रीटा की तडपती जवानी compleet

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rajaarkey
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Re: रीटा की तडपती जवानी

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 16:24


हरामी रीटा मासूमीयत से बोली "बहादुर मुझे अकेले जाते तो बहुत डर लगता है, तुम साथ आ जाओ नाऽऽऽ"

यह सुन कर ठरकी बहादुर के लन्ड की बांछे खिल गई और वह रीटा के पीछे कुते सा दुम हिलाता चल पडा। राजू से गाँड मरवा मरवा कर रीटा की चाल अब और भी मस्तानी हो गई थी। उपर से रीटा बहादुर को उकसाने के लिये अपनी स्कूल सकर्ट उपर उठा कर अपने चूतड जानबूझ कर दाये बाये उछालती बहादुर के आगे आगे चलने लगी।

रीटा टायलट के आगे ठिठकी, तो बहादुर का लन्ड़ रीटा की हाहाकार करती गाँड मे भिड़ गया "आऊचऽऽऽ सारी बहादुर, लाईट कहां है "?

बहादुर ठिठकी हुई रीटा के पीछे से हाथ बडा कर टायलट की लाईट का बटन टटौलते टटौलते रीटा की गाँड पे अपना लन्ड़ घिस कर उचक कर एक घस्सा मार दिया "यही तो थी कहं गई ये है लाईट"।

रीटा को बहादुर का सूखा घस्सा बहुत ही प्यारा लगा और जवाब मे रीटा ने भी अपनी शानदार गाँड को थौडा सा पीछे उचका कर बहादुर के खडे लन्ड को गुदगुदा दिया।

अचानक रीटा मुडी और अपनी मम्मे बहादुर के चौडे चकले सीने से भिडा दिये और अपनी सकर्ट हलका सा उपर उठा कर बोली "जरा मेरी कच्छी तो उतार दो"।

रीटा जैसी सुन्दर लौंडीया की चूत देखने के चकर मे बहादुर बैठ कर कांपते हाथो से रीटा की कच्छी को कमर से नीचे खिसका कर घुटनौ तक सरका दी। शरारती रीटा ने बहादुर के कन्घे का सहारा लेते हुऐ अपनी सुडौल चिकनी टांग को सुकोड कर कच्छी से पाव बाहर खींच कर बहादुर को अपने गुलाबी गदराये यौवन को झलकी दिखा दी। तीर निशाने पर लगा और बहादुर का लन्ड़ कच्छे मे फडफडा कर घायल हो गया।

फिर रीटा बहादुर के हाथ मे अपनी कच्छी पकडा कर बहादुर को टायलट के दरवाजे पर ही रोकती बोली "बहादुर तुम यही ठहरो नही तो मैरी शैम शैम हो जायेगी। मै अंदर अकेली ही मूत के आती हूं "

अब रीटा की पीठ बहादुर की तरफ थी। रीटा ने अपना स्कर्ट उपर उठा कर अपने चाँद से गोल गोल चूतडो की नुमायश लगा दी। काले हाई हीलज़ वाले सेन्डील और लम्बी मरमरी टांगें और मलाई सी गाँड देख बहादुर के मुह से लार टपकाता सोचने लगा "कया गज़ब की गाँड है, शहर की गाँड आगर पटाका है, तो चूत तो धमाका होगी"।

बैठते ही रीटा की फुद्दी ने फीच्च शीऽऽऽऽऽऽ से पिशाब का शिशकारे की मस्त आवाज सुन बहादुर के लन्ड़ ने "चोद डालो, चोद डालो " के नारे लगाने शुरू कर दिये। फिर रीटा ने खडे हो कर स्कर्ट नीचे कर दी तो बहादुर के लन्ड़ ठन्डी सास भर कर रह गया।

फिर रीटा बहादुर के हाथ से अपनी कच्छी ले कर अपने चूतडौ को सहलाती बोली "उफ तुम्हारे डन्डे ने तो मेरा बुरा हाल कर दिया है। हाय बहादुर मुझ से तो अब चला भी नही जा रहा उई मांऽऽऽ"। रीटा अपनी स्कर्ट पीछे से उपर उठा कर अपने गोरी गोरी गाँड पीछे उचका कर साईकल के डन्डे के निशान बहादुर को दिखाती बोली। रीटा की गौरी चिट्टी जाघौं के पीछे साईकल के डन्डे के लाल लाल निशान पडे हुऐ थे।

"बहादुर थोडा सहला दो नाऽऽऽ" रीटा बहादुर को आंखो ही आंखो मे पी जाने वाली नजरो से देखा तो बहादुर का लन्ड़ मे झुरझुरी सी दौड गई।

बहादुर ने रीटा को सामने पडी चारपाई पर उलटा लिटा कर रीटा की जांघो को डरते डरते सहलाते बोला "बेबी, कुछ आराम आया"?

