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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Posted: 17 Jan 2017 08:58
by rajkumari
Elove : ch-43 चलो

Imagination thoughts -

The power of imagination makes us infinite.

--- John Muir


सुबह सुबह ऑफीसमें आए बराबर अंजली अपने काममें व्यस्त हो गई. तभी शरवरी कॅबिनमें आ गई.

'' प्रतियोगीता कब कलसे शुरु होनेवाली है ना? '' अंजलीने शरवरीसे पुछा.

'' हां'' शरवरीने एक फाईल ढुंढते हूए जवाब दिया.

'' कितने लोगोंके अप्लीकेशन्स आए है ?'' अंजलीने पुछा.

'' लगभग तिन हजार'' शरवरीने उत्तर दिया.

'' ओ माय गॉड ... इतने लोगोंमें उस ब्लॅकमेलरको ढुंढना यानी ... पहाड खोदकर चुहा निकालने जैसा होगा... और वहभी अगर वह इस प्रतियोगीतामें शामील हुवा तो?... नही?'' अंजलीने पुछा.

'' हां कठिण तो है ही '' शरवरी एक फाईल लेकर शरवरीके सामने आकर बैठते हूए बोली.

तभी अंजलीका फोन बजा. अंजलीने फोन उठाकर अपने कानको लगाया,

'' अंजली... मै इन्स्पेक्टर कंवलजित बोल रहा हूं ..'' उधरसे आवाज आया.

'' मॉर्निंग अंकल....''

'' मॉर्निंग ... तुम्हे पता तो होगाही की प्रतियोगिताके लिए 3123 अप्लीकेशन्स आए है ... उसमें हमने जो लेफ्ट हॅन्डेड और राईट हॅन्डेड जानकारी मंगवाई थी ... उसके अनुसार जो लेफ्ट हॅन्डेड लोगोंके है वे 32 अप्लीकेशन्स अलग किए हूए है.... उसमेसें एक लडकेका हॅन्डरायटींग हुबहु मॅच हो रहा है ... उसका नाम है अतूल विश्वास... '' उधरसे इन्स्पेक्टरने जानकारी दी.

'' गुड व्हेरी गुड... '' अंजली एकदम खुश होते हूए बोली, '' थॅंक्यू अंकल... मै आपके उपकार किस तरह उतार सकुंगी... मुझे तो कुछ समझमें नही आ रहा है ...'' अंजली खुशीके मारे बोली.

'' इतने जल्दी इतना खुश होकर नही चलेगा ... अभी तो सिर्फ शुरुवात है ... उसे कानुकके शिकंजेमें पकडनेके लिए हमे और काफी मेहनत करनी पडेगी ..'' इन्स्पेक्टरने कहा.

'' क्यों? ... अभी तुरंत हम उसे नही पकड पाएंगे ?'' अंजलीने निराश होकर पुछा.

'' नही अभी नही ... आगे तो सुनो ... हमने अभी उसका फोन टॅप करना शुरु किया है .. ताकी उसके और कोई साथीदार होंगे तो उसे हम पकड पाएंगे ... और सारे सबुत इकठ्ठा होतेही उसे अरेस्ट करेंगे .. '' इन्स्पेक्टर कंवलजितने कहा.

अंजलीका तो मानो खुन खौल रहा था. उस ब्लॅकमेलरको कब एक बार पकडकर उसे सजा दी जाए ऐसा उसे हो रहा था. उसे फिलहाल वह कुछभी नही कर सकती इस बातका दुख हो रहा था.

लेकिन नही...

मै कुछ तो करही सकती हूं ...

यह खबर अगर विवेकको दी जाए तो.....

यह खबर सुनतेही वह कितना खुश हो जाएगा ...

उसने फोनका क्रेडल उठाया और वह एक नंबर डायल करने लगी.


पोलिस स्टेशनमें इन्स्पेक्टर कंवलजितके सामने एक पुलिस बैठा हुवा था.

'' सर हमने अतुल बिश्वासके सारे फोन कॉल्स टॅप किए है ... उनमेंसे यह एक महत्वपुर्ण लगा ..'' वह पुलिस सामने रखा टेपरेकॉर्डर शुरु करते हूए बोला.

टेपरेकॉर्डर शुरु हो गया और उसमेंसे वह टेप किया हुवा फोन कॉल सुनाई देने लगा.-

'' अलेक्स... मुझे वहां आनेके लिए 7-8 दिन लगेंगे ... पैसे संभालकर रखना ... मै वहां पहूचनेके बाद हम उसे बाट लेंगे .. '' अतुलने कहा.

