एक औरत की दास्तान compleet

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rajaarkey
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Re: एक औरत की दास्तान

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 09:54

एक औरत की दास्तान--2

गतान्क से आगे...........................

"और बेटा.. बताओ घर मे सब कैसा चल रहा है..?"

"सब ठीक है अंकल... आप तो जानते ही हैं कि मा पिताजी के मरने के बाद.. मैं कितना अकेला हो गया हूँ... बिज़्नेस का सारा बोझ मुझपर ही आ गया है... बहुत अकेला महसूस करता हूँ.. इसलिए अकेलापन दूर करने के लिए कुछ दिनो के लिए अमेरिका से राजनगर आ गया हूँ अपने पापा के पुराने बंग्लॉ पर.."

"हां..ये तुमने बहुत अच्छा किया बेटा... किसी भी चीज़ की दिक्कत हो तो बेहिचक मुझे बताना.. मैं तुरंत ही उसका निवारण कर दूँगा.."

"हां अंकल... बिल्कुल.. इसमें भी कोई कहने वाली बात थोड़े ही है... ये भी अपना ही घर है..." उसकी लालची नज़रें पूरे घर को देख कर मंन ही मंन उसकी तारीफ़ किए बिना ना रह सकी.... वो खुद एक बहुत बड़े बिज़्नेसमॅन का बेटा था पर आख़िर था तो इंसान ही.. और वैसे भी उस आलीशान घर को देखकर ईमानदार से ईमानदार व्यक्ति की नियत डगमगा सकती थी तो फिर वो क्या चीज़ था...

"बेटा एक बार फिर बोलता हूँ.. मुझे बताने मे किसी प्रकार का संकोच ना करना..." तभी ठाकुर साहब को अपनी बेटी आती हुई दिखाई दी... उसने पिंक कलर का टॉप और ब्लू कलर की जीन्स पहन रखी थी..जिसमे से उसके उभार सॉफ झलक रहे थे...

वहाँ पर बैठे लड़के ने मंन ही मंन उसके वाक्सों का साइज़ नापना शुरू कर दिया..

"36... नही नही... 34... नही 36..तो ज़रूर होंगे इसके बूब्स" उसके मंन मे जंग सी छिड़ गयी थी... कि उसके बूब्स 36 के हैं या 34 के... तबतक वो लड़की पास आ चुकी थी..

"बेटी इनसे मिलो ये हैं हमारे दोस्त के एकलौते बेटे.. वीर प्रताप सिंग.." ठाकुर साहब ने परिचय कराते हुए कहा...

"हेलो..." स्नेहा ने सुरीली आवाज़ मे कहा...जिसका उत्तर देना वीर के बस के बाहर था... वो भी सभी लोगों की तरह उसके रूप के जाल मे फँस गया था और उसके रूप के द्वारा सम्मोहित होकर उसे देखे जा रहा था... स्नेहा ने देखा कि वो कोई 25-26 साल का नौजवान था... उसका कद कोई 6 फिट. था.. रंग बिल्कुल गोरा और रोबदार चेहरा.. देखने से ही मर्द का बच्चा लगता था वो..

"और ये है मेरी बेटी स्नेहा... शायद तुम इससे मिल चुके हो.." ठाकुर साहब ने अपनी बेटी का परिचय करते हुए कहा...

"हां बिल्कुल मिल चुका हूँ.. पर तब ये छोटी हुआ करती थी.. इसलिए शायद इन्हे याद ना हो... और मुझे भी ज़्यादा कुछ याद नही है..." वीर ने अपना ध्यान स्नेहा पर से हटाते हुए कहा...

"पापा फिलहाल तो मुझे एक पार्टी मे जाना है... मैं आपसे बाद मे मिलती हूँ... बाइ..." स्नेहा ने अपने पिता से विदा लेते हुए कहा..

"जल्दी आ जाना बेटी... मुझे तुम्हारी फिकर होने लगती है...."

