मजदूर नेता compleet
Re: मजदूर नेता
“आ बैठ.” भोगी भाई ने अपने सामने एक खाली कुर्सी की तरफ इशारा किया.
” वो वो मैं आपसे ब्रिज के बारे में बात करना चाहती थी.” मैं जल्दी वाहा से भागना चाहती थी.
” ये अपने सुदर्शन कपड़ा मिल के इंजिनियर की बीवी है. बड़ी सेक्सी चीज़ है.” उसने अपने ग्लास से एक घूँट लेते हुए कहा. सारे मुझे वासना भरी नज़रों से देखने लगे. उनकी आँखों मे लाल डोरे तेर रहे थे.
“हाँ बोल क्या चाहिए?”
” ब्रिज ने कुच्छ भी नहीं किया” मैने उससे मिन्नत की.
“मुझे मालूम है”
“पोलीस कहती हैं की आप अपना बयान बदल लेंगे तो वो छूट जाएँगे”
“क्यों? क्यों बदलू मैं अपना बयान?
“प्लीज़, हम पर?..”
“सड़ने दो साले को बीस साल जैल में. आया था मुझसे लड़ने.”
“प्लीज़ आप ही एक मात्र आशा हो.”
” लेकिन क्यूँ? क्यूँ बदलू मैं अपना बयान? मुझे क्या मिलेगा” भोगी भाई ने अपने मोटे जीभ पर होंठ फेरते हुए कहा. क्रमशः.............
Re: मजदूर नेता
गतान्क से आगे................
” आप कहिए आपको क्या चाहिए. अगर बस मे हुआ तो हम ज़रूर देंगे” कहते हुए मैने अपनी आँखें झुका ली. मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है. भोगी भाई अपनी जगह से उठा. अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आ गया. मैं आँखें सख्ती से बंद कर उसके पैरों के पद्चाप सुन रही थी. मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गयी थी जो अपना सिर झाड़ियों मे डाल कर सोचता है कि भेड़िए से वो बच जाएगा. उसने मेरे पीछे आकर सारी के आँचल को पकड़ा और उन्हे छातियो पर से हटा दिया. फिर उसके हाथ आगे आए और सख्ती से मेरी छातियो को मसल्ने लगे.
“मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक दिन के लिए” उसने मेरे कानों के पास धीरे से कहा. मैने सहमति मे अपना सिर झुकलिया.
“ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल” उसने मेरे ब्लाउस के अंदर अपने हाथ डॉल कर सख्ती से चूचियो को निचोर्ने लगा. इतने लोगों के सामने मैं शरम से गढ़ी जा रही थी. मैने सिर हिलाया
“मुँह से बोल”
“हां” मैने धीरे से बुद बुदाया.
“ज़ोर से बोल. कुच्छ सुनाई नहीं दिया. तुझे सुनाई दिया रे चापलू?” उसने एक से पूचछा.
“नहीं” जवाब आया.
“मुझे मंजूर है.” मैने इस बार कुच्छ ज़ोर से कहा.
“क्यों फूलणदेवी जी, मैने कहा था ना तू खुद आएगी मेरे घर और कहेगी की प्लीज़ मुझे चोदो. कहाँ गयी तेरी अकड़? तु पूरे 24 घंटों के लिए मेरे कब्ज़े में रहेगी. मैं जैसा चाहूँगा तुझे वैसा ही करना होगा.. तुझे अगले 24 घंटे बस अपनी योनि खोल कर रंडियों की तरह चुदवाना है. उसके बाद तू और तेरा मर्द दोनो आज़ाद हो जाओगे.”उसने कहा” और नहीं तो तेरा मर्द तो 20 साल के लिए अंदर होगा ही तुझे भी वेश्याव्र्त्ती के लिए अंदर करवा दूँगा. फिर तो तू वैसे ही वहाँ से पूरी वेश्या बन कर ही बाहर निकलेगी.”
“मुझे मंजूर है” मैने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा. वो जाकर वापस अपनी जगह जाकर बैठ गया.
