कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 22:19

गतान्क से आगे ......

पापा खुश हो गये और मेरे गालों पे किस करते हुए बोले,

“ शाबाश, कंचन तुम सुचमुच बहुत समझदार हो. लेकिन तुमने हमे पहले क्यों नहीं बताया ?”

“ कैसे बताती ? हमारी तो आँख लग गयी थी. लेकिन कॅंडल तो जल रही थी ना. आपने हमें पहचाना कैसे नहीं?”

“ कैसे पहचानते? एक तो तुम पेट के बल लेटी हुई हो ऊपर से तुम्हारा मुँह भी ढका हुआ था, और पीछे से तुम बिल्कुल मम्मी की तरह लगती हो.”

“ क्या मुतलब आपका ?”

“ बेटी तुम्हारा डील डोल बिल्कुल मम्मी की तरह है. ऊपर से सोती भी तुम बिल्कुल मम्मी के ही अंदाज़ में हो.”

“ मम्मी के अंदाज़ में सोती हूँ? मैं कुच्छ समझी नहीं?”

“ वो भी जब सोती है तो उसके कपड़े कहाँ जा रहे हैं उसको कोई खबर नहीं होती है. तभी तो हमसे आज ग़लती हुई.”

“हाई राम ! तो क्या हमारे कपड़े….?”

“ हां बेटी तुम्हारा पेटिकोट भी मम्मी की तरह जांघों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और पूरी टाँगें नंगी नज़र आ रही थी.”

“ हाअ….पापा ! आपने हमे ऐसी हालत में देख लिया ?”

“ तो क्या हुआ बेटी ? बचपन में तो हम ना जाने कितनी बार तुम्हें नंगी देख चुके हैं.” अब पापा का डर थोड़ा दूर हो गया था और शायद उनके लंड में फिर से जान आ रही थी.

“ जी बचपन में और अब में तो बहुत फरक है.” मैं शरमाती हुई बोली.

“ फरक है तभी तो हम तुम्हें पहचान नहीं सके. अब तो तुम्हारी जांघें बिल्कुल तुम्हारी मम्मी की तरह हो गयी हैं. इसके इलावा एक और भी कारण था जो हम समझे कि यहाँ मम्मी लेटी है.”

“ और क्या कारण था ?”

“ नहीं छोड़ो वो हम नहीं बता सकते.”

“ प्लीज़ बताइए ना पापा.”

“ नहीं बेटी वो बताने लायक नहीं है.”

“ ठीक है नहीं बता सकते तो हम कल ही मम्मी को बता देंगे की आपने हमारे कपड़े…..”.

“ नहीं नहीं बेटी ऐसा अनर्थ मत करना.”

“ तो फिर बता दीजिए.”

“ समझ नहीं आता कैसे बताएँ.”

“ अरे पापा हम भी तो शादी शुदा हैं. और फिर अपनी बेटी से क्या च्छुपाना ? बता दीजिए ना.” मैने पापा को उकसाते हुए कहा. मुझे पता था कि अभी तो शराब के नशे में वो सब कुच्छ बता सकते हैं.

“ ठीक है बता देते हैं. देखो बेटी बुरा मत मानना. सोते वक़्त तुम्हें कम से कम अपने कपड़ो का तो ध्यान रखना चाहिए. आज तो तुम्हारा पेटिकोट बिल्कुल ऊपर तक चढ़ा हुआ था और सच कहें बेटी, तुम्हारे नितूंब भी बिल्कुल तुम्हारी मम्मी की तरह बड़े बड़े हैं. यहाँ तक की तुम्हारी जांघों के बीच में से तुम्हारी गुलाबी पॅंटी भी नज़र आ रही थी. तुम्हारी मम्मी के पास भी बिल्कुल ऐसी ही पॅंटी है. सोते पे तुम पैर भी अपनी मम्मी की तरह फैला के सोती हो. तभी तो तुम्हारे वहाँ के….. हमारा मतलब है…… तुम्हारी जांघों के बीच के बॉल भी पॅंटी में से बाहर निकाल रहे थे. तुम्हारी मम्मी भी जब टाँगें फैला कर सोती है तो उसके वहाँ के बॉल पॅंटी से बाहर निकले हुए होते हैं. हमे ये बहुत ही मादक लगता है. इसलिए तुम्हारी मम्मी अक्सर हमे रिझाने के लिए भी जान बुझ कर ऐसे सोती है. हमे लगा कि तुम्हारी मम्मी हमें रिझा रही है.बस इसी कारण ग़लती ही गयी.”

