Re: Biography of a lady - एक औरत की आत्मकथा
Posted: 26 Jul 2016 09:44
प्रगति को मानो करंट लग गया.वह उछल गई। शेखर ने उसके मटर को खूब चखा। प्रगति की चूत में पानी आने लगा और वह आपे से बाहर होने लगी। यह देखकर शेखर फिर पूरे जोश के साथ चोदने लगा। पांच-छः छोटे धक्के और दो लम्बे धक्कों का सिलसिला शुरू किया। एक ऊँगली उसने प्रगति की गांड में घुसा दी एक अंगूठा मटर पर जमा दिया। शेखर को यह अच्छा लग रहा था कि उसे स्खलन का संकेत अभी भी नहीं मिला था। उसे एक नई जवानी का आभास होने लगा। इस अनुभूति के लिए वह प्रगति का आभार मान रहा था। उसी ने उसमें यह जादू भर दिया था। वह बेधड़क उसकी चुदाई कर रहा था।
प्रगति अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रही थी। उसका बदन अपने आप डोले ले रहा था उसकी आँखें लाल डोरे दिखा रही थी, साँसें तेज़ हो रहीं थीं। स्तन उफ़न रहे थे और चूचियां नई ऊँचाइयाँ छू रहीं थीं। उसकी किलकारियां और सिसकियाँ एक साथ निकल रहीं थीं। प्रगति ने शेखर को कस के पकड़ लिया और उसके नाखून शेखर कि पीठ में घुस रहे थे। वह ज़ोर से चिल्लाई और एक ऊंचा धक्का दे कर शेखर से लिपट गई और उसके लंड को चोदने से रोक दिया। उसका शरीर मरोड़ ले रहा था और उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू थे। थोड़ी देर में वह निढाल हो गई और बिस्तर पर गिर गई।
शेखर ने अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की तो प्रगति ने उसे रोक दिया, बोली कि थोड़ी देर रुक जाओ। मैं तो स्वर्ग पा चुकी हूँ पर तुम्हें पूरा आनंद लिए बिना नहीं जाने दूँगी। तुमने मेरे लिए इतना किया तो मैं भी तुम्हें क्लाइमेक्स तक देखना चाहती हूँ। शेखर ने थोड़ी देर इंतज़ार किया। जब प्रगति की योनि थोड़ी शांत हो गई तो उसने फिर से चोदना शुरू किया। उसका लंड थोड़ा आराम करने से शिथिल हो गया था तो शेखर ने ऊपर सरक कर अपना लंड प्रगति के मम्मों के बीच में रख कर रगड़ना शुरू किया। कुछ देर बाद प्रगति ने शेखर को अपने तरफ खींच कर उसका लंड लेटे लेटे अपने मुँह में ले लिया और जीभ से उसे सहलाने लगी।
बस फिर क्या था। वह फिर से जोश में आने लगा और देखते ही देखते अपना विकराल रूप धारण कर लिया। शेखर ने मुँह से निकाल कर नीचे खिसकते हुए अपना लंड एक बार फिर प्रगति की चूत में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। उसकी गति धीरे धीरे तेज़ होने लगी और वार भी पूरा लम्बा होने लगा। प्रगति भी साथ दे रही थी और बीच बीच में अपनी टांगें जोड़ कर चूत तंग कर लेती थी। शेखर ने अपने शरीर को प्रगति के सिर की तरफ थोड़ा बढ़ा लिया जिससे उसका लंड घर्षण के दौरान प्रगति के मटर के साथ रगड़ रहा था। यह प्रगति के लिए एक नया और मजेदार अनुभव था। उसने अपना सहयोग और बढ़ाया और गांड को ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी। अब शेखर को उन्माद आने लगा और वह नियंत्रण खोने लगा। उसके मुँह से अचानक गालियाँ निकलनी लगीं,” साली अब बोल कैसा लग रहा है? … आआअह्ह्ह्हाअ अब कभी किसी और से मराएगी तो तेरी गांड मार दूंगा …. आह्हा कैसी अच्छी चूत है !! ….. मज़ा आ गया …. साली गांड भी मराती है क्या? ….. मुझसे मरवाएगी तो तुझे पता चलेगा ….. ऊओह .”
