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Re: ट्यूशन का मजा

Posted: 02 Nov 2014 14:54
by rajaarkey

ट्यूशन का मजा-17

गतांक से आगे..............................

मैडम ने जोर लगा कर दीदी के मुंह में फ़िर सर की चप्पल ठूंस दी, फ़िर उसे जगाने में जुट गयीं. "लीना उठ ना, आंखें खोल, देख तेरे सर कितना प्यार करते हैं तुझ को. बोले कि बेचारी के होश में आने के बाद ही पूरा लंड डालूंगा नहीं तो तू बुरा मान जायेगी कि सर ने अकेले में मजा ले लिया.

दीदी को होश आ गया. जब वह हिलने डुलने लगी तो मैडम ने सर को आंख मारी. सर ने कहा "बस अब एक बार में पेल दूंगा, डर मत लीना, मैं जानता हूं कि तू मुझसे नाराज है कि क्या सर धीरे धीरे पुकुर पुकुर कर रहे हैं. तेरे जैसी चुदैल छोकरी तो एक साथ लेने को मरी जा रही होगी. ले मेरी रानी" करके सर ने लीना दीदी के चूतड़ पकड़े और घच्च से एक बार में अपना मूसल अंदर कर दिया और दीदी पर लेट गये.

दीदी अब ऐसी तड़पी कि किसी ने गला दबा दिया हो. कस के अपने बंधे हाथ पैर फ़कने की कोशिश करने लगी. उसका सिर अब किसी हलाल होते बकरे जैसा इधर उधर हो रहा था. मैडम ने अपना हाथ उसके पेट के नीचे डाला और टटोल कर देखा "सर, इसकी तो छाती तक घुस गया है लगता है, देखिये पेट के ऊपर कैसा सुपाड़े का आकार महसूस हो रहा है"

"मैडम, ये लंड तो बना ही है ऐसे सुंदर स्टूडेंट्स की सेवा के लिये. उनके बदन में गहरा घुसता है तो बड़ा सुकून मिलता है" कहकर सर लीना के बाल चूमने लगे. मैडम ने दीदी के बदन को छोड़ा और मुझपर चढ़ गयीं और मेरा लंड चूत में लेकर मुझे चोदने लगीं. "मेरा काम हो गया सर. बस अब आप हैं और आप की शिष्या है. क्यों रे अनिल, मजा आया?" कहकर लाड़ से मैडम मेरे चेहरे पर अपने तलवे रगड़ते हुए बोलीं. वे अपनी ऐड़ी से मेरे मुंह में अपनी चप्पल अब और अंदर घुसा रही थीं.

मेरा हाल बेहाल था. मैं स्वर्ग में था, लंड ऐसी तना था कि जैसे सितार के तार. आंखों से मैंने मैडम को कहा कि मैडम, बहुत अच्छा लगा और कमर उचकार कर उन्हें नीचे से चोदने लगा. मैडम मुस्कराते हुए बोलीं "और मजा ले अनिल, अभी नहीं छोड़ूंगी तुझे, अभी तो सर का एक काम करवाना है मुझे तुझसे"

सर ने अब दीदी के बदन को बांहों में भर लिया था और अपनी टांगें दीदी की कमर के आस पास कस ली थी. दीदी की गांड को अब वे बुरी तरह से चोद रहे थे, जैसे घोड़ी की सवारी कर रहे हों. थोड़ी ही देर में दीदी की मख्खन भरी गांड से ’फ़च’ ’फ़च’ ’फ़च’ आवाज आने लगी.

"कैसा लग रहा है सर? स्वाद ले लेकर चोदिये जरा. जल्दबाजी मत कीजिये" मैडम अपना हाथ चौधरी सर की पीठ पर फ़ेरते हुए बोलीं.