“सच पापा हमे तो बहुत शरम आ रही है. आपने तो हमारा सब कुच्छ देख लिया.”

“अरे बेटी इसमें शरमाने की क्या बात है ? सब कुच्छ कहाँ देखा . थोड़ा बहुत देख भी लिया तो क्या हुआ ? आख़िर हम तुम्हारे पापा हैं.”

“ हमे तो अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि आप हमे पहचान नहीं सके.”

“तो तुम सोचती हो कि हमने जान बुझ के तुम्हारे कपड़े उतारे ? नहीं बेटी, तुम्हें बिल्कुल अंदाज़ नहीं है कि तुम कितनी अपनी मम्मी की तरह लगने लगी हो. आज तो दूसरी बार है, हमे तो पहले भी एक बार बहुत ज़बरदस्त धोका हो चुक्का है.” मैं ये सुन कर चौंक उठी.

“ पहले कब आपको धोका हुआ ?”

“ बेटी एक दिन किचन में पानी पीने गया था. तुम शायद नहा के निकली थी और सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में ही थी. बदन गीला होने की वजह से ब्लाउस और पेटिकोट भी तुम्हारे बदन से चिपके जा रहे थे. तुम्हारी पीठ मेरी तरफ थी और तुम आगे झुक कर फ्रिज में से कुच्छ निकाल रही थी. मैं तो समझा की तुम्हारी मम्मी है.”

“ फिर क्या हुआ ?”

“ बस बेटी अब आगे बताने लायक बात नहीं है.”

“ बताइए ना….प्लीईएआसए पापा..” मैने बारे ही मादक स्वर में कहा. मैं उनकी वासना की आग फिर से भड़का देना चाहती थी ताकि वो खुल कर मुझसे बात कर सकें.

“ तुम तो बहुत ही ज़िद्दी हो. सच बेटी , पीछे से तुम बिल्कुल अपनी मम्मी जैसी लग रही थी. बिल्कुल मम्मी की तरह ही फैले हुए नितूंब हैं तुम्हारे. मुझे शक इसलिए भी नहीं हुआ क्योंकि तुमने वोही गुलाबी रंग की पॅंटी पहनी हुई थी जो आज पहनी है और जैसी मम्मी के पास भी है. और ठीक उसी तरह वो पॅंटी तुम्हारे इन नितुंबों के बीच में सिमटी जा रही थी जैसे ये मम्मी के नितुंबों के बीच में सिमट जाती है.” पापा फिर से मेरे चूतरो को पॅंटी के ऊपर से सहलाते हुए बोले.मेरा पेटिकोट तो पहले से ही कमर तक ऊपर चढ़ा हुआ था.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 22:20

“ हाई पापा ! आपने तो अपनी बेटी की पॅंटी तक देख ली ?. और आज तो दूसरी बार देखी है. सच, हमे तो ये सोच सोच के ही बहुत शरम आ रही है.”

“ क्या करता बेटी ? एक तो तुम झुकी हुई थी और ऊपर से गीला पेटिकोट तुम्हारे नितुंबों पे चिपका जा रहा था. पॅंटी सॉफ नज़र आ रही थी. बस एक बहुत बड़ी ग़लती होते होते बची.”

“ कैसी ग़लती पापा?”

“ मैं तो पीछे से हाथ डाल के तुम्हें मम्मी समझ कर पकड़ने ही वाला था.”

