पेइंग गेस्ट compleet

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007
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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:26


भाभी भी अब अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मरवा रही थीं. बीच में ही अपना गुदा सिकोड़ कर मेरे लन्ड को पकड़ लेतीं. “अनिल, मीनल घबरा जायेगी. अभी तो खुश है पर पता चलेगा कि सुहागरात को उसकी कुम्वारी गांड चोदी जायेगी वह भी तुंहारे हलब्बी लन्ड से, तो रो देगी. उस रात उसे सरप्राइज़ देंगे. मै तो यही मानती हूं कि सुहागरात को वधू को दर्द हो और वह थोड़ा रोए धोए तो मजा आता है. चुदने में तो वह रोएगी नहीं, बल्कि मस्त होकर चुदवाएगी. इसलिये तुम आराम से खूब समय लेकर उसकी गांड मारना. मैं और सीमा तुंहरी सहायता करेंगे और मजा लूटेंगे.”
भाभी के यह विचार सुनकर मुझे मजा आ गया. उत्तेजित होकर मैं अब हचक हचक कर उनकी गांड मारने लगा और झड़ गया. भाभी वैसे ही पड़ी रहीं और मैंने अपने मेहनताने की बदौल उनकी चूत चूस कर उनका रस पी लिया.
सगाई शांअ को हुई और बस एक घम्टे में खतम हो गई. रात को हमने दूने जोश से चुदाई की. सीमा अब मुझे जीजाजी और भाभी अनिल बेटा कहने लगी. मेरी होने वाली पत्नी मीनल जो पहले मुझे अंकल कहती थी अब शरमा कर ‘सुनिये जी’ कहने लगी. “सुनिये जी, अपनी जीभ डालिये ना मेरी बुर मेम’ जब उसने मुझसे बुर चुसाते समय कहा तो सब हम्सने लगे.
मैंने उसे प्यार से कहा कि अब वह मुझे मेरे नाम अनिल से बुला सकती है. भाभी ने कहा कि शादी के पहले, जो अगले हफ़्ते में थी, यह हमारी आखरी चुदाई होगी. पहले तो दोनों लड़कियां इस पर चिल्लाने लगीं पर फ़िर मैंने और भाभी ने जब उन्हें समझाया कि एक हफ़्ते अपनी वासना पर लगांअ रखने से सांऊहिक सुहागरात का मजा दूना हो जायेगा तो वे मानीं.
मैंने दूसरे दिन एक क्रींअ लाकर सब को दी जिसे लन्ड या क्लिटोरिस पर लगाने से ठम्डक सी लगती थी और उसमें सभी सम्वेदना लुप्त हो जाती थी. इससे सब को अपने आप पर काबू रखने में काफ़ी सहायता मिली.
आखिर शादी भी हुई. बस कोर्ट में जाकर आधे घम्टे का कांअ था. मेहमानों के रूप में सिर्फ़ एक बूढी बुआ थीं जो तुरम्त अपने घर लौट गईं. दूसरे सुधा भाभी की छोटी बहन थीं. वे दिल्ली में एक कम्पनी में ऊम्चे पद पर कांअ करती थीं और अविवाहित थीं. उंर पैम्तीस के करीब होगी याने मेरे जितनी. बड़ा आकर्षक व्यक्तित्व था. बा~म्ब कट बाल, कसा हुआ बदन और चेहरे पर एक आत्मविश्वास. वे भी रात को ही लौट गईं. मैंने मन में उनकी मूरत जमा ली, सोचा आगे कभी मौका मिलेगा तो अपनी पत्नी की उस मौसी से भी चक्कर चलाऊंगा. मुझे भी वे काफ़ी इम्टरेस्ट से देख रही थीं. हम दोनों को अगले माह दिल्ली घूमने आने का न्योता उन्होंने दिया जो मैंने तुरम्त स्वीकार कर लिया. भाभी को कुछ अम्दाजा हो गया था इसलिये वे मम्द मम्द मुस्करा रही थीं.

