अरे यार तुझे तो पता है…वो नखरे बहुत कराती है. कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो अगली बार नही देगी.” राजू ने कहा
“ऐसा कुछ नही होगा…पहले धीरे से डालना गान्ड में…फिर धीरे-धीरे मारना…धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा…और उसे मज़ा आने लगेगा. हाँ बस जल्दबाज़ी मत करना”
“क्या तुमने ऐसे ही ली थी उष्की गान्ड?”
“हन किशी की भी गान्ड लेने का यही तरीका है. थोड़ा शय्याम से काम लेना होता है. पता है ना शय्याम का मतलब.”
“समझ गया.”
“क्या समझे बताओ तो.”
“धीरे से गान्ड में डालना है.”
“हन ठीक समझे…जाओ अब फ़तेह कर लो नगमा की गान्ड.”
“अब तो फ़तेह ही समझो.”
वो धीरे धीरे जंगल से बाहर आ गये.
“कितना अंधेरा है यहा. क्या कोई और रास्ता नही तुम्हारे घर का.”
“रास्ते तो हैं…पर इसे वक्त ये सब से ज़्यादा सुरक्षित है. अंधेरे में हम आराम से उष साएको को चकमा दे कर निकल जाएँगे.”
“मैने उष साएको की शकल देख ली है. मैं कल पुलिस को सब बता दूँगी.”
“मुझे तो नही फ़ासावगी ना तुम.”
“वो कल देखेंगे.”
“वैसे इसे कम्बख़त ने आकर मज़ा खराब कर दिया. वरना आज पहली बार ब्लो जॉब मिल रही थी…” मोहित ने मज़ाक के अंदाज में कहा.
“अछा क्या तुम्हारी बीवी ने नही किया कभी.” प़ड़्मिनी ने भी मज़ाक में जवाब दिया.
“नही…तुमने ज़रूर किया होगा अपने हज़्बंद के साथ है ना.”
“छोड़ो ये सब…और जल्दी घर चलो.”
“हन बस हम पहुँचने ही वाले हैं.”
“ये आ गया मेरा घर.” मोहित ने एक छोटे से कमरे की तरफ इशारा करते हुवे कहा.
“ये घर है तुम्हारा…ये तो बस एक कमरा है. और आस पास ज़्यादा घर भी नही हैं” प़ड़्मिनी ने कहा
“हन छोटा सा कमरा है ये…पर यही मेरा घर है. ये छोटा सा कस्बा है. जो भी हो इसे वक्त जंगल में रहने से तो अछा ही है.”
मोहित ने दरवाजा खोला और प़ड़्मिनी को अंदर आने को कहा, “आ जाओ… डरो मत यहा तुम सुरक्षित हो.”
प़ड़्मिनी को कमरे में जाते हुवे दर लग रहा था. पर उशके पास कोई चारा भी नही था.
“अरे मेडम सोच क्या रही हो… आ जाओ यहा डरने की कोई बात नही है.”
“जो कुछ मेरे साथ हुवा उशके बाद कोई भी डरेगा.”
“समझ सकता हूँ.” मोहित ने गहरी साँस ले कर कहा
प़ड़्मिनी कमरे के अंदर आ गयी.
“देखो इसे छोटे से कमरे में बस एक ही बेड है और एक ही रज़ाई” मोहित ने कहा
“मुझे नींद नही आएगी तुम शो जाओ, मैं इसे कुर्सी पर बैठ कर रात गुज़ार लूँगी.”
“अरे ये सब करने की क्या ज़रूरात है.तुम आराम से बिस्तर पर शो जाओ मैं कंबल ले कर नीचे लाते जवँगा.”
“पर मुझे नींद नही आएगी.”
“हन पर ठंड बहुत है…तुम रज़ाई में आराम से बैठ जाओ. शोन का मन हो तो शो जाना वरना बैठे रहना.”
“ठीक है…पर याद रखो कोई भी ऐसी वैसी हरकत की तो…”
“चिंता मत करो मैं ऐसा कुछ नही करूँगा. जंगल में भी मेरा कोई इरादा नही था. वो तो तुमने ब्लो जॉब का ऑफर किया इश्लीए मैं बहक गया वरना किसी के साथ ज़बरदस्ती करने का कोई इरादा नही मेरा.”
“तो तुम अब मानते हो की वो सब ज़बरदस्ती कर रहे थे तुम मेरे साथ.”
