सास हो तो ऐसी compleet

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rajaarkey
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Re: सास हो तो ऐसी

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 17:11

घर वापस आने के बाद शर्माजीने मुझे मेरे घरकी सीढिया चढ़नेमें मदत की। पैर काफी दुख रहा था। एक-एक स्टेप उपर चढ़ना मुश्किल था। मेरा पूरा बदन शर्माजीने सम्हाला था। मेरी पीठ उनके छातीपे और नितंब उनके लैंडपे रगड़ रहे थे। उनके सहारेसे मै अपने घर आई। मुझे मेरे बेडरूम में बेडपे उन्होंने बिठाया और लेटनेकेलिए कहा। उनके सामने मुझे शर्म आ रही थी। मगर बोल ना सकी। मै लेट गयी। शर्माजीने मुझे दवाई दी और तेल की शीशी लेकर मेरे पैरकी तरफ बैठे। मैंने शर्मसे कहा- रहने दो, मै खुद लगा लुंगी। वो बोले- भाभीजी घुटनेके उप्पर और पीछे मार लगी है। आपका हाथ वहा पहुचेगा नहीं। गोली ली है साथमें तेल की मालिश होगी तो पैर जल्दी ठीक होगा। उन्होंने हाथमे तेल लेके मालिश शुरू की। उनका स्पर्श होतेही मेरे मनमें तरंग उठने लगे पैरका दर्द कम हो रहा था मगर मन की चाहत बढ़ रही थी। मनमें द्वंद्व चल रहा था। मन के विकारने जीत हासिल की और मैंने आँखे मूंद ली। शर्माजिका हाथ धीरे-धीरे मेरे जांघोकी तरफ जा रहा था। मैंने कोई विरोध नहीं दर्शाया। मेरा मौन उनके समझमे आया। हाथ ऊपर लेके वो मेरे निकरके ऊपरसे मेरी योनि सहला रहे थे। मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मेरे मुहसे -आह निकली। उन्होंने मेरी निकर निकाली और मेरे योनिको किस किया। अपने जीभसे वो मेरी योनिको जैसे चोद रहे थे। एक तरफ मेरी योनि चूसते- चूसते उन्होंने मेरे कपडे निकाले और खुदकेभी कपडे उतारे। मेरे दोनों बूब्स सहलातेहुए वो ऊपर आये और अपने इशारोमे मुझे अपना लंड चूसनेको कहा। इससे पहेले मैंने कभी लंड चूसा नहीं था मगर उस वक्त मुझे क्या हुआ था पता नहीं। मैंने झटसे उनका लंड मुहमे लेके चूसने लगी। थोड़ी देर लंड चूसनेके बाद मुझसे रहा नहीं गया। मै अपनी गांड उठाके उन्हें इशारा करने लगी। शर्माजीने अपना लंड हाथमें लिया और उन्होंने धीरेसे मेरे चूतमें डाल दिया। फिर उन्होंने पहले स्लो और बादमें फ़ास्ट गाडी चलाई। मैभी नीचेसे उनका साथ दे रही थी। शर्माजी शानदार चुदाई कर रहे थे। काफी देर चोदके उन्होंने अपना पानी छोड़ा। दोनों एक- दुसरे के आगोशमें काफी देर पड़े रहे। फिर मैंने उठके चाय बनाई और हम बात करते रहे।
इसके बाद जब तक हम नागपुरमें थे तब तक हमारा रिश्ता रहा। बाद में हम नागपुर छोडके चले गए , साथमे शर्माजिका साथ भी गया। पर शर्माजीने लंड चूसने का स्किल सिखाया वो लाजवाब था। शायद येही स्किल मुझे मेरे दामाद-रवि के करीब ले जा सकती है इसका अंदाजा मुझे आ गया था।

