कायाकल्प - Hindi sex novel

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Fuck_Me
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Re: कायाकल्प - Hindi sex novel

Unread post by Fuck_Me » 17 Nov 2015 12:19

ऐसी बाते करते हुए मैं संध्या को चूमते, सहलाते और दुलारते जा रहा था, जिससे उसका मन बहल जाए और वह अपने आपको सुरक्षित महसूस करे। जिस लड़की को मैं प्रेम करता हूँ, वह मेरे मूर्खता भरी हरकतों से दुखी हो गयी थी।

“संध्या … मेरी बात सुनिए, प्लीज!”

“जानू, आई ऍम सॉरी! आई ऍम वेरी सॉरी! प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये। मैंने कभी भी यह सोच कर कुछ भी नहीं किया जिससे की आपकी बेइज्जती हो। मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ – अपनी जान से भी ज्यादा! और आपकी बहुत रेस्पेक्ट भी करता हूँ। प्लीज मेरी बात पर विश्वास करिए।“

“एंड, आई ऍम रियली वेरी सॉरी! अपने मज़े की धुन में मैंने यह नहीं सोचा की आपको और आपकी भावनाओं को ठेस लग सकती है। काम के वशीभूत होकर मैंने न जाने क्या क्या गुनाह किए हैं। मैं सच कहता हूँ मेरे मन में बस एक ही धुन सवार रहती है की किसी तरह आपके साथ सेक्स किया जाय..”

मैंने कहते हुए उसके माथे को चूमा और उसके बालों को सहलाया, “… पर अब मुझे लगने लगा है की मैं अपनी परी के साथ ठीक नहीं कर रहा हूँ। मैं सच कहता हूँ की मैं आपको प्यार करता हूँ – और इसका मतलब है की सिर्फ आपके शरीर को नहीं .. आपके मन, दिल और पूरी पर्सनालिटी को! लेकिन आप मेरे पास रहती हैं तो अपने को रोक नहीं पाता – और सेक्स को स्पाइसी बनाने के लिए न जाने क्या क्या करता हूँ।“

संध्या का रोना, सुबकना अब तक ख़तम हो गया था। वह अब तक संयत हो गयी थी और मेरी बातें ध्यान से सुन रही थी। उसने कुछ देर तक मेरी आँखों में देखा – जैसे, मेरे मन की सच्चाई मापना चाहती हो।

“जानू.. मैं भी आपके साथ प्यार की दुनिया बनाना चाहती हूँ। मेरा मन है की जैसे आपने मुझे अभी पकड़ा हुआ है, वैसे ही हम एक दूसरे को बाहों में जकड़े सारी जिन्दगी बिता दें। और आप मेरे साथ जितना मन करे, सेक्स करिए – जैसे मन करे, वैसे करिए। मुझे अपनी प्यार की बारिश से मेरे तन मन को इतना भर दीजिये कि मैं मर भी जाऊं तो मुझे कोई गम ना हो। … बस, मुझे किसी और के साथ शेयर मत करिए!”

“हाँ मेरी जान! अब मैं ऐसी गलती कभी नहीं करूँगा! आई ऍम सॉरी!”

मैं संध्या को आलिंगनबद्ध किये हुए ही बिस्तर पर बैठने लगा, और संध्या भी मेरी गोद में आकर बैठ गई और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी। वो इतनी प्यारी लग रही थी की मैंने उसके होंठों को चूम लिया।

“आई लव यू! एंड, आई ऍम सॉरी! अब ऐसी गलती कभी नहीं होगी।”

“आई लव यू टू! और आपको सॉरी कहने की ज़रुरत नहीं।”

