ELove ( ई लव) - Hindi Romantic, suspense Novel – (Complete)

Contains all kind of sex novels in Hindi and English.
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sexy
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Re: ELove ( ई लव) - Hindi Romantic, suspense Novel – (Comple

Unread post by sexy » 16 Aug 2015 13:50

कंपनीके उस आदमीने कंपनीके मॅनेजींग डायरेक्टरके कानमें कुछ खुसफुसाकर प्रोग्रॅमका सारा मुडही बदल दिया था. डायससे निचे उतरकर कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर भाटीयाची सिधे अपने कॅबिनके तरफ जाने लगे. भाटीयाजींको वह फासला मानो बहोत दूर लग रहा था. डायसकी सिढीयां उतरकर और उनके ऑफीसकी सिढीयां चढते हूए पहलीबार उन्हे थकावट महसूस हो रही थी. उनके पिछे इन्स्पेक्टर कंवलजित और सबसे पिछे असमंजसमें चल रहे अंजली और विवेक थे. सबलोग जब भाटीयाजींके कॅबिनमें घुस गए, तब वहां पहलेसेही कुछ लोगोंने कॉम्प्यूटरके इर्दगिर्द भिड की थी. भाटीयाजीभी उस भिडमें शामिल हो गए और कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ आश्चर्यसे देखने लगे. अंजली और विवेकने जब उस भिडमें घुसकर उस मॉनिटरकी तरफ देखा. तब कहां उनको सारे मसलेका अवलोकन हुवा. उनके मनमें चल रही सारी शंकाए एक पलमें नष्ट होकर वह जगह अब चिंता और डरने ली थी. मॉनिटरपर एक ब्लींक हो रहा मेसेज दिख रहा था - All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password' और मॉनिटरपर उलटी गिनती दिखा रही टाईम बॉम्बके घडी जैसी एक घडी दिख रही थी. - 5hrs... 10mins... 26secs

"" ओ माय गॉड... '' भाटीयाजींके आश्चर्यासे खुले रहे मुंहसे निकल गया.

उनका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया था और चेहरेपरभी पसिनेकी बुंदे दिख रही थी. सब डाटा अगर डिलीट हूवा तो होनेवाले नुकसानके कल्पनाभरसेही वे घबरा गए थे.

'' सर यही नही तो कंपनीके सारे कांम्प्यूटरपर यह मेसेज आया है ... '' कंपनीका एक आदमी बोला. और फिर सब लोगोंको डॆव्हलपमेंट सेंटरकी तरफ ले जाते हूए बोला, '' सर जरा इधरभी देखिए ..''

उसके पिछे सारे लोग कुछ ना बोलते हूए जा रहे थे, मानो समशानमें जा रहे हो.

डेव्हलपमेंट सेंटर यानी एक बडा हॉल था और वहां छोटे छोटे क्यूबिकल्स बनाकर हर डेव्हलपरकी तरफ ध्यान दिया जा सके और सबको प्रायव्हसीभी मिले इसका खास ध्यान रखा गया था. वहां सब कॉम्प्यूटरके मॉनिटर्स शुरु थे और सब मॉनिटरपर एकही मेसेज था - All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password'

और यहांभी सब कॉम्प्यूटर्सपर उलटी गिनती चल रही थी.

5hrs... 3 mins... 2 secs

'' सचमुछ गुनाहगार जाते हूए अपनी आखरी चाल चल गया है '' विवेकने कहा.

'' इट्स अ टीपीकल एक्सांपल ऑफ ईटेररीझम'' अंजलीने कहा.

'' हमारे तो कंपनीका अस्तित्वही खतरेमें आया है '' भाटीयाजी अपने चेहरेसे पसिना पोंछते हूए बोले.

'' आप चिंता मत किजिए ... पासवर्ड गुनाहगारसे कैसे उगलना है यह हमारा काम है '' इन्स्पेक्टरने कहा.

