नई का नशा compleet
Re: नई का नशा
शर्म के मारे मेरा बुरा हाल हो गया।
लेकिन अनु ना मानी, कहने लगी कि इस फिल्म का बनना उसके शादीशुदा जीवन के लिये बहुत ज़रूरी है… आखिर मैं मान गई।
फिर तो राजे… रोज़ मुझे अनु बुला कर ले जाती अपने बेडरूम में।
एक कैमरा स्टैण्ड के ऊपर सेट कर रखा था, मुझे कहा कि कैमरा को इस्तेमाल करना समझ लूँ।
फिर तो जीजाजी ने दनादन खुद के और अनु के कपड़े उतार डाले और दोनों नंगे होकर लिपट गये, उन्होंने सब सेक्स के काम किये।
अनु ने जीजाजी का लण्ड चूसा, उनका लण्ड भी तुम्हारे जैसा काफी लम्बा है पर इतना मोटा नहीं।
फिर जीजाजी ने अनु की चूत चूसी। उसके बाद दोनों ने हुमक हुमक कर दो बार चुदाई की।
पहली बार जीजाजी ने अनु को लेटा कर चोदा और उसके बाद फिर लण्ड चटवाया और फिर अनु को घोड़ी के पोज़ में पीछे से चोदा।
उसके बाद फिर दोनों ने एक दूसरे के गुप्त अंग चूमे चाटे और चाट चाट कर ही एक दूसरे को साफ किया।
उनका इतना गहरा प्यार देखकर मैंने भी सोचा चलो अगर मेरे फिल्म उतारने से ये खुश रहते हैं तो ठीक है।
जीजाजी किसी बाहर वाले से तो फिल्म बनवायेंगे नहीं। जितना वो पागल हैं अनु के पीछे, वो किसी बाहरी मर्द को तो ना देखने दें अनु को नंगी होकर चुदवाते हुए। मैं वहाँ दस दिन रही। दस दिनों में मैंने उनकी कम से कम चालीस ब्लू फिल्में बना डालीं, सभी अलग अलग स्टाइल में।
अनु मुँह से कहे ना कहे, मैंने ज़ान लिया है कि उसे भी बेहद मज़ा आता है चुदाई के सभी खेलों में।
इसी सब में मुझे सभी किस्म के शब्द और मर्द औरत के बीच क्या क्या होता है सब कुछ पता चल गया।
‘सच में महा चोदू है तेरा जीजा… साले ने दस दिन में चालीस बार चुदाई की। क्या कोई काम धंधा नहीं था उस माँ के लौड़े के पास?’ मैं रश्क की जलन में चिड़चड़ा कर बोला।
‘नहीं, नहीं, उनका बिज़नेस है। उनका टोयोटा कार का शोरूम है। सुबह उठके बाथरूम वगैरह निपटा के एक बार चोदते हैं… दोपहर में लंच के किये आते हैं दो घंटे के लिये। पहले चुदाई करते हैं उसके बाद लंच। आधा घंटा आराम करके चले जाते हैं। शाम सात बजे घर आ जाते हैं और आते ही शुरू हो जाते हैं। रात के ग्यारह बजे तक दो बार तो चोद ही लेते हैं। किसी किसी दिन तो उन्होने छह बार भी किया।’
‘अच्छा यह बता कि क्या क्या स्टाइल मारे उन्होंने इन चालीस चुदाइयों में?’ मैं बोला।
मुझे बड़ा ताव आ रहा था अपने ऊपर, मैंने तो कभी दस दिन में चालीस बार नहीं चोदा।
‘राजे…क्या बताऊँ ! कोई पोज़ बाकी छोड़ा हो तब ना… जैसे हमने अभी किया लेट कर, अनु ऊपर जीजाजी नीचे, अनु जीजाजी की ओर पीठ करके या कभी उनकी ओर मुँह करके, घोड़ी की तरह खड़े होकर, कभी बाज़ू में लेटकर, कभी जीजाजी की गोद में उनकी तरफ पीठ करके, कभी गोद में उनकी तरफ मुँह करके, कभी अनु को डाइनिंग टेबल पर लिटा कर जीजाजी ने खड़े खड़े चोदा, कभी सोफा पर, कभी बाथरूम में शॉवर चला कर, कभी बाल्कनी में, कभी घर की छत पर, कभी बैठ कर, इत्यादि इत्यादि। एक बार तो कार के अंदर भी चुदाई की।
