मैं और मौसा मौसी compleet

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rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:53



"कहां है बहू रानी? अच्छा ये है. बड़ी प्यारी है, ये तो कल जा रही होगी, आप लोगों ने इसकी खातिरदारी की या नहीं?" विमला बाई बोली. फ़िर लीना के पास बैठ गयी. लीना को गोद में खींचा और चूमने लगी.

मौसी बोलीं "ये भी कोई पूछने की बात है! बहू पहली बार हमारे यहां आई है, अब हमसे जितना हो सकता था उतनी हमने सेवा की बहू रानी की. तीनों को काम पर लगा दिया, ये तेरे दीपक भैया, रघू और रज्जू. और अनिल का जिम्मा हमने ले लिया, मैंने और राधा ने खूब चासनी चखाई है इसको"

"बड़ी प्यारी लड़की है मौसी. एकदम मतवाली है. अभी रहती हफ़्ते भर तो अच्छा होता" विमला बाई बोलीं और फ़िर लीना के मुंह से मुंह लगा दिया.

लीना को भी विमला बाई जच गयी थी, कस के उनको चूम रही थी. फ़िर ब्रा के कप को पकड़कर बोली "मैं तो साल में दो तीन बार आऊंगी मौसी. विमला मौसी, इसको निकालो तो जरा आप का माल चखूं, आप की चूंचियों के जलवे अलग ही दिखते हैं"

"अरे अभी नहीं बहू" विमला बाई बोलीं. "बाद में चख लेना, खास तेरे ही लिये ये भरी छाती लाई हूं. चखना है तो पहले उसे चखो" कहकर विमला बाईने टांगें फैलायीं और लीना का मुंह उनमें दबा लिया. आभा मौसी विमला बाई के मुंह का चुम्मा लेते हुए बोली "बस मेरी बहू को खुश कर दो आज विमला, बाद में तेरे को जो चाहिये मैं दे दूंगी."

"अनिल बेटे आ जा अब, मेरे बदन से लग जा, तू ही बोले, तेरे को मेरा क्या चाहिये? किस छेद में डालेगा लंड?" मौसाजी मुझसे चिपटते हुए बोले "रज्जू और रघू बचे छेदों में डाल देंगे"

"मैं तो गांड मारूंगा मौसाजी, उस दिन एक बार मारी थी वो मुलायम मखमली छेद अब तक मन में है मेरे. वैसे आप रघू और रज्जू से मराते हो तो उनके लंड के हिसाब से मेरा तो कुछ नहीं है" मैं दीपक मौसा का चुम्मा लेकर बोला.

"आ जा मेरे लाल, जल्दी मार ले अपने मौसा की, ये गांड भी तेरे लंड को देखकर देख कैसे पुक पुक करती है. रघू और रज्जू के लंड तो मस्त हैं ही पर खास भांजे के लंड से मरवाने में जो मजा है, वो मैं ही जानता हूं. अरे रज्जू, जरा गांड चिकनी करो बेटे" मौसाजी ओंधे लेटते हुए बोले. रज्जू ने तुरंत उसमें तेल लगाया और रघू ने मेरे लंड को तेल चुपड़ा. तेल लगाते लगाते दोनों मेरे मुंह को एक एक करके चूस रहे थे.

मैंने कहा "अरे क्या बात है, बड़ा लाड़ आ रहा है? उस दिन बहू रानी का हर छेद चूसा, मन नहीं भरा क्या जो मेरा मुंह ऐसे चूस रहे हो दोनों मिलकर?"

"नहीं भैया, वो बात अलग है और आप की बात अलग है, हम तो आप के बदन का भी रस चूस कर रहेंगे. पर पहले भैयाजी को ठंडा कर दें, फ़िर आप देखना कि आज कैसे आपका रस निकालते हैं" रज्जू बोला और मेरा निपल मसलने लगा.

