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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Posted: 12 Jan 2017 20:25
by sexy
Inspirational thoughts -

No great man ever complains of want of opportunities.

--Ralph Waldo Emerson

अंजली अपने कॅबिनमें अपने काममें व्यस्त थी. तभी फोनकी घंटी बजी.

'' हॅलो '' अंजलीने फोन उठाया.

'' अंजली देअर इज गुड न्यूज फॉर यू..."" उधरसे इन्स्पेक्टर कंवलजित बोल रहे थे.

'' यस अंकल''

'' ब्लॅकमेलरने विवेकको छोड दिया है ...'' इन्स्पेक्टरने अंजलीको खुशखबरी सुनाई.

'' ओ.. थॅंक गॉड ... आय कान्ट एक्सप्लेन ... आय ऍम सो हॅपी...''

अंजलीको विवेकके छुटनेकी खबर जबसे मिली थी तबसे उसे कुछभी सुझ नही रहा था. उसे कब मिलती हूं ऐसा उसे हो रहा था. वह ऑफीसका सारा काम वैसाही छोडकर सिधे एअरपोर्टकी तरफ निकल पडी.

... उसे पहले बताना कैसा रहेगा ?

नही ... उसे सरप्राईज देते है ...

और उसे डायरेक्ट बतानेका कोई रास्ताभी तो नही ...

इमेल थी. लेकिन आजकल अंजलीको इमेल, चॅटींग इन सारी चिजोंसे सक्त नफरत और मनमें डरसा बैठ गया था.

एअरपोर्ट आया वैसे उतरकर उसने ड्रायव्हरको गाडी वापस ले जानेके लिए कहकर वह लगभग दौडते हूए तिकिट काऊंटरके पास गई.

'' मुंबईके लिए ... अब कोई फ्लाईट है ?'' उसने पुछा.

'' वन फ्लाईट इज देअर .. जस्ट रेडी टू टेक ऑफ...'' काऊंटरपर बैठे लडकिने बताया.

'' वन टीकट प्लीज'' अंजली अपना क्रेडीट कार्ड आगे करते हूए बोली.

उसने काऊंटरसे टिकट खरीदा और लगभग दौडते हूए ही वह फ्लाईटकी तरफ दौड पडी. तभी उसका मोबाईल बजा. उसने मोबाईलका डिस्प्ले देखा. डिस्प्लेपर उसके ऑफिसका नंबर था. उसने आगे कुछ ना सोचते हूए ही फोन बंद किया और दौडते हूएही फ्लाईटमें जाकर बैठ गई. सिटवर बैठतेही फिरसे उसका मोबाईल बजने लगा. उसने मोबाईलका डिस्प्ले देखा. वही ऑफीसका नंबर

ऑफीसचा नंबर... क्या काम होगा ?... शरवरी एक कामभी ठिकसे नही संभाल सकती ..

उसने फोन बंद किया. लेकिन वह फिरसे बजने लगा.

शरवरी कभी ऐसा बार बार फोन नही करती ...

कुछ तो जरुरी काम होगा ...

उसने फोन उठाया और उधर फ्लाईटका लास्ट कॉल हो गया.

'' क्या है शरवरी?... '' वह लगभग चिढकरही बोली.

लेकिन यह क्या? उधरसे आनेवाला आवाज आदमीका था - हां विवेकका आवाज था.

'' विवेक तूम... '' वह एकदमसे सिटसे उठकर खडी होते हूए बोली, '' ऑफीसमें तुम कैसे .. कब.. और वहां क्या कर रहे हो ...?'' उसे क्या बोला जाए कुछ समझ नही आ रहा था.

वह बोलते हूए जल्दी जल्दी प्लेनके दरवाजेकी तरफ जा रही थी.

'' तुम्हे मिलनेके लिए आया था '' उधरसे विवेकका आवाज आया.

वह जब प्लेनके दरवाजेके पास पहूंची तब प्लेनका दरवाजा बंद किया जा रहा था.

'' रुको मुझे उतरना है ... ''

'' क्यों क्या हुवा ?'' अटेंडंट्ने पुछा.

