ख्वाबो के दामन से ...

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sexy
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Re: ख्वाबो के दामन से ...

Unread post by sexy » 04 May 2016 23:38

अजनबी शहर, रामनवमी की झांकियां , तुम और मैं और शेष प्रेम !!!


तुम्हे याद है , उस दिन भी रामनवमी थी , जब हम उस अजनबी शहर में बस यूँ ही घूम रहे थे , इस मंदिर के दर्शन करने के बाद वापस आ रहे थे. उस दिन शहर में झांकियां निकल रही थी . कितना धार्मिक माहौल था .. और हम ईश्वर के आशीर्वाद को जो कि हमें प्रेम के प्रसाद के रूप में मिल रहा था ; बस जी रहे थे .. बस जीवन वही था ......धर्म, कर्म , तुम , मैं और प्रेम......!

अब बस यादे ही रह गयी है ....सिर्फ यादे , मैं तो हूँ, पर तुम नहीं !!!

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sexy
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Re: ख्वाबो के दामन से ...

Unread post by sexy » 04 May 2016 23:38

तुम एक अजनबी की तरह कभी नहीं मिली जानां ...!![/b]

जब हम पहली बार मिले थे , तब भी और फिर कभी भी तुम मुझे अजनबी नहीं नज़र आई ..तुम्हे याद है जानां , जब हम पहली बार मिले तो तुमने मुझे अपने आलिंगन में ले लिए था और मैं तुम्हे देखता ही रह गया था .. पता नहीं क्या जादू था तुम्हारे चेहरे पर मुझे तुम बहुत अपनी सी लगी थी , लगा ही नहीं था की हम पहली बार मिल रहे है .. तुम्हे याद है , जब हम ऑटो में बैठकर अपने घर [ मैं उसे हम दोनों का घर ही कहूँगा ... क्योंकि हम अब भी वहां मौजूद है और हमारी आत्माए अब भी balcony में बैठकर बहती नदी को देखती है ] जा रहे थे ,तो सारे रास्ते मैं तुम्हे देखता रहा था .. कैसी अजीब सी कशिश थी .. तुममे .. तुमको देखा तो लगा पहले के मिले हुए है और बहुत दिनों बाद फिर से मिल रहे है .. अजनबी इस तरह से नहीं मिलते है जानां ..तुम तो बस मेरी ही थी ....क्या वो एक ख्वाब था या कोई अजनबी सी हकिक़त ...बस अब तुम नहीं हो ...कहीं नहीं !!!

तुम्हारे लिये अक्सर ये गीत गाता हूँ जब भी मुझे आज की पहली मुलाक़ात की याद आती है .


अजनबी कौन हो तुम, जब से तुम्हे देखा हैं
सारी दुनियाँ मेरी आँखों में उतर आयी हैं

तुम तो हर गीत में शामील थे, तरन्नुम बन के
तुम मिले हो मुझे, फूलों का तबस्सुम बन के
ऐसा लगता है, के बरसों से शमा आज आयी हैं

ख्वाब का रंग हकीकत में नजर आया हैं
दिल में धड़कन की तरह कोई उतर आया हैं
आज हर सांस में शहनाई सी लहराई हैं

कोई आहट सी अंधेरो में चमक जाती हैं
रात आती हैं तो, तनहाई महक जाती हैं
तुम मिले हो या मोहब्बत ने गज़ल गाई हैं[/size]

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Re: ख्वाबो के दामन से ...

Unread post by sexy » 04 May 2016 23:39

तुमसे मिलने की यात्रा....!!

मैं आज के दिन तुमसे ही मिलने निकल चला था जानां , एक नये शहर की ओर , जो कि तब तक के लिए मेरे लिए अजनबी था , जब तक कि मैं तुमसे उस शहर में नहीं मिला. तुमसे मिलने के बाद न तुम अजनबी रही और न ही वो शहर. ज़िन्दगी भी बड़ी अजीब है , जिनसे कभी न मिलना चाहे , उन्ही से जोड़े रखती है और जिनके संग रहना चाहे , उनसे दूर कर देती है . तुम पहली बार मुझसे मिल रही थी , लेकिन मुझे लग रहा था कि हम दोनों बरसो से ..नहीं नहीं शायद जन्मो से के दुसरे को जानते थे . और वही हुआ , जब हम मिले..... तुमसे मिलने की यात्रा में बहुत से ख्याल तैरते रहे जेहन में .. कि तुम कैसी होंगी , कैसी दिखती हो .तुम्हारे ख़त ने भी वही कहा था, मैं बहुत से अजनबियों से मिला हूँ ज़िन्दगी के सफ़र में , लेकिन तुमसे मिलना रोमांचक था,. रोमांटिक था. रहस्य में लिपटा हुआ था . जीवन की धडकनों से भरा हुआ था. हर अहसास में तुम ही थी ..सिर्फ तुम !!!

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