Shero shayries शेरो शायरी
उसके प्यार को मैने जाना नहीं,
मेरी हया को उसने पहचाना नहीं,
बस इसी उधेड़बुन में...
ज़िंदगी ने हमको समझा नहीं !
मेरी आँखों ने उससे बहुत कुछ कहना चाहा,
उसकी नज़रों ने मुझसे बहुत कुछ सुनना चाहा,
लेकिन...खामोशी की बेबस दीवार..
दोनो के दरमियाँ रही !
मैं पल-पल उसकी ओर खींचती गयी,
वो पल-पल मुझसे दूर होता गया..!
वो वीरने में ज़िंदगी ढूँढने निकल पड़ा,
मैं ज़िंदगी में खुद को तलाशती रही..!
बीत गया वक़्त...,
बदल गये सारे नज़ारे ज़ीस्त के,
वो मेरी नज़र-ए-इनायत को तरसता रहा,
मेरा दिल उसे बेवफा समझता रहा...!
बाद बरसों के अचानक...
जो टकराए ज़िंदगी के एक मोड़ पर ..,
था एक ही सवाल दोनों के ज़हन में....
कैसा था ये खेल...जो खेला खुदा ने.....
थे दोनों जब मासूम और बावफ़ा मोहब्बत में....
तो तक़दीर क्यूँ दिलों से दुश्मनी निभाती रही...????
Shero shayries शेरो शायरी
Re: Shero shayries शेरो शायरी
पहला पहला प्यार है, पहली पहली बार है
जानके भी अनजाना, कैसा मेरा यार है
उसकी नजर, पलकों की चिलमन से मुझे देखती
उसकी हया, अपनी चाहत का राज खोलती
छूप के करे जो वफा, ऐसा मेरा यार है
वो है निशा, वो ही मेरे जिंदगी की भोर है
उसे है पता, उसके ही हाथों में मेरी डोर है
सारे जहां से जुदा, ऐसा मेरा यार है
जानके भी अनजाना, कैसा मेरा यार है
उसकी नजर, पलकों की चिलमन से मुझे देखती
उसकी हया, अपनी चाहत का राज खोलती
छूप के करे जो वफा, ऐसा मेरा यार है
वो है निशा, वो ही मेरे जिंदगी की भोर है
उसे है पता, उसके ही हाथों में मेरी डोर है
सारे जहां से जुदा, ऐसा मेरा यार है
Re: Shero shayries शेरो शायरी
देख ना ले कोई मेरे बहते आँसू
ये सोच बरसात मे चलता हूं मै
गरमी भर बैठा हूं अपने भीतर
कोयले से कै ज्यादा जलता हूं मै
देखे है जो गम के मौसम इतने
छोटी सी खुशी से मचलता हूं मै
होता था जो कभी चटटान सा ठोस
आज हलकी आंच से पिघलता हूं मै
बनना चाहता था किसिका सहारा
जैसे तैसे आज सम्भलता हूं मै
चांद हँसता है मेरे सर्द चेहरे पे
सूरज से पहले अब ढलता हूं मै
ये सोच बरसात मे चलता हूं मै
गरमी भर बैठा हूं अपने भीतर
कोयले से कै ज्यादा जलता हूं मै
देखे है जो गम के मौसम इतने
छोटी सी खुशी से मचलता हूं मै
होता था जो कभी चटटान सा ठोस
आज हलकी आंच से पिघलता हूं मै
बनना चाहता था किसिका सहारा
जैसे तैसे आज सम्भलता हूं मै
चांद हँसता है मेरे सर्द चेहरे पे
सूरज से पहले अब ढलता हूं मै