सेक्सी स्कूल टीचर
लेख़िका - रीना कँवर (Reena Kanwar)
बहुत ही गहरे विचारों में डूबी, अड़ततस िर्षीया स्कूल-टीचर, क्लास में अपनी अपनी मेज पे चढ़कर क्षात्रों की
तरफ मुँहु करके बठै ी थी। उसने अपनी दाहहनी टाुँग अपनी बाुँयी टाुँग के ऊपर रखी हुई थी और उसका परै
अनजाने में ही झूल रहा था। उसके परैों की अगुँ लुलयों से लटका उसका ऊुँची एंड़ी का सडैंल कभी भी नीचे गगर
सकता था पर नीरा हिल्लो का इस तरफ बबल्कुल भी ध्यान नहीं था। िोह अपने पतत के बारे में सोच रही थी
जजसकी सक्े स में रुगच चालीस की उम्र के बाद काफी कम हो गयी थी। नीरा ने खुद को ठीक ककया - रुगच कम
नहीं बजल्क एकदम खतम हो गयी थी और उसे लसफफ अपने बबज़नेस में ही रुगच थी।
इस बात से नीरा काफी परेशान थी। नीरा जानती थी की िोह खदु काफी खूबसरूत थी। िोह अपनी पाचुँ फुट तीन
इंच ऊुँ चाई और 55 ककलोग्राम िजन में काफी जस्लम लगती थी। उसके काले-भरूे लम्बे बाल, बड़ी-बड़ी आुँखें,
गलु ाबी होंठ उसे बहुत ही आकर्षकफ बनाते थे। नीरा हमेशा सोचती थी कक बढ़ती उम्र के साथ-साथ सेक्स में रुगच
कम हो जाना स्िाभाविक होता हैपर उसके साथ तो उल्टा ही हुआ था। 35 साल की उम्र के बाद तो उसकी खुद
की सेक्स िासना ककसी जगं ल में लगी आग की तरह दहक उठी थी। पर अपने पतत की मरी हुई सक्े स इच्छा के
कारण नीरा की चूत की भड़कती आग बझु ाने िाला कोई नहीं था।
िोह अभी भी जिान, खूबसरूत, सेक्सी और चदुासी थी और अपने पतत को बहलाने-फुसलाने की ककतनी ही
कोलशशें करती थी पर उसपर कुछ असर नहीं होता था। उसकी चुदाई की वपपासा हदन-ब-हदन बढ़ती जा रही थी
पर उसने कभी भी अपने पतत से बे-िफाई नहीं की थी।
नीरा ने यह सब सोचते हुए अचानक अपनी आुँखें उठा के क्लास का तनरीक्षण ककया। उसके सामने बठैे ग्यारहिीं
क्लास के क्षात्र अपना टेस्ट ललख रहे थे और बीच-बीच में उनकी तनगरानी करना उसका काम था। नीरा ने एक
लड़के को अचानक अपनी आुँखें नीचे करके अपनी नज़रें झुकाते हुए देखा। िोह इतनी देर से नीरा को ताक रहा
था। नीरा मन-ही-मन मश्ुकुरा दी क्योंकी ऐसा अक्सर होता था।
उसे यह जानकर बहुत अच्छा लगता था कक लड़के उसके खूबसरूत सक्े सी बदन को ताकते थे। िोह भी उससे
आधी उम्र के लड़के । कभी-कभी अपने पतत के साथ उसे भी अपनी बढ़ती उम्र का एहसास होता था। पर जब िोह
ककसी आदमी या ककशोर उम्र के लड़कों की आखुँ ों में अपने ललए लालसा देखती थी तो उसकी चतू भी गीली हो
जाती थी और उसे लगता था कक उसमें अभी भी बात है। अभी भी उसका यौिन उनके लण्ड खड़े कर सकता है।
िही लड़का जजसे नीरा ने अभी नज़रें झुकाते हुए पकड़ा था, उसने कफर से नीरा की तरफ देखा पर कफर जल्दी से
यह देखकर नज़रें झकु ा लीं कक टीचर उसको ही देख रही थी। नीरा कफर से मश्ुकुराई। उसका शरीर तनजश्चत रूप
से बहुत सेक्सी था जजसे देखकर ककतनों के ही लण्ड सलामी के ललए खड़े हो जाते थेऔर नीरा उसी हहसाब से
कपड़े भी पहनती थी। िोह ज्यादातर टाईट सलिार-कमीज़ या साड़ी पहनती थी। उसके ब्लाउज़ या कमीज़ हमेशा
काफी लो-कट होते थे और उनके नीचे हमेशा डाकफ रंग की ब्रा होती थी।
साथ ही उसे हाई हील के सडैंल पहनने का भी बहुत शौक था और उन्हें पहनकर िोह काफी सक्े सी महससू करती
थी और िोह जानती थी लड़के भी उनकी तरफ आकवर्षफत होते थे क्योंकी उसने कई बार लड़कों को अपने सैंडलों
की तरफ ताकते हुए पकड़ा था। कभी-कभी नीरा स्कटफ-जैकेट सटू भी पहनती थी क्योंकी यह कानिेंट स्कूल था
और टीचसफ को फामलफ स्कटफ या पटैं के साथ जैकेट सटू पहनने की इजाज़त थी। पर स्कूल की पाललसी के
अनसु ार स्कटफ घटुनों से कम से कम दो इन्च नीचे तक होना जरूरी था।
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नीरा अब उत्तेजजत हो गयी थी और उसका पैर और भी जोर से हहलने लगा। इससे उसकी जाुँघें आपस में रगड़
रही थीं और… और उसकी चूत पे दबाि पड़ रहा था। और कफर अचानक परै के इतना हहलने से आखखर में उसका
सडैंल उसके परै से नीचे गगर ही गया। नीरा ने आज ग्रे रंग का फामलफ स्कटफ सटू पहना हुआ था। जब िोह ऊुँची
मेज से नीचे उतरी तो उसने महससू ककया कक उसकी स्कटफ जाुँघों पे थोड़ी ऊपर खखसक गयी थी। नीरा ने देखा
कक कई लड़कों ने उसे मेज से नीचे उतरते देखा था और उसे पता था क्यों? नीरा की गोरी माुँसल सेक्सी टाुँगें
देखने के ललए।
पर नीरा को इसका बरुा नहीं लगा। उसे इन ककशोर लड़कों को अपनी अदाओं से छेड़ना अच्छा लगता था और
अब उसे एक और मौका लमला था। नीरा बेशरम होकर बहुत ही फूहड़ तरीके से घटुने मोड़कर सीधी बठै गयी
जजससे उसकी स्कटफ घटुनों के ऊपर खखसक गयी। जब उसे अपनी जाुँघों पे हल्की सी ठंडी हिा महससू हुई तो
नीरा समझ गयी कक अब उसके स्कटफ के अदं र का सब कुछ उन लड़कों को हदख रहा होगा, जजन्होंने अपनी टेस्ट
की कावपयों से नज़र उठा के उसे देखने का कष्ट ककया होगा। नीरा साधारण पैंहटयां नहीं पहनती थी क्योंकी उसे
उनमें आराम नहीं लगता था।
नीरा को लसफफ र्फ़ैं च-कट या जी-जस्रंग पैंहटयां ही पसंद थीं। िैसे बैठे-बैठे ही नीरा सोचने लगी कक आज उसने कौन
से रंग की पटैंी पहनी थी और कफर उसे याद आया कक उसने हल्के हरे रंग की बहुत ही छोटी सी पटैंी पहनी हुई
थी। अपनी इस शरारत पे उसकी हुँसी छूटने िाली थी जजसे उसने दबा ललया और कफर िोह यह सोचकर खड़ी हो
गयी कक लड़कों को िोह जरूरत से ज्यादा ही अपनी नग्नता प्रदलशफत कर रही थी। कफर मेज के सहारे खड़ी होकर
उसने अपना एक पैर उठा के अपना सैंडल पहन ललया। जब उसने कफर से क्लास की तरफ देख तो एक साथ
कई आखुँ ें नीचे झुक गयीं।
नीरा अब क्लास में घमू ते हुए क्षात्रों पे नज़र रखने लगी। नीरा को घमू ते देखकर कई लड़के बेचैन होकर अपने-
अपने खड़े लण्ड तछपाने के ललए अपनी टाुँगें डेस्क के नीचे और ज्यादा खखसकाने लगे। लड़कों की इस हरकत पे
नीरा मश्ुकुराए बबना नहीं रह सकी। उनमें से एक लड़का कुछ ज्यादा ही बौखलाया हुआ था और नीरा ने उसे
थोड़ा और तंग करने का सोचा। नीरा अपनी चूगचयां उस लड़के के कंधे पे दबाते हुए पीछे से उसके डस्े क पर
झुकी।
“अतनल… कुछ हदक्कत हो रही हैतम्ुहें? नीरा अपनी गरम साुँसें उसके कान पे छोड़ती हुई फुसफुसाई…”
“न…नहीं, मैडम… मैं… उह… कोई हदक्कत नहीं…” िोह लड़का बौखलाते हुए हकलाने लगा।
नीरा मश्ुकुरा के आगे बढ़ गयी। उसने अपना घमू ना ज़ारी रखा और इसी तरह बीच-बीच में ककसी भी लड़के को
अपनी हरकतों से बेकरार कर देती थी। घमू ती हुई नीरा जानबझू कर लड़ककयों की तरफ भी गयी ताकक ऐसा ना
लगे कक िोह लड़कों पे ही ध्यान दे रही है। नीरा को कई लड़कों की पैंटों में उनके खड़े लण्ड हदखे और उसकी
खुद की चूत में चींहटयां रेंगने लगीं। नीरा को एहसास था कक उसकी पटैंी बबल्कुल भीग चुकी थी और उसने मन
में सोचा कक क्या इन लड़कों को उसकी ररसती चूत की महक आ रही होगी।
उस हदन जब नीरा घर पहुुँची, तो िोह बहुत चदुासी थी। रात को नीरा ने अपने पतत को चुदाई के ललए ररझाने
की कोलशश की पर उसपे कुछ असर नहीं हुआ।
नीरा ने बाथरूम में नहाते हुए एक मोटे से बगैंन से अपनी चूत की गरमी शाुँत करने की कोलशश की। बाथटब में
अपनी एक टाुँग टब के साईड से बाहर लटका के िोह अपनी चूत में बगैंन अदं र-बाहर करती हुई चोद रही थी
और साथ में क्लास के तरुण लड़कों की कल्पना कर रही थी। उनके चेहरों की तरुणाई, उनकी ताकती आुँखें,
उनके खड़े हुए जिान लण्ड जो हमेशा उसके ललए तयै ार रहते थे।
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“नीरा हिल्लो… साली राुँड…” नीरा खुद को डाुँटते हुए हुई बोली- “अगर तनू े अपने मन को िश में नहीं रखा तो
बदनामी के साथ-साथ जेल की हिा खानी पड़गे ी। तूआग से खेल रही है तछनाल… यह लड़के बहुत छोटे ह…” ैं
लेककन कफर उसके हदल से आिाज आयी कक आखखर िोह इन लड़कों के साथ लसर्फ़फ शरारत ही तो करती है।
उनसे सचमचु चुदिा तो नहीं रही। क्या मझु जैसी चुदाई की भखू ी को थोड़ी सी शरारत से खुद को खुश करने का
भी हक नहीं? यह सब सोचते हुए उसे जैसे उसके हदमाग में आकाशिाणी गुँजू ी और िोह लगभग उछलती हुई
बोली- “मैंस्कूल छोड़ के कालेज में पढ़ाऊुँगी…”
अगले हदन सबुह, नीरा काफी रोमाुँगचत महससू कर रही थी। िोह शाम को स्कूल के बाद पास के एक डडप्लोमा
कालेज में लेक्चरर के ललए आिेदन करने िाली थी। ककसी ना-बाललग लड़के के साथ कोई अनहोनी होने से रोकने
के ललए उसे कुछ तो करना ही था। ऐसा नहीं था कक उसका सचमचु ककसी नाबललग लड़के के साथ चदुिाने का
इरादा था। पर उसे डर था कक कहीं खेल-खेल में कोई दघु टफना ना हो जाये। कुछ भी चुदाई से सम्बंगधत जो उसे
ककसी बड़ी मसु ीबत में डाल दे। िसै े भी स्कूल का यह साल खतम होने िाला था और डडप्लोमा कालेज में पढ़ाना
शरूु करने के ललए अच्छा समय था। उस हदन अपने कपड़े चुनते हुए नीरा ने सफेद रंग का चूड़ीदार सलिार
कमीज़ पहनने का तनश्चय ककया।
उसने अपनी अगुँ लुलयां अपनी सलिार पे कफराईं। उसकी सलिार बहुत ही पतली काटन की बनी थी और काफी
पारदशी और टाईट थी। उसकी स्लीिलेस कमीज़ भी टाप-नमू ा थी और और उसके घटुनों से बहुत ऊुँची थी और
लसर्फ़फ उसके चूतड़ों तक ही पहुुँचती थी लकेकन कमीज़ उसकी सलिार की तरह पारदशी नहीं थी क्योंकी उसमें
नीचे लाइतनगं (अस्तर) लगी थी। जब नीरा क्लास में जाकर खड़ी हुई तो उसे एहसास हुआ कक उसने यह कपड़े
पहनने का सही तनणफय ललया था, क्योंकी सब लड़कों की आुँखें नीरा पे ही हटकी थीं और िोह भी उसकी कमर के
नीचे। नीरा जानती थी कक उसके चार इंच ऊुँ ची पेंलसल हील के सैंडल उसकी सल्िार को और भी ज्यादा भड़कीला
बना रहे थे।
पढ़ाते हुए नीरा को जब भी मौका लमलता िोह ककसी भी बहाने से झुक के अपने भारी चूतड़ लड़कों की तरफ
उघाड़ रही थी। कमीज़ ऊुँ ची होने की िजह से पास से देखने पर नीरा की पारदशी टाईट सलिार में से उसकी
वप ंक पैंटी का अभास हदखता था। कई बार नीरा ने बहाने से ककसी लड़के के डस्े क पे झुक के अपनी गाण्ड साथ
िाले लड़के के चेहरे के बबल्कुल सामने ठेल दी। एक बार तो उसने अनजान बनते हुए अपनी सल्िार कमर से
पकड़कर ऊपर खीचं ी जजससे उसकी टाईट सलिार उसकी चूत पे कसकर जसै े गचपक-सी गयी। कफर नीरा हमेशा
की तरह कुसी की बजाय मजे पे आगे बठै कर पढ़ाने लगी। उसने आज स्कटफ नहीं पहनी थी इसललए नीरा अपनी
टाुँगें कुछ ज्यादा ही चौड़ी करके बठै ी थी।
नीरा जानती थी कक उसकी चूत पे कसी हुई पतली टाईट सलिार में से उसकी पटैंी और चूत का उभार उसके
बबल्कुल सामने बठैे लड़कों को साफ हदख रहा होगा। नीरा बबल्कुल अनजान बनी हुई पढ़ा रही थी। जब उसने
अपने सामने बठैे लड़कों की तरफ देखा तो उन में से कुछ ने तो उसकी टाुँगों के बीच में गड़ी अपनी नज़रें भी
नहीं हटायीं।
जब नीरा ने एक जोर की लससकारी सनु ी तो अपना लक्े चर रोक कर उसने गचतं ा से उस ओर देखा। एक लड़का
अपने डस्े क पे झुक कर अपनी बाहों में मुँहु दबाये हुए था और उसे हल्के से झटके लगते हुए प्रतीत हो रहे थे।
जब उस लड़के ने ऊपर देखा तो उसके चेहरे पे लाली और पसीना था। नीरा को लगा कक शायद िोह बीमार है
पर जब उस लड़के ने नीरा को अपनी तरफ देखते हुए देखा तो उसका चेहरा और भी चुकुँदर की तरह लाल हो
गया। िोह लड़का लपक के उठा और सारी बोल के क्लास से बाहर चला गया। पर नीरा को उसकी ग्रे रंग की
पैंट के आगे एक काला धब्बा हदख गया।
बेचारा लड़का नीरा की हरकतों से उत्तेजजत होकर अपनी पैंट में ही झड़ गया था।
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जब क्लास खतम हुई तो नीरा से भी रहा नहीं गया और िोह भी लगभग भागती हुई स्टाफ-टायलेट में घसु ी और
दरिाजा लाक करके फटाफट अपनी सलिार और पैंटी नीचे खींच डाली। बैठने का कष्ट ककए बगैर नीरा के हाथ
उसकी टागुँ ों के बीच में पहुुँच गए और नीरा जोर-जोर से अपनी चूत और चूत का दाना रगड़ने लगी। कुछ ही
क्षणों में जैसे ही नीरा झड़ने को हुई तो उसे अपना तनचला होंठ दाुँतों से काटकर खुद को चीखने से रोकना पड़ा।
कफर नीरा मुँहु हाथ धोकर िावपस अपनी अगली क्लास के चली गयी। अभी जो कुछ भी हुआ उसके पश्चात नीरा
ने उस हदन ककसी भी क्लास में लड़कों से शरारत नहीं की।
िोह सोच रही थी कक िोह उस क्लास में कुछ ज्यादा ही उत्साही हो गयी थी और अपनी उत्तेजना में उसने काफी
बड़ा खतरा उठा ललया था और उसे अब कुछ ना कुछ कदम उठाना ही पड़गे ा। उस हदन जब स्कूल खतम हुआ
तो िोह सीधी डडप्लोमा कालेज गयी और लेक्चरर के पद के ललए आिेदन ककया। स्कूल के आखखर के हदन बबना
ककसी मसु ीबत में पड़ेतनकल गये। उसने अपनी हरकतें ज़ारी रखी थीं पर िोह कभी अपनी हद के बाहर नहीं
गयी। जब उसे डडप्लोमा कालेज सेआफर आया तो उसे राहत लमली कक अब उसे अपनी सलु गती चूत के साथ
छोटे ना-बाललग लड़कों के आस-पास नहीं रहना पड़गे ा। गरलमयों की छुट्हटयों के बाद उसे कालेज में पढ़ाना शरूु
करना था।
गरलमयों की छुट्हटयों के दौरान ऐसी कई जस्थततयां आयीं जब नीरा को अपने सब्र की परीक्षा देनी पड़ी। क्योंकी
उसके पतत का बहुत फै ला हुआ कारोबार था, इसललए नीरा को अपने पतत के साथ कई बार पाहटयों में जाना
पड़ता था और जैसे िोह स्कूल में क्षात्रों के साथ खखलिाड़ करती थी िैसे ही इन पाहटयों में भी दसू रे मदों के
साथ फ्लटफ करती थी। ऐसी ही एक पाटी में, नीरा को एक आदमी बहुत ही सक्े सी लगा। नीरा ने पाटी में थोड़ी
ज्यादा ही पी ली थी और िोह हल्के से नशे की मस्ती में थी। नीरा ने अपना काफी समय उस आदमी के
आसपास ही फ्लटफ करते हुए बबताया।
ग्रपु में उससे बात करते हुए नीरा उसके पास ही खड़ी थी और कई बार बात करते हुए िोह अपनी बगैर ब्रा की
चूगचयां उस आदमी से सटाते हुए उसपर झुकी। िोह लोगों की बातों पे अपने सक्े सी अदं ाज़ में खखलखखलाती और
अपना हाथ बीच-बीच में उस आदामी की कमर पे रख देती। िोह आदमी, जजसका नाम, विक्रम था, नीरा पे नज़र
रख रहा था। िोह भी नीरा की तनयत को भाुँप गया था। बाद में जब उसने नीरा को हाल से बाहर बगीचे में
खुली हिा में जाते देखा तो िोह भी उसके पीछे हो ललया। जब नीरा ने उसका हाथ अपने चूतड़ों से ज़रा सा ऊपर
अपनी कमर पे महससू ककया तो चौंक के उछल गयी।
“ओह… आप हैं…” नीरा उसकी तरफ घमू ते हुए बोली।
“हाुँ… अंदर काफी भीड़ है। नहीं?” िोह लसगरेट का कश लेते हुए बोला।
“काफी बड़ी पाटी है। थोड़ी ठंडी हिा के ललए मैं बाहर आ गयी…” नीरा अपने पगै का घटूुँ लेते हुए बोली।
“जरूर… यहाुँ बाहर काफी अच्छा है…” विक्रम ने बोल के नीरा की कमर में हाथ डाल हदया।
जब नीरा ने कुछ आपवत्त नहीं की तो िोह नीरा की कमर के साइड पे हाथ कफराने लगा और धीरे-धीरे उसके हाथ
कफराने का दायरा तब तक बढ़ाता गया जब तक उसका अगुँ ठु ा नीरा की चूगचयों के साइड पे टकराने लगा। नीरा
उसका हाथ दरू हटाने ही िाली थी कक विक्रम ने अपनी लसगरेट फेंकते हुए झुक कर अपने हाथ से नीरा की ठोड़ी
पकड़कर उसका चेहरा ऊपर उठा हदया। कफर जब विक्रम ने अपने होंठ नीरा के होंठों पे रखे तो नीरा के मुँहु से
लससकारी तनकल गयी और उसके होंठ विक्रम की जीभ अदं र लेने के ललए खुल गये।
नीरा ने अपना ग्लास िहीं घास पे गगरा हदया। जब िोह दोनों ककस कर रहे थे तो विक्रम का एक हाथ अभी भी
नीरा की कमीज़ के ऊपर से उसकी साईड ऊपर-नीचे सहला रहा था और दसू रे हाथ से विक्रम ने उसकी कमर पे
रखकर नीरा को अपने से सटाया हुआ था। कफर जब उसके हाथ ने कमर से नीचे कफसल कर नीरा के चूतड़ों को
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पकड़ा तो नीरा ने विक्रम के मुँहु में ही लससकारी भरी और उसे अपनी टाुँगें कमजोर होती मालमू पड़ीं। ककतने
लम्बे समय के बाद ककसी आदमी ने उसके साथ ऐसा ककया था।
विक्रम ने अपनी एक टाुँग नीरा की टाुँगों के बीच में घसु ा दी और अपनी जाुँघ उसकी चूत पे रगड़ने लगा। नीरा
को भी अपनी टाुँग पे उसके खड़े होते लण्ड का कड़ापन महससू हुआ और बबना जाने ही नीरा अपना बदन
विक्रम से रगड़ने लगी। विक्रम का एक हाथ अब नीरा की चगूचयों पे था और उसकी चूची को बड़े प्यार से मसल
रहा था। नीरा की जीभ भी अब और जोश से विक्रम की जीभ से रगड़ने लगी। उसके चूतड़ों पे रखे विक्रम के
हाथ ने कब उसकी कमीज़ को ऊपर उठा हदया, नीरा को इस बात का तब एहसास हुआ जब उसे िोह हाथ अपनी
सलिार और कफर पटैंी के अदं र सरकते हुए अपनी गाण्ड पे महससू हुआ। इस अजनबी आदमी का हाथ अपने
नगं े चूतड़ों पे नीरा को बहुत अच्छा लग रहा था।
नीरा रोमाुँगचत होकर एक सखु द एहसास में खोयी हुई थी लेककन जब उसे विक्रम का हाथ और नीचे सरकता
हुआ महससू हुआ और उसकी अगुँ लुलयां नीरा की चूत में तघसने की कोलशश करने लगीं तो नीरा उछलकर विक्रम
से अलग हो गयी। नीरा की साुँसें बहुत तजे चल रही थीं और िोह मश्ुकुराते हुए विक्रम को ताकने लगी। नीरा
को एहसास हुआ कक िोह क्या कर रही थी और उसका चुदाई की ज्िाला में सलु गता बदन ककस हद तक िशीभतू
हो गया था और कफर िोह अंदर भाग गयी।
पाटी में बाकी समय िोह अपने पतत के साथ ही गचपकी रही क्योंकी िोह जानती थी कक विक्रम के साथ कफर से
अकेली हुई तो खदु को रोक पाने के ललए इच्छा शजक्त उसमें नहीं थी। बाद में रात को जब अपने पतत से चदुाई
की सब कोलशशें बेकार हो गयीं तो नीरा का मन कफर से विचललत हो गया और िोह पाटी में लमले अजनबी
विक्रम के बारे में सोचने लगी। िोह कल्पना करने लगी कक पाटी में विक्रम के साथ िोह ककस सीमा तक जा
सकती थी और क्या िोह चोदने में एक्सपटफ था। आखखर िोह भी तो विक्रम के सहलाने और उसके लण्ड के स्पशफ
से चुदास हो गयी थी।
एक अजनबी पराए मदफ ने उसकी पटैंी में हाथ डालकर उसकी नगं ी गाण्ड सहलायी थी और खुद उसने भी तो
अपनी टाुँगों के बीच में उस आदमी के लण्ड का स्पशफ पाकर अपनी चूत उसकी टागुँ पर रगड़ी थी। नीरा जानती
थी कक िोह एक शादी-शदुा औरत होते हुए भी अपनी चूत की तड़प से मजबरू होके कुछ देर के ललए बहक गयी
थी और इस बात से नीरा बहुत गचतंतत थी। पर कफर नीरा के हदल के ककसी कोने में उस अजनबी को छोड़ के
भाग जाने का पछतािा भी था क्योंकी अगर िोह िहाुँसे नहीं भागती तो इस समय उसकी चूत चदुाई की
वपपासा की अजग्न में ना जल रही होती।
नीरा का हाथ उसकी चूगचयां मसलने लगा। नीरा ने बाथरूम में जाने का भी कष्ट नहीं ककया। नीरा कल्पना कर
रही थी कक उसकी चूगचयों पे उसका खुद का नहीं बजल्क विक्रम का हाथ था। साथ-साथ उसका दसू रा हाथ उसकी
टाुँगों के बीच में पहुुँच गया। नीरा का पतत उसकी बगल में ही गहरी नींद में सोया हुआ था और एक अजनबी
आदमी के साथ चदुाई की कलपना करती हुई िोह अपनी चूत को अपनी अगुँ लुलयों से चोद रही थी। जब
अगुँ लुलयों से उसकी चूत को तसल्ली नहीं लमली तो िोह हाथ फैला के साईड टबेल पे कुछ ऐसा िूुँढ़ने लगी जो
कक िोह अपनी चूत में डाल सके पर कुछ भी उपयक्ुत उसके हाथ में नहीं आया। जब उसका हाथ ज़मीन पर
पड़ा तो उसका एक सैंडल उसके हाथ में आ गया।
और उस सडैंल की लम्बी हील िोह अपनी चूत में घसु ड़े कर अदं र-बाहर करके चोदने लगी। थोड़ी देर में जब नीरा
झड़ी तो उसने इतनी जोर से लससकारी मारी कक उसका पतत नींद से जाग गया। नीरा ने जब उसे हदलासा हदया
कक शायद िोह कोई बरुा सपना देख रही थी तो उसका पतत कफर से भनु भनु ाता हुआ पलटकर सो गया।
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विक्रम के साथ हुई घटना उन गगलमफ की छुट्हटयों के दौरान नीरा की िैसी इकलौती िारदात नहीं थी पर िही
एक घटना ऐसी थी जो इतनी आगे तक बढ़ गयी थी। नीरा जानती थी कक िोह अपने पतत से दगा करके ककसी
दसू रे मदफ से चुदिाने के ककतनी करीब आ गयी थी। िोह ऐसी जस्थतत में पड़ना नहीं चाहती थी इसललए विक्रम
की लसफफ कल्पना करके मठु मारती थी। नीरा हदन भर इंटरनेट पे चदुाई की कहातनयां पड़ती या नंगी कफल्में
देखती और शराब पीकर खबू मठु मारती थी।
इस सबके बािजूद पाहटयों में नीरा की शोखखयां और दसू रे मदों पे डोरे डालना कम नहीं हुआ था। उसे इसकी
आदत सी पड़ गयी थी। उसके स्कूल के कच्ची उम्र के लड़कों की तरह जब दसू रे आदमी भी उसको देखकर लार
टपकाते थे तो नीरा को बहुत अच्छा लगता था और एक सम्पणू फ औरत होने का एहसास होता था। मठु मार के
नीरा अपनी चूत की आग जजतनी शाुँत करने की कोलशश करती थी, उसकी चूत की आग उतनी ही और दहकती
थी।
आखखरकार छुट्हटयां खतम हो गयीं। नयी नौकरी के पहले हदन की घबड़ाहट जो कक अक्सर लोगों को होती है
िसै ी ही नीरा को भी थी क्योंकी कालेज का माहौल स्कूल के माहौल से काफी अलग होता है। स्कूल में ज्यादा
अनशु ासन होता हैजबकक कालेज में क्षात्रों ज्यादा ब-ेकफक्र और फसादी होते हैं। नीरा ने बहुत सोच-विचार के
पहले हदन के ललए कपड़े पसदं ककये थे जो बहुत ज्यादा टाईट ना हों। उसने पीले रंग की सलिार कमीज़ और
साथ में हमेशा की तरह काफी हाई हील के सैंडल पहने थे।
नीरा ने शीशे के सामने खुद को तनहारा। उसकी कमीज़ का गला काफी गहरा था पर उसने अपने दपुट्टे से
अपनी चूगचयों को िक रखा था। हालाुँकक उसकी कमीज़ घटुनों के ऊपर ही थी और उसकी पीली काटन की
सलिार पारदशी थी पर टाईट नहीं थी और सब लमलाकर नीरा साधारण और उपयक्ुत पर साथ ही काफी
खूबसरूत भी लग रही थी।