संध्या को चूमने के साथ साथ मुझे समुद्री नमकीन स्वाद महसूस हुआ – मतलब, नहाने का उपक्रम करना चाहिए था। लेकिन उसको चूमने – उसके होंठो का रस पीने – से मेरा मन अभी भरा नहीं था। संध्या मेरी गोद में बैठी थी और हमारे होंठ आपस में चिपके हुए थे। हम दोनों ही इस समय अपनी जीभें एक दूसरे के मुंह में डाल कर इस समय कुल्फी की तरह चूस रहे थे। मैं कभी उसके गालों को चूमता, तो कभी होंठो को, तो कभी नाक को, तो कभी उसके कानो को, या फिर उसकी पलकों को। इसी बीच मैंने कब उसकी बीच मैक्सी उतार दी, उसको शायद पता भी नहीं चला (ढीला ढाला हल्का कपड़ा शरीर पर पता ही नहीं चलता)। कोई 5 मिनट के चुम्बन के आदान प्रदान के बाद जब हमारी पकड़ कुछ ढीली हुई तो संध्या को अपने बदन पर मैक्सी न होने का आभास हुआ।

“जानू, आँखें खोलो।”

“नहीं पहले आप मेरी मैक्सी दीजिये…. मुझे शर्म आ रही है।”

“अरे शरम! मेरी रानी …. कैसी शरम? तुम इस कास्ट्यूम में कितनी खूबसूरत लग रही हो! मेरी आँखों से देखो तो समझ में आएगा!”

“धत्त!”

“और वैसे भी यह भी उतरने ही वाला है… नहाना नहीं है?”

उसने मुझे चिढ़ाते हुए कहा, “अच्छा जी… और आपको नहीं नहाना है? आपके कपडे तो ज्यों के त्यों हैं।”

मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी? मैं तो इसी ताक में था। संध्या को अलग कर मैंने लगभग तुरंत ही कपडे उतार दिए और बेड पर सिरहाने की ओर आकर बैठ गया। मेरा लिंग इस समय अपने पूरे आकार में आकर निकला हुआ था। संध्या ने पहले तो अपनी उँगलियों से उसे प्यार से छुआ और फिर सहलाया और फिर अप्रत्याशित रूप से उस पर एक चुम्बन रसीद कर दिया। मेरे लिंग ने उसकी इस क्रिया के अनुकूल उत्तर दिया और पत्थर की तरह कठोर हो गया। अब संध्या मेरे ऊपर लगभग औंधी लेट कर मेरे लिंग के साथ खेल रही थी, और मैं उसके चिकने नितम्बों के साथ – मैंने उन पर कपड़े के ऊपर से ही प्यार से हाथ फिराना शुरू कर दिया। मैंने उसकी स्विमसूट को थोडा सा खिसका कर अपनी उँगलियों से उसकी नितम्बों के बीच की दरार पर सहलाना शुरू कर दिया। और उधर, संध्या मेरे लिंग को मुँह में रख कर चूस रही थी।
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.

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Fuck_Me
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Re: कायाकल्प - Hindi sex novel

Unread post by Fuck_Me » 17 Nov 2015 12:19

उसकी नरम मुलायम जीभ का गुनगुना अहसास मेरे लिंग पर महसूस कर के मुझे फिर से मदहोशी छाने लगी। दोस्तों, कुछ भी हो – अपने जीवन में कम से कम एक बार अपनी प्रेमिका/पत्नी को अपने लिंग का चूषण करने को अवश्य कहिये। यह एक ऐसा अनुभव होता है, जिससे आगे और कुछ भी नहीं। उसने कोई 5-6 मिनट उसने मेरा लिंग चूसा होगा, फिर वो अपने होंठो पर जीभ फेरती हुई उठ खड़ी हुई। उसकी आँखों में एक शैतानी चमक थी।

मैंने संध्या को पुनः अपनी बाहों में भर लिया, और फिर से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुंह से मुझे मेरे ही रस की खुशबू और स्वाद महसूस हुई।

“हटो गंदे बच्चे!” संध्या ने मुझे अपने ऊपर से हटाया, और आगे कहना जारी रखा, “आपने तो मुझे मार ही डाला।“ संध्या अपनी योनि को सहलाते हुए बोली, “कोई इतनी जोर से करता है क्या? आःहह..!”

“हा हा हा!”