और एक बार तो जीजाजी ने कार के गियर के डंडे को अनु की चूत में घुसवा डाला और फिर अनु ने पीछे की सीट पर बैठे जीजाजी का लण्ड चूसा।
अनु पता है मज़े से पागल हो गई उस दिन तो।
इतना पानी बहा है उसकी चूत से कि मैं बता नहीं सकती।
जब जीजाजी का अनु के मुँह में पूरा ख़लास हो गया, तो उन्होंने अनु को उछाल उछाल के गियर लीवर से चुदवाया।
जब वो झड़ के बेहोश जैसी हो गई, तो जीजाजी ने उसे खींच कर उठाया और अपनी गोद में बिठा कर चोदा। बाद में अनु की बुर के पानी से तर गियर लीवर को चाट चाट के अनु के चूतरस का स्वाद भी लूटा।
इतना लम्बा, मोटा और सख्त गियर लीवर चूत में लेकर कितना मज़ा आया होगा ना। तुम चाहे जो भी सेक्स का अंदाज़ सोच लो, जीजाजी ने वो इस्तेमाल किया।’
इसके बाद नीलम रानी चलने को तैयार हो गई, उसका घर पहुँचने का वक़्त हो चला था।
जाने से पहले नीलम रानी ने फिर एक बार मेरा लौड़ा चूस कर सारा मक्खन झाड़ के पिया और चली गई।
वादे के अनुसार नीलम रानी ने जॉयन कर लिया। इस बीच में दो बार उसे होटल में बुला कर चुदाई की।
Re: नई का नशा
मैंने गत अंक में बताया था कि कैसे मैंने नीलम रानी को होटल में चोद कर मैंने उसका कौमार्य भंग किया था।
अब आगे क्या क्या हुआ, वो पढ़िए और पढ़ कर मुठ मारिए या अपनी बीवी अथवा माशूका को ज़ोरों से कुचल मसल कर चोद डालिए।
नीलम रानी ने तय तारीख पर मेरी कम्पनी जॉइन कर ली। जॉइन करने पर कम्पनी की कार्यवाहियाँ पूरी करके जब वो मेरे ऑफ़िस में आई तो उसे देखकर मेरे दिल की धड़कन रुक सी गई।
क्या क़यामत ढा रही थी वो एक सादे से लेकिन खुशनुमा सलवार सूट में !
उसने ऊँची हील की बहुत ही बारीक तनियों वाली सैंडल पहन रखी थी जिसमें उसके लगभग पूरे पैर दीख रहे थे। वो जानती थी कि उसके पैर बहुत सुन्दर हैं और वो ऐसी ही चप्पल या सॅंडल पहनती थी जिसमें पैर छुपें नहीं, बल्कि दीखें। मैं कुर्सी से उठा और उसे बाहों में जकड कर दीवानों की तरह उसे चूमने लगा।
‘अरे राजा.. थोड़ी सी तसल्ली तो रखो, अभी तो मैं आई ही हूँ.. अभी चार दिन पहले ही तो तुमने तीन बार चोदा था.. हाय मेरे चोदू बॉस !’ नीलम रानी हंसते हुए बोली।
‘तसल्ली गई मां चुदाने… नीलम रानी… मेरा लण्ड अकड़ अकड़ के पागल हुआ जा रहा है… तू कहती है तसल्ली रखूँ?’ इतना कह कर उसे बाहों में उठा कर मैं ऑफिस से अटैच बाथरूम में ले गया, उसे दबोच के मैंने बेतहाशा उसके होंठ चूस डाले, पॉट का कवर नीचे डाल कर मैं पॉट पर बैठ गया और नीलम रानी की कमीज़ ऊपर सरका के बेसाख्ता उसके चूचुक चूसने और निचोड़ने लगा।
नीलम रानी भी मज़े ले ले कर सी सी करने लगी।
मैं बारी बारी से दोनों मम्मोँ को चूसने का स्वाद लेता रहा। खासकर जब मैं उसकी गहरे काले रंग की बड़ी बड़ी निपल चूसता तो मज़े से थर्रा उठता।
लण्ड अकड़ कर एक गुस्साए नाग की भांति फुंकारें मार रहा था।
मैंने नीलम रानी की सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार नीचे सरकाई और एक उंगली उसकी प्यारी सी गांड में घुसा दी।
नीलम रानी चिंहुक पड़ी और बोली, ‘हाय राजे… क्या करते हो?’