मौसाजी पड़े पड़े चिल्लाये "अरे मारो ना मेरी गांड मेरे भांजे राजा, देखो कैसे दुख दे रही है मेरे को"

मैंने मौसाजी की गांड में लंड डाल दिया और मारने लगा. "आह ... आह ... अब सुकून मिला थोड़ा .... रघू ... अपना लंड दे जल्दी मेरे मुंह में ..."

उस रात हम मर्दों की वो चुदाई हुई जो मुझे अब तक याद है. मौसाजी की मैंने खूब देर मारी, रज्जू ने उनसे लंड चुसवाया और रघू उनका लंड अपनी गांड में लेकर पड़ा रहा. उसके बाद जितनी दे हो सकता था, बिना झड़े हम छेद बदल बदल कर मौसाजी के पूरे बदन को हर छेद में चोदते रहे.

उधर मौसी और विमला बाई मिलकर लीना के पीछे पड़ी थीं, उसके बदन को गूंध रही थीं और उसे अपनी बुर चुसवा रही थीं. आखिर विमला बाईने अपनी ब्रा निकाली और लीना को दूध पिलाया. लीना ऐसे पी रही थी जैसे छोटी बच्ची हो, विमला बाईकी छाती पकड़कर दबा दबा कर चूस रही थी, छोड़ने को ही तैयार नहीं थी.

"छाती पूरी खाली न कर बेटी, आधा पी और फ़िर दूसरी चूंची पी ले" विमला बाई लीना के मुंह से अपनी चूंची निकालने की कोशिश करते हुए बोली.

लीना ने जवाब नहीं दिया और कस के विमला बाई की चूंची और जोर से चूसने लगी.

"अरे खुद ही सब पी जायेगी क्या? तेरे मर्द को नहीं पिलाना है? वो भी तो मेहमान है" विमला बाई बोली.

"मुझको मत भूलना विमला बाई. मैंने क्या गुनाह किया है?" दीपक मौसा मेरा लंड मुंह से निकाल कर बोले.

"अरे तुमको तो बाद में भी पिला दूंगी दीपक भैया, मैं अभी हूं दो चार दिन. पर ये दोनों तो चले जायेंगे ना, जरा इनको भी गांव के दूध का स्वाद तो पता चले. अरे रधिया, तू क्या बैठे बैठे अपनी बुर खोद रही है? चल इधर आ और मेरी बुर चूस. दूध और बनता है इससे"

"बाई मैं मालकिन की चूत चाट रही थी" रधिया उठकर बोली.

rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 23:53



"मौसी, आप इधर आओ ऐसे, मेरे को दो अपनी बुर. मुझे चखे भी बहुत दिन हो गये. रधिया चल जल्दी मेरी टांगों में सिर कर अपना"

चारों औरतें आपस में लिपट गयीं और चूसने और चाटने की आवाज कमरे में गूंजने लगी.

घंटे भर हम सब जुटे रहे. अधिकतर देर मैंने मौसाजी की गांड मारी थी, एक बार उनका लंड मुंह में लिया था और झड़ा कर उनका गाढ़ा वीर्य चूस डाला था. तब रज्जू उनकी गांड की धुनाई कर रहा था.

"भैयाजी और मारूं क्या?" रज्जू बोला.

"नहीं बस रहने दे, काफ़ी हो गया. आज तीन लंड लेकर एकदम तसल्ली मिल गयी. अब तुम लोग मेरी बाद में मार लेना. अब अनिल को जरा चोदो. इसकी गांड देखो और मजा लो. मैंने कहा था ना कि एक कोरी गांड दिलवाऊंगा सो वो ये रही. मजे करो दोनों मिल कर"

"आप नहीं मारेंगे क्या भैयाजी?" रघू ने फूछा.

"बिलकुल मारूंगा. लीना बेटी की इतनी मारी है तो अनिल की भी मारूंगा. बेटे और बहू दोनों को चोदने का मौका मुझे मिला है वो नहीं छोड़ूंगा. पर पहले तुम लोग मार लो"

दोनों मिलकर मेरे पीछे लग गये, पहले दस मिनिट तो बस मुझे पट लिटाकर दोनों मेरी गांड को बस चूमते और चूसते रहे. "वाकई खूबसूरत गांड है भैयाजी, बहू रानी की तो मस्त है ही, अनिल भैया की भी कम नहीं है" रज्जू बोला. फ़िर मेरी गांड में तेल लगाने लगा.

