राज और उसकी विधवा भाभी compleet

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rajaarkey
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Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:00


मैने कहा, मैं तो मज़ाक कर रहा था. वो बोली, तो क्या तुम समझे कि
मैं सच में ही उस पागल से चुदवा लूँगी. मैने कहा, मैं तुमसे एक
ही शर्त पर शादी करूँगा. वो बोली, मैने कहा ना कि मुझे तुम्हारी
हर शर्त मंज़ूर है. मैने कहा, सुन तो लो. वो बोली, फिर सुना ही
दो. मैने कहा, मैं तुम्हारी गांद मारूँगा तब ही तुमसे शादी करूँगा.
वो बोली, जब मैने तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लिया तब ही मैं
तुम्हारी बीवी बन गयी थी, भले ही हमारी शादी नहीं हुई थी. अपनी
बीवी से ये बात पुछि नहीं जाती. अभी मार लो मेरी गांद. मैने कहा,
फिर सुहागरात के दिन मैं क्या करूँगा. वो बोली, फिर रहने दो.
सुहागरात के दिन तुम मेरी गांद मार लेना. मैने कहा, एक दिक्कत और
है. वो बोली, अब क्या है. मैने कहा, तुमसे शादी करने के बाद मैं
सारी ज़िंदगी किसी कुँवारी चूत को नहीं चोद पाउँगा वो बोली, मैं
तुम्हारे लिए कुँवारी चूत का इंतेज़ाम भी कर दूँगी. मैने पुछा, वो
कैसे. वो बोली, ये मुझ पर छ्चोड़ दो. मैने कहा, फिर मैं पंडित से
पूच्छ लेता हूँ कि हमें शादी कब करनी चाहिए. वो बोली, पूच्छ लेना.

मैने पंडित से बात की तो उसने 3 दिनबाद का मुहूर्त बताया. 3 दीनो तक
मैने ऋतु की खूब जम कर चुदाई की. अब उसे और ज़्यादा मज़ा आने
लगा था. ऋतु चुदवा. समय मेरा पूरा साथ देती थी इस लिए मुझे
भी खूब मज़ा आता था. तीसरे दिन हम दोनो ने मंदिर में शादी कर
ली. रात में मैने ऋतु की गांद मारी. वो बहुत चीखी और चिल्लाई
लेकिन उसने एक बार भी मुझे रोका नहीं. उसकी गांद कयि जगह से कट
गयी थी और उसकी गांद की हालत एक दम खराब हो गयी थी. वो 2 दीनो
तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. मैने पुछा, मैं जब
तुम्हारी गांद मार रहा था और तुम्हें इतनी ज़्यादा तकलीफ़ हो रही थी
तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं. वो बोली, मैं अपने पति को कैसे मना
करती. आख़िर बाद में मुझे भी तो गांद मरवाने में मज़ा आया.
मैने कहा, वो तो आना ही था. अब मेरे लिए कुँवारी चूत का इंतेज़ाम
कब करोगी. वो बोली, बस जल्दी ही हो जाएगा.

शादी के 4 दिन के बाद जब मैं दुकान से घर आया तो घर पर एक
लड़की बर्तन सॉफ कर रही थी. उसके कपड़े थोड़ा गंदे थे लेकिन वो
थी बहुत ही खूबसूरत. उसकी उमर लगभग 16 साल की रही होगी. मैं
सीधा अपने कमरे में चला गया. ऋतु भी मेरे पिछे पिछे आ
गयी. मैने ऋतु से पुछा, ये कौन है. वो मुस्कुराते हुए बोली, मैने
इसे घर का काम करने के लिए रखा है. इसका नाम लाली है. पसंद
है ना तुम्हें. मैं इसे तुम्हारे काम के लिए भी जल्दी ही तय्यार कर
लूँगी. मैने कहा, तुम्हारी पसंद का तो जवाब नहीं है. कहाँ रहती
है ये. ऋतु ने कहा, ये गाओं में रहती थी लेकिन अब यहीं रहेगी.
मेरे भैया जब शादी में आए थे तो मैने उन से कहा था कि मुझे
घर का काम करने के लिए एक लड़की चाहिए. उन्होने ने ही इसे यहाँ
पर भेजा है. ये हमारे साथ ही रहेगी. मैने कहा, जल्दी तय्यार
करो इसे. मैं इसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता हूँ. वो बोली, थोड़ा
सबर करो.

