मजदूर नेता compleet

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rajaarkey
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Re: मजदूर नेता

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 22:48



फिर तो रात भर ना तो खुद सोए ना मुझे सोने दिया. सुबह तक तो मैं

भाव शून्य हालत मे हो गयी थी.

सुबह दोनो मुझे जिस्म को जी भर कर नोचने के बाद चले गये. जाते

जाते क़य्यूम अपने नौकर से कह गया.

` इसे गर्म गर्म दूध पीला. इसकी हालत थोड़ा ठीक हो तो घर पर

च्छुड़वा देना. और तू भी कुच्छ देर चाहे तो मुँह मारले `

मैं बिस्तर पर बिना किसी हुलचूल के पड़ी थी. टाँगें फैली हुई

थी. तीनों छेदों पर वीर्य के निशान थे. पूरे बदन पर अनगिनत

दाँतों के और वीर्य के निशान पड़े हुए थे. स्तन और निपल सूजे

हुए थे. कुच्छ यही हालत मेरी योनि की भी हो रही थी.

फटी फटी आँखों से दोनो को देख रही थी.

` तू घर जा तेरे पति को दो एक घंटों मे रिहा कर दूँगा' गवलकर्

ने पॅंट पहनते हुए कहा `भाई क़य्यूम मज़ा आ गया. क्या पटाखा ढूँढ

लाया है. तबीयात खुश हो गयी. हम अपनी बातों से फिरने वाले

नहीं हैं. तुझे कभी भी मेरी ज़रूरत पड़े तो जान हाजिर है.'

क़य्यूम मुस्कुरा दिया. फिर दोनो तैयार होकर निकल गये.

मैं वैसी ही नग्न पड़ी रही बिस्तर पर. तभी भीमा दूध का ग्लास लेकर आया और मुझे सहारा देकर उठाया. मैने उसके हाथों से दूध का ग्लास ले

लिया. उसने मुझे एक पेन किल्लर भी दिया. मैने दूध का ग्लास खाली

कर दिया. उसने खाली ग्लास हाथ से लेकर मेरे होंठों पर लगे दूध

को अपनी जीभ से चाट कर सॉफ कर दिया. कुच्छ देर तक मेरे होंठों

को चूमता रहा और मेरे बदन पर आहिस्ता से हाथ फेरता रहा. फिर वो

उठा और डेटोल लाकर मेरे ज़ख़्मों पर लगा दिया. अब मेरे शरीर मे

कुच्छ जान महसूस कर रही थी. फिर कुच्छ देर बाद आकर मुझे सहारा

देकर उठाया और मेरे बदन को बाहों मे भर कर मुझे उसी हालत मे

बाथरूम मे ले गया. वहाँ काफ़ी देर तक उसने मुझे गर्म पानी से

नहलाया. बदन पोंच्छ कर मुझे बिस्तर पर ले गया. मुझे मेरे कपड़े

लाकर दिया. वो जैसे ही जाने लगा. मैने उसका हाथ पकड़ लिया. मेरे

आँखों मे उसके लिए क्रितग्यता के भाव थे. मैं उसके करीब आकर उसके

बदन से लिपट गयी.

rajaarkey
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Re: मजदूर नेता

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 22:49

गतांक से आगे.......................
मैं तब बहुत हल्का महसूस कर रही थी. मैं खुद ही उसका हाथ

पकड़ कर बिस्तर पर ले गयी. मैने उस से लिपटे हुए ही उसके पॅंट

की तरफ हाथ बढ़ाया. मैं उसके अहसानों का बदला चुका देना चाहती

थी. वो मेरे होंठों को, मेरी गर्दन को, मेरे गालों को चूमने लगा.

मेरे स्तनों पर हल्के से हाथ फिराने लगा.

« प्लीज़ मुझे प्यार करो. इतना प्यार करो कि कल रात की घटनाएँ

मेरे दिमाग़ से हमेशा के लिए उतर जाएँ. » मैं बेतहासा रोने लगी.

वो मेरे एक एक अंग को चूम रहा था. एक एक अंग को सहलाता प्यार करता.

