मैं और मौसा मौसी compleet

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rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:45

मैं और मौसा मौसी--5
gataank se aage........................
राधा मेरे सामने खड़ी हो गयी और टांगें पसार कर कमर आगे कर दी. "लो भैयाजी, मैं तो कब से तैयार बैठी हूं. सबकी पसंद का माल है मेरा, आप मालकिन और भैयाजी से पूछ लो."

मौसी भी मेरा लंड पकड़कर अपनी जांघ पर रगड़ते हुए बोलीं. "चल जल्दी कर अनिल, राधा तो खास मेरी प्यारी है, बड़ी चटपटी लड़की है."

मैंने मुंह डाल दिया. मौसी मुझपर चढ़ बैठीं और मेरी गोद में बैठकर लंड घुसेड़ लिया. फ़िर ऊपर नीचे होकर चुदवाने लगीं. हम फ़िर से दूसरे कमरे में देखने लगे.

वहां अब रज्जू लीना की बुर चूस रहा था. रघू मम्मों को दबाते हुए लीना की एक चूंची आधी मुंह में भरके चूस रहा था. मौसाजी लीना की गांड सहला रहे थे. बोले "चलो रे जल्दी जल्दी चूसो बहू का शहद, मन भर के पी लो, फ़िर चुदाई शुरू हो जायेगी तो असली स्वाद नहीं आयेगा."

रज्जू मुंह उठा कर बोला "आप नहीं चूसेंगे भैयाजी, बड़ा खालिस माल है"

"कल रात काफ़ी चूसा है मैंने, और बाद में भी चूसूंगा, अब तो यहीं है गांव के घर में, बच के कहां जायेगी, चीखेगी चिल्लायेगी तो कौन सुनने वाला है यहां मीलों तक!" और लीना की गांड में उंगली डाल दी.

लीना बिथर गयी और फ़िर हाथ पैर झटकने लगी "अरे मैंने कहा था ना गांड को हाथ मत लगाना. चलो, छोड़ो सालो, नामुरादो, अकेली लड़की पर जबरदस्ती करते हो"

"तू तो लड़की कहां है बहू, अच्छी खासी छिनाल चुदैल है अनिल की मौसी जैसी, अब देखना तुझे इतना चोदेंगे कि तेरी ये गरमागरम चूत पूरी ठंडी हो जायेगी."

लीना फ़िर चिल्लाने लगी. मौसाजी बोले "रज्जू, तेरा हो गया तो इसकी मुंह बंद कर दे अपने लंड से, साली बहुत पटर पटर कर रही है. और तू रघू, चल चढ़ जा और चोद डाल फ़टाफ़ट"

रज्जू उठ कर खड़ा हो गया और लीना के गालों पर लंड रगड़ता हुआ बोलो "अब मुंह खोलो बहू रानी, देखो क्या मस्त गन्ना है"

"मैं नहीं खोलूंगी, जो करना है कर ले हरामजादे" लीना बोली और मुंह बंद कर लिया. फ़िर उठने की कोशिश करने लगी. नाटक अच्छा कर रही थी, असल में अब वो बहुत गरम हो गयी थी. बुर से इतना पानी टपक रहा था कि जांघें भी गीली हो गयी थीं.

मौसाजी बोले "मत खोलो, हमें तो आता है मुंह खुलवाना" और लीना के गालों को पिचका दिया. उसका मुंह खुल गया. रज्जू ने तुरंत सुपाड़ा अंदर ठूंस दिया और लीना के सिर को पकड़कर आधा लंड पेल दिया. "आह, क्या मस्त मुंह है बहू रानी का, बड़ा मुलायम है भैयाजी." लीना अब गों गों कर रही थी.

"पूरा पेल ना, आधे में क्यों रुक गया" लीना के मम्मे दबाकर मौसाजी बोले.

"दम घुट न जाये, गले के नीचे चला चायेगा" रज्जू ने सफ़ाई दी.

"अरे तू नहीं जानता इसकी चुदासी को, आराम से गटक लेगी, तू पेल" मौसाजी ने हूल दी. रज्जू ने लीना का सिर पकड़कर कस के अपने पेट पर दबाया और पूरा लौड़ा हलक के नीचे उतार दिया. फ़िर खड़े खड़े लीना का मुंह चोदने लगा.

"शाबास, रघू चल अब तू चोद डाल" मौसाजी बोले.

