रीटा की तडपती जवानी compleet
Re: रीटा की तडपती जवानी
रीटा की तडपती जवानी
By- Rita Raut
गतांक से आगे...............................
फिर तो बहादुर के हथौडे से लन ने रीटा को कसमसाने की भी जगहा नही दी और चूत की चूले हिला दीं। बहादुर के मौटे घीये जैसे लन्ड ने रीटा की चूत के बखीये उधेड के रख दिये हिचकोले खाती नन्ही रीटा किसी छिपकीली सी बहादुर से चिपकी और बहादुर के कन्धे मे दात गडाये अपनी चीखो को दबा के बहादुर के लन्ड की पिटाई की पीडा पी गई। रीटा के लम्बे लम्बे नाखून बहादुर की पीठ मे धन्से हुऐ थे और बहादुर रीटा को उछल उछल सरकारी साडे़ की तरहा चौदा मार कर रौंद रहा था। बहादुर पूरा का पूरा लन्ड़ बाहर खीचं कर पूरे वेग से वापिस अंदर ठौकता तो रीटा की चुदकड चूत को थोडा सा चैन पडता।
कुछ ही देर मे बेचारी चारपाई दोनो की लडाई को संभाल न पाई और चरमराती हुई टूट गई। चारपाई टूटते हुऐ रीटा बहादुर के नीचे थी और ज़मीन पर गिरने से बहादुर का लन्ड का सुपाड़ा रीटा की बच्चेदानी मे घुस गया तो रीटा चिहुंक कर दौहरी हो गई। एक बार तो रीटा को लगा जैसे बहादुर का लन्ड़ रीटा के मँह से बाहर आ जायेगा। दर्द के मारे रीटा की चीख भी रीटा के गले मे ही घुट कर रह गई। रीटा को लगा के जैसे किसी पेड का तना उस की चूत मे घुस गया हो बेचारी अधमुई सी रीटा करहा भी नही पा रही थी। चारपाई से ज़मीन पर गिरने पर भी बहादुर की स्पीड जरा भी कम नही हुई। एक बार तो रीटा को लगा की वह बेहोशी ही हो जायेगी। वासना को उन्माद मे रीटा को सब कुछ धुंधला सा दिखाई देने लगा।
पर रीटा ने जल्दी ही होश सम्हाल लिया और मस्तीमें आ कर अपनी गौरी गौरी चिकनी टांगो को हवा मे उपर उठा दिया तो बहादुर का लोडा चूत की कुंवारी गहराईयों मे विचरण करने लगा इस पोज़ मे रीटा का दाना बहादुर के लन्ड के साथ अंदर बाहर होने लगा तो रीटा की चूत तितली सी फडफडा उठी और रीटा फट से झडती चली गई बूममममम बूममममम बूममममम!
मिनमीनाती रीटा ने बहादुर के चुतडो मे अपने नाखून घौंप दिये। बहादुर ने रीटा को जन्नत मे पहुचा दिया तो रीटा ने बहादुर पर ताबा तौड चुम्मौ की बरसात कर दी। परन्तु बहादुर की स्पीड जरा भी कम नही हुई और वह जंगली जानवर की तरह रीटा की मारता रहा हर ठप्पे पे बहादुर के अन्डे रीटा गाड का दरवाज़ा खटखटा देते थे और अंदर घुसने की नाकाम कोशीश करते। रीटा के चुच्चे बहादुर की छाती के दबाव से पिचक कर गुबारो की तरह उपर आ चुके थे। बहादुर की भयंकर चुदाई ने कमरे की दिवारो की फचाफच फचाफच कर के मां चौद के रख दी थी।
