Badla बदला compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Badla बदला compleet

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 10:02

बदला पार्ट--1

हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी बदला लेकर
आपके लिए हाजिर हूँ
"आइए-2,सहाय साहब....बैठिए!",केसवानी ने अपनी कुर्सी से उठ के सुरेन सहाय
का स्वागत किया.

"नमस्ते केसवानी जी!क्या हाल है?",दोनो ने हाथ मिलाया & फिर सुरेन जी
उसके डेस्क के सामने रखी 1 कुर्सी पे बैठ गये.उनके साथ 1 और शख्स आया था
जोकि हाथ मे 1 लेदर बॅग पकड़े उनके पीछे ही खड़ा रहा.

"बस आपकी दुआ है."

"ये लीजिए..आपकी पेमेंट.",सहाय जी ने हाथ पीछे किया तो उस शख्स ने बॅग मे
से 1 स्चेक बुक & 1 नोटो की गद्दी निकाल के उन्हे थमा दी,"....70%स्चेक &
बाकी कॅश.",सहाय जी ने स्चेक काट के कॅश के साथ केसवानी को थमा दिया.

"अरे....सहाय साहब आपने इसके लिए इतनी तकलीफ़ क्यू की?अपने किसी आदमी को
ही भेज दिया होता...",केसवानी ने नोटो & स्चेक को अपने डेस्क की दराज़ के
हवाले किया.

"आप तो जानते ही हैं,केसवानी जी की शाम लाल जी ने जबसे हमारा मॅनेजर का
काम छ्चोड़ा है,हमे ही सब देखना पड़ रहा है."

"जी,वो तो है.अब शाम लाल जी जैसा दूसरा आदमी मिलना भी तो मुश्किल है."

"बिल्कुल सही फरमाया आपने..",1 नौकर शरबत के ग्लास रख गया तो सहाय जी ने
उसे उठा कर 1 घूँट भरा,"..लेकिन वो भी क्या करते....पता है केसवानी साहब
वो हमारे साथ तब से थे जब मैं कॉलेज मे पढ़ाई करता था.बिज़्नेस के सारे
काम..ये पेमेंट्स लेना या देना सब वही संभालते थे..मुझे तो कभी लगा ही
नही था की वो हमे छ्चोड़ के जाएँगे मगर वो भी क्या करते?बेटा वाहा
बॅंगलुर मे बस गया अब चाहता था की मा-बाप उसी के साथ रहें..ऐसे मे कौन
इंसान नौकरी के चक्कर मे पड़ा रहेगा.",उन्होने 1 और घूँट भरा,"..बड़े
किस्मत वाले हैं शाम लाल जी..जवान बेटे ने उनकी ज़िम्मेदारी अब अपने कंधे
ले ली है.",उनके चेहरे पे जैसे 1 परच्छाई सी आके गुज़र गयी.

"अच्छा..अब इजाज़त दीजिए,केस्वनी जी.",सहाय जी उठ खड़े हुए & अपने उस
आदमी के साथ वाहा से निकल गये.

"सारा काम निपट गया,शिवा.",अपनी मर्सिडीस की पिच्छली सीट पे बैठ के
उन्होने ड्राइवर को चलने का इशारा किया.

"हां,सर."

"तो तुम जाके अपने भाई & उसके परिवार से मिल आओ..",उन्होने अपनी घड़ी को
देखा,"..अभी 4 बज रहे हैं..9 बजे तक आ जाना,फिर हम घर के लिए निकल
जाएँगे.",कार पंचमहल की सड़को पे दौड़ रही थी.

"ठीक है,सर.",शिवा सहाय जी का बॉडीगार्ड था.ऐसा नही था कि सहाय जी को कोई
जान का ख़तरा था मगर वो 1 पक्के बिज़्नेसमॅन जानते थे कि 1 व्यापारी को
रुपये पैसो के मामले मे एहतियात बरतनी ही चाहिए.