"हां पिताजी... जल्दी आ जाउन्गि... आइ लव यू.. बाइ..." ये बोलकर स्नेहा बाहर की तरफ चली गयी.. पीछे से वीर की नज़र उसके बड़े बड़े मटकते हुए चुतदो को लगातार निहार रही थी...

उसके मंन मे अभी सिर्फ़ एक ही बात आ रही थी...

"हाए.. कोई तो रोक लो...."

वो दिन राज के लिए बहुत भारी था... स्नेहा की याद मे अब उसका जीना मुश्किल हो रहा था... हर तरफ उसे वोही चेहरा नज़र आता था... ऐसा लगता था जैसे वो कह रही हो..."मुझे अपनी बाहों मे ले लो राज.."

पार्टी शाम के 7 बजे शुरू होने वाली थी पर वो 4 बजे ही पहुँच गया रवि के घर..

दरवाज़ा खाट खटाते ही रवि की मा बाहर आई....

"अरे बेटा तुम...? इस वक़्त..?"

"वो आंटी... रवि रेडी हो गया क्या.... वो आज हमारे प्रिन्सिपल की बेटी की बर्तडे पार्टी है ना तो वहीं जाने वाले हैं हम.." राज ने रवि की मम्मी के गेट पर आने की बात नही सोची थी... हर बार जब वो रवि के घर आता था तो वो खुद ही दरवाज़ा खोलता था..

राज की पार्टी वाली बात सुनकर रवि की मा एक बार सोच मे पड़ गयी...

"क्या सोच रही हैं आंटी...?"

"कुछ नही बेटा.... पर रवि ने तो मुझे बताया था कि पार्टी 7 बजे शुरू होने वाली है..." रवि की मा ने राज़ खोला...

ये सुनकर राज अपनी घड़ी की तरफ देखने लगा..तो पाया कि अभी तो घड़ी मे 4 ही बजे थे... वो लोग 2:30 मे कॉलेज से वापस आए थे और फिर स्नेहा के प्यार मे पागल राज बिना टाइम देखे ही पहुँच गया था रवि के घर...

"कौन है मा..?" दरवाज़े पर नॉक होने के कारण रवि की नींद टूट गयी थी जो अभी घोड़े बेच कर सो रहा था... वो आँख मलते मलते बाहर आया तो पाया कि दरवाज़े पर राज खड़ा है...

ये देखकर उसे ये समझते देर ना लगी कि राज पागल हो चुका है स्नेहा के प्यार मे... सो उसने अपने मा से बहाना बनाने की सोची ताकि राज किसी तरह के सवाल से बच जाए...

"अरे राज तू...? अंदर आजा... चल कमरे मे चलते हैं... तूने जो कॉपी मुझे दी थी असाइनमेंट कॉपी करने के लिए वो अभी कंप्लीट नही हुई है... आ जा अंदर...पहले वो कंप्लीट कर लूँ..फिर चलेंगे रिया की बर्तडे पार्टी मे..." रवि ने बात को संभालते हुए कहा...

पर एक लड़की का नाम सुनकर उसकी मा के कान खड़े हो गये...

rajaarkey
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Re: एक औरत की दास्तान

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 09:55

"ये रिया कौन है रवि...?" मा ने कड़क आवाज़ मे पूछते हुए कहा..

"मा आप भी ना.. क्या क्या सोचती रहती हो... रिया अपने प्रिन्सिपल की बेटी का नाम है..." ये बोलते हुए उसकी आँखों के सामने रिया के बड़े बड़े बूब्स नाचने लगे.. उसने जैसे तैसे अपने जज़्बातों को काबू मे किया....

"अच्छा ठीक है ठीक है.... जाओ अब तुम दोनो अपने कमरे मे..." ये कहकर मा वहाँ से चली गयी...

मा के जाते ही रवि ने राज का हाथ पकड़ा और उसे लगभग खींचते हुए कमरे मे ले आया...

उसने दरवाज़े की सिट्कॅनी लगाई और राज पर बरस पड़ा...

"साले प्यार मे पागल आशिक़... खुद तो मरेगा और मुझे भी मरवाएगा..."