हम घर वापस आये. वहां सीमा और भाभी ने पहले ही सुहागरात के लिये पूरे कमरे को फ़ूलों से सजा रखा था. हम सब अलग अलग नहाने को चले गये. नहा कर उस क्रींअ को धोना था और एक घम्टे बाद उसका असर खत्म होने पर बेडरूम में मिलना था.
ंऐम नंगा ही कमरे में दाखिल हुआ. मेरा लन्ड एकदम तन खड़ा था और मीनल के बदन में घुसने को बेचैन था. आज मैंने निश्चय कर लिया था कि उस मस्त सूजे शिश्न को पूरा काबू में रखूंगा और कम से कम घम्टे भर अपनी पत्नी की गांड मारकर ही झड़ूंगा. कमरे में देखा कि सीमा और भाभी भी नंगी थीं. दोनों एक हाथ से अपनी उत्तेजित चूत सहला रही थीं और मीनल के पास बैठकर उसे चूम चूम कर उससे मजाक कर रही थीं. मीनल बहुत शरमा रही थी और पूरे कपड़े याने लाल शादी का जोड़ा पहने थी.
मेरे मचलते लौड़े को देखकर आंख मारकर सीमा चहकी “लो जीजाजी आ गये, दीदी देख, तेरे लिये क्या उपहार लाये हैं? मैं तेरी जगह होती तो जरूर घबरा जाती!” लगता है भाभी ने चुपचाप उसे बता दिया था कि आज क्या होने वाला है. उसके इस उलाहने को मीनल ने नजरम्दाज कर दिया. बड़ी भूखी और ललचायी नजर से वह अपने पतिदेव के लिंग को देख रही थी. बेचारी शायद इसी भ्रम में थी कि इस मस्त लन्ड से उसे चोदा जायेगा और उसका वीर्य भी पीने मिलेगा.
मैंने अपने दुल्हन का एक गहरा चुम्बन लिया और फ़िर उसके कपड़े निकालने लगा. भाभी और सीमा ने भी हाथ बटाया, उसके गहने निकाले, साड़ी खोली और ब्लाउज़ उतारा. मैंने उन्हें कहा कि मंगल सूत्र रहने देम. अब वह लाल रंग की ब्रा और पैंटी में थी. उसके सांवले शरीर पर आज अजब निखार था. मैंने उस पलन्ग पर लिटाया और सीमा से उसकी ब्रा निकालने को कहा. खुद मैं उसकी पैंटी उतारने लगा. “पहले अपनी प्यारी अर्धांगिनी की योनी के अमृत का पान करूंगा.” कहकर मैं उसकी बुर चूसने लगा. वह इतनी गीली थी जैसे कई बार झड़ी हो. चिपचिपा गाढा रस आज ज्यादा ही स्वादिष्ट था. आखिर हफ़्ते भर के संयम का यह परिणाम तो होना ही था.
भाभी और सीमा उसे चूमने और उसके स्तनों की मालिश करने में लग गईं. मीनल ने मेरा सिर अपनी बुर पर प्यार से दबा लिया और धक्के देते हुए मेरे मुंह पर अपनी वासना शांत करने लगी. उसके एक स्खलन के बाद मैं उठ कर बैठ गया और अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला. “चलो, तुंहारा कौमार्य भंग करने का समय आ गया है मेरी जान.” खुश होकर उसने अपनी टांगेम फ़ैला दीं और मेरे लन्ड के अपनी चूत में घुसने का बेचैनी से इम्तज़ार करने लगी.

007
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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:27


मीनल को बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसका एक चुम्बन लेकर मैंने उसे उठाकर पट लिटा दिया. उसे लगा कि शायद मैं कुतिया स्टाइल में पीछे से चोदने वाला हूं इसलिये वह अपने घुटनों और कोहनियों पर जमने लगी तो मैंने उसे फ़िर नीचे पट लिटा दिया और भाभी और सीमा को इशारा किया.
भाभी ने उसके हाथ पकड़ लिये और सीमा उसके पैरोम पर बैठ गई. मैंने मन भर के अपनी रानी के नितम्ब देखे. काले सांवले पर कसे हुए वे चूतड़ खा जाने को मन होता था. मैने झुक कर उन्हें मसलते हुए चूमना और चाटना शुरू किया और फ़िर उसके गुदा को चूसने लगा. अपनी जीभ उसमें डाली तो बड़ी मुश्किल से गई; बड़ा ही टाइट होल था. उसके सौम्धे स्वाद को मैं अभी चख ही रहा था कि मीनल बोली. “छोड़ो, यह क्या कर रहे हो?”
मैंने कहा.” तुंहारे उपहार को चूम रहा हूं रानी, आखिर अपना इतना अमूल्य अंग एक पत्नी अपने पति को भोगने को दे रही हो तो उसका स्वाद लेना जरूरी है, चोदने के पहले.” मीनल घबरा कर बोली. “नहीं नहीं, ऐसा मत करो, मैं मर जाऊंगी, ममी समझाओ ना अनिल को.” भाभी बोलीं. “उसका हक है बेटी, अब वह तेरा पति है, और पति को सुहागरात में अपनी कुछ तो कुम्वारी चीज़ देना चाहिये, तेरी चूत तो पहले ही चुद चुकी है, हां यह गांड बिलकुल अछूती है जो वह अब मस्ती से मारेगा.”

