मैं और मौसा मौसी compleet

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rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:47

मैं और मौसा मौसी--6
gataank se aage........................

रघू और रज्जू थोड़ी देर में झड़ गये और हांफ़ते हुए खाट पर पड गये. मौसाजी अब भी लीना की गांड मार रहे थे "हो गया इतनी जल्दी? अरे नालायको, मजा लेना भी नहीं आता ठीक से, ये परी हाथ लगी है तो घंटे भर तो चोदते, और बहू क्या सोचेगी, बेचारी घंटों चुदने की आस लगाये बैठी होगी, और तुम लोग दस मिनिट में टें बोल गये सालो!"

रज्जू बोला "रहा नहीं गया भैयाजी, क्या चीज है ये, लंड में बहुत गरमी चढ़ाती है"

रघू बोला "अभी तो एक बार चोदा है भैयाजी, हम तो दिन भर चोदेंगे"

रज्जू बोला "भैयाजी, बहू रानी चूस रही है, मेरा सब माल निगल रही है"

"तो क्या हुआ, गांव का असली माल है तेरे लंड का, छोड़ेगी थोड़े" मौसाजी बोले. "तेरे को क्या लगा?"

"नहीं भैयाजी, नाटक इतना किया तो मुझको लगा कि थूक देगी. पर ये तो चटखारे ले लेकर खा रही है"

मौसाजी बोले "चलो, हो गया ना? अब तुम लोग हटो और मुझे ठीक से मारने दो."

रघू और रज्जू बाजू में हटे तो मौसाजी लीना को ओंधे पटककर चढ़ गये और हचक हचक कर उसके मम्मे दबाते हुए गांड चोदने लगे. लीना मुंह छूटते ही कराह कर बोली "बस बस, अब नहीं मौसाजी, दरद होता है"

"ऐसे कैसे छोड़ दें बहू, कल मुझको इतना तरसाया, आज भी हम को रिझा रिझा के फ़िर नखरे किये, अब तो मैं दिन भर मारूंगा तेरी" मौसाजी बोले और पूरे जोर से गांड मारते रहे. रघू और रज्जू फ़िर से जुट गये. रघू मौसाजी के होंठ चूमने लगा और उनकी गांड में उंगली करने लगा. रज्जू लीना के बदन पर जहां मौका मिले हाथ चलाने लगा.

मौसाजी के झड़ने के बाद रघू ने उनका लंड चूसा और रज्जू लीना की गांड से मुंह लगा कर लेट गया. मौसाजी का लंड चूसने के बाद रघू ने लीना की चूत में मुंह डाल दिया. लीना उन दोनों को दूर ढकेलने की कोशिश करते हुए उठने लगी तो तीनों ने फ़िर उसे पलंग पर पटक दिया. "अभी कहां जाती हो बहू रानी, ये देखो, हमारी बंदूक फ़िर तैयार है शिकार के लिये" रज्जू ने उसको अपना लंड दिखाया. "भैयाजी, अब मैं गांड मारूंगा लीना बहू की"

"अरे नहीं, आज गांड बस मैं मारूंगा. तुम दोनों तो पूरी खोल दोगे बहू की गांड. अभी तो हफ़्ते भर मजा लेना है, जरा दो तीन दिन और टाइट रहने दो. तुम दोनों बारी बारी से चोदो इसको और अपना लंड चुसवाओ. पेट भर कर मलाई खिलाओ, खालिस गांव की मलाई का मजा तो मिले बहू को. शाम तक इतना चोद देंगे कि चल भी नहीं पायेगा हमारी प्यारी बहू"

तीनों फ़िर शुरू हो गये. लीना बोलने लगी "अरे बहुत हो गया रे गांडुओं. ऐसा बर्ताव करते हैं बहू बेटी के साथ? कहां तुमको थोड़ा जोबन दिखाया और तुम लोग पीछे पड़ गये मेरी गांड के? चलो भोसड़ीवालो, अब मत ..." रघू ने लीना के मुंह में लंड घुसेड़कर उसकी बोलती बंद कर दी और रज्जू उसको चोदने लगा. मौसाजी ने कुछ देर मजा देखा और फ़िर से लीना की गांड में लंड डालकर शुरू हो गये.