थोडी देर में रीटा अब फर्श पर दो बार झड चुकी थी। और बहादुर अब भी रीटा को बकरी के मेमने की तरह अन्धाधुन्द हो कर चौदे जा रहा था, चौदे जा रहा था। अन्तीम समय में बहादुर ने सांस रौक कर गाडी फुल स्पीड पर छौड दी - छका छक छका छक फिर चरम सीमा पर पहुंच कर बहादुर का लन्ड और भी फूल गया और भचाक भचाक से गर्म पानी के रेले छौडने लगा। बहादुर ने रीटा को कस कर आपने आगोश में ले लिया और अपना तीर सा लन्ड अब रीटा की चूत मे आखिर तक घुसेड दिया तो रीटा का बदन तले पापड सा अकड कर तडक गया।
Re: रीटा की तडपती जवानी
रीटा ने भी बहादुर को कस के बांहो मे भींच कर अपनी सैन्डलस की हीलस बहादुर के चूतडो मे गाड दीं और अपनी बुंड को हवा मे बुलंद कर दी ताकी बहादुर का घीया जड तक अंदर ले सके। शुरू से आखीर तक बहादुर ने रीटा को पूरी स्पीड से चौदने से रीटा बहादुर के बहादुरीयत पर बलिहारी हो तीसरी बार लगातार झडती चली गई। रीटा की आँखे धुन्धला और चूत सुन्न हो गई थी। रीटा पूरे जौर लगा कर बहादुर के लन्ड को अपनी नन्ही चूत में दबा रखा था। फिर रीटा और बहादुर के बदन अकडने के बाद एकदम ढीले पडते चले गये। दोनो कुत्तो माफीक हाँफ रहे थे और फर्श पर दूर दूर तक सफेद पानी फैल चुका था।
कुछ देर बाद जब रीटा ने होशो हवास सम्भाला तो स्कूल लगने मे अभी दस मिनट बाकी थे। चुदी हुई रीटा अपने चकराते हुऐ सिर को पकड जमीन पर बैठ अपनी बेतरतीब सांसौ को समभालने लगी। खतरनाक तरह से चुदने के बाद जब रीटा खडी हुई तो लडखडा कर धडाम से वापिस जमीन पर गिर पडी। अब रीटा की टांगे जैसे खोखली हो कर जवाब सा दे गइ थी।
बहादुर ने रीटा की जवानी का पोर पोर चटका दिया था। बहादुर के जांबाज लन्ड़ ने उस की बच्ची चूत का पतीला बना दिया था। रीटा को ऐसा लग रहा था जैसे पाच छः जवानो ने रीटा को इकठे ही चोद डाला हो। रीटा ने झुक कर जब अपनी चूत को देखा तो रीटा के मुह से दबी दबी चीख निकल गई। रीटा की चूत फट चुकी थी और चूत से पानी के साथ खुन भी रिस रहा था बहादुर ने रीटा की चूत का नकशा बिगाड दिया था। रीटा को अपनी हि चूत पहचान मे नही आ रही थी। रीटा को लग रहा था जैसे बहादुर का धांसू लौड अब भी उस की चूत मे फंसा हो।
थोडी देर बाद बहादुर ने चुदी हुई रीटा को वापिस साईकल पर बिठा स्कूल छोडने चल पडा "बहादुर तुम्हारा लन्ड़ तो बडा शैतान निकला। कितने कस के ठोका है तुम ने मुझे मुझे लगा जैसे तुम्हारा छूटेगा ही नही। ऊफऽऽ अभी तक मेरा बदन टूट रहा है, हाय मेरी फुद्दी, यू रास्कल आई लव यू" रीटा की आवाज अब भी काँप रही थी।
बहादुर एक महान चौदू
रास्ते मे बहादुर ने रीटा को बताया कि छोटी उमर मे ही उस ने गाव में भैसौं और बकरीयों को खुब चौदा मारा करता था। इसी लिये बहादुर के लन्ड मे बला की तपिश और ताकत आ गई थी। रोज सुबह बहादुर अपने निराले लन्ड पे पानी से भरी बालटी उठा कर लन्ड़ को और भी बलवान बना लिया था। बहादुर की आंखो मे हर वकत चूत का खुमार रहता था।