'' ठिक है .. '' अलेक्सने कहा.

'' और हां ... अपने कॉम्प्यूटरको पुरी तरहसे फॉरमॅट करना... उसमें कुछभी बाकी रहना नही चाहिए ... ''

'' ठिक है ... तूम इधरकी बिलकुल चिंता मत करो... मै सब संभाल लूंगा ..''

'' ओके देन ... बाय''

'' बाय .. ''

इन्स्पेक्टर कंवलजितने वह संवाद रिवाईंड कर फिरसे बार बार सुना. और फिर वे एक इरादेके साथ खडे होते हूए उस पुलिससे बोले,

''चलो ''

इन्सपेक्टरने भलेही सिर्फ एकही शब्द कहा था, फिरभी वह इशारा उस पुलिसको काफी था. इन्स्पेक्टर आगे आगे और वह पुलिस उनके पिछे पिछे चलने लगे.


Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Posted: 17 Jan 2017 08:58
by rajkumari
ELove : Ch-44


Encourging thoughts -

First say to yourself what you would be;

and then do what you have to do.

---Epictetus


रातका समय था. एक अंधेरे कमरेमें अलेक्स कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर कुछ कर रहा था. कमरेमें जोभी कुछ उजाला था वह उस मॉनिटरकाही था. उस मॉनिटरके रोशनीमें अलेक्सका भद्दा चेहरा और ही भयानक दिख रहा था. तभी दरवाजेपर दस्तक हूई. अलेक्स उठ खडा हूवा,

लगता है आगए साले बेवडे...

उसने सोचा. यह उसके रातमें इकठ्ठा होनेवाले दोस्तोंके आनेका वक्त था. वे इकठ्ठा होकर देर रात तक पिते थे और गप्पे मारते बैठते थे. और इतनेमें उसके पास पैसा आनेसे उसके यहां आनेवाले दोस्तोंकी गिनती बढती जा रही थी.

'' कोण है बे?'' मस्तीमें बोलते हूए उसने दरवाजा खोला.

और उसके चेहरेका रंग फिका पड गया. उसके चेहरेकी मस्ती पुरी तरहसे उड गई थी. उसके सामने दरवाजेमें इन्स्पेक्टर कंवलजीत और और पांच छे पुलिस खडे थे. उनमेंसे दो लोग ड्रेसमें नही थे. वह कुछ सोचे और कुछ हरकत करे इसके पहलेही पुलिसने उसे दबोचकर अरेस्ट किया.

'' मैने क्या किया ?'' अलेक्स अपने चेहरेपर मासुमियतके भाव लाकर बोला.

कोई कुछभी प्रतिक्रिया नही दे रहा है यह देखकर वह फिरसे बोला,

'' मुझे क्यों अरेस्ट किया गया ... कुछ तो कहोगे ?''

फिरभी कोई कुछ नही बोला.

'' ऐसे आप कुछभी गलती ना होते हूए किसीको अरेस्ट नही कर सकते ... यह कानुनन अपराध है '' वह अपनी आवाज बढाकर बोला.

फिरभी कोई कुछ बोलनेके लिए तैयार नही था, यह देखते हूए वह चिढकर चिल्लाया,

'' मुझे क्यो अरेस्ट किया गया है ?''

'' पता चलेगा... जल्दीही पता चलेगा '' इन्सपेक्टरका एक साथी ताना मारते हूए धीमे स्वरमें बोला.

अब कंधा उचकाकर, चेहरेपर जितने हो सकते है उतने मासुमियतके भाव लाकर, वह उनकी हरकते निहारने लगा. एक बलवान पुलिस उसके हाथोमें हथकडीयां पहनाकर उसे घरके अंदर ले गया. बाकी सारे पुलिस घरमें सब तरफ फैलकर घरकी तलाशी लेने लगे. उनमेंसे दो लोग ड्रेसमें नही थे, वे कॉम्प्यूटर एक्सपर्ट थे. उन्होने तुरंत कॉम्प्यूटरपर कब्जा किया. कॉम्प्यूटर शुरुही था इसलिए अपराधीसे पासवर्ड हासिल करना या उस कॉम्प्यूटरका पासवर्ड ब्रेक करना, यह सब टल गया था. पुलिसकी टीम पुरे घरकी और आसपासकी तलाशी लेते हूए जब कॉम्प्यूटरके इर्द गिर्द इकठ्ठा हो गई, तब कॉम्प्यूटरपर बैठे एक्सपर्टमेंसे एकने इन्स्पेक्टर कंवलजितसे कहा,

'' सर इसमें तो कुछभी नही है ''

'' घरमेंभी कुछ नही मिल रहा है '' टीममेंसे एकने जोड दिया.

