सहेली के पापा compleet

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raj..
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Re: सहेली के पापा

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:15

वह मूतने गया तो रीता ने
क्रीम को मेरी गरमाई चूत पर लगा ऊपर से कपड़ा चिपका दिया और बोली,

"ईस्को थोड़ी देर बाद हटाना तो मेरी तरह चिकनी हो जाएगी. अब
शरमाने की ज़रूरत नही. मैं पापा से चुदवाकर मज़ा लूँगी तुम देखना."

"ठीक है रीता." मैं चूत पर क्रीम लगवाकर बोली. रीता के पापा को
मेरे जैसी जवान मस्त लड़की पहली बार मिली थी शायद. वह मेरी
खूबसूरत चूत के दीवाने हो गये थे. मूटकर अपने लंड को लूँगी से
पूछ्ते आए वापस आए और लूँगी अलगकर पूरे नंगे हो गये. मेरी
नज़रे बार-बार उनके फँफनाए लंड को देख रही थी. मेरे पास आ
मेरी गांद पर हाथ फेरते बोले,

"क्रीम लगवाया?"

"जी पापा."

"पहले रीता को चोद्कर तुमको दिखाते हैं कि लड़कियों को कैसे मज़ा
लेना चाहिए उसके बाद तुमको चोदेन्गे. तुम्हारी चुदी नही है ना बेटी."

"जी पापा." तभी रीता मस्ती से अपने पापा के लंड को पकड़ बोली,

"चोदो ना पापा."

"अभी चोद्ता हूँ बिटिया रानी को. ऐसा है रीता मैं सोच रहा हूँ
कि तुम्हारी सहेली को बताता चलूं जिससे इसे भी मज़ा आए. तुम बिस्तर
को ज़मीन पर लगाओ. तुम्हारी सहेली को पास बिठाकर समझाते हुवे
चोदेन्गे." मैं एकदम गरमा गयी थी. रीता ने जिस तरह लंड को अपनी
रानो के बीच दबाते हुवे चोदने को कहा था उससे पूरे बदन का
वोल्टेज हाइ हो गया था. रीता ज़मीन पर गद्दा लगाने लगी तो उसके
पापा मेरे हाथ मे अपना लंड देते बोले,

"लो तुम भी इसका मज़ा लो. ईस्को पकड़ने से लड़कियो को चुदास जल्दी
लगती है." मैं तो खुद खड़े लंड को पकड़ने को बेचैन थी.
गरम-गरम लंड को सहेली की तरह पकड़ कर दबाया तो बहुत मज़ा आया.
पकड़ने के साथ ही कपड़े के नीचे क्रीम लगी चूत की फाँक खुलने
लगी और चूचियों मे हलचल मच गयी.
क्रमशः...............

raj..
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Re: सहेली के पापा

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:16

गतान्क से आगे.........
मेरे हाथ मे लंड को झटका देते बोले,

"देखो रीता कैसे कह रही है चोदने को. तुम भी ऐसे ही कहना.
बताओ जिस को पकड़े हो इसका क्या नाम है?" मैं लंड को पकड़ते ही मस्त
हो अपनी शरम खो चुकी थी. लंड को ठीक से दबा बोली,

" लंड कहते हैं पापा."

"शाबास, इसका काम क्या है?" और निपल को चुटकी से दबा मुझे
जन्नत की सैर कराया तो मैं बोली,

"चोदता है पापा."

"क्या चोद्ता है?"