तभी दो पुलिस हथकडी पहने हूए अतूलको वहां लेकर आ गए. इन्स्पेक्टरने पुरा मसला समझमें आतेही उसे वापस यहां लानेके लिए अपने साथीयोंको पहलेही वायरलेसपर बताया था. अतूल धीमे मस्ती भरी चालसे मंद मंद मुस्कुराते हूए इन्स्पेक्टरकी तरफ चलने लगा.

'' पासवर्ड क्या है ?...'' इन्स्पेक्टरने उसे कडे स्वरमें पुछा.

इन्स्पेक्टरने 'साम दाम दंड भेद' से पहले 'दंड' का इस्तेमाल करनेकी ठान ली थी ऐसा दिख रहा था.

'' जल्दी क्या है ... पहले मेरी हथकडीतो खोलो ... अभी और 5 घंटे बाकी है '' अतूल हसते हूए शांत स्वरमें बोला.

इन्स्पेक्टर गुस्सेसे उसे मारनेके लिए उसकी तरफ बढे वैसे अतूल चेहरेपर कुछभी डर ना दिखाते हूए वैसेही खडा रहते हूए, उनकी आखोंमें आखे डालकर बोला, ' अं हं... इस्न्पेक्टर यह गल्ती कभी ना करना ... ऐसी गलती करोगे तो मै पासवर्ड तो दुंगा लेकिन वह पासवर्ड देनेके बाद ... तुम्हारेपास जो 5 घंटे बाकि है वहभी नही रहेंगे..... पुरा डाटा वह पासवर्ड देनेके बाद तुरंत नष्ट हो जाएगा ...''

इन्स्पेक्टरने उसपर उठाया हुवा हाथ पिछे लिया. उन्हे अहसास हो गया था की उसके बोलनेमें तथ्य था.

'' खोलो मेरी हथकडी '' अतूलने फिरसे कहा.

इन्स्पेक्टरने उसे लेकर आए पुलिसको इशारा किया. उन्हे इशारा मिलतेही उन्होने चूपचाप उसकी हथकडी खोली. अतूलने अपनी खुली हूई कलाइयां एक के बाद एक दुसरे हाथमें लेकर घुमाई और वह अपने दोनो हाथ पिछे ले जाते हूए जम्हाई भरते हूए, उसे मिली हूई रिहाईका आनंद व्यक्त करते हूए बोला,

'' हां अब देखो... कैसे खुला खुला लग रहा है ''

'' पासवर्ड क्या है ?'' फिरसे इन्स्पेक्टरका कडा स्वर गुंजा.

'' इन्स्पेक्टर तुम्हे लगता है, की मै इतने आसानीसे और इतने जल्दी तुम्हे पासवर्ड बताऊंगा ?'' अतूल इन्स्पेक्टरकी आंखोसे आंखे मिलाते हूए बोला.

'' फिर तुम्हे और क्या चाहिए ?'' इन्स्पेक्टरने अपना स्वर अबभी कडा रखते हूए पुछा.

'' बस कुछ नही ... सिर्फ मेरे पुरे रिहाईका इंतजाम .. '' अतूलने कहा.

'' मतलब ?'' इतनी देर से चुप था विवेक पहली बार बोला.

'' अरे हां ... अच्छा हुवा तु बोला ... तुझे मेरे साथ आना पडेगा ... मुझे यहांसे दूर ... जहां ये लोग फिरसे पहूंच नही पाए ऐसी जगह मुझे पहुचानेकी जिम्मेदारी अब तुम्हारी ... और फिर वहांसे मै इन्हे मोबाईलसे वह पासवर्ड बताऊंगा ... '' अतूलने कहा.

'' हमें क्या मुरख समझ रखा है ?'' इन्स्पेक्टर फिरसे गुर्राया.

'' इन्स्पेक्टर यह वक्त अब कौन मुरख है या बननेवाला है यह तय करनेका नही है ... संक्षिप्तमें कहा जाए तो ... यू डोन्ट हॅव चॉईस... तुम्हे मेरे कहे अनुसार करनेके अलावा कोई चारा नही है '' अतूलने कहा.

