जिंदगी हमें कैसे मोड़ पर लाती है इसका अंदाजा किसे होता है। मै मेरी जिंदगीका मेरे दामादसे जुडा हुआ पन्ना आपके सामने खोलना चाहती थी पर बाकि पन्ने भी अपनेआप खुल गए। बीती यादे जब सुनहरी होती है तो मौका मिलतेही वर्तमान को भुला देती है। कुछ ऐसाही मेरे साथ हुआ। नीता और निलेश- दोनोके साथ गुजरे थे वो मेरे लिए बहोत अनमोल थे इसीलिए जब मेरे दामादका इतना तगडा और बड़ा लंड मैंने देखा तो मेरे दिमागमें दामाद से चुदवानेकी इच्छा अपने आप जगी। मै कोई सती-सावित्री नहीं हु। मगर पतिको छोडके किसी और से सेक्स करनेमें कोई पाप नहीं ये मेरे दिमाग में नीता और निलेशनेही बिठाया था। पति छोडके बाकी मर्दोसे मैंने चुदवा लिया उनके किस्से मेरे दिमाग में इसीलिए आये।खैर छोड़ो।
दुसरे दिन नीता आई। आतेही हम दोनों रोमांसपे उतर आये। दोनों एक दुसरेके बाहोमे समां गए। एक दुजेके मुह में मुह डालकर हम किस कर रहे थे। दोनोंके के कपडे कब अलग हुए इसका पताही नहीं चला। एक दुसरेके बदन को हम चूम रहे थे, सहल रहे थे। नीता मेरे चूची को मुह में लेकर चूस रही थी। बीच-बीचमें कांट रही थी। उसके काटनेसे मै सिहरसी जाती। मेरा रोम-रोम बोल उठ रहा था। मेरे मुह से आवाज नहीं आ रही थी। मै बस आ-ऊँ -ओं करती रही। नीता सचमें सेक्सके इस हिस्सेमें मास्टर थी।मेरे पुरे बदनको वो चाट रही थी। इसका अंदाजा मुझे था इसीलिए मैंने सुबह बच्चे स्कूल जातेही मेरे चूत साफ़ की थी। मेरी चूत बिलकुल बाल-विरहित और चिकनी थी। नाभिपे जीभ घुमाते-घुमाते नीता मेरी चूत की तरफ जा रही थी। जैसेही उसने मेरे चूतको अपने जीभसे स्पर्श किया मै चिहुंक उठी। नीता ने मुह ऊपर करके मुझसे पूछा-भाभी, चूत के बाल अभी-अभी साफ़ किये है क्या ? चूतकी स्किन छोटी बच्ची जैसे नरम लग रही है। मैंने कहा- हा, उसे तुम्हारा स्वागत जो करना था।
अचानक मुझे याद आया। आज तो मै उसे सुख देनेवाली थी। मैंने नीता से कहकर पोझिशन बदली। अब मै उसके बदन से खेल रही थी। मुझे ये खेल बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने जैसेही मेरा मुह उसके चूत पे लाया, मुझे उसके चूतसे बड़ी अच्छी खुशबू आई। इस खुशाबुसे मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। मै उसके चूतके अन्दर अपनी जीभ डालके चाटने लगी। मेरे नाकमें खुशबू और मुहमें मीठा-मीठा पानी भर जा रहा था। नीता अपने चूत को क्या लगाके साफ़ रखती थी ये उसे पूछना जरुरी था। ५ मिनटके अन्दर नीता अपने दोनों पैर जोड़ने लगी। मेरा मस्तक दोनों जान्घोमे दबाने लगी। मेरे समझमें आया। नीता की संतुष्टी अब दूर नहीं थी। बस दो मिनट बाद नीता जोर से अपना बदन उठाके अस्फुट चिल्लाई और शांत हो गयी। कुछ देर दोनों ऐसेही पड़े रहे। फिर थोड़ी देर बाद नीताने फिरसे मेरे जान्घोमे अपनी उंगलिया घुमाने शुरू किया। मै तो पहलेसेही गरम थी। जैसेही उसने मेरे चूत में जीभ लगाई मै मेरा पानी छोड़ने लगी। उतनेमें अपना खेल रोकके नीता ने अपने बैगमेसे डिल्डो निकाला और अपने कमर को डिल्डो बांधके वो मुझपे चढ़ गयी। एक मर्द जैसे उसने वो लंड मेरे चूतमें डाला और जोर-जोरसे चोदने लगी। थोडीही देर में नीता थक गयी। वो निचे उतरके आराम करने लगी। उसके चूत चाटनेसे मै संतुष्ट हो रही थी मगर बिचमेही डिल्डोसे चुदवाना मुझे और प्यासा कर गया। मर्द का लंड छोटा हो या बड़ा, उसकी बात ही अलग होती है। वो लंड की मजा ये लंड में नहीं आती। मै प्यासी नजरोसे नीता की देखने लगी। नीता की समझ में बात आ गयी। उसने धीरेसे मुझे पूछा की वो मुझे अगर किसी लंड का प्रबंध करेगी तो मुझे स्वीकार्य होगा क्या? मै हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगी।
