पेइंग गेस्ट compleet

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007
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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:22


भाभी ने अपने दीर्घ चुम्बन को तोड़कर अपनी बेटी का मुंह छोड़ा तो सीमा फ़िर तैयार थी. बोली “सा~म्री अंकल, मुंह से आह निकल गयी, इतना बड़ा लौड़ा है आपका, अब कुछ नहीं बोलूंगी” कह कर उसने भाभी को हटने को कहा और खुद धीरे धीरे पर पूरी शक्ति से मेरे लन्ड को अन्दर लेते हुए बैठती गई.
बड़ा प्यारा द्रुश्य था; उसकी नन्ही चूत अब पूरी तन कर खुल गयी थी और इन्च इन्च कर मेरे लन्ड को निगल रही थी. उस मखमली टाइट बुर से होने वाले मीठे घर्षण से ऐसा लग रहा था जैसे अभी झड़ जाऊंगा. किसी तरह मैने अपने आप को संहाला और आखिर सीमा पूरी नीचे होकर मेरे लन्ड को जड़ तक अन्दर लेकर मेरे पेट पर बैठ गई.
मीनल ने अपनी बहन की इस सफ़लता पर ताली बजाई और उसके स्तन दबाकर उसे शाबासी दी. भाभी ने तो खुशी से अपनी बेटी के चुम्बन पर चुम्बन ले डाले.”वाह, क्या चुदैल है मेरी बेटी, अनिल, देखा कैसे तुंहारा सोंटा पूरा खा गई. बेटी, तू तो मुझसे भी बड़ी चुदैल बनेगी और मेरा नाम रोशन करेगी.”

सीमा अपनी चूत की इस सफ़ल लन्ड खाने की क्रीड़ा पर अब मुसकरा रही थी. उसे दर्द भी बहुत हो रहा था जैसा उसकी आंखों में झलक आए आंसुओम से साफ़ दिखता था, पर वह कामुक लड़की अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिये बेचैन थी. मुझे अब वह चोदने लगी.
पहले तो वह जरा सी ऊपर नीचे हो रही थी और दर्द से बिलबिलाती भी जाती थी. “उ ऽ ऎ ऽ मां ऽ, मर गई, बहुत दुखता है ममी, हा ऽ य, फ़टी मेरी चूत” पर चोदने नहीं बन्द किया. उसकी सहायता करने को मीनल उस से लिपट कर उसे चूमने लगी और उसकी चूचियां दबाने लगी. सुधा भाभी ने अपनी उंगली उस के क्लिटोरिस पर रखकर उसे रगड़ना शुरू किया. बस वह कुम्वारी बुर पसीजने लगी. जैसे जैसे बुर में पानी छूता, वह लन्ड पर फ़िसलने लगी. इससे उसका दर्द कम हुआ और आनन्द बढ गया. इस तरह सीमा दो मिनट में ऐसी गीली हो गई कि बिना किसी रुकावट के मुझे चोदने लगी.
मैंने उसे मन भर कर चोदने दिया. वह दो बार झड़ी पर अपनी बुर में से मेरा लन्ड नहीं निकाला. मैं भी उस कसी कमसिन बुर से चुदने का मजा लेते लन्ड को ताने चुपचाप पड़ा रहा. आखिर दूसरी बार झड़ने पर सीमा थक कर मेरे ऊपर गिर पड़ी और सुस्ताने लगी. उसका मुंह चूमते हुए मैने इसे बाहों में भर लिया और फ़िर भाभी और मीनल को बाजू में कर के उसे पलटकर अपने नीचे लेता हुआ उस पर चढ गया. वह थोड़ी घबरा गई क्योंकि वह जानती थी कि मेरे सब्र का घड़ा भर चुका है. उसपर चढ कर उसके मुंह को अपने होंठों में दबाकर चूसता हुआ मैं घचाघच उस बच्ची को चोदने लगा.
सीमा अपने दबे मुंह से कराहती हुई अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. मेरा लन्ड अब फ़िर तन कर बड़ा मूसल हो गया था और उसे जरूर दर्द हो रहा होगा. मीनल ने अपनी छोटी बहन को ताना देते हुए कहा. “अब शुरू हुई है तेरी असली चुदाई, अब तक तो खूब मचल रही थी, अब देख अंकल तेरा क्या हाल करते हैं, जैसा मेरा किया था.” भाभी भी अपनी ही बुर में उंगली करते हुए अपनी छोटी बेटी की चुदाई का तमाशा देखती रहीं.
मैंने मन भर कर हचक हचक कर उसे कमसिन लड़की को चोदा और ऐसा झड़ा कि मुझे करीब करीब चक्कर आ गया. इतना सुख बस कभी कभी मिलता है. सीमा को दुखा तो बहुत होगा पर मैंने एक बात गौर की कि इस पूरी चुदाई में उसकी बुर हमेशा गीली रही और सूखी नहीं. याने उसे दर्द के साथ साथ मजा भी खूब आया होगा. सीमा ने भी अपनी आंसू भरी आंखों से मेरी तरफ़ देखा और उलाहना देने के बजाय मुझे चूम लिया. बड़ी होकर यह लड़की पक्की चुदैल होगी ऐसा मैं समझ गया.