“तो इसमें कैसी ग़लती ? एक बाप ने बेटी को पीछे से पकड़ भी लिया तो क्या हुआ ?”

“ नहीं नहीं तुम समझी नहीं. हम तो वो चीज़ पकड़ने जा रहे थे जो एक बाप अपनी बेटी की नहीं पकड़ सकता.”

“ ऐसी भी क्या चीज़ है हमारे पास पापा जो आप नहीं पकड़ सकते ?”

“ बस बेटी अब ज़िद ना करो. आगे हम नहीं बता सकते.”

“क्यों पापा….? प्लीईआसए…! बताइए ना…”

“नहीं नहीं अब आगे नहीं बता सकते. ज़िद ना करो.”

“ठीक है मत बताइए. हम ही कल सुबह मम्मी को सुबकुच्छ बता देंगे.”

“ऊफ़.. तुम तो बहुत खराब हो गयी हो. अच्छा बेटी बता देते हैं. हम तुम्हें मम्मी समझ कर तुम्हारी टाँगों के बीच में से हाथ डाल कर तुम्हारी उसको पकड़ने वाले थे.”

“ हाई राम ! पापा आप तो सुचमुच बहुत खराब हैं. क्यों इस तरह परेशान करते हैं आप मम्मी को ?” मैं पापा के साथ चिपकते हुए बोली. अब तो उनका लंड लोहे की रोड की तरह तना हुआ था. इस बातचीत के दौरान उनके हाथ अब भी मेरी चूचिओ पर थे, लेकिन अभी तक उन्हें इस बात का एहसास नहीं था.

“ हम नहीं, तुम्हारी मम्मी हमें परेशान करती है. उसकी है ही ऐसी कि जब तक दिन में एक दो बार ना पकड़ लें, हमे चैन नहीं आता.” अब तो पापा का लंड मेरे चूतरो में चुभ रहा था. मेरी चूत भी उनकी बातें सुन के गीली हो गयी थी. उनका डर दूर हो गया था और अब शराब का सरूर फिर असर कर रहा था. मैने उन्हें और बढ़ावा देते हुए पूचछा,

“ सच बहुत प्यार करते हैं आप मम्मी से. लेकिन ऐसा भी क्या है मम्मी कि उसमें जो आप हमेशा उतावले रहते हैं ?”

“ हाई बेटी क्या बताएँ, तुम तो शादीशुदा हो इसलिए तुम्हें बता सकते हैं. तुम्हारी मम्मी की वो तो बहुत फूली हुई है. बहुत ही जानलेवा है. हमने सोचा कि क्यों ना दिन की शूरवात अपनी प्यारी बीवी की फूली हुई उसको पकड़ के करें. हमने तो सपने में भी नहीं सोचा था की तुम हो. हमारे आने की आहट सुन के जब तुम सीधी हुई तब हमे पता चला कि वो मम्मी नहीं तुम थी. नहीं तो अनर्थ हो जाता. बोलो बेटी अब भी कहोगी कि एक बाप ने बेटी को पीछे से पकड़ लिया तो क्या हुआ ?”

“ हम तो अब भी वही कहेंगे पापा. अगर ग़लती से आपने हमारी वो पकड़ भी ली होती तो क्या हुआ. ग़लती तो सभी से हो जाती है.” मैं अब पापा को उकसा रही थी.

“ बेटी वोही ग़लती आज रात भी होने जा रही थी.”

“ तो क्या हुआ? ग़लती किसी की भी हो माफ़ कर देनी चाहिए और फिर आप तो हमारे पापा हैं, हम आपकी ग़लती माफ़ नहीं करेंगे तो फिर किसकी माफ़ करेंगे .”

पापा बारे प्यार से फिर मेरे गालों को चूमते हुए बोले,

“सच हमारी बिटिया तो बहुत समझदार है. लेकिन आज हमे, तुम्हारे और मम्मी के बीच एक फरक ज़रूर नज़र आया.”

