ख्वाबो के दामन से ...

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Re: ख्वाबो के दामन से ...

Unread post by sexy » 04 May 2016 23:41

तेरे बिना ये ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो नहीं जानां ...

जानां ; तुम्हारे साथ बहुत सी अनजान जगहों पर घूमा हूँ , पर मन भरा नहीं है .. ऐसा लगता है की कई मंजिले और भी अभी बाकी है , जहाँ की फिजा में हमने सांस लेनी है .....कई रास्ते और भी बाकी है , जिन पर अपने पैरो के निशां छोड़ना है ..कई गलियां और भी है बाकी , जिनमे तेरे हाथ में अपने हाथ देकर घूमना है ,कई पुराने मंदिर के देवता हमारी राह देख रहे है ... कुछ घने जंगल भी है , जिनमे मौजूद पेड़ो पर हमने अपना नाम लिखना है ...और बहती नदी के पानी में तेरे चेहरे पर मौजूद ख़ुशी को देखना है .. बहुत से सपने है ,जिन्हें पूरा होना है .. जिन्हें देखना है और फिर से देखना है और बार बार देखना है .. लेकिन...तुम नहीं तो ये सपने कैसे पूरे होंगे ... ये ज़िन्दगी अधूरी है ,तेरे बिना ये ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो नहीं जानां ..बस तुम नहीं हो .....हमारी मोहब्बत की कसक भर है ...

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Re: ख्वाबो के दामन से ...

Unread post by sexy » 04 May 2016 23:41

मैं जहाँ भी रहूँ , तुम मेरे साथ होती हो जानां ...

जानां , कोई ऐसा पल नहीं है , जब तुम याद नहीं आती हो . रातो को उठकर बैठ जाता हूँ, तुम्हे ढूंढता हूँ, दिन में पागलो की तरह तुमसे बाते करता हूँ , ज़िन्दगी वही रुकी हुई है , जहाँ तुमने मुझे छोड़ा था .. तन्हाईयाँ ने साँसों में तेरे नाम के सिवा कुछ नहीं रखा है .तुम्हारी तस्वीरे देखता हूँ, उनसे बाते करता हूँ , तुम्हरी चिट्टियाँ पढता हूँ और जार जार रोता हूँ. मैं जहाँ भी रहूँ , तुम मेरे साथ होती हो जानां ...

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Re: ख्वाबो के दामन से ...

Unread post by sexy » 04 May 2016 23:41

वो तीन दिन - फिर वही रात है ख्वाब की.

याद है तुम्हे जानां ,तुमने मुझे उन तीन दिनों के बारे में क्या कहा था , जो हमने साथ गुजारे थे , एक पुराने से मंदिर और बहती नदी के तट पर....यक़ीनन वो हमारी ज़िन्दगी के सबसे कीमती दिन रात थे.....

तुमने कहा था ......

वो तीन दिन .......तीन मिनिट से भी कम थे ......कुछ याद नहीं ....तुमने क्या कहा ..मैंने क्या सुना ....मैंने क्या कहा ...तुमने क्या सुना ... कुछ भी नहीं .....बस प्यार याद रहता है ....वो उगते सूरज को साथ साथ देखना याद रहता है .......वो रात को बैठकर मंदिरों को देखना ........आरती की आवाज सुनना याद रहता है ,वो डूबते हुए सूरज की लाली का तुम्हारी आँखों में और वहां से मेरे गालों पर बिखरना याद रहता है .

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