लाली बर्तन सॉफ कर के कमरे में आ गयी. उसने ऋतु से पुचछा,
मालकिन, मैने घर का सारा काम कर दिया है, और कुच्छ करना हो तो
बता दो. ऋतु ने कहा, तू तो मेरे गाओं की है, मुझे मालकिन मत कहा
कर. वो बोली, फिर मैं आप को क्या कह कर बुलाऊं. ऋतु ने कहा, तू
मुझे दीदी कहा कर और इन्हें जीजू. वो खुश हो गयी और बोली, ठीक
है, दीदी. ऋतु ने कहा, मेरी तबीयत कुच्छ खराब रहती है इस लिए
तू मेरे साथ ही सो जाना. वो बोली, फिर जीजू कहाँ सोएंगे. ऋतु ने
कहा, वो भी मेरे पास ही सोएंगे. वो बोली, फिर मैं आप के पास
कैसे सो पाउंगी ऋतु ने कहा, मेरे एक तरफ तुम सो जाना दूसरी तरफ
ये सो जाएँगे. वो बोली, ये तो ठीक नहीं होगा. ऋतु ने कहा, शहर
में सब चलता है. यहाँ ज़्यादा शरम नहीं की जाती. वो बोली, ठीक
है, मैं आप के पास ही सो जाउन्गि.
क्रमशः...........



rajaarkey
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Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:01

गतान्क से आगे..........
हम सब ने खाना खाया उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने के लिए आ
गया. मैने केवल लूँगी ही पहन रखी थी. थोड़ी देर बाद ऋतु और
लाली भी आ गये. ऋतु ने ब्रा और पॅंटी को छ्चोड़ कर अपने बाकी के
कपड़े उतार दिए. उसके बाद उसने मेक्सी पहन ली. ऋतु ने लाली से कहा,
अब तू भी अपने कपड़े उतार दे. मैं तुझे भी एक मेक्सी देती हूँ, उसे
पहन लेना. वो बोली, नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूँ. ऋतु ने कहा,
मैं जो कहती हूँ, उसे मान लिया कर. सोते वक़्त सारा बदन खुला
छ्चोड़ देना चाहिए. वो बोली, जीजू यहाँ हैं. ऋतु ने कहा, जीजू से
कैसी शरम, ये तुझे पकड़ थोड़े ही लेंगे. उतार दे अपने कपड़े. लाली
ने शरमाते हुए अपनी शलवार और कमीज़ उतार दी. उसका बदन देखकर
मैं दंग रह गया. उसकी चुचियाँ अभी बहुत ही छ्होटी छ्होटी थी.
ऋतु ने उसे भी एक मेक्सी दे दी तो उसने वो मेक्सी पहन ली.

ऋतु मेरे बगल में लेट गयी. लाली ऋतु के बगल में लेट गयी. हम
सब कुच्छ देर तक बातें करते रहे. उसके बाद सोने लगे. थोड़ी ही देर
में लाली सो गयी तो ऋतु ने मुझसे कहा, अब तुम मेरी चुदाई करो.
मैने कहा, इसके सामने. वो बोली, मैं चाहती हूँ कि ये हम दोनो को
देख ले, तभी तो मैं इसे तय्यार करूँगी. तुम मुझे खूब ज़ोर ज़ोर से
चोदना जिस से ये जाग जाए. मैने कहा, ठीक है.

