कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का compleet
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
दोस्तो आप सब को दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएँ
आप सब को दीपावली शुभ मंगलमय हो
आपका दोस्त राज शर्मा
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
उनके उस खूबसूरत लंड को चूसने में में ऐसा जुटा कि उन्हें झडा कर ही दम लिया उन्होंने भी मुझे झड़ाया और बूँद बूँद वीर्य निगल गये कुछ देर वे सुस्ताते हुए मेरे उपर पड़े रहे, मुझे चूमते रहे और मेरे निपालों से खेलते रहे "अमित, तू आया है तो घर में बहार आ गयी है अब आ रहा है मज़ा असली सेक्स का तीन औरतें और तीन आदमी, हर उमर के तुझे तो हम अब जाने ही नहीं देंगे, यहीं रहना हमारे पास"
जब मेरा लंड खड़ा होने लगा तो वे उठ कर चले गये "माँ को भेजता हू तेरे पास, वो तुझे भैया के लिए तैयार करेगी भैया तेरी माँ को चोद कर आएँगे पर बिना झडे आज उन्होंने अपना लंड सिर्फ़ तेरे लिए बचा कर रखा है"
कुछ देर बाद शन्नो जी आईं आते ही पहले तो अपनी चुची मेरे मुँह में ठूस दी "बेटे, ले चूस, तू बहुत मन लगाकर चूसता है मैं तेरी माँ की चूस रही थी उसे बाँधने के बाद अपनी बुर चखाई और खूब गरम किया उसे, बेचारी रोने को आ गयी थी, सुख से तडप रही थी फिर जब रजत आया तब मैंने उसे छोड़ा रजत अभी उसे चोद रहा होगा बहू भी साथ में है, तेरी माँ को बुर चुसवा रही है"
फिर वे मुझपर चढ कर चोदने लगीं "तेरे लंड से चुदवा कर जो सुकून मिलता है बेटे वह बहुत दिन नसीब नहीं हुआ सच बता दीपक और रजत के साथ कल मज़ा आया या नहीं?"
मैंने कमर हिलाकर नीचे से चोदते हुए कहा "हाँ मांजी, मुझे मालूम नहीं था कि गान्ड मराने में इतना मज़ा आता है और लंड का स्वाद, अब तक ऐसा स्वाद नहीं लिया मैंने जीजाजी की गान्ड मारने में भी बहुत मज़ा आया रजत की नहीं मार पाया, उनकी भी बड़ी मस्त होगी, इतने हट्टे कट्टे गठीले चूतड हैं"
"अरे दीपक की तो बचपन से मारता है रजत उसकी सच में अच्छी है, लड़कियों जैसी गोरी गोरी तेरी भी कम नहीं है, बल्कि और जवान और रसीली है रजत की मार लेना आज रात, वह प्यार से मरवाएगा तुझसे, उसका एक ख़ास आसन है, तुझे अभी पता चल जाएगा"
दो तीन बार झडकर वे मेरे मुँह पर बैठ गयीं "बड़ी मेहनत की है तेरे लंड ने, खूब पानी निकाला है मेरी चूत से ले अपनी मेहनत का फल चख ले, फिर मैं जाती हू तेरा लंड भी अब फिर कैसा मचल रहा है देख, रजत ने मुझसे कहा था कि जब तक मैं अमित के पास पहूचू, उसका लंड सलाम में तना होना चाहिए"
आधे घंटे मैं वैसे ही पड़ा था फिर से लंड सनसना रहा था और बहुत तकलीफ़ दे रहा था लगता था कोई भी आए और किसी भी तरह से मुझे चोद जाए
जब मेरा लंड खड़ा होने लगा तो वे उठ कर चले गये "माँ को भेजता हू तेरे पास, वो तुझे भैया के लिए तैयार करेगी भैया तेरी माँ को चोद कर आएँगे पर बिना झडे आज उन्होंने अपना लंड सिर्फ़ तेरे लिए बचा कर रखा है"
कुछ देर बाद शन्नो जी आईं आते ही पहले तो अपनी चुची मेरे मुँह में ठूस दी "बेटे, ले चूस, तू बहुत मन लगाकर चूसता है मैं तेरी माँ की चूस रही थी उसे बाँधने के बाद अपनी बुर चखाई और खूब गरम किया उसे, बेचारी रोने को आ गयी थी, सुख से तडप रही थी फिर जब रजत आया तब मैंने उसे छोड़ा रजत अभी उसे चोद रहा होगा बहू भी साथ में है, तेरी माँ को बुर चुसवा रही है"
फिर वे मुझपर चढ कर चोदने लगीं "तेरे लंड से चुदवा कर जो सुकून मिलता है बेटे वह बहुत दिन नसीब नहीं हुआ सच बता दीपक और रजत के साथ कल मज़ा आया या नहीं?"