"भैयाजी, पैर हिलाती है बहू रानी, डालने नहीं देती" रघू ने कहा.

"ठहर मैं देखता हूं" कहकर मौसाजी ने रज्जू से कहा "जरा हाथ पकड़के रख इसके" रज्जू ने लीना के हाथ पकड़ लिये. मौसाजी ने कस के लीना की टांगें पकड़कर फ़ैलायीं और बोले "पेल दे जल्दी"

रघू ने फ़च्च से लंड पूरा जड़ तक गाड़ दिया. फ़िर चोदने लगा "आह ... मस्त गरमागरम गीली चूत है भैयाजी, मजा आ गया"

rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:45



"मजा तो इसको भी आ गया होगा, बस नाटक कर रही है" मौसाजी बोले और फ़िर से लीना की गांड के पीछे पड़ गये. उसके चूतड़ मसलने और चूमने लगे.

रज्जू हंस के बोला "मस्त चीज है भैयाजी, आप के शौक की है"

"हां, कल बोला तो मुकर गयी, अब देखता हूं कैसे मना करती है. पर क्या गांड है छोकरी की, खा जाने का जी करता है" कहकर मौसाजी ने लीना के चूतड़ फ़ैलाकर गांड खोली और मुंह लगा दिया.

इधर मौसी थक कर रुक गयी थीं. एक बार झड़ चुकी थीं पर मस्ती उतरी नहीं थी. राधा मेरे मुंह में पानी छोड़ चुकी थी. बोली "मालकिन, चुदवा लिया ना, अब मुझे चोदने दो"

"रुक ना, अनिल को तो पूछ. क्यों रे अनिल पसंद आया मेरी नौकरानी का शहद?" मौसी मेरे लंड को चूत से पकड़कर बोलीं.

"एकदम खालिस घी है मौसी, इतना पिया पर पेट नहीं भरा. वैसे अब अगर ये चुदवाना चाहती है तो कर लेने दो, मेरा लंड तो है ही तुम दोनों की सेवा के लिये" मैंने मौसी के मम्मे चूमते हुए कहा.

"मालकिन, भैया का कितना मस्त खड़ा है देखो ना, आप अब उतरो और मुझे चोदने दो" राधा ने तकरार की. मौसी की लाड़ली नौकरानी थी, वो क्या मना करतीं उसको. "चल आ जा. पर ये बता, केले वेले हैं कि नहीं घर में?"

"कल ही तो लायी थी मालकिन, अंदर पड़े हैं"

मौसी उठ कर अंदर चाल दीं. "तुम लोग चोदो, मैं अपना इंतजाम करके आती हूं."

राधा मुझे खाट पे लिटा के मुझपर चढ़ बैठी और मेरी लंड गप्प से अपनी बुर में खोंस लिया, बड़ी जल्दी में थी. मैं आह भरकर बोला "हाय ... क्या गरम भट्टी है राधा और कितने प्यार से पकड़ी है मेरे लंड को ... अरी ऐसे न कर, झड़ जाऊंगा" मैंने कहा, राधा मेरे लंड को गाय के थन जैसी दुह रही थी.

"डरो मत अनिल भैया, ऐसे जल्दी थोड़े छोड़ूंगी तुमको, इतनी देर बाद पकड़ में आये हो, अब तो सता सता कर चोदूंगी. मालकिन बेचारी थक गयीं, मैं होती तो घंटे भर तक चोदती"

"वैसे मौसी केले लेने क्यों गयी है? अच्छा समझा, शौकीन लगती हैं केले की" मैंने कहा.

मौसी दो तीन बड़े केले लेकर आयीं "और क्या अनिल बेटे, तेरे मौसाजी चोदते कम हैं और गांड ज्यादा मारते हैं. फ़िर चूत बेचारी क्या करे. और थोड़ा नाश्ते का भी इंतजाम हो जायेगा तुम्हारे"

मुझे भूख लगने लगी थी. हाथ बढ़ा कर एक केला लेने लगा तो मौसी ने रोक दिया "अरे रुक, ऐसे मत खा, ऐसे क्या मजा आयेगा! जरा तैयार करने दे तेरे लिये ठीक से" हंसकर बोलीं और केला छील कर बुर में घुसेड़ लिया. फ़िर अंदर बाहर करने लगीं "तुम लोग चोदो, मेरी चिंता मत करो. वो लीना को तो देखो, क्या चुद रही है वो लड़की! आज सब मुराद मिल गयी है लगता है उसको"

राधा ने मेरे पीछे एक बड़ा मूढा रख दिया और मैं उससे टिककर बैठ गया. राधा और मैं चोदते चोदते फ़िर से दूसरे कमरे में देखने लगे.