‘मज़ा आया या नहीं?’ मैंने मुँह चूची से एक दो पल के लिए हटा कर पूछा और साथ ही साथ उंगली गांड के अंदर पूरी घुसेड़ दी।
नीलम रानी ने मस्ता कर हल्की सी किलकारी भरी।
मैं बेहद गर्मा चुका था क्योंकि लौड़ा बहुत ज़्यादा सता रहा था, मैंने नीलम रानी को खींच कर नीचे घुटनों के बल बिठा दिया और लौड़े को पैंट से बाहर निकाल कर नीलम रानी के मुँह के सामने करके तुनके लगाने लगा।
नीलम रानी समझ गई कि मैं लण्ड चुसवाना चाहता हूँ, तुरंत उसने टट्टों को बड़े प्यार से सहलाया, लण्ड की कुछ प्यार भरी चुम्मियाँ लीं और सुपारी की खाल पूरा पीछे खींच कर सुपारी नंगी कर दी।
एक बूंद टोपे के छेद पर उभर आई थी जिसे नीलम रानी ने तुरंत जीभ से लपक लिया और खूब खुश होकर चहकी- हूंउउऊऊउउ… स्वाद आ गया !
उसने मुखरस से तर करके जीभ बाहर निकाली और धीरे धीरे सुपारी को चाटने लगी, उसने टोपा चारों तरफ चाट चाट के मुझे जन्नत दिखा दी।
हर थोड़ी देर बाद एक बूंद लौड़े के छेद पर आ जाती जिसे नीलम रानी फौरन में में ले लेती।
अब नीलम रानी ने लण्ड की खाल आगे पीछे करना आरंभ कर दिया।
वो लण्ड की सुपारी चूसे जा रही थी और दोनों हाथों से लण्ड को पंप कर रही थी।
बीच बीच में एक हाथ से मेरे अंडकोश भी सहलाती जाती।
मस्त चुसाई चल रही थी, लौड़ा चूसने की नीलम रानी एक्सपर्ट थी। कभी वो सिर्फ टोपा चाटती चारों ओर जीभ फिरा फिरा के, तो कभी वो पूरा लण्ड मुँह में घूसा लेती और मुँह के भीतर जीभ से लण्ड चाटती।
कई बार नीलम रानी लण्ड को ऐसे चूसती जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं।
लण्ड की उत्तेजना बढ़े चले जा रही थी, मेरा बदन अब तपने लगा था, गला घुटा घुटा सा लगने लगा था।
अब आगे क्या क्या हुआ, वो पढ़िए और पढ़ कर मुठ मारिए या अपनी बीवी अथवा माशूका को ज़ोरों से कुचल मसल कर चोद डालिए।
नीलम रानी ने तय तारीख पर मेरी कम्पनी जॉइन कर ली। जॉइन करने पर कम्पनी की कार्यवाहियाँ पूरी करके जब वो मेरे ऑफ़िस में आई तो उसे देखकर मेरे दिल की धड़कन रुक सी गई।
क्या क़यामत ढा रही थी वो एक सादे से लेकिन खुशनुमा सलवार सूट में !