'' आय ऍम नॉट फीलींग वेल'' उसके पास अब पुरी बात समझानेका वक्त नही था.

वह दरवाजा बंद करते हूए रुक गया. और वह तेजीसे चलते हूए प्लेनसे उतर गई.

वह अटेंडंट उसकी तरफ आश्चर्यसे देख रहा था.

"इसकी तबीयत ठिक नही ... फिर वह इतने जल्दी जल्दी और जोशके साथ कैसे उतर रही है ?' उसके मनमें आया होगा.

उसकी टॅक्सी लगभग अब उसके घरके पास पहूंच गई थी. टॅक्सी जैसेही उसके घरतक आकर पहूंची उसके दिलकी धडकने तेज हो रही थी. प्लेनसे बाहर निकलतेही वह सिधे एअरपोर्टके बाहर आ गई थी और टॅक्सी लेकर उसने टॅक्सीवालेको सिथे उसके घर ले जानेके लिए कहा था. और प्लेनमें जब विवेकका फोन आया था तभी उसने उसे अपने घर आनेके लिए कहा था. उसे ऑफीसमें सिन नही चाहिए था. तबतक टॅक्सी उसके घरके आहातेमें आकर रुकी. उसे पोर्चमेही विवेक उसकी बडी अधिरतासे राह देखता हूवा दिखाई दिया. उसकी टॅक्सी आतेही वह पोर्चसे उतरकर उसके टॅक्सीके पास आ गया. उसेभी अब रहा नही जा रहा था. टॅक्सीका दरवाजा खोलकर सिधे वह उसके बाहोंमे घुस गई. न जाने कितने दिनोंसे वे एक दुसरेकों मिल रहे थे. अंजली के आंखोमें आंसू आ गए और वे फिर रुकनेका नाम नही ले रहे थे.

'' अरे अरे... यह क्या ?'' विवेक उसे थपथपाते हूए बोला.

'' देखो तो मै पुरा की पुरा सहीसलामत तुम्हारे पास पहूंच गया हूं '' वह मजाकिया अंदाजमे, मौहोल थोडा ढीला करनेके लिए बोला.

लेकिन वह उसे इतनी मजबुतीसे चिपक गई थी की वह उसे छोडनेके लिए तैयार नही थी.

Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Posted: 12 Jan 2017 20:25
by sexy
ELove : Ch-41 वही गलती दुबारा ?


Inspirational Quotes -

We do less than we ought,

unless we do all we can.

---Thomas Carlyle


अंजली और विवेक जबसे आए थे तबसे अंजलीके बेडरुममें, एक दुसरेकों बाहोंमे भरकर, लेटे हूए थे. ना उन्हे खानेकी सुध ती ना पिनेकी.

'' जब उसकी पहली मेल आई, तब तुम्हे क्या लगा?'' विवेकने पुछा.

'' सच कहूं ... मुझे तो मानो मेरे पैर के निचेसे जमिन और सर के उपरसे आसमान खिसक गया ऐसा लगा था... मैने तो दिलसे तुम्हे स्विकारा था और ऐसी स्थितीमें ऐसाभी कुछ हो सकता है, मैने सपनेभी नही सोचा था....'' अंजलीने कहा.

'' इसका मतलब तुम्हे सब सच लगा था '' विवेकने मजाकिया अंदाजमें पुछा.

'' अरे.. मतलब ?... भलेही दिल नही मानता था पर परिस्थितीयां उसीके ओर इशारा कर रही थी. '' अंजलीने अपना बचाव करते हूए कहा.

'' और तुम्हे क्या लगा था ?'' अंजलीने पुछा.

'' नही तुम ठिक कहती हो ... मेराभी हाल कुछ कुछ तुम जैसाही था ... भलेही दिल ना माने परिस्थितीयां किसी ओर इशारा कर रही थी. '' विवेकने उसे सहलाते हूए कहा.

'' ऐसा वक्त फिरसे अपने जिंदगीमें कभी ना आए '' अंजलीने कहा.

'' सचमुछ... पहले तो मुझे अपने प्यारको किसीकी नजर लगी हो ऐसाही लग रहा था. '' विवेक उसके माथेको चुमते हूए बोला.

