सामूहिक चुदाई
मेरा नाम डॉली है, मेरे पति राज एक इंजीनियरिंग कंपनी में अच्छे पद पर हैं।
हम लोग वैसे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, पर पिछले 15 सालों से नई दिल्ली में रह रहे हैं।
राज 40 साल के हैं, पर 35 से ज़्यादा नहीं दिखते, 5’8″ कद है, हल्के से मोटे हैं, गोरे और सुंदर हैं..।
मेरी उम्र 35 साल है, पर 30 साल की दिखती हूँ, 5’3″ कद है, जिस्म 36-27-36 है।
हम दोनों यहाँ पर अपने कुछ दोस्तों के साथ बीवियों को आपस में अदल-बदल करके चुदाई करते हैं।
इस बीवियों की अदला-बदली करके चुदाई में दो जोड़े अपने-अपने साथी बदल कर एक-दूसरे को चोदते हैं, एक की पत्नी दूसरे आदमी के साथ चुदती है और उसका पति किसी और की पत्नी को चोदता है।
हम नहीं जानते कि यहाँ पर हमारे अलावा और कितने जोड़े ऐसे अपनी-अपनी बीवियों को अदल-बदल कर चुदाई करते हैं। मेरे ख्याल से इसके लिए मन तो बहुतों का होता है, और अगर अवसर मिले तो शायद इसका आनन्द भी उठाएँ।
हम लोग फ़िलहाल अपने 4 नज़दीकी मित्र-जोड़ों के साथ बीवियों की अदला-बदली करके चुदाई करते हैं और करवाते हैं। अक्सर हममें से दो-तीन जोड़े ही एक साथ हो पाते हैं, पर कभी-कभार किसी विशिष्ट अवसर पर, जब सबको समय हो, हम पाँचों मिलते हैं, अदला-बदली करके ही चुदाई करते हैं।
हालाँकि हमारा उद्देश्य एक-दूसरे के जीवन साथी के साथ चुदाई का आनन्द उठाना होता है, पर इस में हमारी प्रगाढ़ मित्रता, यानि कि दावतें, पिकनिक, पार्टियाँ और दूसरे के साथी के साथ हँसी-मज़ाक और सबके सामने एक-दूसरे के कपड़ों के ऊपर से जो मर्ज़ी आए, करके मज़ा लेना भी शामिल हैं।
इनके साथ दूसरे के साथी के साथ अकेले फिल्म देखने जाना, बाहर खाना खाना और फिर उसे अपने साथ चुदाई के लिए घर लाना भी शामिल होता है।
जब मेरे पति किसी और की पत्नी के साथ यही सब कर रहे हों, तो मेरे द्वारा किसी और के साथ यही सब करना अपने आप में बहुत ही रोमांटिक है।
हम 2-3 जोड़ियाँ कभी-कभी एक साथ दूसरे शहर घूमने जाते हैं तो मैं दूसरे के पति के साथ ही अलग कमरे में रहती हूँ, जैसे कि उन दिनों के लिए हमारे पति वही हों !
हमने अपनी इस जिंदगी की शुरुआत कैसे की, अब मैं यह बताना चाहूँगी।
मुझे लम्बे अरसे से यह शक था कि राज दूसरी औरतों को चोदने का बहुत इच्छुक था, पर कोई 5-6 साल पहले उसने कहना शुरू किया कि डॉली, उमर बहुत छोटी होती है और हमें यह भी अनुभव करना चाहिए कि दूसरों के साथ चुदाई करने में कैसा मज़ा आता है क्योंकि हम दोनों ने विवाह के पहले किसी से चुदाई नहीं की थी।
वो किसी दूसरी स्त्री के साथ चुदाई का लुत्फ़ उठाना चाहता था और मुझे भी उत्साहित करता था कि मैं भी किसी दूसरे मर्द के साथ चुदाई का आनन्द उठाऊँ।
इन बातों के दौर से हमारी चुदाई में आनन्द और बढ़ गया था।
जब दोस्तों को अपने घर में बुलाते तो राज रसोई में मुझसे आकर बताता कि आज उसे किस दोस्त की बीवी को चोदने का मन कर रहा है। वह मुझसे भी पूछता कि आज मेरा मन किस दोस्त से चुदवाने को कर रहा है।
ये सब बातें करके हमें बड़ा मज़ा आने लगा और हम सबके जाने के बाद उस दोस्त और उसकी बीबी का नाम लेकर एक-दूसरे को चोदने लगते थे।
कुछ दिनों तक बिस्तर में चोदते समय इस बारे में बातें करते-करते मेरी भी हिम्मत बढ़ती गई और मैं दूसरे जोड़े के साथ काल्पनिक अदला-बदली चुदाई के लिए तैयार हो गई। फिर हमने ढूंढना शुरू किया और हमारी नज़र जय और ललिता पर पड़ी जो हमारे ही पड़ोस में कुछ ही दूरी पर रहते थे।