लेककन जब उसने अपनी कमीज़ को थोड़ी सी ऊपर उठाया तो मश्ुकुराए बबना नहीं रह सकी क्योंकी उसकी
पारदशी पीली सलिार के नीचे से उसकी काली फें च-कट पटैंी साफ हदख रही थी। शायद ककसी खुश-ककश्मत लड़के
को मेरी पैंटी की झलक हदख जाये, नीरा ने मन में सोचा पर कफर अपनी बेशमी और नमु ाईश की आदत पे खुद
को झाड़ा और कफर अपनी कमीज़ ठीक करके कालेज के ललए तनकल गयी।
कालेज में जब उसने लड़कों को अपनी तरफ घरूते देखा तो नीरा ने सोचा कक लड़के तो लड़के ही रहेंगे। कालजे
के कै म्पस में नीरा को पीछे से एक-दो सीहटयां भी सनु ायी पड़ीं। ऊपर से तो नीरा थोड़ा गस्ुसा हदखा रही थी पर
अंदर ही अंदर रोमाुँगचत हो रही थी कक इस उम्र में भी उसके ललए लड़कों की सीहटयां तनकल रही थीं। अगर मेरा
बदन इतना आकर्षकफ और सेक्सी हैतो उसकी नमु ाईश करने में क्या बरुाई है। नीरा सोचने लगी। नीरा ने कालेज
के आकफस में जाकर सब औपचाररकतायें परूी की और कफर स्टाफ-रूम में साथी लेक्चररों से पररचय करके अपनी
क्लास लेने गयी।
जब उसने क्लास में प्रिेश ककया तो िहाुँएकदम चप्ुपी छा गयी। नीरा ने देखा कक सब स्टुडट्ें स की नज़रें उसपर
ही थीं। जहाुँ लड़ककयों कक आुँखों में नयी लेक्चरर को देखकर जजज्ञासा थी िहीं लड़कों की नज़रों में सरहाना और
कामकु ता झलक रही थी। क्लास-रूम में आगे चबतू रे पर एक डस्े क और बठने के ललए कुसी की जगह एक ऊुँचा
स्टूल था जजसकी टाुँगों पेआधी ऊुँचाई पर एक स्टील का ररगं लगा हुआ था परै रखने के ललए। नीरा ने िोह
स्टूल डस्े क के पीछे से खीचं कर सामने रखा और अपना एक परै उस ररगं पे रखकर स्टूल पे चढ़ के बठै गयी।
नीरा की दसू री टाुँग नीचे ही लटक रही थी और उसके सडैंल का आगे का हहस्सा ज़मीन को महज़ छू भर रहा
था।
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नीरा ने देखा कक उसके बबल्कुल सामने बठै ा लड़का उसे मुँहु खोले ताक रहा था। नीरा उसी क्षण समझ गयी की
बैठते िक्त उसकी ऊुँ ची कमीज़ में से उस लड़के को उसकी जाुँघों के बीच का हहस्सा हदख गया होगा पर इस
बात का यकीन नहीं था कक उसकी काली पैंटी की झलक उस लड़के को हदखी कक नहीं। जो भी हो, नीरा को उस
लड़के की प्रततकक्रया बहुत हदलकश लगी थी।
नीरा ने उस लड़के पर नज़र रखते हुए लक्ै चर ज़ारी रखा। जब नीरा को यकीन था कक िोह लड़का उसी की तरफ
देख रहा हैतो नीरा ने उसकी तरफ घमू ते हुए अपनी दसू री टाुँग भी उठाकर अपने सडैंल की हील स्टील के ररगं
में फुँसा दी। ऐसा करते हुए जानबझू कर नीरा ने इस तरह से अपने घटुने फैला हदये कक यह सब एक इत्तेफाक
लगे। लेक्चर देते िक्त हर समय नीरा की तनगाहें चोरी-चोरी उस लड़के पे ही थीं। िोह लड़का जब आुँखें फाड़े
नीरा को की टाुँगों के बीच में ताकने लगा तो उसकी बाहर को तनकली आुँखों से साफ ज़हीर हो गया कक उसे अब
नीरा की सलिार में से काली पैंटी साफ-साफ हदख रही थी।
नीरा ने अपनी अपनी कमीज़ को ठीक करते हुए घटुनेआपस में लमला ललए लेककन उसे उस लड़के की ब-ेकरारी
से बड़ा रस लमल रहा था। ऐसे ही हदन तनकलने लगे और और नीरा भी कालेज के िातािरण की आदी हो गयी।
कई तरह से नीरा को स्कूल में पढ़ाने के मकु ाबले कालजे ज्यादा आसान लगा क्योंकी कालेज में ज्यादा आज़ादी
और फुसतफ थी और साथ दसू रे टीचरों और कालेग मनैंजे मेट की कोई दखल-अुँदाज़ी नहीं थी। जल्दी ही नीरा के
कपड़ेऔर ज्यादा तुँग, चुस्त और पारदशी हो गये। उसकी सलिार-कमीज़ों के गलों का कटाि काफी गहरा हो
गया जजससे कक उसकी गोरी बड़ी-बड़ी चूगचयां दपुट्टे से िकी ना होने पर साफ हदखती थीं और सलिारें इतनी
पारदशी थीं कक अगर भीग जायें तो नीरा बबल्कुल नंगी हदखे।
जब िोह साड़ी पहनती तो उसके ब्लाऊज़ इतने छोटे होते कक उनके नीचे ब्रा पहनना ही बेकार था और िोह
पारदशी साडड़यां भी बहुत कसकर पहनती थी। नीरा अपने अगुँ ों की नमु ाईश के नये-नये तरीके ईजाद करने लगी
और लड़के-लड़ककयां ही नहीं बजल्क स्टाफ के कई लोगों में उसकी चचाफ होने लगी। एक तरफ लड़के नीरा की
कामकु अदाओं और बदन की नमु ाईश पे मरते थे तो दसू री तरफ ककतनी ही लड़ककयां उसे अपना आदशफ
समझकर उसकी तरह ही फै शन और मेक-अप िगैरह करने लगीं। नीरा ने भी देखा कक उसकी क्लास में क्षात्रों
की अनवुपस्थतत, खास करके लड़कों की अनवुपस्थतत ना के बराबर थी और इसका श्रेय नीरा की समझ में उसके
बदन की नमु ाईश और क्लास में उसकी लड़कों के साथ हदल्लगी को जाता था।
एक हदन नीरा दोपहर में अपनी आखखरी क्लास खतम होने पर अपने डेस्क के पास एक लड़के से लेक्चर के बारे
में बात कर रही थी और बाकी के लोग झुँुड में एक दसू रे को लगभग धकेलते हुए जल्दी-जल्दी क्लास के बाहर
तनकल रहे थे। अचानक नीरा ने महससू ककया कक ककसी ने उसके चूतड़ों को हाथ से पकड़कर मसल हदया और
िोह चौंक कर तजे ी से पीछे घमू गयी पर उसे क्षात्रों के झुँुड के अलािा कुछ नहीं हदखा। ककसने उसकी गाण्ड को
दबाया था यह जानने का नीरा के पास कोई तरीका नहीं था।
नीरा इस घटना से बेचैन हो गयी। जब िो स्कूल में पढ़ाती थी तो नीरा के इतनी छेड़खानी और हदल्लगी करने
के बािजूद कभी ककसी लड़के ने उसे छूने या बदतमीज़ी की हहम्मत नहीं की थी पर आज कालेज के एक लड़के
ने उसे लसफफ छुआ ही नहीं बजल्क खुल्लम खुल्ला उसके चूतड़ों को मसला था। इससे भी ज्यादा बेचैनी नीरा को
इस बात कक थी कक उसे इस हरकत पे गस्ुसा नहीं आया था बजल्क उसे मज़ा आया था और उसकी चूत में
हलचल सी हुई थी। नीरा ने उस हदन घर जा के अपनी बेचैनी और सलु गती चूत शाुँत करने के ललए जहहस्की
पीकर नशे में मदहोश होकर एक मोटे से खीरे से खूब मठ मारी। ु
जजस क्लास में उसकी गाण्ड मसली गयी थी, अगले हदन नीरा उस क्लास में बड़े ध्यान से लड़कों के चेहरों को
पढ़ रही थी। पर ककसी के भी चेहरे से नीरा को कोई सरुाग नहीं लमला। नीरा को पता था कक इनमें से ही कोई
एक है। पर िोह है कौन? यह जानने के ललए नीरा बेताबी से पागल सी हुई जा रही थी। नीरा ने दोर्षी लड़के को
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पहचानने के ललए उन लड़कों को अपनी अदाओं से और भी ज्यादा उत्तेजजत करने का फै सला ककया। नीरा ने उस
हदन उस क्लास में अपनी जिानी के जलिों की इतनी बेहयाई से नमु ाईश की जजतनी उसनेआज तक नहीं की
थी। उसने अपने दपुट्टे को चूगचयों से हटाकर अपनी गले पे खखसका हदया और झुक-झुक कर अपनी गोरी-गोरी
चूगचयां की नमु ाईश की। अपनी टाुँगें खोलकर अपनी पैंटी की झलक देते हुए िोह कई बार अपने डेस्क और ऊुँ चे
स्टूल पे चढ़कर बैठी और एक बार तो बबल्कुल आराम से अपनी कमीज़ थोड़ी सी ऊपर खखसका के सलिार के
ऊपर से अपनी चूत भी खजु लायी।
पर जब उसने देखा तो सभी लड़के अपनी सीटों पे अपने खड़े हुए लण्ड ललए बके रारी से नीरा को ताकते हुए
कसमसा रहे थे। दोर्षी लड़के को पहचानने में नीरा की सब कोलशशें बके ार हो गयीं। जब िोह क्लास खतम हुई तो
नीरा अपने डस्े क के पास क्लास के बाहर तनकलते हुए स्टुडेंट्स की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी। िोह तयै ार
थी कक जैसे ही िोह लड़का उसे छूने लगेगा तो िोह घमू के उसे पकड़ लेगी पर ककसी ने ऐसा नहीं ककया और
नीरा क्लास में अकेली रह गयी। कफर नीरा अपने डस्े क पे कुहतनयां रखकर स्टूल पे बैठ गयी और अपना चेहरा
अपनी हथेललयों से िक ललया।
“हिल्लो मैडम, आप ठीक तो हैं न?”
नीरा ने चौंक कर लसर उठा के देखा तो उसका एक स्टूडेंट, रोहहत सेठी, उसके पास खड़ा था।
“मैंठीक हूुँ…” नीरा थोड़ी हड़बड़ाती हुई बोली- “बबल्कुल ठीक…”
“पर आप कुछ परेशान लग रही हैं…” िोह बोला।
“नहीं, लसफफ थोड़ी थक गयी हूुँ…”
“असल में आप अच्छी ही हदख रही हैं…”
“रोहहत… क्या चाहहए तम्ुहें। क्या बात है?” नीरा ने परेशान होते हुए पछू ा।
“हिल्लो मैडम, तमु बहुत ही सेक्सी और हदल्लगी-बाज़ औरत हो…”
“क्या? तम्ुहारी इतनी हहम्मत…” नीरा गस्ुसे से गचल्लाई।
“तमु जब से इस कालेज में आयी हो। तब से हमें अपनी चूगचयां गाण्ड और यहाुँतक की चतू की झलककयां
हदखा-हदखाकर हमें तड़पा रही हो। पर आज तो आपने अपने बदन की जैसे नमु ाईश की और लड़कों को लभु ाया,
उसके ललए तमु को आस्कर लमलना चाहहए…” रोहहत बे-बाक होके बोला।
“सनु ो, रोहहत अब बहुत हो गया। अगर तमु इसी समय चले जाओ तो मैंतम्ुहारे ये बदतलमज़ी को भलू ने को
तयै ार हूं। समझ?” े
नीरा ने राहत महससू की जब रोहहत घमू कर दरिाजे की तरफ जाने लगा। लेककन रोहहत िहाुँसे गया नहीं।
कालेज उस हदन खतम हो चुका था। रोहहत ने जाकर क्लास का दरिाजा बुँद ककया तो नीरा को गचटकनी लगाने
की आिाज़ आयी। नीरा ने रोहहत को अपनी तरफ आते देखा तो लपक कर झट से अपने स्टूल से खड़ी होकर
पीछे हट गयी। अब उसके पीछे दीिार थी और उसका परूा शरीर काुँप रहा था।
“तो तमु जानबझू कर अपनी सेक्सी हरकतों से लड़कों को नहीं तड़पाती हो। क्यों?”
रोहहत नीरा के बबल्कुल सामने खड़ा होते हुए बोला- “तो कफर मझु े कैसे पता है कक तम्ुहारी छोटी सी काली ब्रा के
कप्स के बीच में एक छोटा सा लाल फूल बना है। आज तमु ने जो पटैंी पहनी हैिोह भी काले रंग की जी-जस्रंग
पैंटी है…”
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नीरा एकदम बे-ज़ुबान हो गयी थी। उसका स्टूडटें उसी पर इल्ज़ाम लगा रहा था और हाई स्कूल के जजन अनाड़ी
लड़कों को िोह पहले अपनी कामोत्तेजक शोखखयों से तड़पाती और लभु ाती थी, उनसे ये लड़का कहीं ज्यादा हदलेर
था।
“और तो और… हिल्लो मैडम, तमु हम लड़कों के लौड़ों का ज़ायज़ा कर रही थीं। मनैं े खुद देखा। तम्ुहें क्या लगा
कक मैं क्यों अपने डेस्क से पीछे खखसका था? क्या तमु ने मेरी पटैं में मेरे खड़े लण्ड के उभार पे हसरत से नहीं
देखा था? यही अच्छा लगता हैना तम्ुहें? लड़कों को अपनी सेक्सी अदाओं और बदन की नमु ाईश कर तड़पाकर
उनके लौड़ों को सख्त बनाना ताकक िोह तम्ुहारे बारे में सोचते हुए अपने लण्ड हहलाकर मठु मारें?”
“देखो रोहहत… आय-एम-सारी… पर मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था…” नीरा विनती करते हुए बोली- “िोह तो बस
ऐसा…”
इससे पहले कक नीरा आगे बोल पाती, रोहहत ने उसकी बाुँहें पकड़कर खीचं ते हुए अपने से सटा ललया। नीरा की
साढ़े चार इंच ऊुँ ची हील की सडैंल के बािजूद रोहहत उससे छः-सात इंच ऊुँ चा ही था। अपनी एक बाुँह नीरा की
कमर में डालकर और दसू रे हाथ से उसका लसर पीछे से पकड़कर रोहहत ने नीरा के होंठों पे अपने होंठ रख हदए।
नीरा उसकी पकड़ से छूटने के ललए थोड़ा फड़फड़ाई पर लड़का काफी मज़बतू था। नीरा उसे पीछे िके लने की
कोलशश में अपना हाथ उन दोनों के शरीरों के बीच में लायी पर जब उसे रोहहत का हाथ अपनी सलिार के अंदर
पटैंी के ऊपर से अपनी चूत पे महससू हुआ तो नीरा का हाथ उसे पीछे िकेलने कक बजाय रोहहत की बाुँह पर
पहुुँच गया। नीरा रोहहत की बाुँह खींचकर अपनी चूत से हटाने की कोलशश करने लगी पर िोह उतनी मज़बतू
नहीं थी। कम से कम, जब रोहहत ने पीछे से उसका लसर छोड़ा तो िोह अपने होंठ उसके होंठों से अलग कर
सकी।
“रोहहत… रुक जाओ…” रोहहत की अगुँ लु ी की रगड़ अपनी चूत पे महससू करते हुए नीरा ने कफर विनती की-
“तम्ुहें ऐसा नहीं करना चाहहए। हैभगिान… रुक जाओ…”
पर रोहहत का रुकने का कोई इरादा नहीं था। िोह अपनी टीचर की कमर को अपनी बाुँहों में कस के जकड़ के
दसू रे हाथ से उसकी चूत को पटैंी के ऊपर से रगड़ने लगा। नीरा रोहहत की छाती पे अपने हाथ से जोर डालकर
उसे पीछे िकेल के छूटने की कोलशश करती रही। पर जब नीरा ने रोहहत की अगुँ लु ी को जी-जस्रंग पैंटी की पतली
सी पट्टी साईड में खखसका के अपनी चूत के अदं र गड़ते हुए महससू की तो नीरा ने उसे िकेलना छोड़कर अपनी
बाुँहें रोहहत के इद-गगदफ डालकर जकड़ते हुए अपना लसर उसकी छाती पे हटका हदया। नीरा के विरोध की जगह
अब उसकी िासना ने ली थी।
बहुत समय से उसकी चूत में खुद की अगुँ लुलयों के अलािा और ककसी की अगुँ लुलयां नहीं गयी थीं। क्लास में
अपनी सेक्सी हरकतों से नीरा हमेशा गरम होकर चुदासी हो जाती थी और आज का हदन भी अपिाद नहीं था।
आमतौर पर नीरा या तो क्लास के बाद स्टाफ के बाथरूम में या घर जाकर अपनी चूत की उत्तेजना को अपनी
अगुँ लुलयों या ककसी भी मनु ासीब चीज़ से चोदकर कम कर लेती थी। पर आज रोहहत क्लास खतम होते ही उसके
पास आ गया था। रोहहत जिान, हसीन और कफी हट्टाक-ट्टा था और नीरा ने पहले कई बार उसकी पैंट में से
उसके खड़े लण्ड का उभार देखा था। हालाुँकक रोहहत का उसको छूना गलत था पर क्योंकी नीरा की चूत की
प्यास इस उम्र में चोटी पर थी और कोई उसकी इस असीम प्यास को बझु ाने िाला नहीं था, इसललए उसे रोहहत
की यह हरकत अब अच्छी लग रही थी।
रोहहत की दो अगुँ लुलयां परूे जोश में नीरा की चूत में अदं र-बाहर हो रही थीं। नीरा भी अब बेशरम होकर रोहहत
को पकड़कर उसकी अगुँ लुलयों को अपनी चूत में चोद रही थी। िोह अपनी कामोत्तेजना में मदहोश थी। रोहहत ने
जब अपनी बाुँह नीरा की कमर से हटायी तो नीरा उससे दरू नहीं हटी बजल्क उससे ललपटी रही और चुदासी
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कुततया की तरह कराहती रही। रोहहत ने भी अपने खाली हाथ से अपना जज़प्पर खोलकर अपना तना हुआ कड़ा
लण्ड बाहर तनकल ललया।
अपनी अगुँ लुलयां नीरा की चूत में से बाहर तनकाले बगरै, रोहहत ने दसू रे हाथ से अपनी टीचर की सलिार को
नीचे खीचं हदया और उसकी पटैंी को जब उसने झटके से एक तरफ करना चाहा तो पटैंी का मलु ायम नाज़ुक
कपड़ा उसकी मजबतू पकड़ में फट गया। रोहहत जब अपनी टाुँग नीरा की टाुँगों के बीच में घसु ाने लगा तो नीरा
की नीचे खखसकी सलिार बीच में आने लगी। नीरा के इशारे पर उसने नीरा से अलग होकर उसकी टाुँगों से
सलिार खींच के अलग करके एक तरफ फें क दी। रोहहत ने कफर नीरा को अपनी बाुँहों में लेकर अपनी टाुँग नीरा
की टाुँगों के बीच अड़ाते हुए उन्हें फैला हदया और कफर अपना घटुना ज़रा सा झुका कर अपना लौड़ा नीरा की
चूत पे सटाकर अदं र घसु ेड़ हदया।
रोहहत ने उत्तेजना में अपनी टाुँगें सीधी कीं और जोरदार धक्का ऊपर की तरफ मारकर परूा लण्ड अदं र ठेल
हदया। नीरा की चूत में जब झटके के साथ रोहहत का परूा लण्ड घसु ा तो उसने अपनी दोनों टाुँगें उठाकर उछलते
हुए रोहहत की कमर के इदफ-गगदफ लपटे लीं। नीरा का लसर अब रोहहत के कुँधे पे था और िो रोहीत के लण्ड को
अपनी चूत में ललए हुए रोहहत के पहलिानी बदन पे चढ़ी हुई थी। अपनी बाुँहें और टाुँगें रोहीत के बदन पे कस
के िोह उसके लण्ड पे ऊपर-नीचे उछलने लगी।
नीरा को बड़ा अरसा हो गया था ककसी के लण्ड से चदुिाए हुए और अब, इस समय उसे रोहहत के लण्ड से
चुदाई के अलािा और ककसी बात की सधु नहीं थी। उसे ककसी बात से मतलब नहीं था, जैसे की िोह इस समय
क्लास-रूम में चदु रही थी या रोहहत उससे उम्र में ककतना छोटा था या कफर रोहहत उसका स्टूडेंट था और िोह
उसकी टीचर और या कफर यह कक िोह एक शादी-शदुा औरत थी। उसकी चूत में इस समय एक जिान और
तगड़ा लण्ड था और उन सब बातों से बे-परिाह नीरा का मक्सद इस समय लसर्फ़फ चुदाई का मज़ा लेते हुए अपनी
चूत की मद्ुदतों से दहक रही आग को बझु ाना था।
नीरा धीरे से रोहहत के कान में फुसफुसाती हुई बोली- “ओहह… रोहहत… तम्ुहरा लण्ड मेरी चूत में बहुत अच्छा
लग रहा है…”
रोहहत ने अपनी टीचर के चूतड़ अपने हाथों में पकड़ेऔर उसे अपने लण्ड पे ऊपर-नीचे खींचने लगा। नीरा रोहहत
को अपनी बाुँहों और टाुँगों से कसकर जकड़े हुए थी और हिा में लटकी हुई रोहहत के लण्ड पे जोर से ऊपर-नीचे
खखसक रही थी। पर कफर उसे अपने चूतड़ों पे रोहहत की पकड़ और ज्यादा कसती हुई महससू हुई। नीरा ने ऊपर-
नीचे खखसकने की कोलशश की पर रोहहत ने उसे हहलने नहीं हदया और नीरा को अपनी चूत में रोहहत के लण्ड
की गरम मलाई छूटती महससू हुई।
“नहीं… अभी इतनी जल्दी नहीं…” नीरा तनराशा और मायसू ी से गचल्लाई।
जब रोहहत ने झड़ना बुँद ककया तो िोह बोला- “गच ंता मत करो मैडम… मैंअभी परूा तनबटा नहीं हूुँ…”
नीरा को खदु से गचपकाये हुए ही रोहहत कुछ कदम चला और जब नीरा को अपने नीचे डस्े क महससू हुआ तो
उसने रोहहत पे अपनी पकड़े िीली कर दी। रोहहत ने नीरा को बैठने में मदद की। नीरा ने नीचे देखा तो उसके
स्टूडेंट रोहहत का लण्ड अभी भी उसकी चूत में था और उसके लण्ड पे सफेद धाररयां उसके लण्ड के चूत में
झड़ने का सबतू दे रहे थे। नीरा ने डस्े क पर पीछे हाथ रखकर खुद को सहारा हदया। नीरा की पकड़ सेआज़ाद
होकर रोहहत कफर से नीरा को धीरे-धीरे चोदने लगा।
“ओहहह… हाुँ… चोद मझु े रोहहत… ओहह…ह चोद मझु …” े नीरा ने लससकारी भरी।
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रोहहत ने नीरा का दपुट्टा हटाने के बाद झटका मार के नीरा की कमीज़ उसके बदन से खीचं हदया जजससे
कमीज़ पीछे से थोड़ा गचर गया। कफर रोहहत ने नीरा की ब्रा दबोची और उसे भी खींचकर फें क हदया। नीरा अब
कालेज के क्लास-रूम में अपने स्टूडेंट के साथ लसफफ अपने हाई हील सडैंल पहने हुए बबल्कुल नगं ी होकर चदुिा
रही थी। रोहहत अपनी टीचर की चूत में अपना लण्ड अदं र-बाहर ठेलते हुए आगे झुक कर उसकी एक चूची को
चूसने लगा।
“हाुँ… रोहहत डाललिंग… चोद मझु ेऔर मेरी चूगचयां भी चूस… हाय… बड़ा मज़ा आ रहा है… उम्म्म…” नीरा रोहहत को
और उकसाते हुए बोली। नीरा की टाुँगें डस्े क के ककनारे पे लटक कर झूल रही थीं और जब भी रोहहत अपना
लण्ड उसकी चूत में जोर से अदं र ठेलता था तो नीरा की सडैंल डस्े क पे ठोंकते हुए आिाज कर रहे थे। नीरा ने
अपनी टाुँगें उठा के रोहहत की कमर पे लपेट लीं और थोड़ा आगे खखसक कर अपनी टाुँगों से रोहहत को और
करीब खींच ललया।
“ओह… ओह… ओह… ओहहहह… औ ंऔ ंऔ ं… मैं आयीईईईई… हाुँ…” और नीरा जोर-जोर से सबुकती हुई झड़ने लगी
और उसका बदन थोड़ा थरथराने के बाद एकदम ऐंठ गया और उसकी टाुँगें िीली होकर रोहहत की कमर से नीचे
झूल गयीं।
रोहहत ने अपनी टीचर को चोदना ज़ारी रखा और नीरा जल्दी ही कफर से गरम हो गयी और उत्तेजना से आगे-
पीछे खखसकती हुई रोहहत के धक्कों का जिाब देने लगी।
“चोद रोहहत मझु … े मेरी चूत बहुत प्यासी है… चोद… जोर-जोर से ठेल अपना लण्ड… बझु ा दे अपनी टीचर की चूत
की आग…” नीरा बड़बड़ाते हुई चुदिाने लगी।
रोहहत भी नीरा की चूत में अपना लण्ड जोर-जोर से पले ने लगा। जब रोहहत झड़ने को हुआ तो उससे थोड़ा पहले
ही नीरा रोहहत के लण्ड पे चूतड़ उठा-उठाकर अपनी चतू चुदिाती हुई कफर से झड़ गयी। रोहहत भी नीरा के
झड़ने के फौरन बाद उसकी चूत में अपना लण्ड जड़ तक ठाुँसकर झड़ गया और नीरा की चूत को दसू री बार
अपने लण्ड की मलाई से भर हदया। रोहहत आगे झुक कर नीरा के ऊपर पस्त हो गया।
नीरा ने रोहहत को अपनी बाुँहों में कसकर लपटे ललया और उसके चेहरे को ताबड़तोड़ चूमने लगी। बीच-बीच में
नीरा अपनी चूत को लसकोड़कर रोहहत के फड़कते लण्ड को महससू कर रही थी। नीरा जानती थी कक जो कुछ
अभी हुआ िोह बहुत गलत था पर उसे कोई अफसोस या पछतािा नहीं था।
बहुत समय के बाद आज नीरा को कुछ तपृ तत लमली थी इतना मज़ा आया था। रोहहत का लण्ड जब तक नमफ
होकर उसकी चूत से बाहर नहीं कफसला तब तक नीरा रोहहत को अपने से गचपकाए रही। रोहहत ने पीछे हटकर
अपनी टीचर को तनहारा। नीरा अपनी टाुँगें फैलाए डस्े क पर पसरी हुई थी और उसने अपनी टाुँगें आपस में
लमलाने का कष्ट भी नहीं ककया और उसकी नगं ी चूत में से रोहहत के लण्ड का सफेद गाढ़ा रस बाहर ररस रहा
था। नीरा की चूगचयां उसकी तज़े साुँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं।
“रोहहत…” नीरा धीरे से बोली।
“कहहए… हिल्लो मैडम…”
“थकैं य…” ू
“थकैं य?” ू रोहहत ने अविश्िास से दोहराया।
“हाुँ रोहहत… थकैं य… ू बहुत समय के बाद ककसी ने मेरी चूत को चोदकर मझु े इतना प्यारा एहसास करिाया है।
मझु ेआज बहुत मज़ा आया…”
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“काश आप मेरी एनाटामी की टीचर होतीं तो मैंआपसे कालेज के बाद जरूर ट्यशू न लेता…”
“गचतं ा मत कर रोहहत। मैंतझु े एनाटामी बहुत अच्छे से पढ़ाऊुँगी…” दोनों हुँसने लगे और कफर नीरा बोली- “ओह
गाड… मेरे कपड़ों कक हालत तो देखो…”
नीरा ने डस्े क से उतरकर अपनी फटी हुई पटैंी मश्ुकुराते हुए उठाकर रोहहत को यह कहकर पकड़ा दी कक िोह
उनकी आज की चदुाई की यादगार है। रोहहत ने भी मश्ुकुराते हुए नीरा की पटैंी अपनी जेब में भर ली। रोहहत
का लण्ड अभी भी पटैं के बाहर लटक रहा था। नीरा ने नीचे बठै कर उसके लण्ड को मुँहु में लेकर चूसते हुए साफ
ककया और कफर उसके लण्ड को पटैं में डालकर उसका जज़प्पर बदुँ कर हदया। कफर बबना ककसी शरम के अपने
होंठों पे चपचपाते हुए जीभ कफरा कर उसके लण्ड का स्िाद लेने लगी और मश्ुकुराती हुई बड़ेआरम से अपनी ब्रा
पहनने लगी। कफर बगरै पटैंी के ही अपनी सलिार पहनते हुए दो अगुँ लुलयों से अपनी चूत में से रोहहत के लण्ड
का रस तनकालकर शरारत से मश्ुकुराते हुए चाटने लगी। कफर सलिार पहनकर अपनी फटी कमीज़ को जजतनी
िुँग से हो सकता था पहन ललया।
“आय एम सारी… मैंने आपके कपड़े फाड़ हदए…” रोहहत बोला।
“तूगचतं ा मत कर… मैंसम्भाल लुँगू ी पर अगली बार ध्यान रखना…”
“अगली बार मैडम?”