कहते हैं जब इंसान चरमोत्कर्ष को पाता है तो जानवर हो जाता है। कुछ ऐसा ही हाल शेखर का हो रहा था। वह एक भद्र अफसर से अनपढ़ जानवर हो गया था। थोड़ी ही देर में उसके वीर्य का गुब्बारा फट गया और वह ज़ोर से गुर्रा के प्रगति के बदन पर गिर गया और हांफने लगा। उसका वीर्य प्रगति की योनि में पिचकारी मार रहा था। शेखर क्लाइमेक्स के सुख में कंपकंपा रहा था और उसका फव्वारा अभी भी योनि को सींच रहा था। कुछ देर में वह शांत हो गया और शव की भांति प्रगति के ऊपर पड़ गया।
शेखर ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर प्रगति भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था। दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। शेखर ने प्रगति को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लिंग शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। प्रगति भी पास में बैठ गई और उसने शेखर के लिंग को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।
प्रगति अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रही थी। उसका बदन अपने आप डोले ले रहा था उसकी आँखें लाल डोरे दिखा रही थी, साँसें तेज़ हो रहीं थीं। स्तन उफ़न रहे थे और चूचियां नई ऊँचाइयाँ छू रहीं थीं। उसकी किलकारियां और सिसकियाँ एक साथ निकल रहीं थीं। प्रगति ने शेखर को कस के पकड़ लिया और उसके नाखून शेखर कि पीठ में घुस रहे थे। वह ज़ोर से चिल्लाई और एक ऊंचा धक्का दे कर शेखर से लिपट गई और उसके लंड को चोदने से रोक दिया। उसका शरीर मरोड़ ले रहा था और उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू थे। थोड़ी देर में वह निढाल हो गई और बिस्तर पर गिर गई।
शेखर ने अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की तो प्रगति ने उसे रोक दिया, बोली कि थोड़ी देर रुक जाओ। मैं तो स्वर्ग पा चुकी हूँ पर तुम्हें पूरा आनंद लिए बिना नहीं जाने दूँगी। तुमने मेरे लिए इतना किया तो मैं भी तुम्हें क्लाइमेक्स तक देखना चाहती हूँ। शेखर ने थोड़ी देर इंतज़ार किया। जब प्रगति की योनि थोड़ी शांत हो गई तो उसने फिर से चोदना शुरू किया। उसका लंड थोड़ा आराम करने से शिथिल हो गया था तो शेखर ने ऊपर सरक कर अपना लंड प्रगति के मम्मों के बीच में रख कर रगड़ना शुरू किया। कुछ देर बाद प्रगति ने शेखर को अपने तरफ खींच कर उसका लंड लेटे लेटे अपने मुँह में ले लिया और जीभ से उसे सहलाने लगी।
बस फिर क्या था। वह फिर से जोश में आने लगा और देखते ही देखते अपना विकराल रूप धारण कर लिया। शेखर ने मुँह से निकाल कर नीचे खिसकते हुए अपना लंड एक बार फिर प्रगति की चूत में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। उसकी गति धीरे धीरे तेज़ होने लगी और वार भी पूरा लम्बा होने लगा। प्रगति भी साथ दे रही थी और बीच बीच में अपनी टांगें जोड़ कर चूत तंग कर लेती थी। शेखर ने अपने शरीर को प्रगति के सिर की तरफ थोड़ा बढ़ा लिया जिससे उसका लंड घर्षण के दौरान प्रगति के मटर के साथ रगड़ रहा था। यह प्रगति के लिए एक नया और मजेदार अनुभव था। उसने अपना सहयोग और बढ़ाया और गांड को ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी। अब शेखर को उन्माद आने लगा और वह नियंत्रण खोने लगा। उसके मुँह से अचानक गालियाँ निकलनी लगीं,” साली अब बोल कैसा लग रहा है? … आआअह्ह्ह्हाअ अब कभी किसी और से मराएगी तो तेरी गांड मार दूंगा …. आह्हा कैसी अच्छी चूत है !! ….. मज़ा आ गया …. साली गांड भी मराती है क्या? ….. मुझसे मरवाएगी तो तुझे पता चलेगा ….. ऊओह .”
कहते हैं जब इंसान चरमोत्कर्ष को पाता है तो जानवर हो जाता है। कुछ ऐसा ही हाल शेखर का हो रहा था। वह एक भद्र अफसर से अनपढ़ जानवर हो गया था। थोड़ी ही देर में उसके वीर्य का गुब्बारा फट गया और वह ज़ोर से गुर्रा के प्रगति के बदन पर गिर गया और हांफने लगा। उसका वीर्य प्रगति की योनि में पिचकारी मार रहा था। शेखर क्लाइमेक्स के सुख में कंपकंपा रहा था और उसका फव्वारा अभी भी योनि को सींच रहा था। कुछ देर में वह शांत हो गया और शव की भांति प्रगति के ऊपर पड़ गया।
शेखर ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर प्रगति भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था। दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। शेखर ने प्रगति को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लिंग शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। प्रगति भी पास में बैठ गई और उसने शेखर के लिंग को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।