इन कुछ सालों में हमारी उनसे दोस्ती काफ़ी गहरी हो गई है। ये दोनों भी लगभग हमारी ही उमर के थे। जय 38 साल का था और ललिता 32 की, ललिता का शरीर बहुत सुंदर (32-26-38) था। वो काफ़ी पतली थी और नयन-नक्स तीखे थे।
हम दोनों उनके स्वभाव और सुंदरता से काफ़ी प्रभावित हुए थे।
अपनी चुदाई के समय अब हम जय और ललिता के बारे में सोचने लगे और उनके साथ चुदाई की कल्पना करने लगे।
जब भी राज मुझे चोदता था तो मुझसे यही कहता कि मेरी चूत कितनी रसीली और सुंदर है और मैं बड़ी आसानी से जय को अपने साथ चुदाई करने के लिए पटा सकती हूँ।
फिर मैंने भी राज से कहा कि उसका लंड इतना अच्छा है कि ललिता भी उसके लंड का स्वाद लेने के लिए आसानी से आतुर हो जाएगी।
वो मुझसे पूछता कि आज मुझे किसके लंड से चुदवाना है, उसके या जय के…! मैं भी राज से पूछती कि आज उसे किसकी चूत चोदने का मन कर रहा है, मेरी या ललिता की…!
राज ने महसूस किया कि मुझे इन बातों से बहुत मज़ा आता है और मैं खूब उत्तेजित होकर राज से चुदवाने लगी थी।
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Re: सामूहिक चुदाई
एक दिन तो राज चुदाई के दौरान मुझसे पूछने लगा- डॉली, बताओ तो सही, अभी तुम्हारी चूत के अन्दर किसका लंड घुसा है?
मैं भी बिना ज़्यादा हिचक के बोली- राज, इस समय तो मेरी चूत जय के लंड का मज़ा ले रही है।
जल्द ही मैंने भी राज से पूछा- राज, तुम्हारा लंड किसकी चूत में है?
तो राज बड़े मज़े से बोला- ललिता की ललिता में है।
राज ने कुछ कहा नहीं पर यह ज़रूर महसूस किया कि जब मैं जय के साथ चुदाई की कल्पना करती हूँ, तो मेरा चुदाई में उत्साह और बढ़ जाता है और मैं राज से खूब ज़ोर से चुदवाती हूँ।
फिर एक दिन मैंने उससे कहा- तुम मुझे चोदते वक़्त यह कल्पना करते हो कि तुम ललिता को चोद रहे हो, तो क्यों नहीं चोदते समय मुझे ललिता कहकर ही पुकारो?
काफ़ी दिनों तक रोज़ हम लोग इस काल्पनिक दुनिया में एक-दूसरे को जय और ललिता के नाम से चोदते रहे। मैं उसे जय पुकारती और वो मुझे ललिता।
फिर लगभग आज से 5 साल पहले, एक दिन अचानक अंजाने में ही, जय और ललिता के साथ यह कल्पना हक़ीकत में बदल गई।
एक दिन जय और ललिता ने हमें रात को डिनर पर बुलाया।
हम उनके घर गए और वहाँ राज और जय ने साथ बैठ कर थोड़ी व्हिस्की पी। मैंने और ललिता ने भी थोड़ी सी ली।
तभी एकाएक जय ब्लू-फ़िल्मों के बारे में बात करने लगा, चूँकि उसे भी पता था कि हम दोनों ऐसी पिक्चर अक्सर देखा करते हैं।
जय ने राज से पूछा- क्या तुमने कभी कोई इंडियन ब्लू-फिल्म देखी है? ऐसी फिल्म देखने में बड़ा मज़ा आता है।
राज ने जय को बताया- अब ऐसी फ़िल्में अब धीरे-धीरे सभी जगह पर मिलने लगी हैं और हमने कुछ देखी भी हैं। ये ज़्यादा मज़ेदार होती हैं क्यूंकि साड़ी और पेटीकोट उठा कर भारतीय औरतों को अलग-अलग लोगों से अपनी ललिता चुदवाते देखने में अलग ही आनन्द आता है। जब भारतीय औरतें अपनी सुंदर सा मुँह खोल कर किसी का लंड चूसती हैं तो अपना लंड तो खड़ा हो जाता है।
राज ने जय को बताया- हमारी कार में एक वीडियो सीडी पड़ी है जो हम वापस लौटने वाले थे।
उसने कहा- अगर तुम चाहो तो उसे वापस करने के पहले देख सकते हो !