इन्स्पेक्टरने एक बार विवेककी तरफ तो दुसरी बार अतूलकी तरफ देखा.

'' ठिक है '' विवेकने दृढतासे कहा.


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Re: ELove ( ई लव) - Hindi Romantic, suspense Novel – (Comple

Unread post by sexy » 16 Aug 2015 13:51

इतनी बडी कंपनीका अस्तित्व और भविष्य खतरेमें आया था, इसलिए इन्स्पेक्टरको अतूलका सबकुछ सुननेके अलावा कोई रास्ता नही था. और उससे कितना नुकसान हो सकता है यह भाटीयाजींके पसिनेसे लथपथ चेहरेपर साफ दिख रहा था. वैसे देखा जाए तो भाटीयाजी बहुत हिम्मतवाले या यू कहा जाए की मोटी चमडीवाले आदमी थे. और उनके चेहरेपर और पुरे बदनमें पसिना आए मतलब कंपनीका अस्तित्व बुरी तरफ दाव पर लगा था यह स्पष्ट था.

अतूलने बताए अनुसार विवेकभी उसके साथ उसे उस जगहसे दूर छोडनेके लिए तैयार हुवा था. इसलिए उसके साथ कौन जाएगा यह एक बडी गुथ्थी सुलझ गई थी. क्योंकी उसके साथ अकेला जाना खतरेसे खाली नही था, यहांतककी खुदकी जान जानेकाभी खतरा था और वह किसे अपनेसाथ कोई हथीयार ले जाने देगा इतना मुर्ख नही था. लेकिन विवेकको उसके साथ अकेले भेजनेके लिए अंजलीका दिल नही मान रहा था. वह वैसे कुछ बोली नही लेकिन उसके चेहरेसे सबकुछ झलक रहा था. एक तरफ भाटीयाजींकी कंपनी उसकी वजहसेही खतरेमें आ गई थी और उसनेही विवेकको भेजेनेके लिए इन्कार करना उसे ठिक नही लग रहा था. अतुलको जाल डालकर फांसनेके काममें भाटीयाजींका बहुमोल योगदान था. और उन्होने उस बातके खतरेका अहसास होते हूए भी उसे पुरा सहयोग दिया था. और अब उनकी कंपनी खतरेमें आनेके बाद मुंह मोड लेना उसे जच नही रहा था.

विवेकनें उसकी दुविधा जानते हूए उसे अपनी बाहोमें लेते हूए थपथपाकर कहा.

'' डोन्ट वरी हनी... आय वुल बी फाईन''

अंजली कुछभी बोली नही, लेकिन आखीर अपने दिलपर पत्थर रखकर वह उसे जाने देनेके लिए तैयार हो गई.

एक तरहसे इन्स्पेक्टर कंवलजितनेही उसे धिरज बंधाकर तैयार किया था.

भाटीयाजी, अंजली, विवेक और इन्स्पेक्टर कंवलजित स्टेजसे उतरकर वहांसे निकल जानेके बाद हॉलमें इकठ्ठा हूए लोगोंको शांतीसे बाहर निकालनेका काम ऍन्करने कुछ पुलिसकी मदत लेते हूए खुब निभाया था. अब कंपनीके कंपाऊंडके अंदर पुलिस, कंपनीके लोग, विवेक, अंजली और वह गुनाहगार के अतिरिक्त कोई नही था. कुछ लोगोंको इस पुरे मसलेकी खबर शायद लगी थी, क्योकी वे पुलिसकी डरकी वजहसे कंपाऊंडके बाहर जाकर इधर उधर छिपते हूए उधरही देख रहे थे. और वेभी लोग बहुत कम थे. इसलिए अब गुनाहगारको संभालनेमें या उसकी मांगे सुन लेनेमें इन्स्पेक्टर कंवलजितको जादा तकलिफ नही हो रही थी. अगर लोग अबभी कंपाऊंडके अंदर या हॉलमें होते तो शायद इस गुनाहगारको संभालनेसे उन लोगोंको संभालना जादा तकलिफदेह होता था.