रीटा बोली "नहीं, थौड उपर करीये तो बताती हूँ "।

बहादुर ने हाथ थोड उपर सरका दिया "बेबी, अब कुछ आराम आया"?

रीटा सरसराते सवर मे बोली " नहीं, थौड सा और उपर करीये तो बताती हूँ "।

बहादुर ने हाथ ओर उपर सरका दिया "अब"?

मस्ती मे रीटा स्कर्ट उलटती बोली " नहीं, जरा सा ओर उपर करीये तो बताती हूँ "

rajaarkey
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Re: रीटा की तडपती जवानी

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 16:25



बहादुर एक हाथ से अपना लौडा रगडने लगा और दुसरे हाथ से हाथ रीटा की मख्खन सी गुदगुदी गाँड को मसलने लगा "अब कुछ आराम आया"?

बेहया रीटा टांगो को चौडाती बुदबुदाती सी बोली " नहीं, जरा बीच मे करीये तो बताती हूँ "

बहादुर अपनी अगुलीयो से रीटा की बुंड टटोलता बोला "अब कुछ आराम आया कया"?

मस्ती मे रीटा सिर को हाँ मे हिलाती बोली "हूमऽऽऽ जरा थोडा ओर अन्दर और जोर से करीये तो बताती हूँ, सीऽऽऽ" रीटा को मुह से अनजाने मे बहुत जोर से आनंद भरी सिसकारी फूट पडी - जैसे किसी ने गर्म गर्म तवे पर ठन्डा पानी छिडक दिया हो।

धूर्त बहादुर अपना खडे लौडे की टोटनी को अगूठे और अुंगली मे रगडता हाथ को रीटा की नमकीन व चांदी सी चपडगंजी चूत को मुट्ठी मे जोर से भींचता बोला "बेबी अब कुछ आराम आया"?

रीटा अब बोलने वाली हालत मे नही थी "ओर जोर से बहादुर सीऽऽऽ ऊईऽऽऽ सीऽऽऽऽ"।

बहादुर ने एक मोटी और खुरदरी अुंगली रीटा की गीली चूत मे पिरो दी तो रीटा की छोटी छोटी मुट्ठीयां चादर पर कस गई "सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ ये कया कर रहे हो बहादुर सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ"?

बहादुर रीटा की चूत मे अुंगली धुमाता और छोकरी की चूत का ज्यजा लेता बोला "बेबी लगता है तुम काफी खेली खाई हो "।

रीटा पलटी और मुस्कूरा के बोली "ईस मे शक ही कया है, तुम बतलाओ, खेलो गे मुझ से"? बेहया रीटा ने बहादुर के खेलने के लिये अपनी शर्ट के सारे को सारे बटन झटके से चटाक चटाक कर के खोल कर अपने उरोज़ो को बेशर्मी से आगे उचका कर हिला दिया, तो बहादुर रीटा का पारे सी थरथरती व टाईट गौलाईयौं को देखा ठरक से पागल हो गया। फिर रीटा ने बडी अदा से अपने गुलाबी निप्पलौ को अपनी छोटी छोटी अुंगलियों की चुटकीयो मे मसला तो दोनो निप्पल तैश मे आ कर बुलटस के माफीक अकड कर बहादुर की तरफ तनते चले गये।

बहादुर आँखों से रीटा की जवानी का रसपान करता घबरा कर हकलाता सा बोला "वो वो मैं बेबी"।