फिर मेरे पास आकर मुझे बाहोमे लेकर उसने मुझे समझाया। उसने कहा वो जिस मर्द का प्रबंध करेगी वो एक अच्छा इन्सान है वो बाहर कही मस्ती करनेवाला नहीं। वो कोई कॉलेजकुमार नहीं तो एक शादी शुदा आदमी है। फिर बादमे उसने धीरेसे कहा वो आदमी कोई और नहीं तो उसका पति ही है। नीता को मर्द से ज्यादा औरत के साथ सेक्स में मजा आता था इसलिए बेचारा भूका ही रहता था। मैंने भी सोचा ये सेफ गेम होगा। दोनों ही प्रतिष्ठित लोग थे इसीलिए अगर इनसे मेरे संबध होगा तो वो दोनों तो कही बाहर ये बात नहीं खोलेंगे।सभी तरफसे सोचानेके बाद मैंने हां कर दी।
दुसरेही दिन नीता और निलेश दोनों मिलके मेरे घर आये। दोनों के लिए ये बात ज्यादा नयी नहीं थी। पर मुझे निलेश से बात करने में शर्म आ रही थी। चाय बनाने के बहाने मै किचेनमें आई। मैंने अन्दरसेही निताको आवाज दी। वो उठके चली आई। उसे मेरी प्रॉब्लम समझमें आई थी। नीता खुद ही कहने लगी- भाभी, तुम चिंता मत करो। मैंने निलेश को सब समझा दिया है। वो भी आपके बारेमे सोचकर बहोत खुश है। आप वैसेभी उसे काफी पसंद हो। आपसे मिलने के बाद उसने दस बार आपके चूची के बारेमे मुझसे मुझसे बात की है। वो तो आपको चोदने के ख्यालसही पानी छोड़ रहा है। फिर मै चाय लेके बाहर हॉल में गयी। निलेश थोडा बेचैन नजर आ रहा था। नीता ने हम दोनोसे छेड़खानी शुरू की। उसने निलेश से सीधा पूछा के वो मुझे कैसे चोदना पसंद करेगा। निलेश इस सवाल के लिए तैयार नहीं था।
सास हो तो ऐसी compleet
Re: सास हो तो ऐसी
मै भी अचंभे में पड़ गयी। हम दोनों को हैरान देखके नीता खुद ही उठ के मेरे पास आ गयी। और मुझे बाहोमे लेके चूमने लगी। उसके इस डायरेक्ट अटैकसे हमारी शर्म कम हो गयी और हम तीनो एक दुसरे से लिपटने लगे। निलेश मुझे बाहोमे लेकर किस करने लगा।साथ ही साथ वो मेरे चूचीको दबा रहा था। उधर नीता हम दोनोके कपडे उतारने लगी उसने पहले निलेश और बादमे मेरे कपडे उतारे। मगर उसने खुद के कपड़ोको हाथ नहीं लगाया। एक हाथ से निलेश का लंड और दुसरे हाथसे मेरी चूत सहलाने लगी। निलेशके लंड को हाथ में लेकर किस करने लगी। दुसरे हाथ की उन्गलिसे वो मेरे चूतमें उंगली चुदाई करने लगी। हम दोनों गरम लगे थे। मै भी निलेश के चुताड़ोंको दबाने लगी। वो मेरे चुतड ऐसे रगड़ रहा था जैसे कोई खाना बनाने से पहले आटा मिलाता हो। नीता निलेश का लंड मुह में लेकर चूस रही थी। उसका लंड बड़ा होने लगा। वो ज्यादा लम्बा लंड तो नहीं था पर जाड़ा बहोत था। उसको मैंने हाथ में लिया तो एक हाथ की मुठी में नहीं समाया। निलेश के लंड की टोप बहोत बड़ी थी। मै और निलेश दोनों पुरे गर्माहट पे थे। नीता की कृपा से मेरी चूत गीली हुई थी और लंड चुसनेसे गिला था। मुझे बेड पे सुलाके मेरे दोनों पैरो के बीच में निलेश आ बैठा। उसने धीरे से मेरे चूत में अपना मुह लगाके और गिला किया और धीरे धीरे मेरे पैर दोनों तरफ तानके अपना लंड का सर मेरे योनिमुख पे रखा। कोई शोला मेरे चूत के द्वार पे रखा हो ऐसा मुझे लगा। फिर धीरेसे उसने अपना लंड अन्दर डालना शुरू किया। इतनी चुदी-चुदाई मेरी चूत थी फिर भी मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी। उसका