मैंने कमर हिलाकर नीचे से चोदते हुए कहा "हाँ मांजी, मुझे मालूम नहीं था कि गान्ड मराने में इतना मज़ा आता है और लंड का स्वाद, अब तक ऐसा स्वाद नहीं लिया मैंने जीजाजी की गान्ड मारने में भी बहुत मज़ा आया रजत की नहीं मार पाया, उनकी भी बड़ी मस्त होगी, इतने हट्टे कट्टे गठीले चूतड हैं"
"अरे दीपक की तो बचपन से मारता है रजत उसकी सच में अच्छी है, लड़कियों जैसी गोरी गोरी तेरी भी कम नहीं है, बल्कि और जवान और रसीली है रजत की मार लेना आज रात, वह प्यार से मरवाएगा तुझसे, उसका एक ख़ास आसन है, तुझे अभी पता चल जाएगा"
दो तीन बार झडकर वे मेरे मुँह पर बैठ गयीं "बड़ी मेहनत की है तेरे लंड ने, खूब पानी निकाला है मेरी चूत से ले अपनी मेहनत का फल चख ले, फिर मैं जाती हू तेरा लंड भी अब फिर कैसा मचल रहा है देख, रजत ने मुझसे कहा था कि जब तक मैं अमित के पास पहूचू, उसका लंड सलाम में तना होना चाहिए"
आधे घंटे मैं वैसे ही पड़ा था फिर से लंड सनसना रहा था और बहुत तकलीफ़ दे रहा था लगता था कोई भी आए और किसी भी तरह से मुझे चोद जाए
Re: कामुक-कहानियाँ ससुराल सिमर का
आख़िर रजत अंदर आए उनके नंगे कसे मजबूत जिस्म को देखकर आज मुझे और उत्तेजना हुई, मैं उनकी राह देख रहा था जैसे कोई औरत या मर्द अपने प्रेमी या प्रेमिका की देखते हैं उनका लंड आज इस ज़ोर से खड़ा था कि पेट से सट गया था फूल कर मूसल जैसा लग रहा था
वे मेरे पास आए और मुझे चूम कर बोले "अमित, माँ ने बहुत प्यार से तैयार किया है तुझे, जैसा मैं चाहता था अब बोल, कैसे लेगा मेरा? और कैसे देगा मुझे? वैसे तेरे इस लंड को तो मैं चुसूँगा अपना इश्क खतम होने के बाद" झुक कर वे मेरे निपल चूसने लगे उनका एक हाथ अपने लंड को मुठिया रहा था और एक मेरे लंड को मस्त कर रहा था
मैंने सिहरकर कहा "रजत जी, आपकी गान्ड मारने का मन करता है"
"उसके लिए तुझे खोलना पड़ेगा वो मैं नहीं खोलूँगा आज दिन भर तू ऐसा ही हमारा खिलौना है रात को मार लेना अभी मैं तेरी मारता हू कल जल्दी में ठीक से नहीं मार पाया आज घंटे भर चोदून्गा तुझे, बिलकुल औरत मर्द वाली स्टाइल में चल तैयार हो जा" कहकर उन्होंने मेरे पैर खोल दिए हाथ वैसे ही बँधे थे
मेरे पैर उठाकर उन्होंने मोड कर मेरे कंधे से टिका दिए कुछ कुछ वैसे जैसे औरतों के करते हैं चोदते समय पैरों को उन्होंने मेरे पीछे पलंग के सिरहाने बाँध दिया "ठीक है ना, तकलीफ़ तो नहीं हो रही है?" प्यार से उन्होंने पूछा
मुझे थोड़ी तकलीफ़ ज़रूर थी पर ऐसी नहीं कि दर्द हो मैंने सिर हिलाया मेरी गान्ड अब पूरी खुली थी, उनके सामने ऐसे पेश थी जैसे कोई दावत हो वे पलंग पर चढ कर मेरी गान्ड के पास घुटने टेक कर बैठे और मेरे गुदा पर लंड रखकर पेलने लगे बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे मैं औरत हू और वे मेरी चूत में लंड घुसेड रहे हैं