शिवा कोई 10 साल पहले उनके पास काम के लिए आया था लेकिन शिवा के बारे मे
जानने से पहले हम थोड़ा सहाय जी के बारे मे जान लेते हैं.सुरेन सहाय
रायबहादुर मथुरा सहाय के पोते & कैलाश सहाय के बेटे थे.सहाय ख़ानदान का
अगर कोई सबसे बड़ा गुण था तो वो था समय के साथ चलना & वक़्त की ज़रूरतो
के मुताबिक खुद को ढाल लेना.

मथुरा सहाय को अंग्रेज़ो ने रायबहादुर के खिताब से नवाज़ा था.पंचमहल से
आवंतिपुर जाने वाले हाइवे पे पंचमहल से कोई 50 किमी की दूरी पे 1 कस्बा
पड़ता है हलदन.इस कस्बे के आते ही अगर आप हाइवे से बाई तरफ निकल रही सड़क
पे चले जाएँ तो सहाय एस्टेट मे दाखिल हो जाएँगे.

मथुरा जी के पास थोड़ी सी ज़मीन थी जिसे उन्होने अंग्रेज़ो को खुश करके
बहुत बढ़ा लिया था.उनके बाद जब कैलाश जी ने उनकी जगह ली तो उन्होने नये-2
आज़ाद हुए मुल्क की सरकार को खुश करके सहाय एस्टेट की नीव रखी.इस वक़्त
कयि एकर्स मे फैली इस संपत्ति के बस दो वारिस थे सुरेन जी & उनका छ्होटा
भाई वीरेन सहाय जिसे कभी भी खानदानी बिज़्नेस मे कोई दिलचस्पी नही रही तो
1 तरह से अभी इस पूरी मिल्कियत के अकेले मालिक सुरेन जी ही थे.

सुरेन जी ने भी अपने पूर्वाजो के नक्शे कदम पे चलते हुए बिज़्नेस को नयी
बुलंदियो तक पहुँचाया.एस्टेट की ज़मीनो पे गेहू & हरी सब्ज़ियो के
खेत,पोल्ट्री फार्म,डेरी & 1 घोड़ो का स्टड फार्म था.पूरे पंचमहल &
आवंतिपुर के बाज़ारो मे सब्ज़ी,गेहू & पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स-अंडे & मीट के
सबसे बड़े सुप्पलायर्स थे सहाय जी.अब तो उन्होने 1 आटा मिल भी खोल ली थी
& अपने गेहू को पिसवा कर उसकी पॅकिंग कर बाज़ारो मे बेच रहे थे.

यू तो हमारे मुल्क मे जुआ 1 जुर्म है मगर 1 जुआ है जोकि लगभग हर बड़े शहर
मे खेल जाता है & उसे क़ानून की मंज़ूरी भी मिली हुई है,वो है घुड़
दौड़.इन दौड़ो मे रईसो के घोड़े दौड़ते हैं.अब कुच्छ तो खुद इन घोड़ो को
पालते हैं मगर ये घोड़े आते कहा से हैं-स्टड फार्म्स से.सहाय फार्म्स
मुल्क के नामी गिरामी लोगो को घोड़े मुहैय्या कराता था.

सुरेन जी को बिज़्नेस मे बहुत मन लगता था & उसे वो हरदम आगे बढाने के
नयी-2 तरकीबे सोचते रहते थे.इसी वजह से उनका धंधा बड़ी तेज़ी से फल-फूल
रहा था.उनके बरसो पुराने मॅनेजर शाम लाल के जाने से उन्हे इधर 1 महीने से
थोड़ी परेशानी उतनी पड़ रही थी & इसे दूर करने के लिए वो 1 नये मॅनेजर की
तलाश मे जुटे हुए थे.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: Badla बदला