“तूइसे आखखरी बार तो नहीं समझ रहा हैना? अभी तो तझु े एनाटामी और बहुत से लसै न देने बाकी हैं…”
“उम्म… मझु े पता नहीं था कक आप क्या सोचेंगी…”
जिाब में नीरा ने पास आकर अपने होंठ रोहहत के होंठों पे रख हदये। रोहहत ने भी नीरा को पकड़कर अपनी
जीभ नीरा के पहले से खुले होंठों के बीच से उसके मुँहु में घसु ा दी। दोनों कुछ देर इसी तरह एक दसू रे के महुँु
में अपने जीभ डालकर पागलों की तरह चूमते रहे और कफर नीरा साुँस लेने के ललए पीछे हटी।
“िाह… मैंतो भलू ही गयी थी कक इस तरह से ककस करना कैसा लगता है…” नीरा हाुँफती हुई बोली।
कफर दोनों अपने-अपने घर के ललए तनकल गये। घर जाते हुए नीरा रोहहत से अपनी चुदाई के बारे में ही सोच
रही थी और उसे ताज्जबु हुआ कक उसने खुद पहले ऐसा करने का क्यों नहीं सोचा। क्यों िोह लसफफ अपनी
शोखखयां और हदल्लगी करके लड़कों को और साथ में खुद को तड़पाती रही। शायद िोह यह सब करके अन्जाने
में लोगों को लभु ाकर रोहहत जैसा कदम उठाने के ललए ही उक्साती थी। पर अब नीरा बहुत खुश थी और उसे
इस बात की भी खुशी थी कक िोह स्कूल छोड़ के कालजे में पढ़ाने लगी थी। क्योंकी जो आज हुआ िोह तो कभी
ना कभी होना ही था और अगर ऐसा स्कूल के ककसी ना-बाललग लड़के साथ हो जाता तो िोह काफी मसु ीबत में
पड़ सकती थी।
***** *****02
अगले हदन भी नीरा ने क्षात्रों को अपना शबाब हदखा-हदखाकर सतना ज़ारी रखा और िोह भी पहले से ज्यादा।
नीरा सारा हदन बे-सब्री से आखखरी क्लास का इंतज़ार करती रही और जब उस क्लास में रोहहत नहीं हदखा तो
बहुत मायसू हुई। लेककन जल्दी ही जब उसने रोहहत को क्लास में देर से भाग के अंदर आते देखा तो नीरा का
चेहरा खखल उठा। “रोहहत… देर से इस तरह क्लास में घसु कर मेरी क्लास को डडस्टबफ करने का क्या मतलब है…”
नीरा अपनी खुशी तछपाते हुए गस्ुसे से बोली।
रोहहत का चेहरा शलमदिं गी से लाल हो गया और िोह हकलाते हुए बोला- “सारी मैडम, मैं कहीं उलझ गया था…”
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नीरा को रोहहत की परेशानी से मज़ा आ रहा था। वपछले हदन जब रोहहत ने उसकी चूत में अपनी अगुँ लुलयां
घसु ाई थीं तो िोह उसके हाथ का खखलोना बनी हुई थी लेककन इस समय नीरा का कंरोल था।
“कल भी तमु कहीं और उलझ तो नहीं गये थ?” े यह सनु कर रोहहत अपनी जगह पे ही जम गया क्योंकी उसे
लगा कक नीरा उनकी चुदाई की तरफ इशारा कर रही थी पर उसने राहत की सासुँ ली जब नीरा आगे बोली-
“क्या तमु अपना एसाइनमेंट करके लाये हो?”
“येस मैडम, मैंने एसाइनमेंट के सब सिाल ककए हैं…”
“तो कफर क्या तमु दरिाजा बुँद करके यहाुँब्लकै -बोडफ पे ललख के क्लास के साथ डडसकस करोगे…” नीरा अपना
स्टूल टेबल के पीछे खखसकाती हुई बोली।
रोहहत ने अपनी ककताबें अपने डेस्क पे रखीं और दरिाजा बंद करके अपनी एसाइनमेंट की कापी लेकर क्लास के
सामने आ गया। िोह समझ नहीं पा रहा था कक नीरा मैडम आज उसके पीछे क्यों पड़ी है। क्षात्र अक्सर क्लास
में देर सेआते थे पर कोई टोकता नहीं था। आखखर यह कालेज था कोई स्कूल नहीं। उसे लगा शायद नीरा
वपछले हदन की चुदाई के ललए नाराज़ थी पर िोह तो बोली थी कक उसे मज़ा आया था और िोह थकैं यूभी
बोली थी, पर अब… बेचारा रोहहत बहुत परेशान था, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
खैर िोह बोडफ पे चाक से ललखने लगा। थोड़ा ललखने के बाद इस आश्िासन के ललए कक िोह सब ठीक कर रहा
है, रोहहत ने अपनी टीचर की तरफ मड़ुकर देखा। नीरा को अपनी टाुँगें चौड़ी करके बठैे देख रोहहत का कलजे ा
मुँहु को आ गया। नीरा ने अपनी सलिार घटुनों तक नीचे खखसका ली थी और अपने हाथ से पैंटी को एक तरफ
ककया हुआ था। रोहहत की नज़र नीरा के चेहरे पे गयी तो िोह मश्ुकुरा रही थी। रोहहत ने जल्दी से बाकी क्लास
की तरफ देखा तो उसे एहसास हुआ कक आज नीरा डस्े क के सामने बठै ने कक बजाय डस्े क के पीछे बठै ी थी और
इतना बड़ा डेस्क नीरा की इस हरकत को बाकी क्लास से तछपाए हुए था। लसर्फ़फ िो ही नीरा की कमर की नीचे
का हहस्सा देख सकता था।
रोहहत ने नीरा की चूत पे से अपनी नज़र हटाई और एक बार कफर बोडफ पे ललखने लगा। उसके हाथ जाहहर तौर
से काुँप रहे थी जो कक उसकी ललखािट से भी पता लग रहा था। साथ ही उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था और
रोहहत को डर था कक कहीं और लोगों को इस बात का पता ना चल जाये पर कफर भी िोह मड़ु-मड़ुकर अपनी
टीचर की नगं ी गचकनी चूत तनहारने से खुद को रोक नहीं पा रहा था। इस बार जब उसने देखा तो उसकी साुँस
ही अटक गयी।
नीरा ने अपनी दो अगुँ लुलयां अपनी चूत में घसु ेड़ दी थीं और उन्हें चूत में अदं र-बाहर कर रही थी। रोहहत ने एक
नज़र बाकी क्षात्रों की तरफ देखा जजन्हें इस बात का बबल्कुल अन्दाज़ा नहीं था कक क्या चल रहा है। उसने
िावपस घमू कर बोडफ पे ललखना शरूु ककया तो घबड़ाहट में उसका चाक बोडफ से टकराया और उसके हाथ से छूट के
नीचे गगर गया।
क्लास में एक जोर से हुँसी का ठहाका गुँजू ा और शलमदिं गी से रोहहत का चेहरा लाल हो गया। उसने चाक को
नीरा की तरफ लढ़ुकते देखा तो िोह उसे उठाने के ललए झुका और उसने खुद को नीरा की खुली टाुँगों के बीच में
पाया। रोहहत नीरा की गलु ाबी-सी गोरी चूत और उसमें घसु ी अगुँ लुलयों को देखने लगा। उसे अपनी टीचर की चूत
की खुशबूतक आ रही थी।
रोहहत ने कफर साइड पे देखा तो उसे एहसास हुआ कक िोह अब डस्े क के पीछे तछपा हुआ था और कफर िावपस
गदफन घमु ायी तो उसे अपनी टीचर की चूत-रस में भीगी हुई चमकती अगुँ लुलयां अपने चेहरे के नज़दीक हदखीं।
रोहहत ने अपना मुँहु खोला तो नीरा ने अपनी चतू -रस में भीगी अगुँ लुलयां उसके महुँु में घसु ेड़ दी। परूी क्लास के
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सामने, हालाुँकक डेस्क के पीछे तछप कर, रोहहत ने अपनी टीचर की अगुँ लुलयां चूसकर साफ कीं और कफर चाक
उठाकर जल्दी से खड़े होकर बोडफ पे जाकर अपना काम खतम ककया।
“थकैं य, ू रोहहत… तम्ुहारा काम तारीफ के काबबल था। अब तमु बठै सकते हो…” नीरा अपनी हुँसी रोकते हुए
बोली।
रोहहत अपनी कापी से अपने लण्ड को तछपाता हुआ अपनी सीट पे जा के बठै गया। उसने क्लास-रूम का
तनरीक्षण ककया पर ककश्मत से ककसी का भी ध्यान उसकी तरफ नहीं था। सब लोगों का ध्यान नीरा की तरफ था
जो अब आगे का लेक्चर दे रही थी।
क्लास के अंत में, जो कक उस सप्ताह की आखखरी क्लास थी, नीरा ने रोहहत को अपनी ककताबें समेटते हुए
देखा। जब सब क्षात्र बाहर जा रहे थे तो रोहहत कुछ तय नहीं कर पा रहा था। नीरा भी मन ही मन रोहहत के
रुक जाने की प्राथफना कर रही थी। जब सब क्लास के बाहर चले गये तो रोहहत क्लास के पीछे अपनी सीट पे ही
बैठा था। यह जानते हुए कक रोहहत उसे ही तनहार रहा है, नीरा धीरे-धीरे अदा से अपनी हाई हील सैंडल
खटखटाती हुई दरिाजे की तरफ गयी और दरिाजा बदं करके लसटकनी लगा दी। कफर घमू के धीरे-धीरे अपने
डस्े क की तरफ जाती हुई नीरा ने अपना दपुट्टा हटाकर नीचे गगरा हदया। कफर अपनी सलिार अपने चूतड़ों से
नीचे खखसकाकर अपने डेस्क पे उछलकर अपनी टाुँगें चौड़ी करके बैठ गयी और अपनी ओर ताकते रोहहत की
तरफ देखने लगी।
नीरा ने अपनी कमीज़ उतार के एक तरफ उछाल दी और अपनी ब्रा के हुक खोलकर उसे भी साईड में फेंक
हदया। नीरा अब कमर से ऊपर बबल्कुल नगं ी अपनी टाुँगें फै लाकर अपने डेस्क पे बैठी थी और उसकी सलिार
उसकी टागुँ ों में नीचे खखसकी हुई थे। यह नीरा के आज तक की सबसे कामकु परफोमसें थी और नीरा ने रोहहत
को ही घरूते हुए अपनी सलिार अपनी टाुँगों से खीचं कर तनकाली और एक तरफ फेंक कर अपनी चूगचयां मसलने
लगी।
कफर नीरा ने अपनी पटैंी उतारने के ललए अपने हाथ अपनी चूगचयों से हटाए और अपनी गाण्ड को डस्े क से ऊपर
उचका कर अपनी पटैंी अपनी टाुँगों पे नीचे खीचं ी और लसर्फ़फ एक टाुँग से तनकालकर पटैंी को दसू रे परै पे लटकते
हुए छोड़ दी। अब िोह लसफफ डाकफ ब्राऊन रंग के हाई हील सडैंल पहने हुए कफर से अपनी चूगचयां मसलने लगी।
लेककन उसकी चूत में दहक रही आग भी नीरा का ध्यान अपनी और खीचं रही थी। इसललए उस चुदास टीचर ने
अपना एक हाथ अपनी चचू ी से हटाकर अपने चूत पे रख ललया और लगतार अपने स्टूडेंट की आखुँ ों में देखती
हुई अपनी जक्लट रगड़ने लगी।
रोहहत भी कब से अपनी पैंट के ऊपर से ही अपना लौड़ा सहला रहा था। कफर िोह भी खड़ा होकर अपनी टीचर
के पास गया और झुक के अपने होंठ नीरा की चचू ी पे रख हदये। नीरा ने लससकारी भरते हुए रोहहत का लसर
पीछे से पकड़कर अपनी चुँचू ी पे दबा हदया। कफर रोहहत ने पीछे हटकर नीरा की जाुँघों पे हाथ रखा। नीरा की
अगुँ लुलयां अभी भी अपनी फूली हुई जक्लट रगड़ रही थीं। रोहहत ने नीचे झकु कर अपनी जीभ नीरा की चतू पे
एक बार कफरायी और कफर खड़ा हो गया। रोहहत ने ऐसा कई बार ककया पर हर समय लसफफ एक बार ही अपनी
जीभ कफरा कर रुक जाता था।
“रोहहत… प्लीज़… मझु े ऐसेतड़पा नहीं… चाट मेरी चूत… अब नहीं रुका जाता…” नीरा बेचैनी से बोली।
खुद अपनी हरकतों से लड़कों को हर समय तड़पाने िाली टीचर के मुँहु से यह बात सनु कर रोहहत मश्ुकुरा हदया।
पर िोह नीरा की बात मान कर झकु ते हुए नीरा की चतू चाटने लगा। रोहहत के मुँहु को ठीक से जगह देने के
ललए नीरा ने अपना हाथ अपनी जक्लट पे से हटा ललया। रोहहत परूे जोश में नीरा की चूत अपने जीभ से चाट
रहा था और नीरा अपनी चगूचयां मसल रही थी।
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रोहहत के चाटने से नीरा मदहोश सी होने लगी और उसे लगा की िोह गगर जायगे ी। इसललए उसने खुद को
सहारा देने के ललए अपने हाथ डेस्क पे अपने पीछे हटका ललए। रोहहत की जीभ नीरा को अपनी चूत में इतनी
अच्छी लग रही थी कक उसने अपनी टाुँगें उठाकर रोहहत के कुँधों पे रख दीं और उसका लसर अपनी मखमली
माुँसल जाुँघों में कस ललया। अब नीरा मस्ती से ततललमला उठी और आगे-पीछे होकर अपनी चतू रोहहत की जीभ
पे दबाती हुई धक्के मारने लगी। रोहहत भी परूी मस्ती में अपनी जीभ नीरा की चूत में अदं र-बाहर करके सटासट
चोदने लगा।
“आआआहहह… ऊईईईई… चाट मेरी चूत… हाय… उफफ्फ… परूे बदन में नशा छा रहा है। हाय मैंझड़ने िाली हूुँ…”
गचल्लाती हुई नीरा अपने चतू ड़ आगे िकेल कर झड़ने लगी और चीखते हुए अपनी चूत का रस रोहहत के चेहरे पे
छोड़ हदया।
रोहहत ने कफर भी नीरा की चूत को चाटना उस समय तक जारी रखा जब नीरा ने अपनी टाुँगें फैलाकर रोहहत के
बाल पकड़कर उसका मुँहु अपनी चूत से हटाया। उसकी चूत उस समय और उत्तेजना सहन नहीं कर सकती थी।
नीरा डस्े क से नीचे खखसकती हुई और रोहहत को पीछे िकेलती हुई नीचे उतरी। अपने घटुनों के बल बठै कर नीरा
ने अपने स्टूडेंट की बेल्ट और पटैं खोली और उसका जज़प्पर नीचे ककया। कफर रोहहत की पटैं और अडं रिीयर एक
साथ नीचे खींचकर नीरा ने उसके तने हुए मोटे लण्ड को आज़ाद कर हदया। अगले ही क्षण रोहहत का लण्ड
उसकी टीचर के मुँहु में था।
“ओह, हिल्लो मैडम…” रोहहत लससका।
नीरा को जो मज़ा और तजृप्त रोहहत से लमली थी िही मज़ा नीरा उसे िावपस देना चाहती थी। नीरा ने उसके
लण्ड को नीचे से पकड़कर अपने रसीले होंठों में भर ललया। नीरा अपना लसर आगे-पीछे हहलाकर उसके लण्ड पे
अपने होंठ और जीभ कफराती हुई चूसने लगी। कफर रोहहत के लौड़े को मुँहु से तनकालकर नीरा ने अपने परूे चेहरे
पे रगड़कर उसके स्पशफ का मज़ा ललया और कफर से अपने मुँहु में डालकर जोर-जोर से चूसने लगी। रोहहत ने
नीरा के लसर पे अपने हाथ रखकर खुद को सहारा देने की कोलशश की पर नीरा का लसर बहुत जोर-जोर से हहल
रहा था। इसललए रोहहत नेआगे झुक कर डस्े क पे अपने हाथ रख ललए और अपने चूतड़ आगे पीछे करके अपनी
टीचर का मुँहु चोदने लगा।
नीरा को बीच-बीच में साुँस लेने में परेशानी हो रही थी क्योंकक रोहहत के धक्कों के कारण उसका लौड़ा नीरा के
गले में टकरा रहा था पर नीरा भी मस्ती में गोंगगयाती हुई रोहहत के लण्ड के धक्के अपने मुँहु में खाती हुई
अपना लसर जस्थर रखे हुए थी। लसफफ एक बार जब रोहहत ने बहुत ही तजे झटका हदया तो नीरा का लसर
असािधानी के कारण पीछे से डेस्क पे टकराया। नीरा चाहती थी कक रोहहत धक्के ना मारे ताकक िोह उसका
लौड़ा इतमीनान से चूस सके पर िोह जानते थी कक रोहहत बहुत मस्ती में था और इसीललए इतनी ब-ेरहमी से
अपनी टीचर का मुँहु चोद रहा था। साथ ही यह खयाल इस चुदासी टीचर को बहुत उत्तेजजत कर रहा था कक िोह
घटुनों के बल बठै ी हैऔर डस्े क पे झुका हुआ उसका स्टूडेंट अपना लण्ड उसके मुँहु में जोर-जोर से गले तक
ठाुँस रहा है। अचानक कफर नीरा को अपने मुँहु में रोहहत का गरम गचपगचपा रस महससू हुआ।
“ओहहहह… आहहहह… मैडम… साली… चूस… आह्हह…” रोहहत के मुँहु से चीख तनकली और उसका बदन सर से
पाुँि तक काुँप गया। नीरा को गाली सनु के अच्छा लगा और िो बड़ी खुशी से अपनी मेहनत का इनाम समझकर
रोहहत के लण्ड का मलाईदार रस अपने मुँहु में लेने लगी। रोहहत तजे ी से अपना गाढ़ा रस का फुहारा नीरा के
गले में छोड़ रहा था और नीरा भी उतनी ही तेज़ी से उसका रस गटकने लगी। पर रोहहत के लण्ड से इतनी
अगधक मात्रा में रस तनकल रहा था कक नीरा उसका मकु ाबला नहीं कर पा रही थी। जब नीरा का मुँहु लबालब
भर गया तो रोहहत का गाढ़ा रस नीरा के ललवपस्टक लगे लाल-लाल होठों से ककनारे से बाहर तनकलकर बहने
लगा।
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जब रोहहत का रस तनकलना बुँद हो गया तो नीरा खड़ी हो गयी रोहहत ने भी हाुँफते हुए खुद को सहारा देने के
ललए डस्े क को पकड़ ललया। बहुत ही हसीन नज़ारा था। टीचर लसफफ हाई हील के सडैंल पहने बबल्कुल नगं ी थी
और उसकी पटैंी अभी भी उसके एक परै और सडैंल के हील में अटकी हुई थी। स्टूडेंट ने शटफ पहनी हुई थी पर
उसकी पटैं उसके परैों तक नीचे खखसकी हुई थी और अडं रिीयर घटुनों पे था। दोनों क्लास-रूम में बबल्कुल
अके ले, डस्े क पर झुके हुए जोर-जोर से हाुँफ रहे थे।
रोहहत का लौड़ा उसकी टीचर के थूक से सना हुआ चमक रहा था और थूक की एक बुँदू लण्ड के छोर से लटक
रही थी, जबकक नीरा अभी भी अपने मुँहु में भरा अपने स्टूडेंट का काम-रस चटखारे मारती हुई तनगल रही थी।
नीरा की ठुड्डी पे भी रोहहत का रस गचपका हुआ था।
“िाह… हिल्लो मैडम, यह दतुनयां की सबसे अच्छी लण्ड-चुसाई थी…” रोहहत बोला।
“तनू े भी तो मेरी चूत अच्छी तरह से चूसकर मझु े जन्नत का मज़ा हदया, डाललिंग, पर अब मझु े चूत में तरेी
जीभ की जगह तेरा मस्त लौड़ा चाहहए…” नीरा बोली।
तो रोहहत जोर से मश्ुकुरा हदया। रोहहत ने अपनी शटफ फटाफट उतारकर एक तरफ उछाल दी और कफर झकु कर
अपनी पैंट और अंडरिीयर भी अपनी टाुँगों से तनकाल हदये। अपने आधे खड़े लण्ड को उसने अपने हाथ में ललया
और कुछ ही क्षणों में उसका लण्ड तनकर सीधा खड़ा हो गया। चुदाई की प्रतीक्षा में नीरा लार टपकाती हुई
लण्ड-मार नज़रों से रोहहत को यह सब करते देख रही थी।
रोहहत जब नीरा के करीब आया तो नीरा तनजश्चत नहीं थी कक उसके मन में क्या है पर रोहहत ने नीरा को कमर
से पकड़कर बड़े प्यार से डस्े क पेआगे झुका हदया। नीरा ने भी झकु कर डस्े क पे अपने हाथ रख हदए। रोहहत ने
अपने एक पैर से नीरा के एक सैंडल पर हल्के से ठोंक कर उसका पैर बाहर को खखसकाया और कफर िैसा ही
नीरा के दसू रे परै के साथ ककया जैसे कक कोई पलुलस िाला ककसी कक तालाशी करने की तैयारी कर रहा हो। कफर
रोहहत ने नीरा की फैली टागुँ ों के बीच में खड़े होकर पीछे से अपना मसू ल जैसा तना हुआ लण्ड नीरा की चतू पे
दबा हदया। जब नीरा ने भी उसका लण्ड अदं र लेने के ललए अपने चूतड़ पीछे को िकेले तो रोहहत ने पीछे हटकर
नीरा की गाण्ड पे एक चपत लगा दी।
“ओए… यह क्यों ककया तनू ?” े नीरा ने पछू ा, हालांकक चपत जोर से नहीं लगी थी।
“अरे मैडम… तमु मत हहलो… मझु े ही करने दो…”
नीरा मश्ुकुरा कर उसके लण्ड का इंतज़ार करने लगी। उसे एक बार कफर रोहहत का गरम लण्ड अपनी टाुँगों के
बीच रगड़ता हुआ अपनी चतू में घसु ता हुआ महससू हुआ। नीरा अपनी गाण्ड पीछे िकेल के उस सख्त लौड़ेको
जल्दी से अपनी चूत में लने ा चाहती थी पर उसने खदु को रोके रखा। नीरा थोड़ा रुकी और कफर रोहहत एक
झटके में परूा लण्ड उसकी चूत में घसु ेड़कर रुक गया। नीरा ने डस्े क पे झुके हुए अपनी आखुँ ें बुँद करके जोर से
साुँस अदं र खींची। नीरा ने पीछे के तरफ धक्का तो नहीं लगाया पर उतािलेपन में अपनी चूत को रोहहत के लण्ड
पे कस के जकड़ ललया। रोहहत ने अपनी टीचर की पीठ पे झुक कर उसकी चूगचयां पकड़ लीं और अपना आधा
लण्ड चूत से बाहर तनकाल के कफर अदं र ठेल हदया। घों…ओंओंओं… नीरा के मुँहु सेआनन्द भरी लसतकार
तनकली। नीरा को िसै े ही और धक्कों की उम्मीद थी पर रोहहत नहीं हहला और नीरा की चगूचयां मसलते हुए
उसके कान कुतरने लगा।
“अरे रुका क्यों है? चोदता क्यों नहीं?” नीरा ने पछू ा।
“मडैम तमु तो बहुत उतािली हो रही हो। क्या चूत में इतनी आग लगी है?”