क्योंकि ललिता ने भी कभी भारतीय ब्लू-फिल्म नहीं देखी थी, जय ने उसे सुझाव दिया कि वे दोनों उसे अपने बेडरूम में देख लेंगे और हमारी वापसी पर लौटा देंगे।
राज ने उन्हें उत्साहित करते हुए कहा- हम दोनों तब तक कोई दूसरी हिन्दी फिल्म वही ड्राइंग-रूम में देखेंगे।
पर जय ने कहा- यह तो बदतमीज़ी होगी और चूँकि हम सब व्यस्क हैं, हम सब को ब्लू-फिल्म का आनन्द एक साथ उठाना चाहिए। हालाँकि राज और मुझे इसमें कोई इतराज़ नहीं था, पर ललिता कुछ शंका में लग रही थी।
उसके बाद ललिता के साथ मैं रसोई में गई और उसे हिम्मत दी कि नज़दीकी दोस्तों के साथ ऐसी फिल्म देखने में कोई हर्ज़ नहीं है।
हम रसोई से कुछ और ड्रिंक्स लेकर आए।
कुछ समय बाद ललिता ने हल्के से कह ही दिया कि उसे फिल्म देखने में कोई ऐतराज़ नहीं है।
राज बाहर जाकर कार से सीडी निकाल लाया जिसका नाम ‘बॉम्बे-फैंटेसी’ था।
हम सब उनके बेडरूम में चले गए। मैं और राज सोफे पर बैठ गए और जय और ललिता अपने बिस्तर पर।
जय ने लाइट बंद करके फिल्म चालू कर दी। हम लोगों ने ये फिल्म देखी हुई थी, जिसमें दो मर्द और दो औरत के एक ही बिस्तर पर चुदाई की कहानी थी।
हम शान्ति से सोफे पर बैठ कर जय और ललिता के भाव पढ़़ने की कोशिश कर रहे थे।
कमरे में टीवी की रोशनी के अलावा अंधेरा था।
कुछ देर में हमें लगा कि जय और ललिता गर्म हो रहे थे और उन्होंने अपने आप को कम्बल से ढक लिया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे जय, ललिता के साथ चुदाई से पूर्व की हरकतों में मशगूल हो गया था।
मैं भी बिना ज़्यादा हिचक के बोली- राज, इस समय तो मेरी चूत जय के लंड का मज़ा ले रही है।
जल्द ही मैंने भी राज से पूछा- राज, तुम्हारा लंड किसकी चूत में है?
तो राज बड़े मज़े से बोला- ललिता की ललिता में है।
राज ने कुछ कहा नहीं पर यह ज़रूर महसूस किया कि जब मैं जय के साथ चुदाई की कल्पना करती हूँ, तो मेरा चुदाई में उत्साह और बढ़ जाता है और मैं राज से खूब ज़ोर से चुदवाती हूँ।
फिर एक दिन मैंने उससे कहा- तुम मुझे चोदते वक़्त यह कल्पना करते हो कि तुम ललिता को चोद रहे हो, तो क्यों नहीं चोदते समय मुझे ललिता कहकर ही पुकारो?
