नई का नशा compleet

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007
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नई का नशा compleet

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:38

नई का नशा

दोस्तो आपके लिए एक और कहानी पेश है ये कहानी मैने नेट से ली है तो दोस्तो मज़ा लीजिए इस कहानी का
यह सत्य कथा सूरत की है जहाँ मैं एक कम्पनी में प्रोडक्शन मैंनेजर बन कर हुआ था। यह दिसंबर 2010 की घटना है। मैं जिस कम्पनी में जाता हूँ, अपनी सचिव खुद ही चुनता हूँ और हमेशा लड़की ही चुनता हूँ और हमेशा उसे चोदता भी ज़रूर हूँ।
इस कम्पनी में मेरे चयन के लिये सात लड़कियाँ बुलाई गईं थीं। एक एक करके मैंने उनका इंटरव्यू लेना शुरू किया।
मैं अपने सेक्रेटरी के इंटरव्यू में बिल्कुल साफ साफ बात कर लेता हूँ कि मेरी सेक्रेटरी को मुझसे चुदने के लिये राज़ी तो होना पड़ेगा। बाद में कोई झमेला ना हो, इसलिये बेहतर है कि पहले ही खुल के बात कर ली जाये कि भई अगर चुदाई मंज़ूर है तो नौकरी मिलेगी वर्ना नहीं।
और मैं पगार भी तो दे रहा हूँ पच्चीस हज़ार रुपये जबकि और सब केवल बारह से बीस हज़ार ही देते हैं। मेरे पास इतना वक़्त नहीं है कि मैं लड़की पटाने के काम में लग जाऊँ।
पहली चार ने तो साफ मना कर दिया कि वह इसके लिये तैयार नहीं हैं। पांचवीं तैयार तो थी लेकिन जैसी मैं चाहता हूँ वैसी सुन्दर नहीं थी। छठी जो आई, वह बहुत खूबसूरत थी, मदमस्त, सांवली, सलोनी गदराई जवानी, बहुत खूबसूरत हाथ और पैर।
मर्दों को चुनौती देती हुई तीखी गोल चूचियाँ, रेशम जैसी चिकनी और मुलायम त्वचा। उसके अंग अंग से कामुकता टपकती थी। नाम था नीलम वघेरा।
मैं बोला- सुनो नीलम रानी… मैं तुम्हें इसी शर्त पर रख सकता हूँ कि मैं तुम्हारे साथ जब मेरा जी करेगा सम्भोग करूँगा या मुख मैथुन करूँगा। मैं जब भी सूरत से बाहर जाऊँगा, तुमको मेरे साथ सफर करना होगा और हम होटल में एक ही रूम में रहेंगे। तुम इसके लिये राज़ी हो तो आगे बात करें, वर्ना क्यों वक़्त बर्बाद करना !
नीलम ने कुछ देर सोचा, फिर मुस्करा के जवाब दिया- मैं तैयार हूँ… लेकिन सूरत से बाहर जाने के बारे में मुझे अपने पापा से पूछना पड़ेगा… दूसरे, मेरा नाम नीलम है नीलम रानी नहीं।
मैं बोला- जिस लड़की पे मेरा दिल आ जाता है, मैं उसे रानी कह कर ही बुलाता हूँ… नाम कुछ भी हो। तुम अभी बात करो अपने पापा से !
नीलम ने तुरंत अपना मोबाइल फोन पर्स में से निकाला और नंबर लगाया। लाइन मिलने के बाद वह बोली- हाँ पापा.. नौकरी तो मिल रही है… पच्चीस हज़ार तनख्वाह है… बहुत बड़े अफसर हैं सर… लेकिन एक प्रॉब्लम है… इनको अक्सर आउट ऑफ स्टेशन जाना पड़ता है और इनकी सेक्रेटरी होने के कारण मुझे भी साथ जाना पड़ेगा… हाँ…हाँ… बाहर जायेंगे तो होटल में ही ठहरना होगा… कम्पनी होटल बुक करवाएगी… यह तो अभी मालूम नहीं… पर सर तो शायद फाइव स्टार में ही रुकेंगे… आप क्यों चिन्ता करते हैं… कम्पनी करवाएगी ना अपने रूल के हिसाब से… क्या करूं… हाँ…हाँ… इतनी सेलरी तो कहीं नहीं मिलेगी… तो कर दूँ हाँ? ओ के पापा…बाकी बातें घर आकर बताऊँगी।
नीलम रानी ने मुस्करा के कहा- सर, पापा मान गये हैं, अब कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
मैंने कहा- ठीक है अपना अपाइंटमेंट लेटर लेकर आओ और जाने से पहले मिलो।
नीलम- ठीक है सर, मुझे मंज़ूर है…लेकिन मेरी एक रिक्वेस्ट है कि कुछ भी करते हुए मेरी कोई फोटो या वीडियो ना लें !
मैं बोला- नो प्रॉब्लम… नीलम रानी… जो तुम नहीं चाहोगी वैसा कुछ तुम्हारे साथ नहीं होगा। अब तुम जाओ पर्सोनल डिपार्टमेंट में और अपना अप्पौइंटमेंट लेटर ले लो और फिर आकर मिलो मुझे !
नीलम रानी चली गई, करीब एक घंटे के बाद लौट के आई, बोली- सर लेटर मिल गया है… मैं पंद्रह दिन में जॉइन कर लूंगी… जिस स्कूल में पढ़ाती हूँ उनको नोटिस कम से कम दो हफ़्ते का तो देना पड़ेगा।
मैं बोला- ठीक है लेकिन जाने से पहले मुझे तेरा टेस्ट करना ज़रूरी है।
इतना कह कर मैंने उसे लिपटा लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका कर उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी जिससे उसका मुख़रस मेरे मुँह में आना शुरू हो गया।