“हाुँ साले… अगर तनू े मझु े जल्दी नहीं चोदा तो मेरी चतू अपने गरमी में जल कर राख हो जायेगी…”
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रोहहत नीरा की कमर से थोड़ा पीछे हटा और अपनी अगुँ लुलयां नीरा की कमर पे कफराने लगा। रोहहत की
अगुँ लुलयों के स्पशफ से नीरा को परूे शरीर पे रोंगटे खड़े होते महससू हुए। रोहहत कफर से नीरा की पीठ पेआगे
झुक गया और उसके चूतड़ सहलाने लगा। नीरा से अब रहा नहीं गया और उसने रोहहत के लण्ड को हरकत में
लाने के ललए अपनी गाण्ड पीछे िकेल दी। उसे रोहहत की दबी हुई हुँसी सनु ायी दी और िोह जान गयी कक िोह
रोहहत को इस समय एक राुँड लग रही होगी। रोहहत ने नीरा की गाण्ड पे कफरते अपने हाथ रोक कर अपना
लण्ड नीरा की चूत से बाहर तनकालकर एक जोरदार धक्के से िापस अदं र ठेल हदया।
“हाुँ… ऐसे ही चोद मझु … े रोहहत प्लीज़… मझु े ऐसे तड़पा मत… चोद मझु …” े
रोहहत ने कफर लण्ड थोड़ा बाहर खींच के अंदर ठेल हदया और कफर बार-बार ऐसा करते हुए हर धक्के के साथ
अपनी गतत बढ़ाने लगा।
नीरा भी अपनी आुँखें बुँद करके अपनी गाण्ड आग-ेपीछे करती हुई रोहहत के धक्कों का जिाब देने लगी। “ऊन्घ…
ओहहह… चोद दे… ओहहहह…” नीरा कराह उठी।
चुदाई की आशा और रोहहत के सताने के आगे चुदाई की भखू ी नीरा हटक नहीं पायी और कुछ ही देर में नीरा
झड़ गयी। पर नीरा की खशु ककस्मती से रोहहत ने बबना रुके धक्के मारते हुए अपना मसू ल लण्ड उसकी चतू में
कूटना जारी रखा। नीरा जल्दी ही और दो बार झड़ी। नीरा की लार उसके तनचले होंठ से लटकते हुए डस्े क पे
टपक रही थी। उसके बाल भी उसके पसीने से भरे चेहरे पे गचपके हुए थेऔर नीरा की मट्ुहठयां भी बुँद-खुल रही
थीं। चुदाई के आलौककक सखु की लहरें नीरा के सलु गते बदन को बहाए ललए जा रही थीं। नीरा मस्ती में खदु
को ऊपर नहीं रख पा रही थी और डस्े क पे अपनी बाहुँें फैलाकर परूी झुक गयी। रोहहत नीरा की गाण्ड पकड़कर
लगातार जोर-जोर से धक्के मारते हुए अपना लण्ड नीरा की चदुासी चतू में पेल रहा था।
“ओहहह… मैं… मैं कफर से आईई… ओंओं… आुँआुँआुँईईईईई…” नीरा झड़ते हुए गचल्लायी।
रोहहत को विश्िास ही नहीं हुआ कक उसकी टीचर इतनी उत्तेजजत थी। िोह जानता था कक नीरा बहुत ही खूबसरूत
और सक्े सी औरत हैजो क्लास में लड़कों को अपनी कामकु अदाओं से तड़पाती थी पर िोह इतनी गरम और
चुदासी होगी, इस बात का रोहहत को अंदाज़ा नहीं था।
नीरा को रोहहत से चुदिाने में बहुत आनन्द आया था।
रोहहत तब तक अपनी टीचर की चूत में परूे जोश से अपना लण्ड पेलता रहा जब तक िोह खदु नहीं झड़ गया।
रोहहत ने झड़ते हुए आगे झुक कर नीरा के इदफ-गगदफ अपनी बाुँहें लपेट दीं। नीरा आखखर में झुक के डस्े क पे
सपाट पसर गयी जजससे उसकी चूगचयां लकड़ी के डस्े क पे वपचक गयीं। रोहहत भी नीरा की पीठ पे झुक कर
हाुँफने लगा और उसका लण्ड अभी भी नीरा की चूत में फड़क रहा था। आखखरकार रोहहत ने पीछे हटकर अपनी
टीचर की चूत में से अपना लण्ड बाहर तनकाला और लड़खड़ाता हुआ एक कुसी पे जा के बठै गया। नीरा डस्े क पे
ही पड़ी हाफ रही थी।
कुछ देर बाद जब उनकी साुँसें तनयबं त्रत हुईं तो दोनों एक दसू रे की चुदाई की प्रशसं ा करते हुए कपड़े पहनने लगे।
नीरा ने रोहहत से पछू ा कक िोह सप्ताहाुँत में क्या कर रहा है। जब रोहहत ने कहा कक िोह दोनों हदन फ्री हैतो
नीरा ने उससे पछू ा कक क्या िोह ककसी होटल में उससे लमलना चाहेगा। यह सनु कर रोहहत खुशी से कूद पड़ा।
कफर दोनों ककस करके अपने घरों को तनकल गए।
अगले हदन के ललए नीरा ने एक पाुँच लसतारा होटल में कमरा बकु कर हदया था और नीचे लाबी में ही रोहहत का
इंतज़ार करने लगी। नीरा ने बहुत ही खूबसरूत लहुँगा चोली पहना हुआ था जो बहुत भड़ककला नहीं था। लहंगे के
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उप्यक्ुत ही उसके माथे पे बबदं ी, कानों में झुमके, हाथों में चूडड़या, ं और परैों में लाल रंग के बहुत ही सक्े सी हाई
हील के सैंडल थे। जब उसने रोहहत को आते देखा तो हाथ हहलाकर उसे इशारा ककया।
रोहहत नीरा के पास आकर नीरा को ककस करने के ललए झुका तो नीरा ने पीछे हटकर घबड़ाहट से अपनेआस-
पास देखा और कफर दोनों ललफ्ट में आ गये। ललफ्ट का दरिाजा बदुँ होते ही नीरा ने अपने होंठ अपने यिु ा
स्टूडेंट के होंठों पे रखकर उसे अपनी बाुँहों में जकड़ ललया। चूमते िक्त रोहहत के हाथ नीरा की गाण्ड पे थे।
रोहहत धीरे से नीरा का लहुँगा ऊपर उठाने ही िाला था कक ललफ्ट का दरिाज़ा खलु गया और नीरा कफर उससे
छूट कर अलग हो गयी।
कमरे में आकर दरिाजा बदुँ करते ही दोनों कफर एक दसू रे को बाुँहों में जकड़कर एक दसू रे के मुँहु में जीभ
डालकर चूमने लगे। इस बार रोहहत ने नीरा का लहुँगा पीछे से ऊपर उठाकर अपने हाथ अपनी टीचर की पटैंी में
डालकर उसके मलु ायम पर भारी चूतड़ों को मसलने लगा। नीरा रोहहत को चूमते हुए उसके मुँहु में ही लससक रही
थी। उसे विश्िास ही नहीं हो रहा था कक िोह इतनी जल्दी उत्तेजजत हो गयी थी और उसकी चूत भी गीली हो
गयी थी। नीरा धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई आगे बढ़ रही थी और रोहहत को पीछे खखसका रही थी। रोहहत ने भी
अपने हाथ नीरा की पैंटी के अंदर से तनकाले नहीं थेऔर दोनों अपने होंठ एक दसू रे से गचपकाये हुए दीिानों की
तरह चूम रहे थे।
जब रोहहत की टाुँगें पीछे से पलुँग से टकराईं तो िोह पीछे लढ़ुक गया। नीरा की गाण्ड को अपने हाथों से दबोचे
हुए उसने नीरा को भी अपने साथ अपने ऊपर गगरा ललया। कफर भी दोनों ने चूमना बुँद नहीं ककया और बबस्तर
पर लोटने लगे। कभी रोहहत नीरा के ऊपर होता तो कभी नीरा रोहहत के ऊपर। आखखरकार नीरा ने चूमना छोड़ा
और अपने स्टूडेंट की आुँखों में शरारत से देखती हुई बोली- “रोहहत आज खबू मस्ती करेंगे। अब तूनगं ा हो जा
जल्दी से…”
जैसे ही नीरा रोहहत के ऊपर से हटी, रोहहत ने अपने कपड़े उतारने शरूु कर हदए। नीरा ने पहले से ही एक ब्लकै
लेबल स्काच और नमकीन इत्याहद मुँगिा रखे थे। नीरा ने उठकर दो पगै बनाए और कफर एक ग्लास को चमू के
रोहहत को पकड़ा हदया। नीरा ने पछू ा- “क्या पहले कभी पी हैतनू े?”
“नहीं मैडम, पर तमु इतने प्यार से दे रही हो तो मना कैसे करूुँगा…”
“पहली बार पी रहा हैतो यह एक ही पगै से तझु े अच्छा शरूु र हो जायेगा और कफर चोदने में ज्यादा मज़ा
आयेगा। चीयसफ डाललिंग…” नीरा रोहहत के ग्लास से अपना ग्लास टकराती हुई बोली।
रोहहत बबस्तर पर आधा लटे ा हुआ धीर-धीरे चुजस्कयां लेने लगा पर नीरा जल्दी से अपना पगै खतम करके खड़ी
हो गयी। नीरा ने धीरे से अपनी चोली के हुक खोलकर चोली उतारी और कफर धीरे से अपना लहुँगा खोलने लगी।
नीरा ने ब्रा नहीं पहनी थी। रोहहत अपने पगै की चुजस्कयां लेते हुए अपनी टीचर को नगं ा होते देख रहा था और
जब नीरा का लहुँगा ज़मीन पर गगरा तो रोहहत अपने होंठ चाटने लगा। उसकी टीचर अब अब लसफफ पटैंी और
हाई हील सैंडल पहने उसके सामने खड़ी थी।
“हिल्लो मैडम, तमु बहुत ही सेक्सी हो…” रोहहत फुसफुसाया। रोहहत पे जहहस्की का हल्का-हल्का शरूु र छा रहा
था।
“हाुँ… हदख रहा है कक तझु े मेरा हुश्न पसदं आया…” नीरा ने हुँसते हुए रोहहत के खड़े लण्ड की तरफ इशारा
ककया। नीरा ने हाथ बढ़ाकर पास की टेबल से जहहस्की की बोतल उठाई और सीधे मुँहु लगाकर दो-तीन घटूुँ पीये।
कफर बोतल िापस रखकर बहुत ही धीरे-धीरे, एक-एक इंच करके अपनी पैंटी नीचे खखसकाने लगी। नीरा की नज़रें
रोहहत के चेहरे पर ही हटकी थीं और उसे रोहहत की आुँखों में हिस साफ-साफ हदख रही थी। नीरा को इतनी
धीरे-धीरे छेड़खानी के साथ पटैंी खखसकाते देखकर रोहहत का मन हुआ कक बबस्तर से लपक के उठकर खदु ही
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नीरा की पटैंी खीचं दे पर िोह खुद पे काबूरखते हुए नीरा को देखता रहा। जब नीरा ने पटैंी चूत से नीचे
खखसकायी तो पटैंी उसकी गीली चूत पे गचपकती हुई हटी।
एक बार जब पटैंी जाुँघों तक आ गयी तो नीरा ने जल्दी उतारकर सुँघू ने के बाद रोहहत की तरफ उछल दी। अब
नीरा का बबल्कुल नगं ा कामकु बदन रोहहत के सामने था। नीरा लसफफ लाल रंग के हाई हील सडैंल पहने हुए
बबल्कुल नगं ी ककसी अपसरा से कम नहीं लग रही थी। रोहहत ने भी नीरा की पटैंी पकड़कर अपने चेहरे पे दबा
ली। नीरा ने मश्ुकुराते हुए कफर से जहहस्की की बोतल उठायी और बबस्तर पर आ गयी। िोह सीधे बोतल से ही
पीती हुई रोहहत का लण्ड पकड़कर सहलाने लगी।
“मैडम… तमु तो बहुत बड़ी वपयक्कड़ लगती हो।…” रोहहत अपना खाली ग्लास ककनारे रखता हुआ बोला।
“मैंआज खूब मज़ा लेना चाहती हूुँ। खूब मदहोश होकर चुदाई का आनन्द लुँगू ी…” नीरा बोली और कफर एक घटूुँ
पीकर रोहहत का लण्ड अपने मुँहु में ले ललया। रोहहत का लण्ड चूसते हुए नीरा जोर-जोर से अपना लसर ऊपर-
नीचे करने लगी और परूा कमरा नीरा के मुँहु से तनकलती चूसनेऔर सड़ुकने की अिाज़ों से भर गया। रोहहत
जल्दी ही लससकारी लेते हुए अपने चूतड़ ऊपर उठाकर नीरा के मुँहु में झड़ने लगा और नीरा ने भी जल्दी-जल्दी
उसका सारा िीयफ पी ललया।
“मम्म्म्म्मम् … अब तरेा उतािलापन कुछ कम हुआ कक नहीं…” नीरा मश्ुकुराते हुए अपने होंठ चाटने लगी।
“िाह… मडैम तमु तो बबल्कुल रंडी की तरह लण्ड चूसती हो…”
नीरा को रोहहत की यह हटप्पणी काफी उत्तेजक लगी। िोह होटल के कमरे में नशे में मदहोश, बबस्तर पे लसफफ
अपने सैंडल पहने अपने नगं े स्टूडेंट के साथ थी जजसका लण्ड चूसकर उसने अभी-अभी िीयफ वपया था और अभी
तो उसे बहुत कुछ करना था। नीरा हिल्लो को अपने बारे में यह बात पता लग गयी थी कक उसे चुदाई बहुत
प्यारी थी और जब भी उसे चुदिाने का मौका लमलेग िोह छोड़गे ी नहीं। नीरा के चेहरे पे बहुत ही कुहटल भाि आ
गये। रोहहत के ऊपर चढ़कर नीरा उसके लसर के पास अपने टाुँगें फैलाकर बठै गयी और अपनी चूत रोहहत के
मुँहु पे रख दी।
जब नीरा को रोहहत की जीभ अपनी चूत पे महससू हुई तो िोह रोहहत के मुँहु पे अपनी चूत आग-ेपीछे करके
झूलने लगी। अपनी चूत चटिाती हुई भी नीरा बोतल मुँहु से लगाकर शराब पी रही थी और अब िोह काफी नशे
में मदहोश थी। नीरा को उम्मीद नहीं थी कक िोह भी रोहहत की तरह इतनी जल्दी झड़ने लगेगी। नीरा जोर-जोर
से अपनी चूत रोहहत के चहे रे पे रगड़ने लगी और कापुँ ती हुई झड़ गयी।
जैसे ही नीरा के जजश्म के धधकते शोले ठंडे पड़ने लगे तो रोहहत के ऊपर से हटकर नीरा घमू कर उसकी बगल
में लेट गयी। उसे नशे में मदहोश देखकर रोहहत ने नीरा के हाथ से आधी भरी बोतल लेकर पलंग के ककनारे
ज़मीन पे रख दी। कफर नीरा के ऊपर झुक कर रोहहत उसकेी चगूचयों से खेलते हुए उन्हें मसलने लगा और बीच-
बीच में कभी नीरा के तनप्पल अपनी अगुँ लुलयों से मरोड़ देता। नीरा के तनपल सख्त बनकर सीधे खड़े हो गये तो
रोहहत अपने मुँहु, होंठ और जीभ से अपनी टीचर की चूगचयां और तनप्पलों को चमू ने-चाटने लगा। नीरा जोर-जोर
से लससकाररयां लेती हुए कालेज के इस यिु ा कड़के के शरीर पे जहाुँभी हाथ पहुुँच रहे थ, े मसलने लगी। कभी
उसकी पीठ या बाुँहें होती तो कभी रोहहत की गाण्ड पकड़कर उसके चूतड़ सहलाती और कभी रोहहत के लौड़ेको
पकड़कर रग्ड़ने और तनचोड़ने लगती।
जब रोहहत का लण्ड नीरा के हाथ में था तो रोहहत उसके ऊपर ही लेट गया। नीरा ने अपनी टाुँगें फै लाकर रोहहत
का लण्ड अपनी चूत पे रख हदया और रोहहत ने भी बबना देर ककए धक्का मारकर लण्ड नीरा की चूत में पले
हदया। चुदाई चालूहुई तो दोनों के चूतड़ एक स्िर में चलने लगे। और उनकी घमासान चुदाई तब तक चलती
रही जब तक दोनों झड़ नहीं गये।
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“ओह, रोहहत, िादा कर कक तूकभी मझु े चोदना बुँद नहीं करेगा…” नीरा प्यार से रोहहत का लण्ड पचु कारती हुई
बोली।
“हमारे पास और ककतना समय है?” रोहहत ने पछू ा।
“आज परूा हदन और परूी रात…” रोहहत को अगचम्भत देखकर नीरा आगे बोली- “मेरे हसबडैं बाहर गये हैं। तझु े
रात को रुकने में कोई हदक्कत तो नहीं?