उसने ऊँची हील की बहुत ही बारीक तनियों वाली सैंडल पहन रखी थी जिसमें उसके लगभग पूरे पैर दीख रहे थे। वो जानती थी कि उसके पैर बहुत सुन्दर हैं और वो ऐसी ही चप्पल या सॅंडल पहनती थी जिसमें पैर छुपें नहीं, बल्कि दीखें। मैं कुर्सी से उठा और उसे बाहों में जकड कर दीवानों की तरह उसे चूमने लगा।
‘अरे राजा.. थोड़ी सी तसल्ली तो रखो, अभी तो मैं आई ही हूँ.. अभी चार दिन पहले ही तो तुमने तीन बार चोदा था.. हाय मेरे चोदू बॉस !’ नीलम रानी हंसते हुए बोली।
‘तसल्ली गई मां चुदाने… नीलम रानी… मेरा लण्ड अकड़ अकड़ के पागल हुआ जा रहा है… तू कहती है तसल्ली रखूँ?’ इतना कह कर उसे बाहों में उठा कर मैं ऑफिस से अटैच बाथरूम में ले गया, उसे दबोच के मैंने बेतहाशा उसके होंठ चूस डाले, पॉट का कवर नीचे डाल कर मैं पॉट पर बैठ गया और नीलम रानी की कमीज़ ऊपर सरका के बेसाख्ता उसके चूचुक चूसने और निचोड़ने लगा।
नीलम रानी भी मज़े ले ले कर सी सी करने लगी।
मैं बारी बारी से दोनों मम्मोँ को चूसने का स्वाद लेता रहा। खासकर जब मैं उसकी गहरे काले रंग की बड़ी बड़ी निपल चूसता तो मज़े से थर्रा उठता।
लण्ड अकड़ कर एक गुस्साए नाग की भांति फुंकारें मार रहा था।
मैंने नीलम रानी की सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार नीचे सरकाई और एक उंगली उसकी प्यारी सी गांड में घुसा दी।
नीलम रानी चिंहुक पड़ी और बोली, ‘हाय राजे… क्या करते हो?’
‘मज़ा आया या नहीं?’ मैंने मुँह चूची से एक दो पल के लिए हटा कर पूछा और साथ ही साथ उंगली गांड के अंदर पूरी घुसेड़ दी।
नीलम रानी ने मस्ता कर हल्की सी किलकारी भरी।
मैं बेहद गर्मा चुका था क्योंकि लौड़ा बहुत ज़्यादा सता रहा था, मैंने नीलम रानी को खींच कर नीचे घुटनों के बल बिठा दिया और लौड़े को पैंट से बाहर निकाल कर नीलम रानी के मुँह के सामने करके तुनके लगाने लगा।
नीलम रानी समझ गई कि मैं लण्ड चुसवाना चाहता हूँ, तुरंत उसने टट्टों को बड़े प्यार से सहलाया, लण्ड की कुछ प्यार भरी चुम्मियाँ लीं और सुपारी की खाल पूरा पीछे खींच कर सुपारी नंगी कर दी।
एक बूंद टोपे के छेद पर उभर आई थी जिसे नीलम रानी ने तुरंत जीभ से लपक लिया और खूब खुश होकर चहकी- हूंउउऊऊउउ… स्वाद आ गया !