लंड इतना हैवी था। धीरे धीरे उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर डाला। थोडा आरामसे उसने मुझे चोदना शुरू किया। उसका चोदने का तरीका शर्माजिसे बिलकुल अलग था। शर्माजी पहले स्लो करते थे और धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाते थे। चोदते समय शर्माजी पूरा लंड बहार नहीं निकालते थे। आधा लंड बाहर करके फिर अन्दर पेलते थे। मगर निलेश का स्टाइल अलग था। धक्के लगाते समय वो करीब करीब पूरा लंड बाहर निकालके फिर जोर से अन्दर डालता था। इससे चूत और चूत के ऊपर छे इंच (निचला पेट- जहा सेन्सीटीविटी ज्यादा होती है) जोर से प्रहार होता था। लम्बाई में छोटा होने के बावजुद जोर से प्रहार करनेकी स्टाइल से मेरा बदन जवाब देने लगा। आमतौर पे इतनी जलती मै satisfy नहीं होती। आज निलेश के इतने जोर से चोदने से मै जल्दी ही झड गयी। मेरे झड जाने के बाद भी निलेश के धक्के चालू ही थे। उसका धक्के का स्पीड बढ़ता गया। थोड़ी ही देर में उसने लंड मेरे चूत से निकाला। उसका बम फटनेवाला था। नीता तुरंत आगे आई। उसने निलेश लंड अपने मुह में लिया। लंड मुह में समां नहीं रहा था। वैसेही निलेश ने निताके मुह को चोदना जारी रखा और फिर फट से उसके लंड में से वीर्य आना शुरु हुआ। नीता ने लंड अपने मुह से निकाला नहीं। वो अपनी पति का तीर्थ पूरा का पूरा निगल गयी। मै परेशान होकर देख रही थी। किसी मर्द का वीर्य निगल जाना मेरे लिए नयी बात थी। निताने वीर्य का एक एक बूंद पि लिया। वीर्य पीनेसे वो बहोत खुश नजर आ रही थी। निलेश कभी मेरी ओर तो कभी नीता की ओर देख रहा था। उसके मुख पे प्रसन्नता दिख रही थी। एक साथ मर्द और औरत से चुदवाके मुझे भी बहोत आनंद आया। हमारा ये खेल जब तक हम इंदौर में थे तब तक चला। पति की नोकरी की वजह से हमें इंदौर छोड़ना पड़ा और फिर हम इस नए नए गाव में आये। बच्चे भी अब बड़े हो गए थे। बेटी अब शादी लायक हुई थी इस लिए जब रवि का रिश्ता आया तो हमने स्वीकार किया। रवि की फॅमिली जॉइंट फॅमिली है। और फॅमिली बिज़नेस भी अच्छा है। रवि अनुभव के लिए नोकरी करता था। शादी के बाद उसने नोकरी छोड़ दी और वो अभी पूरी तरह बिज़नेस में लगा। इसीलिए उसे हमारे यहाँ बिज़नेस से छुट्टी लेके आनेको मैंने कहा।
जब रवि आया तब मुझे कहा मालूम था की वो इतने बड़े लंड का स्वामी होगा और मै उसका लंड मेरे चूत में लेने के लिए इतनी दीवानी हो जाउंगी।
जब रवि आया तब मुझे कहा मालूम था की वो इतने बड़े लंड का स्वामी होगा और मै उसका लंड मेरे चूत में लेने के लिए इतनी दीवानी हो जाउंगी।
Re: सास हो तो ऐसी
सुबह करीब छे बजे मै नींदसे जागी। मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था। कल का पुरा दिन मेरा अलागसा रहा था। कल सुबह मैंने रवि को नहानेके बाद नंगा क्या देखा मै उसकी दीवानी बन चुकी थी। कल दिनमे और रातमे रविने मेरे बीते दिनोकी यादोंको तरो ताज़ा कीया था। मेरी यादों ने मुझे बेहाल किया था।