आखिर अतूलको उसके कहे अनुसार कही बहुत दुर ले जाकर छोडनेके लिए पुलिस राजी हो गई. सब लोग कंपनीके बिल्डींगके बाहर खुले मैदानमे इकठ्ठा हुए थे. मैदानमें पुलिसकी और बाकी बहुतसारी गाडीयां खडी थी. अतूलने वहां खडी पाच छे गाडीयोंके पास जाकर गौरसे देखा और उनमेंसे एक गाडीके छतपर थपथपाते हूए पुछा,

'' यह गाडी किसकी है ?''.

वह कंपनीके एक ऑफिसरकी गाडी थी. वह ऑफिसर डरते हूएही सामने आते हूए बोला, '' मेरी है ''

'' चाबी दो '' अतूलने फरमान छोडा.

भाटीयाजींने उस ऑफीसरकी तरफ देखते हूए आंखोसेही उसे वैसा करनेके लिए कहा. उस ऑफीसरने चुपचाप अपने पॅन्टकी जेबसे चाबी निकालकर अतूलके हवाले कर दी.

'' हम इस गाडीसे जाएंगे '' अतूलने एलान किया.

विवेकने एक कडा कटाक्ष अतूलकी तरफ डालते हूए कहा, '' पहले तुम्हारा मोबाईल इधर दो ''

अतूलने कुछ क्षण सोचा और अपना मोबाईल निकालकर विवेकके पास देते हूए बोला, '' गुड मुव्ह''

विवेकने वह मोबाईल लेकर इन्स्पेक्टरके पास दिया.

'' अब तुम्हारा मोबाईल इधर लाओ '' अतूलने कहा.

विवेकने अपना मोबाईल निकालकर अतूलके पास दिया. अतूलने गाडीकी डीक्की खोली और वह मोबाईल डिक्कीमें डाल दिया. लेकिन उसे क्या लगा क्या मालूम, उसने वह मोबाईल फिरसे डीक्कीसे बाहर निकाला और उसे ऑफ कर फिरसे डिक्कीमें डालते हूए डिक्की बंद की.

'' गुड मुव्ह'' अब विवेककी बारी थी.

अतूल उसकी तरफ देखकर मक्कारकी तरह मुस्कुराते हूए बोला, '' हां अब सब ठिक है ''

'' हू विल ड्राईव्ह द व्हेईकल?'' विवेकने गाडीके पास जाते हूए पुछा.

'' ऑफ कोर्स मी'' अतूलने कहा और गाडीके ड्राईव्हींग सिटकी तरफ जाने लगा.

लेकिन अचानक अतूल बिचमेंही रुकते हूए बोला , ''वेट'

विवेकभी रुक गया. अतूल मुस्कुराते हूए विवेकके पास गया और उसकी उपरसे निचेतक पुरी तलाशी लेने लगा. शायद वह उसके पास कोई हथीयार है क्या यह देख रहा था.

'' हां अब ठिक है '' अतूल ड्रायव्हींग सिटकी तरफ जाने लगा वैसे विवेकने कहा,

'' वेट... दॅट अप्लाईज टू यू टू''

विवेकनेभी अतूलके पास जाकर उसकी पुरी तलाशी ली.

'' हां अब ठिक है '' विवेकने कहा और गाडीकी तरफ जाने लगा वैसे अतूल इन्स्पेक्टरकी तरफ देखते हूए बोला,

'' नही अभीभी सब ठिक नही है ... ''

इन्सपेक्टर कुछ ना बोलते हूए अतूलकी तरफ देखने लगा.

'' इन्स्पेक्टर अगर मुझे किसीभी क्षण खयालमें आगया की हमारा पिछा हो रहा है ... या हमारी जानकारी कही भेजी जा रही है ... तो ध्यानमें रखो ... मै पासवर्ड तो दुंगा ... लेकिन वह गलत पासवर्ड होगा ... जो दिए बराबर तुम्हारे कंपनीका सारा डाटा तुरंत नष्ट हो जाएगा ... समझे ?'' अतूलने कडे स्वरमें ताकिद दी.