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 10:02

अब शिवा के बारे मे भी जान लेते हैं.सुरेन जी को खुद के अलावा बस 3 और
लोगो पे भरोसा था-1 तो शाम लाल जी,दूसरी उनकी बीवी & तीसरा शिवा.कोई 10
साल पहले की बात है जब शिवा उनके पास आया.सुरेन जी की एस्टेट कोई 3-4
बड़े गाओं के बराबर थी.इतनी बड़ी प्रॉपर्टी की केवक़ल देखभाल ही नही
हिफ़ाज़त भी ज़रूरी थी.देखभाल के लिए तो दुनिया भर के लोग थे मगर
हिफ़ाज़त के लिए सुरेन जी को 1 बहुत ही भरोसेमंद & ज़िम्मेदार आदमी की
तलाश थी.

अभी तक तो वो बस कुच्छ चौकीदारो के भरोसे ही थे.पूरी एस्टेट के चारो तरफ
बाँस & लकड़ी की बल्लियो की 1 5 1/2 फिट ऊँची बाड थी मगर ये बस एस्टेट की
सीमा बताने का काम करती थी,चोरो को रोकने का नही.इधर चोरिया कुच्छ
ज़्यादा बढ़ गयी थी,कभी कोई बकरी उठा ले जाता तो कभी सब्ज़िया उखाड़
लेता.सुरेन जी जानते थे की यही छ्होटी-मोटी चोरिया आगे जाके किसी बड़े
नुकसान का भी सबब बन सकती हैं.24 घंटे एस्टेट की निगरानी करना पोलीस के
बस का भी नही था,इसके लिए तो उन्हे खुद ही कुच्छ करना था.

शिवा जब उनके पास आया वो 30 बरस का था & उसने फौज मे 5 साल बिताए थे.उसका
इंटरव्यू लेते हुए सुरेन जी ने उस से एस्टेट की सेक्यूरिटी की बाबत ही
सारे सवाल पुच्छे & उसके जवाबो ने उन्हे काफ़ी प्रभावित किया.उनकी
तजुर्बेदार आँखो ने उसपे दाँव लगाने की ठान ली & उसे एस्टेट सेक्यूरिटी
इंचार्ज बना दिया.शिवा ने भी उन्हे निराश नही किया & 2 महीनो के अंदर ही
उसने 50 गार्ड्स की टीम तैय्यार कर ली & अपने फौज के तजुर्बे का इस्तेमाल
करके एस्टेट की पूरी सेक्यूरिटी का पक्का बंदोबस्त कर दिया.

शिवा 1 6'4" का सलीके से कटे बालो & पतली मूच्छो वाला तगड़ा मर्द था.उसकी
सबसे बड़ी ख़ासियत थी की वो अपने काम से काम रखता था & बहुत कम बोलता
था.सुरेन जी तो उसकी वफ़ादारी के कायल थे & 3 साल बीतते-2 उन्होने उसे
एस्टेट के 1 घर से उठा के अपने बंगले मे रख लिया.उस बंगले मे जहा की
सिर्फ़ वो अपनी बीवी & बेटे के साथ रहते थे.जब भी वो कही जाते शिवा साए
की तरह उनके साथ होता.साल मे बस 2 बार-होली & दीवाली,पे 2 दीनो के लिए वो
पंचमहल मे रह रहे अपने बड़े भाई के पास जाता लेकिन इस बार शाम लाल जी की
वजह से उसे 1 और मौका मिल गया था उनसे मिलने का.

रास्ते मे शिवा कार से उतर गया & कार सहाय साहब के शहर के बंगले की ओर
बढ़ी चली.शिवा ने 1 टॅक्सी पकड़ी & अपने भाई के घर की ओर चला गया.ठीक उसी
वक़्त 1 मारुति स्विफ्ट उनकी कार के पीछे लग गयी.मर्सिडीस उनके बंगले मे
दाखिल हो गयी तो वो स्विफ्ट कुच्छ दूरी पे रुक गयी & उसे चलाने वाला
ड्राइवर अपनी नज़र बंगल के गेट पे गड़ाए बैठा रहा.