उसके होंठ फूलों की पंखुड़ियों की तरह पूरे बदन पर महसूस कर

रही थी. अब मैं खुद ही गर्म होने लगी मैं खुद ही उस से लिपटने

लगी उसे चूमने लगी. उसका हाथ मैने अपने हाथों मे लेकर अपनी योनि

पर रख दिया. वो मेरी योनि को सहलाने लगा. फिर उसने मुझे बिस्तर के

कोने पर बिठा कर मेरे सामने घुटनो के बल मूड गया. मेरे दोनो

पैरों को अपने कंधे पर चढ़ा कर मेरी योनि पर अपने होंठ चिपका

दिए. उसकी जीभ साँप की तरह सरसरती हुई. उसकी मुँह से निकाल कर

मेरी योनि मे प्रवेश कर गयी. मैने उसके सिर को अपने हाथों मे ले

रखा था. उत्तेजना मे मैं उसके बालों को सहला रही थी उसके सिर को

योनि पर दाब रही थी. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी.

कुच्छ देर मे मैं तो अपनी कमर उचकाने लगी. और उसके मुँह पर ही

ढेर हो गयी. मेरे शरीर से मेरा सारा विसाद मेरे वीर्य के रूप

मे निकल्ने लगा. वो मेरे वीर्य को अपने मुँह मे खींचता जा रहा

था. कल से इतनी बार मेरे साथ संभोग हुआ कि मैं गिनती ही भूल

गयी मगर आज भीमा की हरकतों सेअब मेरा खुल कर वीर्यापत हुआ.

भीमा के साथ मैं पूरे दिल से संभोग कर रही थी. इसलिए अच्च्छा

भी लग रहा था. मैने उसे बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर सवार हो

गयी. उसके बदन से कपड़ों को नोच कर हटा दिया. उसका मोटा ताज़ा लिंग

तना हुआ खड़ा था. काफ़ी बालिस्त बदन था. मैं उसके बदन को चूमने

लगी. वो उठने की कोशिश किया तो मैने गुर्र्राटे हुए कहा,

« चुप चाप पड़ा रह. मेरे बदन को भोगना चाहता था ना तो फिर भाग

क्यों रहा है. ले भोग मेरे बदन को »

मैने उसे चित लिटा दिया और उसके लिंग के उपर अपनी योनि रखी. अपने

हाथों से उसके लिंग को सेट किया और उसके लिंग पर बैठ गयी. उसका

लिंग मेरी योनि की दीवारों को चूमता हुआ अंदर चला गया. फिर तो मैं

उसके लिंग पर उठने-बैठने लगी. मैने सिर पीछे की ओर झटक दिया

और अपने हाथों को उसके सीने पर फिराने लगी. वो मेरे स्तनों को

सहला रहा था. मेरे निपल्स को उंगलियों से इधर उधर घुमा रहा

था. निपल्स भी एग्ज़ाइट्मेंट मे खड़े हो गये थे. काफ़ी देर तक इस

पोज़िशन मे करने के बाद मुझे वापस नीचे लिटा कर मेरे टाँगों को

अपने कंधे पर रख दिया. इस से योनि उपर की ओर हो गयी. अब लिंग

योनि मे जाता हुआ सॉफ दिख रहा था.

rajaarkey
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Re: मजदूर नेता

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 22:49

हम दोनो उत्तेजित हो कर एक साथ

झार गये. वो मेरे बदन पर ही लुढ़क गया और तेज तेज साँसें लेने

लगा. मैने उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुंबन दिया. फिर नीचे

उतर कर तैयार हो गयी. भीमा मुझे घर तक छोड़ आया.

दोपहर तक मेरे पति रिहा होकर घर आ गये. क़य्यूम ने अपना बयान

बदल लिया था. मैने उन्हें उनके जमानत की कीमत नहीं बताई.

मगर अगले दिन ही उस कंपनी को छोड़ कर वहाँ से वापस जाने का

मैने एलान कर दिया. ब्रिज ने भले ही कुच्छ नहीं पूचछा मगर

शायद उसे भी उसकी रिहाई की कीमत की भनक पड़ गयी थी. इसलिए

उसने भी मुझे ना नहीं किया और हम कुच्छ ही दिन मे अपना थोड़ा बहुत

समान पॅक करके वो सहर छोड़ कर वापस जालंधर आ गये.



समाप्त

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