आज का दिन मेरे दामाद रवि के लिए अबतक तो अच्छा नहीं था। एक तो उसे दिनभर बिना चड्डीके सिर्फ लुंगीपे रहना पड़ा और मेरी बेटी- उसकी पत्नीने दोपहरमें उसको मजा देनेसे इंकार किया। उसके लिए एक बात अच्छी हुई थी। वो कहे तो उसकी सांस उसके बड़े लंडपे फ़िदा हुई थी मगर रविको इस बात का पता नहीं था। मेरी चाहत उसे कैसे बताऊ ये मेरी समझमें नहीं आ रहा था। शामके चाय के वक्त मेरी बैटरी चार्ज हुई। मै झटसे तैयार हुई। पिली साडी-पिला ब्लाउज अंदरसे काली ब्रा पहनी। मेरा ये ब्लाउज पीठपे काफी -काफी खुला था। पीठपे सिर्फ एक छोटीसी पट्टी थी। कपडा काफी पतला था। ब्रा सीधी नजर में आती थी। बालोको चमेलीका दो बूंद तेल लगाके बस एक बो लगाकर खुला छोड़ा। साडीभी नाभिसे नीची पहनी। मुझे मालूम था ऐसे रुपमे मै रविको बड़े आरामसे पटा सकती हु। पल्लू दोनों कंधेपे लेके मै बेटीके बेडरूम गयी और रविको मेरे साथ बाजार चलनेके लिए कहा। चड्डी न होनेसे वो ना कर रहा था मगर मैंने बेटी से कहकर उसे तैयार किया। जीन्स और टी-शर्ट में रवि बहोत स्मार्ट लग रहा था। मैंने मेरी स्कूटी निकाली। पेट्रोल कॉक चालू किये बिना मैंने गाड़ी बाहर लायी। मेरे अनुमानके मुताबिक मेरी बेटी बाय करने दरवाजे पहुंची थी और रविभी मेरे और उसके दरमियान फासला रखके बैठा था। हमने बेटीको बाय करके गाड़ी रास्तेपे थोड़ी आगे ली तभी पेट्रोल बंद होनेसे गाड़ी बंद पड़ी। मै गाडीसे उतरी। रविभी उतरा। कॉक ओन करके मैंने गाड़ी चालू की और गाड़ीपे बैठ गयी। मैंने रविको आरामसे बैठनेको कहा। वो रिलैक्स हुआ तो मैभी पीछे सरक गयी। मेरे नितम्ब अपनेआप उसके दोनों पैरोके बीच आ गए। और रस्तेकी ट्राफिक और बार-बार ब्रेक लगाकर मै उसके लंडको मेरी गांडसे टच कर रही थी।