उधर राधा मुझे मस्त चोद रही थी. दो बार झड़ भी गयी थी. मौसी भी आराम कर रही थीं, वो केला उनकी बुर में पूरा घुस कर गायब हो गया था.

लीना की गांड की धुनाई देखकर मैं बोला "चलो राधा रानी, बहुत हो गया. अब मैं गांड मारूंगा तुम्हारी"

"भैया बस एक बार और चोद लेने दो, बड़ा मजा आ रहा है. कसम से आप के लंड का जवाब नहीं, आधे घंटे से खड़ा है" राधा बोली.

"पर अब और नहीं रुक सकता राधा. चलो आ जाओ नीचे. और मौसी आप भी तैयार हो जाओ, आज आपकी भी गांड मारूंगा. कसम से जब से देखी है कल रात में, बहुत मन हो रहा है मारने का. वो तो कल मौसाजी की सेवा में जुट गया बाद में नहीं तो आप की जरूर मारता" मैं बोला.a

rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:48


"पहले राधा की मार लो, फ़िर भी जोश बाकी रहे तो मेरी मार लेना. वैसे कल तूने बहुत अच्छा चोदा बेटे, और भी चोदा कर, ज्यादा मेरी गांड के पीछे मत पड़ा कर, तेरे मौसाजी हैं उस काम के लिये. अभी तो मुझे केले में मजा आ रहा है, बहुत दिन हो गये ऐसे बड़े बड़े केले मिले हैं मुठ्ठ मारने को" मौसी ने पसरकर उंगली बुर में अंदर डाली और केला बाहर निकालने लगीं. वो टूट गया और एक टुकड़ा बाहर आ गया.

मौसी ने टुकड़ा मेरे मुंह में दे दिया और बोलीं "ले खा ले अनिल बेटे, स्वाद आयेगा मौसी के प्यार का. मैं दूसरा छील लेती हूं"

राधा चिल्लाई "मालकिन, हमको नहीं दोगी ये पकवान?"

"अरे तू तो हमेशा चखती है. आज अनिल को मजा करने दे. अनिल बेटे, अभी ये टुकड़ा खा ले, बाद में पूरा माल खिला दूंगी" मौसी ने दूसरा केला अंदर डाला और शुरू हो गयी. फ़िर बोली "अनिल, ये राधा तो दिन भर चोदती रहेगी तुझे, इसकी तो तसल्ली ही नहीं होती. तू गांड मार ले, इसके कहने पे मत जा"

मैंने राधा को जबरदस्ती अपने लंड पर से उतारा और ओंधा लिटा दिया. राधा छूटने की कोशिश करने लगी "भैया, मेरी गांड मत मारो, आज चुदाने का मौका मिला है, मुझे और चोद दो ना. तुमको चोदने से मतलब है, चूत या गांड से आपको क्या फरक पड़ता है? छोड़ो ना भैया, आप को मेरी कसम"

मौसी ने अपनी उंगली अपनी चूत से निकाली और राधा के गुदा में चुपड़ दी. "डाल दे अब. मैं पकड़ के रखती हूं इसको. इसकी मत सुन, ये तो बहुत चपड़ चपड़ करती है दिन भर" मौसी ने अपनी मोटी मोटी टांगें उठाकर राधाकी पीठ पर रखीं और उसे दबा कर रखा. मैंने राधा के सांवले चूतड़ों को पकड़कर चौड़ा किया और लंड डाल दिया, आराम से लंड पूरा सप्प से चला गया.

"अच्छी मुलायम है मौसी. लगता है काफ़ी ठुकी हुई है" मैंने गांड में लंड पेलना शुरू करते हुए कहा. "आखिर तीन तीन लंड हैं यहां, सबसे रोज मरवाती होगी ये छोकरी"

"अरे नहीं, इसकी गांड तो बस तेरे मौसाजी मारते हैं. बड़ा शौक है गांडों का, रघू और रज्जू को सख्त हिदायत दी हुई है कि राधा की गांड को कोई छुए भी नहीं. गांड क्या, वो तो उन दोनों को ठीक से राधा को चोदने भी नहीं देते"

"हां भैयाजी, बड़ी प्यासी रह जाती है मेरी बुर. तभी तो आप चोद रहे थे तो बड़ा सुकून मिल रहा था. अब आप भी मेरी गांड के पीछे पड़ गये." राधाने शिकायत की.