“वो क्या पप्पू?”

“तुम्हारी वो तो मम्मी से भी ज़्यादा फूली हुई है.”

“हाई राम! आपको कैसे पता?” मैने चोन्क्ने का नाटक करते हुए पूचछा.

“बेटी अभी जब तुम गहरी नींद में सो रही थी तो हमने मम्मी समझ के तुम्हारी उसको सहला दिया था.”

“हे भगवान!.......सच?”

“देखो बुरा ना मानो बेटी, तुम जानती हो ये अंजाने में हो गया.”

“और क्या क्या फरक देखा आपने? ज़रा हमें भी तो पता लगे.”

“ बस एक और फरक ये है की तुम्हारी छातियाँ बहुत सख़्त और सुडोल हैं और तुम्हारी मम्मी की अब ढीली होती जा रही हैं.”

“लगता है आपकी ये ग़लती हमें कुच्छ ज़्यादा ही महेंगी पड़ रही है. और बताइए, और क्या क्या फरक देख लिया आपने?”

“बस बेटी इतना ही. उसके बाद तो तुम जाग गयी.”

“मान लीजिए मैं नहीं जागती, तो फिर क्या होता?”

“तब तो अनर्थ हो जाता.”

“क्या अनर्थ हो जाता?”

“देखो बेटी तुम तो जानती हो हम आज 15 दिन बाद आए हैं. हम तुम्हारे साथ वो ही कर बैठते जो एक पति अपनी पत्नी के साथ करता है.”


rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 22:20

“लेकिन पापा आप तो कल फिर दो महीने के लिए जा रहे हैं. आप तो इस वक़्त मम्मी को बहुत मिस कर रहे होंगे?” पापा लंबी साँस लेते हुए बोले,

‘क्या करें बेटी किस्मत ही खराब है.”

इस बात पे मैं बनावटी गुस्सा करते हुए बोली,

“अच्छा! तो आप मुझे कोस रहे हैं, कि मैं क्यूँ यहाँ सोने आ गयी?”

“नहीं बेटी ऐसी बात नहीं है. तुम यहाँ लेटो हमे तुम्हारे पास भी बहुत अच्छा लग रहा है.” ये कहते हुए पापा ने फिर मेरे गालों को चूम लिया.

मैं ठंडी साँस भरती हुई बोली,

“ये तो आप हमे खुश करने के लिए बोल रहे हैं. एक बात पूछु, सच सच बताएँगे?”

“पूच्छो बेटी.”

“आपने आज हमारी दो चीज़ें देखी. देखी ही नहीं बल्कि हाथ भी लगाया. वो दोनो चीज़ें मम्मी की ज़्यादा अच्छी हैं या हमारी?”

“ये कैसा सवाल है? ये हम कैसे कह सकते हैं?”

“क्यूँ नहीं कह सकते. मम्मी की उन चीज़ों को तो आप रोज़ ही हाथ लगाते हैं, और आज आपने हमारी उनको भी हाथ लगा के देख लिया है. बताइए ना प्लीज़...” मैने अपने चूतरो को पापा की ओर उचकाते हुए कहा. पापा का लंड अब तना हुआ था और मेरे चूतरो की दरार में फँस गया था. अब पापा भी वासना की आग में जल रहे थे. उन्होने मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में कस लिया और सहलाते हुए बोले,

“तुम्हारी अच्छी हैं बेटी. तुम्हारी ये तो कहीं ज़्यादा फूली हुई है. तुम्हारी छातियाँ भी कहीं ज़्यादा सख़्त और कसी हुई हैं. तुमने तो हमें सुहाग रात की याद दिला दी”

“आऐईयईई……..इसस्स्स्स्सस्स……पापा ! ये क्या कर रहे हैं? प्लीज़….से ! छोड़िए ना…. ऊपफ़ आपने तो अपनी बेटी की ही पकड़ ली. अपनी बेटी के साथ…….”