काफ़ी दिनों तक रोज़ हम लोग इस काल्पनिक दुनिया में एक-दूसरे को जय और ललिता के नाम से चोदते रहे। मैं उसे जय पुकारती और वो मुझे ललिता।
फिर लगभग आज से 5 साल पहले, एक दिन अचानक अंजाने में ही, जय और ललिता के साथ यह कल्पना हक़ीकत में बदल गई।
एक दिन जय और ललिता ने हमें रात को डिनर पर बुलाया।
हम उनके घर गए और वहाँ राज और जय ने साथ बैठ कर थोड़ी व्हिस्की पी। मैंने और ललिता ने भी थोड़ी सी ली।
तभी एकाएक जय ब्लू-फ़िल्मों के बारे में बात करने लगा, चूँकि उसे भी पता था कि हम दोनों ऐसी पिक्चर अक्सर देखा करते हैं।
जय ने राज से पूछा- क्या तुमने कभी कोई इंडियन ब्लू-फिल्म देखी है? ऐसी फिल्म देखने में बड़ा मज़ा आता है।
राज ने जय को बताया- अब ऐसी फ़िल्में अब धीरे-धीरे सभी जगह पर मिलने लगी हैं और हमने कुछ देखी भी हैं। ये ज़्यादा मज़ेदार होती हैं क्यूंकि साड़ी और पेटीकोट उठा कर भारतीय औरतों को अलग-अलग लोगों से अपनी ललिता चुदवाते देखने में अलग ही आनन्द आता है। जब भारतीय औरतें अपनी सुंदर सा मुँह खोल कर किसी का लंड चूसती हैं तो अपना लंड तो खड़ा हो जाता है।
राज ने जय को बताया- हमारी कार में एक वीडियो सीडी पड़ी है जो हम वापस लौटने वाले थे।
उसने कहा- अगर तुम चाहो तो उसे वापस करने के पहले देख सकते हो !
क्योंकि ललिता ने भी कभी भारतीय ब्लू-फिल्म नहीं देखी थी, जय ने उसे सुझाव दिया कि वे दोनों उसे अपने बेडरूम में देख लेंगे और हमारी वापसी पर लौटा देंगे।
राज ने उन्हें उत्साहित करते हुए कहा- हम दोनों तब तक कोई दूसरी हिन्दी फिल्म वही ड्राइंग-रूम में देखेंगे।
पर जय ने कहा- यह तो बदतमीज़ी होगी और चूँकि हम सब व्यस्क हैं, हम सब को ब्लू-फिल्म का आनन्द एक साथ उठाना चाहिए। हालाँकि राज और मुझे इसमें कोई इतराज़ नहीं था, पर ललिता कुछ शंका में लग रही थी।
उसके बाद ललिता के साथ मैं रसोई में गई और उसे हिम्मत दी कि नज़दीकी दोस्तों के साथ ऐसी फिल्म देखने में कोई हर्ज़ नहीं है।
हम रसोई से कुछ और ड्रिंक्स लेकर आए।
कुछ समय बाद ललिता ने हल्के से कह ही दिया कि उसे फिल्म देखने में कोई ऐतराज़ नहीं है।
राज बाहर जाकर कार से सीडी निकाल लाया जिसका नाम ‘बॉम्बे-फैंटेसी’ था।
हम सब उनके बेडरूम में चले गए। मैं और राज सोफे पर बैठ गए और जय और ललिता अपने बिस्तर पर।
जय ने लाइट बंद करके फिल्म चालू कर दी। हम लोगों ने ये फिल्म देखी हुई थी, जिसमें दो मर्द और दो औरत के एक ही बिस्तर पर चुदाई की कहानी थी।
हम शान्ति से सोफे पर बैठ कर जय और ललिता के भाव पढ़़ने की कोशिश कर रहे थे।
कमरे में टीवी की रोशनी के अलावा अंधेरा था।
कुछ देर में हमें लगा कि जय और ललिता गर्म हो रहे थे और उन्होंने अपने आप को कम्बल से ढक लिया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे जय, ललिता के साथ चुदाई से पूर्व की हरकतों में मशगूल हो गया था।
Re: सामूहिक चुदाई
यह देख कर राज भी गर्म हो गया और मुझे चूमने लगा, मेरी चूचियों से खेलने लगा।
अब जय और ललिता अपने आप में इतने व्यस्त थे कि उनका ध्यान हमारी ओर नहीं था।
यह जान मैंने भी राज के लंड को हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया। राज ने भी अपना हाथ मेरी ललिता पर रख दिया और हम भी जय और ललिता के बीच चल रहे संभावित खेल में शामिल हो गए।
अचानक राज ने देखा कि जय और ललिता के ऊपर से कम्बल एक ओर सरक गया था और उसकी नज़र जय के नंगे चूतड़ों पर पड़ी।
ललिता की साड़ी उतर चुकी थी और जय ललिता के ऊपर चढ़ा हुआ था, वे दोनों पूरी तरह चुदाई में लग गए थे, जय अपना 8″ का खड़ा लंड ललिता की चूत में घुसेड़ चुका था और अपने हाथों से ललिता की चूचियों को मसल रहा था।
यह देख कर राज ने कहा- चलो तुम भी मेरी ललिता बन जाओ !
