धोबन और उसका बेटा

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: धोबन और उसका बेटा

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 14:24

"अरे उल्लू जोश में ऐसा हो जाता है, जब औरत और मर्द ज़यादा उत्तेजित हो जाते है ना तो अनप सनप बोलने लगते है, उसी दौरान मुँह से गालिया भी निकल जाती है, इसमे कोई नई बात ऩही है, फिर तू इतना घबरा क्यों रहा है, तू भी गाली निकल के देख तुझे कितना मज़ा आएगा" "ऩही मा, मेरे मुँह से तो गालिया ऩही निकलती"

"क्यों अपने दोस्तो के बीच गालिया ऩही बकता क्या जो नखरे कर रहा है"

"आरे मा दोस्तो के बीच और बात है, पर तुम्हारे सामने मेरे मुँह से गालिया ऩही निकलती है"

"वाह रे मेरे शरीफ बेटे, मा को घूर घूर के देखेगा, मा को नंगा कर देगा और उसकी चुदाई और चूसा करेगा मगर उसके सामने ग़ाली ऩही देगा, बरी कमाल की शराफ़त है तेरी तो"

"के मा, इस बात को गलियों से क्यों ज़ोर के देखती हो"

"अर्रे क्यों ना देखु, जब हमारे बीच शरम की सारी दीवारे टूट गई है और हम एक दूसरे के नंगे अंगो से खेल रहे है, तब ये शराफ़त का ढोंग करने का क्या फ़ायदा,,,,,, ,,. देख गालिया जब हम होश में हो तब देना या बोलना गुनाह है मगर, जब हम उत्तेजित होते है और बहुत जोश में होते है तो अपने आप ये सब मुँह से निकल जाता है, तू भी कर के देख" मैने बात टलने की गरज से कहा "ठीक है मैं कोशिश करूँगा पर अभी मैं इतने जोश में ऩही हू की गालिया निकल सकु"

"हा बीच में रोक कर तो तूने सारा मज़ा खराब कर दिया, देख मैं तुझे बतलती हू, गालिया और गंदी गंदी बाते भी अपने आप में उत्तेजना बढ़ने वाली चीज़े है, चुदाई के वाक़ूत इसका एक अलग ही आनंद है"

"क्या सब लोग ऐसा करते है"

"इसका मुझे ऩही पाता की सब लोग ऐसा करते है या ऩही मगर इतना मुझे ज़रूर पाता है की ऐसा करने में मुझे बहुत मज़ा आता है, और शायद मैं इस से भी ज़यादा गंदी बाते करू और गालिया दू तो तू उदास मत होना और अपना काम जारी रखना समझना मुझे मज़ा आ रहा है, और एक बात ये भी की अगर तू चाहे तो तू भी ऐसा कर सकता है"

"छ्होरो मा मेरे से ये सब ऩही होगा"

"तो मत कर ****इए, मगर मैं तो करूँगी मदाचोड़" कह कर मा ने मेरे लंड को ज़ोर से मारोरा. मा के मुँह से इतनी मोटी गली सुन के मैं थोरा हार्बारा गया था मगर मा ने मुझे इसका भी मौका ऩही दिया और मेरे होंठो को अपने होंठो में भर कर खूब ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. मैं भी मा से पूरी तरह से लिपट गया और खूब ज़ोर ज़ोर से उसकी चुचियों को मसल्ने लगा और निपल खीचने लगा मा ने सिसकारिया लेते हुए मेरे कान में फुसफुसते हुए कहा "चुचिया मसल्ने से भी ज़यादा जल्दी मैं गंदी बतो से गरम हो जौंगी, मेरे साथ गंदी गंदी बाते कर ना बेटा". मैं उसकी चुचियों से खेलता हुआ बोला "तुम्ही करो मा मेरे से ऩही हो रहा है".

