दोनो स्तनों पर लाल लाल दाग
देख कर गवलेकर ने कहा,
"तू तो लगता है काफ़ी जमानत उसूल कर चुक्का है."
"हां सोच पहले देखूं तो सही अपने स्टॅंडर्ड की है या नहीं" क़य्यूम
ने कहा.
"प्लीज़ साहब मुझे छोड़ दीजिए सुबह तक मैं मर जाऊंगी." मैने
गवलेकर से मिन्नतें की.
" घबरा मत सुबह तक तो तुझे वैसे ही छोड़ देंगे. जिंदगी भर
तुझे अपने पास थोड़े ही रखना है." गवलेकर ने मेरे निपल्स को दो
उंगलियों के बीच मसल्ते हुए कहा.
"तूने अगर अब एक भी बकवास की ना तो तेरा तेंठूआ दबा दूँगा" क़य्यूम
ने गुर्र्राटे हुए कहा, ""तेरी अकड़ पूरी तरह गयी नहीं है शायद"
कहकर उसने मेरी दोनो चूचियो को पकड़ कर ऐसा उमेटा की मेरी तो
जान ही निकाल गयी.
"ऊऊउउउउउउईईई माआ मेयारगॅयेयियीयेयी" मैं पूरी ताक़त से चीख उठी.
" जा जाकर गवलेकर के लिए शराब का एक पेग बना ला. और टेबल तक
घुटनो के बल जाएगी समझी." क़य्यूम ने तेज आवाज़ मे कहा. इतनी
जलालत तो शायद किसी को नहीं मिली होगी. मैं हाथों और घुटनो के
बल डाइनिंग टेबल तक गयी. मेरी चूचिया पके अनरों की तरह झूल
रही थी. मैं उसके लिए एक पेग बना कर लौट आई.
" गुड अब कुच्छ पालतू होती लग रही है."
गोवेलेकर ने मेरे हाथ से ग्लास लेकर मुझे खींच कर वापस अपने
गोद मे बिठा लिया. फिर मेरे होंठों से ग्लास को च्छुअते हुए कहा "ले
एक सीप कर." मैने अपना चेहरा मोड़ लिया. मैने जिंदगी मे कभी
शराब को हाथ भी नहीं लगाया था. हमारे घरों मे ये सब चलता
था मगर मेरे ब्रिज ने भी कभी शराब को नहीं च्छुआ था.
उसने वापस ग्लास मेरे होंठों से लगाया. मैने साँस रोक कर थोडा सा
अपने मुँह मे लिया. बदबू इतनी थी की उबकाई आने लगी. वो नाराज़
होज़ाएँगे सोच कर जैसे तैसे उसे पी लिया.
मजदूर नेता compleet
Re: मजदूर नेता
" और नहीं. प्लीज़, मैं आपलोगों को कुच्छ भी करने से नहीं रोक
रही. ये काम मुझसे नहीं होगा" पता नहीं दोनो को क्या सूझा की
फिर उन्हों ने मुझे पीने के लिए ज़ोर नहीं किया.
गोवलेकर मेरे बदन पर हाथ फेरराहा था. मेरे स्तनों को चूम रहा
था और अपना ग्लास खाली कर रहा था. मुझे फिर अपनी गोद से उतार कर
ज़मीन पर बिठा दिया. मैने उसके पॅंट की ज़िप खोली और उसके लिंग को
निकाल कर उसे मुँह मे ले ली. अपने एक हाथ से क़य्यूम के लिंग को
सहला रही थी. बारी बारी से दोनो लिंग को मुँह मे भर कर कुच्छ देर
तक चूस्टी और दूसरे के लिंग को मुट्ठी मे भर कर आगे पीछे
करती.फिर यही काम दूसरे के साथ करती. काफ़ी देर तक दोनो शराब
पीते रहे फिर गोवलेकर उठ कर मुझे एक झटके से गोद मे उठा लिया
और बेड रूम मे ले गया. बेडरूम मे आकर मुझे बिस्तर पर पटक दिया.
क़य्यूम भी साथ साथ आ गया था. वो तो पहले से ही नग्न था. गोवलेकर
भी अपने अक्पडे उतारने लगा. मैं बिस्तर पर लेटी उसको अपने कपड़े उतार
ते देख रही थी. मैने उनके अगले कदम के बारे मे सोच कर अपने आप
अपने पैर फैला दिए. मेरी योनि बाहर दिखने लगी. गोवलेकर का लिंग
क़य्यूम की तरह ही मोटा और काफ़ी लंबा था. उसने अपने कपड़े वहीं फेक
कर बिस्तर पर चढ़ गया. मैं उसके लिंग को हाथ मे लेकर अपनी योनि की
ओर खींची. मगर वो आगे नहीं बढ़ा. उसने मुझे बाहों से पकड़ कर
उल्टा कर दिया और मेरे नितंबों से चिपक गया. अपने हाथों से दोनो
नितंबों को अलग कर के छेद पर उंगली फिराने लगा मैं उसका इरादा
समझ गयी कि वो मेरे गुदा को फाड़ने का इरादा बनाए हुए है.