“मैंतो होस्टल में रहता हूुँ। मझु े क्या हदक्कत हो सकती है…” रोहहत बोला।
दोनों कफर से गचपट गयेऔर जब रोहहत का लण्ड खड़ा हुआ तो उन्होंने कफर से चुदाई की। बाद में नीरा ने
अपनी चूत-रस और रोहहत के िीयफ के लमश्रण से भीगे रोहहत के लण्ड को अपने मुँहु में लेकर चूसा। उसे इसका
स्िाद बहुत अच्छा लगा और उसे ऐसा एहसास हुआ कक िोह उसका सत्कार कर रही हो। साथ ही एक और
कारण भी था - चूसने से रोहहत का लण्ड दोबारा खड़ा हो जाता था। इस तरह, सोने से पहले दोनों ने पाुँच बार
चुदाई की।
अगले हदन सबुह जब रोहहत की आुँख खुली तो उसने अपनी टीचर को अपना लण्ड चूसते पाया। नीरा अभी भी
केिल हाई हील सडैंल पहने हुए बबल्कुल नगं ी थी। जब रोहहत के साथ-साथ उसका लौड़ा भी जाग गया तो नीरा
ने उसके ऊपर चढ़कर उसका लण्ड अपनी चूत में घसु ेड़ ललया और अपने झड़ने तक उसके खम्बे जैसे लण्ड पे
ऊपर-नीचे उछलती हुई अपने चूत चुदिाती रही। कफर रोहहत के ऊपर से हटकर नीरा ने उसका लण्ड अपने महुँु
में भर ललया। नीरा के अभ्यस्त मुँहु और जीभ ने जल्दी ही रोहहत के लण्ड को स्खललत कर हदया और उसका
सारा िीयफ गटक गयी।
िो दोनों बाथरूम में जाकर शािर के नीचे एक दसू रे को नहलाने लगे। नहाना खतम करने के पहले नीरा दीिार
के सहारे झकु कर अपनी गाण्ड बाहर तनकालकर खड़ी हो गयी। रोहहत ने पीछे से अपना लण्ड नीरा की चतू में
घसु ेड़ हदया और धीरे-धीरे चोदने लगा जजसने बाद में धुुँआ-धार चुदाई का रूप ले ललया। नीरा इस चुदाई के
दौरान दो बार झड़ी और उसके बाद रोहहत भी स्खललत हो गया। उसके बाद दोनों ने आपस में मस्ती करते हुए
नहाना ज़ारी रखा, पर यह नहाना कम और आपस में खखलिाड़ ज्यादा था। जब पानी ठंडा होने लगा तो दोनों
स्कूल के बच्चों की तरह हुँसते हुए शािर से तनकलकर गीले बदन ही होटल के फशफ पे पानी की धार टपकाते हुए
बाथरूम से बाहर भागे।
दोनों बबस्तर पे कूद के एक दसू रे से ललपटते-गचपकते चूमा-चाटी करने लगे और जल्द ही रोहहत का लण्ड एक
बार कफर उसकी टीचर की चूत में जड़ तक घसु ा हुआ था। उन्होंने उस हदन की आखखरी चदुाई की और कफर एक
बार जल्दी से नहाने के बाद तैयार हो गए। दोनों का ही होटल से जाने का मन नहीं था पर अन्त में दोनों
अपने-अपने घर चले गए।
नीरा इन हदनों बहुत ही खशु और उत्साहहत थी। उसने पहले जैसे ही कालेज में अपनी कामकु हरकतों से लड़कों
को तड़पाना जारी रखा और रोहहत से जब भी मौका लमलता खूब चुदिाती। नीरा को एक हदन अपने पतत के
साथ एक फामफ-हाऊस पे पाटी में जाना पड़ा। नीरा का मडू तो नहीं था पर पतत और पतत के बबज़नेस-ररलेशंस
की िजह से जाने को तैयार हो गयी।
यह पाटी भी बाकी पाहटयों जैसी ही थी। िही पीना-वपलाना और लोगों का छोटे-छोटे झुँुड बनाकर चचाफयें करना।
नीरा ने उस हदन बहुत ही सेक्सी पाटी गाऊन पहना हुआ था जजसमें उसके कुँधे बबल्कुल नगं े थे। नीरा पहले तो
अलग-थलग खड़ी डरकं पीती रही पर जल्दी ही लोगों में घलु -लमल गयी और उसे थोड़ा अच्छा भी लगने लगा।
अपनी आदत से मजबरू नीरा का अपने डरक्ं स पे कोई तनयत्रं ण नहीं था और िोह काफी नशे में थी। ऐसी पाहटफयों
में लोगों का नशे में धत्तु होना अनगुचत नहीं समझा जाता था। नीरा अपना चौथा पगै पकड़े दीिार से हटक कर
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खड़ी हुई थी और चार-पाुँच औरतों के साथ उनकी गपशप सनु रही थी कक तभी उसे विक्रम हदखायी हदया। िोह
कमरे के दसू री तरफ एक दम्पतत से बातें कर रहा था।
जब तक विक्रम अकेला नहीं हुआ तब तक नशे में होने के बािजूद नीरा उसपर बाज़ की तरह अपनी नज़र रखे
रही क्योंकी पाटी में भीड़ बहुत थी और नीरा उसे खोना नहीं चाहती थी। विक्रम को अकेला पाकर नीरा नशे के
कारण अपने हाई हील सडैंलों में लगभग लड़खड़ाती हुई उसके पास गयी और पीछे से विक्रम के कुँधे पे थपथपा
के बोली- “हाय… पहचाना मझु ?” े
विक्रम ने घमू के अपने पीछे खड़ी खूबसरूत औरत का आकलन ककया जजसकी मदहोश आखुँ ों से साफ ज़ाहहर हो
रहा था कक िोह नशे में थी। नीरा को भी विक्रम के चेहरे की भािों से लगा कक िोह उसे याद करने की कोलशश
कर रहा है और कफर विक्रम की आुँखें एकदम बड़ी हो गयीं।
“ओह, आप हैं?” विक्रम ककसी थप्पड़ या िसै ी कुछ आशा करता हुआ बोला। नीरा के चेहरे से पता नहीं लग रहा
था कक िोह गस्ुसे में थी या अच्छे मडू में थी।
“हाुँ मैं… क्या कुछ देर के ललए बाहर बगीचे में आओग? े यहाुँबहुत भीड़ है…” नीरा कह के चल पड़ी।
विक्रम बबल्कुल सन्न था पर उसे लगा कक अगर यह औरत उसकी वपछली िारदात को लेकर उसे फटकारना
चाहती हैतो बाहर बगीचा काफी उप्यक्ुत था क्योंकी एक तो बाहर अधुँ ेरा था और दसू रे बाहर कोई था भी नहीं।
विक्रम ने घरू के नीरा की हाई हील सडैंल के कारण मटकती गाण्ड देखी तो िो थोड़ा घबड़ता हुआ नीरा के पीछे
चल पड़ा। बाहर आकर उसे अचानक नीरा कहीं नहीं हदखी पर कफर उसने नीरा को दरू खड़े अपनी तरफ हाथ
हहलाते हुए देखा। िोह लोगों की नज़रों से दरू हरे-भरे लान में नीरा के पास जाकर खड़ा हो गया।
“देखखये, मैं उस हदन के ललए आपसे माफी…” विक्रम ने बोलना शरूु ककया पर उसे धक्का सा लगा जब नीरा ने
उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़कर अपने होंठ उसके होंठों पे रख हदये। नीरा की इस अक्समात हरकत से
विक्रम कुछ क्षणों के ललए जम सा गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कक हो क्या रहा हैपर जब नीरा ने
अपनी जीभ उसके होंठों की बीच में गड़ायी तो विक्रम ने अपने होंठ खोलकर नीरा की जीभ अपने मुँहु में घसु ने
दी और कफर दोनों एक दसू रे के मुँहु में ककस करने लगे।
विक्रम को समझ में नहीं आ रहा था कक अपने हाथों का क्या करे। िोह नीरा को अपनी बाुँहों में पकड़ना चाहता
था पर उसे डर था कक कहीं वपछली बार की तरह भाग ना जाए। उसने अपने हाथ अपनी साईड पे ही रखे जब
तक कक नीरा ने खुद उसकी बाुँहों को खींचकर अपनी गाण्ड के इदफ-गगदफ नहीं लपेटा। विक्रम ने नीरा के गाऊन के
ऊपर से ही उसकी नमफ-मलु ायम गाण्ड को दबाया। िोह अभी भी अतनजश्चत सा था पर कफर नीरा के हाथों ने भी
बढ़कर विक्रम की गाण्ड दबोच ली।
उन दोनों के होंठ अभी भी एक दसू रे से गचपके हुए थेऔर दोनों इतने जोश से चमू रहे थे कक उन दोनों की
ठोडड़यां उनके थूक के लमश्रण से भीग गयी थीं। नीरा बहुत उत्तेजजत थी और उसकी अगुँ लुलयां पागलों की तरह
विक्रम की बल्े ट टटोल रही थीं। विक्रम की अगुँ लुलयां भी नीरा का गाऊन पीछे से धीरे-धीरे अपने मट्ुहठयों में
भरते हुए ऊपर खीचं रही थीं। जब नीरा के गाऊन का तनचला ककनारा उसके हाथ में आ गया तो विक्रम ने रसे
को एक हाथ में ऊपर पकड़ ललया और दसू रा हाथ नीरा की गाण्ड पे रख हदया। नीरा चूमते हुए विक्रम के महुँु में
ही लससकने लगी।
नीरा ने विक्रम की पटैं खोलकर नीची गगरने के ललए छोड़ दी। पटैं जब विक्रम की माुँसल जाुँघों में फुँसने लगी
तो विक्रम ने अपनी टाुँगें झटका कर पैंट अपने पैरों तक गगरा दी। नीरा ने विक्रम के अंडरिीयर में हाथ डालकर
उसका लण्ड पकड़ ललया और विक्रम भी नीरा की पैंटी में हाथ डालकर उसके नगं े चूतड़ मसलने लगा। तब कहीं
जाकर उन्होंने चूमना बुँद ककया।
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“मैंकुछ समझ नहीं पा रहा हूुँ…” विक्रम हाुँफता हुआ बोला।
“इसमें समझने का क्या है? वपछली बार मैंबेिकूफ थी जो ऐसा मौका छोड़कर भाग गयी और आज मैंअपनी
भलू सधु ारना चाहती हूुँ…” नीरा अपने घटुनों के बल नीचे बठै गयी और विक्रम का अडं रिीयर झटक के उसकी
जाुँघों तक खींचकर उसका लण्ड अपने मुँहु में भर ललया।
विक्रम अपने मेज़बान के लान में अुँधेरे में खड़ा था और एक शादी-शदुा औरत उसका लण्ड चूस रही थी। विक्रम
को दरू से लोगों की आिाजें सनु ायी दे रही थीं पर उसका ध्यान अपना लौड़ा चूसती नीरा के मुँहु से तनकल रही
सड़ुकने की आिाजों पर था। नीरा ने अपने मुँहु से लण्ड तनकाला और इस अजनबी विक्रम को जजसे उसने
वपछली बार दत्ुकार हदया था, उसकी आुँखों में ऊपर देखती हुई अपनी मट्ुठी उसके भीगे हुए लण्ड पे ऊपर-नीचे
चलाने लगी। विक्रम विजश्मत सा नीरा को ताक रहा था जो अपने चेहरे पे लण्ड रगड़ते और लण्ड को नीचे से
छोर तक चाट रही थी। जब नीरा को अपनी हथेली में लण्ड की गचकनाहट कम होती महससू होती तो िोह कफर
अपने मुँहु में डालकर चूसने लगती।
विक्रम के तने हुए सख्त लण्ड को रात की ठंडी हिा में धड़कता हुआ छोड़कर नीरा अचानक बोली- “अब मैं
तमु से चुदिाना चाहती हूुँ। अब चोदो मझु े अपने लौड़े से…”
विक्रम झुकते हुए उसे धक्का देकर िहीं ललटाने िाला था पर नीरा ने उसे रोक हदया- “नहीं… मझु े अपनी रसे पे
घास के धब्बे नहीं लगिाने…”
विक्रम यह सनु कर हक्का-बक्का रह गया। उसका लण्ड इतना सख्त होकर फुफकार रहा था और इस औरत को
अपने कपड़े गंदे हो जाने की कफक्र हो रही थी। नीरा ने खड़ी होकर विक्रम का हाथ पकड़ा और मकान के साईड
की तरफ चलने लगी। विक्रम ने जल्दी से अपनी पटैं घटुनों के ऊपर खींची और अतनजश्चत सा अपनी पटैं पकड़े
हुए नीरा के पीछे चल पड़ा।
जब िोह दोनों उस मकान के पीछे नीरा की पसदं के स्थान पर पहुुँचे तो नीरा ने अपनी रसे ठीक से उतारकर
तह करके एक तरफ रख दी। चाुँदनी रात में अब नीरा लसफफ पैंटी और हाई हील के सैंडल पहने ककसी संगमरमर
की मतू ी लग रही थी। नीरा ने कफर अपनी पैंटी नीचे खींची और लात मारकर उसे घास पे फें क हदया। विक्रम को
कफर अपने नज़दीक खींचकर नीरा ने कूदते हुए अपने टागें विक्रम की कमर पेऔर अपनी बाुँहें उसकी गदफन में
लपेट दीं।
विक्रम अचानक चौंक गया और यन्त्रित उसने नीरा की गाण्ड पकड़कर ऊपर ऊठा ललया और दोनों को गगरने से
बचाया। विक्रम की पैंट एक बार कफर उसके पैरों के इदफ-गगदफ गगर गयी और उसका तना हुआ लौड़ा लचक कर
नीरा की चूत के खुले छेद से सट गया। विक्रम कोई मखु फ तो था नहीं। उसने अपने हाथ से अपना लौड़ा पकड़कर
नीरा की गीली चूत में िकेल हदया।
“हाुँ… उम्म्म…” विक्रम के लौड़े पे नीचे धुँसती हुई नीरा लससकी, मझु े यह पहले ही कर लेना चाहहए था।
“तो कफर ककया क्यों नहीं?” नीरा को अपने लण्ड पे ऊपर-नीचे उछलने में मदद करते हुए विक्रम ने पछू ा।
“मैंबहुत बड़ी बेिकूफ थी। शायद… पर अब मझु े अकल आ गयी है…” नीरा अपनी चूत को उसके लण्ड पर
लसकोड़ कर हुँसते हुए बोली।
उसके बाद दोनों ने कोई बात नहीं की। नीरा ने उसके लण्ड को अपनी चूत में चोदने के ललए जजतना हो सका
उतनी जोर से विक्रम को कस के जकड़ ललया। इस तरह चुदिाना सवुिधाजनक नहीं था पर यह तरीका कुछ
अलग था और दरू से लोगों के हुँसने और बोलने की आिाजें नीरा को और भी उत्तेजजत कर रही थीं। विक्रम भी
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नीरा की गाण्ड पकड़े हुए जजतना हो सकता था उतनी जोर से अपना लण्ड नीरा की चूत में ऊपर पेल रहा था।
इसी तरह दोनों चुदाई करते रहे।
और कफर नीरा ने थरथराते हुए अपनी चूत का रस छोड़कर विक्रम के लण्ड को लभगो हदया। विक्रम नीरा के
सम्भल जाने तक थोड़ा रूका और कफर नीरा की कमर पीछे दीिार पे हटकाकर जोर-जोर से अपना लण्ड नीरा की
चूत में अदं र-बाहर ठेलने लगा और जल्दी ही अपने लण्ड का रस नीरा की चूत-रस में लमला हदया। दोनों हाुँफते
हुए एक दसू रे को जकड़े हुए उसी तरह पाुँच लमनट तक रूके रहे।
जब विक्रम का लण्ड िीला पड़ने लगा और उसकी उत्तेजना कम हो गयी तो नीरा भी उसे भारी प्रतीत होने लगी।
नीरा की चूत में से अपना लण्ड बाहर तनकालते हुए विक्रम ने नीरा को धीरे से नीचे उतारा। जब नीरा के परै
घास पर पड़े तो नीरा ने अपनी पकड़ छोड़ दी और दोनों अलग हो गये। नीरा ने अपनी पटैंी िूुँढ़कर पहनी और
कफर अपना गाऊन सीधा करके पहना। अधुँ ेरे में भी उसे कुछ सलिटें हदख रही थीं पर उसने कुछ कफक्र नहीं की।
नीरा विक्रम के होंठों पे एक चुम्मा देकर जल्दी से घर के अदं र िापस चली गयी और अधुँ ेरे में अकेला खड़ा
विक्रम अगचम्भत सा उसे देखता रहा।
नीरा सीधी बाथरूम में गयी। कफर से अपनी पैंटी उतारकर उसने अपने गाऊन का अगला छोर ऊठाकर अपने
ठोड़ी के नीचे दबाया और एक तौललया गगला करके अपनी िीयफ से भरी चूत और टाुँगें साफ कीं और कफर िोह
तौललया मलै े कपड़ों की टोकरी में डाल हदया। नीरा को यह सोचकर हुँसी आ गयी कक जब िोह कपड़े धुलेंगेतो
ककसी को इस बात का पता नहीं होगा की उसकी दसू रे मदफ के साथ चदुाई का सबतू भी धुल रहा है। जब नीरा
को लगा कक अब िोह पाटी में जाने योग्य हदख रही है तो िोह बाहर तनकली।
नीरा के पती ने जब उसे देखा तो उसके पास आकर प्यार से बोला- “डाललिंग… कहाुँथी तमु इतनी देर?”
नीरा ने उसके होंठों पे ककस करते हुए बताया कक िोह और लोगों के साथ घलु लमल रही थी और उसके पतत को
बबल्कुल शक नहीं हुआ। अपनी पतत को चूमते हुए नीरा को हुँसी-जनक लगा क्योंकी नीरा के यही होंठ थोड़ी देर
पहली ककसी दसू रे मदफ के लण्ड पे ललपटे हुए थे। पर जो बात उसके पतत को नहीं मालमू , िोह बात उसे चोट
नहीं पहुुँचा सकती। कम से कम नीरा ने तो खुद को यही दलील दी।
उसे अपने पतत के अलिा औरों से चुदाई का आनन्द लमल रहा था और आगे भी गरै-मदों से चुदिाते रहने का
नीरा का इरादा था। अगर उसका पतत उसकी चूत की दहकती आग नहीं बझु ा सकता तो दसू रे बझु ायगें े। और अब
तक उसे अपना एक स्टूडेंट लमल गया था जो खुशी से नीरा की सब शाररररक जरूरतें परूी कर रहा था और अब
उसे एक और अजनबी लमल गया था।
***** *****03 सेक्सी स्कूल टीचर - तीसरा और अंततम भाग
नीरा हिल्लो की जज़ंदगी में कफर से बहारें थीं। हालांकक उसके पतत में कुछ भी सधु ार नहीं हुआ था और चुदाई के
प्रती िो पहले जैसा ही उदासीन था पर नीरा को अब दसू रों से चदुाई का मज़ा लमल रहा था। नीरा का स्टूडटें ,
रोहहत, उसकी चूत की आग बझु ाने में परूी तरह से समथफ था और नीरा को चोदने के ललए हमेशा तत्पर रहता
था। साथ ही, पाटी में विक्रम से चुदिाने के बाद नीरा ने विक्रम का पता और फोन नबं र भी खोज तनकाला था।
पाटी के बाद से दोनों अनेक बार लमले थे। पाटी में मजे बान के घर के वपछिाड़े में चुदाई हालांकक उत्तेजक थी पर
पकड़े जाने के डर के बबना खुलकर परूी तरह नगं े होकर परूे जोश में चुदिाने में कहीं ज्यादा मज़ा था। नीरा हफ्ते
में कई-कई बार अपने पतत को धोखा देकर रोहहत और विक्रम से चुदिाने लगी और चदुाई कक आितृत को कम
करने का नीरा का कोई इरादा नहीं था।
एक हदन नीरा और रोहहत होटल के कमरे में जोरदार चुदाई के दौर के बाद बबल्कुल नगं े लेटे हुए थे। उन दोनों
की चुदाई हमेशा िासना और हिस से भरपरू होती थी। उसमें प्रेम का कोई स्थान नहीं था। दोनों इस बात को
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समझते थेऔर इसी में खशु भी थे। नीरा ने उठकर जहहस्की का पगै बनाते हुए पछू ा- “रोहहत, उस हदन क्लास
में पीछे से मेरी गाण्ड पकड़कर दबोचने के ललए तनू े इतनी हहम्मत कैसे जुटायी थी?”
“कब? जब हमने क्लास में पहली बार चुदाई की थी?” रोहहत ने पछू ा।
“नहीं।… उससे पहले… मेरा ख्याल है कक जजस हदन हमने पहली बार चुदाई की थी, उससे एक हदन पहले क्लास
में से बाहर तनकलते हुए तनू े यह हरकत की थी…”
रोहहत हदमाग पे जोर डालकर याद करने की कोलशश करने लगा- “मझु े तो याद नहीं पड़ता कक मनैं े ऐसा कभी
ककया था…”
अब चौंकने की बारी नीरा की थी। नीरा को उस हदन की घटना याद आने लगी। जब सब क्षात्र क्लास से बाहर
तनकल रहे थे तो ककसी ने नीरा की गाण्ड पे हाथ रखकर दबोच हदया था और उसी क्षण नीरा जब घमू कर पीछे
पल्टी थी तो उसे बहुत सारे लड़के क्लास से बाहर तनकलते हुए हदखायी पड़े थे। अगले हदन दोर्षी लड़के को
पकड़ने के ललए नीरा ने बहुत तनलज्जफ होकर अपना अगं -प्रदशनफ करते हुए बहुत ही कामकु हरकतें की थीं और
उसके बाद रोहहत ने नीरा का लगभग बलात्कार ही कर डाला था। नीरा यह सब याद करके मश्ुकुराने लगी।
रोहहत उस हदन काफी जोश और जजद्द में था और कफर नीरा भी जल्दी ही स्िछे ा से चुदाई में शालमल हो गयी
थी। उस पहली चुदाई की घटना के बाद नीरा ने मान ललया था कक रोहहत िोह लड़का था जजसने उसकी गाण्ड
दबोची थी।
“रोहहत… क्या और लड़के भी मेरे बारे में बातें करते हैं?” नीरा ने अपना डरकं पीते हुए धीमे से पछू ा।
“हाुँ… बहुत बातें होती हैं। आखखर तमु सबसेगरम और सेक्सी टीचर हो कालेज में और कफर हमेशा क्लास में
अपनी कामकु हरकतों सेऔर कुछ ना कुछ हदखाकर लड़कों को तड़पाती रहती हो…”
“कुछ ना कुछ हदखाने से तरेा क्या मतलब है?”
“तमु जानती हो… टाुँगें, चूगचयां, पैंटी िगैरह…”
यह सनु कर नीरा के मखु ड़ेपर लाली आ गयी। यह सब हरकतें करना एक बात थी पर अपने स्टूडेंट से अपनी
हरकतों का इतना स्पष्ट िणनफ सनु ना एक अलग बात थी।
“तो क्या बातें करते हैं लड़के मेरे बारे में?” नीरा ने आगे पछू ा।
“तम्ुहारे नाम की, हर रोज पता है ककतनी मठु मारी जाती है। सब तम्ुहें चोदने का सपना देखते ह…” ैं
“क्या िोह सच में ऐसा कहते हैं?”
“और नहीं तो क्या? बहुत से लड़के बोलते ह…” ैं
“तनू े ककसी को हमारे बारे में बताया तो नहीं ना?” नीरा थोड़ी सी गच ंततत हो गयी।
“क्या बात करती हो मैडम… इतना तो मैंभी समझता हूुँ…”
नीरा ने आगे झुक कर बड़े प्यार से रोहहत के होंठ चूम, “ े थैंक्स” नीरा बोली- “मझु े बता… क्या कोई विशेर्ष लड़का
है जो खासतौर से ऐसा प्रतीत होत हो कक… उम्म… कैसे कहूुँ?”
“जो कक तम्ुहारी चूत में अपना लण्ड पेलने को उतािला हो?” रोहहत बोलकर धीरे से हुँसा- “खैर, ऐसे लड़कों की
कमी नहीं हैजो तम्ुहें चोदने के ललए उतािले हैं। हाुँ… अभी-अभी मझु े ख्याल आया। तनतशे चौहान ने एक बार
तम्ुहारी गाण्ड सहलाने की डींग हाुँकी थी पर ककसी ने भी उसकी बात पर विश्िास नहीं ककया था। हो सकता है
िही हो…”
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नीरा बड़ी उतािली होकर अगले हदन का इंतज़ार करने लगी, खासकरके उस क्लास का जजसमें तनतेश चौहान था
और िोह क्लास शाम की आखखरी क्लास थी। नीरा ने घरू के उस लड़के को सीट पे बठैे देखा जो कक नीरा की
शकं ा से बबल्कुल बखे बर था। उस क्लास के दौरान नीरा की कामकु छेड़छाड़ तनतशे की तरफ ही लक्षक्षत थी।
तनतशे को उसकी कुसी पे कसमसाते देखकर नीरा को काफी खुशी हुई। तनतशे को बार-बार अपनी ककताब अपनी
गोद में रखनी पड़ रही थी। नीरा को उसके खड़े लण्ड का उभार हदख रहा था और नीरा उसे अपनी कामकु
हरकतों से और ज्यादा भड़का कर िहीं पटैं में स्खललत होते देखना चाहती थी पर नीरा ने खुद को रोके रखा।
हदन की िोह आखखरी क्लास जब खतम हुई और सब उठकर बाहर जाने लगे।
तो नीरा ने तनतशे को पकु ारा- “तनतेश चौहान, तमु ज़रा रुकोगे कुछ देर यहाुँ?” तनतशे घबड़ाकर चौंकते हुए धीरे
से पलटा और डरते हुए अपनी टीचर की तरफ अपने कदम बढ़ाये।
नीरा अपने डस्े क पे बठै ी उसे घरू रही थी। तनतशे का हदल जोर-जोर से धड़कने लगा।
“येस… मैडम?” तनतशे ने डरते हुए कहा।
“बैठो ज़रा यहाुँ…” नीरा सबसे आगे की पजं क्त की कुसी की तरफ इशारा करते हुए बोली।
तनतेश डेस्क के पीछे कुसी पे बठै गया और सोचने लगा कक उसने ऐसा क्या ककया हैजो टीचर ने उसे क्लास के
बाद रूकने को बोला। उसने अपने हदमाग पे बहुत जोर डाला पर पर उसे कोई कारण नहीं सझू ा। िोह गहरी सोच
में डूबा था जब उसे अपनी टीचर की आिाज सनु ायी दी। उसने नज़रें ऊपर उठायीं तो देखा कक बाकी सब क्लास
से बाहर जा चकुे हैं।
“मैंतमु से बात करना चाह रही थी…” नीरा ने बोलना शरूु ककया- “कई हदन हो गये इस बात को पर मझु े मौका
ही नहीं लमला। तम्ुहें नहीं लगता कक ककसी की अनमु तत के बबना उसे छूना गलत है?”
तनतेश के चेहरे के भािों से नीरा को विश्िास हो गया कक तनतेश ही िोह लड़का है जजसने उसकी गाण्ड सहलायी
थी। तनतशे को बहुत सोचना पड़ा कक िोह क्या जिाब दे और कफर िोह बोला- “आप बबल्कुल ठीक कह रही ह।ैं
हिल्लो मैडम…”
“तो कफर तमु ने ऐसा क्यों ककया?”
“मैंने? मैं… उह… मैंऐसा नहीं करूुँगा। आपसे ककसने कहा कक मैंने कभी ऐसा ककया?”
“तनतेश चौहान… तम्ुहें क्या लगता है कक मैंअधुँ ी हूुँ? या मैंबेिकूफ हूुँ? मनैं े उस हदन तम्ुहें क्लास के अतं में
मझु े छूते हुए देख ललया था। तमु क्या सोचते हो कक तमु ऐसी हरकत करके बच जाओगे। और मझु े पता नहीं
चलेगा? या मैंने नहीं देखा कक मेरे चतू ड़ ककसने सहलाये?”
उस यिु ा स्टूडेंट को अब पसीना आ गया। तनतशे ने एक बार अपनी टीचर से नज़रें लमलायीं और कफर झुका लीं।
उसे ककसी कोने में तघरे हुए जानिर जैसा महससू हो रहा था और उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कक िोह
क्या करे। तनतेश को लगा था कक ककसी को पता नहीं चलेगा पर अब िोह पकड़ा गया था और उसे विश्िास था
की अब उसे जरूर कालेज से तनकाल हदया जायेगा। िोह सोच रहा था कक ककसी दसू रे कालेज में भी उसे दाखखला
लमलेगा या नहीं जब नीरा ने आगे बोलना शरूु ककया।
“तो तनतेश चौहान… तम्ुहें अपनी सफाई में क्या कहना है?”
“हिल्लो मैडम, आई एम सारी… मेरा िोह मतलब नहीं था…”
“तम्ुहारा मतलब है कक तम्ुहारे हाथ ने सयं ोग से चतू ड़ पकड़ ललय?” े नीरा ने हयंग से ताना मारा।
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“नहीं… मनैं े आपको छूना चाहा था पर ऐसा सहज ही हो गया। मझु े नहीं पता कक मेरे हदमाग में अचानक ऐसा
करने का ख्याल कै से आ गया था। मझु े नहीं पता कक मनैं े ऐसा क्यों ककया। प्लीज़ मझु े माफ कर दीजजए। मैं
िादा करता हूुँ कक ऐसी गस्ुताखी कफर नहीं होगी…” बेचारा तनतशे लगभग रोने िाला था। िो स्िभाि से थोड़ा दब्बू
था।
“नहीं… यह काफी नहीं है…” नीरा कठोरता से बोली।
“पर मैडम… अब मैंक्या करूुँ? मैं कफर से ऐसा ना करने का िादा करता हूुँ…” तनतशे की आुँखों में आुँसूआ गये।
“तमु कह रहे हो कक कफर ऐसा नहीं करोग…” े नीरा बोली।
“हाुँ मैडम… मैंिादा करता हूुँ कक कफर ऐसा नहीं होगा…”
“लेककन यही तो मैंसनु ना नहीं चाहती…” तनतेश नज़रें ऊपर उठाकर अपनी टीचर की बात समझने की कोलशश
करने लगा। िोह काफी परेशान और चकराया हुआ था।
“मैंठीक से समझाती हूुँ, तनतेश…” नीरा ने बोलते हुए रुक कर तनतशे का सफेद पड़ा हुआ चेहरा देखा। नीरा ने
एक-एक शब्द पे जोर देती हुई आगे बोली- “मैं नहीं चाहती… कक तमु मझु से ऐसा िादा… करो…”
तनतशे यह सनु कर और भी दवुिधा में पड़ गया।
“तम्ुहें क्या लगता है कक मझु े तम्ुहारा छूना अच्छा नहीं लगा?”
“पर मैं समझा नहीं। मैडम…”
“आज क्लास में मेरी पटैंी देखना तम्ुहें अच्छा लगा?”
“यह क्या कह रही हैं, मैडम। आप?”
“आज मेरी पैंटी कौन से रंग की है? अब यह िोंग मत करना कक तमु ने कुछ देखा नही…” ं
“हरी… मेरा ख्याल है कक िोह हरे रंग की है…” तनतशे बोला। उसका लसर झुका हुआ था और िोह अपनी टीचर से
नज़रें नहीं लमला पा रहा था।
“क्यों? मेरे ऊुँचे कुरते में से मेरी टाुँगों के बीच में झाकुँ ना अच्छा लगा?”
“मैडम… िोह ऐसा था कक…”
“क्या? कै सा था? यही ना कक मेरी टांगें फैली हुई थी? ं तम्ुहें क्या लगता है कक मरेी टाुँगें क्यों फैली हुई थी?”
“जरूर इत्तेफाक से ऐसा हुआ होगा…”
“नहीं… यह कोई इत्तेफाक नहीं था…”
यह सनु कर तनतशे का झुका लसर एकदम ऊपर उठ गया। उसके चेहरे पर दवुिधा और हैरानी थी और उसका मुँहु
खुला हुआ था।
“हाुँमैंसही कह रही हूुँ। मनैंे तम्ुहारे ललए ही अपनी टाुँगें फैलायी थीं। तम्ुहें अपनी पारदशी महीन सलिार में से
अपनी हरी पैंटी की झलक हदखाने के ललए…”
“लेककन क्यों?” तनतशे ने हैरानी से पछू ा।
“तम्ुहारे लण्ड को खड़ा करने के ललए। हाुँमनैं े तम्ुहारे लण्ड को सख्त होते देखा था। तो अब तमु समझ सकते
हो कक मझु े तम्ुहारा कफर से ना छूने का िादा क्यों स्िीकार नहीं है…”
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तनतेश ने अविश्िास से अपनी टीचर की तरफ देखा।
तनतशे ने उसकी बात तो सनु ी पर उसके कानों को विश्िास नहीं हुआ। ऐसा तो ममु ककन ही नहीं था। तब तक
नहीं जब तक नीरा अपनी डेस्क से उतरकर तनतेश की तरफ जाने लगी। नीरा ने अपनी एक टाुँग उठाकर तनतेश
की डस्े क के ऊपर से झुलायी और उस लकड़ी के डस्े क पर बठै गयी। कफर अपनी जाुँघें फैलाते हुए नीरा ने अपने
पैर उठाकर तनतेश के एक-एक कुँधे पर हटका हदए। तनतशे ने जब नीरा की फैली टाुँगों के बीच में उसकी झीनी
सलिार में से उसकी हरी पैंटी देखी तो िोह सन्न रह गया। नीरा ने तनतेश का ध्यान आकवर्षफत करने के ललए
उसके सीने के ऊपर अपने सैंडलों की ऊुँ ची नोकीली हील गड़ा दी।
“मैंतो यहाुँसे देख नहीं पा रही हूुँ…” नीरा बोली- “तमु देखकर बताओ कक क्या तमु ने पटैंी का रंग ठीक बताया
था?”