"साले मा की छोड़ेगा ज़रूर मगर उसके साथ इसकी बात ऩही करेगा, चुदाई के काम के वाक़ूत चुदाई की बाते करने में क्या बुराई है बे ****इए"

"चुदाई की बाते तो हम कर ही रहे है, मगर ये जो तुमने ********* गली दी है वो मुझे बरा बुरा लगा, अगर मैं भी तुम्हे ********* काहु तो" मैने मुस्कुराते हुए पुचछा मुझे ये बोलने में बरा मज़ा आया. जो छ्चीज़ हम सामानया जीवन में ऩही करते और हमारे लिए वर्जित होती है उन्हे बोलने का ये मेरा पहला अनुभव था. मा ने मेरी शैतानी साँझ ली, वो समझ गई की लौंडा, बोल भी रहा है और नाटक भी कर रहा हर. मा ने कहा "हा हा साले बोल ना तो तुझे रोक कौन रहा है बोलने से, मगर ********* मैं ऩही तू है, जो अपनी मा को छोड़ेगा"

"अभी तक छोड़ा कहा है जो ********* कह रही हो, एक बार चोद लूँगा तब ********* बोलना"

"हा अभी तक तो तू चूत चट्टा है, चोदु अभी ऩही बना, सच में छोड़ेगा ना अपनी मा को"

अब हम दोनो रंग में आ चुके थे और खुल कर बाते कर रहे थे, मुझे मज़ा आ रहा था अब गंदी गंदी बतो को करने में.

"हा मा छोड़ूँगा, पूरा छोड़ूँगा और अपने दिल की तम्माना को आज पूरा कर लूँगा"

"कैसे छोड़ेगा, राजा मा को बता ना, की उसका बेटा उसको कैसे चॉड्ना चाहता है"

"है मा मैं तुम्हारे बुर में अपने लंड को डाल कर छोड़ूँगा,"

"खाली बुर में लंड डालने से चुदाई थोरे ही हो जाती है उसके लिए लंड को अग्गे पिच्चे भी हिलना परता है गन्दू"

"वो भी हिला लूँगा मेरी मैय्या तू बस एक बार लंड तो घुसने दे"

"है है, मेरा बेटा तो बरे जोश में आ गया, मा की बुर छोड़ने के लिए, बेटीचोड़, मा की चूत में लॉरा डालने में शरम ऩही आएगी तुझे"

"चूत मारनी, जब मा को कोई शरम ऩही है तो मैं क्यों शरमौ, मैं तो बस लॉरा पेल के तेरी इस बुर को बुरी तरह से चॉड्ना चाहता तू, साली मा" कह कर मैने मा की चूत को मुट्ठी में भर कर बुरी तरह भींच दिया. मेरे हाथ में लास-लासा रस लग गया. मेरे द्वारा बुर को भींचने पर मा चीखी और गली देते हुए बोली "मधर्चोड़, बेशरम साले बुर को ऐसे क्यों दबाता है, क्या समझ रखा है मुझे"

The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: धोबन और उसका बेटा

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 14:24


"समझना क्या है बुरछोड़ी, तू तो मेरी जान है, देख ना तेरी इस बुर में मैं अपना यही मोटा लॉरा डाल के छोड़ूँगा, चुडवाएगी ना साली, बोल नाआआआअ, चुड़वायएएगी ना, खूब गालिया भी दूँगा, गांद तक का ज़ोर लगा के छोड़ूँगा, है रे मेरी चुड़दकर मा, कितनी मस्त माल है तू, सच में कब से तुझे छोड़ने की तम्माना थी, हर रोज सोचता था की तेरी इस मस्तानी बुर में लॉरा डाल के हच हचा के छोड़ूँगा तो कितना मज़ा आएगा, आज मेरा सपना सच होगी"

"हा, हा, बहँचोड़ कर लियो ना अपना सपना सच, तेरी मा के बुर में गढ़े का लॉरा मधर्चोड़, कैसे अपनी मा को छोड़ने का सपना देखता था, देखो साले भरूवे को, रंडी की औलाद, कुटिया के पिल्ले आ चोद दे, तेरी गांद में जितना डम हो उतना डम लगा के चोद दे मधर्चूऊऊऊद्दद द्द्द्दद्ड"