मीनल अब रोने लगी. जब छूटने की सब कोशिशें बेकार हुईं तो सिसकते हुए लस्त पड़ गई. तब तक मैने उसकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ना शुरू कर दिया था. एक ही उंगली अन्दर जा रही थी. “सचमुच बड़ी कसी कुम्वारी गांड है आपकी बेटी की, बहुत मजा आयेगा इसे चोदने मेम.” मैंने भाभी से कहा.
मेरे लन्ड को सीमा मक्खन लगा रही थी, उसके छोटे छोटे हाथों के स्पर्श से लन्ड और फ़ूल गया था. अपनी उंगलियां चाटते हुए मैं पलन्ग पर चढ कर मीनल के पैरोम के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गया. अपना लाल लाल सूजा सुपाड़ा मैंने अपनी पत्नी के गुदा पर रखा और थोड़ा दबाया. फ़िर भाभी को इशारा किया. भाभी ने अपनी बेटी के मुंह पर हाथ रख दिया. मैंने तुरम्त सुपाड़ा पेलना शुरू किया. घबराकर मीनल ने अपनी गांड का छल्ला सिकोड़ लिया था जिससे गांड का मुंह करीब करीब बन्द हो गया था.
“गांड खोल रानी, ढीली छोड़ नहीं तो तुझे ही तकलीफ़ होगी.” कहकर मैने और दबाया. मेरी शक्ति के आगे उस बेचारी की क्या चलती. गांड को खोलता हुआ मेरा सुपाड़ा आधा धम्स गया. ंईनल का शरीर एकदम कड़ा हो गया और वह छटपटाने लगी. भाभी ने मुझसे पूछा. “फ़ट तो नहीं जायेगी मेरी बच्ची की गांड? जरा संहाल कर बेटा.” मैंने कहा. “घबराइये मत सासू मां, हौले हौले डालूंगा, बस सुपाड़ा अन्दर हो जाए, फ़िर डम्डा तो आराम से जायेगा.और मक्खन इसी लिये लगाया है कि सट से चल जाए.”
मैंने पेलना बन्द करके नीचे देखा. मीनल का गुदा पूरा तन कर फ़ैला हुआ था और उसमें मेरा सुपाड़ा फ़म्सा हुआ था. मैंने थोड़ा और मक्खन उसपर लगाया और मीनल के शांत होने का इम्तजार करने लगा. दो मिनट में जब उसका कसमसाना बन्द हुआ तो मैंने अब कस कर लन्ड को दबाया. पा~म्क्क की आवाज से सुपाड़ा अन्दर हो गया. मीनल हाथ पैर पटकने लगी. उसके दबे मुंह से सीत्कार निकल रहे थे. उस युवती के तड़पने में भी ऐसा मादकपन था कि भाभी और सीमा भी गरम हो उठीं. मैंने झुक कर भाभी को चूम लिया और उनकी चूचियां दबाते हुए मीनल का दर्द कम होने का इम्तजार करने लगा.
कुछ देर बाद मैंने बड़े धीरे धीरे लन्ड अन्दर घुसेड़ना शुरू किया. कस कर फ़म्सा होने की बाद भी मक्खन के कारण लन्ड फ़िसल कर मीनल के चूतड़ोम की गहराई में इम्च इम्च कर जा रहा था. वह ज्यादा छटपटाती तो मैं रुक जाता. आखिर जड़ तक लन्ड खोम्सने के बाद मैं अपनी पत्नी के ऊपर सो गया और हाथ उसके शरीर के इर्द गिर्द जकड़ लिये. झुककर देखा तो उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और बड़ी दयनीय भावना से वह मेरी ओर देख रही थी. मुझे थोड़ी दया आई पर बहुत अच्छा लगा. सुहागरात उस चुदैल को हमेशा याद रहेगी ऐसा मैंने मन ही मन सोचा. मैं यह भी जानता था कि अब वह मेरी मुठ्ठी में रहेगी और हमेशा मुझ से थोड़ा घबरा कर रहेगी.