सर बोलने की स्थिति में नहीं थे. उनकी आंखें खुमारी से लाल हो गयी थीं. "ओह ... ओह ... ये तो जन्नत है ... स्वर्ग है मैडम .... आह .... अं ... अं ... ओह" कहते हुए सर दीदी की गांड पूरे जोर से मार रहे थे. उनकी स्पीड देखकर नहीं लगता था कि वे ज्यादा देर टिकेंगे. ऐसा ही हुआ. ’आह .... ओह .... आह .... आह" कहते हुए वे अचानक झड़ गये और दीदी के बालों को बुरी तरह चूमने लगे.

मैडम मुस्करा दीं और मुझे बोलीं "देखा तेरी दीदी की करामत? सर जैसे पक्के चोदू भी नहीं टिक पाये. कल मुझसे बोल रहे थे कि घंटे भर चोदेंगे"

सर हांफ़ते हुए पड़े रहे. फ़िर संभलने पर बोले "कोई बात नहीं मैडम, ये तो शुरुआत है. आज तो दिन भर लीना की लूंगा मैं. ये देखिये मेरा लंड भी बस ढोंग कर रहा है, बस जरा सा थक गया है" उन्होंने अपना लंड आधा बाहर खींच कर दिखाया. वो अब ही काफ़ी तना हुआ था.

"निकाल लीजिये सर. बहुत रसीला लग रहा है. अनिल को देखिये. बेचारा कैसे ललचा कर देख रहा है. क्यों रे अनिल?" मैडम ने मेरे गाल को अपने पैर के अंगूठे से कुरेदते हुए पूछा. मैंने जोर से मुंडी हिलाई.

सर ने लंड पुक्क से बाहर खींच लिया. उसपर मख्खन और उनके वीर्य का झाग लगा था. मैडम ने मेरी मुंह से अपनी चप्पल निकाली और उठ बैठीं "बहुत हो गया मैडम की चरण पूजा. अनिल, अब तू ये मिठाई चाट ले, मैं भी तो जरा देखूं मेरी प्यारी गुड़िया का हाल"


सर मेरे पास आकर बैठे और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया. उधर मैडम ने जाकर दीदी के चूतड़ खींच कर फ़ैलाये और बोली "वाह सर, आपने एकदम चौड़ा कर दिया मेरी गुड़िया को. कैसी छोटी सी थी इसकी ये म्यान, अब देखिये, मुंह बा कर कैसे तैयार है. फ़टी तो नहीं?" कहकर वे दीदी के गुदा को उंगली से हौले हौले टटोलने लगीं.

मेरे सिर को अपने पेट पर सटाकर सर बोले "अरे नहीं मैडम, ऐसे सुंदर छेद तो कोई फ़ाड़ता है क्या? बचा कर रखी है मैंने, तभी तो धीरे धीरे कर रहा था शुरू में, आप ही जल्दी कर रही थीं. लगता है आप ही चाहती थीं कि लीना की फ़ट जाये"

"नहीं सर, मैं क्यों चाहूंगी पर कुछ भी कहिये, जब आपने रीता की फ़ाड़ी थी तब भी बहुत मजा आया था देखने में. वैसे वो लड़की भी बदमाश थी, मुंहफ़ट भी थी, जबरदस्ती करना पड़ी थी, हाथ नहीं लगाने देती थी. आप ने उसकी पूरी खोल दी, बाद में कैसी डरती थी वो, साल भर मरवाती रही पर चूं नहीं की उसने. ये दोनों तो बहुत प्यारे हैं, खुद ही कैसे आ गये हमारी सेवा करने को. इनसे जबरदस्ती का क्या काम" मैडम झुकीं और दीदी की गांड चाटने लगीं.

सर का फ़िर से जोर से खड़ा हो गया था और मेरे गले तक उतर गया था. वे आगे पीछे होकर मेरे गले को चोद रहे थे. मैं भी मस्ती से चूस रहा था कि सर और का माल मिल जाये.

