राज और उसकी विधवा भाभी compleet

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rajaarkey
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Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:02



15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झाड़ गया तो आज मैने ऋतु की चूत
को चाटना शुरू कर दिया. लाली ने मुझे ऋतु की चूत को चाट ते हुए
देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया. मैं समझ गया कि अब
वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है. ऋतु की चूत को चाटने के बाद
मैने अपना लंड ऋतु के मूह के पास कर दिया तो ऋतु ने भी मेरा लंड
चाट चाट कर सॉफ कर दिया. उसके बाद मैं लेट गया. तभी लाली ने
कहा, दीदी, आप दोनो को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाट ते हुए.
ऋतु ने कहा, कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी.
उसके बाद हम सो गये.

सुबह मैं नहाने गया तो मैने लाली को पुकारा और कहा, टवल ले आ.
वो बोली, अभी लाई, जीजू. वो टवल ले कर आ गयी. मैने अपने लंड की
तरफ इशारा करते हुए कहा, थोड़ा रुक जा, मैं इसे साफ कर लूँ.
मैने अपने लंड पर साबुन लगाना शुरू कर दिया. आज लाली ने अपना सिर
नीचे नहीं किया और मेरे लंड को ध्यान से देखती रही. वो अब ज़्यादा
नहीं शर्मा रही थी. मैने अपने लंड को साफ किया और फिर उस से
टवल ले लिया. वो चली गयी. मैं बाथरूम से बाहर आया तो ऋतु ने
मेरे लंड पर तेल लगाया और फिर मेरे लंड को चूमा और किचन में
चली गयी. लाली इस दौरान मेरे लंड को ध्यान से देखती रही. मैने
नाश्ता किया और दुकान चला गया.

रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुच्छ मिठाई ले आया था.
मैने लाली को पुकारा. लाली आ गयी तो मैने उसे मिठाई दे दी. उसने
मिठाई ले ली और कहा, आप के लिए भी ले आऊँ. मैने कहा, हां,
थोड़ा सा ले आ. वो मिठाई ले कर आई तो मैने मिठाई खाने लगा.
तभी ऋतु आई. उसने मुझे मिठाई खाते हुए देखा तो बोली, आज कल
साली की बहुत सेवा हो रही है. मैने कहा, क्या करूँ. मेरी तो कोई
साली ही नहीं थी. अब जब मुझे एक साली मिल गयी है तो उसकी सेवा तो
करूँगा ही. लेकिन मेरी साली मेरा ज़्यादा ख़याल ही नहीं रखती. लाली
बोली, जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिए मेरा कोई जीजू तो आने
वाला नहीं है. आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो. मैने कहा,
क्या तुम मेरा कहना मनोगी. वो बोली, क्यों नहीं मानूँगी. मैने कहा,
ठीक है, जब मुझे ज़रूरत होगी तो तुम्हें बता दूँगा.

अगले 2 दिनो में मैने लाली से मज़ाक करना शुरू कर दिया. धीरे
धीरे वो भी मुझसे मज़ाक करने लगी. अब वो मुझसे शरमाती नहीं
थी. अब लाली खुद ही टवल ले आती थी. उस दिन भी जब मैं नहा रहा
था तो वो टवल ले कर आई और खड़ी हो गयी और मेरे लंड को देखने
लगी. मैने कहा, साली जी, आज तुम ही मेरे लंड पर साबुन लगा दो. वो
बोली, क्या जीजू, मुझसे अपने लंड पर साबुन लगवाएँगे. मैने कहा, तो
क्या हुआ. वो बोली, दीदी क्या कहेंगी. मैने ऋतु को पुकारा तो वो आ गयी
और बोली, क्या है. मैने कहा, मैं लाली से अपने लंड पर साबुन लगाने
को कहा तो ये कह रही है कि दीदी क्या कहेंगी. अब तुम इसे बता दो की
तुम क्या कहोगी. ऋतु ने कहा, मैं तो कहूँगी कि लाली तुम्हारे लंड पर
साबुन लगा दे. आख़िर वो तुम्हारी साली है. मैं भला इसे कैसे मना
कर सकती हूँ. मैने लाली से कहा, देखा, ये तुम्हें कुच्छ भी नहीं
कहेगी. लाली ने कहा, फिर मैं साबुन लगा देती हूँ.
क्रमशः...........


rajaarkey
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Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:03

गतान्क से आगे..........
ऋतु चली गयी. लाली ने थोड़ा सा शरमाते हुए मेरे लंड पर साबुन
लगाना शुरू कर दिया. मुझे खूब मज़ा आने लगा. उसकी आँखे भी
गुलाबी सी होने लगी. थोड़ी देर बाद वो बोली, अब बस करूँ या और
लगाना है. मैने कहा, थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना
मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. वो सबुन लगाती रही. थोड़ी ही देर
में जब मुझे लगा कि अब मेरा जूस निकल जाएगा तो मैं कहा, अब
रहने दो. उसने अपना हाथ साफ किया और चली गयी.

मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर बैठ
गया. मैने ऋतु को पुकारा, ऋतु, ज़रा तेल तो लगा दो. लाली मेरे पास
आई और बोली, मैं ही लगा दूं क्या. मैने कहा, ये तो और अच्छि
बात है. तुम ही लगा दो. लाली मेरे लंड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से
मालिश करने लगी तो मैं कुच्छ ज़्यादा ही जोश में आ गया. लाली ठीक
मेरे लंड के सामने ज़मीन पर बैठी थी. मेरे लंड से जूस की धार
निकल पड़ी और सीधे लाली के मूह पर जा कर गिरने लगी. लाली शर्मा
गयी और बोली, क्या जीजू, तुमने मेरा मूह गंदा कर दिया. मैने कहा,
तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुच्छ ज़्यादा ही जोश में आ गया और मेरे
लंड का जूस निकल गया. लाओ मैं सॉफ कर देता हूँ. वो बोली, रहने
दो, मैं खुद ही साफ कर लूँगी. लाली बाथरूम में चली गयी. ऋतु
किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी. ऋतु ने कहा, अब
तुम्हारा काम बन ने ही वाला है.

नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया. रात को मैं लाली के लिए
एक झूमकि ले आया. मैने उसे झूमकि दी तो वो खुशी के उच्छल पड़ी और
ऋतु को दिखाते हुए बोली, देखो दीदी, जीजू मेरे लिए क्या लाए हैं.
ऋतु ने कहा, तू ही उनकी एकलौती साली है. वो तेरे लिए नहीं लाएँगे
तो और किस के लिए लाएँगे.

रात को खाना कहने के बाद हम सोने के लिए कमरे में आ गये. मैने
लाली से मज़ाक किया, क्यों लाली, मेरा लंड तुझे कैसा लगा. उसने
शरमाते हुए कहा, जीजू, ये भी कोई पूच्छने की बात है. मैने
कहा, तेरी दीदी को तो बहुत पसंद है, तुझे कैसा लगा. उसने
शरमाते हुए, मुझे भी बहुत अच्च्छा लगा. मैने पूचछा, तुझे क्यों
अच्च्छा लगा. वो बोली, इस लिए की आप का बहुत बड़ा है. मैने
पूचछा, जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता
है. वो बोली, तब तो और ज़्यादा अच्च्छा लगता है. लेकिन जीजू, एक बात
मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के
अंदर पूरा का पूरा घुस जाता है. मैने कहा, तेरी दीदी को इसकी
आदत पड़ गयी है. वो बोली, लेकिन पहली बार जब आप ने घुसाया होगा
तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी. मैने कहा, दर्द तो पहली
पहली बार सब औरतों को होता है. इसे भी हुआ था और ये खूब
चिल्लाई भी थी. लेकिन लाली बाद में मज़ा भी तो खूब आता है. तुम
चाहो तो अपनी दीदी से पूच्छ लो. लाली ने ऋतु से पुछा, क्यों दीदी,
क्या जीजू सही कह रहे हैं. ऋतु ने कहा, हां लाली, तभी तो मैं
इनसे रोज रोज करवाती हूँ. बिना करवाए मुझे नींद नहीं आती. तुम
भी एक बार इनका अंदर ले लो. कसम से इतना मज़ा आएगा की तुम भी रोज
रोज करने को कहोगी. लाली बोली, ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्यों
की मेरा तो अभी बहुत छ्होटा है. ऋतु ने कहा, छ्होटा तो सभी का
होता है. लाली बोली, मुझे दर्द भी तो बहुत होगा. ऋतु ने कहा,
पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आएगा कि तू सारा
दर्द भूल जाएगी. तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटा
सॅट अंदर बाहर होता है. वो बोली, हां, देखा तो है. ऋतु बोली, फिर
एक बार तू भी अंदर ले कर देख ले. अगर तुझे मज़ा नहीं आएगा तो
फिर कभी मत करवाना. वो बोली, बाद में करवा लूँगी. ऋतु ने कहा,
आज क्यों नहीं. वो बोली, मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ. ऋतु
ने कहा, तो फिर आज तू इसे मूह में ले कर चूस ले. जब तेरा मन
कहेगा तभी इसे अंदर लेना. वो बोली, ठीक है, मैं मूह में लेकर
चूस लेती हूँ.

rajaarkey
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Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:04