पर रीटा अब रूकने वाली नही थी रीटा ने चारपाई पर बैठे बैठे अपने कपडे उतार नंगी होती चली गई। हील वाले सेन्डील के ईलावा रीटा अब बिलकुल नंगधडग थी और ईन्तीहा ही सैक्सी लग रही थी। अब रीटा अपने घुटने मोडे चारपाई पर ईन्डीयन टायलट सटायल से बैठ गई। सर से पाँव तक नन्गी रीटा बहादुर के पैंट के तम्बू को हसरत भरी निगाहो से देखते हुऐ होले होले अपनी सुडौल मरमरी टांगे को दाये बाये चौडाती चली गई और शानदार अंगड़ाई तोडती बोली "बहादुर आओ नाऽऽऽ ज़रा देखे तो तुम कितने बहादुर हो"? ईस पौज मे रीटा का संगमरमर से तराशा जिस्म तडक सा उठा।

टांगे चौडाते ही रीटा की फूल सी खिली हुई चूत का झिलमील करता दो ईंच लम्बा चीरा और बिन्दी सी गाँड का रेशमी सुराख का रोम रोम नुमाया हो उठा। टांगौं को दाये बाये चौडाने से डबडबाई चूत का सुर्ख दान भी कसमसा कर चूत की फाको से सरसरा कर बाहर आ कर लिश्कारे मारते लगा, तो बहादुर का बेहाल लन्ड पिधलता चला गया।

rajaarkey
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Re: रीटा की तडपती जवानी

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 16:26


दुनिया का सारा हुसन जैसे अलबेली रीटा मे समाया हुआ था। मस्ती मे आ रीटा अपनी चिकनी चूत और गाँड को भींचने और खौलने लगी, तो बहादुर ठगा सा टकटकी बांधे शहर की लौंडीया के कयामत सी खूबसूरत, तन्दरूसत, पानीयाई हुई और गुलाबी सुकडती फैलती चूत और गाँड देखता रह गया। बहादुर का लौडा रीटा की रसभरी दशहरी आम सी पकी हुई चूत को देख डन्डे सा खडा हो गया।



"हायऽऽऽ बहादुर कितना सताओ गे मुझे कुछ करो नाऽऽऽ" नशीली अधखुली आखो से देखती और अंगडाई लेती रीटा की छोटी छोटी मुठीया अब भी हवा में ही थी। बहादुर रीटा का खुला अमन्त्रण पे डरते डरते रीटा के सन्तरों को पौं पौं कर दबाने लगा और दूसरे हाथ से रीटा की दहकती और रिसती चूत मे अुंगली करने लगा रीटा की बलखाई नागिन सी पतली कमर के नीचे रीटा के सरसराता यौवन का रस रीटा की गाँड को गीला कर के टिप टिप कर टपकने लगा और फर्श को गीला करने लगा। सुन्दर रीटा मस्ती मे आ कर सीऽऽ सीऽऽ सिस्कारे मारती और उसी अंगड़ाती पोज़ मे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी, तो बहादुर का लन्ड के मँह से लारे टपक पड़ी।

तब रीटा ने चीते की तेजी से, झटके से, बहादुर को अपने आगोश मे खींच लिया और बहादुर की पैंट खोल कर उस के तडपते लन्ड को आजाद कर दिया। रीटा अपने मँह पे हाथ रखे हक्की बक्की सी बहादुर का दस ईचं लन्बे और चार ईंचं मोटे लन्ड़ को देखती रह गई। बहादुर का गौरा चिट्टा तन्दरूसत गौरखा लन्ड़ का सुपाड़ हद से ज्यदा मोटा और लन्ड केले की शेप का था।

"वाआवऽऽ वाहट ए लवली लौडाऽऽ " चूत के हमदम का साईज़ देख कर रीटा का चूत की धडकन तेज हो गई। चुदने को राज़ी रीटा ने बहादुर के लिये अपने आठो द्वार खोल दिये। दौ ईंच की चूत पूरी तरहा चुदरी हुई और अब चुद कर फटने को तैयार थी और चौदू लौडा नन्ही चूत को चौद कर भौंसडी बनाने को तैयार था।

हफ्तो से लन्ड के लिये तरसी रीटा ने बहादुर को अपनी गौरी गुदाज़ बाहो मे ले कर बहादुर के कन्धे पर अपने दात गडा कर खून निकाल दिया तो पीडा से बिलबिला कर और तैश मे आ कर बहादुर ने अपने एक हाथ से रीटा के फूल से दोनो हाथो को जबरदस्ती पकड लिया और अपने डन्डे से अकडे लन्ड से रीटा के चेहरे को फटाक फटाक से पीट कर, रीटा का चेहरा गुलाबी कर दिया। रीटा को लन्ड़ की पीटाई से रीटा कर ठरक सातवे आसमान पर पहुच गया कभी कभी रीटा बहादुर के लन्ड को लपक कर मुह मे ले कर चुमलाने मे सफल को जाती। कभी हिसंक हुई रीटा बहादुर के लन्ड मे दात गडा देती तो बहादुर रीटा को बालो से पकड कर उस के चुच्चे को मरोड देता, तो रीटा चीख के उस का लन्ड छोडने पर मज़बूर हो जाती।