दूसरे हाथ की उँगलियों से उसने मेरे सिकुड़ते हुए लिंग को पकड़ कर मुझे चिढाते हुए कहा, “हाँ हाँ … हँस लीजिये! मुसीबत तो मेरी है न! ये आपका जो केला है न, उसको काट कर छोटा कर देना चाहिए… और कटर से छील कर पतला भी कर देना चाहिए! मेरी तकलीफ़ कम हो जाएगी!”

“ये केला कट गया तो आपकी तकलीफ़ के साथ साथ आपका मज़ा भी कम हो जायेगा!” फिर थोड़ा रुक कर,

“क्या वाकई आपको बहुत तकलीफ होती है?”

“नहीं जानू… मजाक कर रही थी मैं। ऐसी कोई तकलीफ तो नहीं होती – मुझे अभी ठीक से आदत नहीं है न.. इसलिए, लगता है की थोड़ा …. कैसे कहूँ… उम्म्म… जैसे घिस गया हो, ऐसा लगता है। वो भी काफी बाद में!”

कुछ देर हम लोग बिस्तर पर पड़े हुए अपनी साँसे ठीक करते रहे, और फिर संध्या ने बोला,

“जानू, हमको थोड़ा सावधान रहना होगा।“ वह थोड़ा शरमाई, “… पिछले एक हफ्ते से हम दोनों बिना किसी प्रोटेक्शन के सेक्स कर रहे हैं।“ मेरे कान सावधानी में खड़े हो गए। “अगर आप चाहते हैं तो ठीक है… लेकिन मैं…. प्रेग्नेंट… हो जाऊंगी!”

बात तो सही है – मैं भी इतना भोंपा हूँ की बिना किसी जिम्मेदारी के बस पेलम-पेल मचाये डाल रहा हूँ और एक बार भी नहीं सोचा की इतनी छोटी लड़की के कुछ अरमान होंगे जिंदगी जीने के! अगर इतनी छोटी सी उम्र में वह माँ बन गयी तो सब चौपट!

“आप माँ बनना चाहती हैं?”

“अगर आप कहेंगे तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी।“

“लेकिन अभी नहीं… है न?”

“कम से कम.. पढाई पूरी हो जाए?” संध्या ने शर्माते हुए कहा।

“आपके पीरियड्स कब हैं?”

“तीन चार दिन बाद…!” यह इतना व्यक्तिगत सवाल था की संध्या को और नग्नता का एहसास होने लगा – उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा साफ़ दिख रही थी।

“आई ऍम सॉरी जानू! आई ऍम वेरी सॉरी! मैं बहुत ही गैर-जिम्मेदार आदमी हूँ!”

“आप ऐसा न कहिए.. प्लीज! मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ। आप जैसे कह रहे थे… लड़कियाँ वैसे नहीं होतीं… कम से कम मैं नहीं हूँ… जैसे आप नहीं रह पाते हैं, वैसे ही मैं भी नहीं रह पाती हूँ… तो क्या हुआ की आप मुझे इस तरह से झकझोर देते हैं…”

“दिस इस द सेक्सिएस्ट थिंग आई एवर हर्ड इन माई होल लाइफ! (यह मेरे जीवन की सबसे कामुक बात है, जो मैंने सुनी है)।“ कह कर मैंने उसको अपनी बाहों में समेट लिया।

“बस… हमें सतर्क रहना चाहिए।“ संध्या ने मुस्कुराते हुए कहा।

हमने साथ में ही नहाया – कोई और समय होता तो संभव है की सम्भोग का एक और दौर चलता… लेकिन शरीर में खुद की एक सुरक्षा प्रणाली होती है, जिसके कारण आप लगातार सम्भोग नहीं कर सकते। वैसे भी आज जो भी कुछ हुआ वह अत्यंत अप्रत्याशित था, इसलिए मैं खुद भी जल्दी जल्दी उत्तेजित होकर तैयार भी हो गया। यदि किसी बहुत भूखे इंसान को अचानक ही छप्पन भोग परोस दिया जाय तो वह पागल कुत्ते के समान उसको निबटा लेगा… लेकिन वही छप्पन भोग यदि उसको रोज़ परोसा जाय, तो उसकी भूख नियंत्रण में आ जाती है।