मैने ऋतु को ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया. सारा बेड ज़ोर ज़ोर से
हिलने लगा. थोड़ी ही देर में लाली की नींद खुल गयी और वो उठ कर
बैठ गयी. जैसे ही वो उठी तो मैने अपना लंड ऋतु की चूत से बाहर
निकाल लिया. लाली ने जब हम दोनो को देखा तो शर्मा गयी. वो बोली,
दीदी, मैं बाहर जा रही हूँ. ऋतु ने कहा, क्यों, क्या हुआ. वो बोली,
मुझे शरम आती है. ऋतु ने कहा, पगली, इसमें शरमाने की कौन सी
बात है. तू अपना मूह दूसरी तरफ कर ले और सो जा. लाली उठ कर जाना
चाहती थी लेकिन ऋतु ने उसका हाथ पकड़ लिया. लाली कुच्छ नहीं बोली.
वो ऋतु के बगल में ही लेट गयी लेकिन उसने अपना मूह दूसरी तरफ
नहीं किया. ऋतु ने मुझसे कहा, अब तुम अपना काम जल्दी से पूरा करो,
मुझे नींद आ रही है.

मैने ऋतु को चोदना शुरू कर दिया. लाली तिर्छि निगाहों से हम दोनो
के देखती रही थी. 15 मिनट की चुदाई के बाद जब मैं झाड़ गया तो
मैने अपना लंड ऋतु की चूत से बाहर निकाला. ऋतु उठ कर बैठ गयी
और उसने मेरा लंड चाट चाट कर साफ कर दिया. लाली ने शरम के मारे
अपनी आखे बंद कर ली. ऋतु ने अपना मूह लाली की तरफ कर लिया और
अपना हाथ उसकी चुचियों पर रख दिया. उसने कहा, दीदी, अपना हाथ
हटा लो. ऋतु ने कहा, मुझे तो ऐसे ही सोने की आदत है. अब सो जा.
लाली कुच्छ नहीं बोली. उसके बाद हम सब सो गये.

सुबह हम सब उठ गये. लाली फ्रेश होने चली गयी. ऋतु ने मुझसे
कहा, अब तुम इसे बार बार अपना लंड दिखाने की कोशिश करना लेकिन
इसे हाथ मत लगाना. इसे ऐसा लगना चाहिए कि जैसे तुम अपना लंड
इसे दिखाने की कोशिश नहीं कर रहे थे. मैने कहा, ठीक है. लाली
फ्रेश हो कर आ गयी. ऋतु ने कहा, अब तू घर में झाड़ू लगा ले. वो
झाड़ू लगाने चली गयी. ऋतु ने मुझसे कहा, अब तुम जा कर फ्रेश हो
जाओ. आज से अपना टवल साथ मत ले जाना और एक दम नंगे ही नहाना,
मैं लाली से तुम्हारा टवल भेज दूँगी. मैने कहा, ठीक है.

rajaarkey
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Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:01



मैं बाथरूम में चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही
नहाने लगा. थोड़ी देर बाद मैने ऋतु को पुकारा और कहा, टवल दे
दो. ऋतु ने लाली से कहा, जा, जीजू को टवल दे आ. वो टवल ले कर
आई तो मैने बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया. मेरा लंड पहले से खड़ा
था. लाली की निगाह जैसे ही मेरे लंड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे
कर लिया. वो मुझे टवल देने लगी तो मैने कहा, थोड़ा रुक जाओ. मैं
अपने सिर को ज़रा साबुन से सॉफ कर लूँ. मैने अपने सिर पर साबुन
लगाना शुरू कर दिया. मैने देखा की लाली तिर्छि निगाहों से मेरे
लंड को देख रही थी. मैने कुच्छ ज़्यादा ही देर कर दी तो वो बोली,
जीजू, टवल ले लो, मुझे और भी काम करना है. मैं कहा, थोड़ा रुक
जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ.