थोड़ी अर बाद 1 टॅक्सी गेट पे रुकी & उसमे से 1 जवान लड़की उतरी & गेट पे
खड़े गार्ड से कुच्छ कहा.उसे देखते ही उस आदमी ने स्विफ्ट आगे बधाई &
बंगल के सामने से होता हुआ बंगले के बगल की गली मे घुस गया.उसने कार
बंगले की दीवार से लगाई & फुर्ती के साथ बाहर उतरा.उसने अपने चेहरे पे 1
काला नक़ाब पहना हुआ था जिसमे से बस उसकी आँखे नज़र आ रही थी.उसने आस-पास
देखा,गली हमेशा की तरह सुनसान थी.उसने 1 महीने पहले से रोज़ यहा का
जायज़ा लिया था & पूरी प्लॅनिंग करने के बाद ही यहा आया था.

उसने पैरो मे रब्बर सोल वाले जूते पहने थे & हाथो मे दस्ताने.वो कार की
छत पे चढ़ गया & फिर वाहा से बंगले की दीवार पे & अगले ही पल वो बंगले की
लॉन की घास पे था.थोड़ी ही देर मे वो बंगले मे दाखिल हो चुका था.

"हां?",बंगले के बेडरूम मे आके सुरेन जी ने अपने कपड़े उतारना शुरू किया
ही था की तभी इंटरकम बजा,"..हां,मैने ही बुलाया था उसे उपर मेरे कमरे मे
भिजवा दो.",सहाय साहब की उम्र 50 बरस की थी & उनका कद था 5'10",उम्र के
साथ उनकी तोंद थोड़ी निकल आई थी,सामने से उड़ चुके सफेद बालो को उन्होने
खीज़ाब से ढँक लिया.आमतौर पे इस उम्र मे इंसान थोड़ा सयम से जीने की
कोशिश करता है मगर सुरेन जी के साथ ऐसा नही था.उन्हे जवानी मे जो
शराब,शबाब & कबाब का शौक लगा था वो अभी तक वैसे ही बरकरार था.इस शौक ने
उनकी सेहत को नुकसान भी पहुँचाया था,उनका दिल अब पहले जैसा मज़बूत नही
रहा था.

मामले की नज़ाकत समझते हुए उन्होने शराब & कबाब को तो काफ़ी हद तक कम कर
दिया मगर शबाब के साथ उन्होने कोई कमी नही की.जब से वो जवान हुए थे,यहा
तक की शादी के बाद भी वो हर महीने कम से कम 1 बार अपनी एस्टेट से बाहर
किसी शहर का चक्कर ज़रूर लगाते & अपने इस शौक को पूरा करते.

आज भी उनके इसी शौक को पूरा करने वो कल्लगिर्ल यहा आई थी,"हेलो,सर!",उस
खूबसूरत लड़की ने कमरे मे कदम रखा तो सर हिला के उसकी हेलो का जवाब देते
हुए सुरेन जी ने उसे सर से पाँव तक निहारा.लड़की ने बहुत कसी हुई सफेद
रंग की पतलून पहनी थी & उसके उपर पीले रंग का वैसे ही कसा हुआ टॉप.ये कसा
लिबास उसके जिस्म की गोलाईयो को और उभार रहा था.सुरेन जी ने सारे कपड़े
उतार दिए थे & बस अंडरवेर मे थे,"..आप तो पहले से ही तैय्यार
हैं,सर.",लड़की मुस्कुराइ & अपने कपड़े उतारने लगी.

सुरेन जी बिस्तर के हेडबोर्ड से टेक लगाके बैठ गये & उसे नंगी होते देखने
लगे.लड़की अपने पेशे मे माहिर थी.बड़ी अदा से वो अपने जिस्म को नुमाया कर
रही थी & जब तक उसने अपनी पतली सी पॅंटी को अपनी कमर से नीचे सरकया तब तक
सुरेन जी का अंडरवेर 1 तंबू की शक्ल इकतियार कर चुका था.

