नई का नशा compleet

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007
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Re: नई का नशा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:47


मादरजात नंगी नीलम रानी ! उसके नंगे बदन को देखो तो देखते ही रह जाओ !! क्या मदमस्त, मनमोहक और सेक्स से भरा पूरा बदन बनाया था ईश्वर ने फुरसत में बैठकर। इसे तो कितना भी चोदो उतना कम है।
‘राजे तेरा लेस कभी ख़त्म होता है या नहीं… सुबह से तीन बार तू झड़ चुका है… दो बार तूने बाथरूम में टपकाया.. फिर अभी तीसरी बार भी इतना ढेर सारा निकला… तेरी फ़ैक्ट्री क्या हमेशा ओवर टाइम पर रहती है?’
‘नीलम रानी… यह तो मेरी बीवी का प्रताप है… वो रोज़ दिन में कम से कम दो बार और हो सके तो तीन बार भी चुदाई को तैयार रहती है… जितना ज़्यादा चोदो, उतना ही लण्ड तगड़ा होता है और उतना ही वीर्य का उत्पादन बढ़ जाता है… बीच बीच में तेरी जैसी लड़कियाँ भी मिल जातीं हैं चुदने को… इसीलिए पचपन साल की उम्र में भी देख मैं कैसा चोदू हूँ।’ इतना कह कर मैंने नीलम रानी को लिपटा के खूब होंठ चूसे और उसके रेशमी बदन पर हाथ फिराया।
नीलम रानी चिहुँक उठी और इतरा कर बोली- अच्छा सुनो चोदू राम… बड़े चोदनाथ बनते हो… एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए… मैंने छह बार ठक ठक की थी… एक बार भी तुम कुछ नहीं बता पाए कि मैं तुम्हारा लण्ड अपने बदन पर कहाँ रगड़ रही हूँ।’
मैंने हाथ जोड़ दिए और नीलम रानी के मस्त चूतड़ निचोड़ता हुआ बोला- रानी, माफ कर अपने यार को… चल अब तू ही अपने तरीक़े से चोदियो… मैं कुछ नहीं करूँगा।
‘चलो राजे तुम भी क्या याद करोगे… कितनी दिलदार तुम्हारी नीलम रानी है… तीन बार का माफ किया… अब मैं सिर्फ तीन ही बार अपनी मर्ज़ी से तुमको चोदूंगी… चुपचाप जैसा मैं कहूँ वैसे ही चुदते रहना… बिल्कुल तीन पांच नहीं करोगे।’
‘हाँ हाँ रानी हाँ… जो तेरी मर्ज़ी हो वो करियो !’ मैंने बहस में पड़े बिना कहा।
नीलम रानी बाथरूम में गई और कपड़े पहन के बाहर आई, फिर वो बाहर अपने केबिन में चली गई।
थोड़ी देर बाद फिर अंदर आई और बोली- राजे… अनु का फोन आया था अभी अभी… जीजाजी मान गए हैं… उन्होने गेटवे होटल भी बुक कर दिया है… जैसा तुमने कहा था दो रूम… दो दिन के बाद अनु और जीजाजी आएंगे। होटल दो दिनों का बुक किया है।
‘ठीक है नीलम रानी… मैं छुट्टी ले लूँगा दो दिन की। तू कल से ही चार दिन की छुट्टी ले ले। अगर मेरे साथ ही छुट्टी लेगी तो लोगों को शक़ हो सकता है। वैसे भी तू तीन घंटों तक मेरे दफ्तर में ही रही है। वहीं तू चोद देना अपनी स्टाइल से !’
‘ठीक है राजे… मैं कल से ही छुट्टी ले लेती हूँ। वहाँ कुछ नहीं हो पाएगा… जीजाजी तुम्हें अनु को चोदने से फुरसत ही नहीं देने वाले !’
‘तू देख तो सही रानी !’ मैं बोला।
खैर दफ्तर का काम ख़त्म हुआ, टाइम पूरा हुआ और हम सब भी घर को चले।
जाने से पहले नीलम रानी आई और एक लम्बी चुम्मी देकर चली गई।
दो दिन के बाद के चुदाई का जो महासंग्राम होने वाला था उसके बारे में कल्पना कर कर के ही मेरा लण्ड अकड़े जा रहा था, उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।
घर पहुँचते पहुँचते मैं अपने अंग अंग में तनाव महसूस कर रहा था, जोश में आकर मैंने घर में घुसते ही अपनी प्यारी बीवी को उठा कर बेडरूम में बिस्तर पर पटका, इतना नोच खसोट कर, कुचल मसल कर, भंभोड़ भंभोड़ के उसे मैंने चोदा कि वो भी हैरान रह गई।
ज़ोरदार चुदाई से खुश होकर कहने लगी- आज राजे, क्या बात है… मैं कहीं भागी जा रही हूँ क्या? आज तो तुमने मेरा बदन तोड़ के रख दिया… इतनी उठा पटक तो तुम तब करते हो जब मैं मायके से लौट के आती हूँ… अभी कल ही तो तुमने जम के चुदाई की थी और एक बार चूस के झाड़ा था मैंने… तो आज इतनी बेसबरी क्यों?
‘कुछ नहीं जूसी रानी… बस आज यूं ही ठरक बहुत ज़्यादा चढ़ गई। चल उठ अब खाना खा लें !’
यारो, खाना खा कर जब रात को सोने गए तो जूसी रानी का फिर दिल चाहा चुदने को जो मैंने एक जंगली की तरह उसे ठोका था शाम को, उससे उसकी कामाग्नि अधिक भड़क उठी थी, उसकी आग को भी बुझाया और थक कर बेहोश सा होकर सो गया।

समाप्त


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