"अबे मैने क्या किया है...जो मुझे डाँट रहा है..."

"अबे साले अगर तुझसे मा पूछ लेती कि इतनी जल्दी पार्टी मे जा कर क्या करेगा तो क्या जवाब देता तू...?" रवि ने मुह्न बनाते हुए कहा...

ये सुनकर राज भी सोच मे पड़ गया....

"अच्छा चल छ्चोड़.. तू ये बता कि क्या तू सच मे स्नेहा से प्यार करता है या ये सिर्फ़ लुस्ट है...?" रवि ने बात बदलते हुए कहा...

"नही यार... मैं और लुस्ट..? मैं उससे सच्चा प्यार करता हूँ यार... उसके बिना दिन काटने मुश्किल हो गये हैं... रातों को नींद नही आती है.. रातें बस करवटें बदलने मे निकल जाती हैं... कुछ याद भी नही रहने लगा अब तो... यार कुछ भी कर पर मुझे स्नेहा से मिला दे.... प्लीज़... " राज ने रवि के सामने गिडगीडाते हुए कहा...

"अरे यार तू तो मेरा जिगरी यार है... तेरे लिए तो जान भी हाज़िर है तो ये छोकरी पटाना कौन सी बड़ी बात है... आअज चल तू पार्टी मे... मैं तेरी आज ही सेट्टिंग करवा दूँगा..." रवि ने राज को सांत्वना देते हुए कहा...

"तबतक मैं फ्रीज़ से ठंडा लाता हूँ..वो पीले और दिमाग़ को ठंडा रख.." ये बोलकर रवि बाहर गया और कुछ देर बाद दो पेप्सी की बॉटल लेकर अंदर आ गया...

इन्ही सब बातों मे 6 बज गये... इसके बाद रवि जल्दी जल्दी तैय्यार हुआ और बाइक उठा कर चल दिया पार्टी मे... जहाँ उसे अपने दोस्त की मदद करनी थी... क्या पता शायद आज उसे एक भाभी मिल जाए...

वो उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और उसके होठों को लगतार चूस रहा था.. साथ ही साथ उसके दोनो हाथ उसके पूरे शरीर पर चला रहा था.. उसने धीरे धीरे अपना हाथ उस लड़की के बड़े बड़े उरोजो पर रख दिए और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा... लड़की के मुह्न से मादक आवाज़ें आने लगी... पूरा कमरा गरम हो चला था... वो धीरे धीरे अपना हाथ उसकी टॉप के नीचे ले गया और टॉप पकड़ कर उठाने लगा... धीरे धीरे उसने लड़की का टॉप ऊपर उठा दिया और फिर उसका सर ऊपर उठा कर उसका टॉप खोल दिया जिससे ब्रा मे क़ैद उसकी चूचियाँ सामने आ गयी... कोई 36 इंच की ब्रेस्ट साइज़ रही होगी... वो ब्रा के ऊपर से ही उन चूचियों को दबाने लगा...जिससे दर्द की एक मीठी लेहर उस लड़की के पूरे शरीर मे दौड़ गयी... कुछ देर तक उसकी चूचियों को दबाने के बाद लड़की ने उस लड़के की शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए... लड़के ने हाथ उठा कर शर्ट खोलने मे उसकी मदद की.. दोनो अब आधे नंगे थे.. अब लड़का अपना हाथ लड़की के पीठ पर चलाने लगा.. धीरे धीरे उसकी पीठ को गुदगुदते हुए वो अपना हाथ उसकी ब्रा की हुक पर ले गया... लड़की उसकी तरफ देख कर मुस्कुराइ जैसे उसे वैसा करने की इजाज़त दे रही हो... लड़के ने इशारा समझते हुए बिना देर किए उसके ब्रा का हुक खोल दिया... जिससे उसके दोनो कबूतर जो अब तक ब्रा नामक पिंजरे मे क़ैद थे उछल कर बाहर आ गये... बड़ी बड़ी चूचियों के ऊपर लाल लाल घुंडीयाँ(निपल) बड़े हसीन लग रहे थे... लड़के ने नीचे झुक कर उन दोनो निपल्स को एक एक कर चूम लिया..जिसके कारण लड़की के मुह्न से सिसकारी निकल गयी... उसके शरीर मे रक्त का प्रवाह अचानक बढ़ गया और योनि(चूत) से काम रस का प्रवाह होने लगा.. उसकी जीन्स अभी तक नही उतरी थी...उस लड़के ने अपना मुह्न उसके निपल पर लगाया और उन्हे चूसने लगा... पर उसके हाथ अपना काम कर रहे थे.. वो धीरे धीरे अपना हाथ उसके जीन्स की बटन पर ले गया और एका एक उसे खोल दिया.. लड़की ने पैर उठा कर उसका काम आसान कर दिया और लड़के ने जीन्स खींचकर एक तरफ फेंक दिया.. उसका मुह्न अभी तक उसके बड़े बड़े उरोजो का लगातार स्वाद ले रहा था...