“ बेटी अभी अभी तुम ही ने तो पूचछा था, किसकी अच्छी है. हम तो सिर्फ़ एक बार फिर चेक कर रहे हैं कि तुम्हारी कितनी अच्छी है.” पापा मेरी चूत को सहलाते हुए बोले.

“इसस्सस्स…..एयाया…… अब छोड़ भी दीजिए. चेक तो कर लिया ना.” लेकिन मैने अपने आप को छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की. बल्कि अपने बदन को इस तरह से अड्जस्ट किया कि मेरी चूत अच्छी तरह से पापा के हाथ में समा जाए.

“बस थोड़ा और चेक कर लें ताकि शक की कोई गुंजाइश ना रहे.” पापा मेरी फूली हुई चूत को अपनी मुट्ठी में मसल्ते हुए बोले.

“ हाई राम ! पापा… ! कितने खराब हैं आप? कितनी चालाकी से हमारी वो पाकर ली.” अब तो पापा खुले आम मेरी चूत को मसल रहे थे और सहला रहे थे.

“ ईइसस्सस्स…. छोड़िए ना….पापा…आआआअ…. प्लीज़.… अब तो देख लिया ना आपकी बेटी की कैसी है, अब तो छोड़ दीजिए.”

“इतनी जल्दी कैसे पता चलेगा ? हमे अच्छी तरह देखना पड़ेगा.”

“अब और कैसे देखेंगे… छोड़िए भी.”

“सच बेटी टाँगों के बीच में तो तुम अपनी मम्मी से भी दो कदम आगे हो.”

“ क्या मट्लब है आपका ?”

“तुम्हारी वो तो बिकुल डबल रोटी की तरह फूली हुई है.”

“ हाई पापा ऐसी तो सभी लड़कियों की होती है.”

“नहीं बेटी सभी की इतनी फूली हुई नहीं होती.”

“अच्छा जी ! तो और कितनों की पकड़ चुके हैं आप ?”

“ सच तुम्हारी मम्मी की छोड़ के और किसी की नहीं.”

“झूट !”

“तुम्हारी कसम बेटी. हमने आज तक किसी दूसरी औरत के बारे में सोचा तक नहीं, उसकी वो पकड़ना तो दूर की बात है.”

मैं ये बात तो अच्छी तरह जानती थी कि पापा ने मम्मी को कभी धोखा नहीं दिया. वो तो मम्मी के ही दीवाने थे. पिच्छाले 25 सालों से उन्होने सिर्फ़ एक ही औरत को चोदा था. और वो थी मेरी मम्मी. लेकिन मैने सोच लिया था कि आज की रात वो एक दूसरी औरत को चोदेन्गे -- उनकी प्यारी बेटी.

“अगर हम सबूत पेश कर दें कि आपने दूसरी औरत की भी पकड़ी है तो ?”

“हम ज़िंदगी भर तुम्हारे गुलाम बन जाएँगे.” पापा बड़े विश्वास के साथ बोले.

“सोच लीजिए.”

“इसमें सोचना क्या है?”

“ अच्छा, तो इस वक़्त आप इतनी देर से मम्मी की मसल रहे हैं ?”

“ओह…! ये कोई दूसरी औरत थोड़े ही है. ये तो हमारी प्यारी बिटिया रानी है.” पापा ने फिर से मेरे गाल को चूमते हुए मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में ज़ोर से दबा दिया.

“ आआईयइ…ईईस्स्स्स्स्स्स………धीरे……तो क्या बेटी औरत नहीं होती है ?”

“ औरत होती है लेकिन दूसरी औरत नहीं कहलाती है. वो तो अपनी ही होती है ना.”

“अगर आपने अच्छी तरह चेक कर लिया हो कि आपकी बिटिया की कितनी फूली हुई है तो अब हमारी छोड़ भी दीजिए प्लीज़.....”

क्रमशः.........


Post Reply