नहा धोकर मैंने सिर्फ अपना अंडरवियर पहना और फोन कर के हल्का फुल्का खाना मंगाया – खाकर आराम करने की इच्छा हो रही थी। संध्या ने कफ्तान स्टाइल वाला बीच वियर पहना हुआ था – यह पॉलिएस्टर का बना एक पारदर्शी पहनावा था, जो समुद्री नीले-हरे रंग का था और जिस पर फूलों के प्रिंट बने हुए थे। गले के नीचे एक लूप जैसा था जहाँ पर डोर से इसको बाँधा जा सकता था। काफी ढीला ढाला परिधान था – उसकी लम्बाई जाँघों के आधे हिस्से तक आती थी और हाथ का ऊपर वाला हिस्सा ही ढकता था। उसके अन्दर संध्या ने काले रंग की विस्कोस और एलास्टेन की पैडेड पुश-अप ब्रा और काले ही रंग की पैंटीज पहनी हुई थी। उसने अपने बाल शैम्पू किये थे, जिसके कारण वह अभी भी गीले थे और उनसे रह रह कर पानी टपक रहा था। बाला की ख़ूबसूरत!
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Re: कायाकल्प - Hindi sex novel

Unread post by Fuck_Me » 17 Nov 2015 12:19

इस समय वह अपने बालों को तौलिये से रगड़ कर सुखाने की कोशिश कर रही थी। मेरे मुँह से अनायास ही यह गाना निकल गया,

“ना झटको ज़ुल्फ़ से पानी, ये मोती फूट जायेंगे।
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा, मगर दिल टूट जायेंगे।“

“हा हा! आपको हर सिचुएशन के लिए कोई न कोई गाना याद है!”

“आप हैं ही ऐसी – हर सिचुएशन को एकदम से सेक्सी बना देती है, तो गाना ख़ुद-ब-ख़ुद निकल पड़ता है! आपकी इस हालत में कुछ फोटो निकालने का तो बनता है! इजाज़त है?”

संध्या ने सर हिला कर अनुमति दे दी।

मैंने उसकी कई सारी तस्वीरें निकाली, की इतने में ही परिचायक खाना लेकर आ गया। मैंने उसको कैमरा देकर हम-दोनों की कुछ तस्वीरें लेने को बोला। मुझे पक्का यकीन है की साले ने कैमरे के व्यू-फाइंडर से संध्या के जिस्म से अपनी खूब नैन-तृप्ति करी होगी…

‘खैर, कर ले बेटा, अपनी नैन-तृप्ति! तुझे यह लड़की बहुत दूर से सिर्फ देखने को नसीब होगी। ऐसे ही तरसते रहियो!’

कोई सात-आठ तस्वीरें क्लिक करने के बाद उसने बेमन से विदा ली। उसको ज़रूर कल रात वाले परिचायक ने बताया होगा, लेकिन हर-एक की किस्मत सामान थोड़े न होती है।

हमने अपना खाना पीना समाप्त किया और फिर मैंने संध्या को कहा की वो चाहे तो आराम कर ले, क्योंकि मैं भी कैमरे से तस्वीरें अपने कंप्यूटर में कॉपी कर के आराम करने के मूड में हूँ!

“कंप्यूटर? किधर है कंप्यूटर?”

“मेरा मतलब मेरा लैपटॉप!”

“वो क्या होता है?” अच्छा, अब समझा – संध्या ने अभी तक वो बड़े वाले डेस्कटॉप के बारे में ही जाना होगा। खैर, मैंने लैपटॉप बाहर निकाल कर उसको दिखाया। वो उसको देख कर प्रत्यक्ष रूप से काफी उत्साहित हो गयी।

“आप मुझे इसके बारे में सिखायेंगे?”

“अरे! क्यों नहीं… बिलकुल सिखाऊँगा!”