हम दोनो अब पूरी तरह जोश में आ गये थे और एक दूसरे से गुटम गुटा होते हुए एक दूसरे का चुंबन कर रहे थे और एक दूसरे के अंगो से खेल रहे थे. कभी मेरे हाथ उसकी चुचियों को दबाते थे कभी मैं उसके बुर को मुति में भर के दबाता था कभी अपनी उंगलिया उसके चूत में डाल के खूब ज़ोर ज़ोर से आगे पिच्चे करता था. मा भी मेरे होंठ और गालो को चूस्ते हुए खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को मसालते हुए मुठिया भी रही थी और मेरे आंडो से खले रही थी.. मा अब मेरे उपर आ चुकी थी और मैं उसके नीचे दबा हुआ था और उसके ****अरो को मसालते हुए उसकी गांद की दरार में उंगली डाल रहा था. तभी मा सीधा होते हुए मेरे उपर बैठ गई और अपनी दोनो जाँघो को मेरे कमर के दोनो तरफ कर के मेरी च्चती को चूमने लगी और अपने ****अरो को आगे पीछे कर के मेरे लंड पर अपनी बुर को रगर्ते हुए ज़ोर ज़ोर से सिकिया लेने लगी और लगभग चिकते हुए बोली "आज मत छ्होरना बेटे, जाम के कूट देना मेरी ओखली को अपने मूसल से, मेरी इस बिलबिलती हुई बिल में अपने साँप को घुसा के इसकी सारी खुजली मिटा देना बेटा, है चल जल्दी से मेरी बुर को चाट तो ज़रा" कह कर वो मेरी च्चती के उपर आ के बैठ गई. फिर अपने ****अरो को उठा के मेरे मुँह के सिधाई मेरे मुँह के उपर ले आई. मा ने अपने दोनो जाँघो को फैला कर मेरे मुँह से लगभग 6 इंच की दूरी पर रखा हुआ था. और मुझे देखते हुए मेरे बालो को पकर के मेरे गर्दन को उपर उठाते हुए बोली "चल ज़रा अcचे से छत मेरी इस निगोरी बुर को फिर तुझे जन्नत का मज़ा चकती हू".

"हा मा, मेरे मन भी तेरी चूत का रस पीने का कर रहा है जल्दी से सता दे अपनी चूत मेरे होंठो से, उस वाक़ूत तेरी बक-बक के चक्कर में तो ये काम अधूरा ही रह गया था"