rajaarkey
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Re: सास हो तो ऐसी

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 17:11

जवान लंड था और न जाने कितने दिनसे उसे सेक्स मिला नहीं था - टच होतेही लंड अपनेआप सलामी देने लगा। रवीने थोडा पीछे हटनेकी कोशिश की तो मै उसपे चिल्लाई- अरे बाबा थोडा स्थिर बैठो। हिलो मत। और मैंने उसके दोनों हाथ अपने कमरपे रखवाया। मेरे कमरपे हाथ रखतेही वो चुप हो गया। मै समझ गयी वो एन्जॉय कर रहा है।बीचमे उसने अपना लंड एडजस्ट किया। अब उसका लंड मेरे दोनों चुतड के बीच फसा था। इस बात से ना-समझ हु ऐसे दिखाके मै गाड़ी चलाने लगी। अब वो मेरे बहोत करीब था।मेरे पीठसे उसकी नाक दो-तीन इंचकी दुरीपे थी। उसकी सास मेरे पीठपे महसूस होती थी। उसका हाथ, जो मेरे कमर पे था वो वायब्रेट हो रहा था। उसकी उंगलिया मचल रही थी। अचानक मैंने एक दुकान के सामने गाड़ी रुकवाई। उतरतेही मैंने देखा रवि के चेहरेपे नाखुशी दिख रही थी। थोडा सामान लेके हम फिर गाड़ीपे बैठ गए। फिरसे खेल शुरू हो गया। फिर मैंने एक दुकानसे सामान लेनेका बहाना बनाके खेल शुरू-बंद किया। आखिरमें सब्जी मार्किटसे सब्जी लेके हमारा खेल फिरसे शुरू हुआ। मार्केट में मैंने जाना- रवि मेरे बदनसे स्पर्श करनेका कोई मौका हाथसे जाने नहीं दे रहा था। सब्जी लेते समय जहा भीड़ होती थी वहा वो मुझे चिपकके साइडमें या मेरे पीछे रुकता था। केला लेते वक्त मैंने उसे सीधे कहा- मुझे तो बड़े केले पसंद है। बड़ा एक हो तो पेट भर जाता है छोटे दो-तीन एक साथ हो तो भी कम लगते है। बादमें उसने मुझे आइस-क्रीम के लिए पूछा तो मैंने कहा-मुझे चोकोबार पसंद है। चूसनेमें ज्यादा मजा आता है। रवि भी अब लाइनपे था- उसने कहा उसे कटोरी में आइसक्रीम लेके जीभसे कुदेरके खानेमें मजा आता है।
घर वापस आते समय मै थोड़ी हवामे थी। मेरा निशाना अचूक लगा था। अब बस मुझे इशारा करनेकी जरुरत थी। रवि तो नंगा होकर अपना बड़ा लंड हाथ में लेकर तैयार था। अब तो बस मुहूरत मुझेही निकालना था।
शामको जब मै खाना बनाने लगी तो मेरा दामाद मुझे किचेनमें मदद करनेके बहाने मेरे इर्दगिर्द रहने लगा। कई बार उसने मुझे टच किया। जब मै सब्जी काटने लगी तो वो मुझे चिपकके बैठा था। रोटी बनाते वक्त जनाब मेरे पिछेसे इतना चिपका था के मुझे लगा वो शायद मुझे वही चोदनेकी कोशिश करेगा। मैही डरके उसे बोली- रवि, मेरी बेटी यानेकी तेरी पत्नी घरमें है। वो अचानक आएगी तो क़यामत आएगी।ये सुनानेके बाद रवि थोडा सम्हाल के रहने लगा। खाना खाते वक्त मेरी बेटीने कहा भी- आज सांस और दामादमें कुछ ज्यादाही बाते चल रही है। रवि और थोडा सहम गया। उसके बाद उसने शांतिसे खाना खाया। बाद में थोडा गपशप करके हम सोने गए। रूम में जाते वक्त उसकी आंखोमे मुझे एक बिनती नजर आई। मगर मैंने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। मै उसे थोडा और तडपाना चाहती थी। इतने सस्तेमें अपनी सांस मिलती नहीं ये उसके समझमे आना जरुरी था।
रातको बेडपे मुझे नींद आना मुश्किल हो रहा था। रविकी कटोरिमे आइसक्रीम जीभसे कुदरने की बात मेरे दिमागमें घूम रही थी। बिलकुल इसी शब्दोमे इन्दोरमें मेरे योगा ग्रुपके साथी कपल नीता और निलेश चूत चुसनेकी बात करते थे। उन दोनोंनेही मुझे चूत चुसनेसे कितना मजा मिलता है इसकी जानकारी दी थी। क्या वो भी दिन थे। एक ही वक्त स्त्री और पुरुष दोनोसे सेक्स का मजा अलगही था।

