मजदूर नेता compleet

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rajaarkey
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Re: मजदूर नेता

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 22:42

गतांक से आगे.......................
मैं अपने शरीर को सिकोर्ते हुए इक हाथ से अपने स्तन युगल को और एक

हाथ से अपने टाँगों के जोड़ को ढकने की असफल कोशिशी करती हुई

किचन मे प्रवेश हुई. अंदर 45 साल का एक रसोइया था. जिसने मुझे

देख कर एक सीटी बजाई. और मेरे पास आकर मुझे सीधा खड़ा कर

दिया. मैं झुकी जा रही थी. मगर उसने मेरी नहीं चलने दिया.

ज़बरदस्ती मेरे सीने पर से हाथ हटा दिया.

"शानदार"उसने कहा. मई शर्म से दोहरी हो रही थी. एक निचले स्तर

के गँवार का सामने मे अपनी इज़्ज़त बचाने मे असमर्थ थी. उसने फिर

खींच कर योनि पर से दूसरा हाथ हटाया. मैने टाँगें सिकोड ली.

यह देख कर उसने मेरे स्तनो को मसल दिया. स्तानो को उस से बचाने के

लिए नीचे की ओर झुकी तो उसने अपनी दो उंगलियाँ मेरी योनि मे पीछे

की तरफ से डाल दिया. मेरी योनि वीर्य से गीली हो रही थी.

"खूब चुदी हो लगता है" उसने कहा.

"शेर खुद खाने के बाद कुच्छ बोटियाँ गीदडो के लिए भी छोड़

देता है. एक आध मौका साहब मुझे भी देंगे.तब तेरी खबर

लूँगा"कहकर उसने मुझे अपने बदन से लपेट लिया.

"कय्यमजी ने खाना लगाने के लिए कहा है." मैने उसे धक्का देते

हुए कहा. उसने मुझसे अलग होने से पहले मेरे होंठों को एक बार कस

कर चूम लिया.

" चल तुझे तो तसल्ली से चोदेन्गे पहले साहब को जी भर के मसल

लेने दो."उसने कहा. फिर मुझे खाने का समान पकड़ने लगा.

मैने टेबल पर खाना लगाया. फिर डिन्नर उसकी गोद मे बैठ कर लेना

पड़ा. वो भी नग्न बैठा था. उसका लिंग सिक्युडा हुआ था. मेरी योनि

उसके नरम पड़े लिंग को चूम रही थी. खाते हुए कभी मुझे

मसलता कभी चूमता जा रहा था. उसके मुँह से शराब की दुर्गंध

अराही थी. वो जब भी मुझे चूमता. मुझे उसपर गुस्सा आ जाता. खाते

खाते ही उसने मोबाइल पर कही रिंग किया.

rajaarkey
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Re: मजदूर नेता

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 22:42


"हाला, कौन गवलेकर?"

"क्या कर रहा है?"

"अबे इधर आजा. घर पर बोल देना कि रात मे कहीं गश्त पर जाना

है. यहीं रात गुजरेंगे. हमारे ब्रिज साहब की जमानत यहीं है

मेरी गोद मे."कहकाक उसने मेरे एक निपल को ज़ोर से उमेटा. दोनो निपल

बुरी तरह दर्द कर रहे थे. नहीं चाहते हुए भी मैं चीख उठी.

"सुना? अब झता झट आजा सारे काम छोड़ कर"रात भर अपन दोनो इसकी

जाँच पड़ताल करेंगे."

मैं समझ गयी की क़य्यूम ने इनस्पेक्टर गवलेकर को रात मे अपने घर

बुलाया है. और दोनो रात भर मुझे चोदेन्गे.

खाना खाने के बाद मुझे बाहों मे समेटे हुए ड्रॉयिंग रूम मे आगेया.

मुझे अपनी बाहों मे लेकर मेरे होंठों पर अपने मोटे मोटे भद्दे

होंठ रख कर चूमने लगा. फिर अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी. और

मेरे मुँह का अपनी जीभ से मुआयना करने लगा. फिर वो सोफे पर बैठ

गया और मुझे ज़मीन पर अपने कदमों पर बिठाया. टाँगें खोल कर

मुझे अपनी टाँगों की जोड़ पर खींच लिया. मैं उसका इशारा समझ कर

उसके लिंग को चूसने लगी. वो मेरे बालों पर हाथ फिरा रहा था. फिर

मैने उसके लिंग को मुँह मे ले लिया. उसके लिंग को चूसने लगी. जीभ

निकाल कर उसके लिंग के उपर फिराने लगी. धीरे धीरे उसका लिंग

हरकत मे आता जा रहा था. वो मेरे मुँह मे फूलने लगा. मैं और तेज़ी

से उसके लिंग पर अपना मुँह चलाने लगी. कुच्छ ही देर मे लिंग फिर से

पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था. वापस उसे योनि मे लेने की सोच

कर ही झुरजुरी सी आ रही थी. योनि का तो बुरा हाल था.

rajaarkey
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Re: मजदूर नेता

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 22:44

ऐसा लग

रहा था मानो अंदर से छिल गया हो. मैं इसलिए उसके लिंग पर और

तेज़ी से मुँह उपर नीचे करने लगी जिस से उसका मुँह मे ही निकल

जाए. मगर वो तो पूरा सांड की तरह स्टॅमिना रखता था. मेरी बहुत

कोशिशों के बाद उसके लिंग से प्रेकुं निकालने लगा मैं थक गयी

मगर उसके लिंग से वीर्य निकला ही नहीं. तभी दरवान ने आकर

गवलेकर के आने की सूचना दी.

"उसे यहीं भेज दे." मैं उठने लगी तो उसने कंधे पर ज़ोर लगा कर

कहा.

" तू कहाँ उठ रही है. चल अपना काम करती रह." कहकर उसने वापस

मेरे मुँह से अपना लिंग सटा दिया. मैने भी मुँह खोल कर उसके लिंग

को वापस अपने मुँह मे ले लिया.

तभी गवलेकर अंदर आया. वो कोई छह फीट का लंबा कद्दावर बदन

वाला आदमी है. मेरे उपर नज़र पड़ते ही उसका मुँह खुला का खुला रह

गया. मैने कातर नज़रों से उसकी तरफ देखा.

"वा भाई क़य्यूम क्या नज़ारा है. इस हूर को कैसे वश मे किया."

गवलेकर ने हंसते हुए कहा.

" आ बैठ. बड़ी शानदार चीज़ है. मक्खन की तरह मुलायम और

भट्टी की तरह गरम." क़य्यूम ने मेरे सिर को पकड़ कर उस की तरह

घुमाया, "ये है अंजलि सिंग. अपने ब्रिज की बीवी. इसने कहा मेरे पति

को छोड़ दो मैने कहा रात भर के लिए मेरे लंड पर बैठक लगा

फिर देखेंगे. समझदार औरत है मान गयी. अब ये रात भर तेरे

पहलू को गर्म करेगी. जितनी चाहे ठोको"

गवलेकर आकर पास मे बैठ गया. क़य्यूम ने मुझे उसकी ओर धकेल दिया.

गवलेकर मुझे खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया. और मुझे चूमने

लगा. मुझे तो अब अपने उपर घिन सी आने लगी थी. मगर इनकी बात तो

मान नि ही थी. वरना ये तो मुर्दे को भी नोच लेते हैं. मेरे बदन को

क़य्यूम ने सॉफ करने नहीं दिया था. इसलिए जगह जगह वीर्य सूख

कर सफेद पपड़ी की तरह दिख रही थी.

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