Re: ट्यूशन का मजा

Posted: 02 Nov 2014 14:54
by rajaarkey


मैडम ने जीभ अंदर डाल कर दीदी का गुदा साफ़ किया और फ़िर से उसमें थोड़ा मख्खन भर दिया. फ़िर सर को पकड़कर उन्हें खींच कर मुझसे अलग किया "चलो अब फ़िर से शुरू हो गये, इस लड़के को तो तुम ऐसे चिपटते हो कि आज का अपना काम भी भूल जाते हो."

"नहीं ऐसी बात नहीं है मैडम, आज तो बस लीना की गांड है और मैं हूं. असल में ये दोनों भाई बहन इतने प्यारे हं कि समझ में नहीं आता कि किस पर चढ़ूं और किसे छोड़ूं" सर उठकर दीदी के पास जाते हुए बोले.

"ठीक है सर. अब आप अपनी घोड़ी की सवारी फ़िर शुरू कीजिये, अब मैं आप को डबल मजा दिलाती हूं."

सर फ़िर दीदी पर चढ़ गये और उसकी गांड में अपना लंड उतार दिया. इस बार बस पांच मिनिट भी नहीं लगे. दीदी जरूर छटपटाई पर उसकी बोलती अब भी बंद थी, मुंह में सर की चप्पल जो थी.

"लीना, अब तेरे मुंह की चप्पल निकाल देती हूं. अगर चिल्लायी तो फ़िर ठूंस दूंगी. और इस बार पूरी अंदर तक डाल दूंगी, समझी ना? इतनी अच्छी प्यारी मस्त चुदैल छोकरी है, अब जरा नखरा छोड़ और सर को भी मजा लेने दे और खुद भी ले, सर जैसे लंड से गांड मराने का मौका किस्मत से मिलता है" मैडम ने मीठी फ़टकार लगायी.

दीदी के मंह से चप्पल निकली तो वो एक दो बार खांसी और फ़िर चुप हो गयी. "क्यों लीना बेटी, दर्द होता है?" सर ने प्यार से पूछा.

"हां सर" दीदी ने मुरझाये स्वर में कहा.

"अच्छी बात है, यह तो गवाही है तेरे कुंवारे बदन की. वैसे ऐसे खेलों में दर्द होने से भी मजा आता है, कम से कम दर्द देने वाले को जैसे मैं. मैंने तुझे बहुत सुख दिया था ना? बोल? मुझसे चुदने में मजा आता है ना?" सर ने पूछा.

"हां सर"

"तो दर्द भी सहन करना सीख. चिल्लायेगी नहीं तो हाथ पैर भी खोल दूंगा" कहकर सर शुरू हो गये. बड़े प्यार से हौले हौले वे दीदी के चूतड़ों के बीच अपना लंड अंदर बाहर करने लगे. दीदी थोड़ी सिसकी पर चुप रही.
"चलो. ये ठीक हुआ. अब जरा रुको" मैडम ने कहा और मेरे हाथ पैर खोल दिये. मेरे मुंह से चप्पल भी निकाल दी.

"चप्पल रहने दीजिये ना मैडम!" मैंने गुहार की. "बहुत अच्छी है, मुलायम और सौंधी सौंधी"

"अरे मेरे चप्पल के गुलाम, बाद में चाट लेना, कहीं भागी जा रही है क्या? मेरी और सर की ठीक से सेवा करेगा तो दे दूंगी तुझे, घर ले जाना और मन भर के चाटा करना. अब इधर आ और ये देख अपने सर का माल" मैडम ने सर की गांड पर हाथ रखकर कहा.

मैंने भी सर के गोरे कसे चूतड़ सहलाये.

"अच्छे हैं? वैसे तूने तो पहले भी इनका मजा लिया था" मैडम ने पूछा.

"हां मैडम, बहुत अच्छी गांड है सर की, मारने में मजा आया था"

"चल अब फ़िर मार. मैं मख्खन लगा देती हूं. पिछली बार तेल लगाया था ना? मख्खन से और मस्त सटकता है." मैडम ने मेरे लंड और सर के छेद में मख्खन चुपड़ा.