rajaarkey
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Re: सास हो तो ऐसी

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 17:12



इन्दोरमें हमारा आना महज इत्तेफाक नहीं था। नागपुरमें मै पति और शर्माजी दोनोंके साथ बहोत खुश थी। मुझे दो मर्दोसे सुख मिल रहा था। मेरे पति सीधे-सादे इन्सान है। सेक्स याने कभी-कभार जब जरुरत लगे तो करने की चीज ऐसा उनका मानना था। इसीलिए वो सेक्स् में नया कुछ नहीं लाते थे या मै अगर कहू सेक्स में नया क्या होता है ऐसा उनका ख्याल था।मगर शर्माजी मुझे विभिन्न आसनोंमें चुदाई का आनंद देते थे। बेडपर सो कर- कुर्सीमे बैठकर - टेबलपे मुझे झुकाके पीछेसे चूतमें लंड डालकर -यहाँ तक की उन्होंने मुझे एक बार किचेनमें गैस-स्टोव के बाजूमें बिठाकर, खुद खड़े होकर, मुझे चोद दिया था। इसी लिए मै वहा बहोत खुश थी।मेरे पति वहा बहोत परेशान थे। उन्हें बार-बार टूर जानेसे तकलीफ होने लगी। उनका पेट ख़राब होने लगा। उन्हें शुगरकी बीमारी शुरू हुई। वो मेरेसे दस साल बड़े थे। अभी ४0 केही थे मगर हमेशा बाहर खाना, रोज नए जगह रुकना इसी कारन उन्हें शुगर की बीमारी लगी। फिर उन्होंने कंपनीको रिक्वेस्ट करके इन्दोर में तबादला मांग लिया।
इंदौर हम आ तो गए। कंपनी ने उन्हें फिर प्रमोशन देके मेनेजर बनाया और इंदौर तथा भोपाल दोनों ऑफिस का इनचार्ज बनाया। हमने फॅमिली शिफ्ट की। मै बच्चोके साथ इंदौर में रहने लगी और मेरे १५ दिन इंदौर और १५ दिन भोपाल रहने लगे। इससे उनके जीवनमें कुछ स्थिरता आई। हमारे नजदीक दूसरी कोलोनी में योगा क्लास चलता था। हमने उनके शुगर को दवाई के साथ योग का भी सहारा ले कर शुगर कम करने की कोशिश शुरू की।
शुरू के १५ दिन हम साथ-साथ गए। वहा कुछ लोगोसे परिचय हुआ। उनमे एक थे नीता और निलेश। निलेश की एक छोटीसी प्लास्टिक की फैक्ट्री थी और नीता जूनियर कॉलेजमें लेक्चरर थी। १६ वे दिन जब मेरे पति मेरे साथ नहीं थे तब नीता खुद आगे आके मुझसे बात करने लगी।उसने मुझसे हर एक सब्जेक्ट पे बात की। मगर उसका ज्यादा जोर मेरे फिजिक पे था। उसने मुझे मेरे और कुछ काम/डाइट और व्यायाम के बारे में पूछा। जब मैंने उसे सब कुछ बताया तो वो हैरान हो गयी। वो मेरे कमरपे हाथ रखके बोली भाभीजी , आइ डोंट बिलीव इट। आप कुछ भी नहीं कंट्रोल नहीं रखती फिर भी आप कितनी मेन्टेन है। यु कहू तो बुरा मत मानो के आप बहोत सेक्सी है। मै शर्मा के बोली, निताजी, झूट मत बोलो। आप भी बहोत स्लिम और मेन्टेन है। नीता बोली, भाभीजी मै योगा-डाइट सब करके ऐसी हु। फिर भी आप तो कमाल है। आपकी कमर बिलकुल पतली है और आपके बूब्स- वो तो मै औरत हो के इसे हाथ लगाना चाहती हु मर्द तो मर जायेंगे। और ऐसा कहके उसने मेरे चूचीके पॉइंट को दो ऊँगली से मरोड़ा। मेरे चूची को पहली बार किसी औरत ने हाथ लगाया था। मै एकदमसे चार्ज हो गयी। इतनेमें निलेश आये। आतेही उसने हम दोनोको छेड़ा - इंदौर की सबसे हसीन दो औरतोमें क्या खिचड़ी पाक रही है। मै चुप बैठी। नीता ही बोल उठी, कुछ नहीं निलेश, भाभीजी कितना मेन्टेन है न। मै उनसे इसी बात का राज पूछ रही थी। निलेश हसने लगा और मुझसे कहने लगा- भाभीजी फ्री में कोई सलाह मत दो। और फिर नितासे बोला-यार , तुम भी कमाल करती हो। भाभीजी को अपने घर बुलाओ, चाय-नाश्ता हो जाए फिर इनसे जानेंगे इनके फिटनेस का राज।
हा हा क्यों नहीं। नीता बोली - भाभीजी बुधवार को आप हमारे घर आइये। मैंने कहा -सोचके बताती हु कल।
फिर गुड बाई करके निलेश और निता निकले। जाते-जाते नीताने मेरे निताम्बोपे हाथ घुमाया और मुझे आँख मारके वो चले गए।