'' डोन्ट वरी यू विल नॉटबी ... फालोड... प्रोव्हायडेड यू गिव्ह अस द करेक्ट पासवर्ड...'' इन्स्पेक्टरने कहा.

'' दट्स लाईक अ गुड बॉय'' अतूल गाडीके ड्रायव्हीग सिटपर बैठते हूए बोला.

अतूलने गाडी शुरु करके विवेककी तरफ कडी नजरसे देखा. विवेक उसकी बगलवाले सिटपर चुपचाप आकर बैठ गया और अंजलीकी तरफ देखते हूए उसने गाडीका दरवाजा खिंच लिया.

अतूलने गाडी रेस की और कंपनीके कंपाऊंडके बाहर ले जाकर तेजीसे रास्तेपर दौडाई.

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Re: ELove ( ई लव) - Hindi Romantic, suspense Novel – (Comple

Unread post by sexy » 16 Aug 2015 13:52

कंपनीके मॅनेजींग डायरेक्टर भाटीयाजी, इन्स्पेक्टर कंवलजित और अंजली अभीभी अस्वस्थाके साथ कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देख रहे थे. मॉनिटरपर अबभी वही मेसेज ब्लींक हो रहा था. - ' All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password' लेकिन मॉनिटरपर उलटी गिनती चल रही टाईम बॉम्बके घडी जैसी घडी दर्शा रही थी - 0 hrs... 20mins... 20secs.

घडीमें दिख रहे शुन्य घंटेने सब लोगोंमे एक अस्वस्थता, एक डर फैलाया था.

'' अब तो सिर्फ 20 मिनटही बाकी है ... अबभी उसका फोन कैसे नही आया? '' अंजलीने कहा.

वह भलेही उपरसे नही दिखा पा रही थी, उसे कंपनीके भले बुरेसे विवेककी जादा चिंता थी, और वह लाजमीभी था. इन्स्पेक्टर कंवलजितने अंजलीके कंधेपर अपना धीरजभरा हाथ रखते हूए कहा, '' धीरज रखो ... फोन इतनेमेंही आएगा ''

'' लेकिन अगर उसका फोन नही आया तो हमारे कंपनीका क्या होगा ?'' भाटीयाजीने चिंताभरे स्वरमें कहा. यह उन्होने पुछा हुवा सवाल, सवालसे जादा चिंता दर्शा रहा था, इसलिए इस सवालको जवाब देनेके झमेलेंमे कोई नही पडा. और देंगे तो क्या जवाब देंगे ? तभी कंपनीके चार पाच कर्मचारी वहां जल्दी जल्दी आगए.

'' क्या लिया क्या बॅक अप?'' भाटीयाजींने उन्हे अधीरतासे पुछा.

'' नही सर ... उसने प्रोग्रॅमही इस तरहसे लिखा है की नेटवर्ककी सब आवाजाही बंद करके रखी है '' उनमेंसे एक कर्मचारी बोला.

'' साला यह कॉम्प्यूटर जितना काम आसान बनाता है कभी कभी उतनाही मुश्कील बना देता है '' भाटीयाजी चिढकर बोले.

भाटीयांजी चिढनेकी वजहभी वैसी ही थी. उस नेटवर्कमें सॉफ्टवेअरके रुपमें उस कंपनीके क्लायंट्सके करोडो रुपए फंसे हूए थे. और वह सारा डाटा अगर डीलीट हुवा तो करोडो रुपयोंका नुकसान होना था. वह कंपनी वे सॉफ्टवेअर फिरसे डेव्हलप कर नही सकती थी ऐसी बात नही थी. लेकिन वह सॉफ्टवेअर डेव्हलप करनेके लिए लगनेवाला वक्त और कंपनीने लाखो कर्मचारीयोंकी मेहनतपर पाणी फेरनेवाला था. और डिलेव्हरी वक्तपर ना देनेसे कंपनीका नाम खराब होकर उनके कुछ ऑर्डर्स कॅन्सलभी हो सकते थे, वह अलग. इन्स्पेक्टर कंवलजितकी भाटीयाजींको धीरज बंधानेकी इच्छा हुई लेकिन हिंम्मत नही बनी. क्योंकी अब उन्हे खुदकोभी अतूलका फोन आएगा की नही इस बारेमें आशंका हो रही थी.

