सहेली के पापा compleet

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raj..
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Re: सहेली के पापा

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:17



"तुमको चुदवाने मे रीता से ज़्यादा मज़ा आएगा. चूत को अपने हाथ
से खोलो." मैं मस्त थी और बहुत मज़ा आ रहा था. मेरी चूत गीली
थी और लंड आराम से घुस सकता था. मौके का फयडा उठाने के लिए
रीता के पापा ने फैलाई गयी चूत के डप-डप करते गुलाबी छेद पर
अपने मस्त सूपदे को लगा मेरी दोनो चूचियों को मसल्ते हुवे पेलने को
कमर चलाई.

कुँवारी चूत थी इसलिए दो बार सूपड़ा चूत मे घुसकर बाहर आ
गया जिससे रीता के पापा को कुंवारेपन का पूरा मज़ा मिला. फिर उन्होने
ज़ोरदार धक्के के साथ सूपड़ा मेरी गरमाई कुँवारी चूत मे पेला तो
मैं कसमसा उठी. चूत की कुँवारी झिल्ली फॅट गयी थी. मैं मज़े से
भर गयी. दोनो फाँक कसकर उनके लंड से चिपकी थी जिससे रीता के
पापा को अनोखी चूत का असली मज़ा मिल रहा था. हल्का सा खून भी
बाहर आया था जिसे देख रीता के पापा और मस्त हुवे. अब मैं आराम से
आँख बंद कर पूरे लंड को धीरे-धीरे चूत मैं घुसेडवा चुदवाने
लगी. मुझे चुदवाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. रीता के पापा प्यार
से अपनी लड़की के सामने उसकी सहेली को चोद्कर मज़ा ले रहे थे.
बड़ी-बड़ी फाँक दोनो तरफ से लंड को कसे अंदर- बाहर आने-जाने दे
रही थी. प्यार से चोद्ते हुवे सहेली के पापा ने कहा,

"बराबर आना बेटी."

"जी पापा मौका निकल रोज़ आउन्गि."

"दर्द तो नही हो रहा बेटी?"

"हाए नही पापा चोद्ते रहिए बहुत मज़ा आ रहा है."

"मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है. अब तुमको ज़्यादा चोदुन्गा और रीता
को कम." उस रात रीता के पापा ने 4 बार मुझे चोद्कर मस्त कर दिया.
ईस चुदाई को पा मैं बराबर रीता के घर जाने लगी. अब मैं अपने
पापा को फसाने के बारे मैं सोचने लगी.
दोस्तो कैसी लगी ये कहानी बताना मत भूलना फिर मिलेंगे एक और नई कहानी
के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त




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