"फ़िकर मत करो रानी, अभी तो कई दिन पड़े हैं. मैं तेरे को और मौसी को जितना कहो चोद दूंगा. अभी मारने दे मस्ती से. डर मत, झड़ूंगा नहीं तेरी गांड में" मैं हचक हचक कर उस नौकरानी की गांड मारते हुए बोला. "और ये मम्मे तो देख, कैसे कड़क सेब हैं सब. इनको कोई दबाता नहीं क्या?" कहकर गांड मारते मारते मैं राधा की चूंचियां मसलने लगा.

"धीरे भैयाजी, आप को मेरी कसम. पिलपिली न करो ऐसे" राधा कराह कर बोली.

"तू दबा अनिल, इसकी मत सुन. इसके मम्मे कोई नहीं दबाता, ये किसी को दबाने नहीं देती. मैं कहती हूं इसको कि दबवा ले, जरा नरम नरम और बड़े करवा ले, आखिर जब बच्चा पैदा करेगी तो दूध तो ठीक से भरे" मौसी कस के अपनी बुर में केला अंदर बाहर करते हुए बोली. "आह ... आह ... हां .... अरे मेरी रानी ... रधिया बिटिया .... कई दिन हो गये रधिया री इतनी मस्त मुठ्ठ मारे हुए" और मौसी झड़ कर ढेर हो गयीं.

मैंने दूसरे कमरे में देखा. रघू पलंग पर लेटा था और लीना उसके ऊपर कोहनियों और घुटनों के बल झुक कर जमी थी. रघू का लंड लीना की बुर में था और वो नीचे से कमर हिला हिला कर उसको चोद रहा था. रज्जू सिरहाने खड़ा हो कर लीना के मुंह में लंड पेल रहा था. लीना के सिर को उसने कस के अपने पेट पर दबा रखा था और आगे पीछे होकर उसका मुंह चोद रहा था. मौसाजी खड़े खड़े राधा की गांड मार रहे थे. लीना का पूरा बदन हिल रहा था. वो आंखें बंद करके चुपचाप चुदवा रही थी. मौसाजी दोनों नौकरों को हिदायत दे रहे थे "रघू, अब झड़ना नहीं बहू की चूत में. समझा ना? झड़ना सिर्फ़ उसके मुंह में. लोटा भर मलाई खिलानी है उसको आज"

rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:48


"भैयाजी, बस एक बार, एक बार तो मार लेने दो बहू रानी की गांड. मन कसकता है भैयाजी, इतनी मस्त गोरी गोरी मतवाली गांड है. बस एक बार ..." रज्जू मिन्नत करते हुए बोला.

"आज नहीं, तू ढीली कर देगा. बाद में एक कोरी गांड दिलवा दूंगा, तुझे भी और रघू को भी. और देखो, बहू को हफ़्ते भर जम के चोदना है, यहां से जायेगी तो अपनी पूरी प्यास बुझा कर जायेगी लीना बेटी. बोलेगी कि मान गये, गांव में जो चुदाई हुई उससे दिल बाग बाग हो गया, समझे ना?"

"हां भैयाजी, हम पूरा चोद देंगे लीना भाभी को. पर अनिल भैया नाराज ना हो जायें ... आखिर उनकी लुगाई है ... कहेंगे कि मेरी जोरू को पूरा ढीला कर दिया बुढिया रंडी की तरह ... और वो रधिया भी नखरे करेगी भैयाजी, आप भी बहू रानी के पीछे पड़ोगे तो वो किससे चुदवायेगी?" रघू धक्के लगाता हुआ बोला.

"अरे अनिल कुछ नहीं कहेगा. लीना की खुशी में उसकी खुशी है. रही रधिया की बात, अनिल भैया चोद देंगे उसको, आखिर गांव का ऐसा माल उसको कहां मिलेगा. तुम लोग बस लीना बिटिया के सब छेद पूरे चोद दो" मौसाजी लंड पेलते हुए बोले.