ऋतु ने मुझसे कहा, तुम लाली के बगल में आ जाओ. मैं लाली के बगल
में आ गया. लाली ने मेरी लूँगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लंड पर
रख दिया. उसके हाथ लगाने से मेरा लंड फंफनता हुआ खड़ा हो
गया. लाली उसे सहलाने लगी. मुझे मज़ा आने लगा. मैने कहा, अब इसे
मूह में ले लो. वो बोली, ज़रूर लूँगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना.
मैने कहा, ठीक है. थोड़ी देर तक सहलाने के बाद लाली उठ कर
बैठ गयी. उसने शरमाते हुए मेरे लंड का सूपड़ा अपने मूह में ले
लिया और चूसने लगी. ऋतु ने मुस्कुराते हुए पुचछा, क्यों लाली, कैसा
लग रहा है. वो बोली, दीदी, बहुत अच्च्छा लग रहा है. ऋतु ने कहा,
मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अंदर भी ले ले. फिर और ज़्यादा
अच्च्छा लगेगा. वो बोली, बहुत दर्द होगा. ऋतु ने कहा, तू इतना डरती
क्यों है. मैं हूँ ना तेरे पास. उसने कहा, अच्च्छा, मुझे पहले
थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अंदर लेने की कोशिश करूँगी.

लाली मेरा लंड चूस्ति रही. मैने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर
रख दिया लेकिन वो कुच्छ नहीं बोली. मैने पॅंटी के उपर से ही उसकी
चूत को सहलाना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी. थोड़ी देर
में ही उसकी छुट गीली हो गयी तो मैने पुचछा, कैसा लगा. वो बोली,
बहुत अच्छा. लाली अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी. मैने कहा,
जब तू मेरा लंड अपनी चूत के अंदर लेगी तो तुझे और ज़्यादा अच्च्छा
लगेगा. वो बोली, ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे
घुसाना. मैने कहा, थोड़ा दर्द होगा, ज़्यादा चिल्लाना मत. वो बोली,
मैं अपना मूह बंद रखने की कोशिश करूँगी. मैने कहा, ठीक है,
तू पहले अपने कपड़े उतार दे. वो बोली, मैने कपड़े ही कहाँ पहन रखे
हैं. मैने उसकी ब्रा और पॅंटी की तरफ इशारा करते हुए कहा, फिर
ये क्या है. वो बोली, क्या इसे भी उतारना पड़ेगा. मैने कहा, हां,
तभी तो मज़ा आएगा. उसने कहा, ठीक है, उतार देती हूँ.

इतना कह कर लाली खड़ी हो गयी और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए.
ऋतु मुझे देख कर मुस्कुराने लगी तो मैं भी मुस्कुरा दिया. लाली बेड
पर लेट गयी तो मैं लाली के पैरों के बीच आ गया. मैने उसके
पैरों को एक दम दूर दूर फैला दिया. उसके बाद मैने अपने लंड के
सूपदे को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया. वो जोश के मारे पागल
सी होने लगी और ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भरते हुए बोली, जीजू, बहुत
मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से रागडो. मैने और ज़्यादा तेज़ी के साथ
रगड़ना शुरू कर दिया तो 2-3 मिनट में ही लाली ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ
भरने लगी और झाड़ गयी.

लाली की चूत अब एक दम गीली हो चुकी थी इस लिए मैने अब ज़्यादा देर
करना ठीक नहीं समझा. मैने उसकी चूत की लिप्स को फैला कर अपने
लंड का सूपड़ा बीच में रख दिया. उसके बाद जैसे ही मैने थोड़ा सा
ज़ोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली, जीजू, बहुत दर्द हो रहा है,
बाहर निकाल लो. मैने कहा, बस थोड़ा सा बर्दास्त करो. मेरे लंड का
सूपड़ा उसकी चूत में घुस चुका था. मैने फिर से थोड़ा सा ज़ोर
लगाया तो इस बार वो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. उसने रोना शुरू कर
दिया तो ऋतु ने उसे चुप करते हुए कहा, दर्द को बर्दास्त कर तभी
तो तू मज़ा ले पाएगी. वो बोली, बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी. ऋतु
उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शांत हो गयी.

मेरा लंड इस उसकी चूत में 2" तक घुस चुका था. जब लाली चुप हो
गयी तो मैने फिर से ज़ोर लगाया तो मेरा लंड थोडा सा और घुस गया
और उसकी सील मेरे लंड के रास्ते में आ गयी. वो फिर से चीखने
लगी और बोली, जीजू, बाहर निकाल लो, मैं मर जाउन्गि, बहुत दर्द हो
रहा है, मेरी चूत फॅट जाएगी. मैने उसकी चुचियों को मसलते हुए
कहा, बस थोडा सा ही और है. थोड़ी देर तक मैं उसकी चुचियों को
मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शांत हो गयी. मुझे अब उसकी
सील को फाड़ना था.

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