“हाुँ हाुँ…”
“हुम्म्म्म… तो तमु उसे उतारकर मझु े क्यों नहीं हदखात…” े
तनतेश को देखकर ऐसा लग रहा था कक उसकी साुँसें रुकने िाली हैं और उसे हदल का दौरा पड़ने िाला है।
लेककन उसके काुँपते हाथ नीरा की जाुँघों को छूते हुए नीरा की कमर तक पहुुँच गये। उसने नीरा की सलिार का
नाड़ा खोला और पैंटी का इलाजस्टक पकड़कर दोनों को एक साथ नीचे खींचा। नीरा ने उसकी मदद करने के ललए
अपनी गाण्ड उचकायी तो उसके सैंडलों की ऊुँ ची हील और भी ज्यादा तनतेश के सीने में गड़ गयीं। पर तनतेश को
इस समय ककसी पीड़ा की परिाह नहीं थी। तनतशे ने सलिार और पटैंी अपनी टीचर के घटुनों तक खींच दी।
कफर नीरा ने बारी-बारी से अपन परै उसके कुँधों से हटाये और तनतशे ने सलिार और पटैंी उसके परैों सी झटक
कर खीचं दी। नीरा की चमचमाती नगं ी चूत अब बबल्कुल तनतशे की आखुँ ों के सामने थी।
नीरा ने जब देखा कक उसका स्टूडेंट उसकी गरम पटैंी अपने चेहरे पर पकड़े हुए हैतो िोह बोली- “अच्छी लगी
खुशब? ू सीधे खशु बूके श्रोत से ही क्यों नहीं सुँघू त?” े
तनतेश ने एक बार अपनी टीचर के चेहरे की तरफ देखा और कफर उसकी टाुँगों के बीच में। िोह थोड़ा सा
खझझका, और कफर एक बार नीरा के चेहरे पे नज़र डालकर आगे झकु ने लगा।
“इतनी जल्दी नहीं… चूत की खुशबूसे पहले ज़रा मेरे परैों और टाुँगों की खुशबूऔर स्िाद तो ले लो…” नीरा ने
अपना एक परै तनतशे के कुँधे से हटाकर अपने सैंडल का तला तनतेश के चेहरे पर रख हदया।
तनतशे अपनी जीभ नीरा के सडैंल के तले पर कफराने लगा और कफर उसके सडैंल की हील अपने मुँहु में लके र
चूसने लगा।
“मम्म्म…” नीरा आतनन्दत होकर लससकारने लगी और कफर अपना दसू रा परै भी तनतशे के चेहरे के सामने कर
हदया। तनतशे की जीभ परूे उत्साह से सडैंल के स्रैपों और नीरा के परैों की अगुँ लुलयों के बीच में नाचने लगी।
तनतेश को सैंडलों की मादक महक और नीरा के पैरों के पसीने का तीक्ष्ण स्िाद बहुत अच्छा लग रहा था। नीरा
ने धीरे-धीरे अपने परै तनतशे के चेहरे से हटाकर कफर से तनतशे के कुँधों पर हटका हदए और तनतशे की जीभ अब
नीरा की टाुँगों को चूमत-ेचाटतेआगे बढ़ने लगी। तनतशे की सहूललयत के ललए नीरा ने भी थोड़ा आगे की और
उचक कर अपने परै तनतशे की कुसी की पीठ पे रख हदए। नीरा की चूत पे अपना मुँहु रखने के पहले से ही
तनतशे को अपनी टीचर की चूत की नशीली महक आने लगी।
“ओह… हाुँ… चाटो इसे… शमाफओ नहीं…चाटो मेरी चूत…” नीरा मस्ती से कुनकुनाई।
तनतेश जो अभी तक थोड़ा हहचक रहा था, उसनेआगे झुक कर अपने हाथ डस्े क पर सरका कर अपनी टीचर की
नगं ी गाण्ड पकड़ ली। कुछ हदन पहले जब उसने नीरा की गाण्ड को उसकी सलिार के ऊपर से कुछ क्षणों के
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ललए सहलाया था तो उसे लगा था कक उसने ककतना बड़ा तीर मार ललया। लेककन अब उसकी अगुँ लुलयां अपनी
टीचर के नगं े चूतड़ों में धुँसी हुई थी और उसका मुँहु अपनी टीचर की चूत पे था। उसने कई बार नीरा की
कल्पना करके मठु मारी थी पर यह अनभु ि उन कल्पनाओं से कहीं ज्यादा बेहतर था।
जब नीरा ने तनतशे का लसर पकड़कर अपनी चूत पे उसका मुँहु दबाया तो तनतशे फटाफट नीरा की जक्लट चाटने
लगा। नीरा मस्ती में जोर से लससकने लगी और उसने अपना घटुना मोड़कर अपनी दाुँयी टाुँग अपने स्टूडटें की
पीठ पर लपटे ली। डस्े क पे मजबतू ी से हटके अपने हाथों और तनतशे की पीठ पर ललपटी अपनी टाुँग के सहारे
िोह अपने चूतड़ उचकाने लगी। तनतशे अपनी टीचर की ललसललसाती लाल चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को
चूत में गहराई तक घसु ा रहा था।
“ओहहहह… तनतेश… चाट मरेी चूत हरामजादे… मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद…” हिस में हदिानी होती नीरा ने
कराहते हुए कहा। नीरा की चूत में जबरदस्त सलै ाब उठ रहा था।
तनतशे ने अपनी टीचर की तनलज्फ ज चीख सनु ी तो िो दगु नु ी रफ्तार से चूत चाटने लगा।
“हाुँ… हाुँ… चाट इसे… अपनी कुततया टीचर की चूत… मैं… मैं… आआआहहहह…” अपने स्टूडेंट के चेहरे पे अपनी चूत
को जोर-जोर से उचकाती हुई नीरा कराहते हुए झड़ने लगी और उसकी चूत ने तनतशे के मुँहु को गमफ मलाईदार
ररसाि से लबालब कर हदया।
शाुँत होने के बाद नीरा ने अपनी दाुँयी टाुँग धीरे से तनतेश की पीठ और कं धे से उठायी और उचक कर डेस्क के
दोनों ककनारे अपनी टाुँगें लटका कर सीधी बैठ गयी। कफर िोह डेस्क से नीचे उतरी और तनतेश की साईड पे
घटुनों के बल बठै गयी और तनतशे की कुसी को हल्के से अपनी तरफ घमु ाया। िोह तनतशे की पटैं खोलने ही
िाली थी कक नीरा को उसके पैंट पे गहरे रंग का गीला धब्बा हदखायी हदया।
“ओह… हाय रे… तझु से इतना भी रुका नहीं गया?” नीरा बोली।
तनतशे का चेहरा शलमदिं गी से सखु फ हो गया- “मैडम… आप परेशान ना हों… मैंजानता हूुँ कक क्या करना है…”
नीरा ने अपने स्टूडेंट की पटैं खोलकर खीचं ी और तनतशे ने थोड़ा सा ऊपर उठकर नीरा को पटैं उतारने में मदद
की। कुछ ही क्षणों में तनतशे की पटैं और िीयफ से भीगा अडं रिीयर उसके परैों के पास थे। नीरा ने उसका लण्ड
देखा जो अभी भी काफी कठोर था पर उसके ललसललसे िीयफ से चुपड़ा हुआ था। नीरा ने आगे झकु कर अपने
होंठ उसके लण्ड के इदफ-गगदफ लपेट हदए। जब उसने अपनी टीचर को िीयफ से चुपड़ा लण्ड अपने मुँहु में डालते
देखा तो तनतेश की आुँखें फै ल गयीं।
नीरा को तनतशे का िीयफ से ललसललसा लण्ड मुँहु में लने े में कोई आपवत्त नहीं थी और उसे तनतश के िीयफ का े
स्िाद पसंद आया। तनतेश का इस तरह अपने पैंट में स्खललत हो जाना नीरा को काफी प्यारा लगा। नीरा को
एहसास हुआ कक उसके सब क्षात्र उम्र में काफी छोटे ह।ैं जजन्होंने अभी-अभी जिानी की दहलीज़ पर कदम रखा
है। जब तनतशे का लण्ड नीरा के मुँहु में जाते ही बबल्कुल सख्त हो गया तो नीरा को लण्ड मुँहु में ललये हुए ही
हल्की सी हुँसी आ गयी। इन छोटी उम्र के यिुकों में यही एक अच्छी बात थी कक झड़ने के बाद भी इनके लण्ड
फटफट कफर से खड़े हो जाते हैं।
नीरा उसके लण्ड को चूसते हुए उसपर ललपटे िीयफ को चाटकर साफ करने के ललए अपनी जीभ का ज्यादा ही
इस्तमाल कर रही थी। तनतशे का लण्ड चूसते हुए नीरा बीच-बीच में अपनी नज़रें उठाकर अपने स्टूडेंट के चेहरे
की तरफ देख लेती थी। ज्यादातर तो उसे तनतशे की आुँखें बुँद ही लमलीं पर कई बार उसने देखा कक तनतशे
अपनी टीचर को लण्ड चूसते देखने के ललए अपनी आखुँ ें खोलने को बाध्य हो रहा था। नीरा जानती थी कक यह
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तनतेश के ललए विशेर्ष रोमांच की बात थी, विशर्षे करके इसललए कक िोह दोनों क्लासरूम में मौजदू थेऔर िोह
क्लास में कुसी पे बठै ा था और उसकी टीचर उसके सामने अपने घटुनों के बल बठै ी उसका लण्ड चूस रही थी।
नीरा से रहा नहीं गया और िोह जोर-जोर से अपना लसर हहलाकर तनतशे का लण्ड चूसने लगी। नीरा का इरादा
तो तनतशे का लण्ड चूसकर सख्त बनाने के बाद उससे चुदिाने का था पर इससे पहले कक िोह कुछ जान पाती,
तनतशे की अगुँ लुलयां नीरा के बालों में उलझ गयीं और िोह अपने चूतड़ ऊपर उचकाने लगा। नीरा इस तरह
अपने मुँहु में लण्ड पेले जाने के ललए तयै ार नहीं थी और तनतशे का लण्ड अचानक अपने गले में ठेले जाने से
नीरा की साुँस काई बार उखड़ी और कफर उसे अपनेगले में और जीभ पर िीयफ फूट कर गगरता महससू हुआ।
तनतशे के स्खललत होने सेनीरा को तनराशा हुई पर कफर भी स्िेच्छा से तनतशे के गाढ़े िीयफ की आखखरी बदुँू तक
तनचोड़ के चटखारे लेकर पी गयी।
“आई एम सारी… मैडम…” तनतेश बोला- “मैंखदु को रोक ही नहीं पाया। मझु े पहले ही आपको सािधान कर देना
चाहहए था…”
“कोई बात नहीं। मझु े बरुा नहीं लगा। बस बात यह है कक…”
“मैंजानता हूुँ। कभी भी मह के अंदर नहीं झड़ना चाहहए ुँु …”
“नहीं… नहीं… िोह बात बबल्कुल भी नहीं है। तमु कभी भी मेरे मुँहु में अपना िीयफ झड़ सकते हो। मझु े तो अच्छा
ही लगता है। िोह तो बात बस इतनी सी है कक… मनैं े सोचा था हम चुदाई करेंग… े नहीं… बस िो तमु दो बार
झड़ चुके हो और…” नीरा ने बोलते हुए जब अपना मतलब जताने के ललए अपने नज़रें तनतशे के लण्ड की तरफ
झुकायीं तो उसका लण्ड देखकर िोह हैरान रह गयी।
“ओह माय गाड… तेरा लण्ड तो अभी भी खंबे जैसा खड़ा है…”
“िो काफी सख्त है…” तनतशे थोड़ा सा सकं ोच करते हुए बोला- “विशेर्षकर जब से आप इस कालेज में टीचर बन
के आयी हैं…”
“माय गाड… इससे पहले कक ये मरुझा जाये। जल्दी से अपना लौड़ा मेरी चूत में पले दे…”
नीरा फटाफट तनतेश का लण्ड पकड़कर खड़ी हो गयी और तनतेश को लण्ड से खींचकर खड़ा करने की चेष्टा की
लेककन अगले ही क्षण उसे अपनी इस पागलपन का एहसास हुआ। नीरा तो कामोत्तेजना से उन्मत्त हो रही थी
और उसने तनतेश की कलाई पकड़कर उसे खड़ा ककया। लेककन जब नीरा ने तनतेश को खींचा तो िोह अपने पैरों
पे पड़ी पटैं में उलझ कर लढ़ुक कर गगर गया। नीरा की नज़र तरुंत तनतशे के लौड़े पे गयी, यह देखने के ललए
कक कहीं िोह मरुझा तो नहीं गया लेककन उसके लण्ड को गिफ से सीधे खड़े देखकर उसे राहत लमली। नीरा ने
नीचे बठै कर तनतशे के जूते झटक कर उतारे और उसकी पटैं और अडं रिीयर खीचं कर उसके परैों से तनकाल हदए।
नीरा ने कफर उसे खीचं कर खड़ा ककया और अपने बड़े डस्े क की तरफ बढ़ गयी। कफर नीरा ने अपना कुताफ अपनी
कमर के ऊपर तक खींचा और डस्े क पे झुक कर अपनी गाण्ड मटकाने लगी।
“आ जा… जल्दी से पेल दे अपना लौड़ा मेरी प्यासी चतू में…” नीरा ने अनरुोध ककया।
तनतशे अपनी टीचर के पीछे आकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसकी चूत पे मारने लगा। नीरा को साफ
ज़ाहहर था कक इस कच्ची उम्र के लड़के को चुदाई का कुछ अनभु ि नहीं था। नीरा ने अपनी टाुँगों के बीच में से
हाथ पीछे लेजाकर उसके लण्ड को पकड़ा और अपनी गलु ाबी रसीली चूत के मुँहु पे सटाया। तनतशे ने झटपट
आगे की तरफ धक्का हदया और परूा लण्ड नीरा की चतू में धुँसा हदया।
तनतशे जब आगे पीछे होकर अपना लण्ड नीरा की चतू में अंदर-बाहर ठाुँसने लगा तो नीरा ने अपना हाथ आगे
लेजाकर अपनी हथेललयां डेस्क पर कस के जमा दीं- “ओह गाड… हाुँ… चोद मझु … े मेरी चूत के चीथड़े कर दे…
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मादरचोद… चोद अपनी टीचर को… फक मी…” नीरा चीखने लगी। अपनी टीचर की िासना भरी चीखें सनु कर
तनतेश और भी उतािला हो गया और अपनी टीचर को और भी जोश से चोदने लगा।
नीरा को क्लास-रूम में अपने स्टूडेंट से चुदिाना बहुत मादक लग रहा था। िोह जानती थी कक जजस तरह िोह
क्लास में अपनी कामकु अदाओं से लड़कों को छेड़ती थी िोह अनगुचत था पर इस तरह चुदिाना तो बबल्कुल ही
अशोचनीय था। अपनी चूत में एक नये स्टूडेंट के बलशाली लण्ड के हथौड़ों जैसे प्राहरों से और इस चुदाई की
अनतैतकता के एहसास ने नीरा को आनन्द की चरम सीमा पर पहुुँचा हदया।
“हाुँ तनतेश साले… ओहहह… मैं झड़ी… ऊुँ हहह… चोद डाल साले… आआहहह…” नीरा की आुँखों के सामने चरमानन्द
की धुुँधलाहट छाने लगी। तनतशे के लण्ड पे अपनी चतू को लसकोड़ते हुए और कराहते हुए नीरा झड़ने लगी।
तनतशे ने अपनी टीचर की पीठ पर झुक कर उसकी चगूं चयां पकड़ लीं और उसकी चूत में आगे पीछे अपना लण्ड
पेलते हुए उसकी चूंगचयां मसलने लगा। नीरा ने डस्े क पर रखे अपने हाथों पे अपना माथा हटकाया हुआ था और
झड़ने के बाद भी अपनी चतू में तनतशे के लण्ड के धक्कों के कारण चरम-आनंद का एहसास ज्यादा देर तक
जारी रहा और उसकी चूत अभी भी रह-रहकर फड़क रही थी। कफर तनतेश ने उसके दोनों मम्मे कसकर पकड़
ललए और अपना परूा लण्ड नीरा की चूत में ठाुँस कर जस्थर हो गया। नीरा समझ गयी और उसने अपनी चूत की
दीिारों को तनतशे के लण्ड पे कस के जकड़ ललया और कुछ ही क्षणों में नीरा को अपने स्टूडेंट का गरमा-गरम
िीयफ अपनी चूत में छूटता महससू हुआ।
जब तनतेश के लण्ड से िीयफ झड़ना बदं हुआ तो उसके हाथ भी नीरा की चूंगचयां छोड़कर आगे डस्े क पर गगर गये
और जब झड़ने के बाद का कामानंद उसके बदन में छाने लगा तो तनतेश बीच-बीच में अपने चूतड़ों को झटकने
लगा। कफर नीरा को अपनी पीठ पर तनतशे के िहने के कारण उसका िजन महससू हुआ। तनतशे बबल्कुल जस्थर
था और नीरा के कान के पास हाुँफ रहा था। नीरा अपनी चूत को तब तक तनतशे के लण्ड पे लसकोड़-लसकोड़ कर
उसे तनचोड़ती रही जब तक कक तनतशे का लण्ड िीला पड़कर चूत से बाहर नहीं कफसल गया। कफर नीरा ने धैय
पिूफ कफ तनतशे के सम्भलने का इंतज़ार ककया।
“िाह… हिल्लो मैडम… गजब का मज़ा आया…” तनतशे सीधे खड़ा होता हुआ बोला- “मैंने सोचा भी नहीं था की
चोदने में इतना आनंद आयेगा…”
नीरा सीधी होकर पीछे घमू ी और कफर अपनी पीठ डस्े क पे हटकाकर तनतशे की तरफ देखकर अविश्िास से बोली-
“तरेा मतलब है कक तनू े अब से पहले कभी चदुाई नहीं की थी?” कफर जब उसने तनतेश का चेहरा लाल होता
देखा तो जल्दी से आगे बोली- “इसमें शलमदिं ा होने की कोई बात नहीं। मझु े तो फख्र है कक मैंतरेे लण्ड से चुदने
िाली पहली हूुँ। उम्म… क्या तरेा लण्ड चूसने िाली भी मैंपहली औरत हूुँ?” जब तनतेश ने लसर हहलाया तो नीरा
बोली- “हाय… काश मझु े पता होता तो मैंखास अच्छे से तरेा लण्ड चूसती…”
“आपने बहुत अच्छी तरह से ही मेरा लण्ड चूसा था मडैम। मैंतो परूी जज़दं गी िो आनदं नहीं भलू पाऊुँगा…”
नीरा ने आगे बढ़कर तनतशे का गाल चूमा और मश्ुकुराती हुई बोली- “थकैं यूतनतशे … यह मेरे ललए भी बड़ी बात
है। मझु े खुशी है कक तम्ुहें चुदाई का मज़ा देने िाली मैंपहली औरत हूुँऔर यह मैंहमेशा याद रखूगुँ ी…”
नीरा ने तनतशे को कपड़े पहनने को कहा और खदु भी अपनी सलिार उठाकर पहनने लगी। जब तनतशे ने अपने
कपड़े पहन ललए तो नीरा ने अपनी पैंटी उठाकर तनतेश को पकड़ा दी- “यह तरेी पहली चुदाई की यादगार के
ललए…” नीरा मश्ुकुराते हुए बोली- “अब तझु े यहाुँसे तनकलना चाहहए…”
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तनतशे खुशी से मश्ुकुराता हुआ क्लास-रूम से तनकल गया। नीरा डेस्क पे बैठकर अपना सामान समेटने लगी।
दरिाजा खुलने की आिाज सनु कर नीरा ने घमू ते हुए सोचा कक तनतशे शायद कुछ भलू गया होगा लेककन एक
दसरे टीचर को क्लास में दाखखल होते देखकर िोह सन्न रह गयी। ू
“आलोक जी… आप इस समय यहाुँ क्या कर रहे हैं?” नीरा ने सहज होते हुए प्रोफेसर आलोक बत्रपाठी से पछू ा।
“िसै े तो मैंकुछ देर पहले भी आया था। पर नीरा जी आप… उम्म… कुछ हयस्त थी…” ं
“क्या? ओह माय गाड… तो आपने सब देखा?” नीरा का हदमाग जोर से दौड़ने लगा। नीरा को याद आया कक
तनतशे को फुसलाने के ललए उसने सब क्षात्रों के बाहर जाने के बाद दरिाजा बदं तो ककया था पर िोह गचटकनी
लगाना भलू गयी थी।
“हाुँ… िास्ति में दो बार… पहली बार आप अपने घटुनों पे थी… ं अगर आप मेरा अलभप्राय समझ रही हैं तो… और
दसू री बार आप क्लास-रूम में आगे अपने डेस्क के पास थीं…”
“तो अब आप क्या कायिाफही करेंगे?” नीरा ने बहुत डरते हुए पछू ा। नीरा को अपनी परूी जज़दं गी… अपने शादी…
अपनी नौकरी… अपनी इज़्ज़त… खाक में लमलती नज़र आ रही थी।
“मैंक्या करूुँगा? मैंभी चोदुँगू ा तम्ुहें…”
“क्या? लेककन आप तो शादी-शदुा ह…” ैं
“िाह… यह तो िही बात हुई कक कोयला कढ़ाई को काला कहे…”
यह सनु कर नीरा को एहसास हुआ कक उसने ककतनी बेतकु ी बात कही थी।
“लेककन पहले मैंअपना लण्ड तमु से चुसिाऊुँगा…” प्रोफे सर आलोक बत्रपाठी ने ठीक से दरिाजा बंद करके गचटकनी
लगायी और नीरा के पास आकर खड़े हो गये।
नीरा के सामने आकर आलोक ने नीरा की कमीज़ उसके बदन से तनकाली तो नीरा ने कोई विरोध नहीं हदखाया
और जब आलोक ने उसकी ब्रा के हुक खोले तो नीरा ने खुद ही अपने कुँधे झटक कर ब्रा नीचे गगरा दी। नीरा
की दोनों चूंगचयों को एक साथ मसलते हुए आलोक उसके तनप्पल मरोड़ने लगा। नीरा के तनप्पल तरुंत कड़क हो
गये। आलोक आगे झुक कर नीरा की एक चूची को महुँु में लेकर चूसते हुए अपने जीभ उसके कड़क तनपल पर
कफराने लगा। नीरा ने अपनी आुँखें बंद करके आलोक के लसर के पीछे हाथ रखकर उसे पकड़ ललया और आलोक
की जीभ के स्पशफ से उत्तेजजत होने लगी।
जब आलोक पीछे हटा तो नीरा ने देखा कक िोह अपनी शटफ और अडं रिीयर में खड़ा था। जब िोह नीरा की चूची
चूसने में हयस्त था तब उसने अपने पटैं खोलकर अपने परैों पे गगरा दी थी। आलोक ने पीछे हटकर अपने जूते
तनकाले और कफर अपनी पैंट में से एक-एक करके अपने पैर बाहर तनकाले। नीरा की आुँखें आलोक की टाुँगों के
बीच में जमी थीं। आलोक का लण्ड तो सख्त नहीं लग रहा था लेककन उसके अंडरिीयर में उभार काफी बड़ा था।
कफर जब आलोक ने अपना अडं रिीयर नीचे ककया तो नीरा ने जोर से साुँस ली। आलोक का लण्ड बहुत ही बड़ा
था। जैसे ही आलोक ने अपनी टाुँगों से अंडरिीयर तनकाला, नीरा झट से अपने घटुनों पे बठै गयी।
“अभी नहीं… पहले अपनी सलिार तनकालो…” आलोक बोला।
नीरा ने बबना हहचककचाये जल्दी से अपनी सलिार उतारकर ककनारे फें क दी। अब उसने लसफफ सफे द रंग के हाई
हील सडैंल पहने हुए थे और इन सडैंलों के अलािा बबल्कुल नगं ी थी। नीरा कफर से घटुनों पे बठै कर आलोक का
लण्ड अपने हाथों में पकड़कर उसकी लंबाई का अुँदाज़ा लगाने लगी।
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“िीली अिस्था में 8” इंच का है…” आलोक ने कहा जैसे उसने नीरा का मानस पढ़ ललया हो- “लेककन मैं िादा
करता हूुँ कक सख्त बन जाने पर यह ज्यादा बड़ा हो जायेगा। हे हे हे… कभी ललया है ग्यारह इंच का लौड़ा अपनी
चूत में?”
“ग्यारह इंच? माय गाड… मेरी चूत में नहीं समायेगा य…” े
“इस बात की गच ंता मत करो। आराम से समायेगा…”
बातें करते हुए नीरा अपने सहकमी का लण्ड सहला रही थी। िोह उसके हाथ में बड़ा तो हुआ लकेकन उतना नहीं
जजतना आलोक डींग हाकुँ रहा था। पर पाररभावर्षक रूप से िोह अभी परूी तरह खड़ा नहीं हुआ था। नीरा ने
अपनी कजरारी आखुँ ों को मटकाकर आलोक की तरफ ऊपर देखा और अपने होठों पे जीभ कफराते हुए नीरा ने
आगे झुक कर अपना मुँहु खोला और लण्ड के सपु ाड़ेको मुँहु में भर ललया। अपने होंठों को लण्ड के इदफ-गगदफ
कसकर िोह उसे चूसन-ेचाटने लगी।
नीरा की खुशककस्मती से लण्ड उसके मुँहु में और फूल गया। नीरा को पीछे हटना पड़ा जब बढ़ता लण्ड उसके
हलक में घसु ने लगा। जब नीरा ने लण्ड अपने मुँहु से बाहर तनकालकर देखा तो िो बबल्कुल कठोर हो गया था
और बहुत विशाल बन गया था। नीरा को इसमें अब बबल्कुल शक नहीं था कक लण्ड का माप इस समय कम-से-
कम ग्यारह इंच था। नीरा ने आलोक का लौड़ा अपनी दोनों मठ्ु हठयों में ऐसे पकड़ ललया जैसे कक कक्रकेट का बटै
पकड़ा जाता हैऔर कफर भी मुँहु में लेने जजतना लण्ड बाकी था। अपनी मठ्ु हठयों में लण्ड को मरोड़ती,
खखसकाती और तनचोड़ती हुई नीरा उसे मुँहु में लेकर परूे जोश और क्षमता से चूसने लगी। नीरा को विश्िास ही
नहीं हो रहा था कक उसका मुँहु लण्ड से इतना भरा हुआ था और िोह कल्पना करने लगी कक इतना बड़ा लण्ड
चूत में कैसा मज़ा देगा।
उस चूत में जजसमें कभी भी इतना बड़ा कुछ नहीं गया। यह सोचकर नीरा के परूे बदन में उत्तेजना से लसरहन
दौड़ गयी। इतने बड़े लण्ड से चुदिाने के बाद तो गधे के लण्ड से चदुिाना भी मजुश्कल नहीं था। आलोक के हाथ
जब नीरा को उस विशाल लण्ड से दरू हटाते महससू हुए तो िोह परूी शजक्त से अपने होंठ उसपर जकड़ने लगी।
नीरा ने आलोक के लण्ड पे नीचे से अपनी मठ्ु हठयां कस दीं और अपने होंठों में उस विशाल लौड़े को जकड़
ललया। लेककन अपने मदफ-सहकमी की ताकत का िोह मकु ाबला नहीं कर सकी जजसने जल्दी ही अपने लण्ड से
नीरा का मुँहु हटा हदया और नीरा की बगलों में अपने हाथ डालकर उसे उठाने लगा। अगले क्षण नीरा डेस्क पर
बठै ी हुई थी पर अभी भी आलोक का विशाल लौड़ा अपने दोनों हाथों में पकड़े हुए थी।
“मनैं े तो लसफफ तम्ुहें उधार हदया था। रखने के ललये थोड़ा ही हदया था…” आलोक हुँसते हुए बोला।
“क्या?”