007
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Re: नई का नशा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:39


उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बड़े प्यार से चुम्मी देती रही। उसके मुँह की सुगंध कामाग्नि भड़काने वाली थी और उसके मुख रस का स्वाद बहुत मज़ेदार था तो लंड खड़ा हो गया और टनटनाने लगा।
फिर मैंने उसकी टॉप में हाथ डालकर ब्रा का हुक खोला और दोनों हाथ अंदर करके उसके चूचुक सहलाये। मदमस्त मम्मे थे, बड़े बड़े संतरों की भांति।
मैंने टॉप ऊपर सरका के एक निगाह मारी, देख कर मज़ा आ गया। बड़े बड़े दायरों वाली बड़ी बड़ी निप्पल।
गहरे काले रंग था निप्पल का और निप्पलों के दायरों का रंग हल्का काला था। दबाया तो बहुत ही आनन्दायक चूचुक लगे, नर्म नर्म लेकिन पिलपिले नहीं, इनको निचोड़ने और चूसने में बेतहाशा मज़ा आयेगा।
फिर मैंने उसकी जींस में हाथ घुसा के चूत में उंगली थोड़ी सी घुसाई। चूत गर्म और गीली थी। उंगली बाहर निकल के मैंने मुँह मे डाल के चूतरस का स्वाद चखा।
फिर मैंने उसके हाथों का मुआयना किया, बड़े सुन्दर, सलोने और सुडौल हाथ थे। मखमल सी मुलायम, लम्बी मांसल उंगलियाँ, सलीकेदार और लम्बे आयताकार सुन्दर नाखून जो बस ज़रा से ही उंगलियों से बढ़े हुए थे, त्वचा एकदम रेशम जैसी चिकनी !
मैंने कहा- अपने पैर सैंडल से निकाल कर टेबल पर रखो।
पैर भी बहुत खूबसूरत थे, अंगूठा साथ वाली उंगली से ज़रा सा छोटा। सभी उंगलियाँ ऐसा लगता था किसी मूर्तिकार ने तराश कर बनाईं हैं। नाखून साफ और सुन्दर, थोड़े थोड़े ही आगे निकले हुए। तलवे मुलायम जैसे किसी छोटी बालिका के हों।
मैंने झुककर एक एक करके अंगूठा और सब उंगलियाँ चूसीं, तलवे चूसे और एड़ी पर जीभ घुमाई। बहुत स्वादिष्ट ! मेरी पूरी तसल्ली हो चुकी थी। अब मैं सिर्फ उसके जॉइन करने की बाट जोह रहा था।
‘हूउऊऊऊऊँ… .हूउऊऊऊऊँ… ..हूउऊऊऊऊँ’ मैंने खुश होकर हुंकार भरी। सब कुछ बढ़िया और तसल्लीबख्श !
इसे चोद कर वाकयी में खूब मज़ा आयेगा।
बिल्कुल सही चुनाव हुआ था सेक्रेटरी का !
नीलम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।