'' कुछ होगा तो मिलेगा ना ... मुझे लगता है आप लोग गलत घरमें घुस गए हो '' अलेक्सने बिचमेंही कहा.

'' ठिकसे देखो .. उसने अगर हार्डडिस्क फॉरमॅट की हो तो अपने रिकव्हरी टूल्स रन करो '' इन्सपेक्टरने कहा.

'' यस सर'' कॉम्प्यूटर एक्सपर्ट बोला.


टिममेंसे कुछ पुलिस अबभी घरमें सामान उलट पुलटकर देख रहे थे. तभी एक पुलिस वहा इन्सपेक्टरके पास एक बॅग लेकर आया. उसने बॅग खोली तो अंदर कपडे थे. उसने कपडेभी बाहर निकालकर देखा, लेकिन अंदर कुछभी नही था.

'' देखो ... घरका कोना कोना छान मारो ...'' इन्स्पपेक्टर उन्हे मायूस हुवा देखकर उनका हौसला बढानेके उद्देशसे बोला.

'' यस सर'' उस पुलिसने कहा और फिरसे घरमें ढुंढने लगा.

तभी कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टका उत्साहीत स्वर गुंजा '' सर मिल गया ''

सारे लोग अपने अपने काम छोडकर कॉम्प्यूटरके इर्द गिर्द जमा हो गए. और वे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ बडी आस लेकर देखने लगे. उनमेंसे सिनियर कॉम्प्यूटर एक्सपर्टने कॉम्प्यूटरपर एक फाईल खोली. शायद उसने वह रिकव्हरी टूल्सका इस्तेमाल कर रिकव्हर की होगी. वह फाईल यानी ब्लॅकमेलरने पहले मेलमें अंजलीको भेजा हुवा अंजली और विवेकके प्रणयका फोटो था. इन्सपेक्टरने अब गुस्सेसे मासूम बननेकी कोशीश कर रहे अलेक्सकी तरफ देखा. अलेक्सके चेहरेसे मासूमियतभरे भाव कबके उड चुके थे. उसने अपनी गर्दन झुकाई थी. इन्स्पेक्टरने अपने साथीसे इशारा करतेही वह पुलिस अरेस्ट किए हुए अलेक्सको बाहर ले गया. अलेक्स चुपचाप कुछभी प्रतिकार ना करते हूए उस पुलिसके पिछे पिछे चलने लगा.

अलेक्सको उस पुलिसने वहांसे बाहर ले जातेही, इन्स्पेक्टर कंवलजितने अपना मोबाईल लगाया -

'' अंजली गुड न्यूज... ''

Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Posted: 17 Jan 2017 08:59
by rajkumari
ch-45 आखरी दांव

Quote of the Day ---

"In a moment of decision,

the best thing you can do is the right thing to do.

The worst thing you can do is nothing.

--- Theodore Roosevelt


... पुरी कहानी सुनाकर इन्स्पेक्टरने एक लंबी सांस ली. स्टेजपर इन्स्पेक्टर कंवलजित, अंजली, नेट सेक्यूराके डायरेक्टर और ऍन्कर खडे थे. पुरी कहानी खत्म होगई थी, फिरभी लोग अभीभी शांत थे. हॉलमें मानो शमशानसी चुप्पी फैली हुई थी. तभी अंजलीको हॉलके पिछले हिस्सेमें विवेक खडा हुवा दिखाई दिया. अंजलीने हात हिलाकर उसे स्टेजपर बुलाया. विवेकभी लगभग दौडते हूएही स्टेजपर गया. अंजलीने उसका हाथ अपने हाथमें लेकर उसे अपने पास खडा किया. अबतक जो सब लोग शांत थे वे अब तालियां बजाने लगे. और तालियाभी इतनी की मानो उन्होने सारा हॉल सरपर लिया हो. तालियां रुकनेका नाम नही ले रही थी.