बहादुर गाँव की ठरकी लडकीयों की सन्गत मे पड कर महान चौदू बन गया था। बहादुर की चौदी हुई लडकी को बहादुर से चुदवाये बिना चैन नही पडता था। बदमाश बिल्लौ, गुन्डी गुलाबौ, जालिम जुबेदा, चिकनी चमेली, लरजाती लाजो, रन्डी रानी, सुडौल सबीना, छुईमुई छमीया, शानदार शिल्पा,निगोडी निम्मौ, अनाडी अनारौ और शरारती शब्बो आदी कई लडकीयाँ अब भी बहादुर के लन्ड़ के गुनगान गाते नही थकती थी। गाव की सारी टाप कलास चूतो के पटे बहादुर के आलीशान लन्ड के नाम थे।
खेत मे मूतती लडकीयां बहादुर की खास कमजोरी थी। सुबह सैर करते करते बहादुर खेतो मे एक आधी को चौद ही आता था। कई लडकीयों को बहादुर ने गन्ने के खेतो मे गन्ने चुसाने के बहाने ले जा कर अपना लन्ड चुसा डलवाता था। और तो और बहादुर ने गाव के छोटे छोटे चिकने लडकौं को भी नही बकशा।
बहादुर का बडा भाई गाव मे बदमाश दरोगा था। दरोगा नम्बर एक का खतरनाक गाँडू था। हर एक अपराधी की गाँड मार कर ही हटता था, ईसी लिये कोई बहादुर की हरकतो के बारे मे कुसकता भी नही था।
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करीना कपूर और अधनंगी कैटरीना कैफ का शीला वाला ठरकी डाँस देख बहादुर मस्त लन्ड़ को शहर की येंक्की और नशीली चूते भी चखने के लिये बेताब हो गया। शहर जा कर बहादुर ने सबसे पहले आपनी मकान मालिक की नठखट नैपालन नौकरानी पारो को रगडा। फिर सैक्सी मकान मालकीन अलका और पडोसन तमन्ना को भी नही छोडा।
फलेशबेक की तरहा पारो की जवानी बहादुर की आँखों के समने घूम गई। पारो का अंग अंग अलग अलग उस के जिस्म पर कसा था और हर चीज़ कुछ ज्यदा ही बडी थी। जवान पारो की मोटी मोटी कजरारी आखे और चितोडगढ़ से चूतड तो देखते ही बनते थे। चूच्चे ऐसे थे जैसे प्रकार से खींचे गोले हर वकत पारो गहनो से लदी और सज़ी संवरी रहती थी।
दूसरे ही दिन दुपेहर को बहादुर जब पिशाब करने बाहर निकला तो उस ने पारो को अलका के कमरे के अंदर चुपके चुपके झांकते हुऐ देखा। पारो किसी कुत्तिया सी हांफती हुई अपना हाथ से जोर जोर से अपनी चूत को घाघरे के उपर से ही रगड रही थी। थौडा सा और झुकती तो शायद पारो के थरथराते चुच्चे उस की अंगीया से बाहर ही आ जाते।
मौके का फायदा उठा कर बहादुर ने जब झुकी हुई पारो के उचके हुऐ चूतड पे हाथ फेरा तो पारो चिहुंक कर खडी हो गई और अपनी चुच्चे पे हाथ रखती फुसफुसाती बोली "दय्या रे दय्या, तूने ने तो मुझे डरा ही दिया था"।
बहादुर हाँफती पारो के फूलते पिचकते चूच्चौ को घूरता बोला "ये कया कर रही थी तुम"?
"शऽऽऽऽ चुप" चुलबुली पारो बहादुर को चुप रहने का ईशारा कर खींचं कर कोने मे ले गई और पंजौ के बल उचक कर अपनी छातीयाँ बहादुर के सीने से गाडती बहादुर के कान मे बोली "अंदर अलका आंटी और तम्मना दीदी उलटी सीधी बाते कर रही हैं"
बहादुर ने चंचल पारो के चूतडो को सहला कर मसल कर पूछा "उलटी सीधी बातों से कया मतलब"?