रघू और रज्जू दोनों अब लीना के साथ खाट पर लेटे थे. लीना को करवट पर लिटाकर रज्जू ने उसका सिर अपने पेट पर दबा रखा था और कमर आगे पीछे करके मजे से उसका मुंह चोद रहा था. उधर रघू बाजू में लेट कर लीना के पैर उठाकर पकड़े था और मस्त सधे हुए अंदाज में उसकी बुर में लंड पेल रहा था. लीना शायद काफ़ी मस्ती में थी क्योंकि नखरे छोड़ कर वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवा रही थी और रज्जू की कमर में हाथ डालकर उसका पूरा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी.

मौसाजी कमरे में नहीं थे. थोड़ी देर बाद वे वापस कमरे में आये. हाथ में एक स्टील का डिब्बा था. राधा हंस कर बोली "मख्खन ले कर आये हैं भैयाजी, खास चुदाई करने वाले हैं लगता है"

मौसाजी लीना के पीछे बैठे और अपने लंड में मख्खन चुपड़ने लगे. उनका अब मस्त तन कर खड़ा था. फ़िर उन्होंने उंगली पर एक लौंदा लिया और लीना के गुदा में चुपड़ने लगे.

लीना बिचक गयी. पीछे देखने की कोशिश करने लगी. रघू और रज्जू ने तुरंत उसके हाथ पैर पकड़े और उसका हिलना डुलना बंद कर दिया.

rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:46

"बिचक गयी मेरी बहू रानी, पर अब क्या फ़ायदा. प्यार से नहीं मरवाती तो ऐसे ही जबरदस्ती मारनी पड़ेगी" मौसाजी हंसे और लीना की गांड में गहरे उंगली करने लगे.

"अब डाल दो भैयाजी. मां कसम बहुत मजा आयेगा तीनों ओर से बहू रानी को चोदने में" रज्जू बोला.

"उसको पकड़े रह, मैं अभी डालता हूं" कहकर मौसाजी ने लीना के गुदा पर अपना सुपाड़ा रखा और पेलने लगे. मेरी लीना रानी के गोरे गोरे चूतड़ चौड़े होने लगे और फ़च्च से मौसाजी का सुपाड़ा उसके छल्ले के पार हो गया. लीना हाथ पैर मारने की कोशिश करने लगी पर तीनों उसको ऐसे दबोचे हुए थे जैसे तीन शेर एक हिरन पर टूट पड़े हों.

"अरे अरे बेचारी की हालत कर देंगे तीनों. क्यों रे अनिल, तू जा ना और कह ना उनको कि बहू की ऐसी दुर्गत ना करें" मौसी मस्ती में जोर जोर से केला अपनी बुर में अंदर बाहर करते हुए बोलीं. उनकी गीली बुर से अब ’फ़च्च’ ’फ़च्च’ ’फ़च्च’ की आवाज आ रही थी. "ये तीनों मिलकर उसके हर छेद का भोसड़ा बना देंगे"

राधा मुझको पकड़कर बोली "मैं न जाने दूंगी मालकिन. अभी तो मजा आ रहा है भैया को चोदने का" वो अब उछ उछल कर मुझको चोद रही थी. मैं उसके मम्मे पकड़कर बोला "अब चुदवाने दो मौसी, लीना का जो होगा देखा जायेगा. बड़ी शेखी बघार रही थी, अब जरा खुद देख ले कि गांव की चुदाई कैसी होती है"

वहा मौसाजी का लंड अब तक लीना के चूतड़ों के बीच पूरा गड़ चुका था और वे उसकी कमर पकड़कर गांड मार रहे थे. अगले आधे घंटे तक तीनों ने मिलकर लीना को खूब चोदा, एक मिनिट की राहत नहीं दी. लीना ने कुछ देर हाथ पैर मारने की कोशिश की, फ़िर उसका बदन लस्त पड़ गया और पड़ी पड़ी चुदवाती रही. बीच में उसकी नजर मुझसे मिली तो मुझे आंख मार दी. बड़ा मजा आ रहा था उसको पर नाटक अब भी कर रही थी.

kramashah.................


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