उसने उसके माथेको चुम लिया और वह उसके होंठोके पास अपने होंठ ले जाकर बडे बडे सांस लेते हूए वही रुक गया. और फिर आवेशके साथ एकदुसरेके होठोंको अपने मुंहमें लेकर वे एक बडे चुंबनमें मशगुल हो गए.

अचानक अंजलीको उनका पहले हॉटेलमें हुवा वह प्रणय याद आ गया और उसीके साथ कोई उनके फोटो खिंच रहा है ऐसा आभास हो गया.

वह झटसे अपने होंठ उसके होठोंसे हटाते हूए वह पिछे हट गई.

'' क्या हुवा ?'' विवेकने पुछा.

'' हम वही गलती दुबारा तो दोहरा नही रहे है '' अंजलीने मानो खुदसेही पुछा.

'' मतलब ?'' विवेकने पुछा.

'' यह सब और वहभी शादीसे पहले... तूम मेरे बारेंमे क्या सोच रहे होगे '' अंजलीने अपने जहनमें उठा दुसरा सवालभी पुछा.

'' डोन्ट बी सिली'' वह फिरसे पहल करते हूए बोला.

लेकिन उसके हाथपैर मानो ठंडे पड चुके थे. वह कुछभी प्रतिक्रिया नही दे रही थी.

'' तुम्हे अगर इसमें गलत लगता है और... तुम्हारा दिल अब नही मान रहा है तो ठिक है ... '' वह उससे अलग होते हूए वहांसे उठते हूए बोला.

'' वैसा नही हनी ... डोन्ट मिसअंडरस्टॅंड मी'' वह उसे फिरसे अपने पास खिंचते हूए बोली.

उसने फिरसे उठनेका प्रयास किया लेकिन अब वह उसे छोडनेके लिए तैयार नही थी. विवेकको कुछ समझ नही रहा था की. वह शिथील होकर सिर्फ उसके पास बैठा रहा. लेकिन अब मानो अंजलीके शरीरमें किसी चिजका संचार हुवा था. वह कॉटपर उसे एक तरफ गिराकर उसके उपर चढ गई और उसके शरीरपर सब तरफ चुंबनोकी मानो बरसात करने लगी. और फिर उनके बिच कुछ पलके लिए क्यों ना हो तैयार हुवा फासला मिट गया और वे एकदुसरेमें कब समा गए उन्हे कुछ पताही नही चला.


अंजली सुबह सुबह निंदसे जब जाग गई तब वह अपने पास पडे विवेकके मासूम चेहरेकी तरफ एकटक देखने लगी. उसने खिडकीसे बाहर झांककर देखा. बाहर अभीभी अंधेरा था. वह फिरसे विवेकके चेहरेकी तरफ एकटक देखने लगी. अचानक उसके खयालमें आगयाकी उसका मासूम चेहरा धीरे धीरे उग्र होता जा रहा है.

शायद वह कोई बुरा सपना देख रहा हो....

उसने उसके चेहरेपर हाथ फेरनेकी कोशीश की. लेकिन उसके हाथका स्पर्ष होतेही वह चौंककर उठ गया और गुस्सेसे बोला, ' मै तुम्हे छोडूंगा नही ... मै तुम्हे छोडूंगा नही ''

कुछ पलके लिए तो अंजलीभी घबराकर असमंजसमें पड गई.

'' क्या हुवा ?'' अंजलीने पुछा.

लेकिन कुछ पलमेंही उसका गुस्सा ठंडा पडा दिखाई दिया. और वह इधर उधर देखते हूए फिरसे सोनेके लिए लेटते हूए बोला,

'' कुछ नही ''

और फिरसे सो गया.

Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Posted: 17 Jan 2017 08:58
by rajkumari
ELove : ch-42 क्लूज

Happy thoughts -

Happy are those who dream dreams and are ready to pay the price to make them come true.

---- Leon J. Suenes


सुबह सुबह अंजली, विवेक, शरवरी और इन्स्पेक्टर कंवलजीत कॉन्फरंन्स रुममें इकठ्ठा हूए थे.