इस खेल मे समझदार रीटा ने बहादुर के लन्ड़ पे ढेर सा थूक थूका और लन्ड़ को खूब गीला पिच्च कर दिया। एकसपीरीयंस बहादुर ने नन्ही रीटा की चूत की टाईटनेस को देख कर उस की चूत पर मुरगी का अण्डा फोड़ कर चूत को अच्छी तरहा से चिकनी कर दिया।

निर्ल्लज नंगी रीटा ने बहादुर की गदर्न मे बाहों का हार डाल कर बहादुर को जबर्दस्ती अपने उपर खींच कर बहादुर की कमर अपनी सुडौल व गुदाज़ टांगो का ताला लगा दिया। बहादुर को लगा की वह जैसे वह रेशम का ठेर मे धसं गया हो। रीटा के हाथ नीचे सरक कर बहादुर के तपते लन्ड को फडफडाती चूत के सूराख पर धिस्सने लगी। बहादुर के हाथ रीटा की मखमली और कठोर नारन्गीयों को नोचता बोला "हाय बेबी तुम तो बिलकुल बंगाली रसगुला हो "।

रीटा की तो खुशी को मारे किलकारीयां सी निकल पडी "उईईईईईई आहऽऽऽ आहऽऽऽ आज से पहले किसी ने मेरे कबुतारों को ईतनी बुरी तरहा नही रगडा आहऽऽऽ शाबाश मेरे राजाऽऽऽ"

दस ईंच्च का लम्बा लन्ड़ देख कर लौंडीया की चुदास ठरक अब काबू से बाहर हो चुकी थी। हवस से रीटा का सारा बदन बुरी तरहा से सुलग कर जल उठा। अब तो बहादुर के लन्ड़ की फायरबरीगेड ही प्यासी रीटा की काम पिपासा बुझा सकती थी। बहादुर समझ गया आज पाला शहर की महा-चुदकड छौकरी से पड गया है। बहादुर ने सोचा कि कया किसम्त है, मेरे लन्ड़ को रीटा जैसी शहर की येंक्की चूते चखने को मिली और वो भी स्कूल की टनाटन लौंन्डीयाँ।

जंगली बिल्ली सी रीटा ने बहादुर की खोपडी के पीछे से हाथ से दबा और दूसरे हाथ से अपना चुच्चे की टोटनी पकड कर बहादुर के मँह में घुसाती बोली "ये ले चूस और चुप कर जा मां के लौडे सीईईईईई, यू बहन चौद, चूत के कीडे, जल्दी जल्दी चौद अपनी मां को, स्कुल भी जाना है मुझे, देखू तो तेरे लन्ड मे कितना ज़ोर है हायऽऽ रेएएएएए" जैसे ही बहादुर ने रीटा का पूरा का पूरा चुच्चा मँह में लिया तो रीटा ने अपनी जीभ बहादुर के कान मे धुमा कर बहादुर को बावला कर दिया। बहादुर को दाँत रीटा की चूच्चे मे धंसे तो मदहोश रीटा को लगा जैसे वह बिना चुदे ही झड जायेगी।

तब बहादुर ने रीटा की फडकती फुदकती और उछलती चूत मे एक झटके से अपना लन्ड ठोक दिया तो बेचारी रीटा की अपनी सुधबुध खो बैठी। अण्डे के कारण चूत मे फिसलन बहुत ज्यदा थी और रीटा बहादुर का लन्ड जैसै तैसै सहार ही गई। बहादुर का लन्ड भी शहर की लौंडीयां की चूत पाते बुरी तरहा से मस्ता के अकड़ गया था। और रीटा गाव का तन्दरूसत ताकतवार और फौलादी लौन्डे को पा कर निहाल हो उठी और उस की चूत झनझना उठी।

दोस्तों कहानी अभी बाकी है कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना
Rita Raut
क्रमशः...................

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