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Re: बाली उमर में पहला प्यार old but gold sex story

Posted: 04 Aug 2019 07:48
by admin
दो घंटे तक आंखों की इस मुलाकात का सुरूर उतरा भी नहीं था कि निशांत की वापसी हुई। तीनों सहेलियां बाहर के बरामदे में बैठी थी..। एक बार फिर वही भोली सूरत, कातिल दबी मुस्कान के साथ ...। इस बार रिया उसे लौटते हुए पीछे से भी देर तक देखती रही... जब तक आखों से वह ओझिल न हो गया। लेकिन जाते जाते निशांत की टीशर्ट के पीछे की तरफ लिखा उसका नाम आज रिया को पता चला। दरअसल निशांत रोज अ पने नाम लिखी हुई सफेद टी-शर्ट पहनकर हर शाम को उसी वक्त क्रिकेट की प्रेक्टिस के लिए मैदान जाता था।


अब तो निशांत के आने और जाने का वक्त भी रिया और उसकी दोनों सहेलियों को पता चल चुका था, लिहाजा रोज शाम पौने पांच बजे पारूल के घर के पीछे वाले दरवाजे पर खड़े होकर निशांत का इंतजार किया जाने लगा। निशांत भी अब रोज आइने के सामने सज संवरकर घर से निकलता । उसे भी तो रिया के सामने अच्छा दिखना था। अब ये रोज का मसला हो चला था। ठीक समय पर निशांत का सामने से निकलना और रिया का दरवाजे पर खड़ा मि‍लना .... दोनों की नजरें टकराना, थोड़ा शरमाना, थोड़ा मुस्काना ।एक मौन प्रेम कहानी परवान चढ़ रही थी।

वो हौले से देखते हैं छुप कर
यहां दिल धड़कते हैं छुप-छुप कर

निशांत के शर्मीले स्वभाव पर कभी-कभी गुस्सा भी आता। उसके न बोल पाने के कारण तीनों मिलकर उसकी खि‍चाई भी करती। जब भी निशांत सामने से निकलता तीनों उसे छेड़ते हुए उस पर कमेंट करती और ठहाका लगा देती। निशांत बेचारा हिम्मत भी नही जुटा पाता। रिया कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गई थी, किसी शादी में तभी शर्मीले स्वभाव के निशांत ने पारूल से उसके घर का नंबर पता किया और रिया के न दिखाई देने का कारण भी ये कुछ दिनों की दूरी दोनों को और भी करीब ला रही थी। जब रिया घर वापस लौटी तो अपनी सबसे प्रिय जगह, छत पर जाकर निशांत को निहार ही रही थी, इतने में पारूल वहां आ गई और रिया से उसके घर चलने कह जिद करने लगी। जब रिया पारूल के घर पहुंची तो कुछ ही देर बार फोन की घंटी बजी। पारूल ने कहा- उठा ले, तेरे ही लिए है।
अब दिल ही नही धड़कते, आवाज भी आती है उसकी बातें भी मन को खूब लुभातीं हैं

Re: बाली उमर में पहला प्यार old but gold sex story

Posted: 04 Aug 2019 07:48
by admin
यहीं से निशांत और रिया की पहली बात शुरू हुई, जहां दोनों ने एक दूसरे के बारे में जाना। अब अक्सर दोपहर के वक्त पर बातें हुआ करती थी, जब रिया के घर पर कोई नहीं होता। सुबह इशारों में फोन करने का समय बता दिया जाता और रिया अपने घर के दो फोन में से एक का कनेक्शन निकाल देती, ताकि दूसरे फोन से कोई उसकी बातें न सुन ले। धीरे से मोबाइल फोन का जमाना भी आ गया और दोनों की मैसेज अैर कॉल से रातों को बातें होने लगी।


अब चल पड़ा था सिलसिला उनकी बातों का
दिल उधर धड़कता था, आवाज यहां आती थी

निशांत जब बात किए बगैर सो जाता, तो रिया घंटों तक बि‍स्तर पर लेटे-लेटे रोती रहती। फिर सुबह छत पर भी निशांत की तरह चेहरा नहीं करती। लेकिन जल्दी मान भी जाती। यही बात निशांत को बहुत पसंद भी थी। दीप्ति दोनों के बीच उपहारों या संदेशों का कभी कभार आदान प्रदान कर दिया करती थी। एक दिन निशांत ने दीप्ति को बताया कि उसकी नौकरी लग गई है और वह शहर के बाहर जा रहा है...। बगैर बात किए वह चला भी गया। इन दिनों रिया ने जुदाई के पलों को बेहद करीब से जिया था। लेकिन ये वक्त भी ज्यादा समय तक नहीं रहा। निशांत को नौकरी पसंद नहीं आई ओर वह 1 महीने बाद लौट आया। रिया की जान में जान आई।
तुम क्या गए वो एक एहसास चला गया
अपनों के बीच से उठकर कोई खास चला गया

अब इस रिश्ते को 3 साल हाने को आए थे, और रिया ने वारहवीं पास कर ली थी। अब रिया ने मुंबई के कॉलेज में एडमिशन ले लिया था। दोनों के बीच तय हुआ कि निशांत हर महीने रिया से मिलने मुंबई जाएगा। रिया ने शहर छोड़ दिया। और मुंबई में एक हॉस्टल में रहने लगी। यहां भी दोनों के बीच प्यार कम नहीं हुआ। लेकिन दो साल बाद रिया की जिंदगी में कई सारे मोड़ आ गए थे। निशांत कभी मुंबई नहीं आया ... और रिया भी अब बदल चुकी थी। शहर की हवा का रंग उसके परों में लग चुका था और वह बहुत दूर जा चुकी थी। अब केवल दोनों एक दूसरे को बस याद किया करते थे। >
जिंदगी ने उसके साथ ये कैसा सौदा किया,
दुनिया की समझ देकर, मासूमियत छीन ली

अब केवल दोनों एक दूसरे को बस याद किया करते थे। जब तक रिया के पैर जमीन पर आए, वह बहुत कुछ पीछे छोड़ चुकी थी। लेकिन आज भी गर्मियों की सुबह और शाम रिया को वही दिन याद आते हैं। पहला प्यार जो था।>
बीते हुए लम्हाें की कसक याद तो होगी ख्वाबों में ही सही मुलाकात तो होगी