और यह कह कर राज मेरे दोनों कबूतरों को पकड़ कर कस-कस कर मसलने लगा, पर मैं शर,आ रही थी क्योंकि जय और ललिता की तरह हमारे पास हमारे नंगे बदन को ढकने के लिए कुछ नहीं था।
पर थोड़ी ही देर में मैं भी चुदाई की चलती हुई फिल्म, अपनी चूची की मसलाई और जय और ललिता की खुली चुदाई से काफ़ी गर्म हो गई और राज से मैं भी अपनी चूत चुदवाने के लिए तड़पने लगी।
अब जय और ललिता के ऊपर पड़ा हुआ कम्बल बस नाम मात्र को ही उनके नंगे बदनों को ढक रहा था। ललिता की नंगी चूची और उसका पेट और नंगी जाँघें साफ-साफ दिख रही थीं।
जय इस समय ललिता के ऊपर चढ़ा हुआ था और अपनी कमर उठा-उठा कर जन्नत की चूत में अपना 8″ का लंड पेल रहा था और ललिता भी अपनी पतली कमर उठा-उठा कर जय के हर धक्के को अपनी चूत में ले रही थी और धीरे-धीरे बड़बड़ा रही थी जैसे ‘हाईईईईईईई, और जूऊऊर सीईई चोदूऊऊ, बहुउऊुउउट मज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा आआआआ र्हईईईई हाईईईई..!’
यह देख कर मेरी चूत गीली हो गई और मैं भी राज से वहीं सोफे पर चुदवाने को राज़ी हो गई।
मेरी रज़ामंदी पाकर राज मुझ पर टूट पड़ा और मेरी दोनों चूचियों को लेकर पागलों की तरह उन्हें मसलने और चूसने लगा।
मैं भी अपना हाथ आगे ले जाकर राज का तना हुआ लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
जब मैं राज के लंड तो सहला रही थी तो मुझे लगा कि आज राज का लंड कुछ ज़्यादा ही अकड़ा हुआ है।
राज ने तेज़ी से अपने कपड़े उतारे और मेरे ऊपर आते हुए मेरी भी साड़ी उतारने लगा।
कुछ ही देर में हम दोनों सोफे पर जय और ललिता की तरह नंगे हो चुके थे।
टीवी की धुंधली रोशनी में भी इतना तो साफ दिख रहा था कि कम्बल अब पूरी तरह से हट चुका था और जय खुले बिस्तर पर हमारे ही सामने ही ललिता को जमकर चोद रहा था।
ललिता भी अपने चारों तरफ से बेख़बर हो कर अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चूत चुदवा रही थी।
मेरे ख्याल से जय और ललिता की खुल्लम-खुल्ला चुदाई देख कर मैं भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी और राज से बोली- अब जल्दी से तुम मुझे भी जय की तरह चोदो, मैं अपनी चूत की खुजली से मरी जा रही हूँ।
मेरी बात खत्म होने से पहले ही राज का तनतनाया हुआ लौड़ा मेरी चूत में एक जोरदार धक्के के साथ दाखिल हो गया।
राज अपने लंड से इतने ज़ोर से मेरी चूत में धक्का मारा कि मेरी मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गई।
मैं तो इतनी ज़ोर से चीखी जैसे कि उसका लंड मेरी चूत के अन्दर पहली बार गया हो !