“मेरा लौड़ा… अब तो इसे छोड़ दो…”
नीरा ने उसका लौड़ा छोड़ हदया और आलोक ने उसके पैर पकड़कर उसकी टाुँगें ऊपर उठायीं और उन्हें खोलकर
नीरा की चूत ताकने लगा- “हुम्म्म… अगली बार तम्ुहारी ये चूत जरूर चूसुँगू ा। पर अभी तो यह रस टपका रही
है। ककसी दसू रे के िीयफ से भरी चूत में अपना लण्ड पले ने में मझु े कोई हदक्कत नहीं पर उसमें मैंअपनी जीभ
नहीं पेल सकता…”
आलोक ने नीरा की टाुँगें और ऊपर उठाकर अपने कुँधों पे डाल दीं। नीरा डस्े क पे पीछे की तरफ गगरी तो उसने
अपनी कोहनी और हाथ डस्े क पे हटकाकर खुद को सहारा हदया। नीरा ने अपनी फैली हुई टाुँगों के बीच में से
अपनी चूत में घसु ने को तयै ार उस विशाल मसू ल पर नज़र डाली। जब आलोक ने अपना लौड़ा नीरा की चूत के
द्िार पे रखा तो नीरा ने अपने साुँस रोक ली। िोह उत्तेजजत होने के साथ-साथ घबड़ायी हुई भी थी। नीरा को
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अपनी चूत पे दबाि महससू हुआ तो िो लालसा से उस दबाि के श्रोत की तरफ ताकने लगी। आलोक अपना
लण्ड पकड़कर नीरा के ररसती चूत में घसु ेड़ने लगा।
नीरा उसके राक्षसी लौड़ेको अपनी चूत में चीरते हुए धुँसते देखने लगी। इतने मोटे और विशाल लण्ड को अदं र
समायोजजत करने के ललए अपनी चूत के सखु फ होंठों को फैलते हुए देखकर नीरा बहुत उत्तेजजत होने लगी। लेककन
जब सपु ाड़े से थोड़ा ज्यादा लण्ड उसके चूत में घसु ा तो लसफफ उस दृश्य से ही नीरा की आह तनकल गयी। बजल्क
लण्ड बहुत ही बड़ा महससू हो रहा था और चूत की दीिारों पे बहुत दबाि डाल रहा था। और कफर थोड़ा और
लण्ड नीरा की चूत में समा गया… कफर और ज्यादा… कफर थोड़ा और ज्यादा… नीरा साुँस नहीं ले पा रही थी और
आखखर में उसने अपनी आुँखें बंद करके अपना तनचला होंठ काट ललया।
“कै सा लग रहा है अब?” आलोक ने नीरा के कान में फुसफुसा कर कहा।
नीरा ने अपनी आुँखें खोलीं तो आलोक का चेहरा अपने चेहरे के पास पाया। और कहा- “ये परूा नहीं समायेगा। मैं
नहीं झेल पाऊुँगी। बहुत ही बड़ा हैतम्ुहारा लण्ड…”
“मेरी प्यारी चुदक्कड़ रानी। तनू े परूा ले ललया है। मेरा परूा लण्ड तरेी चूत में हैअब…”
“ओह माय गाड… मझु े विश्िास नहीं हो रहा। इतना विशाल लण्ड मेरी चूत में… ओह माय गाड… ओह माय गाड…
अब क्या?”
“हाहाहाहा… मझु े लगा तरेे जैसी चुदक्कड़ चुदाई में एक्स्पटफ है… हाहाहाहा…” आलोक हुँसा।
“लेककन तम्ुहारा लण्ड इतना बड़ा है। इससे तमु मझु े नहीं चोद सकत…” े
“ना लसफफ मैंइससे चोद सकता हूुँ। बजल्क मैंतम्ुहारी चूत इससे चोदुँगू ा…”
आलोक ने नीरा के जिाब का इंतज़ार नहीं ककया और धीरे से अपना लौड़ा थोड़ा सा बाहर खींच के उतनी ही धीरे
से कफर अंदर ठाुँस हदया। नीरा की आुँखें आलोक के चेहरे पे टीकी थीं पर उसे देख नहीं रही थी क्योंकी नीरा की
सब इंहियां अपनी टाुँगों के बीच में एकागग्रत थीं और उस विशाल मसू ल लण्ड पर केंहित थीं जो उसकी चूत में
घसु कर उन जगहों को स्पशफ कर रहा था जो अभी तक अनछूई थीं।
आलोक ने धीरे-धीरे चोदना चालूककया। हर बार जब िोह अपना लण्ड बाहर खीचं ता तो नीरा- “आआआहहह…”
करती और और हर बार जब िोह अपना लण्ड िापस चूत में अदं र ठाुँसता तो नीरा “ऊऊऊऊहहहह…” करके
कराहती। जल्दी ही नीरा की कराहें “आआआहहह… ऊऊऊहहह… आआआहहहह… ऊऊऊहहह…” से “आआहह… ऊहह…
आआहह… ऊहह…” में बदल गयीं और कफर जैसे-जैसे आलोक और जोर से चोदने लगा, नीरा लसफफ “आुँ… आुँ…
घों… घों…” करके घरुघरुा पा रही थी।
आलोक अब अपना ग्यारह इंच लंबा लण्ड पागलों की तरह जोर-जोर से धक्के मारता हुआ नीरा की चूत में पेल
रहा था। नीरा अपनी टाुँगों के बीच की सनसनी में खोयी हुई थी। उसने ऐसा कभी भी महससू नहीं ककया था
जैसा कक िो अभी महससू कर रही थी। नीरा को इतने बड़े लौड़े से चुदते हुए ख्याल आ रहा था कक ककसी गधे
से चुदने में कैसा लगेगा। नीरा की चूत को इतना फैलाकर चोदने के साथ-साथ िो लंबा-मोटा लौड़ा लगातार नीरा
की जक्लट को भी तघस रहा था। लम्बे लण्ड के जोरदार धक्कों को झेलती हुई नीरा के खुले हुए होठों से मस्ती
भरी कराहटें और गाललयां तनकल रही थीं- “ऐंह… ऐंह… बहनचोद आलोक… चोद मझु … े ककतना मोटा है तेरा लौड़ा…
चोद हरामी…”
इसी तरह तीखे स्िर से चीखती-कराहती नीरा कई बार झड़ी पर आलोक उसे बबना रुके चोदता जा रहा था और
नीरा कफर से कई बार झड़ी। इतनी बार झड़ने के कारण नीरा अब बदहिासी की हालत में थी। ठीक जजस समय
नीरा को लगने लगा कक अगर िो एक बार भी कफर झड़ी तो उसकी जान ही तनकल जायेगी, तभी आलोक के
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तेज़ लंबे धक्के छोटे-छोटे झटकों में पररिततफत हो गये और आलोक ने नीरा की टाुँगें कसकर अपनी बाुँहों में
पकड़ लीं। नीरा ने आलोक का िीयफ अपनी चूत में इतनी िेग से छूट कर बहते हुए महससू ककया कक जज़दं गी में
पहले कभी इतनी ज्यादा ताकत से िीयफ अपनी चूत में तनकलता महससू नहीं ककया था। नीरा को ऐसा लग रहा
था जैसे ककसी ने पानी का पाइप उसकी चूत में घसु ेड़कर परूा नल खोल हदया हो। जब आलोक का गचपगचपा
लण्ड नीरा की चूत से बाहर तनकला तो नीरा ने मुँहु खोलकर साुँस ली और अपने चूत को जकड़कर आलोक के
लण्ड को चूत के अदं र ही रोकने की चष्ेटा की।
जजस लण्ड को अपनी चूत में लेने से नीरा पहले डर रही थी उसी लण्ड से चदुिाने में उसे इतना आनदं और
तजृप्त लमली थी कक िोह इतनी आसानी से छोड़ना नहीं चाहती थी। लकेकन अतं में िोह परूा बाहर तनकल आया
और नीरा की चूत में से िेर सारा िीयफ बाढ़ की तरह बाहर बहने लगा।
नीरा ने जब अपनी आखुँ ें खोलीं तो आलोक को अपनी तरफ देखते हुए मश्ुकुराते पाया। नीरा ने सीधे बठै कर
अपनी बाुँहें आलोक की गदफन में डालकर उसका चेहरा अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ आलोक के होंठों से
दबाकर अपनी जीभ आलोक के मुँहु में घसु ेड़ दी। दोनों तब तक कामक्ुता से ककस करते रहे जब तक आलोक
साुँस लेने के ललए पीछे नहीं हटा।
“तो मैंये समझुँूकक तम्ुहें चुदाई पसदं आयी? आलोक ने पछू ा…”
नीरा ने कुछ जिाब नहीं हदया क्योंकी िोह अभी भी आनदं से कराह रही थी।
“तम्ुहारे पास कोई टीशूपेपर या रूमाल िगरैह है? मैंपटैं पहनने से पहले अपना लण्ड साफ करना चाहता हूुँ…”
नीरा जब अपने डस्े क से कफसलते हुए नीचे उतरी तो उसके चेहरे पर स्िप्नमय भाि थे। लेककन िोह डस्े क से
उतरकर खड़ी नहीं हुई, बजल्क, अपने घटुनों के बल बठकर अपने सहकमी के गचपगचपे लौड़े को लालसा से देखने ै
लगी। नीरा को अपनी चूत में से आलोक का िीयफ बाहर टपकता महससू हो रहा था। नीरा ने सोचा कक इतने बड़े
लण्ड से चुदने के बाद चूत का मुँहु अभी भी खुला ही होगा। कफर उसनेआलोक के नमफ पड़ चुके लण्ड पर िीयफ
गचपका हुआ देखा।
बबना कुछ कहे नीरा अपने अगुँ लुलयां गचपगचपे लण्ड पे कफराने लगी और कफर उसे अपनी अगुँ लुलयों और अगुँ ठूे के
बीच में दबा ललया और उसे अपने होंठों के पास लाकर अपना मुँहु खोल हदया। आलोक को विस्मय में डालते हुए
नीरा ने अपने होंठ उस ललसललसे लण्ड पर कस हदए और चसू ने लगी। आलोक को नीरा की जीभ अपने सपु ाड़े
पर कफरती हुई महससू हुई और कफर नीरा ने बबना सासुँ घटुे जजतनी दरू तक हो सकता था अपने होंठ ज्यादा से
ज्यादा आगे कफसला हदए। जब नीरा को परूा विश्िास हो गया कक उसने लण्ड पे गचपटा सारा िीयफ चाट ललया है,
उसके बाद ही नीरा ने लण्ड अपने मुँहु से बाहर तनकाला।
कफर अगुँ लुलयों में आलोक का लण्ड पकड़कर उस हहस्से को चाटने लगी जो िोह अपने मुँहु में नहीं ले पायी थी।
बाद में उसने आलोक की गोहटयों पर भी अपनी जीभ कफरायी। और नीरा बोली- “हुम्म… अब तो ठीक है कक
अभी भी टीशूपेपर चाहहए?”
आलोक ने अविश्िास से नीरा को ताकते हुए लसफफ अपना लसर हहलाया। उसने अपनी पटैं पहनी और क्लास-रूम
के फशफ पर लसफफ अपने सैंडल पहने बैठी नंगी टीचर की तरफ देखा। आलोक ने नीरा को बाय कहा तो नीरा आुँख
मारकर मश्ुकुरा दी। आलोक के जाने के बाद भी नीरा िसै े ही फशफ पर अपनी जज़दं गी की सबसे धआुुँ धार चुदाई
के बाद की असीम सतं जुष्ट की दीजप्त में बठै ी रही। नीरा ने खुद से िादा ककया कक यह आखखरी बार नहीं था जब
उसने इतने विशाल लौड़े से अपनी चूत चुदिायी थी। नीरा ने अपनी अगुँ लुलयों से अपनी चूत के बाहर और जाुँघों
पे लगा िीयफ पोंछा और अपनी अगुँ लुलयां चाटकर िीयफ का स्िाद ललया। उसने देखा कक काफी सारा िीयफ उसकी
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चूत से टपक कर फशफ पे भी पड़ा था। नीरा को एक गदं ी शरारत सझू ी और िो झकु कर फशफ पे से िीयफ चाटने
लगी।
जज़ंदगी नीरा के ललए अब काफी हसीन हो गयी थी। एक औरत के ललए जो पहले चुदाई के ललए तरसती थी, िोह
अब हफ्ते में कई बार चदुाई का मज़ा ले रही थी। रोहहत जजसके साथ नीरा ने पहली बार हयालभचार ककया था,
अभी भी नीरा को बहुत उत्तेजजत करता था। नीरा इसका कारण नहीं जानती थी। शायद क्योंकी िोह पहला गरै-
मदफ था जजसने उसे चोदा था या शायद इसललए कक िोह नीरा का स्टूडटें था। या कफर इसललए की िोह अपने उम्र
के हहसाब से ज्यादा जोशीला और उत्साही था।
तनतशे के बारे में नीरा का ख्याल अलग था। तनतशे भी उसका स्टूडेंट था पर नीरा उसके जीिन में पहली औरत
थी और इस बात का नीरा पर बहुत प्यारा असर पड़ा था। साथ ही दसू री बात यह थी कक तनतशे काफी शमीला
था और इस कारण चदुाई के समय भी उसका भोलापन बरकरार रहता था। विक्रम तो परूा जिान आदमी था
और चदुाई में काफी अनभु िी था और नीरा को बहुत अच्छे से चोदता था। लकेकन जब भी उसेआलोक से
चुदिाना होता तो उसके मुँहु से ही नहीं बजल्क चूत से भी लार टपकने लगती थी। आलोक का विशाल लण्ड नीरा
की चुदासी चूत ऐसे चोदता था जैसेऔर कोई नहीं चोद सकता था।
इस सबके बाद भी नीरा सतं ष्ुट नहीं थी और चुदाई के नए-नए अनभु ि लेने के ललए लाललयत रहने लगी। एक
हदन होटल में चुदाई के दौर के बाद नीरा ने रोहहत से पछू ा कक क्या िोह और तनतशे आपस में दोस्त हैं।
“दोस्त जैसे ही हैं…”
“क्या मतलब?” नीरा ने पछू ा।
“मैंतनतशे को जानता हूुँऔर कभी-कभार बातें भी होती हैं पर ऐसी कोई गाढ़ी दोस्ती नहीं है…”
“कै सा लड़का है? तझु े अच्छा लगता है?”
“हाुँ… मेरे ख्याल से अच्छा लड़का है…”
“मझु े भी बहुत पसदं है…”
“क्या मतलब है आपका?” रोहहत ने पछू ा।
रोहहत के प्रश्न का जिाब देने से पहले नीरा ने क्षणभर के ललए सोचा कक उसे अपनी योजना पे आगे बढ़ना
चाहहए या नहीं। उसके ककसी भी प्रेमी को दसू रे के बारे में नहीं पता था, लसिाय आलोक के । जजसने नीरा को
तनतेश के साथ देखा था। नीरा ने धीरे से लबं ी साुँस ली और खुद को शाुँत ककया।
“रोहहत, जो कुछ मैंतझु े बताऊुँगी, तूककसी से नहीं कहेगा। प्रालमस?”
“हाुँ… ठीक है…”
“नहीं… मैंसीररयस हूुँ…”
“अरे मैडम… मनैं े कभी भी ककसी को हमारे बारे में नहीं बताया है। ककसी को भी नहीं। तो आप मझु भरोसा कर
सकती हैं…”
नीरा ने आगे झुक कर अपने स्टूडेंट के माथे पे प्यार से चूमा- “थैंक्स… बात यह है कक तनतेश और मैं अक्सर
चुदाई करते ह…” ैं
“क्या कह रही हो? सच में… िाह…”
“तझु े इसमें कुछ हदक्कत तो नहीं है?” नीरा ने गचतंतत होते हुए पछू ा कक कहीं रोहहत के अहम को चोट ना लगे।
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“नहीं… बबल्कुल नही… ं मेरे ख्याल से तो यह बहुत अच्छी बात है। और ककस-ककससे चुदिा रही हैंआप?”
“रोहहत… कभी ककसी औरत से ऐसा सिाल नहीं करना चाहहए…”
“ओह सारी… लेककन आपने ही बात शरूु की तो मनैं े सोचा… आय एम सारी…”
“तरेी बात ठीक है कक मनैं े ही यह बात शरूु की थी लेककन मेरा मतलब अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बात
करना नहीं था…”
“तो कफर क्यों?”
नीरा ने कफर लबं ी साुँस लके र खुद को सयं लमत ककया- “मैं सोच रही थी अगर… उम्म्म… शायद तमु दोनों… मेरा
विचार था कक कदागचत तमु दोनों और मैंएक साथ…”
“िाह क्या ख्याल है… मज़ा आ जायेगा…”
लेककन तनतशे के साथ नीरा का इस बारे में िातालाफप बबल्कुल ही अलग था। तनतशे को यह जानकर काफी
धक्का लगा कक िोह अपनी टीचर का अकेला प्रेमी नहीं हैऔर ककसी दसू रे के सामने अपनी टीचर को चोदने के
ख्याल के बारे में बहुत आशकं कत था। लेककन नीरा जानती थी कक जो कुछ िोह कहेगी, तनतेश इंकार नहीं करेगा
और कफर नीरा ने सब प्रबंध कर हदया।
नीरा ने पहले ही फाईि स्टार होटल में स्पेशल सईूट बकु कर हदया। नीरा को यह सोचकर दष्ुटता भरी
चुलबलु ाहट अनभु ि हुई कक चुदाई के ललए िोह पसै ा खचफ कर रही थी। नीरा उस हदन सबसे पहले होटल पहुुँची
और कफर रोहहत भी मश्ुकुराता हुआ जल्दी ही िहाुँपहुुँच गया। दोनों होटल के लाऊुँज के बार में डरकं पीते हुए
तनतेश का इंतज़ार करने लगे। दस लमनट बीते… कफर बीस लमनट… लेककन तनतशे का कुछ पता नहीं था।
“लगता है तनतेश की फट गयी…” रोहहत ने अपनी बीयर का घटूुँ पीते हुए कहा।
नीरा को काफी तनराशा हुई पर कफर भी दोनों ने थोड़ा और इंतज़ार करने का फैसला ककया। बेचैनी और उत्कंठा
में नीरा तीन पगै पी चुकी थी, जब तनतशे भागते हुए होटल के लाऊुँज में दाखखल होता नज़र आया। रोहहत ने
हाथ हहलाकर उसे इशारा ककया तो िोह हाुँफता हुआ उनके पास आया।
“सारी मेरी बाईक पंक्चर हो गयी थी। इसललए देर हो गयी…”
“क्या लेगा? बीयर?” रोहहत ने पछू ा।
“नहीं… नहीं… यहाुँ नहीं… सईूट में पीने-वपलाने का सब इंतज़ाम है…” नीरा अपना चौथा पगै खतम करती हुई खड़ी
हो गयी और तीनों सईूट की तरफ चल पड़।े नीरा के कदम नशेऔर हाई हील के कारण थोड़े बहक रहे थे पर
िोह बबना सहारे के चल सकती थी। सईूट में आकर उन्होंने दरिाजा बदं ककया और बाहर “डूनाट डडस्टब” फ का
टैग लगा हदया। सईूट बहुत ही आललशान था।
दोनों लड़के खड़े हुए अपनी टीचर के तनदेश की प्रततक्षा करने लगे क्योंकी यह सब नीरा का ही प्लान था। नीरा
भी तनजश्चत नहीं थी कक कैसे शरूु करना है। नीरा ने अपनी बाुँहें बढ़ाकर अपनी हथेललयां दोनों लड़कों के सीने पे
रख दीं और धीरे से उन्हें िके लने लगी। दोनों लड़के पीछे की तरफ चलने लगे और जब दोनों की टाुँगें पीछे
पलगं से टकरायीं तो िोह बठै गयेऔर नीरा पलगं से दरू हट गयी।
नीरा ने एक बीयर की बोतल खोलकर दो ग्लासों में बीयर भरी और हैरान से बैठे अपने क्षात्रों को एक-एक ग्लास
पकड़ाया और कफर पीछे हटकर अपने ब्लाऊज़ के हुक खोलने लगी। दोनों लड़के बीयर पीते हुए चुपचाप बठैे
अपनी टीचर को नगं ी होते देख रहे थे। जल्दी ही नीरा का ब्लाउज़ ज़मीन पर था और नीरा की नगं ी चूंगचयां अब
दोनों लड़कों के सामने थीं। नीरा को ब्रा पहनना पसंद नहीं था और लसफफ कालेज में या कफर जहाुँ जरूरी हो िहीं
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िो ब्रा पहनती थी। कफर नीरा ने अपनी साड़ी और पेटीकोट भी उतार हदया। अब िोह टीचर अपने दो क्षात्रों के
सामने लसफफ पैंटी और मरून रंग के हाई हील सैंडल पहने खड़ी थी और उसकी पैंटी का इलाजस्टक थोड़ा नीचे
खखसका हुआ था।
नीरा दोनों लड़कों की तरफ देखकर कामक्ुता से मश्ुकुरायी और अपनी पैंटी में हाथ डालकर ऊपर-नीचे कफराने
लगी। पटैंी इतनी झीनी थी कक लड़कों को अपनी टीचर की अगुँ लुलयां उसकी गीली चूत पे कफसलती साफ नज़र
आ रही थीं। नीरा को दोनों लड़कों की जींस में ऊभार नज़र आ रहा था और अभी से ही दोनों अपने सख्त लौड़ों
को हयविस्थत कर रहे थे।
नीरा कफर पलंग के पास आयी जहाुँ उसके दोनों क्षात्र बैठे बीयर पी रहे थे। िोह रोहहत के ठीक सामने खड़ी
होकर अपनी पटैंी में हाथ डाले अपनी जक्लट रगड़ते हुए अपने कुल्हे आग-ेपीछे मटकाने लगी। कफर नीरा ने साईड
में होकर तनतेश के सामने भी ऐसा ही ककया। रोहहत ने अपना हाथ बढ़ाया तो नीरा ने उसके हाथ पे चपत
मारकर उसे दरू हटा हदया। नीरा कफर दोनों लड़कों के बीच में खड़ी होकर घमू गयी और कफर अपनी टाुँगें सीधी
रखते हुए कमर से झुक गयी। नीरा ने अपनी टाुँगों के बीच में से अपने पीछे बठैे लड़कों को अपनी छोटी-सी
झीनी पैंटी में िकी गाण्ड को ताकते हुए देखा। नीरा की अगुँ लु ी अब उसकी चूत में अदं र-बाहर हो रही थी और
यह भी लड़कों को हदख रहा था।
“चलो आओ… खींच दो इसे नीचे…” नीरा झकु ी हुई अपनी टाुँगों के बीच में से पीछे देखती हुई बोली।
रोहहत ने पहले हाथ बढ़ाकर अपनी टीचर की पैंटी का इलाजस्टक पकड़ा और उस महीन पटैंी को उसके चूतड़ों के
ऊपर खींच हदया। इलाजस्टक अब नीरा की चूत में घसु ी अगुँ लु ी तक नीचेआ गया था। तनतशे ने भी पटैंी
पकड़कर नीचे खींचने में रोहहत की मदद की। जब पटैंी नीरा के परैों तक आ गयी तो नीरा ने अपनी चूत में से
अगुँ लु ी तनकाली और और दोनों हाथों से अपने चूत फै लायी। दोनों लड़के कफर से पलंग पर पीछे बैठकर अपनी
बीयर खतम करते हुए हक्के-बक्के से अपनी टीचर का कामकु तमाशा देखने लग।े नीरा ने कफर अपनी टाुँगों के
बीच में से अपने हाथ हटायेऔर पीछे लेजाकर अपने चूतड़ पकड़कर उन्हें खीचं ते हुए अपनी गाण्ड खोल दी। िोह
कुछ पल ऐसे ही रही और कफर घटुने सीधे रखते हुए अपनी कमर से झुक गयी और अपनी गाण्ड को फैलाकर
अपने क्षात्रों को अपनी गाण्ड का छोटा सा छेद हदखलाने लगी।
नीरा सीधी होकर पीछे घमू ी और रोहहत के कुँधे पर हाथ का सहारा लेते हुए अपने परैों से अपनी पटैंी तनकाली।
नीरा अब लसफफ हाई हील सडैंल पहने अपने क्षात्रों के सामने खड़ी थी जजन्होंने अभी भी परूे कपड़े पहने हुए थे।
नीरा अपने सडैंल पहने हुए ही बबस्तर पे कूद गयी। तनतशे और रोहहत ने गदफन घमु ाकर अपने पीछे अपनी टीचर
को गद्दे पर उछलते देखा।
“अब तमु दोनों की बारी है…” नीरा साईड टेबल से जहहस्की की बोतल उठाकर उसका िक्कन खोलते हुए बोली
और बोतल से सीधे बोतल पे मुँहु लगाकर जहहस्की के घटूुँ पीने लगी। नीरा को नशे में मदहोश होकर चुदिाना
ज्यादा अच्छा लगता था।
दोनों लड़कों ने खड़े होकर अपने जूते उतारे। तनतशे ने अपनी कमीज़ अपने लसर के ऊपर से खींची और रोहहत
अपनी पटैं उतारने लगा। नीरा एक हाथ से बोतल पकड़ेजहहस्की पीती हुई अपने सामने अपने क्षात्रों को नगं ा होते
देख रही थी और दसू रे हाथ से अपनी जक्लट रगड़ रही थी। कुछ ही पलों में दोनों लड़के नगं े थे लकेकन दोनों
अतनजश्चत थे कक आगे क्या करना है। इसललए दोनों पलंग के साईड पे खड़े हो गये और उनके कड़क लौड़े खड़े
हुए उनकी टीचर नीरा की तरफ इशारा कर रहे थे।
नीरा ने एक बड़ा सा घटूुँ पीकर जहहस्की की बोतल साईड टेबल पर रख दी और पीठ के बल लेटते हुए गद्दे पर
अपनी दोनों तरफ हाथों से थपकी कर इशारा ककया। नीरा अब पयाफप्त नशे में थी। दोनों लड़के जल्दी से नीरा के