मैने अपना सिर धोया और फिर अपने लंड पर साबुन लगाते हुए कहा,
रात को तेरी दीदी ने इसे भी गंदा कर दिया था, ज़रा इसे भी साफ कर
लूँ. फिर मुझे टवल दे देना. वो चुप चाप खड़ी रही. मैं अपने
लंड पर साबुन लगाने लगा. वो अभी भी मेरे लंड को तिर्छि निगाहों
से देख रही थी. मैने उस से मज़ाक करते हुए कहा, साली जी, तिर्छि
निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो. अपना सिर उपर कर लो और ठीक से
देख लो मुझे. वो बोली, मुझे शरम आती है. मैने कहा, कैसी
शरम, मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना. बोलो, हूँ या नहीं. वो बोली,
हां, आप मेरे जीजू हैं. मैने अब ज़्यादा देर करना ठीक नहीं समझा.
मैने अपने लंड पर लगे हुए साबुन को धोया और उसके हाथ से टवल
लेते हुए कहा, अब जाओ. वो मुस्कुराते हुए चली गयी.

मैने अपना बदन साफ किया और लूँगी पहन कर बाहर आ गया. लाली
ड्रवोयिंग रूम में झाड़ू लगा रही थी. मैने ऋतु को पुकारा और कहा,
ज़रा तेल तो लगा दो. वो बोली, अभी आती हूँ. ऋतु मेरे पास आ गयी
तो मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, आज तेल नहीं
लगओगि क्या. ऋतु समझ गयी और बोली, लगाउन्गि क्यों नहीं. उसने मेरे
लंड पर लगा कर मालिश करना शुरू कर दिया. लाली मेरे लंड को
देखती रही. इस बार वो ज़्यादा नहीं शर्मा रही थी. तेल लगाने के
बाद ऋतु जाने लगी तो मैने कहा, तुम कुच्छ भूल रही हो. ऋतु ने
मेरे लंड को चूम लिया. उसके बाद मैने नाश्ता किया और अपने कमरे
में आ गया.

10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो ऋतु ने कहा, लाली के लिए कुच्छ नये
कपड़े और थोड़ा मेक-अप का समान ले आना. मैने कहा, अच्च्छा, ले
आउन्गा. उसके बाद मैं दुकान चला गया. रात के 8 बजे मैं दुकान से
वापस आया और मैने लाली को पुकारा. लाली आ गयी और उसने मुस्कुराते
हुए कहा, क्या है, जीजू. मैने कहा, मैं तेरे लिए कपड़े ले आया
हूँ और मेक-अप का समान भी. देख ज़रा तुझे पसंद है या नहीं.
उसने सारा समान देखा तो खुश हो गयी और बोली, बहुत ही अच्च्छा
है. मैने पुछा, ऋतु कहाँ है. वो बोली, फ्रेश होने गयी है. मैने
कहा, जा मेरे लिए चाय ले आ. वो चाय लाने चली गयी. मैने अपने
कपड़े उतार दिए और लूँगी पहन ली. वो चाय ले कर आई तो मैने
चाय पी. तभी ऋतु आ गयी. उसने पुछा, लाली का समान ले आए.
मैने कहा, हां, ले आया और इसे दिखा भी दिया. इसे बहुत पसंद भी
आया. मैं टीवी देखने लगा. ऋतु लाली के साथ खाना बनाने चली गयी.
रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये. आज लाली
बहुत खुश दिख रही थी. उसने आज ज़रा सा भी शरम नहीं की और
खुद ही अपने कपड़े उतार दिए और मेक्सी पहन ली. हम सब बेड पर लेट
गये. ऋतु ने मुझसे कहा, मुझे नींद आ रही है. तुम अपना काम कर
लो और मुझे सोने दो. मैं समझ गया. मैने अपनी लूँगी उतार दी. ऋतु
ने भी अपनी मेक्सी खोल दी और पॅंटी उतार दी. लाली देख रही थी. आज वो
कुच्छ बोल नहीं रह थी, केवल चुप चाप लेटी हुई थी. मैने ऋतु को
चोदना शुरू कर दिया. मैने देखा की लाली आज ध्यान से हम दोनो को
देख रही थी.

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