लड़की गोरी थी & उसकी चूचे & गंद काफ़ी बड़े & भरे-2 थे.अपने हाथो से
अपनी चूचियो को दबाते हुए उनके काले निपल्स को मसल कर कड़ा करते हुए वो
मुस्कुराते हुए अपने ग्राहक की ओर बढ़ने लगी.तभी सुरेन जी को कुच्छ याद
आया,"सुनो..वो मेरे कोट की जेब मे 1 दवा की डिबिया है,ज़रा निकाल कर
लाओ.",पास की कुर्सी पे पड़े अपने कपड़ो की ओर उन्होने इशारा किया.

नारंगी रंग की छ्होटी सी डिबिया उनके हवाले कर लड़की उनके सामने बैठ गयी
& उनकी छाती के बालो पे हाथ फिराते हुए उनके सीने को चूमने लगी.सुरेन जी
ने डिबिया मे से 1 गोली निकाली & खा ली & फिर डिबिया को पलंग के बगल मे
रखे साइड-टेबल पे रख दिया.लड़की के सर को अपने सीने से उठा के उन्होने
उसके होंठो पे अपने होठ कस दिए & उनके हाथ उसकी नंगी पीठ & कमर पे घूमने
लगे.लड़की थोड़ा आगे हो उनसे बिल्कुल चिपक गयी & अपनी चूचिया उनके सीने
पे दबा दी.सुरेन जी उसकी गंद दबाते हुए उसकी गर्दन चूमने लगे.लड़की आहे
भर मस्त होने का नाटक करने लगी.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 10:04

सहाय साहब जानते थे कि वो नाटक कर रही है मगर उन्हे इस से कुच्छ
लेना-देना नही था,उन्हे तो बस अपने मज़े से मतलब था.उन्होने लड़की की
गर्दन से सर उठाया & उसके सर को फिर से अपने सीने पे दबा दिया,वो उनका
इशारा समझ गयी.उनके सीने को चूमते हुए वो नीचे जाने लगी & थोड़ी ही देर
बाद उसके लाल लिपस्टिक से रंगे होंठ उनके 6 इंच लंबे लंड पे कसे हुए
थे.सुरेन जी उसके सर को अपने लंड पे दबाते हुए उसकी ज़ुबान का पूरा
लुत्फ़ उठा रहे थे.लड़की ने अपनी कलाकारी दिखना शुरू कर दिया,उनके लंड को
मज़बूती से जकड़े वो कभी उसे मुँह मे भर चुस्ती तो कभी बाहर निकाल कर बस
उसपे जीभ फिराने लगती.

सुरेन जी ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली.ठीक उसी वक़्त वो नक़ाबपोश उनके
कमरे की बाल्कनी पे कूद के आया,रब्बर के जूतो ने ना के बराबर आवाज़ की
थी.उसने देखा की कमरे का शीशे का दरवाज़ा बंद है.उसने पिच्छले 1 महीने मे
इस घर का चप्पा-2 देख लिया था & इस दरवाज़े को बाहर से खोलने की तरकीब भी
निकाल ली थी.उसने दोनो दरवाज़ो के हॅंडल पकड़ के पानी तरफ मज़बूती से
खींचा,ऐसा करने से अंदर से लगी च्षिटकॅनी ढीली हो गयी & दरवाज़े के उपर
की चौखट मे लगे उसके छेद से नीचे सरक गयी.उसने दरवाज़े को बस 1 इंच खोला
तो अंदर से आ रही आहो की आवाज़े ने उसे अंदर का हाल बयान कर दिया.