लड़के ने उस लड़की की पॅंटी मे हाथ डाल दिया और उसके चूत के ऊपर चलाने लगा... उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी.. लड़के ने अब उसके उरोज़ छोड़ दिए और वापस उसके होठों पर आ गया.. पर उसका हाथ अब भी काम मे लगा हुआ था... उसने तेज़ी से उस लड़की की पॅंटी उतार दी और फिर अपने जीन्स पर हाथ लेजाकार अपना जीन्स और फिर चड्डी उतार कर फेंक दिया...

rajaarkey
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Re: एक औरत की दास्तान

Unread post by rajaarkey » 13 Oct 2014 09:55

अब दोनो बिल्कुल नंगे एक दूसरे से गुत्थम गुत्था थे... लड़के ने एका एक अपनी एक उंगली उस लड़की की चूत मे घुसा दी... गुलाब की पंखुड़ी जैसी अनचुई चूत मे एक तेज़ दर्द की लहर दौड़ गयी... लड़की ने अपने होठों को लड़के के होठों से आज़ाद करने की कोशिश की और उसकी ये कोशिश सफल रही... दोनो के होंठ अलग होते ही लड़की चिल्ला उठी.. और उसे अपनी चूत से उंगली निकालने के लिए बोलने लगी जिसे उस लड़के ने अनसुना कर दिया.. और वापस उसके होठों पर अपने होंठ रख कर उन्हे चूसने लगा... उधर उसकी उंगली लगातार उसकी लड़की के चूत के अंदर बाहर हो रही थी..

इसके बाद लड़का नीचे की तरफ आ गया और उसकी चूत को देखने लगा... बिल्कुल लाल लाल किसी गुलाब की पंखुड़ी की तरह कोमल चूत किसी को भी दीवाना बना सकती थी.. उसने अपनी जीभ निकाली और लड़की की चूत के होंठों पर चलाने लगा... लड़की के मुह्न से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी जो ये सॉफ दर्शा रहा था कि उसे मज़ा आ रहा है... वो लड़का उसकी चूत के दाने पर अपनी जीब चलाते हुए उससे खेल रहा था जिससे उस लड़की का बुरा हाल हो रहा था...

इसके बाद उस लड़के ने अपनी जीभ को नुकीला करते हुए उस लड़की की चूत के अंदर डाल दिया... और चूत को चाटने लगा...

पेशाब की मादक ख़ूसबू से उसके नथुने भर गयी... जिसने उसे पागल बना दिया और वो तेज़ी के साथ उसकी चूत मे अपनी जीभ चलाने लगा... जिसके कारण उस लड़की की हालत और भी ज़्यादा खराब हो गयी... पूरे कमरे मे उसकी मादक सिसकारियाँ गूँज रही थी.. जो लड़के को और पागल कर रही थी... धीरे धीरे उस लड़की की हिम्मत जवाब दे गयी और वो अहहहह की ज़ोरदार आवाज़ करते हुए लड़के के मुह्न मे ही झाड़ गयी... लड़के ने बिना घृणा के उसका रास्पान कर लिया..