झड़ कर मैं तो लुढक कर सो गया, हां नींद लगते लगते मैंने महसूस किया कि मेरे वीर्य के लिये मेरा लन्ड और सीमा की बुर चूसा जा रही है.
पहली रात की धुआंधार चुदाई के बाद सब थक गये थे इसलिये देर तक सोये. मैं दोपहर को आ~म्फ़िस चला गया. रात को आने में देर हो गई. आकर देखा तो लड़कियां सो गई थीं. सुधा भाभी मेरा खाने पर इम्तजार कर रही थीं. उन्होंने मेरा चुम्बन लेते हुए बताया कि दोनों की चूत दुख रही थी. पर दोनों बहुत खुश भी थीं. उस रात मैने भाभी को एक बार चोदा और फ़िर हम दोनों भी सो गये.
दूसरे दिन से चुदाई का एक कार्यक्रम बना दिया गया. सुबह मैं बस एक बार झड़ता था, उन तीनों में से किसी एक के मुंह मेम. उन्होंने दिन भी निश्चित कर लिये थे. मैं अपना लन्ड चुसवाते हुए उन तीनों की बुर का पानी एक एक बार पी लेता था. फ़िर आ~म्फ़िस निकल जाता था. मेरे जाने के बाद भी वे तीनों मां बेटी कुछ देर सम्भोग करती थीं क्योंकि वे चाहे जितना झड़ सकती थीं. फ़िर दोनों लड़कियां भी अपने स्कूल और का~म्लेज को निकल जाती थीं.
आने के बाद सुधा भाभी उनको अनुशासित रखती थीं जिससे रात तक वे सब गर्म हो जायेम. दो तीन घम्टे वे सब सो भी लेती थीं. मैं आ~म्फ़िस से आकर सीधा सो जाता था. रात का खाना खाने ही उठता और फ़िर नौ बजे से हमारी कांअक्रीड़ा शुरू हो जाती थी. शनिवार रविवार छुट्टी होने से हमारा कार्यक्रम जो शुक्रवार रात से चलता वह रविवार देर रात ही खतम होता था. बस सोना, खाना, पीना और सम्भोग यही दिनचर्या थी.
अब मैं लड़कियों को हफ़्ते में दो दो बार चोदता, उससे ज्यादा नहीं. उनकी चूतें आखिर कुम्वारी भी रखना थी. मीनल मंगलवार और शनिवार को चुदती थी. सीमा की कमसिन बुर मैं गुरुवार और रविवार को चोदता था. भाभी तो बहुत बार चुदती थीं. उन मां बेटियों में अब एक दूसरे के प्रति बहुत यौन आकर्षण पैदा हो गया था इसलिये उनमें आपस में सम्भोग तो चलता ही रहता था. सीमा की चूत चूसती सुधा भाभी या फ़िर मीनल को अपनी मां की जांघों में देखकर मुझे बहुत सुखद अनुभूति होती थी. और यह दृश्य देखकर मैं उत्तेजित भी रहता था.

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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:23