पारो अपने पाईनैपलौ से चुच्चे को बहादुर के सीने मे जोर से गाडती आँखो मे आँखो डाल कर अर्थपूर्ण स्वर मे बोली "मर्द औरत के बारे मे तो सुना था, पर एक औरत औरत की कैसे ले सकती है"?
बहादुर समझ गया की कमरे मे कया हो रहा है। बहादुर आँखो के तरबूज से रसभरे चूतडो को हाथो से चोड़ाता बोला "मेरी रानी मेरे कमरे मे चल तो बताता हूँ कि एक औरत दूसरी औरत की कैसे ले सकती है "
खेली खाई पारो अपने गालो पर हाथ रख खुशी से बच्चौ की तरहा उछलती और दबी आवाज में बोली "हाय मांऽऽऽ कया तुम्हे ये सब पता है "?
बहादुर आँखो के बिना बरेज्री के स्तनो को ज़ोर ज़ोर से खीचंता बोला "तू मुझे मर्द औरत के बारे मे बताना और में तुझे औरत औरत के बारे बता दुंगा। तू मेरे कमरे मे पहुच मे पिशाब कर के आया"?
चिकनी पारो चुच्चे पटवाती हुई अपनी जाघो में बहादुर के खडे लन्ड़ को रगडती और बहादुर के खम्बे से लम्बे लन्ड़ को हसरत भरी निगाहो से देख बोली "सीऽऽऽ तुम्हारा बादशाह तो बहुत शरारती है, जरा जल्दी आना मेरे राजाऽऽऽ। तुम्हारे बादशाह ने तो मेरी बेगम का दिल मोह लिया है"। पारो शहर के खस्सी और निकम्मे नामर्द लोगो से चुदवा चुदवा कर बुरी तरह से बोर हो चुकी थी।
चुलबुली पारो मुडी और बल खाती नागिन सी अपने फुटबाल से चूतडो को ठुमक ठुमक मटकाती बहादुर के कमरे की तरफ चल दी। तसमो वाली चुस्त चोली से पारो की नंगी मरमरी पीठ और कमर चमक रही थी। नीचे घुटनो तक घाघरे से झांकती खूब सुडौल पिंडलीया और पैरौं मे चांदी की पाजेब छन छन कर रही थी। उपर से पारो की लम्बी चौटी थिरकते चूतडो के बीच घड़ी के पैण्डूलम सी दाये बाये उछलते देख बहादुर को लन्ड़ की रीड की हड्डी मे सिरहन सी दौड गई।
बहादुर ने जाते जाते कमरे मे झाँक कर देखा तो तम्मना और अलका आपस चिपटी हुई सीऽऽ सीऽऽ कर एक दुसरे को बुरी तरह से चूम चाट रहीं थी। खूबसूरत अलका की गुलाबी साडी कमर तक उठी हुई थी और बलाउज चौड चपाट दरवाजे सा खुला हुआ था। अलका के गुलाबी तोतापुरी आम ठरक से खुब अकडे हुऐ और हज़ार वाट के बल्बौ की भान्ती जगमगा रहे थे। तमन्ना ने हल्के हरे रंग का सलवार और कमीज़ पहन रखी थी। तमन्ना ने टांगो को चौडा रखा था और अलका सलवार के उपर से ही तमन्ना की चूत को अपने मुह मे चुमहला रही थी। फिर अचानक ही अलका ने तमन्ना की सलवार का नाडा खींच डाला और तमन्ना की चिडीया को नंगा कर दिया तमन्ना की कंवारी दूधीया चूत ने कमरा ओर भी रौशन कर दिया।
बहादुर ने सोचा के अभी तो पारो का तन्दूर परौंठे सेकने को तैयार है। बहादुर का लन्ड़ पारो की मस्त जवानी को चखने के लिये बेताब था। बहादुर की आँखों के सामने पारो की मोटी कजरारी आँखों और शानदार चूतड घूम गये।