नीलम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।
चौथे दिन मेरा सब्र जवाब दे गया, मैंने नीलम रानी के मोबाइल पे काल किया और कहा कि वो स्कूल से छुट्टी ले आधे दिन की और होटल गेटवे में आ जाये।
होटल में मैंने फोन किया और एक रूम बुक किया, अपनी बीवी को फोन किया और कहा कि मेरी होटल में एक मीटिंग है और मैं रात नौ बजे तक घर आऊँगा।
मैं होटल चला गया, रूम में चेक-इन करके नीलम रानी की बाट जोहने लगा। ठरक के मारे मेरा खून उबल रहा था और लण्ड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
खैर बड़ी मुश्किल से वक्त गुज़रा। नीलम रानी डेढ घंटे के बाद पहुँची।
उसने जीन्स के ऊपर पीले रंग का टॉप पहना था, बड़ा गज़ब ढा रही थी नीलम रानी !
कंधे पर एक खूबसूरत सा बैग था और पैरों में हाई हील की चप्पल जिसमें उसके सुन्दर पैर और भी ज्यादा सुन्दर लग रहे थे।
मैंने आव देखा ना ताव, लपक के उसे अपनी बाँहों में जकड़ कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
काफी देर तक उसकी जीभ चूसी और उसका मुखरस पिया, फिर मैंने उसकी टॉप उतार के एक तरफ को फेंक दिया।
उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।
उसके तने हुए चूचुक मानो न्योता दे रहे थे कि आओ और हमें चूसो।
माशाअल्लाह… क्या मम्मे थे ! भारी, लेकिन तने हुए।
मैंने दोनों चूचियों को दबाया।
नीलम रानी चिहुँक उठी, बोली- सर इन में हमेशा अकड़न सी रहती है, और ये गर्म भी हो जाती हैं अपने आप। जब गर्म होती हैं तो अकड़न कई गुना बढ़ जाती है।
‘चिन्ता ना कर रानी, अभी इनकी सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा !’ मैं बोला और बड़े ज़ोर से दोनों चूचुक निचोड़े और निप्पलो को कस के उमेठा।
वो सी सी करने लगी तो मैंने लपक कर एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और दूसरी चूची को पूरे ज़ोर से दबाता रहा। हाय राम, कितनी ज़ायकेदार चूचियाँ थी !



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Re: नई का नशा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:40


मैं हचक हचक कर बारी बारी से दोनों चूचियाँ चूसता गया, एक चूची चूसता तो दूसरी को दबा दबा कर निचोड़ता।
फिर पहली चूची दबाता और दूसरी को चूसता।
नीलम रानी मस्ती में चूर होकर आहें भर रही थी, उसकी कसमसाहट बढ़ती ही जा रही थी, उसके चूचुक और भी गर्म हो गए थे।
मेरे लण्ड का तो हाल पूछो ही मत, गुस्साये सर्प की तरह फुनकार रहा था, मेरे टट्टों में दबाब बहुत बढ़ चुका था, लगता था कि बस फटने ही वाले हैं।
जब मुझसे न रहा गया तो मैंने नीलम रानी की चूची छोड़कर जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके। कोई इधर गिरा कोई उधर जाके पड़ा।
‘हाय…हाय…अम्मा री…कितना लंबा और मोटा है सर आपका लिंग…यह तो मुझे फाड़ देगा नीचे… सर प्लीज़ ज़रा धीमे धीमे करियेगा !’
‘तेरी फाड़ूँगा बाद में, पहले इसे अच्छे से चूस… पूरा का पूरा अंदर जाना चाहिये !’ इतना कह कर मैं बिस्तर पर बैठ गया और नीलम रानी का सर पकड़ कर उसका मुँह एकदम लण्ड से सटा दिया।
नीलम रानी ने पहले तो पूरे लौड़े को नीचे से ऊपर तक चूमा, टट्टे सहलाये और फिर बड़े दुलार से खाल पीछे खींच के टोपे को नंगा किया।
टोपे को नीचे ऊपर से पहले तो सूंघा और फिर प्यार से उसने जीभ इसके सब तरफ फिरानी शुरू कर दी, चाट चाट के सुपारी को टुन्न कर डाला।
लण्ड फुदक फुदक के अपनी बेसबरी दिखा रहा था।
सुपारी को खूब चाटने के बाद नीलम रानी ने लण्ड मुँह में घुसा लिया और धीमे धीमे पूरा का पूरा जड़ तक लण्ड मुँह में ले लिया।
अब वो चटखारे ले ले कर चूसने लगी जैसे लोग आम चूसते हैं।