मैंने अपना लैपटॉप ऑन कर के उसे इसके बारे में बताना शुरू किया। संध्या को थोड़ा-बहुत ज्ञान था, लेकिन वह सब पुराना और किताबी ज्ञान था। मैंने उसे कंप्यूटर चालू करने, ऑपरेट करने, और फिर बंद करने के बारे में विस्तार से बताया। फिर मैंने उसे विन्डोज़, इन्टरनेट और ईमेल के बारे में भी बताया – दरअसल आम आदमी के काम की चीज़ें तो यही होती हैं! फाइल्स कैसे खोली जाएँ, प्रोग्राम्स कौन कौन से होते हैं, गाने सुनना, फिल्म देखना, विडियो-चैट इत्यादि! उसको सबसे ज्यादा उत्साह ईमेल और इन्टरनेट के बारे में जान कर हुआ।

खैर, फिर मैंने कैमरे को लैपटॉप से जोड़ कर तस्वीरें कॉपी करनी शुरू करी। कोई पंद्रह मिनट बाद सारी तस्वीरें जब कॉपी हो गईं तो वह जिद करने लगी की चलो तस्वीरें देखते हैं। मेरा मन था की कोई आधे घंटे की नींद ले ली जाय, लेकिन उसके उत्साह को देखकर उसको मना करने का मन नहीं हुआ। कैमरे में हमारी शादी की तस्वीरें (जो मेरे दोस्तों ने खींची थीं), कुछ तस्वीरें उसके कसबे की, कुछ हमारे रिसेप्शन की (जो मेरे दोस्तों और पड़ोसियों ने खींची थीं), और फिर ढेर सारी तस्वीरें हमारे हनीमून की! हमारी जो तस्वीरें मॉरीन ने खींची थी, उनको देख कर संध्या के मुँह से ‘बाप रे’ निकल गया…. वाकई, सारी की सारी बहुत ही कलात्मक और कामोद्दीपक तस्वीरें थीं। वाकई यादगार तस्वीरें! खैर, कॉपी कर के मैंने चुपके से उन तस्वीरों का एक बैक-अप भी बना लिया की कहीं ऐसा न हो की संध्या शरम के मारे उनको डिलीट कर दे। इसके बाद हम दोनों लैपटॉप पर ही गाने सुनते हुए कुछ देर के लिए सो गए।

डिनर के लिए हमने सोचा की नीचे सबके साथ करेंगे – लाइव म्यूजिक के कार्यक्रम, और अन्य युगलों और अतिथियों के साथ बैठ कर मदिरा, संगीत और भोजन का आनंद उठाएंगे। संध्या ने आज मदिरा पीने से साफ़ मना कर दिया – तो मैंने मोकटेल और मसालेदार खाना मंगाया।

“सीईईई हाआआ!”

“क्या हुआ? कुछ तीखा था?”

“उई माँ!…. सीईई! मिर्ची खा ली… बहुत तीखी है…!”

“अरे! देख कर खाना था न! जल्दी से पानी पी लो! नहीं… एक मिनट.. जब मिर्ची लगे, तो दूध पीना चाहिए।”

मैंने जल्दी से वेटर को बुलाया और थोड़ा दूध लाने को बोला।

पानी पीने से संध्या के मुँह की जलन कुछ कम हो गई। लेकिन मेरे दिमाग में एक कीड़ा कुलबुलाया, “वैसे, मिर्ची की जलन का एक बहुत अचूक इलाज है मेरे पास!”

“क्या? सीईईई!” उसकी जलन कम तो हो गई थी पर फिर भी वो सी… सी…. कर रही थी।

“आपके होंठों और जीभ को अपने मुँह में लेकर चूस देता हूँ, जलन ख़त्म हो जायेगी… क्या कहती हो?” मैंने हंसते हुए कहा। मैं जानता था की सबके सामने ऐसा करने से वह मना कर देगी, लेकिन जब उसने अपनी आँखें बंद करके अपने होंठ मेरी ओर बढ़ा दिए, तो मेरी हैरानी की कोई सीमा न रही। मैंने देखा उसकी साँसें भी तेज़ हो गई थी और उसके स्तन साँसों के साथ साथ ही ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने आगे बढ़ कर उसके नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
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