“चल शुरू हो जा. अपने सारे कपड़े उतार मुझे औरतों के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगते” उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया,
अब ये कपड़े कल शाम के दस बजे के बाद ही मिलेंगे. चल इनको भी दिखा तो सही कि तुझे अपने किस हुष्ण पर इतना गुरूर है. मैने काँपते हाथों से ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया. सारे बटन्स खोलकर ब्लाउस के दोनो हिस्सों को अपनी चूचियो के उपर से हटाया तो ब्रा मे कसे हुए मेरे दोनो योवन उन भूखी आँखों के सामने आगाए. मैने ब्लाउस को अपने बदन से अलग कर दिया. चारों की आँखें चमक उठी. मैने बदन से सारी हटा दिया. फिर मैने झिझकते हुए पेटिकट की डोरी खींच दी. पेट्कोट स्रसारता हुआ पैरों पर ढेर हो गया चारों की आँखों मे वासना के सुर्ख डोरे टर रहे थे. मैं उनके सामने ब्रा और पॅंटी मे खड़ी होगयी.
“मैने कहा था सारे कपड़े उतारने को” भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा.
“प्लीज़ मुझे और जॅलील मत करो” मैने उससे मिन्नतें की.
“अबे राजे फ़ोन लगा गोवलेकर को. बोल साले ब्रिज को रात भर हवाई जहाज़ बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे”
” आप कहिए आपको क्या चाहिए. अगर बस मे हुआ तो हम ज़रूर देंगे” कहते हुए मैने अपनी आँखें झुका ली. मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है. भोगी भाई अपनी जगह से उठा. अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आ गया. मैं आँखें सख्ती से बंद कर उसके पैरों के पद्चाप सुन रही थी. मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गयी थी जो अपना सिर झाड़ियों मे डाल कर सोचता है कि भेड़िए से वो बच जाएगा. उसने मेरे पीछे आकर सारी के आँचल को पकड़ा और उन्हे छातियो पर से हटा दिया. फिर उसके हाथ आगे आए और सख्ती से मेरी छातियो को मसल्ने लगे.
“मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक दिन के लिए” उसने मेरे कानों के पास धीरे से कहा. मैने सहमति मे अपना सिर झुकलिया.
“ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल” उसने मेरे ब्लाउस के अंदर अपने हाथ डॉल कर सख्ती से चूचियो को निचोर्ने लगा. इतने लोगों के सामने मैं शरम से गढ़ी जा रही थी. मैने सिर हिलाया
“मुँह से बोल”
“हां” मैने धीरे से बुद बुदाया.
“ज़ोर से बोल. कुच्छ सुनाई नहीं दिया. तुझे सुनाई दिया रे चापलू?” उसने एक से पूचछा.
“नहीं” जवाब आया.
“मुझे मंजूर है.” मैने इस बार कुच्छ ज़ोर से कहा.
“क्यों फूलणदेवी जी, मैने कहा था ना तू खुद आएगी मेरे घर और कहेगी की प्लीज़ मुझे चोदो. कहाँ गयी तेरी अकड़? तु पूरे 24 घंटों के लिए मेरे कब्ज़े में रहेगी. मैं जैसा चाहूँगा तुझे वैसा ही करना होगा.. तुझे अगले 24 घंटे बस अपनी योनि खोल कर रंडियों की तरह चुदवाना है. उसके बाद तू और तेरा मर्द दोनो आज़ाद हो जाओगे.”उसने कहा” और नहीं तो तेरा मर्द तो 20 साल के लिए अंदर होगा ही तुझे भी वेश्याव्र्त्ती के लिए अंदर करवा दूँगा. फिर तो तू वैसे ही वहाँ से पूरी वेश्या बन कर ही बाहर निकलेगी.”
“मुझे मंजूर है” मैने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा. वो जाकर वापस अपनी जगह जाकर बैठ गया.