यह तो एक खूब खेली खाई चुदाई की खिलाड़ी थी। लण्ड का टोपा, जो फूल के कुप्पा हो गया था, नीलम रानी के मुँह के अन्दर गले से सटा हुआ था और वो मुखरस निकाल निकाल के दबादब चूसे जा रही थी।
जब वो मुँह आगे पीछे करती तो उसके महा उत्तेजक मम्मे भी फ़ड़क फ़ड़क कर इधर उधर हिलते डुलते और मेरे मज़े को सैंकड़ों गुणा बढ़ा देते।
यारो, मस्ती में मैं चूर हो गया था !
नीलम रानी लण्ड चूसने के साथ साथ मेरे अंडे भी बड़े हल्के हल्के हाथ से सहला रही थी।
मेरे मुँह से अब आहें निकल रही थीं, सी सी करता हुआ मैं झड़ने के क़रीब जाने लगा, उसका सिर पकड़ कर जो मैंने चार तगड़े धक्के मारे हैं तो लण्ड झड़ा, ऐसा लगा कि लण्ड एक पटाखे की तरह फट गया हो।
झर झर करके लण्ड तुनके मरता और हर तुनके के साथ एक बड़ी सी वीर्य की बूंद नीलम रानी के मुँह में डाल देता।
नीलम रानी ने अब लौड़ा थोड़ा बाहर कर लिया था, सिर्फ सुपारी मुँह में थी, वो सारा का सारा मक्खन पी गई।
जब लण्ड उसके मुँह में ही बैठ गया तो उसने बाहर निकाल दिया।
एक छोटी बूंद लौड़े के छेद पर बैठी हुई थी, नीलम रानी ने उसे भी अपनी जीभ से चाट लिया।
मैं भी लण्ड की तरह मुरझा के बिस्तर पर लेट गया। नीलम रानी मेरे बग़ल में लेट गई और बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी।
‘सर इसे मुँह में तो ले लिया जैसे तैसे लेकिन नीचे का छेद तो बहुत छोटा है। कैसे जायेगा ये मूसली जैसा भीतर?’
मैं उसके निप्पल उमेठता हुआ बोला- अरे रानी… बड़े मज़े से घुसेगा.. औरत की चूत जो है हाथी का लण्ड भी लील सकती है… यह तो इंसान का है.. अच्छा यह तो बता, लण्ड चूसने में मज़ा आया?
नीलम रानी ने करवट मेरी तरफ ली और बोली- हाँ सर..। मज़ा तो ख़ूब आया। आपकी क्रीम कितनी स्वाद है। पी कर आनन्द आ गया… यह तो मैं रोज़ पीना चाहूँगी।
‘हाँ हाँ रोज़ पीना… अब सुन… मुझे सर कहना बंद कर… सर सिर्फ दफ्तर में। मुझे चोदने वालियाँ मुझे राजा या राजे कह के पुकारती हैं… समझी !’ मैंने प्यार से उसकी चूचियाँ मसलीं।
‘आह…हाय राजा, क्या करते हो? तुम बहुत सताते हो। जब तुम इन्हें दबाते हो तो पता नहीं क्यों मेरे बदन में बिजली दौड़ने लगती है मेरा दिल करता है कि तुम मुझे जकड़ कर मेरी चटनी पीस दो। पूरा बदन ऐंठ जाता है, जी में आता है कि कोई मेरे शरीर को कुचल के रख दे। ऐसा क्यों होता है… बताओ ना राजे?’
‘यह निशानी है कि तुझे वासना ने जकड़ लिया है… अब जब तक तेरी जम कर चुदाई नहीं होगी एक मोटे तगड़े लण्ड से, यह अकड़न और यह गर्मी यूँ ही तुझे दुखाती करती रहेगी !’
और मैंने नीलम रानी को खींच कर अपने ऊपर लिटा दिया।

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