एकाएक पूरा माहौल ही बदल गया। मेरी चीख से जय और ललिता को भी पता लग गया था कि हम दोनों भी उसी कमरे में हैं और अपनी चुदाई में लग चुके हैं।
यह हमारे जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत थी जिसने कि हमें अदला-बदली करके चुदाई के आनन्द का रास्ता दिखाया।
अब जय और ललिता अपने आप में इतने व्यस्त थे कि उनका ध्यान हमारी ओर नहीं था।
यह जान मैंने भी राज के लंड को हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया। राज ने भी अपना हाथ मेरी ललिता पर रख दिया और हम भी जय और ललिता के बीच चल रहे संभावित खेल में शामिल हो गए।
अचानक राज ने देखा कि जय और ललिता के ऊपर से कम्बल एक ओर सरक गया था और उसकी नज़र जय के नंगे चूतड़ों पर पड़ी।
ललिता की साड़ी उतर चुकी थी और जय ललिता के ऊपर चढ़ा हुआ था, वे दोनों पूरी तरह चुदाई में लग गए थे, जय अपना 8″ का खड़ा लंड ललिता की चूत में घुसेड़ चुका था और अपने हाथों से ललिता की चूचियों को मसल रहा था।
यह देख कर राज ने कहा- चलो तुम भी मेरी ललिता बन जाओ !
और यह कह कर राज मेरे दोनों कबूतरों को पकड़ कर कस-कस कर मसलने लगा, पर मैं शर,आ रही थी क्योंकि जय और ललिता की तरह हमारे पास हमारे नंगे बदन को ढकने के लिए कुछ नहीं था।
पर थोड़ी ही देर में मैं भी चुदाई की चलती हुई फिल्म, अपनी चूची की मसलाई और जय और ललिता की खुली चुदाई से काफ़ी गर्म हो गई और राज से मैं भी अपनी चूत चुदवाने के लिए तड़पने लगी।
अब जय और ललिता के ऊपर पड़ा हुआ कम्बल बस नाम मात्र को ही उनके नंगे बदनों को ढक रहा था। ललिता की नंगी चूची और उसका पेट और नंगी जाँघें साफ-साफ दिख रही थीं।
जय इस समय ललिता के ऊपर चढ़ा हुआ था और अपनी कमर उठा-उठा कर जन्नत की चूत में अपना 8″ का लंड पेल रहा था और ललिता भी अपनी पतली कमर उठा-उठा कर जय के हर धक्के को अपनी चूत में ले रही थी और धीरे-धीरे बड़बड़ा रही थी जैसे ‘हाईईईईईईई, और जूऊऊर सीईई चोदूऊऊ, बहुउऊुउउट मज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा आआआआ र्हईईईई हाईईईई..!’
यह देख कर मेरी चूत गीली हो गई और मैं भी राज से वहीं सोफे पर चुदवाने को राज़ी हो गई।
मेरी रज़ामंदी पाकर राज मुझ पर टूट पड़ा और मेरी दोनों चूचियों को लेकर पागलों की तरह उन्हें मसलने और चूसने लगा।
मैं भी अपना हाथ आगे ले जाकर राज का तना हुआ लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
जब मैं राज के लंड तो सहला रही थी तो मुझे लगा कि आज राज का लंड कुछ ज़्यादा ही अकड़ा हुआ है।
राज ने तेज़ी से अपने कपड़े उतारे और मेरे ऊपर आते हुए मेरी भी साड़ी उतारने लगा।
कुछ ही देर में हम दोनों सोफे पर जय और ललिता की तरह नंगे हो चुके थे।
टीवी की धुंधली रोशनी में भी इतना तो साफ दिख रहा था कि कम्बल अब पूरी तरह से हट चुका था और जय खुले बिस्तर पर हमारे ही सामने ही ललिता को जमकर चोद रहा था।
ललिता भी अपने चारों तरफ से बेख़बर हो कर अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चूत चुदवा रही थी।
मेरे ख्याल से जय और ललिता की खुल्लम-खुल्ला चुदाई देख कर मैं भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी और राज से बोली- अब जल्दी से तुम मुझे भी जय की तरह चोदो, मैं अपनी चूत की खुजली से मरी जा रही हूँ।
मेरी बात खत्म होने से पहले ही राज का तनतनाया हुआ लौड़ा मेरी चूत में एक जोरदार धक्के के साथ दाखिल हो गया।
राज अपने लंड से इतने ज़ोर से मेरी चूत में धक्का मारा कि मेरी मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गई।
मैं तो इतनी ज़ोर से चीखी जैसे कि उसका लंड मेरी चूत के अन्दर पहली बार गया हो !
एकाएक पूरा माहौल ही बदल गया। मेरी चीख से जय और ललिता को भी पता लग गया था कि हम दोनों भी उसी कमरे में हैं और अपनी चुदाई में लग चुके हैं।
यह हमारे जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत थी जिसने कि हमें अदला-बदली करके चुदाई के आनन्द का रास्ता दिखाया।