उसने बड़ी सावधानी से हल्के से दरवाज़े को खोल अंदर सर घुसाया,उस शीशे के
दरवाज़े के दाई तरफ की दीवार से सटे ही पलंग & उसके दोनो तरफ साइड-टेबल्स
लगे थे.उसने सर घुसा के दाए घुमाया तो उसे वो कल्लगिर्ल बिस्तर पे पीठ के
बल लेटी दिखाई दी & उसकी टाँगो के बीचे मुँह घुसाए उसकी चूत चाटने मे
मशगूल सुरेन जी. कल्लगिर्ल अब सच मे मस्ती मे पागल हो गयी थी.सुरेन जी की
जीभ उसके दाने को चाट रही थी & उनकी उंगली लगातार उसकी चूत के अंदर-बाहर
हो रही थी.

नक़ाबपोश ने सर पीछे खींचा मगर तभी उसकी नज़र साइड-टेबल पे पड़ी दवा की
डिबिया पे पड़ी..इसी के लिए तो वो यहा आया था..कब से वो सुरेन जी के पीछे
बस इस छ्होटी सी डिबिया के लिए ही पड़ा था.उसने हाथ बढ़ा के डिबिया को
उठाना चाहा मगर ठीक उसी वक़्त सुरेन जी ने लड़की की चूत से सर उठाया &
उसके उपर आ गये & उसके होंठो को चूमने लगे.नक़ाबपोश बिजली की तेज़ी से
पीछे हो गया.मंज़िल के इतना करीब आके वो अब ग़लती नही कर सकता था..उसका
पूरा प्लान तो बस सब्र पे ही टीका था.आज के काम के बाद भी उसे बहुत सब्र
से काम लेना था.उसने अपनी पॅंट की जेब मे हाथ डाला & 1 हिप फ़्लास्क
निकाला..बाकी लोगो को शराब बेक़ाबू कर देती है मगर उसे..उसे तो यही काबू
मे रखती थी..वो वही बाल्कनी पे बैठ गया & जल्दी से 2-3 घूँट भरे,फिर आँखे
बंद की & अपना ध्यान अंदर से आ रही आवाज़ो पे लगा दिया.

कल्लगिर्ल ने अपने उपर सवार सुरेन जी की किस का जवाब देते हुए अपना हाथ
नीचे ले जाके उनके लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया.उसके कंधो को थामे
उसे चूमते हुए सुरेन जी ने फ़ौरन धक्के लगाने शुरू कर दिए.हर धक्के पे
लड़की की आहें और तेज़ हो जाती.उसने अपनी टाँगे उनके कमर पे कस दी थी &
उन्हे बाहो मे भरे नीचे से कमर हिला रही थी.सुरेन जी थोड़ी देर तक वैसे
ही उसे चोद्ते रहे,"..अब तुम मेरे उपर आ जाओ.",वो उसके दाए कान मे
फुसफुसाए.

लड़की ने फ़ौरन उनके कंधे पकड़ के करवट लेते हुए उन्हे अपने नीचे किया &
फिर उनकी छाती पे अपनी चूचियो को दबाए हुए उन्हे चूमते हुए अपनी कमर
हिलाने लगी.सुरेन जी ने उसकी चौड़ी गंद को अपने हाथो मे कस लिए & उसे
मसल्ने लगे,"..ऊऊओवव्वव....!",लड़की उठ के बैठ गयी & उनके सीने पे अपनी
हथेलिया जमा के तेज़ी से अपनी कमर हिलाने लगी.सुरेन जी ने उसकी चूचियो को
पकड़ के उसके निपल्स को मसल दिया,"...आअननह....!",लड़की ने उनकी कलाई
पकड़ के नीचे की तो उन्होने उसकी बाहो को थाम लिया & नीचे खींचा.1 बार
फिर लड़की उनके सीने से चिपकी कमर हिला रही थी मगर इस बार सुरेन जी ने
अपने घुटने मोड & उसकी कमर को अपनी बाहो मे जकड़ा & नीचे से बड़ी तेज़ी
से कमर उचकते हुए उसके धक्को के जवाब मे बड़े क़ातिल धक्के लगाने
लगे,"..आअहह...ऊओ....आआअननह....ऊउउई....!",लड़की की आहे अब बहुत तेज़ हो
गयी थी,सुरेन जी समझ गये कि वो झाड़ रही थी.