मौसाजी ने मेरे नीचे घुस कर मेरा लंड मुंह में ले लिया और मुझे अपने ऊपर सुला लिया. रघू मेरे सामने बैठ गया और अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया, बड़ा मतवाला लंड था, सांवला सा और एकदम सख्त. रज्जू मेरे ऊपर चढ़ गया और अगले ही पल मेरे चूतड़ अलग हुए और रज्जू का मोटा लंड अंदर धंसने लगा. मैंने ’गं’ गं’ किया तो लीना बोली "मजा आ रहा है मेरे सैंया को. जरा ठीक से मारना रज्जू, ठीक से चोदोगे तो अगली बार जब गांव आऊंगी तो मेरी गांड तुमको दूंगी"

रज्जू लंड पेलता हुआ बोला "एकदम ठीक से लूंगा अनिल भैया की. क्या सकरी और कोरी गांड है तुम्हारे सैंया की बहूजी. मजा आ गया, डालने में ही इतना मजा आ रहा है तो मारने में तो और आयेगा" एक धक्के के साथ आखिर उसने अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में जड़ तक उतार दिया. मैं सिहर उठा तो मौसाजी बोले "मजा आया ना रज्जू बेटे? बहू रानी की जो खिदमत की है हफ़्ते भर, अब उसका यह इनाम पा ले"

रज्जू मेरे ऊपर लेट कर मेरी मारने लगा "मस्त कसी गांड है भैयाजी. लाखों में एक है"

"तो आज मार मार कर फुकला कर दो. और रघू, अनिल को अपनी मलाई चखाओ ठीक से. लंड का स्वाद याद रहना चाहिये मेरे भतीजे को"

अगले दो घंटे लगातार मुझे चोदा गया. दो बार रघू ने मेरी मारी और दो बार रज्जू ने. एक एक बार मुझे अपना वीर्य भी चखाया. मौसाजी तो जैसे मेरा लंड निचोड़ने को ही बैठे थे. बार बार मुझे झड़ाते और मेरा वीर्य निगल लेते. आखिर में तो मेरा गोटियां दुखने लगीं पर वे तीनों मुझे चोदते रहे. मैंने एक दो बार उठने की कोशिश की तो लीना ने ही उनको और उकसाया "मौसाजी .. अनिल को भागने मत दो .. और चोदो ... नहीं तो मैं अब कभी नहीं आऊंगी दोबारा"

आभा मौसी ने भी हां में हां मिलाई. "इतना चोदो मेरे भांजे को नींद में भी यहां के सपने आयें उसको"

बीच में मुझे विमला बाई ने अपना दूध पिलाया. बस उतनी देर मेरी गांड को कुछ राहत मिली. उस मीठे दूध में ऐसा स्वाद था कि लंड फ़िर से तैयार हो गया.

चूंचियां खाली करके विमला बाई वापस लीना के पास गयीं और फ़िर तीनों औरतें मिल कर लीना पर चढ़ बैठीं. उनके बदन के नीचे लीना का बदन दिख भी नहीं रहा था, बस एक बार इतना जरूर दिखा मुझे कि विमला बाई अपनी चूंची से लीना को चोद रही थीं. मुझे पहली बार ध्यान में आया कि उनकी चूंचियां तोतापरी आमों जैसी नुकीली थीं और आधी चूंची वे लीना की बुर में पेल देती थीं.

सुनह होने तक सब थक कर चूर हो गये थे. बस एक घंटे सोये और फ़िर हमारे निकलने का टाइम हो गया.

जाते वक्त लीना ने सबका एक एक करके चुम्मा लिया और बोली "अब आप सब हमारे घर भी आइये बंबई में. एक एक करके आइये या साथ में, पर आइये जरूर. मैं और अनिल आपकी आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे"


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