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Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Posted: 01 Nov 2014 23:04
by rajaarkey


मैने लाली की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया पूरी ताक़त के साथ बहुत ही
ज़ोर का धक्का मारा. उसकी चूत से खून निकलने लगा. मेरा लंड उसकी
सील को फाड़ते हुए 4" से थोडा ज़्यादा अंदर घुस गया. लाली इस बार
कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी तो ऋतु ने उसे चुप करते
हुए कहा, बस हो गया, अब रो मत. अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा
आएगा. वो बोली, क्या पूरा अंदर घुस गया. ऋतु ने कहा, अभी कहाँ,
अभी तो आधा ही घुसा है. वो बोली, जब जीजू बाकी का घुसाएँगे तो
मुझे फिर से दर्द होगा. ऋतु ने कहा, नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब
तुझे मज़ा आएगा.

लाली जब शांत हो गयी तो मैने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरू कर
दी. उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी. उसकी
चूत बहुत ही ज़्यादा टाइट थी इस लिए मेरा लंड आसानी से उसकी चूत
में अंदर बाहर नहीं हो पा रहा था. मैं उसे चोद्ता रहा तो वो
कुच्छ देर बाद वो धीरे धीरे शांत हो गयी. अब उसे भी कुच्छ कुच्छ
मज़ा आने लगा था. उसने सिसकिया भरनी शुरू कर दी. ऋतु ने
पुछा, अब कैसा लग रहा है. वो बोली, अब तो मज़ा आ रहा है. ऋतु
ने कहा, पूरा अंदर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आएगा, ये तो
अभी शुरुआत है. मैने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद
उसने अपने चूतड़ भी उठाने शुरू कर दिए.
क्रमशः...........

Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Posted: 01 Nov 2014 23:05
by rajaarkey
गतान्क से आगे..........
थोड़ी देर की चुदाई के बाद लाली झाड़ गयी. उसकी चूत और मेरा लंड
अब एक दम गीला हो चुका था. मैने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी
शुरू कर दी. लाली पूरे जोश में आ चुकी थी. वो ज़ोर ज़ोर से
सिसकारियाँ भर रही थी. मैने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा
ज़ोर से लगाना शुरू कर दिया. इस से मेरा लंड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी
चूत में और ज़्यादा गहराई तक घुसने लगा. जब मैं तेज धक्का लगा
देता था तो लाली केवल एक आह सी भरती थी. वो इतने जोश में आ
चुकी थी कि उसे अब ज़्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था. मैं इसी
तरह से उसे चोद्ता रहा.

थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही लाली फिर से झाड़ गयी. अब तक मेरा
लंड उसकी चूत में 7" अंदर घुस चुका था. मैने अपनी स्पीड बढ़ाते
हुए उसकी चुदाई जारी रखी. थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा
लंड उसकी चूत में समा गया. ऋतु ने जब देखा की मेरा पूरा लंड
उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने लाली से कहा, इनका पूरा का
पूरा लंड तेरी चूत के अंदर घुस गया है. अब तुझे केवल मज़ा
आएगा. वो बोली, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है. ऋतु ने कहा, अगर
तुझे विश्वास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले. लाली ने
हाथ लगा कर देखा तो बोली, दीदी, ये पूरा अंदर कैसे घुस गया,
मुझे तो कुच्छ पता ही नहीं चला. ऋतु ने कहा, जब तू थोड़ी देर की
चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गयी थी तब ये बीच बीच में
ज़ोर का धक्का लगा देते थे. जिस से इनका लंड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी
चूत के अंदर घुसा जाता था. तू जोश में थी इस लिए तुझे कुच्छ
पता ही नहीं चला.

मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्यों कि अब मैं झड़ने वाला था. 2 मिनट
के अंदर ही मैं झाड़ गया तो लाली भी मेरे साथ ही साथ फिर से
झाड़ गयी. मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल कर लाली से
पूछा, चतोगी. उसने मेरा लंड देखा तो उस पर जूस के साथ थोडा
खून भी लगा हुआ था. वो बोली, जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ
है. मैं अगली बार चाट लूँगी. ऋतु ने कहा, तेरी चूत का ही तो
खून है और ये पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे. वो बोली, तुम
कहती हो तो मैं चाट लेती हूँ. उसने मेरा लंड चाट चाट कर साफ कर
दिया. ऋतु ने पूछा, चुदवाने में मज़ा आया. वो बोली, हां, मज़ा तो
आया लेकिन ज़्यादा नहीं. ऋतु ने पुछा, क्यों. वो बोली, जब मुझे ज़्यादा
मज़ा आना शुरू हुआ तो जीजू झाड़ गये. ऋतु ने कहा, अगली बार ज़्यादा
मज़ा आएगा. इस बार तो इनका सारा वक़्त तेरी चूत में रास्ता बनाने
में ही लग गया.

मैं लाली के बगल में लेट गया. वो मेरी पीठ को सहलाते हुए मुझे
चूमती रही. 10 मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैने
लाली को डॉगी स्टाइल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी. उसे
इस बार चुदवाने में ज़्यादा मज़ा आया और मुझे भी. उसने इस बार
पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया. मैने भी उसे पूरे जोश
के साथ बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुए खूब जम कर चोदा.
इस बार मैने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की. लाली इस दौरान 4
बार झाड़ गयी थी.