“चल शुरू हो जा. अपने सारे कपड़े उतार मुझे औरतों के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगते” उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया,
अब ये कपड़े कल शाम के दस बजे के बाद ही मिलेंगे. चल इनको भी दिखा तो सही कि तुझे अपने किस हुष्ण पर इतना गुरूर है. मैने काँपते हाथों से ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया. सारे बटन्स खोलकर ब्लाउस के दोनो हिस्सों को अपनी चूचियो के उपर से हटाया तो ब्रा मे कसे हुए मेरे दोनो योवन उन भूखी आँखों के सामने आगाए. मैने ब्लाउस को अपने बदन से अलग कर दिया. चारों की आँखें चमक उठी. मैने बदन से सारी हटा दिया. फिर मैने झिझकते हुए पेटिकट की डोरी खींच दी. पेट्कोट स्रसारता हुआ पैरों पर ढेर हो गया चारों की आँखों मे वासना के सुर्ख डोरे टर रहे थे. मैं उनके सामने ब्रा और पॅंटी मे खड़ी होगयी.
“मैने कहा था सारे कपड़े उतारने को” भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा.
“प्लीज़ मुझे और जॅलील मत करो” मैने उससे मिन्नतें की.
“अबे राजे फ़ोन लगा गोवलेकर को. बोल साले ब्रिज को रात भर हवाई जहाज़ बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे”
Re: मजदूर नेता
“नहीं नहीं, ऐसा मत करना. आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी.” कहते हुए मैने अपने हाथ पीछे लेजा कर ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा को आहिस्ता से बदन से अलग कर दिया. आब मैने पूरी तरह से समरपन का फ़ैसला कर लिया. ब्रा के हटते ही मेरे दूधिया उरोज रोशनी मे चमक उठे. चारों अपनी अपनी जगह पर कसमसने लगे. तीनो गरम हो चुके थे. उनके पॅंट पर उभार सॉफ नज़र अरहा था. भोगी भाई लूँगी के ऊपर से ही अपने लिंग पर हाथ फेर रहा था. लूँगी के उपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था की अब मेरी खैर नहीं. मैने अपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मे फँसैई तो भोगी भाई बोल उठा.
“ठहर जा. यहाँ आ मेरे पास” मैं उसके पास आकर खड़ी हो गयी. उसने अपने हाथों से मेरी योनि को कुच्छ देर तक मसला फिर पॅंटी को नीचे करता चला गया. आब मैं पूरी तरह नंगी हो कर उसके सामने खड़ी थी.
“राजे जा और मेरा कॅमरा उठा ला” मैं घबरा गयी.
“आपने जो चाहा मैं दे रही हूँ फिर ये सब क्यूँ”
“तुझे मुह्न खोलने के लिए मना किया था ना” एक आदमी एक मूवी कॅमरा ले आया. उन्हों ने सेंटर टेबल से सारा समान हटा दिया. भोगी भाई मेरी योनि पर हाथ फिरा रहा था. मेरे योनि पर रेशमी घुंघराले बलों को सहला रहा था.
” चल बैठ यहाँ” उसने सेंटर टेबल की ओर इशारा किया. मैं सेंटर टेबल पर बैठ गयी. उसने मेरी टाँगों को ज़मीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा. मैने वैसा ही किया.
” अब टाँगें चौरी कर” मैं शर्म से दोहरी हो गयी मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था. मैने अपनी टाँगों को थोड़ा फैलाया.
” और फैला” मैने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फैला दिया. मेरी योनि उनके आँखों के सामने बेपर्दा थी. योनि के दोनो लब खुल गये थे. मैं चारों के सामने योनि फैला कर बैठी हुई थी. उनमे से एक मेरी योनि की तस्वीरें ले रहा था.
” अपनी चूत मे उंगली डाल कर उसको चौड़ा कर.” भोगी भाई ने कहा. वो अब अपनी तहमद खोल कर अपने काले मूसल जैसे लिंग पर हाथ फेर रहा था. मैं तो उसके लिंग को देख कर ही सिहर गयी. गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लिंग मैने पहली बार देखा था. लिंग भी पूरा काला था. मैने अपनी योनि मे उंगली डाल कर उसे सबके सामने फैला दिया. चारों हँसने लगे.