अगले दिन निलेश नहीं आया था। नीता अकेली टू-व्हीलर लेके आई थी। आज भी उसने मेरे शारीर को बार बार स्पर्श किया। पर ये सब मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसका सपोर्ट नहीं किया था पर ये भी सच है की मैंने कोई विरोध भी नहीं जताया। इसी से उसका साहस बढ़ गया। आखिर में वो मुझे छोड़ने मेरे घर तक आई। अब उसे घर के अन्दर तो बुलाना जरुरी था इसी लिए मैंने उसे अन्दर बुलाया और चाय बनाई। चाय पिने के बाद वो निकली। जैसे ही मै दरवाजा खोलने कड़ी हुई वो तेजी से आगे आई और उसने मुझे अपने आगोश में लिया और उसके होठ मेरे होठपे रखे। मेरे कुछ समझमें आता इस से पहले वो मेरे फ्रेंच किस ले रही थी। मुझे अपनी बाहोमे बड़ी जोर से बाँध लिया था। उसके बूब्स जो मेरे मुकाबले कुछ भी नहीं थे वो मेरे चूची पे दबे थे। धीरे धीरे उसका हाथ मेरे चुतड पे घूम रहा था। मैंने भी उसको रिस्पांस देना शुरू किया। मै भी उसके पीठ को सहलाने लगी। उसकी चुतड दबाने लगी। करीब ५ मिनट लंबा किस करने के बाद हम दोनों सम्हल गए।किन्तु उसने मुझे अपनी बाहों से अलग नहीं किया। कुर्सी की तरफ मुझे लेके वो कुर्सी पे बैठ गयी और उसने मेरा ब्लाउज उतरा। फिर ब्रा के ऊपर अपना मुह लेके ब्रा के उपर्सेही मेरे चुचिके पॉइंट्स चूसने लगी। फिर अपने हाथ पीछे लेकर उसने मेरे ब्राको उतारा। फिर मेरे चूची को बच्चे जैसा चूसने लगी। धीरे धीरे उसने मेरे साडीपे हाथ दाल कर पहेले साडी और बादमे बाकि बचे कपडेभी उतारे। फिर वो धीरे धीरे अपना मुह चूची से लेकर निचे लाती हुई मेरे चूत तक पहुंची। थोडा देर मेरी चूत चूसने के बाद वो रुकी। फिर कड़ी उसने मुझे चारो और घुमाके देखा। उसकी आंखोमे अजीब सा नशा और वासना थी। उसने अपने कपडे उतारे। मेरे बदन के सामने वो बिलकुल दुबली पतली सी थी। उसके चुचे बहोत छोटे थे मेरे ख्याल से उसको ३० नंबर ब्रा चलती होगी। उसके चुतड भी बड़े नहीं थे। शायद उसे ८५ नंबर चलता होगा। मुझे 38 डी लगता है और मेरे निकर का नंबर 95 है। शायद इसी लिए वो मुझे इतना गौर से देखती थी। हम दोनों बेड पर गए। ये खेल मेरे लिए नया था पर वो इसकी उस्ताद थी। उसने मुझे बाहोमे लेके फिरसे गरम किया पहले एक ऊँगली मेरे चूत में डाली और मेरे चूत को रगदने लगी। फिर धीरे धीरे दो उंगली और फिर तीन उंगली मेरे चूत में डाली। दुसरे हाथ से वो चूची दबाती थी। फिर जैसे ही मेरी चूत गीली ही गयी उसने मेरे चूत के उपरी तरफ उंगली ले कर दो उंगली में मेरी चूत की क्लियोरिट्स रगदने लगी। उसने अपना मुह चूत के निचेवाले हिस्से (जहासे लंड अन्दर जाता है ) पे जमाया और अपनी जीभसे मेरे चूत को चोदने लगी। कभी जीभ चूत के अन्दर तक डालती तो कभी ऊपर चारो और घुमती। उंगली से उसका चूत के छेद में ऊपर की तरफ छेडना चालू था। मै इस कदर satisfied हो गयी की मुझे मै कब मेरा पूरा पानी छोड़ चुकी इसका पता ही नहीं लगा। नीता को भी शायद मेरा पानी पिने के बाद ओर्गाजम मिला। वो भी निहाल हो के पड़ी थी। थोड़ी देर बाद हम उठे। कपडे पहने। फिर नीता ने मुझे पूछा -कैसा लगा। मै बोली जिंदगी में पहली बार इतना आनंद आया है। पर तुम ये सब कैसा जानती हो ? नीता बोली वो छोड़ दो तुम्हे ये पसंद आया की नहीं। मैंने कहा - बहोत, बहोत पसंद आया। तुरंत नीता ने कहा फिर हम कल और एक बार मिलेंगे? मैंने जवाब दिया हा-हा क्यों नहीं। मगर कल मै आपको सर्विस दूंगी। नीता ने कहा- जरुर, मुझे तो मर्द अच्छे लगते ही नहीं। मै तो औरत से ही संतुष्ट होती हु।
और फिर कल मिलनेका वादा दोहराके नीता चली गयी। मगर मेरे दिमाग में एक सवाल उठा- इसे अगर मर्द की जरुरत नहीं है तो इसका पति निलेश अपना सेक्स कहा पूरा करता होगा। वो भी तो जवान और सुन्दर है।
यही सवाल मन में लिए मै कल का इंतजार करने लगी।

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