आज मुझे काफ़ी दुखा एक टीस उठी जब उनका सुपाडा अंदर गया मेरी सीतकारियों पर आज उन्होंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, बस लंड पेलते रहे उनके उस लोहे जैसे लंड के आगे मेरे चूतड क्या टिकते, जल्द ही उनकी झांतें मेरे नितंबों पर आ टकराईं, उनका लंड जड तक मेरी गान्ड में समा गया था
मेरे लंड को सहलाते हुए वे कुछ देर बैठे रहे और फिर झुक कर मुझपर लेट गये मुझे बाँहों में भरके उन्होंने मेरा गहरा चूबन लिया और बोले "आज राहत मिली है मेरे राजा, जब से तुझे देखा है, यही सोच रहा हू कि कब तू मेरे नीचे होगा! दीपक की मैं ऐसे ही मारता हू, देखना अब तुझे किस जन्नत में ले जाता हू"
क्रमशः……………..
वे मेरे पास आए और मुझे चूम कर बोले "अमित, माँ ने बहुत प्यार से तैयार किया है तुझे, जैसा मैं चाहता था अब बोल, कैसे लेगा मेरा? और कैसे देगा मुझे? वैसे तेरे इस लंड को तो मैं चुसूँगा अपना इश्क खतम होने के बाद" झुक कर वे मेरे निपल चूसने लगे उनका एक हाथ अपने लंड को मुठिया रहा था और एक मेरे लंड को मस्त कर रहा था
मैंने सिहरकर कहा "रजत जी, आपकी गान्ड मारने का मन करता है"
"उसके लिए तुझे खोलना पड़ेगा वो मैं नहीं खोलूँगा आज दिन भर तू ऐसा ही हमारा खिलौना है रात को मार लेना अभी मैं तेरी मारता हू कल जल्दी में ठीक से नहीं मार पाया आज घंटे भर चोदून्गा तुझे, बिलकुल औरत मर्द वाली स्टाइल में चल तैयार हो जा" कहकर उन्होंने मेरे पैर खोल दिए हाथ वैसे ही बँधे थे
मेरे पैर उठाकर उन्होंने मोड कर मेरे कंधे से टिका दिए कुछ कुछ वैसे जैसे औरतों के करते हैं चोदते समय पैरों को उन्होंने मेरे पीछे पलंग के सिरहाने बाँध दिया "ठीक है ना, तकलीफ़ तो नहीं हो रही है?" प्यार से उन्होंने पूछा
मुझे थोड़ी तकलीफ़ ज़रूर थी पर ऐसी नहीं कि दर्द हो मैंने सिर हिलाया मेरी गान्ड अब पूरी खुली थी, उनके सामने ऐसे पेश थी जैसे कोई दावत हो वे पलंग पर चढ कर मेरी गान्ड के पास घुटने टेक कर बैठे और मेरे गुदा पर लंड रखकर पेलने लगे बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे मैं औरत हू और वे मेरी चूत में लंड घुसेड रहे हैं
आज मुझे काफ़ी दुखा एक टीस उठी जब उनका सुपाडा अंदर गया मेरी सीतकारियों पर आज उन्होंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, बस लंड पेलते रहे उनके उस लोहे जैसे लंड के आगे मेरे चूतड क्या टिकते, जल्द ही उनकी झांतें मेरे नितंबों पर आ टकराईं, उनका लंड जड तक मेरी गान्ड में समा गया था
मेरे लंड को सहलाते हुए वे कुछ देर बैठे रहे और फिर झुक कर मुझपर लेट गये मुझे बाँहों में भरके उन्होंने मेरा गहरा चूबन लिया और बोले "आज राहत मिली है मेरे राजा, जब से तुझे देखा है, यही सोच रहा हू कि कब तू मेरे नीचे होगा! दीपक की मैं ऐसे ही मारता हू, देखना अब तुझे किस जन्नत में ले जाता हू"
क्रमशः……………..