'' कॅन समबडी ट्राय ऑन द मोबाईल'' एक कर्मचारीने सुझाया.

'' मै कबसे ट्राय कर रही हूं ... लेकिन 'स्विच्ड ऑफ'काही मेसेज आ रहा है '' अंजलीने कहा.

क्योंकी वह विवेकने हालहीमें खरीदा हुवा मोबाईल था और उसका नंबर अंजलीके पास था.


अतूल गाडी चला रहा था और उसके बगलमेंही विवेक बैठा हुवा था. इतने देरसे दोनोंभी चुपचाप थे. अतूल तेडे मेडे रस्तेपर इधर उधर गाडी मोडते हूए गाडी चला रहा था और विवेक रास्तेपर वह कहां गाडी ले जा रहा है और उसकी कहां भागनेकी मनिषा है यह समझनेकी कोशीश कर रहा था. वैसे बिच बिचमें अतूल विवेकको रास्ता पुछ रहा था, लेकिन जितना अतूल था उतनाही अनभिज्ञ विवेकभी था. और जब उसके यह खयालमें आगया उसके चेहरेपर एक हंसी दिखने लगी थी और उसने उसे रास्ता पुछनाभी बंद किया. विवेकको रास्ता मालूम ना होना यह बात अतूलके लिहाजसे फायदेमंदही थी. तभी अतूलने प्रमुख रास्तेसे अपनी गाडी एक निर्जन प्रदेशके लिए मोड दी.

'' इधर किधर जा रहे है हम ... वहांसे मोबाईलका सिग्नल नही मिलेगा शायद '' विवेकने कहा.

अतूल उसकी तरफ देखकर अजिब तरहसे सिर्फ मुस्कुरा दिया. रास्ते से काफी मोड लेनेके बाद अचानक अतूलने जोरसे ब्रेक दबाते हूए अपनी गाडी रोक दी और वह गाडीसे उतर गया. विवेकभी गाडीसे उतरकर सिधा डीकीकी तरफ चला गया. डीकी खोलकर पहले उसने मोबाईल बाहर निकालकर स्वीच ऑन करके देखा. मोबाईलपर आनेवाले सिग्नल्स देखकर वह राहतकी सांस लेते हूए बोला, '' सिग्नल्स तो आ रहे है ''

अतूल चलते हूए गाडीके दुसरे तरफसे विवेकके पास गया.

'' हं अब उन्हे पासवर्ड बता दे '' विवेक मोबाईल उसके पास देते हूए बोला.

'' अरे बताते है भाई ... इतनी जल्दी किस बातकी '' अतूल कंधे उचकाकर बेपरवाही से बोला.

'' नही ,... अब सिर्फ दस मिनिटही बचे हूए है ''

विवेक अतूलपर बहुत भडक गया था. लेकिन वह अपने आपपर नियंत्रण करते हूए जादासे जादा शांत रहनेकी कोशीश कर रहा था, क्योंकी शांतीसेही काम होने वाला था.

'' दस मिनट ... कॉम्प्यूटरके लिए बहुत है ... तुम्हारे जानकारीके लिए बताता हूं ... कॉम्प्यूटरमें वक्त नॅनोसेकंडमें गिना जाता है '' अतूलने कहा.

विवेकको उससे कॉम्प्यूटरके बारेमें जानकारी सुननेकी बिलकुल इच्छा नही थी. इस वक्त ऐसी बाते सुनकर विवेक अपने गुस्सेको काबू नही रख पा रहा था.

'' कॉम्प्यूटरके लिए दस मिनट बहुत होंगे... मेरे लिए नही '' विवेक चिढकर बोला.

'' हां वह भी सही है '' अतूल उसके पास जाते हूए बोला.

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