"लड़कियों की चूत को." मैं मस्त थी. ईस तरह की गंदी बातो के
जवाब मे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरे हर जवाब से उनका लंड तेज़ी से
झटका ख़ाता था. वह मेरी दोनो चूचियों को आगे खीचते बोले,

"बहुत अच्छी हो. लड़कियों को इसी तरह खुलकर मज़ा लेना चाहिए." और
रीता को जो ज़मीन पर बिस्तर लगा चुकी थी, पास बुला हम्दोनो को
पंजे के बल बिठा बोले,

"बेटी रीता अपनी सहेली को समझाओ फिर आराम से चोदेन्गे." और रीता
की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाते मुझे एक तरफ आने को कहा. उनके एक
तरफ रीता थी और दूसरी तरफ मैं. मैं उनसे चिपकी तो मेरी एक
चूची को भी पीठ के पिछे से हाथ लगा दबाते बोले,

"ध्यान से देखो रीता क्या बता रही है. रीता."

"जी पापा."

raj..
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Re: सहेली के पापा

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:16



"सहेली को सन्मझाते हुवे मज़ा लेना. अभी नयी है इसलिए ज़्यादा
कडपन नही है तुम्हारी सहेली की चूचियों मैं." एक साथ दो
लड़कियों का मज़ा ले रहे थे वह और दोनो ही सोलह सत्रह साल की.
तभी रीता ने आगे के गुलाभी पार्ट को दिखाते कहा,

"यह सूपड़ा है और पूरे को लंड कहते हैं. पापा हमारी चूत इसी से
चोदेन्गे तो मज़ा आएगा." मैं मस्त थी. चूत चुनचुना रही थी.
क्रीम लगी थी और ऊपर से कपड़ा भी चिपका था. तभी उन्होने तकिये
पर सर रख लेटते हुवे रीता को इशारा किया. रीता अपने पापा की इस
पोज़िशन को समझ गयी और फ़ौरन उनके ऊपर आई. मैं रीता को मज़ा
लेते देखने लगी. रीता अपने पापा के ऊपर आ उनके दोनो तरफ पैर कर
एक हाथ से अपनी चूत को फैलाते हुवे झुकी और मुझे पास बुलाया. उसका
छेद चुदवाते-चुदवाते बड़ा हो गया था. गुलाबी छेद को तने लंड
पर लगा और दोनो हाथ को कंधे पर रख ज़ोर से नीचे की ओर धक्का
मारा तो गच्छ की आवाज़ के साथ आधा लंड रीता की चूत मे चला
गया. लंड जाते ही रीता ने एक तेज़ सिसकारी ली और रीता के पापा ने
उसकी दोनो चूचियों को मसल्ते हुवे मुझसे कहा,

"ध्यान से देखना रीता कैसे मज़ा लेती है. अभी तुमको भी चुदवाना
है." अब तक रीता ने अपनी गांद को नीचे दबा-दबा पूरे लंड को अपनी
चूत मे ले लिया था. अब वह ऊपर-नीचे करती हुई चुदाई करने
लगी थी और उसके पापा उसकी चूचियों को दबाते हुवे नीचे से अपने
लंड को उसकी चूत मे पेल रहे थे. मैं ध्यान से रीता की फैली
चूत को देख रही थी जिसमे उसके पापा का लंड तेज़ी से अंदर-बाहर
गपगप्प आ जा रहा था. चुद रही थी सहेली पर मज़ा मुझे आ रहा
था.रीता स्पीड तेज़ करने लगी और कुच्छ देर बाद अपने पापा से चिपक
गयी. वह दोनो झाड़ गये थे. 5 मिनिट तक दोनो चिपके रहे फिर रीता
के पापा ने मेरी चूत से कपड़े को हटा टवल से चूत को रगड़ कर
सॉफ किया और मेरी चूत को सहलाते बोले,

"अब देखो कितनी चिकनी और मस्त लग रही है." मैने झुककर अपनी
गोरी-गोरी चूत को देखा तो पहचान नही पाई. एकदम मक्खन सी चिकनी
थी. वह मुझे अपनी गोद मैंले अपने लंड पर बिठा नयी-नयी बाते कर
दोनो चूचियों को बारी-बारी से मुँह मे ले चूस रहे थे. फिर लंड
को खड़ा कर सूपदे को चूत पर रगड़ा तो चूत की फाँक मे मस्ती
का पानी आ गया .

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