सहेली के पापा compleet

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raj..
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Re: सहेली के पापा

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:08

मैं उसकी चूचियों को दबा रही थी. वह बोली,

"हाए ज़ोर-ज़ोर से दबाओ. मज़ा आ रहा है तुमको दबाने मे?"

"हां."

"एक काम करो. जब तक पापा नही आते आपस मे ही मज़ा लेते हैं."

"ठीक है रीता."

"तो तुम भी चड्डी उतार कर मेरी तरह नंगी हो जाओ." सहेली के पास
आकर मुझे नया मज़ा मिल रहा था. उसके कहने पर मैं भी चड्डी
उतार एकदम नंगी हो गयी. एक दूसरे की चूचियों को दबाने मे बड़ा
मज़ा मिला था इसलिए नंगे होकर मज़ा लेने जा रहे थे. मेरी चूत
चड्डी उतरते ही गुदगुदाने लगी. रीता नंगी होकर अपना जवान बदन
दिखाने मे ज़रा भी नही शर्मा रही थी जबकि मुझे शरम लग रही
थी. रीता इस खेल को अपने पापा के साथ खेलकर सीनियर हो गयी थी.
चुदवाकर अपनी चूत को खुलवा चुकी थी. मेरी अभी कुँवारी थी..
चूचियों के निपल खड़े थे. रीता आँख मारती मस्ती के साथ बेड
पर बुलाती बोली,

"तुम तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे मेरे पास नही हैं." मैं रीता के
पास गयी. रीता तकिये के सहारे दोनो टाँगो को फैला चूचियों को
उचका मुझे अपनी चूत के ऊपर बैठने को बोली. मैं तो एक वासना केनशे मैं
थी. अब हम दोनो की चूचियाँ एक दूसरे के सामने थी. मेरी
चूचियों को पकड़ रीता बोली,

"लो तुम मेरी दबाओ, मैं तुम्हारी दबाती हूँ. जो मैं करूँ वही तुम
भी करना. देखना कितना मज़ा आता है. यार सच ही तूने कभी डबवाया
नही किसी से." और वह मेरी चूचियों को धीरे- धीरे दबाने लगि. उसके
हाथ लगाने से पूरे बदन की मस्ती तेज़ हुई. चूत की दरार मे
खुजली होने लगी और फाँक फूलने लगी. मैं उसकी दोनो चूचियों को
दबाते हुवे मज़ा लेते बोली,

"नही रीता कभी नही डबवाया. आज तुम पहली बार.....हाए बड़ा मज़ा
आ रहा है."
क्रमशः...............






raj..
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Re: सहेली के पापा

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:09

गतान्क से आगे.........
"अब बताओ?" रीता ने निपल को चुटकी दे पूचछा तो मैं बोली,

"ओई मेरी जान अब तो और मज़ा है." मुझे तो जन्नत मिल गयी थी.
जैसे-जैसे वह चूचियों को दबाते हुवे निपल मसल्ति जा रही थी
वैसे-वैसे चूत के दोनो फाँक बाहर निकलते जा रहे थे. हम दोनो
मस्त थे. मैं भी रीता की चूचियों को दबा रही थी.

"चूत मे मस्ती तेज़ हो रही है ना?"

"हां रीता बड़ा मज़ा आ रहा है."

"पापा से करवाने मे और आएगा. यह खिलौना तो लड़को का है. अब
हम्दोनो बराबर खेलेंगे. अब तुम्हारी भी मेरी तरह बड़ी-बड़ी हो
जाएँगी. बस ध्यान रहे कि मेरे पापा से ज़रा भी नही शरमाना तभी
मज़ा आएगा. तुम भी अपने पापा को फँसाओ."

"तुमने कैसे फँसाया था अपने पापा को?" मैने पूचछा तो वह बोली,

"कल स्कूल मे इंटेरवाल को बताउन्गि." अब हम दोनो सहेलियों की चूत
मे आग लग चुकी थी. हल्का पानी भी चूत के मुँह पर आ गया था.
रीता चुद्कर चालाक हो गयी थी. वह मुझे अपने ऊपर से अलग कर
अपने बगल लिटा बोली,

"लो तुम मेरी चूचियों को चूसो फिर मैं तुम्हारी चूसुन्गि." और
इतना कह रीता ने मेरी रानो से अपनी राने सटा मेरे चूतड़ पर हाथ
फेरते हुवे अपनी एक चूची को मेरे मुँह मे कर दूसरी को मेरे हाथ
मे देती बोली,