Re: मजदूर नेता
मैं
डर से चिहुनक उठी क्योंकि इस ओर मैं अभी तक अंजान थी. सुना था की
अप्राकृतिक मैथुन मे बहुत दर्द होता है. और गावलेकर का इतना मोटा
लिंग कैसे जाएगा ये भी सोच रही थी. क़य्यूम ने उसकी ओर क्रीम का एक
डिब्बा बढ़ाया. उसने ढेर सारा क्रीम लेकर मेरे पिच्छाले छेद पर
लगा दिया फिर एक उंगली से उसको छेद के अंदर तक लगा दिया. उंगली के
अंदर जाते ही मैं उच्छल पड़ी. पता नही आज मेरी क्या दुर्गति होने
वाली थी. इन आदमख़ोरों से रहम की उम्मीद करना बेवकूफी थी.
क़य्यूम मेरे चेहरे के सामने आकर मेरा मुँह ज़ोर से अपने लिंग पर दाब
दिया. मैं च्चटपटा रही थी तो उसने मुझे सख्ती से पकड़ रखा था.
मुँह से गूओं गूओं की आवाज़ ही निकल परही थी. गवलेकर ने मेरे
नितंबों को फैला कर मेरे गुदा द्वार पर अपना लिंग सताया. फिर आगे की
ओर एक तेज धक्का लगाया.उसके लिंग के आगे के हिस्सा मेरे पिछे जगह
बनाते हुए धँस गया. मेरी हालत खराब हो रही थी. आँखें बाहर
की ओर उबाल कर आ रही थी. कुच्छ देर उसी पोज़िशन मे रुका रहा दर्द
हल्का सा कम हुआ तो उसने दुगने वेग से एक और धक्का लगाया. मुझे
लगा मानो कोई मोटा मूसल मेरे अंदर डाल दिया गया हो. वो इसी तरह
कुच्छे देर तक रुका रहा. फिर उसने अपने लिंग को हरकत दे दी. मेरी
जान निकली जा रही थी. वो दोनो आगे और पीछे से अपने अपने डंडों
से मेरी कुटाई किए जा रहे थे. धीरे धीरे दर्द कम होने लगा. फिर
तो दोनो तेज तेज धक्के मारने लगे. दोनो मे मानो कॉंपिट्षन हो रही
थी कि कौन देर तक रुकता है. मगर मेरी हालत की किसे चिंता थी.
क़य्यूम के स्टॅमिना की तो मैं लोहा मानने लगी. तकरीबन घंटे भर
बाद दोनो ने अपने अपने लिंग से पिचकारी छोड़ दी. मेरे दोनो छेद
टपकने लगे.
डर से चिहुनक उठी क्योंकि इस ओर मैं अभी तक अंजान थी. सुना था की
अप्राकृतिक मैथुन मे बहुत दर्द होता है. और गावलेकर का इतना मोटा
लिंग कैसे जाएगा ये भी सोच रही थी. क़य्यूम ने उसकी ओर क्रीम का एक
डिब्बा बढ़ाया. उसने ढेर सारा क्रीम लेकर मेरे पिच्छाले छेद पर
लगा दिया फिर एक उंगली से उसको छेद के अंदर तक लगा दिया. उंगली के
अंदर जाते ही मैं उच्छल पड़ी. पता नही आज मेरी क्या दुर्गति होने
वाली थी. इन आदमख़ोरों से रहम की उम्मीद करना बेवकूफी थी.
क़य्यूम मेरे चेहरे के सामने आकर मेरा मुँह ज़ोर से अपने लिंग पर दाब
दिया. मैं च्चटपटा रही थी तो उसने मुझे सख्ती से पकड़ रखा था.
मुँह से गूओं गूओं की आवाज़ ही निकल परही थी. गवलेकर ने मेरे
नितंबों को फैला कर मेरे गुदा द्वार पर अपना लिंग सताया. फिर आगे की
ओर एक तेज धक्का लगाया.उसके लिंग के आगे के हिस्सा मेरे पिछे जगह
बनाते हुए धँस गया. मेरी हालत खराब हो रही थी. आँखें बाहर
की ओर उबाल कर आ रही थी. कुच्छ देर उसी पोज़िशन मे रुका रहा दर्द
हल्का सा कम हुआ तो उसने दुगने वेग से एक और धक्का लगाया. मुझे
लगा मानो कोई मोटा मूसल मेरे अंदर डाल दिया गया हो. वो इसी तरह
कुच्छे देर तक रुका रहा. फिर उसने अपने लिंग को हरकत दे दी. मेरी
जान निकली जा रही थी. वो दोनो आगे और पीछे से अपने अपने डंडों
से मेरी कुटाई किए जा रहे थे. धीरे धीरे दर्द कम होने लगा. फिर
तो दोनो तेज तेज धक्के मारने लगे. दोनो मे मानो कॉंपिट्षन हो रही
थी कि कौन देर तक रुकता है. मगर मेरी हालत की किसे चिंता थी.
क़य्यूम के स्टॅमिना की तो मैं लोहा मानने लगी. तकरीबन घंटे भर
बाद दोनो ने अपने अपने लिंग से पिचकारी छोड़ दी. मेरे दोनो छेद
टपकने लगे.