उसने मुखरस से तर करके जीभ बाहर निकाली और धीरे धीरे सुपारी को चाटने लगी, उसने टोपा चारों तरफ चाट चाट के मुझे जन्नत दिखा दी।
हर थोड़ी देर बाद एक बूंद लौड़े के छेद पर आ जाती जिसे नीलम रानी फौरन में में ले लेती।
अब नीलम रानी ने लण्ड की खाल आगे पीछे करना आरंभ कर दिया।
वो लण्ड की सुपारी चूसे जा रही थी और दोनों हाथों से लण्ड को पंप कर रही थी।
बीच बीच में एक हाथ से मेरे अंडकोश भी सहलाती जाती।
मस्त चुसाई चल रही थी, लौड़ा चूसने की नीलम रानी एक्सपर्ट थी। कभी वो सिर्फ टोपा चाटती चारों ओर जीभ फिरा फिरा के, तो कभी वो पूरा लण्ड मुँह में घूसा लेती और मुँह के भीतर जीभ से लण्ड चाटती।
कई बार नीलम रानी लण्ड को ऐसे चूसती जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं।
लण्ड की उत्तेजना बढ़े चले जा रही थी, मेरा बदन अब तपने लगा था, गला घुटा घुटा सा लगने लगा था।
Re: नई का नशा
नीलम रानी ने अब जीभ को मोड़ के सिरे की नोक सी बना कर सुपारे के सुराख में घुसेड़ दिया तो मेरे बदन मे एक ज़बरदस्त सनसनी दौड़ी, लण्ड में सुर सुरी होने लगी।
तब नीलम रानी ने जीभ घुसाए घुसाए अपने होंठ पूरी ताक़त से लण्ड पर जमा दिए और होटों से लण्ड को ज़ोर से दबाए दबाए चूसने लगी।
आनन्द की हद पार होने लगी थी, नीलम रानी ने मुझे सताना चालू कर दिया था।
जैसे ही उसे लगता कि मैं झड़ने वाला हो रहा हूँ, वो एकदम लण्ड पर से होंठों का दबाब कम कर लेती और थोड़ी सी जीभ भी छेद से बाहर कर लेती।
जैसे ही मैं काबू पा लेता, वो दुबारा अपने विशेष स्टाइल से चूसने लगती।
मेरा लाण्डिया चूस चूस कर नीलम लौण्डिया ने मेरा हाल बिगाड़ दिया।
मैं उत्तेजना के मारे कांप रहा था। मेरे मुँह से आह… आह… अय्या… आ… आ… आहा जैसी आवाज़ें आने लगीं।
लण्ड कबू से बहर हुए जा रहा था।
नीलम रानी जान गई कि मैं खलास होने के बहुत करीब हूँ, उसने पूरा लौडा मुँह में ठूंस लिया था और बडी तेज़ी से मुँह को आगे पीछे करके वो चूस रही थी।
उसका मुँह रस से भर गया था जिससे लौड़ा तर होकर चुसाई का मज़ा लूट रहा था। जब लण्ड मुँह में घुसता तो पिच पिच की आवाज़ निकलती।
अचानक एक तरंग मेरे सिर से तेज़ रफ्तार शुरू होकर मेरे बदन से गुज़री और लण्ड से होती हुई मेरे लौड़े के छेद से निकली और साथ ही मैं झड़ा।
नीलम रानी ने सारी मलाई निगल ली, एक बूंद भी उसने बर्बाद न होने दी।
जब मैं झड़ झड़ कर खाली हो गया तो नीलम रानी ने बैठे लौड़े को मुँह से निकाला जिसमें पुच की आवाज़ हुई।
लुल्ले को फिर नीलम रानी ने एक कागज़ का नॅपकिन लेकर अच्छे से पौंछ पौंछ कर साफ व सुखा दिया।
इसके बाद मैंने नीलम रानी की कमीज़ उतार कर खूंटी पर टांग दी और उसकी ब्रा भी उतार डाली।
मस्त, गर्म गर्म सख्ताई हुई दोनों मम्मे, तनी हुई निप्पलों सहित यूं लग रहे थे कि दो तोपें तैयार खड़ी हैं। मैंने ताबड़ तोड़ चूचियों को दांतों से काट काट के, मसल मसल कर, कुचल कुचल कर चूसना शुरू कर दिया।
नीलम रानी चिहुँक चिहुँक कर सीत्कार भरने लगी।
चुदास अब उस पर पूरी तरह सवार हो चुकी थी, अब वो मस्ती में मचल मचल के अपने थन चुसवाए जा रही थी।
जितना मैं उसे नोचता खसोचता था, उतना ही वो ज़्यादा गर्म हुए जाती थी।
नीलम रानी ने कहा- राजे… बस अब जल्दी से चोद दो… अब मैं इतनी गर्म हो गई कि उबल उबल कर फट जाऊँगी… आआआह… हाय… ऊऊऊऊँ… बस राजा बस… मैं हाथ जोड़ती हूँ… अब देर ना करो !