अब बारी थी असली काम करने की... लड़का उसके सामने खड़ा हो गया.. जिससे लड़की की नज़र पहली बार लड़के के काले मोटे लंड पर गयी..और ये कोई आसचर्या की बात नही थी.. उस हत्ते कत्ते शरीर के मालिक के पास 8 इंच का लंड होना कोई बड़ी बात नही थी...

पहले तो वो लंड की तरफ देखने मे शर्मा रही थी पर जब लड़के के जिद्द करने के बाद लंड की तरफ देखा तो उसके मुह्न पर जैसे पट्टी लग गयी.. डर के मारे उसका गला सुख गया... 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड उसकी 1 इंच की चूत मे कैसे जाएगा ये सोच सोचकर उसकी हालत खराब होने लगी... जाहिर सी बात है..पहली बार मे लड़की के लिए ऐसा सोचना लाज़मी है...

"ये इतना बड़ा मेरे इस छोटे से छेद मे कैसे जाएगा ?" पहली बार इस पूरे खेल के दौरान उस लड़की ने कुछ कहा था. उसकी आवाज़ मे घबराहट सॉफ महसूस की जा सकती थी.

"जान,क्यूँ चिंता करती हो ? बस दो मिनिट का समय लगेगा और ये अंदर चला जाएगा.. कैसे जाएगा... ये तुम मुझपर छ्चोड़ दो.. आज वो लड़की पहली बार चुदने वाली थी... आज उसका कौमार्या भंग होने वाला था...

लड़के ने वहीं पर सामने लगी अलमारी मे से वॅसलीन की एक डिब्बी निकाली और उसमे से थोड़ा वॅसलीन लेकर लड़की की चूत पर मालिश करने लगा... चूत की दीवारों पर वो धीरे धीरे वॅसलीन लगा रहा था जिससे लड़की को मज़ा आ रहा था.. कुछ गुदगुदी जैसी होने लगी उसकी चूत मे..

उसके बाद उस लड़के ने और वॅसलीन निकाली और अपने लंबे मोटे लंड पर लगाने लगा... उसके चेहरे पर ये सब करते हुए एक अजीब से मुस्कुराहट थी...

उसने धीरे धीरे अपने पूरे लंड को वॅसलीन से रगड़ दिया जिससे उसके लंड की परत फिसलन भरी हो गयी... इसके बाद उसने वो डिब्बा वापस अलमारी मे रख दिया और वापस लड़की के पास आ गया...

फिर उसने लड़की के चेहरे की तरफ देखा जिसने अपना सर हिलाया और उसे मूक स्वीकृति दे दी.. लड़के ने देर नही की और अपना लंड उस लड़की की चूत के मुहाने पर घिसने लगा... लड़की के मुह्न से मादक आवाज़ें आने लगी...

"क्यूँ तड़पाते हो डार्लिंग... अब डाल भी दो ना..." उसकी आवाज़ मे बेचैनी थी..

"इतने साल इंतेज़ार करवाया जान थोडा और सही..." लड़के के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी...

"तंग मत करो... प्लीज़ डाल दो ना... फिर मुझे पार्टी मे भी जाना है.. आज मेरा बर्तडे है.." लड़की ने गिड़गिदाते हुए कहा..

"इसीलिए तो ये दिन चुना है जान... आइ वॉंट टू मेक युवर बर्तडे स्पेशल..." ये बोलकर लड़के ने एक चुंबन उसके होठों पर जड़ दिया..

ये सुनकर लड़की मुस्कुरा दी... उनका रिश्ता दो सालों से चल रहा था पर उसने लड़के को उसे कभी हाथ नही लगाने दिया था..पर बहुत ज़िद्द करने के बाद वो मान गयी थी क्यूंकी लड़के ने उससे शादी का वादा किया था...

दोस्तो ये कहानी आपको कैसी लग रही है ज़रूर बताए आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः.........................

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