"मान गया मैडम आपको. आप कितना खयाल रखती हैं मेरा. ये तो कब से मेरे मन में था" सर अपने चूतड़ थोड़े हिलाकर बोले.

"अब लड़की के साथ साथ एक लड़का भी स्टूडेंट मिला है सर, इसका फ़ायदा तो लेना ही चाहिये. चल अनिल, आज सर को खुश कर दे"

मैडम बाजू में हटीं और मैं सर पर चढ़ गया. एक बार में आधा लंड गाड़ दिया उनकी गांड में. फ़िर पूरा पेला और उनपर सो गया.

"वाह मजा आ गया मेरे बेटे. अब मार मेरी. मैडम बहुत मस्त खड़ा है इसका, क्या बात है. डबल मजा आ गया. बस झड़ना नहीं मेरे शेर, बहुत देर मारना. समझ ले तू जब तक मेरी मारेगा तब तक मैं तेरी दीदी की कस के लूंगा. अब तू अगर चाहता है कि तेरी दीदी खूब लुत्फ़ उठाये अपनी गांड मरवाने का, तो तू मुझे वैसे ही चोद जैसे दीदी को चुदवाना चाहता है" सर दीदी की गांड में लंड पेलते हुए बोले.

मैं सर की गांड मारने लगा. लंड मस्त खड़ा था, मख्खन से फ़िसल भी मस्त रहा था.

Re: ट्यूशन का मजा

Posted: 02 Nov 2014 14:55
by rajaarkey


हमने बहुत देर तक चुदाई की. पहले धीरे धीरे हौले हौले. फ़िर बाद में सर कस के दीदी की मारने लगे. उनके चूतड़ हवा में उछल उछल रहे थे. दीदी कराह रही थी, पर चिल्लाई नहीं, शायद मैडम के डर से. मैं भी सर के साथ साथ ऊपर नीचे होता रहा. मैडम हम दोनों का हौसला बढ़ाते हुए हमारे बाजू में ही बैठी थीं. कभी दीदी को चूमतीं, कभी मुझे.

"बस ऐसे ही सर, बहुत ठीक कर रहे हैं आप. मेरे पास कैमेरा होता तो पिक्चर ले लेती, बहुत बिकता. क्या दिख रही है आपकी ये तिकड़ी सर, एक बड़ा ऊंचा पूरा पुरुष और उसके दोनों और ये चिकने जवान भाई बहन सैंडविच बनाते हुए. लीना मजा आ रहा है ना? आखिर हम दोनों के पास आये हुए स्टूडेंट बनकर तो हमारा तो फ़र्ज़ है तुम्हे पूरा आनंद देना और तुम दोनों का फ़र्ज़ है अपनी मैडम और सर के सुख का खयाल रखना"

सर जब झड़े तो चिल्ला उठे, इतना मजा उन्हें आया कि वे रोक नहीं पाये. आखिर पहली बार किसी और की गांड मारते हुए अपनी गांड चुदाने का ये पहला मौका था. उनके झड़ने के बाद भी मैंने उन्हें नहीं छोड़ा और चिपक कर कस कर मारता रहा. मैडम ने मुझे अलग करने की कोशिश की तो सर हांफ़ते हुए बोले "अरे मजा कर लेने दीजिये उसे मैडम, बहुत मेहनत की है बेचारे ने, बहुत सुख दिया है अपने टीचर को. भगवान भला करे बेटा तेरा, ऐसा ही सुख लेता रह और देता रह."