मैं बोला- थोड़ी देर और मुझे खेलने दे अपने मस्त बदन से… हरामज़ादी जब लण्ड चूसते हुए तू मुझे सता रही थी उसका कुछ नहीं… अब चूत गर्मा गई है तो ज़रा भी तसल्ली नहीं हो रही है। जब फटने को हो जाएगी तभी चोदूँगा, फटने नहीं दूँगा तुझे !
इतना कह कर मैंने चूत पर उंगली फिराई तो ढेर सारे चूत के रस से उंगली भीग गई। वो तो दबा के पनिया रही थी।
जैसे ही बुर में उंगली घुसाई, नीलम रानी की आहें और भी तेज़ हो गयीं, बुर से रसे का फव्वारा छूटने लगा, रस बह बह कर उसकी जाँघों से नीचे घुटने तक आ गया।
पहले तो मैंने सारा रस उसकी जाँघों से चाटा जिससे नीलम रानी और भी अधिक चुदासी हो गई।
चुदाई की प्यास से व्याकुल होकर नीलम रानी अब गिड़गिड़ा रही थी कि मैं उसका कीमा बना दूँ, बुर फाड़ कर कचूमर निकल दूँ।
मेरा लण्ड भी फिर से टनाटन हो चुका था।
चूत का रस तो अब टपकने लगा था। मैंने अपने हाथ को चूत के नीचे रखा तो ढेर सारा चूतामृत से हाथ भर गया। बहुत मज़ा आया वो चिकना, बहुत हलका सा नमकीन और बहुत ज़रा सी खटास लिए हुए रस को जब मैंने पिया।
लण्ड तो अब बुरी तरह मचलने लगा था। चूतरस पीकर तो मैं भी बहुत अधिक उत्तेजित हो गया था।
मेरी मर्ज़ी तो बहुत थी कि मैं नीलम रानी की चूत का रस तसल्ली से पियूं क्योंकि इतना अमृत बहा बहा के उसकी बुर को देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था।
हाय राम, कितना स्वादिष्ट था नीलम रानी का चूतरस !!!
लेकिन बाथ रूम में उसकी चूत चूसना संभव नहीं था।
तो मैंने नीलम रानी से कहा कि वो आगे को दीवार के सहारे जितना झुक सकती है, झुक जाए और चूतड़ थ़ोडे से उठा ले, ताकि मैं घोड़ी की तरह उसे चोदूँ।
यह सुन कर तो वो बड़ी खुश हुई और फौरन ही बिल्कुल सही पोज़ीशन में आ गई। अब नीलम रानी के चिकने, सुन्दर और मुलायम मुलायम गोल गोल नितंब मेरे सामने थे।
उन्हें देख देख कर मैं मतवाला हुआ जा रहा था जबकि इधर नीलम रानी चुदाई के लिए बेकरार हुई जा रही थी।
मैंने उन चूतड़ों पर प्यार से हाथ फेरा और नीलम रानी की टांगें चौड़ा कर पीछे से अपना सुलगता हुआ लण्ड एक ही शॉट में बुर की अंदर घुसेड़ डाला। नीलम रानी ने मस्ता के एक किलकारी भरी और तेज़ तेज़ चूतड़ हिलाने लगी।
नीलम रानी हाँफते हुए हाय हाय करते हुए चुदवा रही थी।
बड़ी हैरत की बात थी कि यह लड़की जिसकी नथ मैंने सिर्फ तीन दिन पहले खोली थी, और जिसकी अब तक केवल एक दिन चुदाई हुई हो, अब ऐसे हुमक हुमक कर चुद रही थी।
मुझे भी मज़ा तो बेहद आ रहा था। इतनी टाइट बुर और उसमें से बहता हुआ ढेर सारा रस मेरी ठरक सातवें आसमान पर ले गया था।
लण्ड में एक हलचल मची हुई थी।