अधिकतर हम दो दो की जोड़ियां बनाकर सम्भोग करते थे. सबसे ज्यादा चलने वाली जोड़ियां याने मैं और मीनल और उधर वह बच्ची सीमा और उसकी मां. छोटी बेटी की ओर स्वाभाविक ही मां का प्यार ज्यादा था. उधर मुझे भी मीनल की सांवली दुबली पतली काया बहुत आकर्षित करती थी. ज्यादा चोद तो मैं उसे सकता नहीं था पर उसकी काली रसीली चूत चूसना और उसे अपना लन्ड घम्टोम चुसवाना ये मेरी मनपसम्द क्रीड़ाएम थीं. उसके काले खुरदरे पर मीठे होंठों का खूब चुम्बन लेना भी मुझे बहुत भाता था.
शनिवार रविवार की चुदाई में हम अक्सर किसी एक को निशाना बना लेते थे और फ़िर सब मिलकर उसके पीछे पड़ जाते थे. अक्सर भाभी निशाना बनती थीं और मैं उनके मुंह या चूत में लन्ड देकर सोता और लड़कियां उनकी चूत और चूचियों के पीछे पड़ जातीं.
अब अक्सर मुझे खयाल आता कि भाभी अगर अपनी और लड़कियों की गांड मारने देम तो क्या मजा आये. मैने भाभी को एक बार कहा भी जब उनके मुंह में मेरा लन्ड गले तक धम्सा हुआ था, सीमा उनकी बुर चूस रही थी और मीनल उनके मम्मोम से खेलती हुई उन्हें मसल और चूस रही थी. “भाभी, मीनल को कोई रस नहीं मिल रहा है. इस समय असल में मेरा लन्ड आपकी गांड में होना था, और मीनल की चूत आपको चूसना था, तब आता मजा.”
मैं असल में उन तीनों के चूतड़ोम को देख देख कर ललचा जाता था. भाभी के भारी भरकम थोड़े लटके हुए पर मुलायम नितम्ब, मीनल के छोटे दुबले पर एकदम कसे हुए काले चिकने चूतड़ और छोटी सीमा के गोल मटोल कमसिन चिकने तरबूज देख कर मेरे मुंह में पानी भर जाता था. अकेले में मैने कई बार बात छेड़ी पर भाभी हमेशा टाल जातीं और मना कर देतीं.
एक बार मेरे बहुत कहने पर उन्होंने बताया कि उन्हें इससे चिढ क्यों है. अपने पति की कहानी उन्हें पहले ही सुनाई थी कि बाद में वे कैसे समलिंग सम्भोग के आदी हो गये थे और जवान लड़कोम के साथ गांड मराते और मारते थे. भाभी का वे एक उपहार की तरह प्रयोग करते थे और उनके मांसल शरीर का लालच देकर गांड मारने के लिये लड़के फ़म्साया करते थे. यह देख देख कर भाभी को उस क्रिया से ही नफ़रत हो गई थी. उनकी खुद की भी गांड बहुत बार मारी गई थी और अब वे उससे ऊब गई थीं.
मैंने उन्हें समझाया. “भाभी जान, यह सिर्फ़ पुरुषों वाली क्रिया नहीं है. मर्दोम को औरतों की नरम नरम गांड मारने में भी बड़ा आनन्द आता है. और ठीक से मरवाई जाये तो आप को भी मजा आयेगा ऐसी मैं गारम्टी देता हूं. मुझे बस एक मौका देम. और अगर पसम्द आये तो फ़िर लड़कियों की भी गांड मारने की परमिशन देम”
भाभी कुछ देर सोचती रहीं. फ़िर बोलीं. “एक रास्ता है पर तुझे पसम्द आयेगा या नहीं मालूम नहीं.” मैने कहा कि मैं कुछ भी करने को तैयार हूं. उन्होंने हम्सते हुए मुझे बांहों में ले कर कहा. “मीनल से शादी करेगा?” मैं चकरा कर देखता रह गया.