"एक को चूसो और एक को दबाओ खूब मज़ा आएगा. मैं तुम्हारी चूत
सहलाती हूँ." और मेरी रान को पीछे से खुलवाकर गांद की दरार
मे हाथ फेरते गांद के छेद को उंगली से च्छुवा तो मुझे मज़ा आने
लगा. मैं पीछे से पैर को फैलाकर अपनी कोरी चूत को सहेली के
हाथ से सह्ल्वाति किसी मर्द की तरह उसकी चूची को मुँह से चूस्ति
दूसरी चूची को दबाने लगी. मुझे अब पहले से ज़्यादा मज़ा आ रहा
था. रीता एक हाथ को चूतड़ पर चूत की दरार को उंगली से सहलाती
दूसरे हाथ से अपनी चूचियों को दबा-दबाकर ऐसे चुस रही थी
जैसे माँ बच्चे को दूध पिलाती है. उसकी उंगली जब मेरी गुलाबी
फाँक पर लगती तो सर से पैर तक झनझणा जाती. रीता पूरी
चूची को मेरे मुँह मे करती बोली,

"हाए मेरी जान पूरी चूसो, पानी आ रहा है." मुझे सहेली की
चूचियों को पीने से बहुत मज़ा मिल रहा था. मैं अपनी चूत को
सह्ल्वाती उसकी चूचियों को चूस रही थी.

raj..
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Re: सहेली के पापा

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:09

वह पूरी चूची को मुँह
मे डालती बोली,

"थोड़ा ज़ोर ज़ोर से चूसो बड़ा मज़ा आ रहा है. बस थोड़ी देर मे
पानी निकलेगा." मुझे तो इतना मज़ा आ रहा था कि बता नही सकती.
चूत के साथ साथ गोरी गांद भी गुदगुदाने लगी थी. सहेली की
बड़ी-बड़ी चूचियों को चूसने मे अनोखा मज़ा था. तभी रीता ने
मुझे कस लिया और एक मिनिट बाद चूत से उंगली हटा बोली,

"आअहह मज़ा आ गया मेरी जान." एक चूची ही चूसी थी कि मेरी
जवान सहेली झाड़ गयी. मस्ती के साथ अपनी चूत दिखाती बोली,

"देखो सफेद पानी निकला."

"हां तुम झाड़ गयी."

"हां चुदी चूत जल्दी झाड़ जाती है. मैने तुम्हारी उंगली से चोदा
नही, क्योंकि अगर उंगली पेलती तो तुम्हारा पानी भी निकल आता. पापा
फाड़ेंगे तो तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा. कुँवारी है पहली बार लंड ही
पेलवाओ." मैं पहली बार चूत को झाड़ते देख रही थी. रीता की चूत
गुलाबी और बड़ी थी. झड़ने के बाद रीता ठंडी हुई और अपनी चूत
को टवल से रगड़ कर सॉफ करने के बाद मुझे बेड पर पैर फैलाकर
लेटने को कहा. मैं तो अभी गरम थी. मेरी चूत की दोनो फांके तनी
खड़ी थी. मैं पैर फैलाकर लेटी तो रीता मेरी रान सहलाती बोली,

"तुम्हारी चूत बहुत अच्छी है. मज़ा आ रहा है."

"बहुत."

"अभी और आएगा लेटी रहो. तुमने मेरी झाड़ा है, अब देखो मैं तुमको
किस तरह निचोड़ती हूँ. आज से तुम मेरी पक्की सहेली हो गयी हो. अब
आपस मे बराबर मज़ा लिया जाएगा. पैर ऊपर करो तो पापा की तरह
तेरी चूत चाट दूँ." मैं रीता के इस गोल्डन प्रपोज़ल पर मर-मिटी.
वह बता चुकी थी कि लड़कियों को चूत चटवाने मैं बहुत मज़ा आता
है. मेरी चूत गरमा गयी थी. मैं चुदासि थी. मैने फ़ौरन टांगे
मोड़ चूत को उसके सामने किया. मेरी पूरी चूत को हथेली से सहलाते हुए
रीता बोली,

"हाए क्या मस्त चूत है. लड़का होती तो खूब चोदती."

"ओह्ह्ह रीता अब चॅटो भी. तुम्हारे पापा तो आज चोदेन्गे ही. अपनी तरह
मेरी चूत भी चिकनी कर दो."

मुझ पर जवानी का भूत सवार हो चुक्का था. रीता फ़ौरन मेरी फैली
रानो के बीच लेट हाथ को ऊपर कर मेरी तनी-तनी चूचियों पर
पैर दबाती अपनी गरम जीभ को मेरी कुँवारी चूत की चिकनी दरार
मे चलाने लगी. मैं इस मज़े को पा सारी दुनिया को भूल गयी. उसकी
गरम जीभ मेरी चूत को नशे से भर रही थी. चूत और चूचियों
का मज़ा एक साथ मिल रहा था. मैं चूतड़ को उचका-उचका कर चटा रही
थी. रीता मेरी चूचियों को कसकर दबा कर मज़े के बारे मे पूछती
तो मैं कहती हाए रीता और चॅटो. तो वह फिर चाटने लगती.

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