मैने देखा की मा की चूत के गुलाबी होंठ ठीक मेरी आँखो के सामने खुले हुए थे. उसका झांतो से ढाका भज्नासा लाल नज़र आ रहा था. और गांद की सीकुर्ी हुई छेद फैल और सिकुर रही थी. उस गुलाबी दुपडुपते हुए चूत की छेद पर रंगहीन पानी सा लगा हुआ था जो की रोशनी में चमक रहा था. मेरे मुँह में उस छेद को देख कर पानी भर आया था. मैने अपने प्यासे तारपते होंठो को अपनी गर्दन उठा के चूत के मोटे फांको से भीरा दिया. मेरे होंठ अब मा की निचले होंठो से मिल चुके थे. मा ने भी धीरे धीरे अपने ****अरो का वज़न मेरे चेहरे पर दल दिया. मैं अब चूत के गुलाबी होंठो को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था. अपनी जीभ को नुकीला कर के मैने बुर के छेद में सरका दिया. चूत में जीभ के जाते ही मा एक डम से सिसकार उठी और अपनी ****अरो को ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरी जीभ से ही अपनी चूत को मरवाना चाहती हो. मैने भी अपना पूरा जीभ पेल दिया था, और तेज़ी से चूत में घूमने लगा. मा की जंघे कांप रही थी. उसने दोनो हाथो से अपने चुचियों को पकर के रखा हुआ था और, खूब ज़ोर ज़ोर मसल रही थी. उसके होंठो से कपटी हुई आवाज़ में सिसकारिया निकल रही थी. मेरे दोनो हाथ उसके ****अरो से चिपके हुए थे और मैं पूरे चूत को मुँह में भर भर के चूस रहा था. चूत के गुलाबी होंठो को अपने होंठो में भर के चूस्टे हुए, जीभ को बुर के अंदर लिबलिबते हुए मैं चूत से निकलते हुए रस को कुत्ते की तरह से लॅप लॅप करते हुए छत रहा था. मा एक डम जोश में आ चुकी थी और अब उसके लिए ऐसा लगता था जैसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, और वो खूब ज़ोर ज़ोर से अपनी चुचियों को एक हाथ से मसालते हुए दूसरे हाथ से मेरे सिर को पकर के और ज़ोर से अपनी बुर पर चिपकते हुए बोली "चूस ले मेरी चूत, खा जा सारे रस को मधर्चोड़ साले, खा जा अपनी मा के बुर को, ओह उूुुुुुुुुुुउउ घह, मेरे भज्नाशे को पकर के चूस ना, काट के खा जा उसको मेरे चुड़दकर बलम, ले और ले और लीईए". मैने जल्दी से उसके भज्नसे को मुँह में भर लिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा और अपनी खुरदरी ज़बान को उसके उपर फिरा कर चाटने लगा. भज्नसे को चटवाने से मा का जोश दुगुना हो गया और वो और ज़्यादा सिसकरने लगी. चूत को मुँह पर रगर्ते हुए बोली "चूस ले चूस ले बेटा, है है मेरे चोदु सैय्या, कहा था तू अब तक, अगर पहले पाता होता की तू ऐसा चूत चतु है तो जाने कब की तुझे अपनी चूत दे देती और मज़े से चुड़वति. चूस ले बेटा, मा की बुर से अब जब भी रस निकलेगा तेरे लिए ही निकलेगा मेरे चोदु सैय्या"


The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: धोबन और उसका बेटा

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 14:25

मसलते मसलते मेरी नज़र मा के सिकुर्ते फैलते हुए गांद के छेद पर परी. मेरे मन मैं आया की क्यों ना इसका स्वाद भी चखा जाए देखने से तो मा की गांद वैसे भी काफ़ी खूबसूरत लग रही थी जैसे गुलाब का फूल हो. मैने अपनी लपलपाति हुई जीभ को उसके गांद की छेद पर लगा दिया और धीरे धीरे उपर ही उपर लपलपते हुए चाटने लगा. गांद पर मेरी जीभ का स्पर्श पा कर मा पूरी तरह से हिल उठी.

"ओह ये क्या कर रहा है, ओह बरा अक्चा लग रहा है रीईए, कहा से सीखा ये, तू तो बरा कलाकार है रीईई बेटीचोड़, है राम देखो कैसे मेरी बुर को चाटने के बाद मेरी गांद को छत रहा है, तुझे मेरी गांद इतनी अच्छी लग रही है की इसको भी छत रहा है, ओह बेटा सच में गजब का मज़ा आ रहा है, छत छत ले पूरे गांद को छत ले ओह ओह उूुुुुुऊउगगगगगगगग" .

मैने पूरे लगान के साथ गांद के छेद पर अपने जीभ को लगा के, दोनो हाथो से दोनो ****अरो को पकर कर छेद को फैलया और अपनी नुकीली जीभ को उसमे ठेलने की कोशिश करने लगा. मा को मेरे इस काम में बरी मस्ती आ रही थी और उसने खुद अपने हाथो को अपने ****अरो पर ले जा कर गांद के छेद को फैला दिया और मुझ जीभ पेलने के लिए उत्साहित करने लगी. "है रे सस्स्स्स्सिईईईईई पेल दे जीभ को जैसे मेरी बुर में पेला था वैसे ही गांद के छेद में भी पेल दे और पेल के खूब छत मेरी गांद को है दियायया मार गई रीईईई, ओह इतना मज़ा तो कभी ऩही आया था, ओह देखो कैसे गांद छत रहा है,,,,,,,,सस्स्स्स्ससे ईईई चतो बेटा चतो और ज़ोर से चतो, मधर्चोड़, सला गन्दू"