रातभर मै ढंगसे सोई नहीं थी। मेरे योनि के ओठ तड़प रहे थे। सुबह होनेसे मजबूरन मुझे उठना पड़ा। बदन के दर्द होते हुए भी मैंने नित्यकर्म निपटाए। चाय बनानेके बाद मैंने बेटीको आवाज दी। रोज आवाज देतेही पहले रवि उठ जाता था। मगर आज पहले बेटी उठी। हमने मिलके चाय पी। फिर मैंने रवि के बारेमे पुछा। मेरी बेटीने बताया के रवि रात में काफी देर जगा था। फिर शरमाते हुए उसने बताया की कैसे रवि उसे लंड चूतमें नहीं तो मुहमें लेनेके लिए जिद कर रहा था। मैंने जब बेटीसे पूछा क्या उसने रवि का लंड मुह में लिया? तो वो तपाक से बोली की उसे लंड मुह में लेने बिलकुल पसंद नहीं। फिर उसमे बताया की उसने अपने चुचे रवि को चूसने दिए और बेचारे रवि को उसी पर संतुष्ट होना पड़ा। मैंने बेटी को समझाया अगर उसे मुहमें लंड लेना पसंद नहीं तो कमसे कम हाथ से तो उसे सहलाना था। फिर मैंने बताया मर्दको चोदनेको नहीं मिलता है तो वो चिढ़ता है। ऐसेमें उसे अगर औरत अपने हाथसे लंड हिलाकर वीर्यपतन करा देती है तो भी कुछ समय के लिए वो चुप हो जाता है।
फिर मैंने बेटी को मालिश करके नहाने के लिए बाथरूम भेजा। मुझे पता था मेरी बेटी को नहानेके लिए एक घंटा तो आरामसे लगेगा। इसीलिए मै रविके रूममें घुस गयी।
रवि बेडपे सोया था। मैंने उसे जगानेके लिए उसके बदनसे चद्दर खिंची। अन्दर साहब नंगेही सो रहे थे। मेरे चद्दर खींचने के बाद भी वो उठा नहीं था। उसका सांवला बदन चमक रहा था। वो पेट के बल सोया था। उसकी पीठ और नितम्ब खुले थे। मुझसे रहा नहीं गया। मै बेडपर बैठ गयी। मैंने धीरे से उसके चुताडोपे अपना हाथ घुमाया। वो नींद में कसमसाया। फिर मैंने उसके जान्घोपे अपने नाख़ूनसे डिजाईन बनाने की कोशिश की। वो नींद में बडबडाया- नेहा, अब सोने दे ना। नेहा मेरी बेटी का नाम था। और वो पेट से मोड़कर बाये बदनपे सो गया। मै भी बेड के दुसरे साइड उठके गयी। और मैंने देखा तो एक साइड होने से रवि लंड खड़ा होके दे रहा था। मैंने बहोत शांति से हाथ लगाया। मुझे डर था कही रवि जाग न जाये। मैंने अब उसके लंड को हाथ में लिया। मेरे हाथ लगतेही लंड और फूलने लगा। मेरे हिसाब से रवि का लंड आठ-नौ इंच लम्बा आराम से था। निश्चिततौर से कह नहीं सकती मगर वो जादा भी हो सकता है। और जाड़ा इतना के मेरे एक हथेलीमें समां नहीं रहा था। उसकी टोपी अनोखी थी। किसी पाइप के ऊपर बड़ा टमाटर रखा हुआ लग रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने हाथ से उसे हिलाना शुरू किया। थोड़ी देर हिलाती रही। फिर मेरे मन से डर हटाते हुए मैंने रविका लंड मुह में लिया। जवान लंड था। एकदम गरम था। मेरे मुह में समां नहीं रहा था। मैंने उसे गले तक अन्दर लिया। और अपना मुह आगे-पीछे करना शुरू किया। थोड़ी देर बाद बाहर निकाल के देखा तो उसपे दो बूंद पानी आया था। शायद वो प्री-कम था। मुझे उसकी नमकीन टेस्ट अच्छी लगी। मैंने लंड को फिर मुहमे लिया और जोर जोर से चूसने लगी। मुझे लग रहा था के शायद रवि उठा हुआ है। क्योंकि कोई मर्द औरत अगर उसका लंड चुसे तो सो नहीं सकता। मगर मै रवि खुद क्या करता है ये देखना चाहती थी। मै जोर जोरसे लंड चूस रही थी। पुरे रूम में चुसनेकी आवाज गूंज रही थी। थोडीही देर में रवि का बदन अकडने लगा। उसका लंड और भी ज्यादा तनने लगा। लंड पे एक एक नस फूलने लगी। उसका बम फूटनेका समय आया ये मैंने पहचाना और मैंने उसका लंड मुह से अलग किया। जैसेही मैंने मुह से लंड को निकलकर बेडसे उठने कोशिश की रवि ने मुझे पकड़ लिया और मुझे बाहोमे लेकर मेरेसे गिडगिडाया - सासुजी खेल आधा मत छोड़ो। सही कहो तो उसने जब मुझे पकड़ा तब मै घबरा गयी थी मगर जैसेही उसने खेल आधा ना छोदनेकी बिनती की तो मैंने पहचाना के खेल तो मेरे हाथमे में है। खेल और रवि दोनों मेरे मर्जीसे आगे चलनेवाले है। और ऐसा मौका मै मेरे हाथसे थोडेही जाने देती।