“हन पर तुम्हारी रज़ामंदी से हहे…अगर वो काम अब पूरा कर सको तो देख लो”
“उशके लिए तुम्हे मेरी गार्डेन पर चाकू रखना होगा और मुझे डराना होगा. मैं वो सब ख़ुसी से हरगिज़ नही करूँगी.” प़ड़्मिनी ने गंभीर मुद्रा में कहा.
“फिर रहने दो…उष सब में मज़ा नही है.”
प़ड़्मिनी रज़ाई में बैठ गयी और मोहित कंबल ले कर ज़मीन पर चीटाई बीचा कर लाते गया.
“क्या लाइट बंद कर दम या फिर जलने दूं.” मोहित ने पूछा.
“जलने दो…” प़ड़्मिनी ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
कोई 5 मिनिट बाद कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खड़का.
प़ड़्मिनी घबरा गयी की कहीं वो साएको उनका पीछा करते-हुवे वाहा तक तो नही आ गया.
प़ड़्मिनी ने धीरे से पूछा, “कौन है?’
“शायद कोई पड़ोसी होगा. तुम चिंता मत करो मैं दरवाजा खोलता हूँ पर पहले ये लाइट बंद कर देता हूँ ताकि जो कोई भी हो तुम्हे ना देख सके.”
“ठीक है…”
मोहित ने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलते ही सरपट एक लड़का अंदर आ गया.
“कहा चले गये थे तुम गुरु…मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूँ.” उष लड़के ने कहा
“कुछ काम से गया था” मोहित ने जवाब दिया
“हन बहुत ज़रूरी काम था इशे आज…” प़ड़्मिनी ने मन ही मन कहा.
“क्या तुम भी गुरु…जब भी मैं जुगाड़ लगाता हूँ तुम गायब हो जाते हो. और ये अंधेरा क्यों कर रखा है… लाइट जला ना.”
“राजू अभी नींद आ रही है…कल बात करेंगे.”
“अरे मैं कब से तुम्हारी इंतेज़ार कर रहा हूँ गुरु… और तुम कह रहे हो नींद आ रही है.”
“हन यार बहुत तक गया हूँ…तू अभी जा कल बात करेंगे.”
“गुरु नगमा है साथ मेरे.”
“नगमा! कौन नगमा?”
“वही मोटू पांवाले की लड़की जीशकि गान्ड मारी थी तुमने हा…याद आया.”
“हे भगवान ये कैसी-कैसी बाते सुन-नि प़ड़ रही है मुझे.” प़ड़्मिनी ने मन ही मन खुद से कहा
“अछा वो….यार तू भी ना हमेशा ग़लत वक्त पर प्लान बनाता है. मैं आज बहुत तका हुवा हूँ. जा तू मौज कर उशके साथ.”
“अरे गुरु कैसी बाते करते हो…आज क्या हो गया है तुम्हे…रोज मुझे कहते थे कब दिलाओगे दुबारा उष्की…आज वो आई है तो…”
“राजू तू नही समझेगा… ये सब फिर कभी देखेंगे.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…”
“सॉरी यार..जाओ मज़े करो.” मोहित ने कहा.
“अछा यार ये तो बता…मुझे तो वो गान्ड देने से माना कर रही है. कह रही है…दर्द होता है बहुत. कैसे करूँ पीछे से उशके साथ.”
“मैं क्या गान्ड मारने में स्पेशलिस्ट हूँ. थूक लगा के डाल दे गान्ड में. हो जाएगा सब.”
“च्ीी कितने गंदे लोग हैं ये. इतनी गंदी बाते कोई नीच ही कर सकता है. और इसे मोहित को ज़रा भी शरम नही है. मेरे सामने ही सब बकवास किए जा रहा है.” प़ड़्मिनी ने अपने मन में कहा.
“अरे यार तुझे तो पता है…वो नखरे बहुत कराती है. कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो अगली बार नही देगी.” राजू ने कहा
“ऐसा कुछ नही होगा…पहले धीरे से डालना गान्ड में…फिर धीरे-धीरे मारना…धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा…और उसे मज़ा आने लगेगा. हाँ बस जल्दबाज़ी मत करना”
“क्या तुमने ऐसे ही ली थी उष्की गान्ड?”
“हन किशी की भी गान्ड लेने का यही तरीका है. थोड़ा शय्याम से काम लेना होता है. पता है ना शय्याम का मतलब.”
“समझ गया.”
“क्या समझे बताओ तो.”
“धीरे से गान्ड में डालना है.”
“हन ठीक समझे…जाओ अब फ़तेह कर लो नगमा की गान्ड.”
“अब तो फ़तेह ही समझो.”