"फ़ुकला हो जायेगी बहू की चूत और गांड भैयाजी. हाथ भी चला जायेगा" रज्जू मस्ती में बोला.

"परवा नहीं. उसको ठीक करने के नुस्खे हैं कई, चलो अब बातें मत करो, कम से कम दो बार और चोदना है आज शाम तक इस घर की बहू रानी को" मौसाजी लंड पेलते हुए बोले.

"बहूरानी की तो आज खूब ठुकाई कर रहे हैं ये तीनों नासपीटे भैयाजी. उनको कुछ बोलो नहीं तो लीना दीदी का कचूमर निकाल देंगे आज." राधा मुझको बोली.

"उसकी फ़िकर मत कर राधा रानी. तू नहीं जानती मेरी बीवी को. ऐसे दस मर्द और खड़े कर दो तो उनको भी झेल लेगी." मैं बोला.

"ठीक कहता है अनिल. आखिर हमारे घर की बहू है, चुदाई में अव्वल नंबर, हमारा नाम रोशन करेगी" मौसी अपनी बुर सहलाते हुए बोलीं. दो चार बार झड़ कर तृप्त हो गयी थीं.

"मौसी, आप ऐसे मत लेटो, मेरे सामने आकर लेटो. जरा हम दोनों आप का प्रसाद तो चख लें" राधा मौसी की टांग पकड़कर बोली. मौसी खिसक कर हमारे सामने खटिया पर लेट गयीं. राधा ने तुरंत मुंह डाल दिया.

"अरी सब मत खाना, अनिल को भी दे" मौसी बोलीं.

राधा ने अब तक आधा केला मौसी की बुर से निकाल लिया था और स्वाद ले लेकर खा रही थी. मौसी की बात पर उसने सिर बाजू में किया और मैंने भी भोग लगाना शुरू कर दिया. "बहुत मस्त है मौसी, मजा आ गया"

"अरे ये तो हमेशा का है हमारे यहां. तेरे मौसाजी को ज्यादा शौक नहीं है पर जब भी रघू रज्जू आते हैं तो अक्सर उनको खिला देती हूं. लीना नहीं चखाती क्या तुझको?"

"मौसी, उसको भी सिखा देना. बड़ा मस्त पकवान है. वैसे मौसी, आप वो बच्चे वाली क्या बात कर रही थीं? राधा को बच्चा होने वाला है क्या?" मैंने पूछा.

"अरे नहीं, वो गोलियां लेती है ना. पर अब मैं बंद करने वाली हूं. नौ महने में बच्चा हो जायेगा. दूध की बड़ी जरूरत है हमको. तेरे मौसाजी ही बोल रहे थे कि भाभी, अब जरा खालिस दूध का इंतजाम करो. और लीना भी मुझको पूछ रही थी सुबह. कह रही थी कि गांव में इतना बड़ा मकान है, खेत हैं नौकर चाकर हैं तो दूध का इंतजाम क्यों नहीं है? पहले मैं चकरा गयी, दस भैंसे बंधी हैं तो ये दूध का क्या कह रही है! फ़िर समझ में आया. मैंने पूछा कि चखना है क्या तो हंसने लगी बदमाश. उसको मैंने कहा कि अगली बार आयेगी तो राधा का दूध चखाऊंगी. और इसीलिये मैं कह रही थी कि जम के मसलो इस छोकरी के मम्मे, तब तो ज्यादा दूध निकलेगा इसका. कई दिन हो गये ऐसा दूध पिये. जब विमला बाई थी तो वो आकर सब को पिला जाती थी. मस्त दूध था उसका, पर वो साल भर पहले दूसरे गांव चली गयी अपने भाई के यहां. उसका मर्द यहां नहीं है ना. कह रही थी कि भाई बुला रहा है, उनका अच्छा खासा लफ़ड़ा चलता है, भाई, भाभी और विमला बाई की खूब जमती है. वैसे विमला बाई इस महने आयेगी, पर अभी तक खबर नहीं आयी"

मैंने सप्प से राधा की गांड में से लंड खींचा और बोला "अब मौसी जी, आप आओ. गांड मरवाओ तब मुझे होगी शान्ति"

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