इस चुदाई के बाद मैडम सब के लिये चाय बना लायीं. दीदी लस्त पड़ी थी, उठ कर बैठ भी नहीं रही थी. उसका मुरझाया चेहरा देख कर मैडम बोलीं "आज तो इस कन्या को निचोड़ लिया पूरा आपने सर"

"हां मैडम, बहुत अच्छा लगा. पर अभी मन नहीं भरा, अभी तो तीन चार घंटे हैं शाम होने में. आज लीना को मैं पूरा भोग लूंगा, जब से इसे देखा है, मन तरस रहा है, आज तो मुराद मिल गयी है मुझे, क्यों लीना बेटी, तुझे अच्छा लगा कि नहीं?"

दीदी बस चुप थी, टुकुर टुकुर सर और मैडम को देखती रही. "अभी वो सकते में है सर, बेचारी तब से अकेले आप को झेल रही है, वैसे इसे बहुत सुख मिला होगा, मैं कहती हूं ना, अब आप आगे शुरू कीजिये जल्दी" मैडम ने सर को कहा.

चाय पीने और नाश्ता करने के बाद सर बोले "अब बेचारी को थोड़ा आराम देंगे"

"याने अब आप इसकी गांड नहीं मारेंगे सर?" मैंने उत्सुकता से पूछा.

मैडम हंस कर बोलीं "क्यों रे तुझे अब जल्दी है क्या? सर से लाड़ करवाना है दीदी जैसा?"

मैं झेंप गया. सर मुझे चूम कर बोले "अरे ये तो मेरा लाड़ला है. पर बेटे, तूने तो मजा ले लिया पिछले दो दिन, अब दीदी को लेने दे. मेरा मतलब ये है कि अब इसपर चढ़ूंगा नहीं, गोद में बिठाऊंगा. आ जा लीना"

दीदी किसी तरह उठी और सर की गोद में बैठने लगी. "ऐसे नहीं मेरी रानी, ये खूंटा तो भिदवा ले अपने बदन में" कहकर सर ने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा और थोड़ा सा अंदर कर दिया. "अब बैठ जा"

दीदी सिसक कर बोली "मैडम दुखता है"

"अरे इतनी देर से गांड मरवा रही है अब भी लेने में डरती है? फ़िकर मत कर, मैं मदद करती हूं" कहकर मैडम ने दीदी के कंधे पकड़े और जोर से सर की गोद में उसे बिठा दिया. लंड गप्प से दीदी के चूतड़ों के बाच ढंस गया और दीदी धम्म से सर की गोद में बैठ गयी. वो चीखती इसके मैडम ने उसका मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया.

"तू इधर आ अनिल, मेरे पास बैठ" कहकर सर ने मुझे पास बिठा लिया और मेरा चुम्मा लेने लगे. फ़िर मेरा मुंह चूसते चूसते ऊपर नीचे होकर गोद में बैठी दीदी की गांड मारने लगे. मैडम तुरंत हमारे सामने नीचे बैठ गयीं और दीदी की बुर से मुंह लगा दिया. एक दो बार चाटकर सिर उठाकर बोलीं "सर मैं कहती थी ना कि छोकरी को मजा आ रहा है. ये देखिये इसके बदन से तो रस की धार बह रही है, भले ये बिलख रही हो पर ये लड़कियां तो ऐसा नखरा करती ही हैं. आप शुरू हो जाइये"

उस दिन पूरे दिन ऐसी ही चुदाई चलती रही. दीदी की गांड में सर का लंड दिन भर रहा. कई आसनों में चुदाई की गयी, आखिर में सर ने दीदी को दीवार से सटा कर खड़ा किया और मारने लगे. दीदी तो बेहोश सी ही थी, उससे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था. मैडम बोलीं ’लीना अब पस्त हो गयी है सर, अब इस लिटा कर मारिये, देखिये ना गिरने को है"

"आप चिंता न कीजिये मैडम, नहीं गिरेगी, मेरे खूंटे से जो टंगी है, ये देखिये" कहकर सर ने दीदी के बदन से अपने हाथ हटा लिया. दीदी वैसी की वैसे रही. उसके पैर हवा में झूल रहे थे, बस सर के लंड से टंगी हुई थी.


क्रमशः। ...........................