भाभी ने आगे कहा. “सीमा की शादी में अभी देर है. पर मीनल की शादी की उमर हो गई है. मुझे उसकी चिम्ता है. तुझे वह बहुत मस्त लगती है मुझे मालूम है. दिखने में वह सुम्दर नहीं है पर कितनी गरम और मीठी है यह तुझे मालूम है. उसकी अच्छी जगह शादी करने में मेरे बाल सफ़ेद हो जाएंगे. और तुझ से अच्छा लड़का मुझे कहां मिलेगा. और फ़िर घर का माल घर में रहेगा. यहीं घर जमाई बन के रहना और हम तीनों के साथ मजा करना. मुझे पता है कि तेरे पास बहुत पैसा है और हमारा भी जो है वह तुंहारा ही होगा.”
मैं सोचने लगा. बात ठीक थी. और मेरा कांअ कर्म चालू ही रहने वाला था. मेरे साथ सम्भोग के लिये मेरी पत्नी, मेरी साली और मेरी सास रहने वाली थी. और मुझे पता था कि ये तीन चुदैलेम मुझे और कहीं मुंह मारने को भी मना नहीं करेंगी, बल्कि बाहर से कोई नई साथिन मिल जाये तो खुद भी उसके साथ सम्भोग को तैयार हो जाएंगी. भाभी ने मानों मेरे मन की बात ताड़ ली और बोलीं. “अगर बाहर की किसी लड़की या औरत के साथ तू चक्कर चलायेगा तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी, बस अच्छी स्वस्थ हो और उसे भी यहां बुला लिया करेंगे.”
मैंने भाभी से कहा. “भाभी, मीनल से पूछेम, आखिर मुझमें और उसमें पम्द्रह साल का अम्तर है.” भाभी बोलीं. “तो क्या हुआ? लन्ड तो तेरा सोलह साल का है, ऐसा हलब्बी मतवाला लन्ड मैंने कभी नहीं देखा. मीनल को बहुत पसम्द है, कल ही अकेले में मुझ से कह रही थी कि अम्मा, अंकल के लन्ड की तो पूजा कर लिया करो रोज, अब तुंहारी पत्नी बन कर वही करेगी.”
मैंने फ़िर पूछा “भाभी, अगर मैं हां कर दूम तो इसका गांड मारने से क्या सम्बन्ध?” वे हम्स कर बोलीं.” मीनल की गांड तुझे सुहाग रात को मिलेगी. चूत तो अब कुम्वारी है नहीं उसकी. शादी के बाद सीमा की भी मिलेगी दहेज मेम, अपने जीजाजी से वह बड़ी खुशी से गांड मरवाएगी. और मैं तुंहारी सास, मैं तुमसे सगाई के दिन ही मरवा लूंगी.”
मैंने और न सोचा और तुरम्त हां कर दी. मेरी सास बनने की खुशी में भाभी ऐसे मचलीं कि मुझे जमीन पर पटककर अपनी साड़ी उठा मेरे मुंह पर चढ गईं और उसे चोद डाला. अपना बुर का पानी पिलाकर फ़िर मुझे उन्होंने ऊपर से ही चोदा और अम्त में मेरे लन्ड को चूस कर अपनी प्यास बुझाई.

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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:24


मीनल को भाभी ने मेरी पत्नी बनने की बात तब कही जब वह उनकी गोद में बैठ कर उनसे चूमा चाटी कर रही थी और मुझसे अपनी जवान बुर चुसवा रही थी. सुनते ही वह हड़बड़ा गई. सीमा जो मेरा लन्ड चूस रही थी ऐसी बिचकी कि उसके दांतों ने मुझे अनजाने में काट खाया. मुंह से लन्ड निकाल कर उसने बड़े उत्साह से मां से पूछा. “सच मां? अंकल दीदी से शादी करेंगे?”