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दोनों तरफ आ गये और नीरा उन दोनों के लौड़े पकड़कर सहलाने लगी। रोहहत जो कक स्िभाि से ज्यादा उत्साही
था, उसने झुक कर अपनी टीचर के एक मम्मे को अपने मुँहु में ले ललया। जब नीरा ने आनदं भरी लससकरी ली
तो तनतशे ने भी झुक कर नीरा के दसू रे मम्मे को अपने मुँहु में ले ललया।
नीरा तो जैसे जन्नत में थी। तनतशे अपने लण्ड से उसका हाथ हटाता महससू हुआ तो नीरा को लगा कक शायद
िोह झड़ने िाला है और नीरा ने अपना हाथ हटा ललया क्योंकी िोह तनतेश को शलमिंदा नहीं करना चाहती थी।
लेककन नीरा को बहुत आश्चयफ हुआ जब तनतशे उसकी टाुँगों के बीच में झुक कर उसकी चूत चाटने लगा। रोहहत
ने जब हरकत महससू की तो उसने नीरा के मम्मे से मुँहु हटाया।
उसने पहले तो तनतशे को अपनी टीचर की चूत चाटते देखा कफर रोहहत ने नीरा के चेहरे की तरफ देखा। नीरा
मश्ुकुरायी तो रोहहत ने झुक कर अपने होंठ नीरा के होंठों पे रख हदये और दोनों ककस करने लगे। इसके बाद
रोहहत अपनी टीचर के दोनों तरफ पैर रखकर उसके सीने पर बैठ गया और अपना कठोर लण्ड उसके होंठों पर
दबा हदया। नीरा ने तत्परता से अपना मुँहु खोलकर अपने स्टूडेंट का लण्ड अदं र ले ललया। अब नीरा एक स्टूडेंट
का लण्ड चूस रही थी और दसू रा स्टूडटें उसकी चूत चसू रहा था।
“ओह गाड…” रोहहत चीखा जब उसका उबलता हुआ िीयफ उसकी टीचर के मुँहु में बहने लगा। नीरा इसके ललए
तयै ार नहीं थी। अपनी पीठ के बल लेटे होने के कारण नीरा को िीयफ का पहला फुहारा सीधा अपनी हलक में
घसु ता हुआ महससू हुआ। अपने मुँहु में घसु े लण्ड के इदफ-गगदफ नीरा गोंगगयाई और ठीक से साुँस लेने के ललए
उसने अपना लसर थोड़ा-सा ऊपर उठाया। ठीक उसी समय िीयफ की दसू री धार से उसका मुँहु भर गया। नीरा ने
फुती से सारा िीयफ गटक ललया।
जब झड़ना बंद हो गया तो रोहहत अपनी टीचर के ऊपर से उठा। नीरा की आुँखें तनतेश से लमलीं तो नीरा को
लगा जैसे उसके चेहरे पर यह सोचकर मश्ुकुराहट थी कक झड़ने िाला िोह पहला नहीं था। तनतशे ने नीरा की चूत
चाटना जारी रखा और जल्दी ही नीरा कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुुँचकर जोर-जोर से कराह रही थी। इससे
पहले कक नीरा का कामोन्माद ठंडा पड़ता, तनतशे ने अपने घटुनों के बल बठै कर अपना लण्ड अपनी टीचर की
चूत में पेल हदया। अदं र-बाहर कई धक्के मारने के बाद तनतशे भी झड़ गया और तीनों हाुँफते हुए होटल के सईूट
के बबस्तर पे पड़े थे।
एक संक्षक्षप्त से आराम के बाद नीरा ने बैठकर कफर जहहस्की की बोतल उठाकर कुछ घटूुँ वपये। कफर रोहहत
उठकर नीरा के ऊपर चढ़ गया और धीरे-धीरे अपने लण्ड से उसकी चूत चोदने लगा। नीरा ने जब तनतशे को
अपने चेहरे के पास बलु ाया तो तनतशे बबस्तर से नीचे उतरने लगा। नीरा ने जब अपनी नशे में बोझल आखुँ ों से
तनतेश को नीचे उतरते देखा तो तनतेश ने बताया कक िोह अभी बाथरूम जाकर आ रहा है। बीयर पीने से उसे
पेशाब लगा था। नीरा को कफर एक शरारत सझू ी।
“मतू ने के ललए बाथरूम में जाने की क्या जरूरत है। इधर आ मेरे पास और अपनी टीचर को अपने लण्ड के
सनु हरे अमतृ का पान करिा दे…”
तनतशे को अपने कानों पर विश्िास नहीं हुआ और रोहहत भी चोदते-चोदते एक पल के ललए रुक गया लेककन
कफर अपनी कामकु तछनाल टीचर का मतलब समझकर मश्ुकुरा हदया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
तनतेश भौचक्का सा बबस्तर पे िापस चढ़कर नीरा के लसर के पास आ गया।
मेरे मुँहु में अपना लण्ड डालकर धीरे से अपने अमतृ की धार छोड़। तनतेश ने नीरा के ललवपस्टक लगे होंठों के
बीच अपना लण्ड घसु ेड़कर धीरे-धीरे मतू ना शरूु कर हदया। नीरा को तनतशे के गरम पेशाब का खारा-सा स्िाद
बहुत अच्छा लग रहा था और पेशाब गटकते हुए िोह अपनी इस हरकत की विकृतता के एहसास से बहुत
उत्तेजजत हो गयी और रोहहत के लण्ड के इदफ-गगदफ अपनी चूत लसकोड़ कर झड़ने लगी। जब तनतशे का मतू ना बदं
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हो गया तो उसके बाद भी नीरा ने उसका लण्ड चूसना जारी रखा। तनतशे का लण्ड कफर फूलकर नीरा के मुँहु में
कड़क हो गया।
रोहहत अभी भी नीरा की चतू में अपना लण्ड परूे जोश से ठाुँस रहा था।
थोड़ी देर में नीरा ने तनतशे को पीछे हटाया तो तनतशे हैरानी से पीछे हटा और उसका लण्ड नीरा के मुँहु से बाहर
आ गया। लेककन तनतशे की तनराशा जल्दी ही खतम हो गयी जब िोह तनतशे का लण्ड अपनी चुँूगचयों के बीच में
दबाकर रगड़ने लगी। तनतशे भी आगे पीछे होकर अपनी टीचर की चुँगूचयां चोदने लगा। इस नये अनभु ि से
तनतशे बहुत गरम हो गया और जल्दी ही अपनी टीचर के चेहरे और गदफन पे अपने िीयफ की वपचकारी छोड़ दी।
जब तनतेश उसके ऊपर से हटा तो रोहहत को अपनी टीचर का िीयफ से सना चेहरा हदखायी हदया और इस दृश्य
से िोह भी झड़ने के तनकट आ गया। रोहहत ने उत्तेजना में अपना लण्ड नीरा की चूत से बाहर तनकालकर अपनी
मठ्ु ठी में एक-दो बार आगे पीछे करके अपने िीयफ की जोरदार धार अपनी टीचर की चूंगचयों तक छोड़ दी। उसके
िीयफ की बाकी धारें नीरा के पेट पर गगरीं और आखखर में काफी सारा िीयफ नीरा की चूत के पास बह कर इकट्ठा
हो गया।
“तमु लड़के बहुत मादरचोद हो। सालों…” िीयफ से सने अपने बदन को देखते हुए नीरा बोली। उसे अभी भी अपने
चेहरे से िीयफ टपकता महससू हो रहा था- “मझु े लगता है कक अब मझु े नहाना पड़गे ा…”
नीरा जब बबस्तर से उठकर खड़ी हुई तो नशे में उसका लसर घमू रहा था। िोह अपने हाई हील सडलों में नशे से ैं
डगमगाती बाथरूम में गयी और खुद को शीशे में देखा। िोह ककसी बक्ुकाके ब्ल-ूकफल्म की नातयका जैसी हदख
रही थी। नीरा चचं लता से हुँसी और सडैंल पहने ही शािर में घसु गयी। उसे शािर का गनु गनु ा पानी काफी
अच्छा लगा।
जब नीरा बाथरूम से बाहर तनकली तो उसे अपने पेट में गरुाहफट महससू हुई। उसने घड़ी देखी तो एहसास हुआ
कक उनकी चुदाई काफी समय चली थी। उसने लड़कों से पछू ा कक उन्हें भखू लगी हैक्या? तो दोनों ने ‘हाुँ’ कहा।
िोह कमरे में खाना आडरफ नहीं करना चाहते थे इसललए होटल के रेस्टोरेंट में जाने का तनश्चय ककया। तीनों ने
अपने-अपने कपड़े पहने और रेस्टोरेंट में जाने से पहले नीरा ने एक बार रोहहत का लण्ड मुँहु में लेकर उसका भी
पेशाब चटखारे लेकर वपया।
नीरा के कदम नशे में काफी बहक रहे थे। तनतशे ने उसकी चाल देखकर एक बार कहा भी कक खाना सईूट में ही
मुँगिा लेते हैं, पर नीरा बोली कक िोह खुद को सभं ाल सकती है। रोहहत ने नीरा को सहारा हदया और तीनों ने
रेस्टोरेंट में आकर खाने का आडरफ हदया। नीरा ने यहाुँभी अपने ललये काकटेल मगुँ िायी। रोहहत और तनतशे दोनों
ही नीरा को कालेज के बाहर होटल के कमरों में कई बार अलग-अलग चोद चकुे थे और उन्हें एहसास था कक
नीरा को अपने पीने पर कोई संयम नहीं था। इसललए उन्होंने उसे मना नहीं ककया जबकक िोह जानते थे कक
सईूट में िापस जाते िक्त उन दोनों को नीरा को पकड़कर सहारा देना पड़गे ा।
जब िोह लोग खाना आने का इंतज़ार कर रहे थे रोहहत को अपनी टाुँगों के बीच नीरा के सैंडल की हील खरोंचती
महससू हुई। उसने नज़र उठाकर देखा तो नीरा आुँखें मटकाकर मश्ुकुराने लगी। तनतशे को भी उस समय अपनी
गोद में नीरा का परै महससू हुआ। टेबल क्लाथ के कारण ककसी और को कुछ हदख नहीं सकता था। नीरा की
नशे और िासना से भरी आुँखों में शरारत नज़र आ रही थी। नीरा उन लड़कों की टाुँगों के बीच में अपने पैर
आगे पीछे करके उनके लौड़ों को अपने सैंडलों से रगड़ने लगी।
अपना डरकं पीते हुए िोह धीरे से फुसफुसा कर बोली- “घबड़ाओ नहीं। अपने हगथयार बाहर तनकालकर मेरे पैरों पे
रगड़ो…”
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दोनों लड़कों ने आसपास देखा कफर धीरे से अपनी जज़प खोलकर अपने लौड़े बाहर तनकाले और नीरा के सैंडलों
और परैों पे रगड़ने लगे। नीरा चुपचाप अपना डरकं पीती हुई अपने परों पे उनके लौड़ों के स्पशफ का रस ले रही
थी। रोहहत ने अपनी टीचर का पैर पकड़कर अपना लौड़ा परै के तलेऔर सडैंल के बीच में घसु ा हदया जजससे
नीरा अचानक गचहं ुक उठी पर आसपास ककसी ने ध्यान नहीं हदया। तनतशे भी नीरा का परै पकड़कर जोर-जोर से
उसका सडैंल अपने लण्ड पे दबाते हुए रगड़ रहा था। दोनों क्षात्र जल्दी ही झड़ गये और अपन-ेअपने िीयफ की धार
अपनी टीचर के परैों और सडैंलों पर छोड़ दी। नीरा को अपने परैों पर गरम िीयफ बहुत सहुाना लगा और उसकी
खुद की चूत से भी रस बह रहा था। जब तक िेटर खान लाया, दोनों लड़कों ने अपने लण्ड िापस पैंट में डालकर
जज़प बदं कर लीं और नीरा ने िीयफ में तरबतर अपने सडैंल यक्ुत पर नीचे कर ललए। ै
उन्होंने जल्दी से खाना खाया। नीरा इस दौरान दो डरकं पी चुकी थी और जैसा के उसके क्षात्रों ने सोचा था। नीरा
काफी नशे में थी। जब नीरा खड़ी होकर बरुी तरह डगमगाने लगी तो तनतशे और रोहहत ने नीरा की एक-एक
बाुँह अपने कुँधों पे डालीं और अपने हाथ उसकी कमर में डालकर सहारा देते हुए कमरे में ले जाने लगे। सौभाग्य
से रेस्टोरेंट लगभग खाली था और नीरा ने भी िहाुँकुछ बखेड़ा नहीं ककया। फाईि स्टार होटल के स्टाफ के ललये
तो ऐसी घटना कोई नयी बात नहीं थी।
सईूट में आकर जब िोह नीरा को बबस्तर पर बबठाने लगे तो नीरा ने उन्हें पीछे धके ला और अपने कपड़े उतारने
लगी- “बहुत अच्छा लग रहा मझु … े चलो नंगे हो जाओ… अभी तो और चुदाई करनी है…” नीरा की आिाज भी
बहक रही थी।
कुछ ही पलों में तीनों नगं े थे। नीरा ने अपने परैों और सडैंलों पे अपने क्षात्रों का िीयफ देखा तो कुहटलता से उन्हें
देखकर मश्ुकुराई। उसके परै की अगुँ लुलयां िीयफ के सखू ने से गचपगचपा रही थीं। कफर बबस्तर पर बठै कर नीरा ने
दोनों को अपने सामने खड़ा होने को कहा और उनके लौड़े चूसने लगी। िोह कुछ देर एक का लण्ड चूसती और
कफर दसू रे का। इसी तरह बारी-बारी से अदल-बदल कर दोनों लण्ड नीरा चूस रही थी। जब उसके क्षात्रों के लण्ड
सख्त होकर खड़े हो गये तो नीरा ने ऊपर देखा।
“क्या तमु दोनों में से ककसी ने कभी ककसी लड़की की गाण्ड मारी है?” नीरा ने बहकती हुई आिाज में पछू ा।
दोनों लड़के अपनी टीचर के मुँहु से यह सिाल सनु कर चौंक गयेऔर ‘ना’ में अपने लसर हहला हदए।
कफर नीरा ने पछू ा- “क्या गाण्ड मारना चाहोगे?”
इस बार दोनों के लसर ‘हाुँ’ जल्दी-जल्दी ऊपर-नीचे हहल।े नीरा उनका उत्साह देखकर हुँस दी। िोह कफर खड़ी
होकर बाथरूम की तरफ जाने लगी पर इससे पहले कक लड़के उसे पकड़ते, नीरा इतनी ऊुँ ची हील के सैंडलों में
नशे में सतं लु न नहीं रख पायी और दो कदम के बाद ही लड़खड़ा कर धड़ाम से गगर पड़ी। कापेट की िजह से
उसे लगी नहीं। उसने रोहहत को बाथरूम से बाडी लोशन लाने को कहा और तनतेश ने अपनी टीचर को सहारा
देकर खड़ा ककया और बबस्तर पे बबठाया।
रोहहत जब लोशन लेकर आया तो नीरा ने एक बार दोनों के लौड़ों को देखा। तनतेश का लण्ड छोटा तो नहीं था
पर नीरा ने तनजश्चत ककया कक िोह रोहहत के लण्ड से कुछ पतला था। अचानक नीरा के मन में आशकं ा होने
लगी पर कफर नशे की मदहोशी में उसने गाण्ड मरिाने का तनश्चय कायम रखा। नीरा ने थोड़ा सा लोशन तनतेश
के लौड़े के सपु ाड़े पर लगाया। जब तनतशे उसे अपने लण्ड पे मलने को हुआ तो नीरा ने उसे रोक हदया। कफर
िोह पलट कर बबस्तर पर झुक गयी। नीरा के सडैंल यक्ुत परै ज़मीन पर थेऔर उसका पटे और मुँहु गद्दे पर
हटका था। नीरा ने अपने चतू ड़ पकड़कर फैलायेऔर रोहहत से गाण्ड के छेद पर लोशन लगाने को कहा। नीरा की
झुरझरुी छूट गयी जब उसे अपनी गाण्ड-तछि पे ठंडा लोशन और अपने स्टूडटें की अगुँ लु ी अदं र घसु ती महससू
हुई।
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जब रोहहत ने ठीक से नीरा की गाण्ड में लोशन लगा हदया तो नीरा ने तनतेश को आगे बढ़ने को कहा। नीरा को
तनतशे के हाथ अपने चूतड़ों पे महससू हुए, कफर तनतेश ने उसकी गाण्ड फै लायी और कफर नीरा को उसके लण्ड
का सपु ाड़ा अपनी गाण्ड के छेद पे महससू हुआ। नीरा को जब अपनी गाण्ड में लण्ड घसु ता महससू हुआ तो
उसका बदन अकड़ गया पर कफर खुद को शाुँत और िीला करने के ललए नीरा नेगहरी साुँसें लीं। उसके स्टूडटें
का लौड़ा धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में थोड़ा-थोड़ा आगे घसु रहा था और कफर नीरा को तनतशे की जाुँघें अपने चतू ड़ों
पे सटती महससू हुईं। तनतशे का लण्ड जड़ तक नीरा की गाण्ड में घसु चुका था और नीरा ने अपनी बाुँहें
खखसका कर अपना परूा िजन अपनी बाुँहों पर डाल हदया।
“यह तो बहुत तगं है…” तनतेश बोला- “आप ठीक तो हैं… हिल्लो मैडम?”
“हाुँ… मैंठीक ही हूुँ। उम्म्म… गाण्ड में लण्ड अजीब सा लग रहा है…”
तनतेश ने धीरे-धीरे आगे-पीछे होकर अपना लण्ड नीरा की गाण्ड में पेलने लगा। उसे विश्िास ही नहीं हो रहा था
कक िोह ककसी औरत की गाण्ड में अपना लण्ड चोद रहा है। िोह औरत जो कोई और नहीं बजल्क उसकी टीचर
थी। तनतशे को अपनी टीचर की गाण्ड उसकी चूत से ज्यादा गरम और ज्यादा आरामदेह लग रही थी और लण्ड
के इदफ-गगदफ काफी टाइट थी। नीरा की गाण्ड की माुँसपलेशयों का दबाि और स्पदं न िो अपने लण्ड पे महससू कर
पा रहा था। अपनी टीचर के चूतड़ों को पकड़कर िोह अब जोर-जोर से उसकी गाण्ड में लण्ड पेल रहा था।
“तनतेश और जोर से… तेज और तेज… मार ले मेरी गाण्ड… हरामी… बहुत मज़ा आ रहा है…” नीरा भी मस्ती में
तनतशे को उकसाने लगी और अपने चूतड़ पीछे उचका कर उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने लगी।
“ठीक है… अब रोहहत को भी मौका दो…” नीरा थोड़ी देर बाद बोली। मदहोशी और कामोन्माद में नीरा ठीक से
बोल भी नहीं पा रही थी।
“लेककन मैडम… मैंअभी झड़ा नहीं हूुँ…” तनतशे ने कराहते हुए फररयाद की।
“तझु े कफर से मौका लमलगे ा। रोहहत को भी थोड़ी देर मेरी गाण्ड में लण्ड पेलने दे…”
नीरा ने गहरी साुँस ली जब तनतशे ने उसकी गाण्ड में से अपना लण्ड बाहर खींचा। जो गाण्ड कुछ क्षण पहले
भरी-भरी और ठूुँसी हुई थी िोह अब बहुत खाली महससू हो रही थी। लेककन नीरा को ज्यादा रुकना नहीं पड़ा
क्योंकी कुछ ही पलों में उसका दसू रा स्टूडेंट उसके दोनों चूतड़ों को फैलाकर अपना लण्ड उसकी गाण्ड में धके ल
रहा था। नीरा को खुशी हुई कक उसने तनतशे को पहले अपनी गाण्ड मारने का मौका हदया था क्योंकी रोहहत
बबल्कुल भी दयालुनहीं था। जल्दी ही रोहहत दनादन अपना लौड़ा नीरा की गाण्ड में पेल रहा था।
“तो कै सा लगा रोहहत?” नीरा ने पछू ा।
“काफी मज़ा आ रहा हैपर कफर भी मेरे ख्याल से चूत में ज्यादा मज़ा है…” रोहहत बोला।
“रोहहत मेरे पास एक आइडडया है…” नीरा बोली- “अपना लण्ड बाहर तनकाल। धीरे से प्लीज़…”
जब रोहहत का लण्ड उसकी टीचर की गाण्ड से बाहर तनकला तो नीरा ने उसे बबस्तर पे चढ़ने को कहा। रोहहत
को बबस्तर के बीचोंबीच ललटाकर नीरा उसके दोनों तरफ अपनी टाुँगें करके रोहहत के ऊपर चढ़ गयी।
“ठीक है… रोहहत? तझु े चूत ज्यादा पसदं आयी तो ये ले मेरी चूत…” नीरा बोलती हुई उसके लण्ड को पकड़कर
अपनी चूत पे लगा के उस पे बठै गयी।
“मेरा क्या?” तनतशे ने पछू ा- “मझु े तो गाण्ड मारने में बहुत मज़ा आ रहा था…”
“मैंतझु े भी भलू ी नहीं हूुँ। मेरे गाुँडू स्टूडेंट…” नीरा बोली- “इधर ऊपर आकर तूभी अपना लण्ड मेरी गाण्ड में पेल
दे…”
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“लेककन रोहहत का…”
“उसकी परिाह मत कर…” नीरा ने उसे िािस बुँधाया- “मेरे पास दो छेद हैंचुदिाने के ललए…”
तनतेश अपनी टीचर के पीछे से पलंग पर चढ़ गया और कफर से एक बार उसकी गाण्ड में अपना लण्ड ठेल कर
चोदने लगा। रोहहत अपनी टीचर के नीचे लटे ा हुआ अपने चूतड़ उचका-उचका कर उसकी चूत नीचे से चोद रहा
था। नीरा अपनी चूत और गाण्ड में एक साथ चदु रही थी और इस दोहरी चुदाई का एहसास नीरा की हिस के
बारूद में गचगं ारी का काम कर रहा था। हालाुँकक उनकी चुदाई की लय बहुत अच्छी नहीं थी पर इस चुदाई में
उन्हें अब तक सबसे ज्यादा मज़ा आया था।
रोहहत ने अपने हाथ बढ़ाकर नीरा की लटकती हुई चूगचयां पकड़ लीं और उन्हें मसलने लगा। नीरा ने भी आगे
झुक कर अपनी जीभ रोहहत के मुँहु में डाल दी। तनतशे सब कुछ भलू कर जोर-जोर से अपना लण्ड पेलते हुए
अपनी टीचर की गाण्ड मार रहा था। परूे कमरे में उन तीनों की कराहें, लसस्काररयां, बड़बड़ाहट गुँजू रही थी और
साथ ही तनतशे की जाुँघों के नीरा के चूतड़ों से टकराने की थाप भी उन आिाज़ों में शालमल थीं। अपनी चूत और
गाण्ड में चल रहे दोहरे आनन्द को नीरा बदाफश्त नहीं कर पा रही थी।
“हाुँ… मारो… सालों… मारो मरेी गाण्ड और चूत… और जोर से… आआआहहहह…”
तनतेश सबसे पहले झड़ा। जब िोह पागलों की तरह जोर-जोर से नीरा की गाण्ड में अंदर-बाहर अपना लण्ड पेलने
लगा तो उसकी अगुँ लुलयों के नाखुन नीरा के बदन में धुँस गये। जल्दी ही उसने बहुत सारा िीयफ अपनी टीचर की
गदुा में बहा हदया और थक कर अपना लण्ड बाहर तनकालकर बबस्तर पे तनिाल हो गया। ककनारे पे लेटे हुए,
तनतशे अपनी टीचर को रोहहत के ऊपर उछलते हुए चदुिाते देखने लगा।
अब बबना ककसी विघ्न के, नीरा ताि में आकर जोर-जोर से अपने स्टूडटें के लण्ड पर ऊपर-नीचे उछलती हुई
बेहताशा चोदने लगी। नीरा की चूगचयां जोर से झूल रही थीं और नीरा अपने एक हाथ से अपनी जक्लट भी मसल
रही थी। नीरा जब झड़ी तो उसके मुँहु से इतनी चुभने िाली चीख तनकली जैसे कक ककसी लौमड़ी के कराहने की
आिाज हो।
“अरे मैं झड़ी… झड़ी रे माुँ… आआआहहहह… आुँआआआ…” उसका परूा बदन थरथरा गया और उसने अपनी चतू
की दीिारों को रोहहत के लण्ड पे बहुत कसकर जकड़ ललया। रोहहत ने अपनी टीचर के चेहरे पर कामोत्तेजना और
उन्माद के भाि देखेऔर अपने लण्ड पे नीरा की चूत कसती महससू हुई। रोहहत ने और सात-आठ धक्के ऊपर
की तरफ मारे और कफर िोह भी अपने िीयफ की धार नीरा के चूत में छोड़कर झड़ गया। नीरा, रोहहत के ऊपर ही
हाुँफती हुई गगर पड़ी।
बाद में जब िासना का ज्िर समाप्त हुआ तो रोहहत के ऊपर से लढ़ुक कर नीरा बबस्तर पर हाफुँ ती हुई लेट गयी
और कफर तीनों ने कुछ देर आराम ककया। कफर तीनों ने उठकर बारी-बारी स्नान ककया और कफर अपने घरों को
जाने से पहले कफर एक-दो बार चुदाई की।
घर जाते िक्त नीरा को एहसास था कक यह उसका नया जीिन था। उसे जी भर के चुदाई लमल रही थी और
िोह लगभग हर रोज ककसी-ना-ककसी से चदुिा रही थी। उसे अनैततक्ता और हयलभचार का कोई अपराधबोध नहीं
था बजल्क िोह खुश थी।
नीरा का ववचार था कक दो पल की तो ज़ िंदगानी है… ज़ितना म ा लट
ू सकती है, लट
ू
ले… ककसी से भी… कहीिं भी…
सेक्सी स्कलू टीचर - nonveg se bharpoor sex ka maja
- sexy_parul
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