अबभी विवेकका हाथ अंजलीके हाथमें कसकर पकडा हुवा था. अंजलीने दुसरा हाथ दिखाकर लोगोंको शांत रहनेका इशारा किया और वह माईक हाथमें लेकर बोलने लगी -

'' हमारा प्रेम... यां यू कहिए ... हमारा इ - लव्ह ... लगा था कमसे कम इसमें तो बाधाएं नही आयेंगी .. लेकिन ऐसा लगता है की प्यार की राहमें हमेशा बाधाए होती है ...''

अंजलीने हॉलमें सब तरफ अपनी नजरे घुमाई और वह विवेकका हाथ और कसकर पकडते हूए आगे बोली, '' ... लेकिन कुछभी हो ... आखिर जित प्यारकीही होती है ''

लोगोंने तालिया बजाते हूए फिरसे पुरा हॉल मानो अपने सरपर उठा लिया.

अब विवेकने माईक अपने हाथमें लिया और लोगोंको शांत रहनेका इशारा करते हूए वह बोला,

"" हमारे दोनोके प्रेमकहानीसे आप लोग एक सिख जरुर ले सकते है की ... '' एक क्षण स्तब्ध रहकर वह आगे बोला, '' की बुरेका अंत आखिर बुरेमेंही होता है ...''

फिरसे लोगोंने तालियां बजाकर मानो उसके कहनेको अपनी सहमती दर्शाई. तभी एक कंपनीका आदमी स्टेजके पिछले हिस्सेसे स्टेजपर आ गया. उसकी चारो ओर घुमती हूई आंखे स्टेजपर किसीको ढूंढ रही थी. आखिर उसे कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर भाटीयाजी दिखतेही वह उनके पास गया और उनके कानमें कुछ बोलने लगा. वह जोभी बोल रहा था वह सुनकर भाटीयाजींके चेहरेपर अचानक हडबडाहट, आश्चर्य और डरके भाव दिखने लगे. उनके चेहरेपर वे भाव देखकर स्टेजपर उपस्थित बाकी लोगोंके चेहरेपरभी भाव बदल गए थे. स्टेजपर जो हल्का फुल्का खुशीका माहौल था वह एकदमसे तनावमें बदल गया था. उस कंपनीके आदमीने भाटीयाजीको सब बतानेके बाद भाटीयाजीने स्टेजपर इधर उधर देखा और वे इन्स्पेक्टर कंवलजितकी तरफ बढने लगे.

अब भाटीयाजी इन्स्पेक्टरके कानमें कुछ बोल रहे थे. इन्स्पेक्टरकीभी वही दशा हो गई थी. उनके चेहरेपरभी हडबडाहटभरे आश्चर्य और डरके भाव आगए थे. तबतक अंजली, विवेक और वह ऍन्करभी इन्स्पेक्टरके पास पहूंच गए.

'' क्या हुवा ?'' अंजलीने एकबार इन्स्पेक्टरकी तरफ तो दुसरी बार भाटीयाजीकी तरफ देखते हूए पुछा.

'' जाते हूए वह अपना आखरी दांव खेल गया है '' इन्सपेक्टरने बताया.

'' लेकिन क्या हुवा ?'' विवेकने पुछा.

'' थोडा खुलकर तो बताओ ?'' अंजलीने भाटीयाजीकी तरफ देखते हूए पुछा.

'' खुलकर बोलनेके लिए अब वक्त नही है ... चलो मेरे साथ चलो '' भाटीयाजी अब जल्दी करते हूए बोले. और तेजीसे स्टेजके पिछले हिस्सेसे उतरकर उस कंपनीके आदमीके साथ अपने ऑफीसकी तरफ जाने लगे.

इन्स्पेक्टर, अंजली, और विवेकभी चुपचाप उनके पिछे चलने लगे. वह ऍन्कर उनके पिछे जाएकी ना जाए इस दुविधामें स्टेजपरही रुका रहा, क्योंकी अबतक हॉलमें उपस्थित लोगोंमे खुसुरफुसुर और गडबडी शुरु हो गई थी. हकिकतमें क्या हुवा यह जाननेकी जैसे उन लोगोंकी उत्सुकता बढ रही थी. लेकिन जितने वे लोग अनभिज्ञ थे उतनाही वह ऍन्करभी अनभिज्ञ था. लेकिन क्या हुवा यह जाननेसे बडी जिम्मेदारी अब उस एन्करके कंधेपर आन पडी थी - किसीभी तरह उन लोगोंको शांत करके वहां उस हॉलसे सही सलामत बाहर निकालनेकी.


क्रमश:...