उन्होने उसे बाहो मे जकड़े हुए धक्के लगाना रोका & 1 बार फिर करवट ले उसे
अपने नीचे कर लिया,फिर अपनी कोहनियो पे अपना वज़न रख कर थोडा उपर हो उसकी
चूचियो को मसलते हुए ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगे.लड़की दोबारा झड़ने लगी &
इस बार उसके झाड़ते ही सुरेन जी ने भी अपना सारा पानी उसकी चूत मे छ्चोड़
दिया.

नक़ाबपोश बाहर बैठा अंदर की आवाज़ो पे कान लगाए था.शाम ढल चुकी थी & अब
बत्तिया जलने लगी थी.उसने गौर किया की अंदर से अब आवाज़े आना बंद हो गयी
थी यानी की चुदाई ख़त्म हो चुकी थी.वो खड़ा हुआ & दरवाज़े पे कान
लगाया,"..बाथरूम किधर है,सर.",लड़की की आवाज़ उसके कान मे पड़ी.

"उधर..",फिर लड़की के बिस्तर से उतर के बाथरूम मे जाने की आवाज़ आई.फिर
उसे बाथरूम मे पानी गिरने की आवाज़ आई & फिर लड़की
चीखी,"..ऊओवव..!",नक़ाबपोश ने फ़ौरन दरवाज़ा खोला अंदर सर घुसाया,"..आपने
तो मुझे डरा ही दिया!",सुरेन जी लड़की के पीछे-2 बाथरूम मे चले गये थे &
अब अंदर से दोनो की अठखेलियो की आवाज़े आ रही थी.

नक़ाबपोश कमरे मे दाखिल हुआ & वो डिबिया उठा ली,फिर अपनी जेब से बिल्कुल
वैसी ही 1 दूसरी डिबिया निकाल.उसने दोनो डिबिया को खोल के देखा,फिर अपनी
वाली डिबिया मे से कुच्छ गोलिया निकाल के अपनी जेब मे डाल दोनो मे गोलियो
की मात्रा बराबर की & फिर उसे सुरेन जी की डिबिया की जगह रख दिया & उनकी
डिबिया को अपनी जेब मे रख जिस रास्ते आया था उसी रास्ते चला गया.

थोड़ी ही देर बाद उसकी स्विफ्ट वाहा से निकल चुकी थी.उसका काम हो गया था
बस अब उसे बैठ के इंतेज़ार करना था.सुरेन जी ने लड़की को पैसे देके विदा
किया & तैय्यार होने लगे.कुच्छ ही देर मे शिवा भी आ जाता & फिर दोनो को
वापस एस्टेट लौटना था.उन्होने कोट के बटन बंद किए & कमरे से बाहर निकल
गये की तभी उन्हे कुच्छ याद आया,वो वापस कमरे मे आए & सी-टेबल से अपनी
दवा की वो डिबिया उठा ली & अपनी जेब मे रख ली.उनका कमज़ोर दिल उनकी
अययाशी मे अड़चन ना बने इसके लिए डॉक्टर ने उन्हे ये दवा दी थी.उसने कहा
था कि जब भी उन्हे किसी भी एग्ज़ाइट्मेंट का अंदेशा हो तो वो 1 गोली खा
लें,इस से उनका दिल संभला रहेगा.ये दवा ना होती तो वो शायद ही जिस्मानी
रिश्तो का लुत्फ़ इस कदर उठा पाते.

उन्होने मन ही मन डॉक्टर को दुआ दी & नीचे खाने की मेज़ की ओर चले गये.

आड्वोकेट संतोष चंद्रा के बंगले के अंदर ड्राइवर ने कार रोकी तो कामिनी
नीचे उतरी.शाम के ढलते सूरज मे लाल सारी & मॅचिंग स्लीवेलेस्स ब्लाउस मे
कामिनी का गोरा रंग जैसे और चमक उठा था.

Post Reply