मैं पूरी लगान से गांद छत रहा था. मैने देखा की चूत का गुलाबी छेद अपने नासिले रस को टपका रहा है तो मैने अपने होंठो को फिर से बुर के गुलाबी छेद पर लगा दिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा जैसे की पीपे लगा के कोकोकॉला पे रहा हू, सारे रस को छत के खाने के बाद मैने बुर के छेद में जीभ को पेल कर अपने होंठो के बीच में बुर के भज्नसे को क़ैद कर लिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चूसा शुरू कर दी. मा के लिए अब बर्दाश्त करना श्यद मुश्किल हो रहा था उसने मेरे सिर को अपनी बुर से अलग करते हुए कहा "अब छ्होर बहिँचोड़, फिर से चूस के ही झार देगा क्या, अब तो असली मज़ा लूटने का टाइम आ गया है, है बेटा राजा अब चल मैं तुझे जन्नत की सैर कराती हू अब अपनी मा की चुदाई करने का मज़ा लूट मेरे राजा, चल मुझे नीचे उतरने दे साले"

मैने मा की बुर पर से मुँह हटा लिया. वो जल्दी से नीचे उतार कर लेट गई और अपने पैरो को घुटनो के पास से मोर कर अपनी दोनो जाँघो को फैला दिया और अपने दोनो हाथो को अपनी बुर के पास ले जा कर बोली "आ जा राजा जल्दी कर अब ऩही रहा जाता, जल्दी से अपने मूसल को मेरी ओखली में डाल के कूट दे, जल्दी कर बेटा दल दे अपना लॉरा मा की पयासी चूत में" मैं उसके दोनो जाँघो के बीच में आ गया पर मुझे कुच्छ समझ में ऩही आ रहा था की क्या करू, फिर भी मैने अपने खरे लंड को पकरा और मा के उपर झुकते हुए उसकी बुर से अपने लंड को सता दिया. मा ने लंड के बुर से सात ते ही कहा "हा अब मार धक्का और घुसा दे अपने घोरे जैसे लंड को मा की बिल में" मैने धक्का मार दिया पर ये क्या लंड तो फिसल कर बुर के बाहर ही रगर खा रहा था, मैने दुबारा कोशिश की फिर वही नतीज़ा ढक के तीन पट फिर लंड फिसल के बाहर, इस पर मा ने कहा "रुक जा मेरे अनारी सैय्या, मुझे ध्यान रखना चाहिए था तू तो पहली बार चुदाई कर रहा है ना, अभी तुझे मैं बेटाटी हू" फिर अपने दोनो हाथो को बुर पर ले जा कर चूत के दोनो फांको को फैला दिया, बुर के अंदर का गुलाबी छेद नज़र आने लगा था, बुर एक डम पानी से भीगी हुई लग रही थी, बुर चिदोर का मा बोली "ले मैने तेरे लिए अपने चूत को फैला दिया है अब आराम से अपने लंड को ठीक निशाने पर लगा के पेल दे". मैने अपने लंड को ठीक चूत के खुले हुए मुँह पर लगाया और धकका मारा, लंड थोरा सा अंदर को घुसा, पानी लगे होने के कारण लंड का सुपरा अंदर चला गया था, मा ने कहा "शाबाश ऐसे ही सुपरा चला गया अब पूरा घुसा दे मार धक्का कस के और चोद डाल मेरी बुर को बहुत खुजली मची हुई है" मैने अपनी गांद तक का ज़ोर लगा के धक्का मार दिया पर मेरा लंड में ज़ोर की दर्द की लहर उठी और मैने चीखते हुए झट से लंड को बाहर निकल लिया. मा ने पुचछा "क्या हुआ, चिल्लाता क्यों है"

Post Reply