'' मै इस बातसे संतुष्ट हूं की आखिर ब्लॅकमेलरने विवेकको कोईभी हानी ना पहूंचाते हूए छोड दिया.'' अंजली काफी समयसे चल रहे चर्चाके बाद एक गहरी सांस लेते हूए बोली.

'' एक मिनीट'' विवेकने हस्तक्षेप किया.

सब लोग एकदम गंभीर होकर उसकी तरफ देखने लगे.

'' मुझे लगता है .... ब्लकमेलरकी वजहसे हमे, मुझे, आपको, अंजलीको - सबकोही काफी तकलिफ उठानी पडी.... '' विवेकने कहा.

'' विवेक... पैसा चला गया इस बातका मुझे दुख नही है ... तुझे कुछ हानी नही हुई यह मेरे लिए सबसे महत्वपुर्ण है '' अंजलीने बिचमेही उसे काटते हूए कहा.

इन्स्पेक्टर कंवलजीतभी उसकी हां मे हां मिलाएंगे इस आशासे अंजलीने उनकी तरफ देखा. लेकिन वे कुछ नही बोले.

'' अंजली बात सिर्फ पैसोकी नही है ... कमसे कम मुझे लगता है की उसे यूही छोड देना कुछ उचित नही होगा. .. वैसे अबभी देरी नही हूई है... अब अगर हमने उसे पकडनेकी कोशिश की तो कैसा रहेगा?...'' विवेकने सवाल खडा किया और वह इन्सपेक्टरकी प्रतिक्रिया परखनेके लिए उनकी तरफ देखने लगा. इन्स्पेक्टरने सोचते हूए कमरेकी छतकी तरफ देखा और वे कुछ बोलनेही वाले थे तभी शरवरी बिचमेंही बोली.

'' लेकिन हमे ना उसका नाम पता है ... ना उसका पता... वह क्या करता है यहभी हमे पता नही है ... फिर अगर हमने उसे पकडनेकीभी ठान ली तो उसे पकडेंगे कैसे ? ...'' शरवरीने अपनी आशंका जाहिर की.

अंजलीने शरवरीकी तरफ देखकर मानो उसके बातको मुक संमती दर्शाई.

'' इतके दिन हम उसे पकडनेकी कोशीश कर रहे थे.... वे सब कोशिशें एकदम खाली गई ऐसा कहना कुछ उचित नही होगा ... क्योंकी अबभी अपनेपास कुछ क्लूज है ... एक तो उस ब्लॅकमेलरका हॅंन्ड रायटींग जो हमें सायबर कॅफेके लॉगबुकसे मिला.... दुसरा उसके फिंगर प्रिन्टस जो हमें सायबर कॅफेसेही मिले और तिसरा ... यह फोटोग्राफस देखो ... '' इन्स्पेक्टर कंवलजीत बोल रहे थे.

अबभी ब्लॅकमेलरको पकडनेकी विवेककी तिव्र इच्छा देखकर मानो इन्स्पेक्टरके शरीरमें फुर्ती दौड रही थी. वे अपने जेबसे दो फोटोग्राफ्स निकालकर वहा इकठ्ठा हूए लोगोंको दिखाकर आगे बोले,

'' यह फोटोग्राफ्स उस सायबर कॅफेमें मिले कॉम्प्यूटरके है, जहां फोटोग्राफ लेनेके थोडीही देर पहले ब्लकमेलर बैठा हुवा था .. इस फोटोग्राफ्सकी तरफ थोडा गौरसे देखो ... देखो कुछ खयालमें आता है क्या ?'' इन्सपेक्टरने वे फोटो सबको देखनेके लिए आगे खिसकाए.

सब लोगोंने वह फोटोग्राफ्स एक एक करके देखे. लेकिन किसीकोभी उन फोटोग्राफ्समें कुछ अलग महसूस नही हुवा. तभी विवेक वे फोटोग्राफ्स देखते हूए मंद मंद मुस्कराया.

'' क्या हुवा ?'' अंजलीने पुछा.