जब सुधा भाभी ने उन्हें बताया कि यह मजाक नहीं है तो मीनल शरमा गई. लज्जा से उसका मुंह लाल हो गया और मुझसे जो अब तक मजे ले ले कर “अंकल अंकल, जीभ अन्दर डालिये न !” कहकर चूत चुसवा रही थी, मुझसे आंख चुराने लगी. जब मैंने उसे प्यार से पूछा कि कोई ऐतराज तो नहीं है तो शरमाई भी और ऐसी उत्तेजित हुई कि उसकी बुर ने झड़कर चार पांच चम्मच चिपचिपा रस मेरे मुंह में छोड़ दिया.
उसके बाद शादी पक्की होने की खुशी में आधे घम्टे तक ऐसे जबरदस्त चुदाई हुई कि सभी दो तीन बार झड़ झड़ कर लस्त हो गए. गांड मारने की बात बिलकुल गुप्त रखी गई क्योंकि भाभी ने पहले ही मुझसे कहा था कि यह बात मीनल और सीमा को सुहाग रात के दिन ही बताएंगे.
दूसरे ही दिन भाभी ने दोनों को कपड़े आदि खरीदने बाजार भेज दिया. सगाई शांअ को ही रखी गई. कोई सगे सम्बन्धी थे नहीं, सिर्फ़ एक बूढी बुआ थी जिसे बुलाया गया. भाभी की छोटी बहन दिल्ली में थी इसलिये उसने कहा कि वह सीधे शादी पर आयेगी. शादी भी अगले ही हफ़्ते होना तय हो गई. मैं भी अकेला था इसलिये किसी को बुलाने का प्रश्न ही नहीं था. कोर्ट मैरिज करेंगे ऐसा ही ठहराया गया.
लड़कियां मार्केटिंग को निकल गईं और हम अकेले बचे. मैं भाभी की ओर देख कर मुस्कराया. अपना लन्ड निकाल कर हाथ में लेकर सहलाते हुए बोला.”चलिये सासू जी, गांड मराने को तैयार हो जाइये.” भाभी कपड़े उतारने लगीं तो मैने मना कर दिया. “रहने दीजिये भाभी, साड़ी कमर के ऊपर कर लेना, मैं वैसे ही मार लूंगा, मजा आयेगा.”
मैं भाभी को रसोई में ले गया. वहां उनसे फ़्रिझ में से मक्खन निकलवाया और फ़िर उन्हें झुक कर डाइनिंग टेबल को पकड़कर खड़ा रहने को कहा. उनकी साड़ी उन्होंने खुद ही कमर के ऊपर कर ली. उनके नंगे गोरे चूतड़ अब मेरे सांअने थे. मैंने उन्हें प्यार से चूमा और थोड़ा दबाया. फ़िर उनकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ने लगा, वैसे जरूरत नहीं थी क्योंकि गांड का छेद काफ़ी ढीला था, मेरी दो तीन उंगलियां आराम से अन्दर जा रही थीं. लगता है काफ़ी गांड मराई थी जवानी मेम.
भाभी के चेहरे की ओर देखा तो उस पर दो भाव थे. एक थोड़ा डर और हिचक, दूजा भरपूर वासना. मैंने और प्यार से खूब देर मक्खन चुपड़ा और फ़िर अपनी उंगलियां चाट लीं. उनके गुदा की गरमी से पिघल कर थोड़ा मक्खन बाहर आने लगा था. मैंने बिना और विचार किये अपना मुंह लगा दिया और उनकी गांड का छेद चूसने लगा.
अब भाभी को मजा आने लगा, थोड़ा हिलने डुलने लगीं. फ़िर मैंने अपनी जीभ उनकी गांड में डाल दी, भाभी ऐसी हुमकीं कि जैसे कोई नववधू पहला सुख का अहसास होने पर करती है. लगता है कि पहले कभी किसीने उनकी गांड नहीं चूसी थी. वे अब गरम थीं और हाय हाय करने लगीं. इतने दिन मना करने पर अब उन्हें शायद मुझसे कहने में शरम आ रही होगी पर मैं समझ गया कि वे अगर बोलतीं तो यही कि “मारो मेरी गांड अनिल, घुसेड़ो अपना लन्ड”.
मैं खड़ा हो गया और अपना सुपाड़ा उनके गुदा में पेल दिया. बड़े प्यार से धीरे धीरे पेला जब कि चाहता तो उस ढीली गांड में एक धक्के में जड़ तक उतार देता. पर मैं भाभी को पूरा सम्तुष्ट करना चाहता था. आराम से इम्च इम्च करके मैने पूरा लन्ड पेला और आखिर मेरी झांटेम उनके चूतड़ोम से भिड़ गईं. उन चूतड़ोम को मसलते हुए मैं बोला. “देखा भाभी, कितने प्यार से दिया आपकी गांड में लन्ड, आप फ़ालतू घबराती थीं” आखिर भाभी भी पसीज गईं. बोलीं “बहुत अच्छा लग रहा है भैया, इतना मजा आयेगा ऐसा मैने नहीं सोचा था.”

मैंने अपना हाथ उनकी कमर के गिर्द डाल कर उनका क्लिट रगड़ना शुरू किया जिससे उन्हें और मजा आने लगा. थोड़ा लन्ड मैने उनकी गांड में अन्दर बाहर किया फ़िर उन्हें कमर से पकड़कर धीरे से उठाया. “चलिये भाभी, अब बिस्तर पर चलिये. वहां आराम से लिटाकर आपकी गांड मारूंगा.”
उनके मम्मे पकड़कर दबाता हुआ मैं उन्हें अपने आगे चलाता हुआ बेडरूम में ले गया. गांड में लन्ड गड़ा होने से वे धीरे धीरे चल रही थीं. पलन्ग पर मैने उन्हें पट लिटाया और उनके ऊपर सो गया. फ़िर उनकी चूचियां पकड़कर दबाता हुआ बड़े प्यार से हौले हौले उनकी गांड चोदने लगा. मक्खन चुपड़े गुदा में लन्ड बड़े आरांअसे फ़िसल रहा था. निपल कड़े थे इसलिये पक्का था कि भाभी को मजा आ रहा था. बीच बीच में मैं उनका मदनमणि मसल देता और वे खुशी से चहक उठतीं. “मजा आया ना भाभी? मैं कहता था कि मरा के देखिये. अच्छा अब बताइये कि लड़कियों को इस बारे में क्यों नहीं बताया?”

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