मैं लाली के बगल में लेट गया. हम सब आपस में बातें करते
रहे. लगभग 1 घंटे के बाद ऋतु ने मुझसे कहा, क्यों जी, तुम मुझे
आज नहीं चोदोगे क्या. साली की कुँवारी चूत का मज़ा पा कर मुझे भूल
गये क्या. मैने कहा, भला मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ, तुम
तो मेरी बीवी हो. मैं रोज रोज घर का ही तो खाना ख़ाता हूँ. कभी
कभी होटेल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिए. तुम तो मेरे लिए
घर का खाना हो और लाली होटेल का. आज मैने कुँवारी चूत का मज़ा
लिया है इस लिए मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाउन्गा.
आज तो मैं तुम्हारी गांद मारूँगा. ऋतु बोली, फिर मारो ना. लाली बोली,
जीजू क्या कह रहे हो. मैने कहा, ठीक ही कह रहा हूँ. ये कभी
कभी मुझसे गांद भी मरवाती है. गांद मरवाने में भी खूब मज़ा
आता है. तुम भी मर्वओगि. वो बोली, पहले आप दीदी की गांद मार लो.
ज़रा मैं भी तो देखूं की दीदी आप का इतना लंबा और मोटा लंड अपनी
गांद के अंदर कैसे लेती है.

Re: राज और उसकी विधवा भाभी

Posted: 01 Nov 2014 23:06
by rajaarkey


ऋतु डॉगी स्टाइल में हो गयी तो मैने ऋतु की गांद मारनी शुरू कर
दी. लाली आँखें फाडे मेरे लंड को ऋतु की गांद में अंदर बाहर
होते हुए देखती रही. मैं 2 बार लाली की चुदाई कर चुका था इस
लिए मैं जल्दी झाड़ नहीं पा रहा था. ऋतु सिसकारियाँ भरते हुए
मुझसे गांद मरवा रही थी. लाली ऋतु को गांद मरवाते हुए देख रही
थी. उसकी आँखों में भी जोश की झलक साफ दिख रही थी. मैने
लाली से पुछा, कैसा लग रहा है. वो बोली, बहुत ही अच्च्छा लग रहा
है, जीजू. मैने पुछा, गांद मर्वओगि. वो बोली, फिर से दर्द होगा.
मैने कहा, गांद मरवाने में तो बहुत ही ज़्यादा दर्द होता है. वो
बोली, ना बाबा ना, मैं गांद नहीं मरवाउंगी. ऋतु ने कहा, लाली,
पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले. उसके बाद एक बार
गांद भी मरवाने का मज़ा ले लेना. मैने लगभग 45 मिनट तक ऋतु की
गांद मारी और झाड़ गया.

मैने कयि दीनो तक लाली को खूब जम कर चोदा. उसे अब चुदवाने में
बहुत मज़ा आने लगा था. मुझे भी कुँवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल
चुका था और मैं अब उसकी एक दम टाइट चूत को चोद रहा था. मैं
लाली की गांद भी मारना चाहता था लेकिन उसे मैं खूब तडपा तडपा
कर उसकी गांद मारना चाहता था. मैने काई बार लाली के सामने ऋतु की
गांद मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई. वो मुझसे कहने
लगी, जीजू, एक बार मेरी भी गांद मार लो, मैं भी गांद मरवाने का
मज़ा लेना चाहती हूँ. मैने कहा, तुझे बहुत ज़्यादा तकलीफ़ होगी. वो
बोली, होने दो. मैने उस से कहा, तू नहीं जानती है कि मैने ऋतु की
गांद पहली पहली बार कैसे मारी थी. वो बोली, बताओगे तभी तो
जानूँगी. मैने कहा, तो सुन, तूने वो पिलर देखा है ना जो आँगन
में है. वो बोली, हां, देखा है. मैने कहा, मैने ऋतु को खड़ा
कर के उसी पिलर में कस कर बाँध दिया था. उसके बाद मैने इसके
मूह में कपड़ा थूस कर इसका मूह भी बाँध दिया था जिस से ये ज़्यादा
चिल्ला ना सके. उसके बाद ही मैं रातू की गांद मार पाया था. गांद
में लंड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और
दर्द भी बहुत होता है. गांद से बहुत ज़्यादा खून भी निकलता है.
वो बोली, चाहे जो भी हो आप मेरी गांद मार दो, मैं कुच्छ नहीं
जानती. मैने कहा, तू कयि दिनो तक बिस्तेर पर से उठ भी नहीं
पाएगी. वो बोली, जब दीदी ने आप से गांद मरवा लिया तो मैं क्यों
नहीं मरवा सकती. मैने कहा, सोच ले, बहुत दर्द होगा. तेरी गांद
भी फॅट सकती है. वो ज़िद करने लगी, मैं कुच्छ नहीं जानती, तुम
मेरी गांद मार दो बस. मैने कहा, अच्छा, कल मैं तेरी गांद मार
दूँगा. वो बोली, नहीं आज ही और अभी मेरी गांद मार दो.

ऋतु मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी. वो जानती थी कि मैं झूठ
बोल रहा हूं. वो ये भी संज़ह गयी थी मैं उसकी गांद को बहुत ही
बुरी तरह से मारना चाहता हूँ. ऋतु ने लाली से कहा, चल आँगन
में. मैं ऋतु और लाली के साथ आँगन में आ गया. ऋतु कुच्छ
कपड़े और रस्सी ले आई. उसके बाद मैने लाली से कहा, तू पिलर को
ज़ोर से पकड़ कर खड़ी हो जा. वो पिलर को पकड़ कर खड़ी हो गयी.
उसके बाद मैने रस्सी से उसकी कमर को पिलर से बाँध दिया. उसके बाद
मैने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिलर से बाँध
दिया. फिर मैने लाली के दोनो हाथ भी पिलर से बाँध दिए. वो बोली,
जीजू, आप ने तो मुझे ऐसे बाँध दिया है कि मैं ज़रा सा भी इधर
उधर नहीं हो सकती. मैने कहा, गांद मारने के लिए ऐसे ही बांधना
पड़ता है. उसके बाद मैने लाली के मूह में कपड़ा थूस दिया और उसके
मूह को बाँध दिया.