007
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Re: पेइंग गेस्ट

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:28

पांच मिनट बाद मैंने भाभी को कहा कि हाथ अपनी बेटी के मुंह से हटा लेम, अब वह नहीं चीखेगी. भाभी के हाथ हटाते ही वह सिसक सिसक कर रोने लगी. “मां, मैं लुट गई, लगता है गांड फ़ट गई, इतना दर्द हो रहा है जैसे किसी ने पूरा हाथ घूम्सा बनाकर डाल दिया हो. खून बह रहा होगा, जरा देखो ना. ममी अनिल से कहो ना मुझे छोड़ दे, अपना लन्ड निकाल ले नहीं तो मैं मर जाऊंगी.” सीमा ने बड़ी उत्सुकता से उसके गुदा को टटोल कर देखा. “नहीं दीदी, नहीं फ़टी, खून भी नहीं निकला, तू गांड ढीली क्यों नहीं कर लेती जैसा जीजाजी कहते हैं?”
मीनल को शांत करना जरूरी था, नहीं तो बेचारी की सुहागरात पूरी दर्द से बिलबिलाते हुए जाती. मैं उसे बांहों में जकड़े बिस्तर पर पलट गया जिससे मैं नीचे और वह ऊपर थी. मैंने भाभी से कहा “भाभी, जरा दुल्हन की चूत पर आप ध्यान दीजिये. और सीमा तू इधर आ और दीदी को अपनी चूची चुसवा.” सीमा ने अपना एक निपल मीनल के मुंह में दे दिया और दर्द की मारी मीनल उसे चूसने लगी कि कुछ तो हो जिससे उसका ध्यान बम्टे उसके गुदा में होती पीड़ा से.
भाभी ने झुककर अपनी तड़पती बेटी की बुर को चूमना शुरू कर दिया. मैं उसकी चूचियां पकड़कर उनकी मालिश करने लगा. धीरे धीरे मीनल कुछ सम्भली और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी बुर चाटते मेरी ओर देखकर मुसकराईं तो मैं समझ गया कि दुल्हन की चूत में से रस निकलना शुरू हो गया है.
मीनल अब अपनी गांड को किसी तरह ढीला छोड़ने में भी सफ़ल हो गई और उसका दर्द कुछ कम हुआ. मस्ती में आकर उसने अपनी छोटी बहन की चूत टटोली और उसे गीला पाकर कहा. “सीमा, मुझे अपनी चूत चुसवा. बैठ मेरे मुंह पर” सीमा को और क्या चाहिये था. झट से मीनल के मुंह पर अपनी बुर रख कर बैठ गई और मीनल उसे मन लगाकर चूसने लगी. मीनल का सिर मेरी छाती पर था इसलिये मुझे बहनों के बीच की यह क्रीड़ा साफ़ दिख रही थी.
उधर मीनल की बुर अब इतनी मस्त हो चुकी थी कि मां के सिर को उसने जांघों में जकड़ लिया था और अपनी टांगेम घिस घिस कर वह सुधा भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन कर रही थी. सीमा अचानक झड़ी. उसकी किलकारी से मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया. उसमें से अब लगातर पानी बह रहा था जिसे मेरी दुल्हन भूखी की तरह चाट रही थी. पास से उस पानी की महक मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई और मैने मीनल का सिर बाजू में किया और खुद अपनी उस नन्ही साली की बुर चूसने लगा.
काफ़ी देर इस तरह मजा करने के बाद आखिर मेरा लन्ड इतना उत्तेजित हो गया कि अब मुझसे न रहा गया. मैने भाभी और सीमा को अलग किया और पलट कर मीनल को पलन्ग पर ओम्धा पटककर उसपर चढ गया और उसकी गांड मारने लगा. जैसे ही मेरा मोटा ताजा तन्नाया हुआ लौड़ा उसकी बुरी तरह से फ़ैले गुदा में अन्दर बाहर होने लगा, वह फ़िर दर्द से बिलबिला उठी. दर्द से न चाहकर भी उसकी गांड का छल्ला सिकुड़ने की कोशिश करने लगा जिससे मेरा आनन्द दूना हो गया और उसका दर्द और बढ गया.

मुझे अब अपनी उस नाजुक पत्नी के दर्द की कोई परवाह नहीं थी. मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली थीं और अपनी जांघें उसके कूल्हों के इर्द गिर्द जकड़ कर उछल उछल कर उसकी गांड मार रहा था. अब वह दर्द से बिलखती हुई अपनी मां और बहन को सहायाता के लिये पुकारने लगी. “मां , बचा लो मां, आज मैं जरूर मर जाऊंगी, सीमा, जीजाजी को समझा, मेरी फ़ाड़ देंगे, उनसे कह कि चोद लेम या मैं चूस देती हूं, पर मेरी गांड पर दया करेम.”
उसकी इस याचना से मेरी वासना और दुगनी हो गई और उसकी चूचियां बुरी तरह से कुचलते हुए मैंने उसे ऐसा भोगा कि वह हमेशा याद करेगी. आज भी उसे अपनी सुहागरात याद आती है तो घबरा जाती है. भाभी और सीमा ने उसकी एक न सुनी बल्कि वे दोनों भी मीनल की सकरी कुम्वारी गांड में निकलते घुसते मेरे लन्ड को देखकर ऐसी गरमाईं कि एक दूसरे से लिपट कर सिक्सटी-नाइन करती हुई एक दूसरे की बुर चूसने लगीं.
मैंने आधे घम्टे मीनल की गांड मारी और फ़िर अखिर एक जोर की हुमक के साथ झड़ गया. मीनल अब तक दर्द से बेहोश हो चुकी थी, नहीं तो मेरे उबलते वीर्य से उसकी गांड की जो सिकाई हुई उससे उसे कुछ आराम जरूर मिलता.

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