'' जरा देखोतो... गौरसे देखो ... इस फोटोग्राफ्समें कॉम्प्यूटरका माऊस कॉम्प्यूटरके बाए तरफ की बजाय दाई तरफ रखा हुवा दिख रहा है ...'' विवेकने कहा.

'' यस यू आर ऍब्सुलेटली राईट'' इन्स्पेक्टरने उत्साहभरे स्वरमें कहा.

अब अंजलीभी मंद मंद मुस्कुराने लगी.

'' लेकिन इसका क्या मतलब है ?'' शरवरी अबभी संभ्रममें थी.

''... इसका एकही मतलब निकलता है की वह ब्लकमेलर लेफ्ट हॅन्डेड है ... '' इन्स्पेक्टरने कहा.

'' यस दॅट्स राईट '' अब कहा शरवरीभी मुस्कुराने लगी थी.

तभी कॉन्फरंस रुममें रखे हूए फोनची घंटी बजी. फोन अंजलीके बगलमेंही रखा हूवा था. उसने फोन उठाया,

'' हॅलो''

'' गुड मॉर्निंग अंजली ... '' उधरसे नेट सेक्यूराके मॅनेजींग डायरेक्टर मि. भाटीयां बोल रहे थे.

'' गुड मॉर्निंग भाटीयाजी...'' अंजलीने उतनीही सरगर्मीसे उनका स्वागत किया, '' बोलीए क्या कहते हो ?''

'' हमारे यहा हमने एक नेटवर्किंग सॉफ्टवेअर डेव्हलपमेंट कॉन्टेस्ट रखी थी ... कॉन्टेस्टचा टॉपीक है इथीकल हॅकींग... उस कॉन्टेस्टमें प्राईज डिस्ट्रीब्यूशन आपके हाथसेही हो ऐसी हमारी इच्छा है ... '' उधरसे भाटीयाजी मानो अपना हक जताते हूए बोले.

'' आपने बुलाया और हम नही आए ऐसा कभी होगा क्या भाटीयाजी ... मै जरुर आऊंगी ... प्राईज डिस्ट्रीब्यूशन कब है ?... '' अंजलीने पुछा.

'' पुरा प्रोग्रॅम अभी फायनल होनेका है ... वैसे वह प्रोग्रॅम टेंटीटीव्हली समव्हेअर अराऊंड धीस मंथ होगा ... पुरा प्रोग्रॅम फायनल होतेही आपको वैसे डीटेलमें बताया जाएगा ... '' उधरसे भाटीयाजी बोले.

'' नो प्रॉब्लेम''

'' थॅंक्स''

'' मेन्शन नॉट''

'' ओके बाय... सीयू''

'' बाय''

अंजलीने फोन क्रॅडल वापस रखा और उसने वहा बैठे सब लोगोंपर अपनी नजर घुमाई. उसके चेहरेपर फिरसे मुस्कुराहट दिखने लगी थी.

'' मेरे दिमागमें एक आयडीया आया है ... अभी नेट सेक्यूराके मॅनेजींग डायरेक्टर मि. भाटीयाजींका फोन था ... इथीकल हॅकींगपर वे एक सॉफ्टवेअर डेव्हलपमेंट कॉन्टेस्ट ले रहे है ... मुझे यकिन है की अगर इस कॉन्टेस्ट का प्रचार बडे पैमानेपर अगर किया गया और उस कॉन्टेस्ट जितनेवालोंको अगर बडे बडे प्राईजेस रखे गए ... तो वह ब्लॅकमेलर इस प्रतियोगीतामें जरुर हिस्सा लेगा ...'' अंजलीने कहा.

'' लेकिन तुम यह सब इतने यकिनके साथ कैसे कह सकती हो ?'' विवेकने आशंका जताई.

'' पुरे यकिनके साथतो नही... फिरभी ... क्रिमीनल सायकॉलॉजीके अनुसार... वह ब्लॅकमेलर अभी अपना आत्वविश्वास और गर्वमें पुरी तरह चुर है ... उसतक अगर यह कॉन्टेस्टकी बात पहूचाई गई तो वह उसमें जरुर हिस्सा लेगा ... '' इन्स्पेक्टरने अपना अंदाजा लगाया.